Opposition wants ‘majboor’ (helpless) government, India want ‘majboot’ (strong) dispensation for holistic development: PM Modi #NaMoAgain
BJP rule proved that country can see a change and government can run without corruption: PM Modi #NaMoAgain
Congress even tried to impeach former chief justice of India to delay the hearing in the Ayodhya case: PM Modi #NaMoAgain

भारत माता की जय
भारत माता की जय

मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान अमित भाई शाह, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और हम सभी के श्रद्धेय आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी, राजनीति और विद्वता का संगम श्रद्धेय डॉ मुरली मनोहर जोशी जी, मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान राजनाथ सिंह जी, अरुण जेटली जी, सुषमा स्वराज जी, नितिन गडकरी जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे अन्य सभी सहयोगी गण, पार्टी के सभी यशस्वी मुख्यमंत्री गण, संसद में मेरे सारे सहयोगी, अन्य महानुभाव और हिंदुस्तान के कोने-कोने से आए हुए आप सभी प्रतिनिधि बंधु, प्रिय कार्यकर्ता भाइयों और बहनों आप सभी को नव वर्ष 2019 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मैंने अध्यक्ष जी से रिक्वेस्ट की है कि आज मेरा मन कुछ जरा ज्यादा बोलने के लिए करता है, तो मैंने जरा ज्यादा समय के लिए इजाजत मांगी है, आप की भी इजाजत है ना, भोजन में देर हो जाएगी तो चिंता नहीं ना, यह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता का समर्पण ही है, जो हर दिन, हर वर्ष को शुभ बनाता है। कभी दो कमरों में चलने वाली पार्टी 2 सांसदों वाली पार्टी, आज इतने विशाल स्वरूप में राष्ट्रीय परिषद की बैठक कर रही है यह अपने आप में बहुत अद्भुत है, अविस्मरणीय है। आज महान योद्धा संत स्वामी विवेकानंद जी की भी जयंती है। मैं उन्हें नमन करते हुए उनकी कहीं एक बात से ही शुरुआत करना चाहता हूं स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, “हर राष्ट्र की एक नियति होती है।

उसका एक संदेश होता है। और हर राष्ट्र का एक ध्येय भी होता है। भारत को भी अपने ध्येय को, अपनी ध्येय प्राप्ति को प्राप्त करना ही है। और इसे प्राप्त करने में राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति का पूरा सामर्थ्य, पूरा योगदान चाहिए होता है।" भारतीय जनता पार्टी के हम सभी कार्यकर्ता बहुत सौभाग्यशाली है कि हमें पहले दिन से ही ये शिक्षा और ये संस्कार दिए गए। और यही संस्कार आज भी हमारे जीवन को निर्धारित कर रहे हैं।

साथियो,

राष्ट्रीय परिषद की यह पहली बैठक है, जो अटल जी के बिना हो रही है, लेकिन वे आज जहां से भी हमें देख रहे होंगे। अपने बच्चों की इस ऊर्जा से, राष्ट्र के प्रति इस समर्पण से उन्हें भी संतोष हो रहा होगा। जो परिपाटी अटल जी हमारे लिए निर्धारित कर गए हैं। उसे मजबूत करना, उसे आगे बढ़ाना हम जैसे हर कार्यकर्ता का दायित्व है। मैं उन्हें पुन: नमन करता हूं। और ये कामना करता हूं कि पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता पर उनका आशीर्वाद इसी तरह बना रहे। बीते वर्ष भारतीय जनता पार्टी के जिन कार्यकर्ताओं ने अपना सर्वोच्च त्याग दिया। विरोधियों द्वारा की गई राजनीतिक हिंसा की वजह से जिन्हें जान गंवानी पड़ी। उनके परिवारों के प्रति भी मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। ये आप सभी कार्यकर्ताओं की ताकत, संगठन की शक्ति जन-जन की भक्ति का परिणाम है। जिसकी वजह से आज हम इतनी ताकत के साथ, इतनी तेजी गति के साथ आगे बढ़ रहे हैं। केंद्र में भाजपा की सरकार है। और देश के सोलह राज्यों में या तो हम सरकार चला रहे हैं या फिर सरकार में शामिल है। पार्टी के प्रति आपका ये स्नेह और पार्टी पर आपके ये आशीर्वाद बहुत मुल्यवान है। जब आपकी इच्छशक्ति कर्मशक्ति में बदली तभी भारतीय जनता पार्टी इस ऊंचाई को प्राप्त कर सकी है। मैं आज भारतीय जनता पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता को भी नमन करता हूं।

भाइयो और बहनो,

बीते दो दिनों में राष्ट्रीय परिषद में अनेक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे गए हैं। किसानों से जुड़े प्रस्ताव, गरीब कल्याण से जुड़े प्रस्ताव, उसके अलावा वर्तमान राजनीति पर भी सार्थक चर्चा हम सभी के बीच हुई है। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि इन प्रस्तावों का एक-एक शब्द याद हो। इनमें जो बातें लिखी हैं, वो घर-घर पहुंचे, व्यक्ति-व्यक्ति तक पहुंचे।

साथियो,

इस चर्चा का इसलिए भी महत्व है, क्योंकि देश एक नये विश्वास के साथ भाजपा को देख रहा है। बीते चार- साढ़े चार वर्षों में भाजपा के नेतृत्व में जिस तरह केंद्र सरकार चली है, जिस तरह राज्यों में अपनी सरकारें चला रहे हैं। उसने जनमानस में यह स्थापित कर दिया है कि अगर देश को नई ऊंचाई पर कोई राजनीतिक दल ले जा सकता है, तो वो सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी है।

साथियो,

देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है,जब सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है। हम सब इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि एक भी दाग हम पर नहीं है। हमसे पहले की सरकार, जो उनका कार्यकाल था उसने देश को बहुत अंधेरे में धकेल दिया था। अगर मैं कहूं कि भारत ने 2004 से 2014 के महत्वपूर्ण दस साल घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोपों में गंवा दिए, तो गलत नहीं होगा। 21वीं सदी की शुरुआत में ये दस वर्ष बहुत महत्वपूर्ण थे। जैसे मैं कहता हूं स्वतंत्रता के बाद अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री बनते तो देश की तस्वीर कुछ और होती। वैसे ही आज ये भी कहना चाहता हूं कि 2000 के चुनावों के बाद अगर अटल जी प्रधानमंत्री बने रहते, तो आज भारत कहीं और होता। वर्ष 2000 के बाद से भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में हमने देश को उस अंधेरे से, उस बेचैनी से, उस घबराहट से बाहर निकालने का काम किया है। देश में और देश के लोगों में जो आत्मविश्वास खो गया था, उसे वापस लाने का काम हमारी सरकार ने किया है। अब देश ईमानदारी की ओर चल पड़ा है। इतने सारे लोगों का स्वेच्छा से गैस सब्सिडी छोड़ना, रेलवे रिजर्वेशन के दौरान रियायतें छोड़ देना, बड़ी संख्या में उद्यमियों का जीएसटी से जुड़ते चले जाना, आयकर देने वालों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि होना, ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश का जनमानस अब स्वयं को राष्ट्र निर्माण का भागीदार बनाने के लिए पूरी ऊर्जा के साथ आगे आ रहा है। उसे विश्वास है कि वो जो टैक्स देता है, उसकी पाई-पाई का सही इस्तेमाल इस सरकार द्वारा किया जा रहा है। ये विश्वास ही हमारी ताकत है, हम पर आशीर्वाद है।

