हमारा ध्यान हर वर्ग, हर तबके पर है। मेरी सरकार सकारात्मक सोच के साथ योजनाएं बना रही है और उन्हें लागू कर रही है: प्रधानमंत्री मोदी
देश के प्रधानमंत्री का काम देश की छवि, देश की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में उसकी साख को निखारना है। मैं उतना ही कर रहा हूं: मोदी
मुद्रा योजना के तहत अब तक करीब 70 लाख दलितों और अनुसूचित जनजातियों से जुड़े लोगों को लोन मिला है: प्रधानमंत्री मोदी

केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार के ऐन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी पूरे आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। हाजिरजवाब प्रधानमंत्री ने अपने अंदाज में संपादकों के साथ गुफ्तगू की। हर सवाल का जवाब, लेकिन पूरी तरह नपा-तुला और सधा हुआ। सरकार के प्रयास और उपलब्धियों पर चर्चा हो तो खुलकर और विस्तार से लेकिन बात राजनीति की हो तो संक्षिप्त।

शुरुआती मानसून से भीगे 7, रेसकोर्स रोड के अपने विजिटिंग रूम में मोदी सवालों के जवाब में कहते हैं कि सरकार सही दिशा में काम कर रही है और उसका नतीजा भी दिखने लगा है। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे कदम भी बड़े बदलाव लाते हैं। सरकार हर किसी को जोड़कर इस सार्थक बदलाव को गति देना चाहती है।

महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिशों में जुटा है लेकिन मोदी का मानना है कि इससे निपटने का आधार भी तैयार हो चुका है। इसी क्रम में उन्होंने राजनीतिक दलों के साथ संवादहीनता के आरोप को भी खारिज किया।

जीएसटी विधेयक पर जब प्रधानमंत्री से सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था, हम हर सत्र में आशान्वित रहते हैं और प्रयास करते हैं। नईदुनिया के सहयोगी प्रकाशन दैनिक जागरण के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक प्रशांत मिश्र के साथ हुई बातचीत के अंशः

q. मंगलवार को होने वाला कैबिनेट फेरबदल कितना ब़ड़ा होगा?

a. कल आप देख ही लेंगे।

q. क्या कुछ मंत्री हटाए भी जाएंगे?

a. (थोड़ा सतर्क होकर मुस्कुराते हुए) यह विस्तार है।

q. इस विस्तार का स्वरूप क्या होगा? प्राथमिकता क्या होगी?

a. सरकार की प्राथमिकता के आधार पर ही मंत्रिमंडल तय होने चाहिए। बजट सरकार की प्राथमिकता दर्शाता है। इस विस्तार में भी उसी को बल दिया जाएगा।

q. यूं तो आपकी सरकार हर पखवाड़े कोई न कोई नया फैसला लेती रही है। लेकिन इन दो सालों में आप अपनी सबसे बड़ी सफलता और निराशा किस घटना या योजना को मानते हैं?

a. मुझे खुशी है कि दैनिक जागरण जैसे अखबार ने इस बात का संज्ञान लिया है कि हमारी सरकार हर पखवाड़े में कोई ना कोई नया फैसला लेती है। हमारे देश की पुरानी सरकारों के कारण ही ऐसी स्थिति बनी है। पिछली सरकारों में ऐसा होता था कि कोई एक योजना बन गई, या कोई एक फैसला ले लिया तो उसे पूरे पांच साल की सबसे बड़ी कामयाबी बताया जाता था। चुनाव में उस योजना का ढिंढोरा पीटा जाता था। चुनाव जीतने के लिए ऐसे बहुत से तरीके इस्तेमाल किए जाते थे और इसने देश का बहुत नुकसान किया।

हमारी कोशिश है कि व्यक्ति, समाज और राष्ट्रजीवन के सभी पहलुओं को नई शक्ति मिले, नई गति मिले और इसलिए हर सप्ताह कोई ना कोई नया कदम उठाया जा रहा है। इन सबके केंद्र में है गरीब का कल्याण और भारत का विकास। जैसे अभी कुछ दिन पहले ही हमारी सरकार ने नई टेक्सटाइल पॉलिसी का एलान किया है। पॉलिसी, टेक्सटाइल के क्षेत्र में निर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए है लेकिन इसका सबसे बड़ा लक्ष्य है- एक करोड़ रोजगार पैदा करना। इसी तरह हमने हाल ही में दुकानों और शॉपिंग मॉल को साल भर चौबीस घंटे खुला रखने की अनुमति देने वाले मॉडल कानून को मंजूरी दी है। मतलब दुकान का मालिक खुद तय करेगा कि दुकान कब खोलनी है, रात में बंद करनी है या नहीं। राज्य सरकारें अगर इस कानून को लागू करती हैं तो निश्चित तौर पर इससे लाखों लोगों, नौजवानों को नौकरी मिलेगी।

