In the past, illiterate people were called 'angutha-chaap' but now your thumb is your bank: PM
The biggest power of technology is that it can empower the poor: PM Modi
Dr. Ambedkar's mantra was upliftment of the poor: PM
Dr. Ambedkar's contribution to economics as important as his role in drafting the Constitution: PM
Furthering digital connectivity can do wonders for our nation: PM Modi

क्रिसमस के दिन भारत सरकार ने एक गिफ्ट की शुरूआत की थी और उसके तहत आने वाले 100 दिन तक प्रतिदिन 15 हजार लोगों को Lucky Draw के माध्‍यम से 1000 रुपया इनाम में मिलने की योजना और ये उसके लाभार्थी वो लोग हैं, जो Digital Technlogy का उपयोग करते हुए एक ग्राहक के बतौर खरीदी करते हैं 50 रुपये से ज्‍यादा और 3 हजार रुपये से कम; ताकि इनाम गरीबों को मिले।

100 दिन में लाखों परिवारों में इनाम जाने वाला है और Draw होने के तीन दिन के बाद बैंक के लोग उसमें से नाम कौन है को निकाल देते हैं, जो पहले दिन Draw हुआ था, उसमें जिनको इनाम लगा था उसमें से चार लोगों को मुझे आज अपने हाथों से इनाम देने का अवसर मिला।

आज 30 तारीख को लक्‍की ग्राहक योजना के साथ-साथ डिजिधन व्‍यापार योजना का भी Draw हुआ है। ये सप्‍ताह में एक दिन हो रहा है, आज पहला था; और उसमें उन व्‍यापारियों को प्रोत्‍साहन देने की योजना है कि जो अपनी दुकान में ग्राहकों को Digital Payment के लिए प्रेरित करें, उनको समझाएं, वो व्‍यवस्‍था दें और 14 अप्रैल, बाबासाहेब अम्‍बेडकर जी की जयंती पर एक Mega Draw होगा जिसमें करोड़ों रुपयों के इनाम दिए जाएंगे। जिन लोगों को इस लक्‍की ड्रॉ में इनाम मिला है उनका मैं अभिनंदन करता हूं, लेकिन मैं उनका आभार भी व्‍यक्‍त करता हूं क्‍योंकि उन्‍होंने झारखंड जैसे छोटे गांव में रहने वाले किसी छोटे नौजवान ने इस Technology को आत्‍मसात किया, इस Technology का उपयोग किया; महिलाओं ने उपयोग किया। और इसलिए देश में जो लोग इसके साथ जुड़ रहे हैं वो एक प्रकार से उज्‍ज्‍वल भारत की नींव मजबूत करने का काम कर रहे हैं, और इसलिए मैं इन सबका अभिनंदन करता हूं, उनको बधाई देता हूं।

आज एक और काम हुआ, मेरी दृष्टि से ये सबसे महत्‍वपूर्ण काम हुआ है और वो है एक नई App Launch की गई है जिसका नाम रखा है BHIM . बहुत कम लोगों को मालूम होगा जिस महापुरुष ने हमें संविधान दिया, वो डॉक्‍टर भीमराव अम्‍बेडकर, अर्थशास्‍त्र में उनकी निपुणता, ये उनकी सच्‍ची पहचान थी। और उन्‍होंने आज से करीब 80-90 साल पहले भारत का रुपया, उस पर Thesis लिखी थी और मुद्रा नीति कैसी हो; उस समय जब अंग्रेजों का शासन था; भीमराव अम्‍बेडकर ने विश्‍व के सामने भारत की मुद्रा नीति के संबंध में एक नयेपन से अपने विचारों को प्रस्‍तुत किया था। और आज हम लोग जिस रिजर्व बैंक की चर्चा करते हैं, RBI की बात करते हैं, डॉक्‍टर बाबासाहेब अम्‍बेडकर ने जो Thesis लिखी थी, उसी के प्रकाश में से विचार ले करके ये रिजर्व बैंक का जन्‍म हुआ था। इतना ही नहीं, आजाद भारत में हमारे जो Federal Structure है राज्‍यों और केन्‍द्र के बीच आर्थिक व्‍यवस्‍था कैसे चले, पैसों का बंटवारा कैसे हो, इसके लिए Finance Commission की कल्‍पना हुई है यह भी बाबा साहेब अम्‍बेडकर भीमराव अम्‍बेडकर के विचारों का परिणाम है।