साथियो,

भाजपा सरकार के इस कार्यकाल ने ये साबित किया है कि देश बदल सकता है। और सामान्य नागरिक के हित में बदल सकता है। भाजपा के सरकार के कार्यकाल ने ये साबित किया है कि देश में सरकार बिना भ्रष्टाचार के भी चलायी जा सकती है। भाजपा सरकार के कार्यकाल ने ये साबित किया है कि जब देश में स्थायी परिवर्तन लाने वाले कड़े और बड़े फैसले लिए जाते हैं तो पूरा देश एक होकर उसका साथ देता है। भाजपा सरकार के कार्यकाल ने ये साबित किया है कि सत्ता के गलियारों में चहल-पहल करते दलालों को भी बाहर किया जा सकता है।

साथियो,
भारतीय जनता पार्टी की सरकार सिर्फ और सिर्फ विकास के मार्ग पर चल रही है। विकास के हमारे मंत्र का मूल है- सबका साथ - सबका विकास और एक भारत-श्रेष्ठ भारत । जब हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत की बात करते हैं तो उनमें क्षेत्रीय अस्मिताओं, आकांक्षाओं के लिए पूरा स्थान है। Regional Aspirations को और मजबूती देते हुए भारत की एकता और श्रेष्ठता के लिए काम करना भाजपा के एक-एक कार्यकर्ता का ध्येय हैं। वहीं जब हम सबका साथ-सबका विकास की बात करते हैं, तो इसमें भारत के हर नागरिक, हर क्षेत्र का पूर्ण विकास समाहित है। सबका विकास भी सिर्फ सरकार के प्रयासों से नहीं, बल्कि सभी का साथ लेकर जनभागीदारी से करना है। और यहीं हमारा एप्रोच है, संस्कार है, हमारी संस्कृति है। यहीं हमारी कार्य संस्कृति है। और ये आगे भी रहेगी।

साथियो,
अपने इसी प्रयास को हाल में सरकार ने और विस्तार देने की कोशिश की है। सामान्य श्रेणी के गरीब युवाओं को शिक्षा और सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण नये भारत के आत्मविश्वास को और बढ़ाने वाला है। ये सिर्फ आरक्षण नहीं है बल्कि उन युवा आकांक्षाओं को नया आयाम देने की कोशिश है। जिनको गरीबी की वजह से अवसर नहीं मिल पाते थे।

भाइयो और बहनो
बाबासाहेब आम्बेडकर द्वारा रचित संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया गया था। ये मेरे उन भाइयों और बहनों को समानता देने की ऐतिहासिक कोशिश थी। जिनके साथ जाति के आधार पर भेदभाव किया जाता रहा है। ये व्यवस्था आज भी उतनी ही मजबूत है, जितनी पहले थी। और बाबा साहेब ने जो अधिकार दिया है वो आगे भी रहने वाला है। लेकिन अवसरों की समानता और सामाजिक न्याय को मजबूत करने की बात करते हुए सामान्य वर्ग के गरीब को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। भूतकाल में इसकी कोशिशें भी हुई थीं। लेकिन इतिहास पर बहस में उलझे रहने के बजाय हमें आगे का समाधान तलाशना जरूरी था। और इसलिए पहले से जिनको आरक्षण की सुविधा मिल रही थी, उनके हक को छेड़े बिना, छीने बिना भाजपा सरकार द्वारा सामान्य वर्ग को दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। इतना ही नहीं शिक्षा में दस प्रतिशत वृद्धि भी की जाएगी।

भाइयो और बहनो

शिक्षा में जो आज सीटें हैं, उसमें दस प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। बहनों और भाइयों सब कुछ इसी से ठीक हो जाएगा। ये दावा न कभी मैंने किया है और न करता हूं। लेकिन ये भी एक रास्ता है, जो सामान्य वर्ग के गरीबों को अवसर की समानता की तरफ ले जाता है।
साथियो,

भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता को इस व्यवस्था के पीछे के भाव और उसके लाभ पर समाज के भीतर व्यापक चर्चा करनी चाहिए। मैं फिर बता दूं कि समाज के किसी वर्ग को वंचित किए बिना, किसी के हक को कम किए बिना, ये नई व्यवस्था की गई है। मुझे पता है कि कुछ लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं कि इस बारे में भ्रम फैलाकर असंतोष की आग लगाते रहे। हमें उनकी साजिशों को भी नाकाम करते चलना है।

भाइयो और बहनो

देश की युवा आबादी 21वीं सदी के भारत की सबसे बड़ी शक्ति है। ऊर्जा से भरपूर हमारे युवा ही भारत के सामर्थ्य का, देश के आत्मविश्वास का सही प्रतिनिधित्व करते हैं। इस युवा शक्ति के लिए उपयुक्त अवसरों और जरूरी प्रोत्साहन की ही जरूरत है। इसी दिशा में बीते साढ़े चार वर्ष से केंद्र ने अनेक काम किए हैं। टैलेंट की पहचान, सही मार्गदर्शन, आसान प्रक्रियाएं, पारदर्शी संस्थाएं, जरूरी सुविधाएं जब साथ मिल जाती हैं। संकल्प लेकर सही दिशा में जाते हैं तो युवा अपने आप नए शिखर सर कर लेता है। कमाल करके रख देता है। उसको किसी के सहारे की जरूरत नहीं रहती है। देश का युवा आज दुनिया के मंच पर जो भी झंडे गाड़ रहा है। वो न्यू इंडिया के अभूतपूर्व आत्मविश्वास का ही परिणाम है। आज की युवापीढ़ी को पता है कि उसकी आवाज की आज कद्र होती है। वो जनता है कि उसके देश की साख मजबूत हो रही है। वो ये जानता है कि देश की सामरिक और आर्थिक हैसियत नई ऊंचाई पर है। उसको पता है उसकी सरकार हर परिस्थिति में उसके साथ खड़ी है। अगर मैं खेल की दुनिया का उदाहरण दूं तो हाल के दिनों में आपने भी भारत के शानदार प्रदर्शन पर खुशियां मनाई होंगी। ये प्रदर्शन महत्वपूर्ण तो है ही, उसमें भी अहम है positive attitude । आज वो राष्ट्रभक्ति की भावना को अभिव्यक्त करने से हिचकिचाता नहीं है। आलोचनाओं से बेपरवाह खुद को एक्स्प्रेस करता है, इसका सीधा असर उसके हुनर, उसके प्रदर्शन पर देखा जा सकता है।

साथियो,

टैलेंट की देश में कभी कमी नहीं रही है। विपरीत परस्थितियों में भी अनगिनत प्रतिभाएं हमें गौरवान्वित करती रही है। हमारी सरकार ने माहौल को बेहतर बनाने की प्राथमिकता दी है। एक उचित और ईमानदार पारदर्शी व्यवस्था विकसित करने का प्रयास किया है। हमारी सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयत्नशील है। और खुले विचारों के साथ निरंतर नई योजनओं पर काम कर रही है।

साथियो,

इसी तरह महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए महत्वपूर्ण प्रयास बीते साढ़े चार वर्षों में किए गए हैं। और यह वर्ष हम राजमाता विजया राजे सिंधिया जी की शताब्दी वर्ष के रूप में मना रहे हैं। तब हम मातृशक्ति का योगदान का गौरवगान करते हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं। ये सही है कि राजनीतिक विरोध के लिए कुछ लोग ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी पवित्र भावना का मजाक उड़ाते हैं। लेकिन दशकों से चल रही इस गलत सोच से समाज को मुक्त करने की तरफ हम बहुत आगे निकल चुके हैं। साथियो, जब सशक्तीकरण होने लगता है तो सोच और धारणाएं अपने-आप बदलने लगती है। यहीं रास्ता महिलाओं के लिए हैं। इस सरकार ने चुना है। दफ्तरों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए उद्यमों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मैटरनिटी लीव 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते किया गया है। छोटे उद्योगों से जुड़ी महिला उद्यमियों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। गांवों में महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप जैसी व्यवस्था को और मजबूत किया जा रहा है। साथियो, बेटिया सक्षम भी है और शक्ति का रूप भी है। यहीं कारण है कि भारत के इतिहास में पहली बार सशस्त्र बलों में महिलाओं की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित हो रही है। पहली बार बेटियां फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं।