जून में ही हमने नई एविएशन पॉलिसी को भी मंजूरी दी है। हम छोटे-छोटे शहरों को हवाई जहाज के जरिए जोड़ना चाहते हैं। मई में मैंने उत्तर प्रदेश के बलिया से ही उज्ज्वला योजना की शुरुआत की। हमारा लक्ष्य अगले तीन साल में पांच करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन देने का है। हमारा ध्यान हर वर्ग, हर तबके पर है। मेरी सरकार सकारात्मक सोच के साथ योजनाएं बना रही है और उन्हें लागू कर रही है।

q. अभी-अभी सरकार और भाजपा ने विकास पर्व मनाया है। क्या इसका यह अर्थ नहीं कि सरकार खुद इसे लेकर आश्वस्त नहीं है कि केंद्र सरकार की उपलब्धियां और योजनाएं जमीन तक पहुंच रही हैं? अगर ऐसा है तो आप किसे जिम्मेदार मानते हैं?

a. मेरी सरकार के लोगों के बीच जाने पर आपको आश्चर्य होता है, आपकी यह बात ही मुझे खुद हैरान कर रही है। देश जबसे आजाद हुआ, तब से सरकारों ने अपने काम का हिसाब दिया होता, तो देश की इतनी बर्बादी नहीं हुई होती। लोकतंत्र में सरकार को जनता के बीच जाकर पाई-पाई का हिसाब देना होता है। मेरी सरकार लोकतंत्र की इस परंपरा को ही निभाने की कोशिश कर रही है।

दूसरी बात यह कि जनता और सरकार में खाई नहीं होनी चाहिए। सरकार और जनता को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। इस दौरान संवाद का भी अपना महत्व है। मुझे लगता है कि हमारे जाने से हालात बदल रहे हैं, संवाद बढ़ रहा है।

तीसरी बात यह कि जनता के बीच वही जाता है जिसने काम किया हो। पहले लोग इसलिए नहीं जाते थे कि उन्होंने कुछ काम किया ही नहीं होता था। अब हम काम कर रहे हैं तो जनता के बीच भी जा रहे हैं।

q. विपक्ष का आरोप है कि मोदी अपनी छवि के लिए काम करते हैं।

a. मोदी कभी अपनी छवि के लिए काम नहीं करते हैं। देश के प्रधानमंत्री का काम देश की छवि , देश की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में उसकी साख को निखारना है। मैं उतना ही कर रहा हूं। कुछ लोग उसे अलग तरीके से देखते हैं।

q. क्या प्रधानमंत्री अपने पार्टी सांसदों के कामकाज को लेकर भी उतने ही आश्वस्त हैं? हर कोई जानता है कि उन्हें बार-बार आपकी ओर से जमीन पर जाने, लोगों से संपर्क बनाने की याद दिलाई जाती है। उनके कामकाज के आधार पर आप उन्हें कितना नंबर देंगे?

a. आप जो बात बता रहे हैं, वह बात आज से 25-30 साल पहले के संदर्भ में कुछ हद तक सही हो सकती है, जब सांसद सिर्फ चुनाव के लिए जनता के बीच जाया करते थे। आज का राजनीतिक जीवन तीव्र स्पर्धा से भरा पड़ा है। जनमानस की आशा-अपेक्षा भी बहुत बड़ी है। लोगों में जागरूकता का स्तर भी बहुत ऊंचा है। ऐसी स्थिति में कोई सांसद अपने क्षेत्र से कटा हुआ रहेगा, यह संभव ही नहीं है। ना सिर्फ मेरी पार्टी बल्कि सभी दलों के ऊपर जनता का प्रेशर बहुत हो गया है। दूसरा, हमारे यहां एक सांसद के क्षेत्र में करीब-करीब 20 लाख लोग रहते हैं। इन लोगों से संपर्क साधना, संवाद बनाए रखना बहुत आसान नहीं है। आप कल्पना कर सकते हैं कि वो कितनी मेहनत कर रहे हैं। इसलिए उनकी जितनी तारीफ की जाए, कम है।

q. कुछ खास योजनाएं जिन्हें आप मानते हैं कि पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की दशा में आमूल चूल परिवर्तन ला सकता है..। क्या आप इसके लिए कोई समय तय कर सकते हैं?

