The student in us should always be alive: PM Modi at Banaras Hindu University

Published By : Admin | February 22, 2016 | 18:49 IST
QuotePeople who studied here have contributed through various ways, be it as a doctor, a teacher, a civil servant: PM at BHU
QuoteI congratulate those who were conferred their degrees today. I also convey my good wishes to their parents: PM Modi
QuoteThe student is us has to be alive always: PM Narendra Modi
QuoteBeing inquisitive is good. We must have the thirst for knowledge: PM Modi
QuoteAfter you receive your certificate, the way the world will look at you changes: PM Modi to students at the BHU convocation
QuoteWorld faces several challenges. We should think about what role India can play in overcoming these challenges: PM

सभी विद्यार्थी दोस्‍तों और उनके अभिभावकों, यहां के सभी faculty के members, उपस्थित सभी महानुभाव!

दीक्षांत समारोह में जाने का अवसर पहले भी मिला है। कई स्‍थानों पर जाने का अवसर मिला है लेकिन एक विश्‍वविद्यालय की शताब्‍दी के समय दीक्षांत समारोह में जाने का सौभाग्‍य कुछ और ही होता है। मैं भारत रत्‍न महामना जी के चरणों में वंदन करता हूं कि 100 वर्ष पूर्व जिस बीज उन्‍होंने बोया था वो आज इतना बड़ा विराट, ज्ञान का, विज्ञान का, प्रेरणा का एक वृक्ष बन गया।

दीर्घदृष्‍टा महापुरुष कौन होते हैं, कैसे होते हैं? हमारे कालखंड में हम समकक्ष व्‍यक्ति को कभी कहें कि यह बड़े दीर्घदृष्‍टा है, बड़े visionary है तो ज्‍यादा समझ में नहीं आता है कि यह दीर्घदृष्‍टा क्‍या होता है visionary क्‍या होता है। लेकिन 100 साल पहले महामना जी के इस कार्य को देखें तो पता चलता है कि दीर्घदृष्‍टा किसे कहते हैं, visionary किसे कहते हैं। गुलामी के उस कालखंड में राष्‍ट्र के भावी सपनों को हृदयस्‍थ करना और सिर्फ यह देश कैसा हो, आजाद हिंदुस्‍तान का रूप-रंग क्‍या हो, यह सिर्फ सपने नहीं है लेकिन उन सपनों को पूरा करने के लिए सबसे प्राथमिक आवश्‍यकता क्‍या हो सकती है? और वो है उन सपनों को साकार करे, ऐसे जैसे मानव समुदाय को तैयार करना है। ऐसे सामर्थ्‍यवान, ऐसे समर्पित मानवों की श्रृंखला, शिक्षा और संस्कार के माध्‍यम से ही हो सकती है और उस बात की पूर्ति को करने के लिए महामना जी ने यह विश्‍वविद्यालय का सपना देखा।

अंग्रेज यहां शासन करते थे, वे भी यूनिवर्सिटियों का निर्माण कर रहे थे। लेकिन ज्‍यादातर presidencies में, चाहे कोलकाता है, मुंबई हो, ऐसे स्‍थान पर ही वो प्रयास करते हैं। अब उस प्रकार से मनुष्‍यों का निर्माण करना चाहते थे, कि जिससे उनका कारोबार लंबे समय तक चलता रहे। महामना जी उन महापुरुषों को तैयार करना चाहते थे कि वे भारत की महान परंपराओं को संजोए हुए, राष्‍ट्र के निर्माण में भारत की आजादी के लिए योग्‍य, सामर्थ्‍य के साथ खड़े रहे और ज्ञान के अधिष्‍ठान पर खड़े रहें। संस्‍कारों की सरिता को लेकर के आगे बढ़े, यह सपना महामना जी ने देखा था।

जो काम महामना जी ने किया, उसके करीब 15-16 साल के बाद यह काम महात्‍मा गांधी ने गुजरात विद्यापीठ के रूप में किया था। करीब-करीब दोनों देश के लिए कुछ करने वाले नौजवान तैयार करना चाहते थे। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि महामना जी ने जिस बीज को बोया था, उसको पूरी शताब्‍दी तक कितने श्रेष्‍ठ महानुभावों ने, कितने समर्पित शिक्षाविदों ने अपना ज्ञान, अपना पुरूषार्थ, अपना पसीना इस धरती पर खपा दिया था। एक प्रकार से जीवन के जीवन खपा दिये, पीढ़ियां खप गई। इन अनगिनत महापुरूषों के पुरूषार्थ का परिणाम है कि आज हम इस विशाल वट-वृक्ष की छाया में ज्ञान अर्जित करने के सौभाग्‍य बने हैं। और इसलिए महामना जी के प्रति आदर के साथ-साथ इस पूरी शताब्‍दी के दरमियान इस महान कार्य को आगे बढ़ाने में जिन-जिन का योगदान है, जिस-जिस प्रकार का योगदान है जिस-जिस समय का योगदान है, उन सभी महानुभवों को मैं आज नमन करता हूं।

एक शताब्‍दी में लाखों युवक यहां से निकले हैं। इन युवक-युवतियों ने करीब-करीब गत 100 वर्ष में दरमियान जीवन के किसी न किसी क्षेत्र में जा करके अपना योगदान दिया है। कोई डॉक्‍टर बने हुए होंगे, कोई इंजीनियर बने होंगे, कोई टीचर बने होंगे, कोई प्रोफेसर बने होंगे, कोई सिविल सर्विस में गये होंगे, कोई उद्योगकार बने हुए होंगे और भारत में शायद एक कालखंड ऐसा था कि कोई व्‍यक्ति कहीं पर भी पहुंचे, जीवन के किसी भी ऊंचाई पर पहुंचे जिस काम को करता है, उस काम के कारण कितनी ही प्रतिष्‍ठा प्राप्‍त क्‍यों न हो, लेकिन जब वो अपना परिचय करवाता था, तो सीना तानकर के कहता था कि मैं BHU का Student हूं।