साथियो,

सशक्तीकरण की जब बात आती है, देश में एक बड़ा वर्ग है, जिस पर ध्यान दिया जा रहा है। अपने अन्नदाता को हम नये भारत की नई ऊर्जा का वाहक बनाना चाहते हैं। किसानों को सशक्त करने के लिए इस दिशा में गंभीरता के साथ, बहुत ईमानदारी के साथ प्रयास किया जा रहा है। भाइयों, जब हम किसानों की समस्या के समाधान की बात करते हैं तो पहले की सच्चाइयों को स्वीकार करना जरूरी है। खेती और किसान की स्थिति दशकों की लापरवाही और बेरुखी का परिणाम है। कारण ये रहा कि जिनके पास पहले किसान को संकट से बाहर निकालने का दायित्व था, उन्होंने sortcut ढूंढे, आसान रास्ते ढूंढ़े, चुनाव के बारे में सोचा। उन लोगों ने अन्नदाता को सिर्फ और सिर्फ मतदाता बना रखा था, अपनी मतपेटी भरने के लिए। हम अन्नदाता को ऊर्जादाता भी बनाना चाहते हैं।
साथियो, इसलिए हमारी सरकार ने sortcut के बजाय लंबा और कठिन रास्ता चुना है। किसानों की मूल समस्याओं को सुलझाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। और ये प्रक्रिया निरंतर जारी है। बीज से लेकर बाजार तक सरकार नई और आधुनिक व्यवस्थाओं का निर्माण कर रही है। ये व्यवस्थाएं बनने में समय जरूर लेती है, लेकिन इनका लाभ बहुत बड़े स्तर पर मिलता है। जब नहर बन रही होती है, तो वो एक लंबे गढ़े के अलावा कुछ नहीं होती है। कभी आने-जाने वालों की नराजगी भी होती है। लेकिन जब उस नहर से पानी खेत तक पहुंच जाता है तो उसके पीछे की सोच और शंका सीधे-सीधे लाभ के रूप में नजर आने लगता है।

साथियो

देश का किसान इस बात का साक्षी है कि लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य, एमएसपी की मांग कितने दशकों से चल रही थी। देश का किसान ये भी जानता है कि पहले कैसे इन सुझावों को ही फाइलों में दबा दिया गया था।
भाजपा की ये सरकार है, जिसने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को न सिर्फ लागू किया, बल्कि हरसंभव कोशिश रही है कि किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी मिले। इसमें अभी जो अड़चनें आ रही हैं। उन्हें राज्य सरकारों के सहयोग से उन्हें दूर करने का ईमानदारी से प्रयास किया जा रहा है। किसानों से अनाज की खरीद को लेकर हम कैसे गंभीरता से काम कर रहे हैं। इसका भी एक उदाहरण मैं आपको देना चाहता हूं। याद करिए, कुछ वर्ष पहले, जब हम लोग आए, उसके पहले की बात कर रहा हूं। दाल की कीमतों को लेकर कितना हल्ला मचाया जाता था। अब इतने दिन हो गए टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज़... दालों की कीमत सातवें आसमान पर है...देखने को नहीं मिलता है। ये बदलाव आया कैसे ? ये बदलाव इस लिए आया है क्योंकि दाल के उत्पादन, उसकी खरीद और उसकी कीमत को लेकर भाजपा सरकार ने दूरगामी सोच के साथ काम शुरू किया। नई नीतियां बनाईं, नए फैसले किए। साथियों पहले की सरकार ने अपने आखिरी के पांच वर्षों में 7 लाख मिट्रिक टन दलहन और तिलहन की खरीद की। भाजपा की सरकार ने अपने बीते साढ़े चार साल के कार्यकाल में 95 लाख मिट्रिक टन यानि लगभगं तेरह से चौदह गुना अधिक उपज हमने किसान से खरीदी है। ये हैं हमारे काम का तरीका। लेकिन मैं ये भी नहीं कहता कि सारी समस्याएं दूर कर ली गई हैं। ये मैं नहीं कहता। साथियों मुझे अहसास है कि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। किसानों पर ऋण का भार भी है और लागत भी निरंतर बढ़ रही है। लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि जितनी बड़ी चुनौतियां हैं, उतने ही बड़े और ईमानदार हमारे प्रयास है। कोशिशों में हमने कोई कमी नहीं छड़ी है। और ये आगे भी जारी रहेगी। साल 2022 तक किसान अपनी आय दोगुनी करने के साधन जुटा सके इसके लिए हम दिन रात जुटे हुए हैं।

साथियो,

विरोधी दलों के कुछ साथी ये आरोप लगाते हैं कि हमने सिर्फ नाम बदले हैं। योजनाएं तो वही पुरानी हैं। पता नहीं वो क्या कहना चाहते हैं। यहां तो कुछ लोगों को मुझसे यहीं शिकायत है कि हमने नाम नहीं बदले हैं। ये बड़े-बड़े अस्पताल, ये बड़े-बड़े एयरपोर्ट, सैकड़ों की संख्या में योजनाएं, अभी तो उसी नाम से चल रही थी। मैं तो ऐसे लोगों से ये भी जानना चाहता हूं कि कितनी योजनाएं ऐसी हैं, जो मेरे नाम से चल रही है। मेरे कार्यकर्ता साथियों आप मुझे बताइए। क्या आयुषमान योजना के आगे नरेन्द्र मोदी जुड़ा है? क्या भारतमाला और सागरमाला परियोजना के आगे नरेन्द्र मोदी लिखा है ? क्या जनधन योजना नरेन्द्र मोदी के नाम से जानी जाती है ? क्या उज्ज्वला योजना को नरेन्द्र मोदी उज्ज्वला योजना नाम दिया है ? नहीं, न! ये इसलिए है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में हमें पहले दिन से सिखाया जाता है- स्वयं से बड़ा दल और दल से बड़ा देश होता है। यहीं हमारे संस्कार है और यही हमारी प्रतिज्ञा है।

भाइयो और बहनो,

देश में सिलेंडर पहले भी मिलते थे। पासपोर्ट पहले भी बनते थे। ऑनलाइन रेल रिजर्वेशन पहले भी होता था। सड़कें भी पहले बनाई जाती थीं। रेल पटरियां पहले भी बिछाई जाती थीं। पुल भी बनते ही थे। लेकिन इन साढ़े चार साल में इन सभी कार्यों में जो गति भाजपा सरकार ने दी है, वो गति अभूतपूर्व है। लेकिन मैं ये दावा नहीं करता कि हमने सारे लक्ष्य हासिल कर लिए, सबकुछ कर लिया। ये मैं नहीं कहता हूं। अगर सबकुछ हासिल हो ही गया होता तो फिर मोदी की जरूरत ही क्या थी ? मैं यह दावा नहीं करता कि सारी व्यवस्थाओं का मैंने कायाकल्प कर दिया। हां, मैं ये जरूर दावा करता हूं और आज भी कर रहा हूं कि देश को आगे बढ़ाने में, हमारी व्यवस्था में जो कमियां थीं, उसे दूर करने का हमने बहुत ईमानदारी से प्रयास किया है। मैंने दिन रात एक-एककर प्रयास किया है कि देश के लोगों का जीवन और आसान बने। देश के वंचितों, शोषितों, पीड़ितों और गरीबों को उनका अधिकार मिले। आप सोचिए, पहले की सरकार में जिस रफ्तार से हमारे देश के गरीबों के लिए घर बन रहे थे, अगर उसी रफ्तार से बनते रहते तो हर गरीब का अपना घर होने में कितना समय गुजर जाता।

