Swami Vivekananda's powerful thoughts continue to shape several minds: PM Modi

Published By : Admin | January 12, 2017 | 17:41 IST
Swami Vivekananda's powerful thoughts continue to shape several minds: PM Modi
India today is a young country and it should develop both spiritually and materially: PM
India is a youthful nation. The thoughts of Swami Vivekananda inspire the youth towards nation building: PM
Unity in diversity is India's strength and countrymen should resolve to maintain oneness: PM
Poverty will be eliminated when the poor are empowered: PM Modi

Most respected Morari Bapu Ji, President of the Vivekananda Kendra Shri P Parmeshvaran Ji, My ministerial colleague Pon Radhakrishnan Ji , Swami Ji of the Vivekananda Ashram Chaitanyanand Ji, Balakrishna Ji, Bhanudas Ji, Vice President of the Vivekananda Kendra Nivedita Ji and my dear friends!

I would have loved to be in your midst but thanks to the power of technology, we are connected on this occasion. And, in any case, I am no guest but am a part of this family. I am one of your own.

12th January- this is no ordinary day. This is a day etched in history as a day when India was blessed with one of the greatest thinkers, a guiding light and a stalwart who took India’s message to the entire world. 

I offer my tributes to the revered Swami Vivekananda. He was a giant, whose powerful thoughts continue to shape several minds.

आज विवेकानंदपुरम में रामायण दर्शनम, भारत माता सदनम का लोकार्पण हो रहा है। हनुमानजी की 27 फीट ऊंची प्रतिमा की और वो भी एक ही पत्थर की बनी हुई स्थापित की जा रही है। आप लोगों ने इससे संबंधित जो वीडियो मुझे भेजा था, वो मैंने देखा है और इस वीडियो को देख कर मैं कह सकता हूं इसमें दिव्यता भी है-भव्यता भी है।

आज ही विवेकानंद केंद्र के संस्थापक स्वर्गीय एकनाथ रानडे जी के portrait का भी अनावरण हो रहा है। आप सभी को आज के इस आयोजन के लिए हृदय से बहुत बहुत बधाई देता हूं।

भाइयों और बहनों, आज आप लोग जिस स्थान पर हैं वह सामान्य स्थान नहीं है। यो भूमि इस राष्ट्र की तपोभूमि की तरह है। अगर हनुमान जी को अपना purpose of life मिला तो इसी धरती पर मिला। जब उन्हें जामवंत ने उनसे कहा था कि तुम्हारा तो जन्म ही भगवान श्री राम के कार्य के लिए हुआ है। इसी धरती पर मां पार्वती की कन्याकुमारी का उसको purpose of life मिला। यही वो धरती है जहां महान समाज सुधारक, संत थिरूवल्लूवर को दो हजार वर्ष पूर्व ज्ञान का अमृत मिला। यही वो धरती है जहां स्वामी विवेकानंद को भी जीवन का उद्देश्य प्राप्त हुआ। यहीं पर तप करने के बाद उन्हें जीवन का लक्ष्य और लक्ष्य प्राप्ति के लिए मार्ग दर्शन मिला था। यही वो जगह है जहां एकनाथ रानडे जी को भी अपने जीवन का, जीवन की जो यात्रा थी उसमें एक नया मोड़ मिला। एक नया लक्ष्य प्रस्थापित हुआ। उन्होंने अपना पूरा जीवन one life one mission के रूप में इसी कार्य के लिये आहुत कर दिया। इस पवित्र भूमि को इस तपो भूमि को मेरा सत् सत् वंदन है, मेरा नमन है।

साल 2014 में जब हम एकनाथ रानडे जी के जन्म शताब्दी मना रहे थे, तब मैंने कहा था- कि ये अवसर युवाओं के मन को जगाने का है। हमारा भारत युवा है- वो दिव्य भी बने और भव्य भी बने। आज दुनिया भारत से दिव्यता की अनुभूति की अपेक्षा कर रही है और भारत का गरीब, दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित ये भारत की भव्यता की अपेक्षा करता है। और विश्व के लिये दिव्यता तो देश के अंदर के लिये भव्यता और इन दोनों का मेल करके ही राष्ट्र निर्माण की दिशा में हमें आगे बढ़ना है।