कहने का तात्‍पर्य ये है कि भारत की मुद्रा व्‍यवस्‍था में, भारत की Central Bank की कल्‍पना में, भारत के Federal Structure में अर्थव्‍यवस्‍था के संबंध में किसी एक महापुरुष का स्‍पष्‍ट दर्शन था। उत्‍तम से उत्‍तम योगदान था, उस महापुरुष का नाम है डॉक्‍टर भीमराव अम्‍बेडकर। और इसलिए आज जो App और आनेवाले दिनों में देखना कि सारा कारोबार जैसे हम पहले नोट या सिक्‍कों से करते थे वो दिन दूर नहीं होगा जब ये सारा कारोबार इस BHIM App के द्वारा चलने वाला है। यानी एक प्रकार से बाबा साहेब अम्‍बेडकर का नाम सारी अर्थव्‍यवस्‍था के अंदर ये BHIM App के द्वारा Central Stage में आने वाला है। उसका प्रारंभ इस कार्यक्रम के तहत किया है।

बहुत ही सरल है, इसे आप download करने के बाद Smart Phone हो, 1000-1200 वाला मामूली feature phone हो इससे उसका उपयोग कर सकते हैं आप। Internet होना ही चाहिए जरूरी नहीं है, और आने वाले दो सप्‍ताह के भीतर-भीतर एक और काम हो रहा है जिसकी Security की Checking की व्‍यवस्‍था चल रही है इन दिनों। वो आने के बाद तो ये BHIM की ताकत ऐसी होगी, ऐसी होगी कि आपको न Mobile Phone की जरूरत पड़ेगी, न Smart Phone की जरूरत पड़ेगी, न Feature Phone की जरूरत पड़ेगी, न Internet की जरूरत पड़ेगी; सिर्फ आपका अंगूठा काफी है, आपका अंगूठा काफी है। कोई कल्‍पना कर सकता है, एक जमाना था अनपढ़ को अंगूठा छाप कहा जाता था, वक्‍त बदल चुका है; अंगूठा! आप ही का अंगूठा! आप आपकी बैंक, आप ही का अंगूठा आपकी पहचान! आप ही का अंगूठा आपको कारोबार।