a. हमारी सरकार का मंत्र है- सबका साथ-सबका विकास। सरकार की कोई भी योजना किसी के साथ भेद नहीं करती। अगर कौशल विकास होगा तो सबका होगा। जब मैं देश के 60 फीसदी से ज्यादा नौजवानों की बात करता हूं तो यह सोचकर नहीं करता कि इसमें कौन-कौन है और कौन नहीं। मेरे लिए जितना अमृतसर में रहने वाले नौजवान को रोजगार देना आवश्यक है, उतना ही चिंतिंत मैं औरंगाबाद में रहने वाले नौजवान के लिए हूं। जब मैं सिर्फ एक रुपए में जीवन बीमा देने की बात करता हूं तो मेरे मन में जात-पात नहीं, वो गरीब होता है जिसे ये पता ही नहीं कि सोशल सिक्योरिटी क्या होती है। जब मैं किसान को सबसे कम प्रीमियम पर फसल बीमा की बात करता हूं तो मेरे मन यह नहीं होता कि किसी खास इलाके के किसान का फायदा होगा। जब मैं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कहता हूं तो मेरा मकसद होता है कन्या भ्रूण हत्या को रोकना, चाहे वह किसी भी जगह पर हो रहा है। जब मैं यह ठानता हूं कि जिन 18 हजार गांवों में आजादी के बाद आज तक बिजली नहीं पहुंची है, उन्हें रोशन करना है, तो यह नहीं सोचता कि गांव के समीकरण क्या हैं। वरना मैंने यह भी स्थिति देखी है कि बिजली के खंबे लगे या ना लगें, यह भी जाति तय करती थी। बिजली के तार में बिजली रहे या ना रहे, यह भी इस बात से तय होता था कि आपकी जाति क्या है।

लेकिन यह भी सच है कि हमारी सरकार की योजनाओं से बड़ा फायदा दलितों को ही हो रहा है। मुद्रा योजना के तहत अब तक करीब 70 लाख दलितों और अनुसूचित जनजातियों से जुड़े लोगों को लोन मिला है। स्टैंड अप इंडिया के जरिए हम देश में ढाई लाख से ज्यादा दलित और अनुसूचित जनजाति के उद्यमी तैयार कर रहे हैं। क्रेडिट इन्हैंसमेंट गारंटी फंड और वेंचर कैपिटल फंड दलित उद्यमियों को 400 करोड़ की पूंजी उपलब्ध करा रहे हैं। इसका भी मकसद है कि दलित उद्यमी अपना आर्थिक विकास करें और दूसरों को भी रोजगार प्रदान करें।

इसी तरह हमने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्तीय और विकास निगम के शेयर कैपिटल को भी 1000 करोड़ रुपए से 1200 करोड़ रुपए कर दिया है। यह संस्था दलितों में जो गरीब हैं, उन्हें कर्ज देती है। पिछले कुछ सालों में इसने सबसे पिछड़े राज्यों में काम करना बंद कर दिया था। अब हमने इस निगम को बैंकों के साथ जोड़ कर सभी राज्यों में फिर से शुरू करवाया है।

हम अनुसूचित जाति की महिलाओं को कौशल आधारित आजीविका के माध्यम से भी सशक्त करने में जुटे हैं। एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत खासतौर पर अनुसूचित जाति की महिलाओं को आत्मरक्षा, सॉफ्ट स्किल्स, व्यावसायिक वाहन चालन जैसी ट्रेनिंग दी जा रही है। इस प्रोजेक्ट से जुड़ी 60 प्रतिशत प्रशिक्षुओं को तो ड्राइविंग लाइसेंस मिल भी गया है।