सोचिए, जिस रफ्तार से परिवारवादी सरकार में हमारे गांवों में बिजली पहुंच रही थी। अगर उसी रफ्तार से पहुंचती तो उन 18 हजार गांवों में रहने वाले लोगों को और दस साल इंतजार करना पड़ता। जहां हमने बिजली पहुंचा दी है। सोचिए, जिस रफ्तार से पहले के दलाली के युग में देश में शौचालय बन रहे थे, अगर वैसे ही बनते रहते तो हर घर में शौचालय होने में अगला दशक बीतने के बाद भी सवालिया निशान लटकता रहता। सोचिए, पहले की असंवेदनशील सरकार में हमारे देश में गैस कनेक्शन दिए जा रहे थे। अगर वहीं रफ्तार होती तो अनेक पीढ़ियां गुजर जाती हर घर में गैस पहुंचाने का शायद सपना पूरा नहीं होता। सोचिए, जितने बड़े पैमाने पर पहले की भ्रष्ट सरकार में सरकारी सब्सिडी का पैसा लिक हो रहा था, गलत हाथों में जा रहा था। अगर वैसे ही जाता रहता तो ईमानदार टैक्सपेयर की कितनी मेहनत ऐसे ही बर्बाद हो जाती। देश के काम नहीं आती।

सोचिए, जिस रफ्तार से सड़कें बन रही थी, जिस रफ्तार से रेल लाइनें बिछ रही थीं, उनका विद्युतीकरण हो रहा था, अगर वैसे ही होता रहता तो देश कैसे आगे बढ़ पाता। तो कैसे 21वीं सदी की नई ऊंचाई पर पहुंच पाते। ये सारे काम, ये सारे प्रयास पहले भी हो रहे थे। लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 2014 के बाद ऐसे हर काम को नई ऊर्जा दी, नई गति दी। वहीं लोग हैं, वहीं धरती है, वहीं आसमान है, वहीं समुंद्र है, लेकिन जमीन से आसमान तक बदलाव हो रहा है। सवा सौ करोड़ भारतीयों का परिश्रम इसमें मिल कर बदल रहा है।

साथियो,

देश की अर्थव्यवस्था अपनी डामाडोल स्थिति से बाहर निकल कर तेजी से पारदर्शी होने की तरफ बढ़ रही है। 2014 से पहले देश उस स्थिति में था, जब ईमानदारी से टैक्स देने वालों की कमाई की, बैंकों में अपनी मेहनत का पैसा जमा करने वालों की कोई कद्र नहीं रह गई थी। Public Money, Private Wealth बन गया था। और जिनके पास जनता के पैसे की रक्षा करने की जिम्मेदारी थी,वहीं जनता के पैसों को लूटाने में लगा हुआ था। हालत ये हो गए थे कि हमारा मध्यम वर्ग अपनी जिंदगी भर की कमाई जिन बैंकों में रखता था, वो सत्ताधारी कांग्रेस के निजी तिजोरी बन गए थे। जनता के पौसा घोटालेबाजों को एक के बाद एक लोन के तौर पर बांटा जा रहा था। लुटाया जा रहा था। साथियों, मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं मालूम है...देश के साथ कांग्रेस ने जो गंभीर विश्वासघात किया, उससे बार-बार कहा जाना, बताया जाना आवश्यक है।

भाइयो और बहनो,

आजादी से लेकर साल 2008 तक यानि 60 साल में बैंकों ने 18 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया था। लेकिन 2008 से लेकर 2014 तक सिर्फ 6 साल में लोन का आंकड़ा बढ़कर 52 लाख करोड़ हो गया। यानि 60 साल में 18 लाख करोड़ रुपये और कांग्रेस शासन के आखिरी 6 साल में 34 लाख करोड़ रुपये। अब मैं आपको बताता हूं कैसे किया जाता था।

साथियो,

उस समय देश में लोन लेने के दो तरीके होते थे। एक तरीका था कॉमन प्रोसेस जिससे लोन मिलता था। दूसरा तरीक था जिससे लोन मिलता था उसे कहते थे कांग्रेस प्रोसेस। भाइयों और बहनों कॉमन प्रोसेस में आप बैंक से लोन मांगते थे, जबकि कांग्रेस प्रोसेस में बैंकों को मजबूर किया जाता था अपने घोटालेबाज दोस्तों को लोन देने के लिए। कॉमन प्रोसेस में आपको 10 या 20 लाख रुपये का लोन मिलता था, जिससे आप अपना घर बनाते थे, अपने बच्चों के लिए एजुकेशन लोन लेते थे, जबकि कांग्रेस प्रोसेस में सैकड़ो-हजारों करोड़ का लोन सिर्फ एक फोन कॉल पर मिल जाया करता था। अगर आप कॉमन प्रोसेस लोन मांगने के लिए जाते थे तो आपसे बैंक सवाल करता था, गारंटी के लिए आपसे दस्तावेज मांगता था, वहीं जो लोग कांग्रेस प्रोसेस और कांग्रेस की फोन बैंकिंग के जरिए लोन लेना चाहते थे वो नामदार का एक फोन ही काफी था, वहां कोई सवाल नहीं पूछे जाते थे। इतना ही नहीं अगर आप कॉमन प्रोसेस से लोन लिया है तो आपको हर हाल में आपको लोन चुकाना ही पड़ता था। लेकिन अगर आपने कांग्रेस प्रोसेस से लोन लिया है तो आपको एक लोन चुकाने के लिए दूसरा लोन मिलता था, और दूसरे को चुकाने के लिए तीसरा लोन मिल जाता था। और अंत में सारा पैसा हजम कर जाने की भी छूट थी। साथियों इस पूरे तंत्र का नुकसान क्या हुआ, पता है…

उन बैंकों में जहां हमारे गरीब, नौकरी पेशा, किसान और मध्यम वर्ग के लोगों का पैसा जमा होता है उन्हें बदहाल, बेहाल और कंगाल होने की स्थिति में पहुंचा दिया गया था। यह निश्चित तौर पर ही बहुत ही भयावह स्थिति थी। और अगर 2014 में मैंने इस राज को खोल दिया होता तो अंदाजा लगाया देश की अर्थव्यवस्था का क्या हाल हुआ होता। बिना कोहराम मचाए, हमने धीरे-धीरे स्थिति को बदला, हमने कांग्रेस प्रोसेस वाली बैंक की व्यवस्था पर लगाम लगाई, और उसका नतीजा ये हुआ कि जिन बैंकों से लगातार हजारों करोड़ रुपये जा रहे थे अब बैंकों में हजारों करोड़ रुपये वापस आ रहे हैं। मैं आपको एक जानकारी देना चाहता हूं कि इनसॉलवेंसी और बैंकरप्सी कानून बनने के बाद 3 लाख करोड़ रुपये बैंकों और देनदारों का वापस आ चुका है। 3 लाख करोड़ छोटा आंकड़ा नहीं है। अगर पहले की सरकार रहती तो ये भी लूट लिया गया होता। और अभी हम रुके नहीं हैं, ये प्रक्रिया निरंतर चल रही है।देश के इतिहास में पहली बार हथियार सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपी एक बिचौलिए को विदेश से पकड़ कर के भारत लाया गया है। वरना विदेशी बिचौलिए के लिए तो पहले जहाज तैयार रहते थे, उन्हें देश से बाहर भेजने के लिए।