कितना बड़ा revolution आ रहा है और दो सप्‍ताह के बाद ये व्‍यवस्‍था जब आरंभ होगी, मैं बहुत साफ देख रहा हूं, ये BHIM दुनिया के लिए सबसे बड़ा अजूबा होगा। देश में आधार कार्ड, 100 करोड़ से ज्‍यादा लोगों को आधार नम्‍बर मिल चुका है, जो 12-15 साल से छोटी आयु के हैं उनका बाकी है, काम चल रहा है, लेकिन जो बड़ी आयु के हैं 14 से ऊपर; करीब करीब उसमें से अधिकतम लोगों का हो गया है, कुछ छुटपुट कुछ रह गये होंगे तो काम चल रहा है। दूसरी तरफ देश में 100 करोड़ से ज्‍यादा Phone हैं, Mobile Phone. जिस देश के पास 65 प्रतिशत नौजवान 35 साल से कम आयु के हों, जिस देश के लोगों के हाथ में Mobile Phone हो, जिस देश के लोगों के अंगूठे में उनका भविष्‍य सुनिश्चित कर दिया गया हो वो देश एक बार अगर Digital Connectivity कर दें तो कितना बड़ा नया इतिहास बना सकता है, ये इसके अंदर आपको दिखाई देगा। विश्‍व के किसी भी देश के लिए Technology के क्षेत्र में कितना ही आगे गया हूआ देश होगा, उनके लिए भी, और इसलिए फिर वे Google के पास जाएंगे, Google Guru को पूछेंगे ये BHIM है क्‍या है? तो शुरूआत में तो उनको महाभारत वाला भीम दिखाई देगा, और ज्‍यादा गहरे जाएंगे तो उनको पता चलेगा हिंदुस्‍तान की धरती पर कोई भीमराव अम्‍बेडकर नाम के महापुरुष हो गए, भारत रत्‍न भीमराव अम्‍बेडकर। भीमराव अम्‍बेडर के जीवन का मंत्र यही था ‘’बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय।‘’ वे दलित, पीडि़त, शोषित, वंचितों के मसीहा थे। ये Technology उसकी सबसे बड़ी ताकत; गरीब से गरीब को Empower करने की ताकत इसमें पड़ी हुई है। ये भ्रम है कि ये पढ़े-लिखे अमीरों का खजाना है; जी नहीं, ये गरीबों का खजाना है। ये ताकत गरीब को देने वाला है, छोटे व्‍यापारी को देने वाला है, दूर-सुदूर गांव में रहने वाले किसान को देने वाला है, जंगलों में जिंदगी गुजारने वाले आदिवासी को देने वाला है, और इसलिए इसका नाम उस महापुरुष के साथ जोड़ा है, जिन्‍होंने अपनी जिंदगी दलित‍, पीडि़त, शोषित, वंचित आदिवासियों के लिए खपा दी।

शुरू में कभी-कभी लगता है, आज भी दुनिया के कई समृद्ध देश हैं, पढ़े-लिखे Forward Country हैं, उनको जब पता चलता है कि हिन्‍दुस्‍तान में करोड़ों लोग बटन दबा करके वोटिंग करते हैं और जब counting होता है तो दो घंटे में तो रिजल्‍ट आना शुरू हो जाते हैं, तो दुनिया के कई देशों को अचरज होता है कि अभी तक हम जो चुनाव होता है तो मतपत्र प्रिंट करते हैं, गांव गांव मतदान करने लोग आते हैं, ठप्‍पा मारते हैं, फिर बक्‍से में डालते हैं, फिर हम लोग उसका Division करते हैं, Separation करते हैं, उसके बाद counting करते हैं, हमारे यहां तो हफ्ता-हफ्ता लग जाता है। जिस देश को अनपढ़ कहा जाता है, जिस देश के नागरिकों को; उनकी समझ पर कुछ लोग सवालिया निशान उठाते हैं, वो देश दुनिया के सामने गर्व कर सकता है कि Electronic Voting Machine के द्वारा दुनिया में revolution लाने वाले हम लोग हैं और हम इतनी बड़ी मात्रा में सफलतापूर्वक करते हैं।

कभी-कभी मैं हैरान हूं, कुछ लोग होते हैं, कुछ लोग होते हैं जिनके दिलो दिमाग में निराशा से ही उनका जीवन आरंभ होता है, उनका सुबह भी निराशा से होती है। ऐसे निराशावादी लोगों के लिए अभी तो कोई औषध available नहीं है। तो ये निराशावादी लोगों को उनकी निराशा उनको मुबारक। कोई कल्पना कर सकता है, हिन्‍दुस्‍तान में एक जमाना था; आप लोगों ने पुराने जमाने की movie देखी होगी, तो share market में व्‍यापारी इकट्ठे हो करके चिल्‍लाते थे, ऐसे-ऐसे अंगुलियां कर करके वो अपना शेयर बाजार में दाम बोलते थे और उसको लिखने वाले फिर दूर से Tie करते हां, ये वो बोली बोल रहा है, वो ये बोली बोल रहा है; एक जमाना ऐसा था।