भाइयों बहनों, आज भारत दुनिया का सबसे young country है। युवा देश है। 80 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या 35 वर्ष से कम age की है। स्वामी विवेकानंद आज हमारे बीच नहीं हैं साक्षात रूप में नहीं हैं लेकिन उनके विचारों में इतनी power है इतनी ताकत है इतनी प्रेरणा है कि देश के youth को संगठित करके nation building का रास्ता दिखा रही है।

एकनाथ रानडे जी ने युवाओं की इस शक्ति को एकजुट करने के लिए, विवेकानंद केंद्र और स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल की स्थापना की थी। एकनाथ रानडे जी कहते थे  कि हमें स्वामी विवेकानंद अच्छे लगते हैं सिर्फ इतने भर से कुछ नहीं होगा। देश के लिए स्वामी विवेकानंद ने जो कल्पना की है, उसे साकार करने के लिए वो सतत योगदान को भी important मानते थे।

एकनाथ जी ने जिस एक लक्ष्य के लिए पूरा जीवन लगा दिया था, वो था- स्वामी विवेकानंद जी जैसे युवकों का निर्माण। उन्होंने युवाओं में राष्ट्रनिर्माण के वही आदर्श स्थापित करने का हमेशा प्रयास किया, जो ethics जो Values स्वामी विवेकानंद जी के थे। मेरा ये बहुत बड़ा सौभाग्य रहा कि जीवन के अनेक वर्षों तक मुझे एकनाथ जी निकट के साथी के रूप में काम करने का अवसर मिला। इसी धरती पर कई बार आकर के उनके सानिध्य में जीवन को निखारने का मुझे अवसर मिलता था।  

एकनाथ जी के जन्मशती पर्व के दौरान ही तय हुआ था कि हमारे culture संस्कृति और हमारे thought process पर रामायण के प्रभाव को दर्शाती एक प्रदर्शनी शुरू की जाए। आज रामायण दर्शनम भव्य रूप में हम सभी के सामने है। और मुझे विश्वास है देश और दुनिया के जो यात्री रॉक मेमोरियल पर आते हैं। ये रामायण दर्शनम शायद उनको ज्यादा प्रेरित भी करेगा। प्रभावित भी करेगा। श्रीराम भारत के कण कण में हैं। जन जन के मन में हैं। और इसलिये जब हम श्रीराम के विषय में सोचते हैं, तो श्रीराम एक आदर्श पुत्र-भाई-पति,मित्र और आदर्श राजा थे। अयोध्या भी एक आदर्श नगर था तो रामराज्य एक आदर्श शासन व्यवस्था थी। इसलिए भगवान राम और उनके राज्य का आकर्षण समय-समय पर देश की महान शख्सियतों को अपने तरीके से रामायण की व्याख्या करने के लिए प्रेरित करता रहता है। इन व्याख्याओं की झलक अब रामायण दर्शनम में मिलेगी।

महाकवि कम्बन ने कंब रामायणम में कौशल राज्य को एक सुशासित राज्य बताया है। उन्होंने तमिल में जो लिखा, मैं उसका अंग्रेजी में अनुवाद अगर करूं तो उन्होंने लिखा था-

None were generous in that land as

None was needy;

None seemed brave as none defied;

Truth was unnoticed as there were no liars;

No learning stood out as all were learned.

Since no one in that City ever stopped learning

None was ignorant and none fully learned;

Since all alike had all the wealth

None was poor and none was rich.

 

ये कम्बन द्वारा रामराज्य का presentation है। महात्मा गांधी भी इन्हीं विशेषताओं की वजह से रामराज्य की बात करते थे। निश्चित तौर पर ये एक ऐसा शासन था, जहां व्यक्ति Person important नहीं होता, बल्कि Principle important  हुआ करते थे।

गोस्वामी तुलसीदास ने भी रामचरितमानस में रामराज्य का विस्तार से वर्णन किया है। रामराज्य यानि जहां कोई गरीब ना हो, दुःखी ना हो, कोई किसी से घृणा ना करता हो, जहां सभी स्वस्थ और सुशिक्षित हों। जहां प्रकृति और मनुष्य के बीच तालमेल हो। उन्होंने लिखा है-

 

दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज नहिं काहुहि व्यापा।

सब नर करहिं परस्पर प्रीती, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।

अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा,  सब सुंदर सब बिरुज सरीरा।

नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना,  नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना।

 