हमने 88 लाख से अधिक अल्पसंख्यक छात्रों को स्कॉलरशिप दी है। ट्रेडिशनल आर्ट और क्राफ्ट में खासतौर पर उनका कौशल बढ़ाने के लिए उस्ताद नाम से योजना शुरू की है। अल्पसंख्यक युवाओं को स्किल की ट्रेनिंग देने के लिए मौलाना आजाद नेशनल एकेडमी ऑफ स्किल्स भी बनाई है। यह एकेडमी स्किल ट्रेनिंग के अलावा अल्पसंख्यक युवाओं को अपना इंटरप्राइज शुरू करने के लिए कर्ज भी देती है। अब तक 9 राज्यों के 10 हजार से अधिक अल्पसंख्यक युवा इसका फायदा उठा चुके हैं। अल्पसंख्यक महिलाओं में कौशल विकास विकास के लिए हमने नई रोशनी नाम से योजना शुरू की है। हमारा नई मंजिल कार्यक्रम स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले अल्पसंख्यक बच्चों पर केंद्रित है। हम इन बच्चों को एक बार फिर पढ़ाई की तरफ लाने के लिए प्रयासरत हैं। सरकार नेशनल वक्फ डवलपमेंट कॉरपोरेशन को भी मजबूत कर रही है।

q. आप कहते हैं गुड गवर्नेंस आपकी सरकार का गाइडिंग प्रिंसिपल रहा है। आज दो साल बाद आप सरकार को इस पैमाने में कहां पाते हैं?

a. मेरा हमेशा से मानना है कि सरकार को खुद नागरिकों के पास जाना चाहिए ताकि वे तमाम सरकारी प्रक्रियाओं में सक्रिय भूमिका निभाएं। गुड गवर्नेंस का मकसद सरकारी नियमों को, सरकारी प्रक्रियाओं को इतना आसान कर देना है कि पूरा सिस्टम पारदर्शी हो जाए, पूरे सिस्टम की गति बढ़ जाए। इससे लोगों का भी व्यवस्था पर भरोसा बढ़ता है। उन्हें लगता है कि सरकार उनकी छोटी-छोटी दिक्कतों को समझ रही है, और उन्हें दूर करना का प्रयास कर रही है।

मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं। रसोई गैस सब्सिडी को सीधे लोगों के खाते में जमा करने की योजना "पहल" को गिनीज बुफ ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह मिली। इस योजना ने हमारे सिस्टम से साढ़े तीन करोड़ फर्जी या निष्क्रिय गैस कनेक्शन बाहर कर दिए। इसी तरह सरकार की करीब तीन दर्जन योजनाओं का पैसा सरकार सीधे लोगों के अकाउंट में जमा कर रही है। अब बिना परेशानी के बुजुर्गों को पेंशन मिल रही है, छात्रों को स्कॉलरशिप मिल रही है।

यूरिया को 100 प्रतिशत नीम कोटेड करने का फायदा आज देश के किसानों को मिल रहा है। नीम कोटेड यूरिया का इस्तेमाल अब केमिकल इंडस्ट्री में नहीं हो सकता। इससे यूरिया की उपलब्धता बढ़ी है। नीम कोटेड होने की वजह से खेतों में अब कम यूरिया डालना पड़ता है और इससे और किसानों को पैसे की भी बचत हो रही है।

हम पुराने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को घटाकर सिर्फ 4 लेबर कोड में बदल रहे हैं। श्रम कानूनों का बेवजह का बोझ नहीं होगा तो फैक्ट्रियां आसानी से खुलेंगी, अधिक खुलेंगीं और इसका सीधा मतलब होगा अधिक रोजगार। श्रम सुविधा पोर्टल शुरू करके हमने कंपनियों को लिन नंबर के जरिए आनलाइन फाइलिंग की सुविधा भी दी है।

संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों का ईपीएफ अकाउंट अब पोर्टेबल कर दिया गया है। उन्हें एक यूएएन नंबर अलॉट किया गया है ताकि नौकरी बदलते के बाद उन्हें पीएफ ट्रांसकर कराने के लिए दौड़ना ना पड़े। इसका सीधा फायदा 4 करोड़ 67 लाख कर्मचारियों को हुआ है। एक जनवरी, 2016 से हम ग्रुप बी और ग्रुप सी की नौकरियों में इंटरव्यू खत्म कर चुके हैं।

सरकार में आने के बाद हमारी प्राथमिकताओं में रहा पुराने और बेकार हो चुके कानूनों को खत्म करना। इन कानूनों का मौजूदा दौर में सिर्फ एक काम था- प्रक्रिया को मुश्किल बनाना। कानून मंत्रालय ने ऐसे 1871 पुराने कानूनों की पहचान की थी जिनमें से हम करीब 1200 कानून खत्म कर चुके हैं। आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि जितने कानून हमने सिर्फ दो साल में खत्म किए हैं, उतने कानून आजादी के बाद 70 साल में खत्म हुए थे।