आपने देखा होगा पहले share market के अंदर कोई Investment करते थे तो बड़े बड़े Share certificate आते थे, उसको संभालना पड़ता था, घर में कोई ध्‍यान रखता था कि देखो share लिए थे तो क्‍या हुआ कोई दाम बढ़ा, कम हुआ? आज हिन्‍दुस्‍तान किस प्रकार से बदल को स्‍वीकार कर चुका है, करोड़ों करोड़ों लोग Stock Market से De mat Account से अपना पूरा कारोबार Online करते हैं, मध्‍यम और निम्‍न मध्‍यम वर्ग के लोग उसमें अपना Investment करते हैं, और वे कोई कागज का टुकड़ा नहीं, अरबों-खरबों रुपयों का कारोबार चल रहा है, लेकिन इस देश के अंदर; शायद हो सकता है आज मैंने कहा तो कुछ लोग जाग जाएंगे, खोजने के लिए जाएंगे कि मोदी जो कह रहा था सच है कि गलत है। क्‍या सचमुच में, सचमुच में शेयर बाजार के अंदर सब Online होता है क्‍या? क्‍योंकि अब तक किसी का ध्‍यान ही नहीं गया, ये हो चुका है, ये हो चुका है, लेकिन ध्‍यान नहीं गया। लेकिन इन दिनों जब मैं कहता हूं कि E-payment के लिए तो लोगों को लगता है ये कुछ नया लाया है मोदी, गड़बड़ लगता है। और इसलिए बड़े-बड़े लोग, ऊंचे-ऊंचे पदों पर रहे हुए लोग, वे भी अपने; बड़ी मृदु भाषा में बोलते हैं, Softly बोलते हैं, कि ये कैसे हो सकता है, देश अनपढ़ है, Mobile Phone कहां है; ऐसा बोलते हैं। इसलिए ये निराशा में पले-बढ़े लोगों के लिए मेरे पास कोई औषध नहीं है, लेकिन आशावादी लोगों के लिए मेरे पास हजारों अवसर हैं।

भाइयो, बहनों, आज कोई धोबी सोच सकता है क्‍या कि वो बैंक से लोन ले सकता है? कोई छोटा सा हज्‍जाम की दुकान चलाने वाला बाल काटने वाला व्‍यक्ति, वो सोच सकता है कि मुझे बैंक से लोन मिल सकता है? कोई अखबार की पस्‍ती इकट्ठी करने वाला या अखबार बेचने वाला सोच सकता है? वो कल्‍पना ही नहीं कर सकता कि बैंक में मैं जाऊंगा, पैसे मिल सकते हैं। सोच ही नहीं सकता, क्‍योंकि हमने हालत ऐसे बनाकर रख दिए हैं।

ये जो मैं Digital Payment की बात करता हूं, वो कैसा revolution लायेगा और जब ये BHIM, ये BHIM सामान नहीं है, आपके परिवार की वो आर्थिक महासत्‍ता बनने वाला है, कैसे? मान लीजिए धोबी आज, उसके पास लोग आते हैं, कपड़े drycleaning, ढिंगड़ा, फलाना कराके जाते हैं, शाम को वो 500-1000 रुपया कमा लेता है, घर ले जाता है अपना गल्‍ला, लेकिन जिस दिन वो Digital Payment लेना शुरू करेगा, तो उसका पूरा Track Record तैयार हो जाएगा, उसका Mobile Phone बोलेगा कि रोज का 800-1000 रुपये आते हैं, 100-200 रुपये बचते हैं, फिर उसको अगर बैंक से लोन लेगा होगा तो बैंक को कहेगा देखा भाई मेरे Mobile को चैक कर लीजिए, मेरे Account में इतना पैसों की लेन-देन चलती है। अब मुझे जरूरत है एक पांच हजार रुपया चाहिए, दे दीजिए। ये व्‍यवस्‍था ऐसी होगी कि आज उसको साहूकार के पास ऊंचे ब्‍याज से पांच हजार रुपया लेना पड़ता है, वो अपने Mobile Phone से वो दिन दूर नहीं होगा; 5 मिनट के भीतर-भीतर 5 हजार रुपये उसके खाते में मिल जाएंगे। ये E-banking की व्‍यवस्‍था develop होने वाली है, ये दिन दूर नहीं होगा दोस्‍तो। ये होने वाला है। और इस काम को आगे बढ़ाने के लिए एक Common Platform आज BHIM के रूप में देशवासियों को 2016 के साल के आखिर में जब मैं गया हूं तो एक प्रकार से 2017 का ये उत्‍तम से उत्‍तम ये नजराना मैं दे रहा हूं।