राम रावण को हरा कर बड़े नहीं बने। बल्कि राम तब राम बने जब उन्होंने उन लोगों को साथ लिया जव सर्वहारा थे। साधनहीन थे। उन्होंने उन लोगों का आत्म गौरव बहाल किया और उनमें विजय का विश्वास पैदा किया। भगवान राम के जीवन में उस भूमिका को स्वीकार नहीं किया जो उनके वंश द्वारा जो परम्पराएं थीं। एक एक वरों में कई बातें हमलोग जानते हैं। वो अयोध्या से बाहर निकले थे। अभी नगर की शरहद से भी बाहर नहीं निकले लेकिन पूरे विश्व को पूरी मानवता को अपने आप में समाहित करते हुए आदर्श क्या होता है मूल्य क्या होते हैं। मूल्यों के प्रति जीवन का समर्पण क्या होता है। उसे उन्होंने जीकर के दिखाया था। और इसलिये मैं समझता हूं कि ये रामाण दर्शनम ये अपने आप में विवेकानंदपुरम में एक प्रासंगिक और हम जानते हैं प्रगति के लिये समाज जितना सबल चाहिए राज्य भी सुराज्य होना चाहिए।

जब रामजी को देखते हैं तो व्यक्ति का विकास, व्यवस्था का विकास ये बातें सहज रूप से नजर आती हैं।

भाइयों बहनों, एकनाथजी भी हमेशा चाहते थे कि देश की spiritual power को जगाकर देश की कर्मशक्ति  या working power को constructive कार्यों में लगाया जाए। आज जब विवेकानंद केंद्र में हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना हो रही है, तो उनके इस कथन की inspiration का भी पता चलता है।

हनुमान जी यानी सेवा, हनुमान जी यानी समर्पण भक्ति का वो रूप था। जिसमें सेवा ही परम धर्म बन गया था। जब वो समुद्र को पार कर रहे थे तो मैनाक पर्वत उन्हें बीच में विश्राम देना चाहता था। लेकिन संकल्प सिद्धि से पहले हनुमान जी के लिए शिथिलता की कोई गुंजाइश नहीं थी। अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक उन्होंने आराम नहीं किया।

हनुमान जी के सेवाभाव पर भारत रत्न सी राजगोपालाचारी जी ने भी अपनी रामायण में लिखा है। जब हनुमानजी सीता माता से मिलकर वापस लौटते हैं, भगवान राम जी को माता के सकुशल होने की बात बताते हैं, तो राम जी कहते हैं-

"The deed done by Hanumaan none else in the world could even conceive of attempting-crossing the sea, entering Lanka protected by Raavana and his formidable hosts and accomplishing the task set him by his king not only fully but beyond the fondest hopes of all."

राज जी  कहा है कि हनुमान जी ने वो काम किया था, जिसकी कोई उम्मीद तक नहीं कर रहा था। कठिनाइयों के जिस समंदर को हनुमान जी ने पार किया था, वो कोई सोच भी नहीं सकता था।

और इसलिये भाइयों बहनों, हम भी जब सबका साथ सबका विकास ये Guiding Principal पर चल रहे हैं। चाहे गरीब से गरीब व्यक्ति के लिये जनधन योजना के जरिये गरीबों को बैंकिंग व्यवस्था के साथ जोड़ा जाए आज गरीब के पास एक व्यवस्था कर के हमने आगे बढ़ने का प्रयास किया था। और इसलिये बीमा कराने का विकल्प है। किसानों को इसका लाभ मिला है। किसानों को सबसे कम प्रीमियम पर फसल बीमा योजना दी गई है। बेटियों को बचाने के लिए उन्हें पढ़ाने के लिये अभियान चला रहे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ। गर्भवती महिलाओं को आर्थिक मदद के लिये देशव्यापी योजना बनाई गई है। 5 करोड़ परिवार जो लकड़ी का चूल्हा जलाकर माताएं खाना पकाती थीं। और एक दिन में चार सौ सिगरेट का धुंआ खाना पकाने से लड़की के चूल्हे से उस मां के शरीर में जाता था। उन माताओं को अच्छा स्वास्थ्य मिले। प्राथमिक सुविधा मिले। 5 करोड़ परिवारों में gas connection का बीड़ा उठाया और डेढ़ करोड़ दे चुके हैं।

 