मेरे नौजवान साथियों एक शताब्‍दी तक जिस धरती पर से लाखों नौजवान तैयार हुए हो और वे जहां गये वहां BHU से अपना नाता कभी टूटने नहीं दिया हो, इतना ही नहीं अपने काम की सफलता को भी उन्‍होंने BHU को समर्पित करने में कभी संकोच नहीं किया। यह बहुत कम होता है क्‍योंकि वो जीवन में जब ऊंचाइयां प्राप्‍त करता है तो उसको लगता है कि मैंने पाया है, मेरे पुरुषार्थ से हुआ, मेरी इस खोज के कारण हुआ, मेरे इस Innovation के कारण हुआ। लेकिन ये BHU है कि जिससे 100 साल तक निकले हुए विद्यार्थियों ने एक स्‍वर से कहा है जहां गये वहां कहा है कि यह सब BHU के बदौलत हो रहा है।

एक संस्‍था की ताकत क्‍या होती है। एक शिक्षाधाम व्‍यक्ति के जीवन को कहां से कहां पहुंचा सकता है और सारी सिद्धियों के बावजूद भी जीवन में BHU हो सके alumni होने का गर्व करता हो, मैं समझता हूं यह बहुत बड़ी बात है, बहुत बड़ी बात है। लेकिन कभी-कभी सवाल होता है कि BHU का विद्यार्थी तो BHU के गौरव प्रदान करता है लेकिन क्‍या भारत के कोने-कोने में, सवा सौ करोड़ देशवासियों के दिल में यह BHU के प्रति वो श्रद्धा भाव पैदा हुआ है क्‍या? वो कौन-सी कार्यशैलियां आई, वो कौन से विचार प्रवाह आये, वो कौन-सी दुविधा आई जिसने इतनी महान परंपरा, महान संस्‍था को हिंदुस्‍तान के जन-जन तक पहुंचाने में कहीं न कहीं संकोच किया है। आज समय की मांग है कि न सिर्फ हिंदुस्‍तान, दुनिया देखें कि भारत की धरती पर कभी सदियों पहले हम जिस नालंदा, तक्षशिला बल्लभी उसका गर्व करते थे, आने वाले दिनों में हम BHU का भी हिंदुस्‍तानी के नाते गर्व करते हैं। यह भारत की विरासत है, भारत की अमानत है, शताब्दियों के पुरुषार्थ से निकली हुई अमानत है। लक्षाविद लोगों की तपस्‍या का परिणाम है कि आज BHU यहां खड़ा है और इसलिए यह भाव अपनत्‍व, अपनी बातों का, अपनी परंपरा का गौरव करना और हिम्‍मत के साथ करना और दुनिया को सत्‍य समझाने के लिए सामर्थ्‍य के साथ करना, यही तो भारत से दुनिया की अपेक्षा है।

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मैं कभी-कभी सोचता हूं योग। योग, यह कोई नई चीज नहीं है। भारत में सदियों से योग की परंपरा चली आ रही है। सामान्‍य मानविकी व्‍यक्तिगत रूप से योग के आकर्षित भी हुआ है। दुनिया के अलग-अलग कोने में, योग को अलग-अलग रूप में जिज्ञासा से देखा भी गया है। लेकिन हम उस मानसिकता में जीते थे कि कभी हमें लगता नहीं था कि हमारे योग में वह सामर्थ्‍य हैं जो दुनिया को अपना कर सकता है। पिछले साल जब United nation ने योग को अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस के रूप में स्‍वीकार किया। दुनिया के 192 Country उसके साथ जुड़ गये और विश्‍व ने गौरव ज्ञान किया, विश्‍व ने उसके साथ जुड़ने का आनंद लिया। अगर अपने पास जो है उसके प्रति हम गौरव करेंगे तो दुनिया हमारे साथ चलने के लिए तैयार होती हैं। यह विश्‍वास, ज्ञान के अधिष्‍ठान पर जब खड़ा रहता है, हर विचार की कसौटी पर कसा गया होता है, तब उसकी स्‍वीकृति और अधिक बन जाती है। BHU के द्वारा यह निरंतर प्रयास चला आ रहा है।

आज जिन छात्रों का हमें सम्‍मान करने का अवसर मिला, मैं उनको, उनके परिवार जनों को हृदय से बधाई देता हूं। जिन छात्रों को आज अपनी शिक्षा की पूर्ति के बाद दीक्षांत समारोह में डिग्रियां प्राप्‍त हुई हैं, उन सभी छात्रों का भी मैं हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। यह दीक्षांत समारोह है, हम यह कभी भी मन में न लाएं कि यह शिक्षांत समारोह है। कभी-कभी तो मुझे लगता है दीक्षांत समारोह सही अर्थ में शिक्षा के आरंभ का समारोह होना चाहिए। यह शिक्षा के अंत का समारोह नहीं है और यही दीक्षांत समारोह का सबसे बड़ा संदेश होता है कि हमें अगर जिन्‍दगी में सफलता पानी है, हमें अगर जिन्‍दगी में बदलते युग के साथ अपने आप को समकक्ष बनाए रखना है तो उसकी पहली शर्त होती है – हमारे भीतर का जो विद्यार्थी है वो कभी मुरझा नहीं जाना चाहिए, वो कभी मरना नहीं चाहिए। दुनिया में वो ही इस विशाल जगत को, इस विशाल व्‍यवस्‍था को अनगिनत आयामों को पा सकता है, कुछ मात्रा में पा सकता है जो जीवन के अंत काल तक विद्यार्थी रहने की कोशिश करता है, उसके भीतर का विद्यार्थी जिन्‍दा रहता है।

आज जब हम दीक्षांत समारोह से निकल रहे हैं तब, हमारे सामने एक विशाल विश्‍व है। पहले तो हम यह कुछ square किलोमीटर के विश्‍व में गुजारा करते थे। परिचितों से मिलते थे। परिचित विषय से संबंधित रहते थे, लेकिन अब अचानक उस सारी दुनिया से निकलकर के एक विशाल विश्‍व के अंदर अपना कदम रखने जा रहे हैं। ये पहल सामान्‍य नहीं होते हैं। एक तरफ खुशी होती है कि चलिए मैंने इतनी मेहनत की, तीन साल - चार साल - पांच साल इस कैंपस में रहा। जितना मुझसे हो सकता था मैं ले लिया, पा लिया। लेकिन अब निकलते ही, दुनिया का मेरी तरफ नजरिया देखने का बदल जाता है।