भाइयो, बहनों आज से तीन साल पहले के अखबार उठा लीजिए, पुराने अगर You tube पर जाएंगे, जो पुराने TV News के Clipping पड़े हों जो वो देख लीजिए, क्‍या आता है, कितना गया, कोयले में कितना गया, 2 G में कितना गया, हैं खबर यही रहती थी कितना गया। आज लोग देखें यार आज कितना आया। देखिए वक्‍त-वक्‍त की बात है। यही देश, यही लोग, यही कानून, यही सरकार, यही फाइलें, यही नियम; वो भी एक वक्‍त था जब गए की चर्चा होती थी, ये भी एक वक्‍त है आने की चर्चा हो रही है; लोग हिसाब लगा रहे हैं Monday को इतना आया Tuesday को कितना आया।

अगर भाइयो, बहनों देश के गरीबों के लिए अगर जज्‍बा हो, उनके प्रति समर्पण हो तो सब चीज अच्‍छी करने के लिए ईश्‍वर भी ताकत देता है। मैं हैरान हूं एक नेता ने बयान दिया, उन्‍होंने कहा खोदा डूंगर और निकाली चुहिया, भाई मुझे चुहिया ही निकालनी थी; वो ही तो सब खा जाती है चोरी-छुपी से। किसान मेहनत करके, किसान मेहनत करके अनाज का ढेर करे, दो चुहियां आ जाएं साहब, सब खत्‍म कर जाती हैं। तो जिस नेताजी ने जो कहा मैं उनका धन्‍यवाद करता हूं कि कम से कम सच तो बोले, ये चुहियां पकड़ने का ही काम है जो देश का, गरीब का धन खा जाते थे; वो चुहियां पकड़ने का ही काम है वो चल रहा है और तेज गति से चल रहा है।

भाइयो, बहनों, मैं इस समय Media के मित्रों का भी आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। आपको मालूम होगा जो चीज Media के लोग ठान लें तो उसका एक असर पैदा होता है। जब लोग लाल लाइट वाली गाडि़यों में घूमने के शौकीन हुआ करते थे तो Media वाले पीछे पड़ गए। कैमरा ले गए, अच्‍छा ये लाल लाइट लगा के बैठा है। धीरे-धीरे जिसको लाल लाइट का हक था ना वो भी डरने लगा यार छोड़ो। बहुत लोग थे सरकार कहे, कानून कहे Seat belt लगाओ, Seat Belt लगाओ, कोई नहीं लगाता था। Media वाले पीछे पड़ गए, कोई कार में बैठा है बड़ा आदमी; तो तुरंत निकालते थे, इसने Seat Belt नहीं लगाया, फिर दूसरे दिन टीवी पर दिखाते थे, तो उसकी मुंडी इतनी हो जाती थी। वो Seat belt का awareness आया।

कभी Helmet के लिए सरकार कहती है कि भाई जिंदगी बचाने के लिए जरा Helmet लगाओ, ये करो, सुनते नहीं; लेकिन Media के लोग कोई पुलिसवाला बिना Helmet जाता था तो पकड़ते थे टीवी पे और दिखाते थे तो वो फिर कांपने लगते थे। लोग भी जाते थे, दिखाई देखो ये जा रहा है। सरकार भी जागती थी, पुलिस भी जागती। ये, ये सेवा कम नहीं है जी, ये सेवा बहुत बड़ी है।