हम तमाम मंत्रालयों और विभागों के इंटरनल प्रोसेस और कार्यसंस्कृति को भी बदल रहे हैं ताकि लोगों से जुड़ने की प्रक्रिया सरल हो। इसमें तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। आपने देखा होगा कि कैसे रेलवे हो या विदेश मंत्रालय, तकनीक की मदद से अधिक से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाने में लगे हैं। लोगों को भरोसा है कि उनकी शिकायत सुनी जाएगी, उस पर कार्रवाई होगी। लोगों के साथ संवाद के लिए शुरू की गई माईजीओवी वेबसाइट पर भी हमें लगातार उनकी प्रतिक्रिया मिलती है। लोगों के सुझावों को हम सरकार के फैसलों में भी शामिल कर रहे हैं।

पहले किसी कैबिनेट नोट को बनने में तीन महीने लगते थे। अब वह काम 15 दिनों में पूरा हो रहा है। हिंदू माइथोलाजी में कहा जाता था कि चार धाम करने से मुक्ति मिल जाती है लेकिन फाइलें घूमती रहती थीं लेकिन आज स्थिति बदल गई है।

q. क्या आप भी मानते हैं कि महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार जनअपेक्षा पर खरी नहीं उतर पाई?

a. ऐसा नहीं है। सरकार ने हाल ही में एक निर्णय लिया है कि मॉल 24 घंटे खुलेंगे। अब दबाव छोटे दुकानदारों पर भी है। मॉल और छोटे दुकानदार यदि थोड़े-थोड़े लोगों को भी रोजगार देंगे तो क्या बेरोजगारी कम नहीं होगी। मुद्रा योजना का सबसे अधिक लाभ लगभग 70 फीसद महिलाओं और एससी/ एसटी को होगा। क्या आप इसे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना नही मानते हैं।

q. विपक्ष का आरोप है कि विकास दर के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जा रहे हैं।

a. (मुस्कुराते हुए) अरे भाई, हमारी बात न मानो लेकिन विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी कह रहे हैं कि हिंदुस्तान तेज गति से आगे बढ़ रहा है। उन्हें तो मान लो।

q. क्या चुनावी जीत को विकास का पैमाना माना जाना चाहिए?

a. (मुस्कुराते हुए) देश में बदलाव आया है। सुदूर गांव में बैठे व्यक्ति की भी अपेक्षाएं अब बहुत बढ़ गई हैं। भविष्य में और भी बढ़ेंगी। हमें इन पर खरा उतरना होगा।

q. प्रधानमंत्री के रूप में आपकी बहुत व्यस्तताएं हैं। लेकिन आपके संसदीय क्षेत्र के लोग जानना चाहते हैं कि क्या आप कभी खुद को केवल वाराणसी के सांसद के रूप में भी महसूस करते हैं?

a. मैं प्रधानमंत्री बनने से पहले वाराणसी का सांसद चुना गया। इसलिए स्वाभाविक रूप से मैं अपने संसदीय क्षेत्र को बहुत महत्व देता हूं। मेरा बाबा विश्वनाथ और मां गंगा से भावनात्मक लगाव तो था ही लेकिन वाराणसी की जनता ने मुझे जो प्यार दिया, उसे मैं भूल नहीं सकता। प्रधानमंत्री बनने के बाद जितनी बार मैं गुजरात गया, उससे कहीं अधिक बार वाराणसी गया हूं। वाराणसी के विकास के लिए चौतरफा प्रयास किया जा रहा है। 380 करोड़ रुपए की लागत से 16 किलोमीटर की रिंग रोड के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इसके दूसरे चरण में 43 किलोमीटर रोड बनाई जाएगी। इससे बनारस और आसपास के लोगों को शहर आने में होने वाली दिक्कत काफी हद तक दूर हो जाएगी। इसके अलावा वाराणसी के आसपास के जिलों को जोड़ने वाली 1000 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कों की मरम्मत और चौड़ीकरण के लिए केंद्र सरकार ने दो साल में 10 हजार करोड़ से अधिक मंजूर किए हैं। जो सड़क बाबतपुर एयरपोर्ट को शहर से जोड़ती थी, उसकी हालत भी बहुत खराब थी। इस सड़क को चौड़ा करने के लिए 630 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मंजूर किया गया है।