जब तक मैं विद्यार्थी था, परिवार, समाज, साथी, मित्र मेरी पीठ थपथपाते रहते थे, नहीं-नहीं बेटा अच्‍छा करो, बहुत अच्‍छा करो, आगे बढ़ो, बहुत पढ़ो। लेकिन जैसे ही सर्टिफिकेट लेकर के पहुंचता हूं तो सवाल उठता है बताओ भई, अब आगे क्‍या करोगे? अचानक, exam देने गया तब तक तो सारे लोग मुझे push कर रहे थे, मेरी मदद कर रहे थे, प्रोत्‍साहित कर रहे थे। लेकिन सर्टिफिकेट लेकर घर लौटा तो सब पूछ रहे थे, बेटा अब बताओ क्‍या? अब हमारा दायित्‍व पूरा हो गया, अब बताओ तुम क्‍या दायित्‍व उठाओगे और यही पर जिन्‍दगी की कसौटी का आरंभ होता है और इसलिए जैसे science में दो हिस्‍से होते हैं – एक होता है science और दूसरा होता है applied science. अब जिन्‍दगी में जो ज्ञान पाया है वो applied period आपका शुरू होता है और उसमें आप कैसे टिकते है, उसमें आप कैसे अपने आप को योग्‍य बनाते हैं। कभी-कभार कैंपस की चारदीवारी के बीच में, क्‍लासरूम की चारदीवारी के बीच में शिक्षक के सानिध्‍य में, आचार्य के सानिध्‍य में चीजें बड़ी सरल लगती है। लेकिन जब अकेले करना पड़ता है, तब लगता है यार अच्‍छा होता उस समय मैंने ध्‍यान दिया होता। यार, उस समय तो मैं अपने साथियों के साथ मास्‍टर जी का मजाक उड़ा रहा था। यार ये छूट गए। फिर लगता है यार, अच्‍छा होता मैंने देखा होता। ऐसी बहुत बातें याद आएगी। आपको जीवन भर यूनिवर्सिटी की वो बातें याद आएगी, जो रह गया वो क्‍या था और न रह गया होता तो मैं आज कहा था? ये बातें हर पल याद आती हैं।

मेरे नौजवान साथियों, यहां पर आपको अनुशासन के विषय में कुलाधिपति जी ने एक परंपरागत रूप से संदेश सुनाया। आप सब को पता होगा कि हमारे देश में शिक्षा के बाद दीक्षा, यह परंपरा हजारों साल पुरानी है और सबसे पहले तैतृक उपनिषद में इसका उल्‍लेख है, जिसमें दीक्षांत का पहला अवसर रेखांकित किया गया है। तब से भारत में यह दीक्षांत की परंपरा चल रही है और आज भी यह दीक्षांत समारोह एक नई प्रेरणा का अवसर बन जाता है। जीवन में आप बहुत कुछ कर पाएंगे, बहुत कुछ करेंगे, लेकिन जैसा मैंने कहा, आपके भीतर का विद्यार्थी कभी मरना नहीं चाहिए, मुरझाना नहीं चाहिए। जिज्ञासा, वो विकास की जड़ों को मजबूत करती है। अगर जिज्ञासा खत्‍म हो जाती है तो जीवन में ठहराव आ जाता है। उम्र कितनी ही क्‍यों न हो, बुढ़ापा निश्‍चित लिख लीजिए वो हो जाता है और इसलिए हर पल, नित्‍य, नूतन जीवन कैसा हो, हर पल भीतर नई चेतना कैसे प्रकट हो, हर पल नया करने का उमंग वैसा ही हो जैसा 20 साल पहले कोई नई चीज करने के समय हुआ था। तब जाकर के देखिए जिन्‍दगी जीने का मजा कुछ और होता है। जीवन कभी मुरझाना नहीं चाहिए और कभी-कभी तो मुझे लगता है मुरझाने के बजाए अच्‍छा होता मरना पसंद करना। जीवन खिला हुआ रहना चाहिए। संकटों के सामने भी उसको झेलने का सामर्थ्‍य आना चाहिए और जो इसे पचा लेता है न, वो अपने जीवन में कभी विफल नहीं जाता है। लेकिन तत्‍कालिक चीजों से जो हिल जाता है, अंधेरा छा जाता है। उस समय यह ज्ञान का प्रकाश ही हमें रास्‍ता दिखाता है और इसलिए ये BHU की धरती से जो ज्ञान प्राप्‍त किया है वो जीवन के हर संकट के समय हमें राह दिखाने का, प्रकाश-पथ दिखाने का एक अवसर देता है।

देश और दुनिया के सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं। क्‍या उन चुनौतियों में भारत अपनी कोई भूमिका अदा कर सकता है क्‍या? क्‍यों न हमारे ये संस्‍थान, हमारे विद्यार्थी आने वाले युगों के लिए मानव जाति को, विश्‍व को, कुछ देने के सपने क्‍यों न देखे? और मैं चाहूंगा कि BHU से निकल रहे छात्रों के दिल-दिमाग में, यह भाव सदा रहना चाहिए कि मुझे जो है, उससे अच्‍छा करू वो तो है, लेकिन मैं कुछ ऐसा करके जाऊं जो आने वाले युगों तक का काम करे।

समाज जीवन की ताकत का एक आधार होता है – Innovation. नए-नए अनुसंधान सिर्फ पीएचडी डिग्री प्राप्‍त करने के लिए, cut-paste वाली दुनिया से नहीं। मैं तो सोच रहा था कि शायद यह बात BHU वालों को तो पता ही नहीं होगी, लेकिन आपको भली-भांति पता है। लेकिन मुझे विश्‍वास है कि आप उसका उपयोग नहीं करते होंगे। हमारे लिए आवश्‍यक है Innovation. और वो भी कभी-कभार हमारी अपनी निकट की स्‍थितियों के लिए भी मेरे मन में एक बात कई दिनों से पीड़ा देती है। मैं दुनिया के कई noble laureate से मिलने गया जिन्‍होंने medical science में कुछ काम किया है और मैं उनके सामने एक विषय रखता था। मैंने कहा, मेरे देश में जो आदिवासी भाई-बहन है, वो जिस इलाके में रहते हैं। उस belt में परंपरागत रूप से एक ‘sickle-cell’ की बीमारी है। मेरे आदिवासी परिवारों को तबाह कर रही है। कैंसर से भी भयंकर होती है और व्‍यापक होती है। मेरे मन में दर्द रहता है कि आज का विज्ञान, आज की यह सब खोज, कैंसर के मरीज के लिए नित्‍य नई-नई चीजें आ रही हैं। क्‍या मेरे इस sickle-cell से पीड़ित, मेरे आदिवासी भाइयो-बहनों के लिए शास्‍त्र कुछ लेकर के आ सकता है, मेरे नौजवान कुछ innovation लेकर के आ सकते हैं क्‍या? वे अपने आप को खपा दे, खोज करे, कुछ दे और शायद दुनिया के किसी और देश में खोज करने वाला जो दे पाएगा, उससे ज्‍यादा यहां वाला दे पाएगा क्‍योंकि वो यहां की रुचि, प्रकृति, प्रवृत्‍ति से परिचित है और तब जाकर के मुझे BHU के विद्यार्थियों से अपेक्षा रहती है कि हमारे देश की समस्‍याएं हैं। उन समस्‍याओं के समाधान में हम आने वाले युग को देखते हुए कुछ दे सकते हैं क्‍या?