एक ऐसी जागरूकता आई, Even स्‍वच्‍छता का अभियान, कोई Media के लोग स्‍वच्‍छता रखनी चाहिए ये कहें अलग बात है, लेकिन मैंने देखा वो सुबह शाम उनके कैमरा के लोग उन जगह पर घूमते थे और कोई डालता था तुरंत पकड़ करके फिर उसका इंटरव्‍यू करते थे । तो फिर वो ऐसे भागता नहीं, नहीं मेरा इरादा नहीं था, मैंने देखा नहीं था। वो कहते थे देख दिखता है कि नहीं दिखता है; तो भागता था। देखिए मैं मानता हूं हमारे देश के Electronic Media ने, ऐसे तो मैं ढेर सारी चीजें गिना सकता हूं क्‍योंकि मैं आशावादी सोच वाला इंसान हूं तो मुझे उसमें से अच्‍छा-अच्‍छा दिखता है। कुछ लोगों को शिकायत करने का मन करता है कि ऐसा क्‍यों करते हैं; मुझे नहीं करता है। मुझे लगता है अच्‍छा करते हैं। और इसलिए आने वाले दिनों में Media बहुत बड़ी सेवा कर सकता है।

पिछले 50 दिनों देखा होगा आपने, मैं भाषण करता था कि Digital करना चाहिए, Mobile करना चाहिए तो मुझे दिखाते थे और बगल में कोई Pedal Rickshaw वाले को पूछते थे कि तेरे पास Mobile है? वो कहता था नहीं है। तुम Cashless जानते हो, बोले नहीं। फिर वो मुझे... ए मोदी! और उसके कारण सरकार को भी सोचना पड़ा कि हां भाई Feature Phone में भी किया जाना चाहिए, अंगूठे में भी banking आना चाहिए। आया कि नहीं आया? तो बोले Media को मैं Thank You कहूं कि ना कहूं? इसीलिए मैं उनको Thank You कहता हूं। लेकिन मुझे विश्‍वास है आप लोग चेत करके रहिए। अब Media वाले एक तारीख के बाद आपके हाथ में Mobile देखेंगे, कैमरा खड़ा करके पूछेंगे तेरे पास Mobile है; है। BHIM है Cash लेके क्‍यों घूम रहा है? पढ़े लिखे हो क्‍या कर रहे हो? आप देखना 2017 में Media के लोग आपको पूछने वाले हैं। सब हिन्‍दुस्‍तान वालों को पूछने वाले हैं कि दो-दो Mobile Phone ले करके घूम रहे हो, फिर भी तुम Cashless नहीं हो रहे हो? इसी से revolution आता है, क्रांति इसी से होती है। और मुझे विश्‍वास है कि देश विश्‍व के आधुनिक देशों की तुलना में technology के क्षेत्र में और technology के साथ Common man की connectivity, ये होके रहने वाला है।

भाइयो, बहनों! मैं साफ मत का हूं। हमारा देश ऐसे ही सोने की चिडि़या नहीं था। हमारा देश ऐसे ही सोने की चिडि़या में से गरीब नहीं बना है। हमारी अपनी कमियों के कारण, अपनी गलतियों के कारण, अपने गलत आचरण के कारण सोने की चिडि़या कहा जाने वाला देश गरीब देश की गिनती में आकर खड़ा हो गया। लेकिन इसका मतलब ये है कि आज भी इस देश में फिर एक बार सोने की चिडि़या बनने का Potential पड़ा हुआ है। इस सपने के साथ, इस विश्‍वास के साथ क्‍यों न हम, क्‍यों न हम देश के गरीबों को उनका हक दिलाएं, मध्‍यमवर्गीय लोगों का जो शोषण हो रहा है उसको रोकें। ईमानदारी के रास्‍ते पर देश चलना चाहता है, उसको हम बल दें।