साथियो,

इस राजदार से जांच एजेंसियां तो कानूनी दायरे में पूछताछ कर रही है, लेकिन मीडिया में भी रोज सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। हाल में जो खुलासा हुआ है उससे स्पष्ट है कि सिर्फ हेलिकॉप्टर घोटाले की ही नहीं बल्कि लड़ाकू विमान वाली डील में भी खेल हुआ था। अब धीरे-धीरे परतें खुल रही हैं। मीडिया रिपोर्ट बताती है कि आज कांग्रेस के नेता इसलिए शोर कर रहे हैं, बिचौलिए के बचाव के लिए वकील पहुंच जाते हैं, भेजे जा रहे हैं। अखबारों में आ रहा है कि पहले की सरकार के समय लड़ाकू विमानों की डील इसलिए रुक गई थी क्योंकि यही बिचौलिया दूसरी कंपनी के हवाई जहाज के लिए माहौल बना रहा था।

भाइयो और बहनो

इनकी पोल खुल रही है तो गालीगलौज पर उतर आए हैं। अपनी इकोसिस्टम की मदद से साजिशों पर उतर आए हैं। ये चाहें जितनी गाली दें, झूठ बोलें, चौकीदार रुकने वाला नहीं है। चौकीदार रुकने वाला नहीं है, अभी तो ये शुरुआत हुई है। चोर चाहे देश में हो या फिर विदेश में, ये चौकीदार एक को भी छोड़ने वाला नहीं है।

साथियो,

जब संसद में राफेल विमान पर चर्चा हो रही थी, तो उस दौरान हमारे एक साथी ने बहुत ही आसान शब्दों में इसका जवाब दिया था। गांव की भाषा में किसान की भाषा में समझाते हुए उसने कहा था, ताज की बोरी का उदाहरण दिया था उसने, और बड़ा ही इंटरेस्टिंग उदाहरण दिया था, ये यूट्यूव पर भी बड़ा वायरल हुआ है। उसने कहा अगर हम ताज की खाली बोरी खरीदने के लिए जाएंगे तो उसकी कीमत कम होगी। 15 रुपये, 20 रुपये खाली बोरी की इतनी ही कीमत होती है, लेकिन अगर हम उसी बोरी में चावल भर दें तो एक दाम होता है, अगर उस बोरी में गेहूं भर दें तो कीमत बदल जाती है, अब वो हो जाएगी एक हजार की डेढ़ हजार की। भाइयों और बहनों अगर कोई कम पढ़ा लिखा भी हो तो इस अंतर को आसानी से समझ सकता है, लेकिन अगर कोई समझना ही नहीं चाहता तो उसे समझाया नहीं जा सकता है। पुरानी कहावत है कि सोते हुए को उठाया जा सकता है, लेकिन जो जागते हुए सोने का बहाना बना रहा है, उठना ही नहीं चाहता हो तो उसे जगाया नहीं जा सकता है।
साथियो,

चौकीदार के इस खौफ ने ही काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जो कार्रवाई हो रही है, जिस तरह से देश की सियासत बदल रही है, ये भी आप देख रहे हैं। इन दिनों भारतीय राजनीतिक इतिहास के इन असफल प्रयोग को महागठबंधन के नाम से प्रचारित करने का एक अभियान चल रहा है। जिन दलों का जन्म कांग्रेस और उसकी कार्य संस्कृति के विरोध में हुआ था, जो उस जमाने में कांग्रेस के तौर-तरीकों को बर्दाश्त नहीं कर पाए, वही विरोधी दल आज एकजुट हो रहे हैं। सोचिए, उस जमाने में, जब कांग्रेस इतनी गर्त में भी नहीं थी, तब उन्होंने कांग्रेस को छोड़ा और कांग्रेस के सामने खड़े हुए थे, और आज जब कांग्रेस रसातल में है, भ्रष्टाचार में डूबी हुई है, उसके बड़े-बड़े नेता जमानत पर है, तब कांग्रेस विरोध में जन्मे हुए दल कांग्रेस के सामने जाकर सरेंडर कर रहे हैं। जिस मतदाता ने आपको इसलिए ऊर्जा दी कि आप कांग्रेस का एक विकल्प बनेंगे, आज उसी मतदाता को धोखा देने का प्रयास किया जा रहा है। और अभी कुछ दिन पहले, इस गठबंधन का ट्रेलर भी बाहर आया है। आपने देखा होगा, तेलंगाना में गठबंधन का पराजय हो गया बुरी तरह पराजय हो गया। और कर्नाटक में जहां गठबंधन की पहली सरकार बनी है वहां के मुख्यमंत्री क्या कह रहे हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री जो गठबंधन की सरकार के मुख्यमंत्री हैं, अभी तो कुछ ही महीने हुए हैं, और ऐसे परेशान हैं ऐसे परेशान हैं वो कह रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री की बजाय एक क्लर्क मात्र बनाकर रख दिया गया है। राजस्थान, मध्य प्रदेश में अब दो टूक इस बारे में बात हो रही है कि सरकार चलानी है तो पहले ये केस वापिस लो, ढिकना केस वापिस लो तो फलाना काम करो, तब सरकार चला पाओगे, अभी से चालू हो गया है, अभी तो यह ट्रेलर है। राजनीति पर की जाती है.. भाइयो-बहनों राजनीति विचार पर की जाती है, राजनीतिक गठबंधन विजन पर बनते हैं बिगड़ते हैं। लेकिन यह पहला अवसर है जहां सिर्फ एक व्यक्ति के विरोध में सब एकजुट हो रहे हैं।

साथियो,

ये सारे मिलकर, इनका इरादा क्या है, ये बात हमको समझनी है और घर-घर जाकर समझानी है। ये सारे मिलकर अब देश में एक मजबूर सरकार बनाने में जुट गए हैं। वो नहीं चाहते कि देश में मजबूत सरकार बने और उनकी दुकान फिर बंद हो जाए। वो मजबूर सरकार चाहते हैं, ताकि भ्रष्टाचार कर सकें, इस देश का नागरिक मजबूत सरकार चाहता है ताकि व्यवस्था में भ्रष्टाचार को खत्म कर सके। वो मजबूर सरकार चाहते हैं ताकि अपने परिवार का, अपने रिश्तेदारों का भला कर सकें , देश मजबूत सरकार चाहता है ताकि सबका साथ सबका विकास हो सके। वो मजबूर सरकार चाहते हैं ताकि रक्षा सौदों में दलाली खाई जा सके, हिंदुस्तान मजबूत सरकार चाहता है ताकि देश की सेना की हर जरूरतों को पूरा कर सके। वो मजबूर सरकार चाहते हैं ताकि किसानों की कर्जमाफी में भी घोटाला कर सकें, हम मजबूत सरकार चाहते हैं ताकि देश के किसानों को सशक्त कर सकें। वो मजबूर सरकार चाहते हैं ताकि यूरिया घोटाला हो सके, चीनी घोटाला हो सके, देश मजबूत सरकार चाहता है किसानों को समय पर खाद मिले, अपनी फसलों का उचित दाम मिले, वो मजबूर सरकार चाहते हैं ताकि फिर कॉमनवेल्थ जैसे घोटाले हो सके, भारत मजबूत सरकार चाहता है ताकि अपने बच्चों को ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ खेल की दुनिया में आगे बढा सके और उन्हें आधुनिक सुविधा दे सके। वो मजबूर सरकार चाहते हैं ताकि टूजी जैसे घोटाले फिर हो सके, देश मजबूत सरकार चाहता है ताकि देश का हर व्यक्ति डिजिटल इंडिया मिशन का लाभ उठा सके, वो मजबूर सरकार चाहते हैं ताकि अंतरिक्ष कंपनियों में भी घोटाला कर सके, हम मजबूत सरकार चाहते हैं ताकि देश गगन यान की सफलता का गौरव गान करे। वो मजबूर सरकार चाहते हैं ताकि खदानों की की नीलामी में करोड़ों की लूट कर सके, हम मजबूत सरकार चाहते हैं ताकि खदानों से जो कमाई हो रही है उसका लाभ अपने आदिवासी भाई-बहनों को मिले। वो मजबूर सरकार चाहते हैं ताकि स्वास्थ्य सेवा में घोटाला कर सके, एंबुलेंस की खरीदी में घोटाला कर सके, हम मजबूत सरकार चाहते हैं, ताकि आयुष्मान भारत योजना के तहत दस करोड़ परिवारों को मुफ्त इलाज दे सके।