आज विश्‍व Global warming, Climate change बड़ा परेशान है। दुनिया के सारे देश अभी पेरिस में मिले थे। CoP-21 में पूरे विश्‍व का 2030 तक 2 डिग्री temperature कम करना है। सारा विश्‍व मशक्‍कत कर रहा है, कैसे करे? और अगर यह नहीं हो पाया तो पता नहीं कितने Island डूब जाएंगे, कितने समुद्री तट के शहर डूब जाएंगे। ये Global warming के कारण पता नहीं क्‍या से क्‍या हो जाएगा, पूरा विश्‍व चिंतित है। हम वो लोग है जो प्रकृति को प्रेम करना, हमारी रगों में है। हम वो लोग है जिन्‍होंने पूरे ब्रह्मांड को अपना एक पूरा परिवार माना हुआ है। हमारे भीतर, हमारे ज़हन में वो तत्‍व ज्ञान तो भरा पड़ा है और तभी तो बालक छोटा होता है तो मां उसे शिक्षा देती है कि देखो बेटे, यह जो सूरज है न यह तेरा दादा है और यह चांद है यह तेरा मामा है। पौधे में परमात्‍मा देखता है, नदी में मां देखता है। ये जहां पर संस्‍कार है, जहां प्रकृति का शोषण गुनाह माना जाता है। Exploitation of the nature is a crime. Milking of the nature यही हमें अधिकार है। यह जिस धरती पर कहा जाता है, क्‍या दुनिया को Global warming के संकट से बचाने के लिए कोई नए आधुनिक innovation के साथ मेरे भारत के वैज्ञानिक बाहर आ सकते हैं क्‍या, मेरी भारत की संस्‍थाएं बाहर आ सकती हैं क्‍या? हम दुनिया को समस्‍याओं से मुक्‍ति दिलाने का एक ठोस रास्‍ता दिखा सकते हैं क्‍या? भारत ने बीड़ा उठाया है, 2030 तक दुनिया ने जितने संकल्‍प किए, उससे ज्‍यादा हम करना चाहते हैं। क्‍योंकि हम यह मानते हैं, हम सदियों से यह मानते हुए आए हैं कि प्रकृति के साथ संवाद होना चाहिए, प्रकृति के साथ संघर्ष नहीं होना चाहिए।

अभी हमने दो Initiative लिए हैं, एक अमेरिका, फ्रांस, भारत और बिल गेट्स का NGO, हम मिलकर के Innovation पर काम कर रहे हैं। Renewal energy को affordable कैसे बनाए, Solar energy को affordable कैसे बनाए, sustainable कैसे बनाए, इस पर काम कर रहे हैं। दूसरा, दुनिया में वो देश जहां 300 दिवस से ज्‍यादा सूर्य की गर्मी का प्रभाव रहता है, ऐसे देशों का संगठन किया है। पहली बार दुनिया के 122 देश जहां सूर्य का आशीर्वाद रहता है, उनका एक संगठन हुआ है और उसका world capital हिन्‍दुस्‍तान में बनाया गया है। उसका secretariat, अभी फ्रांस के राष्‍ट्रपति आए थे, उस दिन उद्घाटन किया गया। लेकिन इरादा यह है कि यह समाज, देश, दुनिया जब संकट झेल रही है, हम क्‍या करेंगे?

हमारा उत्‍तर प्रदेश, गन्‍ना किसान परेशान रहता है लेकिन गन्‍ने के रास्‍ते इथनॉल बनाए, petroleum product के अंदर उसको जोड़ दे तो environment को फायदा होता है, मेरे गन्‍ना किसान को भी फायदा हो सकता है। मेरे BHU में यह खोज हो सकती है कि हम maximum इथनॉल का उपयोग कैसे करे, हम किस प्रकार से करे ताकि मेरे उत्‍तर प्रदेश के गन्‍ने किसान का भी भला हो, मेरे देश के पर्यावरण और मानवता के कल्‍याण का काम हो और मेरा जो vehicle चलाने वाला व्‍यक्‍ति हो, उसको भी कुछ महंगाई में सस्‍ताई मिल जाए। यह चीजें हैं जिसके innovation की जरूरत है।

हम Solar energy पर अब काम कर रहे हैं। भारत ने 175 गीगावॉट Solar energy का सपना रखा है, renewal energy का सपना रखा है। उसमें 100 गीगावॉट Solar energy है, लेकिन आज जो Solar energy के equipment हैं, उसकी कुछ सीमाएं हैं। क्‍या हम नए आविष्‍कार के द्वारा उसमें और अधिक फल मिले, और अधिक ऊर्जा मिले ऐसे नए आविष्‍कार कर सकते हैं क्‍या? मैं नौजवान साथियों को आज ये चुनौतियां देने आया हूं और मैं इस BHU की धरती से हिन्‍दुस्‍तान के और विश्‍व के युवकों को आह्वान करता हूं। आइए, आने वाली शताब्‍दी में मानव जाति जिन संकटों से जूझने वाली है, उसके समाधान के रास्‍ते खोजने का, innovation के लिए आज हम खप जाए। दोस्‍तों, सपने बहुत बड़े देखने चाहिए। अपने लिए तो बहुत जीते हैं, सपनों के लिए मरने वाले बहुत कम होते हैं और जो अपने लिए नहीं, सपनों के लिए जीते हैं वही तो दुनिया में कुछ कर दिखाते हैं।