281 करोड़ रुपए की लागत से टेक्सटाइल सेंटर के निर्माण का काम शुरू हो चुका है। इससे लगभग एक लाख बुनकर भाइयों को मदद मिलेगी। अभी जिस टेक्सटाइल पॉलिसी का मैंने आपसे जिक्र किया, उसका भी बड़ा फायदा वाराणसी के कारोबारियों को होने जा रहा रहा है। अब उन्हें हैंडलूम से जुड़ी आधुनिक तकनीक आसानी से मिलेगी। इस उद्योग से जुड़े कानूनों में बदलाव से लेकर ट्रेनिंग तक का फायदा वाराणसी के नौजवानों को मिलने जा रहा है।

बनारस के घाट अब एलईडी बल्ब से जगमगाते हैं। टूरिस्टों के लिए 7 घाटों पर 9 हॉटस्पॉट शुरू किए गए हैं। कैंट रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग और 9 प्लेटफॉर्म का विस्तार किया जा रहा है। मड़ुहाडीह में भी 5 नए प्लेटफॉर्म बनाए जा रहे हैं। यानी रेलवे स्टेशन पर नागरिक सुविधाओं में बढोतरी की बात हो या वाराणसी को आसपास के शहरों से जोड़ने वाली सड़कों का निर्माण, सब कुछ तेजी से हो रहा है। वाराणसी के प्राचीन और सांस्कृतिक स्वरूप को बचाते हुए शहर के भीतर भी हर स्तर पर सार्वजनिक सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है। मैं व्यक्तिगत रुचि लेकर इनकी समीक्षा करता हूं। वाराणसी की सड़कों पर लटके हुए बिजली के तारों की बात हो या काशी के पुराने तालाब और कुंडों की मरम्मत की बात हो, इन सभी पर हमारा ध्यान है और काम चल रहा है।

वाराणसी के लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। रिक्शा चलाने वालों को रिक्शे की व्यवस्था से लेकर मल्लाहों को आधुनिक नाव देकर वाराणसी के जन-जीवन में खुशहाली और आधुनिकता लाने की कोशिश है। इसी तरह जल शव वाहिनी बोट भी शुरू की गई है। आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं, वाटर एटीएम, बैटरी चालित रिक्शे भी वाराणसी के लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरी करने के लिए हैं। मुझे उम्मीद है इन प्रयासों की वजह से आने वाले दिनों में वाराणसी एक विकसित और सुसज्जित शहर बनेगा।

q. बांग्लादेश में जो बर्बर आतंकी घटना हुई है, उस पर आपकी क्या टिप्पणी है?

a. आतंकवाद की पीड़ा भारत 40 साल से झेल रहा है। देश की सभी सरकारों ने विश्व को अपनी इस पीड़ा से अवगत कराने का प्रयास किया है। आज विश्व आतंकवाद को केवल कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं मानता बल्कि इसकी भयावहता भी समझ रहा है। यह मानवता का विषय है। सभी मानवीय देशों को इस मामले में एक मंच पर आना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भी एक बिल लंबे अरसे से पड़ा है जिसमें आतंकवाद को पारिभाषित किया जाना है।

q. पहली बार मुस्लिम राष्ट्र बांग्लादेश ने भी आतंकी घटना पर पाकिस्तान को दोषी ठहराया है। आप क्या कहना चाहेंगे?

a. भारत की मीडिया को चाहिए कि इस मसले की पूरी छानबीन करे, अध्ययन करे और देश-दुनिया को इसकी पूरी जानकारी दे।

q. इस बार कांग्रेस को छोड़कर लगभग सभी दल आपके साथ हैं। क्या आप मानते हैं कि मानसून सत्र में जीएसटी की राह आसान होगी?

a. हमें तो हर सत्र में उम्मीद रहती है। सरकार प्रयास भी करती है। इस बार भी प्रयास करेगी।

q. कांग्रेस संवादहीनता का आरोप लगाती है?

a. विपक्ष से हर स्तर पर संवाद किया जाता है। सत्र को सुचारू रखने के लिए सबकी सहभागिता होनी चाहिए। इसके लिए सरकार यह प्रयास करती है कि सभी दलों के साथ संबंध अच्छे रहे हैं।

Source: Nai Duniya

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Prime Minister Shri Narendra Modi paid homage today to Mahatma Gandhi at his statue in the historic Promenade Gardens in Georgetown, Guyana. He recalled Bapu’s eternal values of peace and non-violence which continue to guide humanity. The statue was installed in commemoration of Gandhiji’s 100th birth anniversary in 1969.

Prime Minister also paid floral tribute at the Arya Samaj monument located close by. This monument was unveiled in 2011 in commemoration of 100 years of the Arya Samaj movement in Guyana.