साथियो,

उनका रास्ता दलों को जोड़ना है हमारा रास्ता हर हिंदुस्तानी के दिलों को जोड़ता है। वो अपने हित के लिए मजबूरी का गठबंधन चाहते हैं, हम देश हित में संगठन की मजबूती चाहते हैं।
भाजपा वो पार्टी है जिसका जन्म सिधांतों के आधार पर हुआ है, जो संगठन के आधार पर आगे बढ़ी है, जनहित के लिए संघर्ष करती रही और जन-जन के आशीर्वाद से सत्ता को सेवा का माध्यम बना समर्पण भाव से कार्य कर रही है।

साथियो,
बीते साढ़े चार वर्षों में कांग्रेस और उनके साथियों ने पूरी कोशिश की है कि ऐसे हर कानून का विरोध करें, ऐसी हर योजना का विरोध करें, जिससे देश मजबूत होता हो, लोगों का भला होता हो।
मैं एक उदाहरण दे रहा हूं इससे देश को पता चलेगा कि वो कहां हम कहां, वो कहां जा रहा था और हम कहां जा रहे हैं। आप याद करिए, जब पार्लियामेंट में एनईबी प्रॉपर्टी एक्ट लेकर आए थे। जो दुश्मन देश मे रहते हैं और उनकी संपत्ति जो यहां है, 47 में छोड़ के गए, उस पर हक भारत का ही हो सकता है… और किसी का हो सकता है क्या? उसका हम कानून लाए, इतने सालों तक वो तो लाए नहीं, आप जानकर के हैरान हो जाएंगे, हम एनईबी प्रॉपर्टी एक्ट लाए, ये कांग्रेस और उनके गठबंधन के साथियों ने इसका विरोध किया। हम ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का प्रस्ताव लाए, कांग्रेस और उनके साथियों ने फिर विरोध किया है। हम सिटिजेनशिप एमेंडमेंट बिल लेकर आए, कांग्रेस फिर विरोध कर रही है। हम कोर्ट के आदेश के तहत एनआरसी लेकर आए, लेकिन इसका भी विरोध किया गया। हमने आधार को कानूनी स्वरूप देने की कोशिश की कांग्रेस ने फिर विरोध किया। हमने तीन तलाक को खत्म करने के लिए कानून लेकर आए कांग्रेस और साथी फिर विरोध कर रहे हैं।

अब अयोध्या विषय में ही देखिए, कांग्रेस अपने वकीलों के माध्यम से न्याय प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की कोशिश कर रही है, कांग्रेस ने तो देश के मुख्य न्यायाधीश को हटाने के लिए उन पर आरोप लगाकर उन पर महाभियोग के लिए भी तैयारी की थी। कांग्रेस नहीं चाहती कि अयोध्या विषय का कोई हल आए, इसके लिए भी तो उसके वकील सुप्रीम कोर्ट गए थे। भाइयों और बहनों हमें कांग्रेस का यह रवैया भूलना नहीं है और किसी को भूलने देना भी नहीं है। हमें याद रखना है और बार-बार याद कराना है कि कैसे कांग्रेस ने देश के विकास की राह में रोड़े अटकाए हैं।

 

भाइयो और बहनो,

आखिर ये कैसी मानसिकता है कांग्रेस की, विकास से नफरत की ये कैसी प्रवृत्ति है जो कांग्रेस के राष्ट्रहित का विरोध कराती है। आप याद करिए जब स्वच्छ भारत अभियान शुरू हुआ था , तब कांग्रेस ने इसका विरोध किया। कांग्रेस की इसी मानसिकता ने देश को इतने वर्षों तक गंदा रखा। हमारी नदियां बर्बाद हो गईं । साथियों याद करिए, जब योग की बात हुई कांग्रेस ने विरोध किया, मजाक उड़ाया, जब मेकइन इंडिया की बात हुई तो कांग्रेस ने विरोध किया मजाक उड़ाया। जब जीएसटी की बात होती है, वो भी आधी रात को बुलाई गई ऐतिहासिक बैठक का बहिष्कार कर दिया, कांग्रेस काउंसिल की बैठक में तो समर्थन कर दिया, लेकिन बाहर आकर विरोध करने लग जाते हैं। लोगों से झूठ बोलती है, उनके साथियों ने अभी हाल में जम्मू-कश्मीर में हुए पंचायत चुनाव का भी बहिष्कार कर दिया। यानि हर वो काम जिससे देश के लोगों के जीवन में बदलाव आ सकते हैं उसमें ये रोड़े अटकाने, उसकी प्रक्रिया को धीमा करने की प्रयास करती रहती है। वोट बैंक की खातिर ऐसे लोगों को देश की संप्रभुता, देश की सुरक्षा से समझौता करने से कोई परहेज नहीं है, इन्हें कानून और संस्था की भी कोई परवाह नहीं है। इन्होंने खुद को देश की सर्वोच्च संस्था से भी बड़ा माना है, ऊंचा माना है। इसलिए ये संस्थाओं का अनादर करते हैं। उनकी परवाह नहीं करते। चाहे चुनाव आयोग हो, रिजर्व बैंक हो, जांच एजेंसियां हो, देश की सबसे बड़ी अदालत हो सबके प्रति इन लोगों का बर्ताव देश देख रहा है। हालत तो ये है कि इन्हें भारत के विदेश विभाग पर भरोसा नहीं दूसरे देश के विदेश विभाग पर भरोसा रखते हैं। मत भूलिए कि ये वही लोग हैं जो देश के टुकड़े-टुकड़े की भाषा बोलने वाले गैंग के लोगों के साथ जाकर मिले थे। ये वही लोग हैं जो डोकलाम के समय विदेशी राजनयिकों से गपशप कर रहे थे, जाकर के मिलते थे। ये वही लोग हैं जो सर्जिकल स्ट्राइक को खून की दलाली की संज्ञा देते हैं। ये वही लोग हैं जो 84’ के सिखों की हत्या के जो मामले बने दंगे हुए उनके गुनहगारों को बचाने के लिए पूरे तंत्र को षड्यंत्र में बदल देते हैं । ये लोग संस्थानों से किस तरह का बर्ताव करते हैं और सिस्टम पर इनको कितना विश्वास है, ये केवल एक उदाहरण से आप सब समझ सकते हैं। आपने देखा होगा कि आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और अब छत्तीसगढ़, इन सरकारों ने भी सीबीआई पर पाबंदी लगा दी। ये सिर्फ मैं इसलिए कहता हूं कि आप समझिए कि फर्क क्या है। इनका कहना है कि सीबीआई के अफसर अब इन राज्यों में नहीं आ सकते सीबीआई काम नहीं कर सकती। ऐसा क्यों भाई, आखिर क्यों, इनको किस बात का डर लग रहा है। ऐसा क्या कारनामे किए हैं, जिसके डर के कारण उनकी नींद हराम हो गई है। डर सता रहा है।