आपको एक बात का आश्‍चर्य हुआ होगा कि यहां पर आज मेरे अपने personal कुछ मेहमान मौजूद है, इस कार्यकम में। और आपको भी उनको देखकर के हैरानी हुई होगी, ये मेरे जो personal मेहमान है, जिनको मैंने विशेष रूप से आग्रह किया है, यूनिवर्सिटी को कि मेरे इस convocation का कार्यक्रम हो, ये सारे नौजवान आते हो तो उस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उनको बुलाइए। Government schools सामान्‍य है, उस स्‍कूल के कुछ बच्‍चे यहां बैठे हैं, ये मेरे खास मेहमान है। मैंने उनको इसलिए बुलाया है और मैं जहां-जहां भी अब यूनिवर्सिटी में convocation होते हैं। मेरा आग्रह रहता है कि उस स्‍थान के गरीब बच्‍चे जिन स्‍कूलों में पढ़ते हैं ऐसे 50-100 बच्‍चों को आकर के बैठाइए। वो देखे कि convocation क्‍या होता है, ये दीक्षांत समारोह क्‍या होता है? ये इस प्रकार की वेशभूषा पहनकर के क्‍यों आते हैं, ये हाथ में उनको क्‍या दिया जाता है, गले में क्‍या डाला जाता है? ये बच्‍चों के सपनों को संजोने का एक छोटा-सा काम आज यहां हो रहा है। आश्‍चर्य होगा, सारी व्‍यवस्‍था में एक छोटी-सी घटना है, लेकिन इस छोटी-सी घटना में भी एक बहुत बड़ा सपना पड़ा हुआ है। मेरे देश के गरीब से गरीब बच्‍चे जिनको ऐसी चीजें देखने का अवसर नहीं मिलता है। मेरा आग्रह रहता है कि आए देखे और मैं विश्‍वास से कहता हूं जो बच्‍चे आज ये देखते है न, वो अपने मन में बैठे-बैठे देखते होंगे कि कभी मैं भी यहां जाऊंगा, मुझे भी वहां जाने का मौका मिलेगा। कभी मेरे सिर पर भी पगड़ी होगी, कभी मेरे गले में भी पांच-सात गोल्‍ड मेडल होंगे। ये सपने आज ये बच्‍चे देख रहे हैं।

मैं विश्‍वास करूंगा कि जिन बच्‍चों को आज गोल्‍ड मेडल मिला है, वो जरूर इन स्‍कूली बच्‍चों को मिले, उनसे बातें करे, उनमें एक नया विश्‍वास पैदा करे। यही तो है दीक्षांत समारोह, यही से आपका काम शुरू हो जाता है। मैं आज जो लोग जा रहे हैं, जो नौजवान आज समाज जीवन की अपनी जिम्‍मेवारियों के कदम रखते हैं। बहुत बड़ी जिम्‍मेवारियों की ओर जा रहे हैं। दीवारों से छूटकर के पूरे आसमान के नीचे, पूरे विश्‍व के पास जब पहुंच रहे है तब, यहां से जो मिला है, जो अच्‍छाइयां है, जो आपके अंदर सामर्थ्‍य जगाती है, उसको हमेशा चेतन मन रखते हुए, जिन्‍दगी के हर कदम पर आप सफलता प्राप्‍त करे, यही मेरी आप सब को शुभकामनाएं हैं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM-KISAN is proving to be very useful for small farmers across the country: PM Modi in Bhagalpur, Bihar
February 24, 2025
QuoteToday I had the privilege of releasing the 19th installment of PM-KISAN , I am very satisfied that this scheme is proving very useful for our small farmers across the country: PM
QuoteOur move to form Makhana Vikas Board is going to be extremely beneficial for the farmers of Bihar engaged in its cultivation, This is going to help a lot in the production, processing, value addition and marketing of Makhana: PM
QuoteHad there been no NDA government, farmers across the country, including Bihar, would not have received the PM Kisan Samman Nidhi, In the last 6 years, every single penny of this has reached directly into the accounts of our Annadatas: PM
QuoteBe it superfood Makhana or Bhagalpur's silk, our focus is on taking such special products of Bihar to the markets across the world: PM
QuotePM Dhan-Dhanya Yojana will not only boost crop production in agriculturally backward areas but will also empower our farmers: PM
QuoteToday, the land of Bihar has witnessed the formation of the 10,000th FPO, On this occasion, many congratulations to all the members of the Farmer Producer Association across the country!: PM

भारत माता की जय,

अंगराज दानवीर कर्ण के धरती महर्षि मेंहीं के तपस्थली, भगवान वासुपूज्य के पंच कल्याणक भूमी, विश्व प्रसिद्ध विक्रमशिला महाविहार बाबा बूढ़ानाथ के पवित्र भूमी पे सब भाय बहिन सिनि के प्रणाम करै छियै।।

मंच पर विराजमान राज्यपाल, श्रीमान आरिफ मोहम्मद खान जी, बिहार के लोकप्रिय एवं बिहार के विकास के लिए समर्पित हमारे लाडले मुख्यमंत्री, नीतिश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी शिवराज सिंह चौहान जी, जीतन राम मांझी जी, ललन सिंह जी, गिरिराज सिंह जी, चिराग पासवान जी, राज्यमंत्री श्री रामनाथ ठाकुर जी, बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जी, विजय सिन्हा जी, राज्य के अन्य मंत्री एवं जनप्रतिनिधिगण, उपस्थित महानुभाव और बिहार के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

आज हमारे साथ देश के कोने कोने में कई मुख्यमंत्री, कई मंत्री और करोड़ों – करोड़ों किसान भी आज इस कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़े हुए हैं। मैं उन सबको भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

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साथियों,

महाकुंभ के समय में मंद्रांचल की इस धरती पर आना अपने आप में बड़ा सौभाग्य है। इस धरती में आस्था भी है, विरासत भी है और विकसित भारत का सामर्थ्य भी है। ये शहीद तिलका मांझी की धरती है, ये सिल्क सिटी भी है। बाबा अजगैबीनाथ की इस पावन धरा में इस समय महाशिवरात्री की भी खूब तैयारियां चल रही हैं। ऐसे पवित्र समय में मुझे पीएम किसान सम्मान निधि की एक और किस्त देश के करोड़ों किसानों को भेजने का सौभाग्य मिला है। करीब 22 हजार करोड़ रुपये एक क्लिक पर देशभर के किसानों के खाते में पहुंचे हैं। और जैसे ही अभी मैंने क्लिक दबाई, मैं देख रहा था यहां पर भी जो राज्यों के दृश्य दिख रहे थे, यहां भी कुछ लोगों की तरफ मेरी नजर गई, वो फटाफट अपने मोबाइल देख रहे थे, कि पैसा आया कि नहीं आया और तुरंत उनकी आंखों में चमक दिखाई देती थी।