दलित, पीड़ित, वंचित की सेवा यही तो जन सेवा प्रभु सेवा का मंत्र देती है। हमारे देश के दलित नौजवानों को stand-up india, start-up india के जरिए empower किया जा रहा है। छोटे कारोबारियों को कम ब्याज पर कर्ज मिल सके, इसलिए मुद्रा योजना चलाई गई है। गरीब की गरीबी तभी दूर होगी जब उसे empower किया जाए। जब गरीब सशक्त होगा, तो स्वयं गरीबी को प्रास्त करके रहेगा। और गरीबी से मुक्ति का वो आनन्द लेगा और एक नई ताकत के साथ वो आगे बढ़ेगा।

रामायण में जब भगवान राम और भरत के बीच शासन को लेकर संवाद हो रहा था तब भगवान राम ने भरत से कहा था-

कच्चिद् अर्थम् विनिश्चित्य लघु मूलम् महा उदयम् |
क्षिप्रम् आरभसे कर्तुम् न दीर्घयसि राघव ||

यानि- हे भरत, ऐसी योजनाएं लागू करो जिनसे कम से कम व्यय में ज्यादा से ज्यादा लोगों का फायदा हो। रामजी ने भरत से ये भी कहा कि इन योजनाओं को लागू करने में बिल्कुल भी देरी ना की जाए।

आयः ते विपुलः कच्चित् कच्चिद् अल्पतरो व्ययः |
अपात्रेषु न ते कच्चित् कोशो गग्च्छति राघव ||

यानि भरत, इस बात का ध्यान रखना की आय ज्यादा हो और खर्च कम। वो इस बात की भी हिदायत देते हैं कि अपात्रों या undeserving को राज्य कोष का फायदा ना मिले।

अपात्रों से सरकारी खजाने को बचाना भी सरकार की कार्यसंस्कृति का हिस्सा है। आपने देखा होगा हमने आधार कार्ड से लिंक करके बैंक अकाउंट में सीधे आर्थिक सहायता ट्रांसफर करना, फर्जी राशनकार्ड वालों को हटाना, फर्जी गैस कनेक्शन वालों को हटाना, फर्जी टीचरों को हटाना, दूसरों का अधिकार छीनने वालों को हटाना, ये सब इस सरकार ने मिशन मोड में लिया है।

 

भाइयों बहनों, आज ही भारतमाता सदन में पंचलौह से बनी मां भारती की प्रतिमा का अनावरण भी हो रहा है। मां भारती के इस प्रतीक का लोकार्पण सौभाग्य की बात है। जो भी व्यक्तिगण इस विशेष यज्ञ में जुटे थे, उन सभी का मैं इस पुण्य कार्य के लिए अभिवादन करता हूं।

साथियों, मैं विवेकानंद रॉक मेमोरियल के समीप बनी संत थिरूवल्लूवर की प्रतिमा को भी प्रणाम कर रहा हूं। थिरूवल्लूवर जो सूत्रवाक्य, जो मंत्र दे गए थे, वो आज भी उतने ही सटीक हैं, relevant हैं। नौजवानों के लिए उनकी सीख थी-

“In sandy soil, when deep you delve, you reach the springs below; The more you learn, the freer streams of wisdom flow.” 

यानि रेतीली धरती में जितना गहरा आप खोदते जाएंगे, एक दिन पानी तक जरूर पहुंचेंगे। ठीक वैसे ही जैसे आप जितना ज्यादा सीखते जाएंगे एक दिन ज्ञान की, बुद्धिमत्ता की गंगा तक अवश्य पहुंचेंगे।

आज युवा दिवस पर मेरा देश के नौजवानों से आह्वान है- सीखने की इस प्रक्रिया को, learning के process को कभी मत रुकने दीजिए। अपने भीतर के इस विद्यार्थी को कभी मरने मत दीजिये। जितना आप सीखेंगे, जितनी आप अपनी spiritual power को develop करेंगे, जितना आप अपनी skills को develop करेंगे, उतना ही आप का भी विकास होगा और देश का भी।

कुछ लोग spiritual power की जब बात आती है तो उसको समझ नहीं पाते हैं उसको पंथ के दायरे में देखते हैं। लेकिन spiritual power ये पंथ से परा है बंधनों से परा है। इसका सीधा संबंध मानवीय मूल्यों से है। दैविक शक्ति से है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति और इसी धरती के सपूत डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम कहा करते थे-

 

“Spirituality to me is the way we relate to God and the Divine. Staying connected with our spiritual life keep us grounded and always be reminded of the value of life and important values such as honesty, loving our neighbours, and many other important traits that will make the workplace a positive environment”. 

मुझे खुशी है कि पिछले कई दशकों से विवेकानंद केंद्र इसी दिशा में प्रयास भी कर रहा है। आज विवेकानंद केंद्र की दो सौ से ज्यादा ब्रांच हैं। देशभर में 800 से ज्यादा जगहों पर केंद्र के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण भारत और संस्कृति जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लगातार काम कर रहा है।

पटना से लेकर पोर्ट ब्लेयर तक, अरुणाचल प्रदेश के कार्बी आंग्लांग से लेकर कश्मीर के अनंतनाग तक, रामेश्वरम से लेकर राजकोट तक उसकी उपस्थिति है। दूर-दराज वाले इलाको में लगभग 28 हजार छात्रों को इस केंद्र के जरिए शिक्षा दी जा रही है।

मैं विशेष तौर पर उत्तर पूर्व के राज्यों में विवेकानंद केंद्र के कार्यों की सराहना करना चाहूंगा। एकनाथ जी के रहते ही अरुणाचल प्रदेश में 7 रिहाइशी स्कूल खुले थे। आज उत्तर पूर्व में 50 से ज्यादा जगहों पर विवेकानंद केंद्र सामाजिक कार्यों से जुड़ा है।

अनगिनत छात्र, आईआईटी स्टूडेंट, डॉक्टर और कई प्रोफेशनल्स स्वेच्छा से विवेकानंद केंद्रों में सेवाव्रती के तौर पर काम करते हैं। इसके लिए उन्हें किसी प्रकार की सैलरी नहीं दी जाती, बल्कि यह सब सेवा भाव से किया जाता है। मैं मानता हूँ कि निःस्वार्थ भाव से समाज की सेवा के लिए ये सेवाव्रती हम सभी के लिए प्रेरणा हैं। सामान्य जीवन को जीते हुए समाज सेवा का आदर्श उदाहरण है। देश के युवाओं के लिए एक दिशा है, एक मार्ग है।

विवेकानंद केंद्र से जुड़े लोग आज राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि ये केंद्र आने वाली पीढ़ियों में इसी तरह नए विवेकानंद का निर्माण करता रहेगा।

आज हर वो व्यक्ति जो राष्ट्र निर्माण में pro-active होकर अपनी duty निभा रहा है, वो विवेकानंद है। हर वो व्यक्ति जो दलित-पीड़ित-शोषित और वंचितों के development के लिए काम कर रहा है, वो विवेकानंद है। हर वो व्यक्ति जो अपनी energy को, अपने ideas, अपने innovation को समाज के हित में लगा रहा है, वो विवेकानंद है।

आप सभी जिस मिशन में जुटे हैं, वो मानवता के लिए, हमारे समाज के लिए, हमारे देश के लिए एक बड़ी तपस्या की तरह है। आप ऐसे ही भाव से देश की सेवा करते रहें, यही कामना है।

विवेकानंद जी के जन्मदिवस पर, युवा दिवस पर आप सभी को एक बार फिर बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बापू को मेरा जय श्रीराम, और वहां परमेश्वरम जी वगैरह सब को नमन करते हुए मैं मेरी वाणी को विराम देता हूं। और मुझे विश्वास है जैसा मुझे निमंत्रण दिया गया कन्याकुमारी आने के लिये। मेरा अपना घर है ये। देखता हूं कब मौका मिलता है दौड़ता रहता हूं। दौड़ते – दौड़ते कभी एकाद बार बीच में मौका मिल जाएगा। मैं जरूर वहां उस धरती को नमन करने के लिये आ जाऊंगा। आपके बीच कुछ समय बिताऊंगा। मुझे इस अवसर पर मैं वहां रुबरू नहीं आ सका इसका खेद है लेकिन फिर भी दूर से सही। यहां दिल्ली में ठंड है वहां गर्मी है। इन दो के बीच हम नई ऊर्जा और उमंग के साथ आगे बढ़ेंगे। इसी विश्वास के साथ आप सब को इस पावन पर्व पर बहुत बहुत शुभकामनाएं। बहुत बहुत धन्यवाद। 

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Text of PM Modi's address to the Indian Community in Guyana
November 22, 2024
The Indian diaspora in Guyana has made an impact across many sectors and contributed to Guyana’s development: PM
You can take an Indian out of India, but you cannot take India out of an Indian: PM
Three things, in particular, connect India and Guyana deeply,Culture, cuisine and cricket: PM
India's journey over the past decade has been one of scale, speed and sustainability: PM
India’s growth has not only been inspirational but also inclusive: PM
I always call our diaspora the Rashtradoots,They are Ambassadors of Indian culture and values: PM

Your Excellency President Irfan Ali,
Prime Minister Mark Philips,
Vice President Bharrat Jagdeo,
Former President Donald Ramotar,
Members of the Guyanese Cabinet,
Members of the Indo-Guyanese Community,

Ladies and Gentlemen,

Namaskar!

Seetaram !

I am delighted to be with all of you today.First of all, I want to thank President Irfan Ali for joining us.I am deeply touched by the love and affection given to me since my arrival.I thank President Ali for opening the doors of his home to me.

I thank his family for their warmth and kindness. The spirit of hospitality is at the heart of our culture. I could feel that, over the last two days. With President Ali and his grandmother, we also planted a tree. It is part of our initiative, "Ek Ped Maa Ke Naam", that is, "a tree for mother”. It was an emotional moment that I will always remember.

Friends,

I was deeply honoured to receive the ‘Order of Excellence’, the highest national award of Guyana. I thank the people of Guyana for this gesture. This is an honour of 1.4 billion Indians. It is the recognition of the 3 lakh strong Indo-Guyanese community and their contributions to the development of Guyana.

Friends,

I have great memories of visiting your wonderful country over two decades ago. At that time, I held no official position. I came to Guyana as a traveller, full of curiosity. Now, I have returned to this land of many rivers as the Prime Minister of India. A lot of things have changed between then and now. But the love and affection of my Guyanese brothers and sisters remains the same! My experience has reaffirmed - you can take an Indian out of India, but you cannot take India out of an Indian.

Friends,

Today, I visited the India Arrival Monument. It brings to life, the long and difficult journey of your ancestors nearly two centuries ago. They came from different parts of India. They brought with them different cultures, languages and traditions. Over time, they made this new land their home. Today, these languages, stories and traditions are part of the rich culture of Guyana.

I salute the spirit of the Indo-Guyanese community. You fought for freedom and democracy. You have worked to make Guyana one of the fastest growing economies. From humble beginnings you have risen to the top. Shri Cheddi Jagan used to say: "It matters not what a person is born, but who they choose to be.”He also lived these words. The son of a family of labourers, he went on to become a leader of global stature.

President Irfan Ali, Vice President Bharrat Jagdeo, former President Donald Ramotar, they are all Ambassadors of the Indo Guyanese community. Joseph Ruhomon, one of the earliest Indo-Guyanese intellectuals, Ramcharitar Lalla, one of the first Indo-Guyanese poets, Shana Yardan, the renowned woman poet, Many such Indo-Guyanese made an impact on academics and arts, music and medicine.

Friends,

Our commonalities provide a strong foundation to our friendship. Three things, in particular, connect India and Guyana deeply. Culture, cuisine and cricket! Just a couple of weeks ago, I am sure you all celebrated Diwali. And in a few months, when India celebrates Holi, Guyana will celebrate Phagwa.

This year, the Diwali was special as Ram Lalla returned to Ayodhya after 500 years. People in India remember that the holy water and shilas from Guyana were also sent to build the Ram Mandir in Ayodhya. Despite being oceans apart, your cultural connection with Mother India is strong.

I could feel this when I visited the Arya Samaj Monument and Saraswati Vidya Niketan School earlier today. Both India and Guyana are proud of our rich and diverse culture. We see diversity as something to be celebrated, not just accommodated. Our countries are showing how cultural diversity is our strength.

Friends,

Wherever people of India go, they take one important thing along with them. The food! The Indo-Guyanese community also has a unique food tradition which has both Indian and Guyanese elements. I am aware that Dhal Puri is popular here! The seven-curry meal that I had at President Ali’s home was delicious. It will remain a fond memory for me.

Friends,

The love for cricket also binds our nations strongly. It is not just a sport. It is a way of life, deeply embedded in our national identity. The Providence National Cricket Stadium in Guyana stands as a symbol of our friendship.

Kanhai, Kalicharan, Chanderpaul are all well-known names in India. Clive Lloyd and his team have been a favourite of many generations. Young players from this region also have a huge fan base in India. Some of these great cricketers are here with us today. Many of our cricket fans enjoyed the T-20 World Cup that you hosted this year.