भाइयो-बहनो,

जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तब 12 साल तक लगातार कांग्रेस ने और उनके साथियों ने और उनके इशारे पर चलने वाली उनकी सिस्टम ने , उनके रिमोट से चलने वाले नेताओं और अफसरों ने, उनकी पूरी सल्तनत ने हर तरीके से मुझे परेशान करने का काम किया। एक भी मौका नहीं छोरा, उनकी एक भी ऐसी एजेंसी नहीं थी, जिसने मुझे सताया न हो। और तो और 2007 में कांग्रेस के एक बड़े नेता, मंत्री थे, और अपने आप को बड़ा विद्वान मानते थे, वो मंत्री जी खुद गुजरात आए और उन्होंने चुनाव सभा में दावा किया था कि मोदी कुछ महीने के भीतर जेल चला जाएगा। विधानसभा के अंदर कांग्रेस के नेता भाषण करते थे कि मोदी जेल जाने की तैयारी करें, अभी मुख्यमंत्री हो जरा जेल की सफाई-वफाई और रंग रोगन कर के रखो क्योंकि आपको जिंदगी जेल में ही गुजारनी है। आप सभी, हाल ही में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट का, मुंबई की कोर्ट का फैसला सुना होगा। इस फैसले से साफ हो गया है कि किस तरह यूपीए सरकार, उसका एकमात्र एजेंडा था किसी भी प्रकार से मोदी को फसाओ, और अमित भाई को तो उन्होंने जेल में डाल भी दिया था। तब भी हमने कभी ऐसा कोई नियम नहीं बनाया किसी सीबीआई या कोई और संस्था गुजरात में घुस नहीं सकती है, ऐसा कोई नियम हमने नहीं बनया। हमारे पास भी सत्ता थी, हम भी कानून जानते थे, हम भी ये सब कर सकते थे, लेकिन हम कानून में विश्वास करने वाले लोग हैं। हमे सत्य और कानून पर विश्वास था। दूसरी तरफ ये लोग है जो अपने काले कारनामे के खुलासे से डरे हुए हैं और इस भय और बौखलाहट में देश की संस्थाओं पर और व्यवस्थाओं पर भी हमला कर रहे हैं। अरे भाई, किसका डर है और कम से कम देश की अदालतों पर भी तो भरोसा रखो। आज उन्हें सीबीआई स्वीकार नहीं है, कल कोई दूसरी संस्था स्वीकार नहीं होगी। आर्मी, पुलिस, सुप्रीम कोर्ट, इलेक्शन कमीशन, सीएजी सब गलत, लेकिन एक मात्र वही सही। क्या हम राज्य को उनके भरोसे छोर सकते हैं? ऐसे लोगों के हाथ में राज्य दिया जा सकता है? उनकी सल्तनत के अनुरूप जो भी नहीं होगा ये उसका विरोध करते हैं। जबकि हम और हमारे लिए हमें अपने संविधान पर भरोसा है। ये लड़ाई सल्तनत और संविधान में आस्था रखने वालों के बीच की है। एक तरह वो लोग है जिन्हें हर हाल में केवल अपनी सल्तनत बचाए रखनी है, और

दूसरी तरफ हम लोग हैं जो बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को मानते हैं उसके अनुसार चलते हैं। अगर आपको जानना है कि कांग्रेस और उसका नामदार परिवार सिस्टम को कैसे अपने इस्तेमाल के लिए तोड़ता है इसका अनादर करते रहते हैं। मैं उसका एक उदाहरण देना चाहता हूं। नेशनल हेराल्ड का केस, यह वही नेशनल हेरॉल्ड केस है, जिसमें कांग्रेस के अध्यक्ष और उनका परिवार और उनके कई साथी कोर्ट से जमानत पर बाहर हैं। नेशनल हेरॉल्ड केस, हमारे समय का केस नहीं है, ये केस 2012 से यूपीए के समय से ही चला आ रहा है। तब केंद्र में इनकी रिमोट कंट्रोल वाली सरकार थी। इस केस से साफ हो जाता है कि कांग्रेस के नेता किस तरह से जमीन हड़प लेते है जनता का धन हथिया लेते हैं। इस केस में ऐसे सभी गंभीर मामले चल रहे हैं। 2012 में नेशनल हेराल्ड केस की जांच शुरू हुई, यंग इंडिया का भी मामला चला। आयकर विभाग, सीबीडीटी के टेबल पर अलग-अलग जांच हो रही है। इस केस में इतनी सारी एजेंसियां समान रूप से नोटिस दी हुई है, लेकिन कांग्रेस की फर्स्ट फैमिली अपनेआपको इन सबसे ऊपर मानती है। उन्होंने इन में से किसी भी इंस्टीट्यूशन को तवज्जो नहीं दी। वो तो यही मानते रहे हैं कि हमतो नामदार है, हम तो राजा हैं, हमें क्या फर्क पड़ता है। ये हमको कैसे पूछ सकते हैं। उन्हें लोअर कोर्ट में नहीं जाना, जांच में सहयोग नहीं करना। ये सब इस केस में चलता आ रहा है।

सच्चाई तो ये है कि उनको सच बताने में बड़ी दिक्कत होती है। यंग इंडिया में उनको 44 फोर्टीफोर टाइम्स बुलाया गया, एक बार भी नहीं आए। उनको छह महीने में छह बार मौका दिया गया, नहीं आए। अपनी जमीन, अपनी कमाई, अपना इनकम टैक्स रिटर्न्स किसी भी चीज को ये लोग जनता के सामने नहीं आने देना चाहते हैं, क्यों, फिर चाहे देश की संस्थाएं चिल्लाती रहें। इसका कारण क्या है, क्यों इन बातों को छिपाना चाहते हैं। हमलोगों में से तो कोई नहीं छिपाता। जमानत पर बाहर घुमने वाले ये लोग जिस किसी संस्था की इज्जत नहीं करते वो देश का क्या आदर करेंगे। अरे हमको इन्होंने अपने दस साल के कार्यकाल में कितनी नोटिस दी, ऐसा क्या कुछ नहीं किया, जिससे हमे परेशान कर सके, लेकिन मुझे कानून पर विश्वास था सत्य पर भरोसा था, मैं कानून को मानने वाला इंसान हूं, इसलिए जब एसआईटी बनी थी, मैं खुद एक डिस्ट्रिक्ट लेवल पुलिस अफसर के सामने, मुख्यमंत्री था, गाजे-बाजे के बिना सिंपल सुबह चला गया था। नौ घंटे तक मेरी पूछताछ की गई थी, एक कुर्सी पर बिठाकर मुझसे पूछा जा रहा था, उनके हर सवाल का मैंने जवाब दिया था। क्योंकि कुछ भी हो कानून हमसे बड़ा होता है, संस्थान हमसे बड़ी होती है, ये संस्कार लेकर हम वहां गए। और ये सब इसलिए कि हमें सत्य पर भरोसा है, मुझे हमारी संस्था पर विश्वास है। ये जमानती नेता, इनको न कानून पर विश्वास है न इनको सत्य पर भरोसा है और न ही इनको संस्थानों पर विश्वास है। इनको राजशाही पर भरोसा है हम लोकशाही को मानने वाले लोग हैं। ये लोग कैसे देश को सत्य के रास्ते पर बिना भ्रष्टाचार के विकास के रास्ते पर ले जा पाएंगे। इसलिए मैं आज आप से एक और सवाल करना चाहता हूं। साथियों आप जब अपने परिवार में, थोड़ा सोचिए, मेरे इस सवाल को यहां से निकलकर परिवार के साथ बैठकर सोचो कि मैं क्या कहना चाहता हूं। आप भलीभांति बात को समझ पाएंगे। जब आप अपने परिवार में कोई सेवक रखते हैं तो आप कैसे सेवक को पसंद करते हैं। मैं चाहूंगा कि देशवासी मेरे इस सवाल पर गौर करे। क्या हम ऐसे सेवक को पसंद करेंगे जो परिवार के एक-एक सदस्य के कानों में कुछ न कुछ भरकर दूसरों से लड़ाता रहे, एक दूसरे के खिलाफ भड़काए, एक के कान में कुछ बात कहे और दूसरे के कान में कुछ कहे।

