ایوارڈ حاصل کرنے والوں نے اپنا تدریسی تجربہ اور سیکھنے کے عمل کو مزید دلچسپ بنانے کے لیے ان کے ذریعہ سے اختیار کی گئی جدید تکنیکوں کو پی ایم کے ساتھ شیئر کیا
آج کے نوجوانوں کو وکست بھارت کے لیے تیار کرنے کی ذمہ داری اساتذہ پر عائد ہوتی ہے: وزیر اعظم
وزیر اعظم نے این ای پی کے اثرات پر تبادلہ خیال کیا اور اپنی مادری زبان میں تعلیم حاصل کرنے کی اہمیت کے بارے میں گفت و شنید کی
وزیر اعظم نے اساتذہ کو مشورہ دیا کہ وہ طلباء کو مختلف زبانوں میں مقامی لوک داستانیں سکھائیں تاکہ وہ مختلف زبانوں سے متعارف ہوسکیں
وزیر اعظم نے اساتذہ سے کہا کہ وہ اپنے بہترین طور طریقوں کو ایک دوسرے کے ساتھ شیئر کریں
اساتذہ ہندوستان کی رنگا رنگی کی دریافت کے لیے طلباء کو تعلیمی دوروں پر لے جا سکتے ہیں: وزیر اعظم

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प्रधानमंत्री जी – नमस्ते जी

शिक्षक – मैं डॉ. अविनाशा शर्मा हरियाणा शिक्षा विभाग में बतोर अंग्रेजी प्रवक्ता के रूप में काम कर रही हूं। माननीय, हरियाणा के जो वंचित समाज के बच्चे हैं। जो ऐसी पृष्ठभूमि से आते हैं जहां अंग्रेजी भाषा उनके लिए सुनना और समझना थोड़ा मुश्किल होता है। उसके लिए मैंने एक प्रयोगशाला का निर्माण किया है। ये भाषा की प्रयोगशाला न सिर्फ भाषा अंग्रेजी भाषा के लिए तैयार की गई है। बल्कि क्षेत्रीय भाषाएं और मातृभाषा दोनों का ही इसमे समावेश किया गया है। महोदय, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 Artificial Intelligence और machine learning के जरिये बच्चों को पढ़ाने के लिए बढ़ावा देती है। इन पहलुओं को देखते हुए मैंने इस भाषा प्रयोगशाला में Artificial Intelligence का भी समावेश किया है। जैसे Generative tools Artificial Intelligence के हैं speakomether और talkpal. उनके जरिये भाषा के शुद्ध उच्चारण बच्चे को सीखते और समझते हैं। मुझे बहुत खुशी हो रही है आपसे साझा करते हुए महोदय। कि मैंने अपने प्रदेश का प्रतिनिधित्व UNESCO, UNICEF, Indonesia और Uzbekistan जैसे क्षेत्रों में देशों में किया और उसका प्रभाव मेरी क्लास रूप तक पहुंचा। आज हरियाणा का एक सरकारी स्कूल ग्लोबल क्लासरूम बन गया है और उसके जरिये बच्चें Indonesia में Columbia University में बैठे हुए Professors और Students के साथ बातचीत करते हैं और अपने अनुभव को साझा करते हैं I

प्रधानमंत्री जी – थोड़ा अनुभव बताएंगे, किस प्रकार से करते हैं आप बाकियों को भी पता चले?

शिक्षक – सर Microsoft Scarpthen एक प्रकार का प्रोग्राम होता है जिसको मैंने अपने बच्चों से introduce कराया है। Columbia University के Professor’s के साथ बच्चे जब बातचीत करते हैं। उनके कल्चर, उनकी language जो रोजमर्रा में काम आने वाली चीजें हैं, जिस तरह वो अपने academic’s को enhance करते हैं। वो चीजें हमारे बच्चे सीख पा रहे हैं। बहुत खुबसूरत सा मैं एक अनुभव शेयर करना चाहूंगी सर मैं आपसे। मैं जब Uzbekistan गई, तो वहां से जो अनुभव मैंने अपने बच्चों से शेयर किया तो उनको ये समझ में आया कि जिस तरीके से अंग्रेजी उनकी अकादमिक भाषा है ठीक उसी तरह से उज्बेकिस्तान के लोग अपनी मातृभाषा उज्बेक में बात करते हैं। Russian उनकी Official Language है, राष्ट्रभाषा है और अंग्रेजी उनकी अकादमिक भाषा है तो वो अपने आपको इस विश्व से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। अंग्रेजी उनके लिए सिर्फ एक पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं रह गई है। उनको ये रूचि बढ़ने लग गई है इस भाषा में क्योंकि अब ये नहीं है कि विदेशों में ही अंग्रेजी बोली जाती है। और ये उनके लिए बहुत सहज है। ये उनके लिए उतनी ही challenging है, चुनौतीपूर्ण है जितनी हमारे भारतीय बच्चों के लिए हो सकती है।

प्रधानमंत्री जी – नहीं आप बच्चों को दुनिया दिखा रही हैं अच्छी बात है लेकिन देश भी दिखा रही हैं क्या?

शिक्षक – बिल्कुल सर।

प्रधानमंत्री जी – तो हमारे देश की कुछ चीजें जो उनको अंग्रेजी सीखने का जानने का मन कर जाए ऐसा कुछ

शिक्षक – सर मैंने इस प्रयोगशाला में भाषा कौशल विकास पर काम किया है। तो अंग्रेजी भाषा तो एक पाठ्यक्रम की भाषा रही है। But भाषा सीखी कैसे जाती है। क्योंकि मेरे पास जो बच्चे आ रहे हैं वो हरियाणवी परिवेश के हैं। अगर मैं रोहतक में बैठे हुए बच्चे से बात करूं वो नूह में बैठे हुए बच्चे से बिल्कुल different भाषा में बात करता है।

प्रधानमंत्री जी – अच्छा हम जैसे घर में, हमारे पास टेलीफोन पुराने जमाने में वो जो रहता था।

शिक्षक – हां जी।

प्रधानमंत्री जी – डिब्बा वो फोन है। और हमारे घर में कोई गरीब परिवार की कोई महिला घर काम के लिए यहां आती जाती है। इतने में घंटी बजी और वो टेलीफोन उठाती है। वो उठाते ही बोलती है हेलो, वो कैसे सीखी वो?

शिक्षक – यही भाषा का कौशल विकास सर बताया। भाषा सुनने पर और उसका प्रयोग करने पर आती है।

प्रधानमंत्री जी – और इसलिए सचमुच में Language बोलचाल से बहुत जल्दी सीखी जा सकती है। मुझे याद है मैं जब गुजरात में था तो नडियात में मेरे यहां एक महाराष्ट्र का परिवार नौकरी के लिए, वो प्रोफेसर थे नौकरी के लिए आए। उनके साथ उनकी वृद्ध माता जी थीं। अब ये महाशय पूरे दिन भर स्कूल कॉलेजों में रहते थे लेकिन Language में जीरो रहे वो छह महीने के बाद भी। और उनकी माताजी कुछ पढ़ी लिखी नहीं थी। लेकिन वो धनाधन गुजराती बोलना शुरू कर दिया। तो मैं एक बार उनके यहां भोजन के लिए गया मैंने पूछा ये नहीं बोली हमारे घर में जो काम वाली है ना उसको और कुछ आता नहीं तो बोली मुझे सीख गया। बोलचाल से सीखा जाता है।

शिक्षक – बिल्कुल सर।

प्रधानमंत्री जी – अब मुझे बराबर याद है मैं जब छोटा था तो मेरे स्कूल में जो टीचर थे। वो थोड़े strict भी थे। और हमें strictness थोड़ी तकलीफ करती थी। लेकिन उन्होंने राजाजी ने जो रामायण, महाभारत लिखी है। तो उसमें से जो रामायण की जो बहुत परिचित वार्ता तो सबको परिचित होती है। तो बड़ा आग्रह करते थे कि राजाजी ने जो रामायण लिखी है। उसको थोड़ा धीरे-धीरे पढ़ना शुरू करो। कथा पता था भाषा पता नहीं थी। लेकिन बहुत जल्दी coordinate करते थे। एक दो शब्द समझ गए तो भी लगता था कि हां ये कहीं सीता माता की कोई चर्चा कर रहे हैं।

शिक्षक – बिल्कुल सर।

प्रधानमंत्री जी – चलिए, बहुत बढ़िया।

शिक्षक – Thank You Sir, Thank You.