Your cheers for the ‘Team in Blue’ at their match in Guyana could be heard even back home in India!

Friends,

This morning, I had the honour of addressing the Guyanese Parliament. Coming from the Mother of Democracy, I felt the spiritual connect with one of the most vibrant democracies in the Caribbean region. We have a shared history that binds us together. Common struggle against colonial rule, love for democratic values, And, respect for diversity.

We have a shared future that we want to create. Aspirations for growth and development, Commitment towards economy and ecology, And, belief in a just and inclusive world order.

Friends,

I know the people of Guyana are well-wishers of India. You would be closely watching the progress being made in India. India’s journey over the past decade has been one of scale, speed and sustainability.

In just 10 years, India has grown from the tenth largest economy to the fifth largest. And, soon, we will become the third-largest. Our youth have made us the third largest start-up ecosystem in the world. India is a global hub for e-commerce, AI, fintech, agriculture, technology and more.

We have reached Mars and the Moon. From highways to i-ways, airways to railways, we are building state of art infrastructure. We have a strong service sector. Now, we are also becoming stronger in manufacturing. India has become the second largest mobile manufacturer in the world.

Friends,

India’s growth has not only been inspirational but also inclusive. Our digital public infrastructure is empowering the poor. We opened over 500 million bank accounts for the people. We connected these bank accounts with digital identity and mobiles. Due to this, people receive assistance directly in their bank accounts. Ayushman Bharat is the world’s largest free health insurance scheme. It is benefiting over 500 million people.

We have built over 30 million homes for those in need. In just one decade, we have lifted 250 million people out of poverty. Even among the poor, our initiatives have benefited women the most. Millions of women are becoming grassroots entrepreneurs, generating jobs and opportunities.

Friends,

While all this massive growth was happening, we also focused on sustainability. In just a decade, our solar energy capacity grew 30-fold ! Can you imagine ?We have moved towards green mobility, with 20 percent ethanol blending in petrol.

At the international level too, we have played a central role in many initiatives to combat climate change. The International Solar Alliance, The Global Biofuels Alliance, The Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, Many of these initiatives have a special focus on empowering the Global South.

We have also championed the International Big Cat Alliance. Guyana, with its majestic Jaguars, also stands to benefit from this.

Friends,

Last year, we had hosted President Irfaan Ali as the Chief Guest of the Pravasi Bhartiya Divas. We also received Prime Minister Mark Phillips and Vice President Bharrat Jagdeo in India. Together, we have worked to strengthen bilateral cooperation in many areas.

Today, we have agreed to widen the scope of our collaboration -from energy to enterprise,Ayurveda to agriculture, infrastructure to innovation, healthcare to human resources, anddata to development. Our partnership also holds significant value for the wider region. The second India-CARICOM summit held yesterday is testament to the same.

As members of the United Nations, we both believe in reformed multilateralism. As developing countries, we understand the power of the Global South. We seek strategic autonomy and support inclusive development. We prioritize sustainable development and climate justice. And, we continue to call for dialogue and diplomacy to address global crises.

Friends,

I always call our diaspora the Rashtradoots. An Ambassador is a Rajdoot, but for me you are all Rashtradoots. They are Ambassadors of Indian culture and values. It is said that no worldly pleasure can compare to the comfort of a mother’s lap.

You, the Indo-Guyanese community, are doubly blessed. You have Guyana as your motherland and Bharat Mata as your ancestral land. Today, when India is a land of opportunities, each one of you can play a bigger role in connecting our two countries.

Friends,

Bharat Ko Janiye Quiz has been launched. I call upon you to participate. Also encourage your friends from Guyana. It will be a good opportunity to understand India, its values, culture and diversity.

Friends,

Next year, from 13 January to 26 February, Maha Kumbh will be held at Prayagraj. I invite you to attend this gathering with families and friends. You can travel to Basti or Gonda, from where many of you came. You can also visit the Ram Temple at Ayodhya. There is another invite.

It is for the Pravasi Bharatiya Divas that will be held in Bhubaneshwar in January. If you come, you can also take the blessings of Mahaprabhu Jagannath in Puri. Now with so many events and invitations, I hope to see many of you in India soon. Once again, thank you all for the love and affection you have shown me.

Thank you.
Thank you very much.

And special thanks to my friend Ali. Thanks a lot.