भाइयो, बहनों! मैं जानता हूं, आज लोग इसका मूल्‍यांकन करने की न हिम्‍मत करेंगे, न ही शायद उतना सामर्थ्‍य होगा, लेकिन वो दिन दूर नहीं होगा जब इस सारे घटनाक्रम का मूल्‍यांकन होगा, इतिहास की तारीखों में जब मढ़ा जायेगा तब एक बात उजागर होने वाली है, हमारा देश; कभी कहा जाता था यूनान, मिस्र मिट गए, लेकिन क्या बात है कि हस्‍ती मिटती नहीं हमारी! ये वो कौन सी बात है? ये कौन सी बात है कि हस्‍ती हमारी मिटती नहीं!

भाइयो, बहनों! आप अपने कार्यकाल में भी देखा होगा, जो छोटी आयु के हैं उन्‍होंने भी देखा होगा, जब भी हमारे देश में कोई बाहरी हमला होता है, कोई बाहरी जुल्‍म होता है, कोई बाहर से कुछ कह देता है तो पूरा हिन्‍दुस्‍तान एकजुट हो करके उसके खिलाफ मुकाबला करने के लिए तैयार हो जाता है; ये हमने कई बार देखा है। लेकिन पहली बार इस देश ने इस बात को अनुभव किया है और जो इतिहास में स्‍वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा। ये देश अपनी अंदर की बुराइयों को खत्‍म करने के लिए एक हुआ दोस्‍तो! अपने आप से लड़ने के लिए एक हुआ! अपने आप से लड़ने के लिए आगे आया, अपनी बुराइयों को परास्‍त करने के लिए सवा सौ करोड़ देशवासी इतना कष्‍ट झेलने के‍ लिए आएं, त‍कलीफ के बाद भी हंसते हुए कहें।

भाइयो, बहनों! यही तो इस देश की ताकत है कि हम अपनी बुराइयों को खत्‍म करने के लिए खुद हो करके आगे आते हैं, समय मिलते ही निकल पड़ते हैं और करके रहते हैं। ये आठ तारीख के बाद देश ने इस का ताकत का दर्शन कराया है, जो देश की अनमोल ताकत है। अपनी बुराइयों के खिलाफ लड़ना ये सामान्‍य बात नहीं है। सवा सौ करोड़ देशवासी और ये भी सही है कि बुराईयां कुछ लोगों ने स्‍वेच्‍छा से स्‍वीकार की होंगी, कुछ लोग मजबूरन उसके शिकार हुए होंगे, लेकिन इच्‍छा-अनिच्‍छा से भी ये दीमक की तरह फैल गई है। और इसलिए दीमक की तरह फैली हुई बेईमानी की बीमारी समाज में भी कभी तो ऐसा लगता था कि लोग शायद इसे जीने की आदत बना लेंगे लेकिन आठ नवम्‍बर के बाद मैंने देखा कि लोग मौके की तलाश में थे। ऐसी जिंदगी उनको नहीं चाहिए। उनको ईमानदारी की जिंदगी चाहिए, उनको ईमानदारी का रास्‍ता चाहिए और ये देशवासियों ने, ये देशवासियों ने करके दिखाया है।

और भाइयो, बहनों! मैं विश्‍वास से कहता हूं ये जो सारी मेहनत हो रही है, और ये काम छोटा नहीं है; दुनिया को अचरज हो रहा है कि 86 percent currency एकदम से व्‍यवहार से निकल जाए, दुनिया आज इस पर सोच नहीं सकती, देश कैसा है! कैसे लोग हैं! और देखो जी रहे हैं! सोच रहे हैं आगे बढ़ना है। ये देश की कोई सामान्‍य ताकत नहीं है; और ये ताकत देशवासियों ने दिखाई है। और यही ताकत है जो आने वाले दिनों में देश को आगे ले जाने वाली है।