साथियों,

आज जो किसान सम्मान निधि दी गई है, इसमें बिहार के भी 75 लाख से अधिक किसान परिवार हैं। बिहार के किसानों के खाते में आज सीधे करीब 1600 करोड़ रुपये उनके खाते में पहुंच चुके हैं। मैं बिहार और देश के सभी किसान परिवारों को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं।

साथियों,

मैंने लाल किले से कहा है कि विकसित भारत के चार मजबूत स्तंभ हैं। ये स्तंभ हैं- गरीब, हमारे अन्नदाता किसान, हमारे नौजवान, हमारे युवा और हमारे देश की नारीशक्ति। एनडीए सरकार चाहे केंद्र में हो, या फिर यहां नीतीश जी के नेतृत्व में चल रही सरकार हो, किसान कल्यान हमारी प्राथमिकता में है। बीते दशक में हमने किसानों की हर समस्या के समाधान के लिए पूरी शक्ति से काम किया है। किसान को खेती के लिए अच्छे बीज चाहिए, पर्याप्त और सस्ती खाद चाहिए, किसानों को सिंचाई की सुविधा चाहिए, पशुओं का बीमारी से बचाव चाहिए और आपदा के समय नुकसान से सुरक्षा चाहिए। पहले इन सभी पहलुओं को लेकर किसान संकट से घिरा रहता था। जो लोग पशुओं का चारा खा सकते हैं, वो इन स्थितियों को कभी भी नहीं बदल सकते। NDA सरकार ने इस स्थिति को बदला है। बीते वर्षों में हमने सैकड़ों आधुनिक किस्म के बीज किसानों को दिए। पहले यूरिया के लिए किसान लाठी खाता था और यूरिया की कालाबाजारी होती थी। आज देखिए, किसानों को पर्याप्त खाद मिलती है। हमने तो कोरोना के महासंकट में भी किसानों को खाद की कमी नहीं होने दी। आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर NDA सरकार ना होती, क्या होता।

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साथियों,

अगर NDA सरकार ना होती तो, आज भी हमारे किसान भाई बहनों को खाद के लिए लाठियां खानी पड़ती। आज भी बरौनी खाद कारखाना बंद पड़ा होता। दुनिया के अनेक देशों में खाद की बोरी, जो 3 हज़ार रुपए की मिल रही है, वो आज हम किसानों को 300 रुपए से भी कम में देते हैं। NDA सरकार ना होती तो यूरिया की एक बोरी भी आपको 3 हजार रुपए की मिलती। हमारी सरकार किसानों के बारे में सोचती है, उनकी भलाई के लिए काम करती है, इसलिए यूरिया और DAP का जो पैसा किसानों को खर्च करना था, वो केंद्र सरकार खुद खर्च कर रही है। बीते 10 साल में करीब 12 लाख करोड़ रुपए, जो खाद खरीदने के लिए आपकी जेब से जाने थे, वो बच गए, वो केंद्र सरकार ने बजट में से दिए हैं। यानी, इतना सारा पैसा, 12 लाख करोड़ रुपया देश के करोड़ों किसानों की जेब में बचा है।

साथियों,

NDA सरकार ना होती, तो आपको पीएम किसान सम्मान निधि, ये भी नहीं मिलती। इस योजना को शुरु हुए अभी करीब 6 साल हुए हैं। अभी तक लगभग 3 लाख 70 हज़ार करोड़ रुपए सीधे किसानों के खातों में पहुंच चुके हैं। बीच में कोई बिचौलिया नहीं, कोई कटकी कंपनी नहीं, एक रुपया दिल्ली से निकले 100 पैसा सीधा पहुंचता है। ये आप जैसे छोटे किसान हैं, जिनको पहले सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाता था। छोटे किसानों का हक भी बिचौलिए हड़प कर लेते थे। लेकिन ये मोदी है, ये नीतीश जी हैं, जो किसानों के हक का किसी को नहीं खाने देंगे। जब ये कांग्रेस वाले, जंगलराज वाले सरकार में थे, तो इन लोगों ने खेती का कुल जितना बजट रखा था, उससे कई गुना ज्यादा पैसा तो हम सीधे आप किसानों के बैंक खातों में भेज चुके हैं। ये काम कोई भ्रष्टाचारी नहीं कर सकता है। ये काम वही सरकार कर सकती है, जो किसान कल्याण के लिए समर्पित है।

साथियों,

कांग्रेस हो, जंगलराज वाले हों, इनके लिए आप किसानों की तकलीफ भी कोई मायने नहीं रखती। पहले जब बाढ़ आती थी, सूखा पड़ता था, ओला पड़ता था, तो ये लोग किसानों को अपने हाल पर छोड़ देते थे। 2014 में जब आपने NDA को आशीर्वाद दिया, तो मैंने कहा, ऐसे नहीं चलेगा। NDA सरकार ने पीएम फसल बीमा योजना बनाई। इस योजना के तहत पौने 2 लाख करोड़ रुपए का क्लेम किसानों को आपदा के समय मिल चुका है।

साथियों,

जो भूमिहीन हैं, जो छोटे किसान हैं, उनकी आय को बढ़ाने में NDA सरकार पशुपालन को बढ़ावा दे रही है। पशुपालन, गांव में हमारी बहनों को लखपति दीदी बनाने में भी बहुत काम आ रहा है। देश में अभी तक करीब सवा करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं। इनमें बिहार की भी हज़ारों जीविका दीदियां शामिल हैं। बीते दशक में भारत में दूध उत्पादन, 14 करोड़ टन से बढ़कर, ये याद रखिये, 10 साल में 14 करोड़ टन दूध उत्पादन से बढ़कर के 24 करोड़ टन दूध उत्पादन हो रहा है। यानी भारत ने दुनिया के नंबर वन दूध उत्पादक के रूप में अपनी भूमिका को और सशक्त किया है। इसमें बिहार की भी बहुत बड़ी भागीदारी रही है। आज बिहार में सहकारी दूध संघ, प्रति दिन 30 लाख लीटर दूध खरीदता है। इसके कारण हर साल, तीन हज़ार करोड़ रुपए से अधिक बिहार के पशुपालकों, हमारी माताओं-बहनों के खातों में पहुंच रहे हैं।