प्रधानमंत्री जी – हर हर महादेव,

शिक्षक – हर हर महादेव,

प्रधानमंत्री जी – काशी वालों को हर हर महादेव से ही दिन शुरू होता है।

शिक्षक – सर मैं आज आपसे मिलकर बहुत खुश हूं सर। सर मैं कृषि विज्ञान संस्थान में पौधे की रोग के ऊपर मेरा शोध है और उसमे मेरा सबसे बड़ा प्रयास ये है कि जो हम लोग sustainable agriculture की बात करते हैं। वो जमीनी स्तर पर अभी वो उतरे नहीं है पूरे अच्छे से। मेरा इसलिए प्रयास ये है कि हम किसानों को ऐसे तकनीक को हाथ पकड़ाएं जो आसान हो और उसकी अभूतपूर्व परिणाम खेतों में दिखें। और मुझे लगता है इस प्रयास में हमको बच्चों Student’s मेरा और महिलाओं की भागीदारी अहम है। और इसलिए मेरा प्रयास ये है कि मैं स्टूडेंटस के साथ गांव में जाता हूं और किसानों के साथ मैं महिलाओं को भी आगे बढ़ने के लिए प्रयास कराता हूं। ताकि ये छोटी-छोटी जो Techniques हम लोग develop किए हैं। उससे sustainability की तरफ हम कदम बढ़ाते हैं। और इससे किसानों को फायदा भी हो रहा है।

प्रधानमंत्री जी – कुछ बता सकते हैं क्या किया है?

शिक्षक – सर हम लोगों बीज शोधन की तकनीक को perfect किया है। हमने कुछ Local microbes को identify किया है। उससे जब हम बीज को शोधन करते हैं तो जब roots आते हैं सर पहले से ही विकसित root बनते हैं। उससे वो पौधा बहुत स्वस्थ बनते है। उस पौधे में सर बीमारियां कम लगती हैं क्योंकि जड़ इतनी मजबूत हो जाते है, पौधे को वो अंदर से एक ताकत देते हैं कीट और बीमारियों से लड़ने के लिए।

प्रधानमंत्री जी – लैब में करने वाला काम बता रहे हैं। Land पर कैसे करते हैं? Lab to Land. जब आप कह रहे हैं आप खुद जा रहे हैं किसानों के पास। वो कैसे इसको करते हैं और वो कैसे शुरू करते हैं?

शिक्षक – सर हमने एक Powder Formulation बनाया है और इस Powder Formulation को हम किसानों को देते हैं और उनकी हाथों बीज को शोधन करवाते हैं और ये हम प्रयास कई सालों से निरंतर कर रहे हैं। और वाराणसी के आसपास के 12 गांवों में हमने अभी इस कार्य को किये हैं और महिलाओं की अगर संख्या की बात कहें तो तीन हजार से अधिक महिलाएं अभी इस Technology.

प्रधानमंत्री जी – नहीं तो जो ये लोग किसान है वो किसी और किसान को भी तैयार कर सकते हैं?

शिक्षक – बिल्कुल सर, क्योंकि जब Powder लेने के लिए एक किसान आते हैं वो और चार किसानों के लिए साथ में लेकर जाते हैं। और इसका क्योंकि देखा देखी किसान बहुत सिखते हैं और मुझे ये बात की खुशी है कि हमारे जो हम जितने को सिखाये हैं उनसे और कई गुणा लोगों ने अपनाए हैं इसको। अभी पूरा संख्या मेरे पास नहीं है।

प्रधानमंत्री जी – ज्यादातर किस फसल पर प्रभाव हुआ और किस।

शिक्षक – सब्जी और गेहूं पर।

प्रधानमंत्री जी – सब्जी और गेहूं पर, ये जो प्राकृतिक खेती इस पर हमारा बल है। और जो लोग धरती मां को बचाना चाहते हैं। वे सब चिंतित हैं जिस प्रकार से हम इस धरती मां की सेहत के साथ अत्याचार कर रहे हैं। उस मां को बचाना बहुत जरूरी हो गया है। और उसके लिए प्राकृतिक खेती एक अच्छा उपाय दिखता है। उस दिशा में कोई चर्चा हो रही है वैज्ञानिकों में।

शिक्षक – जी बिल्कुल सर, प्रयास उसी दिशा में है। लेकिन सर किसानों को हम लोग अभी पूरी तरह convince नहीं कर पा रहे कि रसायन को आप प्रयोग न करें। क्योंकि किसान डरते हैं कि हम रसायन का प्रयोग नहीं करने से मेरे फसल में कुछ नुकसान हो जाएगा।

प्रधानमंत्री जी – एक उपाय हो सकता है। मान लीजिए उसके पास चार बीघा जमीन है। तो 25 परसेंट, 1 बीघा में प्रयोग करो, तीन में जो तुम परंपरागत करते हो वो करो। यानि छोटा सा हिस्सा लो, उसको एक प्रकार अलग से तुम इसी पद्धति से करो, तो उसकी हिम्मत आ जाएगी। हां यार थोड़ा नुकसान होगा तो 10 परसेंट, 20 परसेंटहो जाएगा। लेकिन मेरी गाड़ी चलेगी। गुजरात के जो गवर्नर हैं आचार्य देववृत्त जी, वे बहुत की dedicated हैं इस विषय में काफी काम करते हैं। अगर आप वेबसाइट पर जाएंगे क्योंकि आप में से बहुत से लोग हैं जो किसान का background वाले होंगे। तो उन्होंने प्राकृतिक खेती के लिए बहुत सारा डिटेल बनाया। ये आप जो एलकेएम देख रहे हैं यहां पूरी तरह प्राकृतिक खेती का ही उपयोग होता है हर चीज का। यहां कोई केमिकल allow नहीं है। आचार्य देववृत्त जी ने एक बहुत ही अच्छा formula develop किया। कोई व्यक्ति उसको कर सकता है। गोमूत्र वगैरह का उपयोग करके करते हैं और बहुत अच्छे परिणाम आते हैं। अगर आप उसको भी स्टडी करे आपकी University में क्या हो सकता है तो देखिये।

शिक्षक – जरूर सर।

प्रधानमंत्री जी – चलिए बहुत शुभकामनाएं।

शिक्षक – धन्यवाद सर।

 

ٹیچر - میں ڈاکٹر اوینشا شرما ہوں، ہریانہ کے محکمہ تعلیم میں انگریزی لیکچرار کے طور پر کام کر رہی ہوں۔ محترم، ہریانہ کے محروم معاشرے کے بچے۔ جو ایک ایسے پس منظر سے آئے ہیں جہاں انگریزی زبان ان کے لیے سننا اور سمجھنا قدرے مشکل ہے۔ اس کے لیے میں نے لیبارٹری بنائی ہے۔ یہ لینگویج لیبارٹری نہ صرف انگریزی زبان کے لیے تیار کی گئی ہے۔ بلکہ اس میں علاقائی زبانوں اور مادری زبانوں کو بھی شامل کیا گیا ہے۔ جناب، قومی تعلیمی پالیسی 2020 آرٹیفیشل انٹیلی جنس اور مشین لرننگ کے ذریعے بچوں کو پڑھانے کو فروغ دیتی ہے۔ ان پہلوؤں کو مدنظر رکھتے ہوئے میں نے اس لینگویج لیبارٹری میں مصنوعی ذہانت کو بھی شامل کیا ہے۔ مصنوعی ذہانت کے جنریٹو ٹولز کی طرح سپیکومیدر اور ٹاک پال ہیں۔ ان کے ذریعے بچہ زبان کا صحیح تلفظ سیکھتا اور سمجھتا ہے۔ مجھے آپ کے ساتھ شیئر کرتے ہوئے بہت خوشی ہو رہی ہے جناب۔ کہ میں نے یونیسکو، یونیسیف، انڈونیشیا اور ازبکستان جیسے ممالک میں اپنی ریاست کی نمائندگی کی اور اس کا اثر میرے طبقے تک پہنچا۔ آج ہریانہ کا ایک سرکاری اسکول ایک عالمی کلاس روم بن گیا ہے اور اس کے ذریعے بچے انڈونیشیا کی کولمبیا یونیورسٹی میں بیٹھے پروفیسروں اور طلباء کے ساتھ بات چیت کرتے اور اپنے تجربات شیئر کرتے ہیں۔