भाइयो, बहनों! और मेरा मत है, इस देश, इस देश के धन पर, इस देश की संपदा पर इस देश के गरीब का हक सबसे पहले होना चाहिए। गरीबी के खिलाफ लड़ाई नारों से नहीं होती है। आप देखिए, मैंने देशवासियों से एक प्रार्थना की थी, कहा था कि आप अगर आर्थिक रूप से अगर आपको ज्‍यादा नुकसान नहीं होता तो आप LPG की Subsidy छोड़ दीजिए।

ये देश जो कभी 9 सिलेंडर और 12 सिलेंडर पर 2014 के चुनाव का Agenda लेकर चल रहा था, एक पार्टी इस बात के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थी कि 9 सिलेंडर देंगे कि 12 सिलेंडर देंगे। जिस देश में पूरा चुनाव सिलेंडर की संख्‍या पर लड़ा गया हो, इस देश के अंदर एक सरकार आ करके लोगों को ये कहे कि Subsidy छोड़ दो, कितना बड़ा Contrast! हम आपको 12 सिलेंडर दे दो वोट दे दो, ये दूसरा ऐसा आया वो कहता है सिलेंडर की Subsidy छोड़ दो!

और मैं आज सिर झुका करके मेरे देशवासियों के सामने नमन करते हुए कहना चाहता हूं एक करोड़ बीस लाख लोगों से ज्‍यादा परिवारों ने अपनी Subsidy छोड़ दी। और मैंने वादा किया था कि आप जो Subsidy छोड़ रहे हैं, मैं उस गरीब मां को दूंगा, जिस गरीब मां को लकड़ी के चूल्‍हे से, धुंए के आग में अपने बच्‍चों के साथ गुजारा करना पड़ता है। उस गरीब मां को एक दिन में 400 सिगरेट का धुंआ अपने शरीर में लेना पड़ता है। उस मां के स्‍वास्‍थ्‍य का क्‍या होता होगा; आप अपनी Subsidy छोड़ दीजिए, मैं ये सिलेंडर उस गरीब मां को देना चाहता हूं जो लकड़ी का चूल्‍हा जला करके खाना पकाती है। और आज, आज मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं कि एक करोड़ बीस लाख लोगों ने Subsidy छोड़ी; अब तक डेढ़ करोड़ गरीब माताओं को गैस सिलेंडर हम दे चुके हैं। कहने का तात्‍पर्य ये है कि जो भी आ रहा है, अब जा नहीं रहा है। ये जो भी आ रहा है, गरीब के काम आने वाला है; गरीब की भलाई के लिए काम आने वाला है।

देश को बदलना है दोस्‍तों! देश के सामान्‍य मानवी की जिंदगी बदलेगी, तब देश बदलने वाला है। और जब मैं आज पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय की जन्‍म शताब्‍दी मना रहा हूं, और भारत सरकार ने गरीब कल्‍याण वर्ष के रूप में इसको मनाना तय किया है तब ये सारा परिश्रम गरीबों को समर्पित है; उनके कल्‍याण को समर्पित है; मध्‍यम वर्ग के व्‍यक्ति को उसका हक दिलाने के लिए समर्पित है; उनके शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए समर्पित है और मुझे विश्‍वास है कि देश ने जिस प्रकार से आशीर्वाद दिए हैं, कष्‍ट झेल करके आशीर्वाद दिए हैं; आने वाले दिनों में इस बदलाव के हकदार भी वही होने वाले हैं।

मैं फिर एक बार फिर उस ईनाम को प्राप्‍त करने वालों को बधाई देता हूं, मैं देशवासियों से आग्रह करता हूं कि 2017 के पहली जनवरी को आप कम से कम एक जनवरी से शुरू करिए, अगर आपके पास Mobile Phone है, Smart Phone है, कम से कम पांच लेनदेन तो करिए। हर हिन्‍दुस्‍तानी एक बार पांच लेनदेन करना देखें तो फिर उसको आदत हो जाएगी और देश Digital Moment को Lead कर जाएगा। मैं फिर एक बार सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।