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साथियों,

मुझे खुशी है कि डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों को राजीव रंजन जी, हमारे ललन सिंह जी बहुत ही कुशलता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। इनके प्रयासों से यहां बिहार में, दो परियोजनाएं तेज़ी से पूरी हो रही हैं। मोतिहारी का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, बेहतरीन देसी नस्ल की गायों के विकास में मदद करेगा। दूसरा, बरौनी का मिल्क प्लांट है। इससे क्षेत्र के 3 लाख किसानों को फायदा होगा, नौजवानों को रोजगार मिलेगा।

साथियों,

हमारे जो नाविक साथी हैं, जो मछुआरे साथी हैं, इनको पहले की सरकारों ने कोई फायदा नहीं दिया। हमने पहली बार मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी है। ऐसे ही प्रयासों से आज मछली उत्पादन में बिहार शानदार प्रदर्शन कर रहा है। और अभी जैसे मुख्यमंत्री जी ने बताया, पहले मछली हम बाहर से लाते थे और आज मछली में बिहार आत्मनिर्भर बन गया है। और मुझे याद है, 2014 के पहले 2013 में जब मैं चुनाव अभियान के लिए आया था, तब मैंने कहा था कि मुझे आश्चर्य हो रहा है, कि बिहार में इतना पानी है, मछली हम बाहर से क्यों लाते हैं। आज मुझे संतोष है कि बिहार के लोगों की मछली की जरूरत, बिहार में ही पूरी हो रही है। 10 साल पहले बिहार मछली उत्पादन में देश के 10 राज्यों में से एक था। आज बिहार, देश के टॉप-5 बड़े मछली उत्पादक राज्यों में से एक बन चुका है। फिशरीज़ सेक्टर पर हमारे फोकस का बहुत बड़ा फायदा हमारे छोटे किसानों को हुआ है, मछुआरे साथियों को हुआ है। भागलपुर की पहचान तो गंगा जी में रहने वाली डॉल्फिन से भी होती रही है। ये नमामि गंगे अभियान की भी बहुत बड़ी सफलता है।

साथियों,

बीते वर्षों में सरकार के प्रयासों से भारत का कृषि निर्यात बहुत अधिक बढ़ा है। इससे किसानों को उनकी उपज की ज्यादा कीमत मिलने लगी है। कई कृषि उत्पाद ऐसे हैं, जिनका पहली बार निर्यात शुरु हुआ है, एक्सपोर्ट हो रहा है। अब बारी बिहार के मखाना की है। मखाना आज देश के शहरों में सुबह के नाश्ते का प्रमुख अंग हो चुका है। मैं भी 365 दिन में से 300 दिन तो ऐसे होंगे, कि मैं मखाना जरूर खाता हूं। ये एक सुपरफूड है, जिसे अब दुनिया के बाज़ारों तक पहुंचाना है। इसलिए, इस वर्ष के बजट में मखाना किसानों के लिए मखाना बोर्ड बनाने का ऐलान किया गया है। ये मखाना बोर्ड, मखाना उत्पादन, प्रोसेसिंग,वैल्यू एडिशन, और मार्केटिंग, ऐसे हर पहलू में बिहार के मेरे किसानों की मदद करेगा।

साथियों,

बजट में बिहार के किसानों और नौजवानों के लिए एक और बड़ी घोषणा भी की गई है। पूर्वी भारत में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए बिहार एक बड़े केंद्र के रूप में उभरने वाला है। बिहार में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नॉलॉजी एंड आंत्रप्रन्योरशिप की स्थापना की जाएगी। यहां बिहार में कृषि के क्षेत्र में तीन नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी स्थापित किए जाएंगे। इनमें से एक हमारे भागलपुर में ही स्थापित होगा। यह सेंटर, आम की जर्दालू किस्म पर फोकस करेगा। दो और केंद्र, मुंगेर और बक्सर में बनाए जाएंगे। जो टमाटर,प्याज और आलू किसानों को मदद देंगे। यानी किसान हित के निर्णय लेने में हम कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे।

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साथियों,

आज भारत, कपड़े का भी बहुत बड़ा निर्यातक बन रहा है। देश में कपड़ा उद्योग को बल देने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। भागलपुर में तो कहा जाता है कि यहां पेड़ भी सोना उगलते हैं। भागलपुरी सिल्क, टसर सिल्क, पूरे हिंदुस्तान में मशहूर है। दुनिया के दूसरे देशों में भी टसर सिल्क की डिमांड लगातार बढ़ रही है। केंद्र सरकार, रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, फेब्रिक और यार्न डाइंग यूनिट, फेब्रिक प्रिंटिंग यूनिट, फेब्रिक प्रोसेसिंग यूनिट, ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर बहुत जोर दे रही है। इससे भागलपुर के बुनकर साथियों को आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी और उनके उत्पाद दुनिया के कोने-कोने में पहुंच पाएंगे।

साथियों,

बिहार की एक और बहुत बड़ी समस्या का समाधान NDA सरकार कर रही है। नदियों पर पर्याप्त पुल ना होने के कारण बिहार को अनेक समस्याएं होती हैं। आपको आने-जाने में दिक्कत ना हो, इसके लिए हम तेजी से काम कर रहे हैं, अनेकों पुल बनवा रहे हैं। यहां गंगा जी पर चार लेन के पुल के निर्माण का भी तेजी से काम चल रहा है। इस पर 1100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं।

साथियों,

बिहार में बाढ़ से भी बहुत नुकसान होता है। इसके लिए भी हमारी सरकार ने हजारों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स स्वीकृत किए हैं। इस वर्ष के बजट में तो पश्चिमी कोशी नहर ईआरएम परियोजना के लिए मदद देने की घोषणा की गई है। इस परियोजना से मिथिलांचल क्षेत्र में 50 हज़ार हेक्टेयर भूमि सिंचाई के दायरे में आएगी। इससे लाखों किसान परिवारों को लाभ होगा।