क्या आप ऐसे सेवक को पसंद करेंगे, जो घर का सामान चोरी करे, घर का पैसा चोरी करे और अपने परिवार में बांट दें। अपने रिश्तेदारों में बांट दें। ऐसा सेवक पसंद करेंगे क्या ? ऐसा सेवक पसंद करेंगे क्या ? क्या आप अपने सेवक से ये उम्मीद रखते हैं कि वो मुहल्ले के कुछ लोगों से मिलकर घर की मान मर्यादा का अनादर करें। पड़ोसी को घर की बातें बताएं। ऐसा सेवक कोई चाहेगा क्या ? आप अपने घर में ऐसा सेवक चाहेंगे क्या ? क्या आप सेवक से ये उम्मीद रखते हैं कि घर में कोई समस्या हो, घर को उसकी जरूरत हो, तो वो दो-दो, तीन-तीन महीने की छुट्टी मनाने के लिए चला जाए ? कहां गया है, इसका पता भी नहीं हो। क्या ऐसा सेवक चाहिए किसी घर में ? क्या किसी घर में ऐसा सेवक कोई रखेगा क्या ? जैसे आप अपने घर का सेवक तय करते हैं, वैसे ही आप तय करिए कि देश को प्रधानसेवक कैसा चाहिए। देश को रात-दिन कठोर परिश्रम करने वाला, आप 12 घंटे काम करें, तो वो 18 घंटे काम करें। देश के हर नागरिक के अपनेपन के साथ सेवा करने वाला, देश की भावी पीढ़ी की चिंता करने वाला, ईमानदारी को उसूल मानने वाला, सबको एकजुट रखने वाला ऐसा सेवक चाहिए या वो वाला चाहिए ? देश तय करें, देश को कैसा सेवक चाहिए। साथियों एक और महत्वपूर्ण बात- एक हवा फैलती है कि मोदी आएगा तो सब ठीक हो जाएगा। मोदी आएगा तो जीत जाएंगे। मोदी आएगा तो बाजी पलट देंगे। सुनने में अच्छा लगता है। लेकिन मैं आज कहना चाहता हूं। ये मोदी भी संगठन की पैदाइश हैं। संगठन के संस्कार से अगर हम तपे नहीं होते, तो ऐसी मिठी-मिठी बातें सुनकर हम भी फिसल सकते थे।

भाइयो और बहनो

हम न भूले हमारी पार्टी की कलेक्टिव लीडरशिप के चलते अटल जी, आडवाणी जी, कुशाभाऊ, भंडारी जी के संगठन कौशल्य से जन्मी परंपराओं से आज हमारी पार्टी यहां पहुंची है। इन्हीं परंपराओं को अपने जीवन में ढालकर अनुशासन और सामूहिकता के संस्कार के साथ लाखों कार्यकर्ताओं के तप और त्याग से हम आज यहां पहुंचे हैं। हम सब जानते हैं कि बारिश कितनी ही अच्छी क्यों न हो, बीज कितना भी बढ़िया क्यों न हो, उम्मीदें भी परवाने पर क्यों न हो, लेकिन यदि किसान समय खेत ही नहीं जोतेगा, तो ये कुछ काम आएगा क्या ? बीज काम आएगा क्या ? बारिश काम आएगी क्या ? जब हम कहते हैं- मेरा बूथ, सबसे मजबूत, इसका मतलब है जैसे वो किसान खेत जोतता है, वैसे हमें भी चुनावी मैदान को जोतना पड़ता है। खेत के एक-एक हिस्से को जैसे जोतना पड़ता है, वैसे हर परिवार के पास जाकर हमें अपना कार्य करना होता है। और तभी बाकी सारी चीजें- हमारी पार्टी का विजन इंडिया फर्स्ट, सबका साथ-सबका विकास की हमारी प्रतिबद्धता, कार्यकर्ताओं की ईमानदारी और निष्ठा, ये सब काम आएगा। इसलिए ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ यही एकमात्र जीत का मंत्र है।

भाइयो और बहनो

पिछले चार साल ने हमें सिखाया है कुछ भी असंभव नहीं है। अगर 130 करोड़ भारतीय एक साथ मिल जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं होता है। ये हमने उन परिस्थितियों में संभव किया है, जब विरासत में कमजोर जमीन मिली थी। आप सोचिए, अब जब हमारी नींव मजबूत हो रही है। हम मुकाम हासिल कर रहे हैं। और अगले पांच साल कितनी तेजी से आगे बढ़ेंगे, ये मेरे देशवासी अनुमान लगा सकते हैं। सोचिए, क्या स्थिति होगी आगे आने वाले पांच साल में।

भाइयो और बहनो

आज जिजामाता जी की भी जयंती है। जिजामाता जी ने वीर शिवाजी को कहा था कि जाओ, स्वराज की स्थापना करो। आज जिजामाता की आत्मा हमें कह रही है कि जाओ, सुराज्य के लिए, देश की एकता और अखंडता के लिए, जन-जन के कल्याण के लिए जुट जाओ। हमें स्वामी विवेकानंद का वो मंत्र भी याद रखना है- उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक मत रूको। हम मिलकर बदलाव लाएंगे। मिलकर देश को आगे बढ़ाएंगे। क्योंकि दुनिया का हर शिखर हमारा होने वाला है। हमारे लिए जनसेवा ही प्रभुसेवा है। हमारे लिए नर सेवा ही नारायण सेवा है। हमारे लिए समता, ममता, समरसता सामाजिक न्याय की सीढ़ियां हैं। हमें विकास की शक्ति पर विश्वास है। हमें देश के सामर्थ्य और संसाधनों पर विश्वास है। विकास चौतरफा, विकास सबका साथ-सबका विकास ये हमारा लक्ष्य है। विकास से ही प्रगति की पहचान होगी। विकास से ही देश की शान बढ़ेगी। हमें मिलकर नया भारत बनाना है। अभी बहुत दूर हमें जाना है। इसी भावना के साथ मैं फिर एक बार राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के नेतृत्व में पार्टी जिस प्रकार से प्रगति कर रही है। कार्यकर्ता जिस प्रकार से जुटे हुए हैं। विजय का विश्वास लेकर के, जन-जन का आशीर्वाद लेकर के हम चल पड़ेंगे। एक बार फिर भारत को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए, आने वाले पांच साल जी-जान से जुटे रहेंगे। इसी संकल्प के साथ आज हमें चलना है। हमारे साथ पूरी ताकत के साथ बोलिए...

भारत माता की...
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वंदे...
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बहुत-बहुत धन्यवाद

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!