محترم وزیر اعظم – تھوڑا تجربہ بتائیں گے، کس طرح سے کرتے ہیں آپ بقیہ لوگوں کو بھی پتہ چلے؟

ٹیچر - سر مائیکروسافٹ اسکارپتن ایک قسم کا پروگرام ہے جسے میں نے اپنے بچوں سے متعارف کرایا ہے۔ جب بچے کولمبیا یونیورسٹی کے پروفیسرز کے ساتھ بات چیت کرتے ہیں۔ ان کی ثقافت، ان کی زبان، وہ چیزیں جو وہ روزمرہ کی زندگی میں استعمال کرتے ہیں، جس طرح سے وہ اپنے ماہرین تعلیم کو بڑھاتے ہیں۔ ہمارے بچے ان چیزوں کو سیکھنے کے قابل ہیں۔ میں آپ کے ساتھ ایک بہت ہی خوبصورت تجربہ شیئر کرنا چاہتی ہوں۔ جب میں ازبکستان گیا تو میں نے اپنے بچوں کے ساتھ جو تجربات شیئر کیے اس نے انہیں سمجھا دیا کہ جس طرح انگریزی ان کی تعلیمی زبان ہے اسی طرح ازبکستان کے لوگ اپنی مادری زبان ازبک بولتے ہیں۔ روسی ان کی سرکاری زبان، قومی زبان اور انگریزی ان کی علمی زبان ہے، اس لیے وہ اس دنیا سے جڑے ہوئے محسوس کرتے ہیں۔ انگریزی اب ان کے لیے صرف نصاب کا حصہ نہیں ہے۔ اس زبان میں ان کی دلچسپی بڑھنے لگی ہے کیونکہ اب ایسا نہیں رہا کہ انگریزی صرف بیرونی ممالک میں بولی جاتی ہے۔ اور یہ ان کے لیے بہت آرام دہ ہے۔ یہ ان کے لیے اتنا ہی چیلنجنگ ہے جتنا ہمارے ہندوستانی بچوں کے لیے ہو سکتا ہے۔

وزیر اعظم - نہیں، آپ بچوں کو دنیا دکھا رہی ہیں اچھی بات ہے لیکن ملک بھی دکھا رہی ہیں کیا؟

ٹیچر – بالکل جناب۔

وزیر اعظم - تو ہمارے ملک کے بارے میں کچھ چیزیں جو انہیں انگریزی سیکھنے کا احساس دلائیں گی۔

ٹیچر - جناب، میں نے اس لیبارٹری میں زبان کی مہارت کی ترقی پر کام کیا ہے۔ چنانچہ انگریزی زبان نصاب کی زبان رہی ہے۔ لیکن زبان کیسے سیکھی جاتی ہے؟ کیونکہ میرے پاس آنے والے بچے ہریانوی ماحول سے ہیں۔ اگر میں روہتک میں بیٹھے بچے سے بات کرتی ہوں تو وہ نوح میں بیٹھے بچے سے بالکل مختلف زبان میں بات کرتا ہے۔

وزیر اعظم - ٹھیک ہے، ہمارے جیسے گھر میں ٹیلی فون ہے جو پرانے وقتوں میں ہوا کرتا تھا۔

ٹیچر – ہاں جی ۔

وزیر اعظم – ڈبہ وہ فون ہے۔ اور ہمارے گھر میں ایک غریب گھرانے کی کوئی عورت یہاں کام کے لیے آتی ہے۔ اسی دوران بیل بجتی ہے اور وہ ٹیلی فون اٹھا لیتی ہے۔ جیسے ہی وہ اسے اٹھاتی ہے وہ کہتی ہے ہیلو، اس نے یہ کیسے سیکھا؟

ٹیچر: یہ زبان کی مہارت کی ترقی ہے جناب۔ زبان سننے اور استعمال کرنے سے آتی ہے۔

محترم وزیر اعظم – اور یہی وجہ ہے کہ بات چیت کے ذریعے زبان دراصل بہت جلد سیکھی جا سکتی ہے۔ مجھے یاد ہے جب میں گجرات میں تھا، مہاراشٹر سے ایک خاندان میری جگہ ناڈیات میں نوکری کے لیے آیا، وہ پروفیسر تھے۔ اس کی بوڑھی ماں اس کے ساتھ تھی۔ اب یہ شریف آدمی دن بھر سکولوں اور کالجوں میں پڑا رہتا تھا لیکن چھ ماہ گزرنے کے باوجود زبان میں صفر ہی رہا۔ اور اس کی ماں پڑھی لکھی نہیں تھی۔ لیکن اس نے دھندھن گجراتی بولنا شروع کر دی۔ چنانچہ ایک دفعہ میں کھانے کے لیے اس کے گھر گیا، میں نے اس سے پوچھا، اس نے کہا نہیں، ہمارے گھر کی نوکرانی کو اور کچھ نہیں معلوم، تو اس نے کہا کہ میں نے سیکھا ہے۔ بات چیت سے سیکھا جاتا ہے۔

ٹیچر – بالکل جناب ۔

محترم وزیر اعظم - اب مجھے واضح طور پر وہ ٹیچر یاد ہیں جو میں اپنے اسکول میں بچپن میں تھے۔ وہ تھوڑا سخت بھی تھے۔ اور سختی ہمیں تھوڑا پریشان کرتی تھی۔ لیکن راجا جی نے رامائن اور مہابھارت لکھی ہے۔ لہٰذا، رامائن کا بہت ہی جانا پہچانا مکالمہ سب کو معلوم ہے۔ اس لیے وہ اصرار کرتے تھے کہ راجا جی نے رامائن لکھی ہے۔ اسے آہستہ آہستہ پڑھنا شروع کریں۔ کہانی جانتے تھے لیکن زبان نہیں جانتے تھے۔ لیکن انہوں نے بہت جلد ہم آہنگی پیدا کی۔ ایک دو لفظ سمجھنے کے بعد بھی ایسا لگا کہ ہاں، وہ ماں سیتا کے بارے میں کچھ بحث کر رہے ہیں۔

ٹیچر – بالکل جناب۔

محترم وزیر اعظم – چلیے، بہت اچھا۔

ٹیچر – تھینک یو سر، تھینک یو۔

محترم وزیر اعظم – ہر ہر مہادیو۔

ٹیچر - ہر ہر مہادیو،

وزیر اعظم - کاشی کے لوگ اپنے دن کی شروعات ہر ہر مہادیو کے ساتھ کرتے ہیں۔

استاد- آج آپ سے مل کر بہت خوشی ہوئی جناب۔ جناب، میں انسٹی ٹیوٹ آف ایگریکلچرل سائنسز میں پودوں کی بیماریوں پر تحقیق کر رہا ہوں اور اس میں میری سب سے بڑی کوشش یہ ہے کہ ہم پائیدار زراعت کے بارے میں بات کرتے ہیں۔ وہ ابھی تک مناسب طریقے سے زمینی سطح پر نہیں پہنچے ہیں۔ اس لیے میری کوشش ہے کہ کاشتکاروں کو ایسی ٹیکنالوجی فراہم کی جائے جو آسان ہو اور کھیتوں میں اس کے بے مثال نتائج دیکھنے کو مل سکیں۔ اور میں سمجھتا ہوں کہ اس کوشش میں بچوں، طلباء، میری اور خواتین کی شرکت ضروری ہے۔ اور اسی لیے میری کوشش ہے کہ میں طالب علموں کے ساتھ گاؤں جاؤں اور کسانوں کے ساتھ ساتھ خواتین کو بھی آگے بڑھنے کی کوشش کروں۔ تاکہ یہ چھوٹی چھوٹی تکنیکیں ہم نے تیار کیں۔ اس کے ذریعے ہم پائیداری کی طرف قدم اٹھاتے ہیں۔ اور کسان بھی اس سے مستفید ہو رہے ہیں۔

محترم وزیر اعظم – کچھ بتا سکتے ہیں کیا کیا ہے؟

ٹیچر- جناب، ہم نے بیج صاف کرنے کی تکنیک کو مکمل کر لیا ہے۔ ہم نے کچھ مقامی جرثوموں کی نشاندہی کی ہے۔ جب ہم اس سے بیجوں کو پاک کرتے ہیں، جب جڑیں آتی ہیں تو سر پہلے سے تیار شدہ جڑیں بن جاتے ہیں۔ یہ پلانٹ کو بہت صحت مند بناتا ہے۔ وہ پودا بیماریوں سے کم شکار ہوتا ہے کیونکہ جڑیں اتنی مضبوط ہو جاتی ہیں، وہ پودے کو اندر سے کیڑوں اور بیماریوں سے لڑنے کی طاقت دیتی ہیں۔

محترم وزیر اعظم – تجربہ گاہ میں کرنے والا کام بتا رہے ہیں۔ زمین پر کیسے کرتے ہیں؟ تجربہ گاہ سے زمین پر۔ جب آپ کہہ رہے ہیں آپ خود جا رہے ہیں کسانوں کے پاس۔ وہ کیسے اس کو کرتے ہیں اور وہ کیسے شروع کرتے ہیں؟

استاد - جناب، ہم نے ایک پاؤڈر فارمولیشن بنائی ہے اور ہم یہ پاؤڈر فارمولیشن کسانوں کو دیتے ہیں اور ان کے بیج کا علاج کرتے ہیں اور ہم یہ کوششیں کئی سالوں سے مسلسل کر رہے ہیں۔ اور اب ہم وارانسی کے آس پاس کے 12 گاؤں میں یہ کام کر چکے ہیں اور اگر ہم خواتین کی تعداد کی بات کریں تو اس وقت تین ہزار سے زیادہ خواتین اس ٹیکنالوجی کا استعمال کر رہی ہیں۔

محترم وزیر اعظم: ورنہ یہ لوگ جو کسان ہیں کیا کوئی اور کسان بھی تیار کر سکتے ہیں؟

استاد - بالکل جناب، کیونکہ جب ایک کسان پاؤڈر لینے آتا ہے تو وہ اپنے ساتھ چار دیگر کسانوں کے لیے لے جاتا ہے۔ اور اس کی وجہ یہ ہے کہ کسان بہت کچھ سیکھتے ہیں اور مجھے خوشی ہے کہ ہم نے جو سکھایا ہے اس سے کئی گنا زیادہ لوگوں نے اپنایا ہے۔ میرے پاس ابھی تک مکمل نمبر نہیں ہیں۔

محترم وزیر اعظم – بیشتر کس فصل پر اثرا پڑا اور کس۔

ٹیچر – سبزی اور گیہوں پر۔

محترم وزیر اعظم – ہمارا زور سبزیوں اور گندم پر ہے، یہ قدرتی کھیتی ہے۔ اور جو مادر دھرتی کو بچانا چاہتے ہیں۔ وہ سب اس بارے میں فکر مند ہیں کہ جس طرح ہم مادر دھرتی کی صحت کو اذیت دے رہے ہیں۔ اس ماں کو بچانا بہت ضروری ہو گیا ہے۔ اور قدرتی کاشتکاری اس کے لیے ایک اچھا حل معلوم ہوتی ہے۔ اس سمت میں سائنسدانوں کے درمیان کچھ بحث ہو رہی ہے۔

 

 

ٹیچر : جی جناب، کوششیں اسی سمت میں ہیں۔ لیکن جناب، ہم کسانوں کو کیمیکل استعمال نہ کرنے پر پوری طرح قائل نہیں کر پا رہے۔ کیونکہ کسانوں کو خدشہ ہے کہ اگر ہم نے کیمیکل استعمال نہ کیا تو ان کی فصلوں کو کچھ نقصان پہنچے گا۔

وزیر اعظم - کوئی حل ہو سکتا ہے۔ فرض کریں کہ اس کے پاس چار بیگھہ زمین ہے۔ تو 25 فیصد، اسے 1 بیگھہ میں استعمال کریں، وہ کریں جو آپ روایتی طور پر تین میں کرتے ہیں۔ یعنی ایک چھوٹا سا حصہ لے کر الگ الگ الگ الگ الگ الگ الگ الگ طریقے سے کرو، پھر اسے ہمت ملے گی۔ ہاں دوست، کچھ نقصان ہو گا، 10 فیصد، 20 فیصد ہو گا۔ لیکن میری گاڑی چلے گی۔ آچاریہ دیوورت جی، جو گجرات کے گورنر ہیں، بہت وقف ہیں اور اس موضوع میں بہت کام کرتے ہیں۔ اگر آپ ویب سائٹ پر جاتے ہیں کیونکہ آپ میں بہت سے لوگ ایسے ہیں جو کسان پس منظر سے ہوں گے۔ اس لیے اس نے قدرتی کاشتکاری کے لیے بہت تفصیل پیدا کی۔ آپ یہاں جو ایل کے ایم دیکھ رہے ہیں وہ مکمل طور پر قدرتی کاشتکاری کا استعمال کرتا ہے۔ یہاں کسی کیمیکل کی اجازت نہیں ہے۔ آچاریہ دیوورت جی نے بہت اچھا فارمولا تیار کیا۔ کوئی بھی ایسا کر سکتا ہے۔ یہ گائے کے پیشاب وغیرہ سے کرتے ہیں اور بہت اچھے نتائج حاصل کرتے ہیں۔ اگر آپ یہ بھی پڑھتے ہیں تو دیکھیں کہ آپ کی یونیورسٹی میں کیا ہو سکتا ہے۔

ٹیچر – ضرور جناب۔

محترم وزیر اعظم – چلیے بہت بہت مبارکباد۔

ٹیچر – شکریہ سر۔

محترم وزیر اعظم - ونکّم

استاد – ونکّم وزیر اعظم جی۔ میں دھوترے گندمتی ہوں۔ میں تیاگراج پولی ٹیکنک کالج، سیلم تمل ناڈو سے آیا ہوں اور میں 16 سال سے زیادہ عرصے سے پولی ٹیکنک کالج میں انگریزی پڑھا رہا ہوں۔ پولی ٹیکنک کے میرے زیادہ تر طلباء کا تعلق دیہی پس منظر سے ہے۔ وہ تمل میڈیم اسکولوں سے آتے ہیں، اس لیے انھیں انگریزی میں بولنا یا کم از کم اپنا منہ کھولنا مشکل ہوتا ہے۔

محترم وزیر اعظم - لیکن ہمیں یہ وہم ہے۔ شاید ہر کوئی سوچے گا کہ تمل ناڈو کا مطلب ہے ہر کوئی انگریزی جانتا ہے۔

ٹیچر - ظاہر ہے جناب، وہ دیہی لوگ ہیں جو مقامی زبان کے ذریعہ تعلیم حاصل کرتے ہیں۔ تو انہیں مشکل پیش آتی ہے جناب۔ ان کے لیے ہم پڑھاتے ہیں۔

وزیراعظم – اور یہی وجہ ہے کہ اس نئی تعلیمی پالیسی میں مادری زبان پر بہت زیادہ زور دیا گیا ہے۔

استاد - لہذا ہم انگریزی زبان سکھا رہے ہیں جناب اور این ای پی 2020 کے مطابق کم از کم تین زبانیں اب ہماری مادری زبان میں سیکھنے کی ضرورت ہے۔ اب ہم نے ایک خود مختار ادارے کے طور پر متعارف کرایا ہے۔ اب ہم نے اپنی مادری زبان کو فنی تعلیم سیکھنے میں بھی متعارف کرایا ہے۔

محترم وزیر اعظم: کیا آپ میں سے کوئی ہے جس نے بڑی ہمت کے ساتھ ایسا تجربہ کیا ہو؟ فرض کریں کہ ایک سکول میں 30 بچے ہیں، وہ خالصتاً انگریزی زبان میں پڑھتے ہیں اور 30 ​​دوسرے برابر کے بچے اسی مضمون کو اپنی مادری زبان میں پڑھتے ہیں۔ تو سب سے آگے کون جاتا ہے، کون سب سے زیادہ جانتا ہے آپ لوگوں کو کیا تجربہ ہے؟ کیونکہ مادری زبان میں جو کچھ ہے، وہ ذہنی طور پر اس کا انگریزی میں ترجمہ کرے گا اور پھر اسے سمجھنے کی کوشش کرے گا، اس میں بہت توانائی درکار ہوتی ہے۔ اس لیے بچوں کو ان کی مادری زبان میں بہت اچھے طریقے سے پڑھایا جائے اور بعد میں انگریزی کو بطور مضمون پڑھایا جائے۔ یعنی جیسے یہ سنسکرت ٹیچر کلاس میں جا رہی ہوں گی اور کلاس روم سے باہر آ رہی ہوں گی، مجھے امید ہے کہ وہ سنسکرت کے علاوہ کوئی اور زبان استعمال نہیں کر رہی ہوگی۔ اسی طرح انگریزی کے استاد کو بھی چاہیے کہ وہ کلاس روم میں داخل ہونے سے لے کر باہر آنے تک کوئی دوسری زبان نہ بولے۔ اگر آپ انگلش کرتے ہیں تو آپ بھی اتنا ہی اچھا کریں گے۔ پھر ایسا نہیں ہے کہ بھائی ایک جملہ انگریزی میں اور تین جملے مادری زبان میں پڑھائیں گے۔ تاکہ وہ بچہ پکڑ نہ سکے۔ اگر ہم زبان سے اتنی ہی لگن رکھتے ہیں تو یہ بری بات نہیں اور ہمیں اپنے بچوں میں یہ عادت ڈالنی چاہیے۔ ان کے ذہن میں یہ خواہش ہونی چاہیے کہ وہ زیادہ سے زیادہ زبانیں سیکھیں اور اس لیے کبھی کبھی اسکول میں یہ فیصلہ کیا جائے کہ اس بار ہم اپنے اسکول میں بچوں کو پانچ مختلف ریاستوں کے گانے پڑھائیں گے۔ ایک سال میں پانچ گانے مشکل نہیں ہیں۔ تو آپ کو پانچ زبانوں میں گانے معلوم ہوں گے، کچھ آسامی میں کریں گے، کچھ ملیالم میں کریں گے، کچھ پنجابی میں کریں گے، ہم بہرحال پنجابی کر سکتے ہیں۔ آئیے ہم آپ کو نیک خواہشات دیں۔ آپ سبھی کو نیک خواہشات۔

استاد - وزیر اعظم، میرا نام اتپل سیکیا ہے اور میں آسام سے ہوں۔ میں فی الحال نارتھ ایسٹ اسکل سنٹر گوہاٹی میں فوڈ اینڈ بیوریج سروس میں بطور ٹرینر کام کر رہا ہوں۔ اور میں نے یہاں نارتھ ایسٹ اسکل سنٹر میں ابھی چھ سال مکمل کیے ہیں۔ اور میری رہنمائی سے اب تک 200 سے زائد سیشنز کامیابی سے تربیت پا چکے ہیں۔ اور ملک اور بیرون ملک فائیو سٹار ہوٹلوں میں کام کریں۔

محترم وزیر اعظم – کتنے عرصے کا کورس ہے آپ کا؟

ٹیچر – ایک سال کا کورس ہے سر۔

ٹیچر – ایک سال اور میزبانی کا جانتے ہیں۔

ٹیچر – میزبانی خوردنی اشیاء اور مشروبات خدمات۔

محترم وزیر اعظم – خوردنی اشیاء اور مشروبات، اس میں کیاخاص چیز سکھاتےہیں آپ؟

ٹیچر - ہم سکھاتے ہیں کہ مہمانوں سے کیسے بات کرنی ہے، کھانا کیسے سرو کرنا ہے، مشروبات کیسے پیش کرنا ہے، اس لیے ہم کلاس روم میں طلباء کو پہلے سے تیار کرتے ہیں۔ مختلف طریقے سکھاتے ہیں کہ مہمانوں کے مسائل کیسے حل کیے جائیں، ان سے کیسے نمٹا جائے، یہ سب کچھ ہم سکھاتے ہیں۔

محترم وزیر اعظم: مجھے کچھ مثالیں بتائیں۔ ان لوگوں کے گھروں میں بچے ایسا سلوک کرتے ہیں، میں یہ نہیں کھاؤں گا، میں یہ کھاؤں گا، میں یہ نہیں کھاؤں گا۔ تو آپ انہیں اپنی تکنیک سکھائیں۔

ٹیچر : میرے پاس بچوں کے لیے کوئی تکنیک نہیں ہے، لیکن جو مہمان ہمارے ہوٹل میں آتے ہیں، ان کے ساتھ کیسے پیش آتے ہیں، یعنی شائستگی اور عاجزی سے ان کی باتیں سن کر۔

محترم وزیر اعظم – یعنی زیادہ تر آپ کی توجہ سافٹ اسکلز پر ہے۔

ٹیچر – ہاں جی سر، ہاں جی سر، سافٹ اسکلز۔

محترم وزیر اعظم – بیشتر وہاں سے نکلے ہوئے بچوں کو روزگار کے لیے ایک موقع کہاں رہتا ہے؟

ٹیچر – پورے بھارت میں، جیسے کہ دہلی ہوگیا، ممبئی۔

محترم وزیر اعظم – خصوصاً بڑے بڑے ہوٹلوں میں۔

اساتذہ - بڑے ہوٹلوں میں۔ ہمارا مطلب ہے کہ 100 فیصد روزگار کی ضمانت ہے۔ ایک پلیسمنٹ ٹیم ہے، وہ اس کی دیکھ بھال کرتی ہے۔

وزیر اعظم - آپ گوہاٹی میں ہیں، اگر میں ہیمنتا جی سے کہوں کہ آپ ہیمنتا جی کے تمام وزراء کے عملے کو تربیت دیں اور ان کے اندر یہ صلاحیت پیدا کریں۔ کیونکہ ان کے یہاں مہمان آتے ہیں اور اس کو معلوم نہیں ہوتا اس کو بائیں ہاتھ سے پانی دوں یا دائیں ہاتھ سے، تو ہو سکتا ہے؟

ٹیچر - یقینی طور پر ہو سکتا ہے۔

وزیر اعظم - دیکھیں، آپ اس سے حیران رہ جائیں گے۔ جب میں گجرات کا وزیر اعلیٰ تھا۔ تو میرا یہاں ہوٹل مینجمنٹ اسکول تھا۔ اس لیے میں نے پرزور گزارش کی تھی کہ میرے تمام وزراء اور ان کا پرسنل اسٹاف ہفتہ، ہفتہ، اتوار کو جاکر پڑھائیں گے۔ چنانچہ اس نے رضاکارانہ طور پر پڑھانے کا فیصلہ کیا اور میری جگہ پر کام کرنے والے تمام بچے باغبان یا باورچی کے طور پر کام کرتے تھے۔ تمام وزراء کا تقریباً 30، 40-40 گھنٹے کا نصاب تھا۔ اس کے بعد ان کی کارکردگی میں بہت تبدیلی آئی اور گھر میں داخل ہوتے ہی نظر آنے لگی۔ وہ واہ کوئی نئی چیز لگتی ہے اور گھر والوں نے شاید اس پر زیادہ توجہ نہیں دی، میرے لیے یہ بڑی حیرانی کی بات تھی کہ تم نے یہ سب کیسے کیا؟ اس لیے میں وہاں سیکھنے کے بعد آتا تھا، اس لیے سوچتا ہوں کہ کبھی کبھی ایسا بھی کیا جائے تاکہ یہ بڑا یا چھوٹا برانڈ بن جائے جیسے گھر میں کام کرنے والے لوگوں کو آتے ہی ہیلو کہنا، جیسے اٹھانا۔ ٹیلی فون کچھ لوگ سرکاری دفاتر میں تربیت یافتہ ہیں۔ کیا وہ 'جے ہند' کہہ کر فون اٹھائیں گے یا 'نمستے' کہہ کر فون اٹھائیں گے، کوئی کہے گا 'ہاں'، آپ کہنا کیا چاہتے ہیں؟ تو یہ وہ جگہ ہے جہاں چیزیں خراب ہوتی ہیں۔ تو آپ اسے ٹھیک سے سکھاتے ہیں؟

ٹیچر – سکھاتے ہیں سر، سکھاتے ہیں۔

محترم وزیراعظم: چلیے، بہت بہت مبارک ہو  آپکو۔

ٹیچر: شکریہ جناب!

محترم وزیر اعظم : تو بوری ساگر آپ کے کچھ تھے کیا؟

ٹیچر: ہاں تھے سر، دادا تھے!

محترم وزیر اعظم : دادا تھے؟ اچھا! وہ ہمارے مزاحیہ قلم کار ہوا کرتے تھے۔ تو آپ کیا کرتے ہیں؟

ٹیچر : سر، میں امریلی کا ایک پرائمری اسکول ٹیچر ہوں اور 21 سال سے وہاں کام کر رہا ہوں کہ ایک بہتر ملک کی تعمیر سے بہتر اسکول کی تعمیر کے لیے...

محترم وزیراعظم: آپ کی کیا خاصیت ہے؟

ٹیچر : سر میں ہمارے جو لوک گیت ہیں نا۔۔۔

محترم وزیر اعظم : کہتے ہیں آپ بہت پیٹرول جلاتے ہیں؟

ٹیچر: جی جناب، بائیک پر ہمارا انٹری فیسٹیول 2003 سے اساتذہ کے لیے ایک کامیاب پروگرام ہے۔ جناب، ہمارے مقامی گربا گانوں کو تعلیمی گانوں میں تبدیل کر دیا گیا ہے اور میں انہیں پنکھیڑا ہے ہمارا، اگر آپ گاتا ہوں۔ مجھے اجازت دیں، کیا میں گانا گا سکتا ہوں؟

محترم وزیر اعظم : ہاں، ہو جائے!

محترم وزیر اعظم : یہ گجراتی کا بہت مقبول عام لوک گیت ہے۔

ٹیچر : جی سر، یہ گربہ گیت ہے۔

وزیر اعظم: اس نے اپنا جملہ بدل دیا ہے اور وہ کہہ رہے ہیں کہ وہ گانوں کے ذریعے بچوں کو کہہ رہے ہیں کہ ارے بھائی تم سکول جاؤ، پڑھو، یعنی وہ اپنے طریقے سے کر رہا ہے۔

ٹیچر : جی سر، اور سر 20 زبانوں کے گیت بھی میں گا سکتا ہوں۔

محترم وزیر اعظم : 20، ارے واہ!

استاد: اگر میں بچوں کو کیرالہ کے بارے میں پڑھاتا ہوں، اگر میں تمل میں پڑھاتا ہوں تو تمل کے دوست ہیں یا آئیں، خوش آمدید، اگر میں مراٹھی میں پڑھاتا ہوں، اگر کنڑ میں… میں ہندوستان ماتا کو سلام کرتا ہوں، جناب! اگر میں اسے راجستھانی میں گاتا ہوں تو........

محترم وزیر اعظم: بہت بہت بڑھیا۔

ٹیچر: تھینک یو سر! سر ایک بھارت شریشٹھ بھارت،یہی میری زندگی کا اصول ہے سر!

محترم وزیر اعظم: چلیے بہت  بہت۔۔۔

ٹیچر: اور سر 2047 میں ترقی یافتہ بھارت کی تعمیر کے لیے بھی اور توانائی سے کام کروں گا سر۔

محترم وزیر اعظم: بہت اچھا۔

ٹیچر: تھینک یو سر

وزیر اعظم: جب میں نے ان کی کنیت دیکھی تو میں ان کے دادا سے واقف تھا، تو آج مجھے یاد آیا کہ ان کے دادا میری ریاست میں بہت اچھے مزاح نگار ہوا کرتے تھے، وہ بہت مشہور تھے، لیکن مجھے نہیں معلوم تھا کہ آپ نے اس وراثت کو سنبھالا ہوگا۔ مجھے بہت اچھا لگا!

ساتھیو،

میری طرف سے آپ سب کے لیے کوئی خاص پیغام تو نہیں ہے، لیکن میں یہ ضرور کہوں گا کہ یہ انتخاب حاصل کرنا ایک بڑا اثاثہ ہے، یہ ایک طویل عمل سے نکلتا ہے۔ پہلے کیا ہوا کرتا تھا اس پر بحث نہیں کرتا، لیکن آج کوشش یہ ہے کہ ملک میں ایسے ذہین لوگ ہیں جو کچھ نیا کر رہے ہیں، اس کا یہ مطلب نہیں کہ ہم سے اچھے استاد نہیں ہوں گے، جو کسی میں اچھے نہیں۔ دوسرے موضوع کو کرنا چاہیے، ایسا نہیں ہو سکتا۔ یہ ایک ایسا ملک ہے جس میں بڑی دولت ہے، وسندھرا۔ لاکھوں اساتذہ ہوں گے جو بہترین کام کر رہے ہوں گے، لیکن ہم پر نظر پڑی ہوگی، ہماری کوئی نہ کوئی خاصیت ہوگی۔ خاص طور پر ملک میں نئی ​​تعلیمی پالیسی کے لیے آپ کی طرف سے کی گئی کوششیں کارآمد ثابت ہو سکتی ہیں۔ دیکھو، ہندوستان کی طرح ہمارے تعلیمی نظام میں، ایک مضمون ہمارے معاشی نظام کو بہت زیادہ تقویت دے سکتا ہے اور ہندوستان نے یہ موقع گنوا دیا ہے۔ ایک بار پھر ہمیں اسے حاصل کرنا ہے اور یہ ہمارے اسکولوں سے شروع ہوسکتا ہے اور وہ ہے سیاحت۔

اب آپ کہیں گے کہ ہم بچوں کو پڑھائیں گے یا سیاحت کریں گے۔ میں یہ نہیں کہہ رہا کہ آپ سیاحت کریں لیکن اگر سکول کے اندر ٹور جائیں تو زیادہ تر ٹور وہیں جاتے ہیں جہاں ٹیچر نے نہیں دیکھا۔ ٹور وہاں نہیں جاتا کہ طلبہ کو کیا دیکھنا چاہیے۔ اگر استاد ادے پور میں رہ گئے تو ہم منصوبہ بنائیں گے کہ اس بار اسکول ادے پور جائے گا اور پھر ہم سب سے جتنے پیسے چاہیں گے، ٹکٹ کا خرچہ لے کر جائیں گے، لیکن میرے لیے تو ایسا ہی ہے۔ ایک ماں ایک بچے سے کہتی ہے کہ اگر ہم آئس کریم کھانا چاہتے ہیں تو ہم کبھی کبھی اس کے بارے میں سوچتے ہیں اور سال بھر کا کام آپ لوگ طے کرتے ہیں کہ کس نے کرنا ہے، کیسے کرنا ہے؟ اب سے یا 2024-2025 میں کلاس 8 یا 9 کے لئے یہ طالب علموں کی منزل ہوگی؟ یہ 9 اور 10 کے لیے ہو گا اور پھر آپ جو بھی فیصلہ کریں گے... ہو سکتا ہے یہ سکول 3 منزلوں کا فیصلہ کرے، ہو سکتا ہے یہ سکول 5 منزلوں کا فیصلہ کرے اور انہیں سال بھر کام دیا جائے کہ اب آپ کو ایک پروجیکٹ دیا جائے کہ اگلے سال ہم جا رہے ہیں۔ کیرالہ میں، 10 طلباء کا ایک گروپ تشکیل دیا جائے گا جو ان پر کیرالہ کے سماجی رسم و رواج اور روایات کو پیش کرے گا۔ 10 طلبہ بحث کریں گے کہ وہاں کی مذہبی روایات کیا ہیں، مندر کیسے ہیں، کتنے پرانے ہیں، 10 طلبہ تاریخ پر کریں گے، سال بھر میں ایک یا دو گھنٹے اس پر بحث ہوگی، کیرالہ، کیرالہ، کیرالہ چلتا رہے۔ اور پھر کیرالہ کے لیے نکل پڑیں۔ جب آپ کے بچے کیرالہ جائیں گے تو وہ پورے کیرالہ کو سمیٹ کر واپس آئیں گے۔ وہ ایسے ہوں گے جیسے میں نے پڑھا ہے، ٹھیک ہے یہ وہ ہے، یہ آپس میں جڑے گا۔

اب سوچیں، فرض کریں گوا نے فیصلہ کیا کہ اس بار ہم شمال مشرق جائیں گے اور فرض کریں کہ تمام اسکولوں کے 1000-2000 بچے نارتھ ایسٹ جائیں گے، تو وہ شمال مشرق کو دیکھیں گے۔ لیکن کیا شمال مشرقی سیاحت کو فائدہ ہوگا یا نہیں؟ اگر یہ لوگ شمال مشرق سے ہیں تو شمال مشرقی لوگ محسوس کریں گے کہ اب اتنے لوگ آ رہے ہیں، انہیں چائے پینے کے لیے کچھ دکانیں کھولنی ہوں گی۔ اگر کوئی سمجھتا ہے کہ یہ چیز زیادہ بکتی ہے تو ہاں بھائی ہمارا روزگار بڑھ جائے گا۔ ہندوستان اتنا بڑا ملک ہے، ہم تعلیم میں مصروف ہیں اور اس بار آپ اپنے طلباء کو بتائیں کہ ایک آن لائن مقابلہ چل رہا ہے اور آپ کے اسکول کے تمام بچوں کو اس میں حصہ لینا چاہیے، لیکن آپ کو صرف ٹک مارک نہیں کرنا چاہیے۔ مطالعہ کرنے کے بعد کیا. ابھی مقابلہ چل رہا ہے، اپنے ملک کو دیکھو، آن لائن رینکنگ چل رہی ہے، لوگ ووٹ ڈال رہے ہیں اور ہماری کوشش ہے کہ اس ریاست کے لوگ ووٹ دیں اور فیصلہ کریں کہ یہ ہماری ریاست میں نمبر ون چیز ہے، جو دیکھنے کے لائق ہے۔ جیسا کہ یہ ہے. ووٹنگ کے ذریعے آپ کا انتخاب ہونے کے بعد، حکومت کچھ بجٹ مقرر کرے گی، وہاں بنیادی ڈھانچہ تیار کرے گی اور پھر اسے ترقی دے گی۔ لیکن یہ سیاحت سیاحت کیسے بنتی ہے مسئلہ یہ ہے کہ پہلے مرغی آتی ہے یا پہلے انڈا… کچھ لوگ کہتے ہیں کہ سیاحت نہ ہونے کی وجہ سے ترقی نہیں ہوتی۔ کچھ لوگ کہتے ہیں کہ سیاحت آئے گی تو ترقی کرے گی، اس لیے ہم طلبہ سے شروعات کر سکتے ہیں، وہاں منصوبہ بندی کے ساتھ جا سکتے ہیں، رات کو وہاں قیام کریں گے، تو وہاں کے لوگوں کو لگے گا کہ اب روزگار کا امکان ہو گا۔ تو ہوم اسٹے بننا شروع ہو جائیں گے۔ آٹو رکشہ چلانے والے آئیں گے، یعنی اگر ہم صرف اسکول میں بیٹھ کر فیصلہ کر لیں، تو ہم اس ملک میں 2 سال میں 100 ٹاپ ڈیسٹینیشن ٹورازم تیار کر سکتے ہیں۔ یہ ایک مثال ہے کہ ایک استاد کتنا بڑا انقلاب لا سکتا ہے۔ اس کا مطلب ہے، آپ کی روزمرہ کی زندگی میں، آپ اپنا اسکول کا باقاعدہ کام کرتے ہیں، آپ یہاں سے ٹور پر جاتے ہیں۔ لیکن مطالعہ نہیں کیا جاتا۔ جس جگہ جانا ہو وہاں اگر پورا سال پڑھا جائے تو وہ تعلیم ہو جاتی ہے۔ اگر ہم اس جگہ جائیں تو وہاں کی معیشت کو فائدہ ہو سکتا ہے۔

اسی طرح میں آپ سے گزارش کرتا ہوں کہ جہاں بھی آپ کے آس پاس کوئی یونیورسٹی ہے، کسی وقت آپ کے آٹھویں سے نویں جماعت کے بچے اس یونیورسٹی کا دورہ ضرور کریں۔ ہمیں یونیورسٹی سے بات کرنی چاہیے کہ ہمارے 8ویں کلاس کے بچے آج یونیورسٹی دیکھنے آئیں گے۔ جب میں گجرات میں تھا تو میرا ایک اصول تھا، اب اگر مجھے کسی یونیورسٹی میں کانووکیشن میں بلایا جاتا تو میں انہیں کہتا کہ میں ضرور آؤں گا لیکن میرے ساتھ میرے 50 مہمان آئیں گے۔ تو یونیورسٹی والے سوچ رہے تھے کہ یہ 50 مہمان کون آئیں گے۔ اور جب سیاستدان یہ کہتا ہے تو اسے لگتا ہے کہ اس کے پیروکار آ رہے ہوں گے۔ تب میں کہتا تھا کہ یونیورسٹی کے 5-7 کلومیٹر کے دائرے میں اگر کوئی سرکاری اسکول ہے جہاں کچی آبادیوں کے غریب بچے پڑھتے ہوں تو ایسے 50 بچے میرے مہمان ہوں گے اور آپ کو انہیں پہلی صف میں بٹھانا پڑے گا۔ اب جب یہ بچے اس کانووکیشن کو دیکھتے ہیں تو وہ انتہائی غریب گھرانوں کے بچے ہیں، اسی دن ان کے ذہن میں ایک خواب بویا جاتا ہے۔ کسی دن میں بھی ایسی ٹوپی اور ایسا کُرتا پہن کر ایوارڈ لینے جاؤں گا۔ یہ احساس اس کے ذہن میں ثبت ہو جاتا ہے۔ اگر آپ بھی اپنے سکول کے ایسے بچوں کو ایسی یونیورسٹی دیکھنے لے جائیں تو یونیورسٹی سے بات کریں کہ جناب یہاں اتنی بڑی باتیں ہوتی ہیں، ہم دیکھنا چاہتے ہیں۔

اسی طرح کھیلوں کے مقابلے ہوتے ہیں، بعض اوقات ہم کیا کرتے ہیں، جیسے کہ بلاک لیول کے کھیلوں کے مقابلے ہوں گے تو وہ پی ٹی کون کرے گا؟ استاد جانتا ہے، کھیلنے والا بچہ جانتا ہے، وہ جائے گا۔ دراصل پورے اسکول کو کھیل دیکھنے جانا چاہیے۔ کبڈی بھی چل رہی ہو ہم کنارے بیٹھ کر تالیاں بجائیں گے۔ کبھی کبھی، کچھ ہی وقت میں، کوئی کھلاڑی بننے کی طرح محسوس کرتا ہے۔ کھلاڑی کو یہ بھی لگتا ہے کہ میں اکیلا نہیں ہوں جو اپنے جنون کی وجہ سے کھلاڑی بن گیا ہوں۔ میں گیم کھیل رہا ہوں، جس کا مطلب ہے کہ میں ایک معاشرے کی اچھی نمائندگی کر رہا ہوں۔ اس کے اندر ایک احساس بیدار ہوتا ہے۔ بحیثیت استاد مجھے ایسی چیزوں کو ایجاد کرتے رہنا چاہیے اور بغیر کسی اضافی محنت کے مجھے اسے پلس ون بنانا ہے، اگر ہم یہ کر سکتے ہیں تو آپ دیکھیں سکول بھی مشہور ہو جائے گا، اس میں کام کرنے والے اساتذہ ہی ہوں گے۔ یہاں تک کہ کاپی کو دیکھنے کا احساس بھی بدل جائے گا۔ دوسرا، آپ لوگ زیادہ تعداد میں نہیں ہیں لیکن آپ سب کو معلوم نہیں ہوگا کہ دوسروں کو یہ ایوارڈ کس وجہ سے ملا ہے۔ آپ کبھی نہیں جانتے، آپ کو لگتا ہے کہ اگر مجھے مل گیا ہے تو اسے بھی مل گیا ہوگا۔ میں یہ کرتا ہوں، میں سمجھتا ہوں، وہ بھی کچھ کر رہا ہوگا، مجھے مل گیا، ایسا نہیں ہے… آپ کی کوشش ہونی چاہیے کہ ان سب میں کیا خاصیت ہے، ان لوگوں میں کیا فرض ہے؟ جس پر ملک ان کا مقروض ہے اس طرف توجہ دی گئی ہے۔ کیا میں اس سے دو چیزیں سیکھ کر جا سکتا ہوں؟ آپ کے لیے یہ چار پانچ دن ایک طرح کا مطالعاتی دورہ ہے۔ آپ کی عزت اور فخر ہونا ایک چیز ہے، لیکن جیسا کہ میں آپ سب سے بات کر رہا ہوں، میں آپ سے سیکھ رہا تھا۔ بس یہ جاننا چاہتا تھا کہ آپ لوگ یہ کیسے کرتے ہیں۔ اب یہ بات میرے لیے بہت خوش آئند تھی اور اسی لیے میں کہتا ہوں کہ آپ کے جتنے بھی دوست ہیں، ایک زمانے میں جب ہم چھوٹے تھے، ہم قلمی دوست سمجھے جاتے تھے۔ اب جب کہ سوشل میڈیا ہے، وہ دنیا ختم ہوگئی ہے۔ لیکن کیا آپ سب کا واٹس ایپ گروپ بنایا جا سکتا ہے؟ سب لوگ! وہ لوگ جو کب سے آس پاس ہیں؟ ٹھیک ہے، یہ کل بنایا گیا تھا. ٹھیک ہے، 8-10 دن گزر چکے ہیں، جس کا مطلب ہے کہ یہ ایک اچھی شروعات ہے۔ ہمیں اپنے تجربات کو ایک دوسرے کے ساتھ شیئر کرنا چاہیے۔ اب آپ یہاں تمل ناڈو کے ایک استاد سے ملے ہیں۔ آپ کا ٹور تامل ناڈو جا رہا ہے، آپ کے اسکول کا، ابھی سے انہیں بتاؤ، بس انہیں بتاؤ، دیکھو تمہاری طاقت کتنی بڑھ جائے گی۔ آپ کو کیرالہ سے کوئی ملے گا، میں اسے جانتا ہوں، جموں و کشمیر، میں اس سے واقف ہوں۔ آپ فکر نہ کریں، میں انہیں کال کروں گا۔ ان چیزوں کا بڑا اثر ہے اور میں چاہوں گا کہ آپ لوگوں کا ایک ایسا گروپ بنیں جو محسوس کریں کہ ہم ایک خاندان ہیں۔ ایک ہندوستان، ایک بہتر ہندوستان، اس سے بڑا کوئی تجربہ نہیں ہوسکتا۔ اگر آپ ایسی چھوٹی چھوٹی باتوں پر توجہ دیں تو میرا پختہ یقین ہے کہ ملک کی ترقی کے سفر میں اساتذہ کا بہت بڑا تعاون شامل ہوتا ہے۔

آپ بھی سن سن کر تھک گئے ہوں گے۔ استاد ایسا ہوتا ہے، استاد ایسا ہوتا ہے، پھر آپ کو بھی لگتا ہے کہ وہ اسے روک دے تو بہتر ہو گا، یعنی میں یہ میرے لیے نہیں کہہ رہا۔ لیکن جب استاد کی تعریف اتنی بڑھ جائے تو آپ کو بھی لگتا ہے کہ بہت ہو گیا۔ مجھے بھی لگتا ہے کہ تالیوں کی ضرورت نہیں ہے۔ آئیے اس طالب علم کو دیکھتے ہیں، اس خاندان نے کتنے اعتماد کے ساتھ وہ بچہ ہمارے حوالے کیا ہے۔ اس خاندان نے بچے کو ہمارے حوالے اس لیے نہیں کیا کہ آپ اسے قلم پکڑنا سکھائیں، کمپیوٹر استعمال کرنا سکھائیں، اس نے وہ بچہ آپ کے حوالے نہیں کیا تاکہ آپ اسے کچھ سلیبس سکھائیں، تاکہ وہ اچھے نتائج حاصل کرے۔ امتحان، صرف اسی لیے اسے نہیں بھیجا گیا ہے۔ والدین کو لگتا ہے کہ وہ جو دے رہے ہیں اس سے زیادہ نہیں دے سکیں گے، اگر کوئی پلس ون کر سکتا ہے تو ان کا استاد بھی کر سکتا ہے۔ اور اس لیے بچے کی زندگی میں تعلیم میں پلس ون کون دے گا؟ استاد کرے گا۔ سنسکار میں پلس ون کون کرے گا؟ استاد کرے گا۔ اس کی عادات کون درست کرے گا، اس کے علاوہ ایک استاد؟ اور اسی لیے ہمیں پلس ون تھیوری رکھنے کی کوشش کرنی چاہیے۔ اس کے گھر سے جو کچھ ملا اس میں مزید اضافہ کروں گا۔ اس کی زندگی میں تبدیلی لانے میں میرا بھی کچھ حصہ ہو گا۔ اگر یہ کوششیں آپ کی طرف سے ہیں تو مجھے یقین ہے کہ آپ تمام اساتذہ سے بہت کامیابی کے ساتھ بات کریں گے اور آپ اکیلے نہیں ہیں۔ اپنے علاقے، اپنی ریاست کے اساتذہ سے بات کریں۔ آپ قیادت سنبھالیں اور ہمارے ملک کی نئی نسل کو تیار کریں کیونکہ آج جو بچے آپ تیار کر رہے ہیں جب وہ روزگار کے قابل ہو جائیں گے یا 25-27 سال کی عمر کو پہنچ جائیں گے تو یہ ملک آج جیسا نہیں ہو گا۔ آپ اس ترقی یافتہ ہندوستان میں ریٹائرمنٹ پنشن لے رہے ہوں گے۔ لیکن آج آپ جس شخص کو تیار کر رہے ہیں وہ ایک طاقتور شخصیت بننے والا ہے جو ترقی یافتہ ہندوستان کو نئی بلندیوں پر لے جائے گا۔ یعنی آپ کے پاس کتنی بڑی ذمہ داری ہے، یہ ترقی یافتہ ہندوستان، یہ صرف مودی کا پروگرام نہیں ہے۔

ہم سب کو مل کر ایک ترقی یافتہ ہندوستان کے لیے ایسا انسانی گروپ بنانا ہے۔ ہمیں ایسے قابل شہری تیار کرنے ہیں، ایسے ہی قابل نوجوان تیار کرنے ہیں۔ اگر ہم مستقبل میں کھیلوں میں 25-50 گولڈ میڈل لانا چاہتے ہیں تو وہ کھلاڑی کہاں سے آئیں گے؟ وہ ان بچوں میں سے نکلنے والا ہے جو آپ کے سکول میں نظر آ رہے ہیں اور اسی لیے وہ خواب ہم لے کر جا رہے ہیں اور آپ کے پاس بہت سے لوگ ہیں، ان کے خواب ہیں لیکن ان خوابوں کو ان کے سامنے کیسے پورا کیا جائے، آپ وہ لوگ ہیں آپ کے ذہن میں جو بھی خواب ہے، اس خواب کو پورا کرنے کے لیے، وہ تجربہ گاہ آپ کے سامنے ہے، خام مال آپ کے سامنے ہے، وہ بچے آپ کے سامنے ہیں۔ آپ اپنے خوابوں کے ساتھ اس تجربہ گاہ میں کوشش کریں گے، آپ جو چاہیں گے نتائج حاصل کریں گے۔

میری جانب سے آپ کو ڈھیر ساری نیک خواہشات!

بہت بہت شکریہ!

 

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