साथियों,

NDA सरकार, किसानों की आय बढ़ाने के लिए अलग-अलग स्तर पर काम कर रही है। भारत में उत्पादन बढ़े, दलहन और तिलहन में हम आत्मनिर्भर हों, यहां ज्यादा से ज्यादा फूड प्रोसेसिंग उद्योग लगें, और हमारे किसानों के उत्पाद दुनिया भर तक पहुंचें, इसके लिए सरकार एक के बाद एक नए कदम उठा रही है। मेरा तो सपना है कि दुनिया की हर रसोई में भारत के किसान का उगाया कोई ना कोई उत्पाद होना ही चाहिए। इस वर्ष के बजट ने भी इसी विजन को आगे बढ़ाया है। बजट में एक बहुत ही बड़ी पीएम धन धान्य योजना की घोषणा की गई है। इसके तहत देश के 100 ऐसे जिलों की पहचान की जाएगी, जहां सबसे कम फसल उत्पादन होती है। फिर ऐसे जिलों में खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। दलहन में आत्मनिर्भरता के लिए भी मिशन मोड पर काम किया जाएगा। किसान ज्यादा से ज्यादा दालें उगाएं, इसके लिए किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा। दालों की MSP पर खरीद को और अधिक बढ़ाया जाएगा।

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साथियों,

आज का दिन, एक और वजह से बहुत खास है। हमारी सरकार ने देश में 10 हजार FPO’s- किसान उत्पादक संघ बनाने का बड़ा लक्ष्य रखा था। आज मुझे ये बताते हुए खुशी है कि देश ने इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। आज बिहार की भूमि 10 हजारवें FPO के निर्माण की साक्षी बन रही है। मक्का, केला और धान पर काम करने वाला ये FPO खगड़िया जिला में रजिस्टर हुआ है। FPO सिर्फ एक संगठन नहीं होता, ये किसानों की आय बढ़ाने वाली अभूतपूर्व शक्ति है। FPO की ये शक्ति छोटे-छोटे किसानों को बाजार के बड़े लाभ सीधे उपलब्ध कराती है। FPO के जरिए आज तमाम ऐसे अवसर हमारे किसान भाइयों-बहनों को सीधे मिल रहे हैं, जो पहले उपलब्ध नहीं थे। आज देश के करीब 30 लाख किसान FPO’s-से जुड़े हैं। और बड़ी बात ये कि इसमें करीब 40 प्रतिशत हमारी बहनें हैं। ये FPO’s- आज कृषि क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपए का कारोबार करने लगे हैं। मैं सभी 10 हजार FPO’s के सदस्यों को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

NDA सरकार, बिहार के औद्योगिक विकास पर भी उतना ही बल दे रही है। बिहार सरकार भागलपुर में जो बहुत बड़ा बिजली कारखाना लगा रही है, उसको कोयले की भरपूर आपूर्ति की जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने coal linkage को स्वीकृति दे दी है। मुझे पूरा भरोसा है कि यहां पैदा होने वाली बिजली, बिहार के विकास को नई ऊर्जा देगी। इससे बिहार के नौजवानों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

साथियों,

पूर्वोदय से ही विकसित भारत का उदय होगा। और हमारा बिहार पूर्वी भारत का सबसे अहम स्तंभ है। बिहार, भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। कांग्रेस-RJD के लंबे कुशासन ने बिहार को बर्बाद किया, बिहार को बदनाम किया। लेकिन अब विकसित भारत में बिहार का वही स्थान होगा, जो प्राचीन समृद्ध भारत में पाटलिपुत्र का था। इसके लिए हम सभी मिलकर निरंतर प्रयास कर रहे हैं। बिहार में आधुनिक कनेक्टिविटी के लिए, सड़कों के नेटवर्क के लिए, जन कल्याण की योजनाओं के लिए, NDA सरकार प्रतिबद्ध होकर काम कर रही है। मुंगेर से भागलपुर होते हुए मिर्जा चौकी तक करीब 5 हजार करोड़ रुपए की लागत से नया हाईवे भी बनाने का काम शुरू हो रहा है। भागलपुर से अंशडीहा तक फोर लेन सड़क को चौड़ा करने का काम भी शुरू होने जा रहा है। भारत सरकार ने विक्रमशिला से कटारिया तक नई रेल लाइन और रेल पुल को भी स्वीकृति दे दी है।

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साथियों,

हमारा ये भागलपुर, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण रहा है। विक्रमशिला विश्वविद्यालय के कालखंड में ये वैश्विक ज्ञान का केंद्र हुआ करता था। हम नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन गौरव को आधुनिक भारत से जोड़ने का काम शुरु कर चुके हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के बाद अब विक्रमशिला में भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाई जा रही है। जल्द ही केंद्र सरकार इस पर काम शुरु करने वाली है। मैं नीतीश जी, विजय जी, सम्राट जी सहित बिहार सरकार की पूरी टीम को बधाई देता हूं। आप इस प्रोजेक्ट से जुड़ी ज़रूरतों को पूरा करने में तेज़ी से जुटे हैं।

साथियों,

NDA सरकार, भारत की गौरवशाली विरासत के संरक्षण और वैभवशाली भविष्य के निर्माण के लिए एक साथ काम कर रही है। लेकिन ये जो जंगलराज वाले हैं, इनको हमारी धरोहर से, हमारी आस्था से नफरत है। इस समय, प्रयागराज में एकता का महाकुंभ चल रहा है। ये भारत की आस्था का, भारत की एकता और समरसता का, सबसे बड़ा महोत्सव है। पूरे यूरोप की जितनी जनसंख्या है, उससे भी बहुत ज्यादा लोग अब तक एकता के इस महाकुंभ में डूबकी लगा चुके हैं, स्नान कर चुके हैं। बिहार से भी गांव-गांव से श्रद्धालु एकता के इस महाकुंभ से होकर आ रहे हैं। लेकिन ये जंगलराज वाले महाकुंभ को ही गाली दे रहे हैं, महाकुंभ को लेकर भद्दी-भद्दी बातें कर रहे हैं। राम मंदिर से चिढ़ने वाले ये लोग महाकुंभ को भी कोसने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। मैं जानता हूं, महाकुंभ को गाली देने वाले ऐसे लोगों को बिहार कभी भी माफ नहीं करेगा।

साथियों,

बिहार को समृद्धि के नए पथ पर ले जाने के लिए हम दिन रात ऐसे ही मेहनत करते रहेंगे। एक बार फिर, देश के किसानों को और बिहार वासियों को बहुत-बहुत बधाई। मेरे साथ बोले–

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद।