Didi cannot snatch away people’s right to vote in West Bengal: PM Modi

Published By : Admin | May 6, 2019 | 14:30 IST
The entire country stands together with the people of West Bengal during these trying times of ‘Cyclone Fani’: PM Modi
I called Mamata Didi twice to enquire about the situation in West Bengal but both the times my call was refused by the egoistic administration of Didi: PM Modi in West Bengal
Didi’s arrogant behavior and corrupt governance are going to bring the end of TMC’s regime in West Bengal very soon: Prime Minister Modi

भारत माता की जय
भारत माता की जय
झाड़ग्राम और मेदनीपुर के सभी बहनो भाइयो को… जय श्री राम। झाड़ग्राम की धरती से पश्चिम बंगाल के सभी जनों को जय श्री राम और स्पेशली ममता दीदी को भी जय श्री राम।
साथियो, दीदी ने जय श्री राम का अभिवादन करने भर से ही लोगों को जेल में डालना शुरू कर दिया है। मुझे लगा कि मैं भी डायरेक्ट दीदी को जय श्री राम बोल दूं, तो मुझे भी जेल में डाल दें तो यहां के निर्दोष लोग जो जेल में पड़े हैं मैं उनकी सेवा करूंगा।

पश्चिम बंगाल में राम नाम लेना भी अपराध हो गया है क्या? अरे दीदी, राम जी के आगे अच्छे-अच्छों का अहंकार चूर-चूर हो गया, आपका अहंकार कहां तक ठहर पाएगा। वामपंथियों का तो समझ में आता है, उनके तो विचार विदेशी हैं, संस्कार विदेशी हैं। यही कारण है की वो अपने नाम में लगे 'सीता' और 'राम' उसकी लाज भी नहीं रखते और रामायण का अपमान, महाभारत का अपमान, हमारे पुराने ग्रंथों का अपमान, ये उनके लिए एक फैशन हो गया है। लेकिन ममता दीदी आपने तो इन्हीं वामपंथियों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी। मां, माटी और मानुष ने आपको शक्ति दी थी फिर आप जय श्री राम कहने वालों को जेल क्यों भेजने लगी हो? भाइयो बहनो, एक जगह पर एक और बात दीदी ने अपनी सभा में कही, उन्होंने कहा की भाजपा ने भगवान राम को पोलिंग एजेंट बना दिया है। मैं आज दीदी को साफ-साफ कहना चाहता हूं, भगवान राम हमारी रगों में हैं, हमारे संस्कारों में हैं। साथियो, लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा था, अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥

यानी मुझे ये सोने की लंका जरा भी प्रभावित नहीं करती, मेरे लिए मां और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। भाइयो और बहनो, राम हमारी प्रेरणा हैं, राम हमारी प्रज्ञा है।

भाइयो-बहनो, और इसलिए हमारी राजनीति का रास्ता राष्ट्रवाद है, भारत भक्ति है। दीदी एजेंटों का गोरखधंधा तो आपने यहां पश्चिम बंगाल में बहुत चलाया है, बहुत चलाया है, बहुत चलाया है। पश्चिम बंगाल में एक ऐसा काम नहीं, जो टीएमसी के एजेंटों के बिना चल सकता है। आपका यह चौकीदार दिल्ली से गरीबों, पिछड़ों, आदिवासियों को सस्ता राशन मिले इसके लिए रुपये भेजता है। दीदी, अपने एजेंटों के माध्यम से उस पैसे में से टोलाबाजी करती है और मेरे आदिवासी भाइयो-बहनो तक खरा किस्म का चावल पहुंचाया जाता है। मुझे बताया गया है की यहां तो गरीबों के, आदिवासियों के राशन कार्ड भी दीदी के एजेंटों ने दबा दिए हैं। दीदी आखिर गरीबी गरीब से आपकी क्या दुश्मनी है?

साथियो, गरीबों के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत हर वर्ष 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की व्यवस्था आपके इस चौकीदार ने की है। देश के तमाम राज्यों में गरीबों को, जनजातीय परिवारों को इसका लाभ मिल रहा है, लेकिन यहां दीदी के एजेंटों को फायदा नहीं मिलाता तो योजना ही बंद कर दी। मैं फिर से पूछता हूं दीदी, ये गरीबों से इतनी नफरत क्यों है आपको? भाइयो और बहनो, आपके इस सेवक ने एक और योजना शुरू की है, पीएम किसान सम्मान योजना। इसके तहत देश भर के 12 करोड़ से ज्यादा छोटे किसानों के बैंक खाते में उनकी जो छोटी-छोटी जरूरतों के लिए सीधे पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। लेकिन यहां पश्चिम बंगाल में, इसमें टोलबाजी नहीं हो पा रही है इसीलिए दीदी लाभार्थी किसानों की लिस्ट देने में ही आनाकानी कर रही है। दीदी आखिर किसानों से किस बात का बदला ले रही हैं आप?

साथियो, जब ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी की इस महान धरती पर बेटियों से अत्याचार होता है, उनकी तस्करी की खबरें आती हैं तो बहुत दुख होता है। आपके इस चौकीदार ने मानव तस्करी के लिए कठोर कानून बनाया है। बलात्कार, रेप के केस में फांसी तक की सजा का प्रावधान किया है। लेकिन टीएमसी की सरकार इन कानूनों को ठीक से लागू ही नहीं होने देती है। दीदी, आखिर पश्चिम बंगाल की बेटियों से आपकी क्या दुश्मनी है? भाइयो और बहनो, अपनी पार्टी के एजेंटों और गुंडों के बल पर गुंडा तंत्र चला रही दीदी का पतन तो हो ही चुका है, उनकी जमीन तो खिसक ही चुकी है, अब उनकी पराजय भी तय है। पंचायत चुनाव तृणमूल कांग्रेस की, तृणमूल कांग्रेस की ‘हरमद वाहिनी’ को रोकने का काम झाड़ग्राम और मेदनीपुर ने किया था। टीएमसी के गुंडों ने तब भाजपा के कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किए, हत्याएं की। हमारे अनेक कार्यकर्ताओं पर दीदी की पुलिस ने लाठियां भी बरसाई लेकिन आप सभी कमल खिलाने के लिए संकल्पित रहे। मैं आपको फिर विश्वास दिलाने आया हूं की भाजपा का हर कार्यकर्ता, हर शहीद के साथ खड़ा है, पूरा पश्चिम बंगाल आपके साथ खड़ा है।

साथियो, आज का पांचवां चरण हो या फिर इससे पहले के चरण, हर प्रकार की हिंसा, हर प्रकार की धमकी के बावजूद, भारी संख्या में लोग भाजपा के पक्ष में मतदान करने बूथ तक पहुंच रहे हैं। हमारे कार्यकर्ताओं पर हमला हुआ, उम्मीदवारों पर हमला हुआ, लेकिन वोट के लुटेरों को बंगाल की जनता द्वारा पूरा जवाब दिया जा रहा है। दीदी के गुंडों की तमाम कोशिशों के बावजूद एक संकल्प के साथ मतदाता वोट दे रहे हैं। ये संकल्प है चुप्पेचाप कमल छाप, चुप्पेचाप कमल छाप। आप मेरे साथ बोलिए चुप्प-चाप कमल छाप, पूरी ताकत से बोलिए कमल छाप। दसूरी बात आगे बताता हूं चुप्पेचाप कमल छाप और बूथ-बूथ से TMC साफ, बूथ-बूथ से TMC साफ, बूथ-बूथ से TMC साफ, बूथ-बूथ से TMC साफ, बूथ-बूथ से TMC साफ। मैं फिर से बुलवाता हूं चुप्पेचाप…कमल छाप, चुप्पेचाप…कमल छाप, चुप्पेचाप…कमल छाप, बूथ-बूथ से...TMC साफ, बूथ-बूथ से...TMC साफ।

भाइयो और बहनो, पश्चिम बंगाल के हर बूथ पर अब केंद्रीय सुरक्षाबलों की टीमें चुनाव आयोग ने तैनात की हैं। और दीदी का ‘चोमकी-धोमकी’, ये चोमकी और धोमकी वाला मॉडल अब नहीं चलेगा। ये जनता नहीं चलने देगी। अब चोमकी और धोमकी जनता की चलेगी। गण तंत्र में लूट तंत्र का राज नहीं चलेगा, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा। पश्चिम बंगाल के लोगों को आजादी से वोट डालने का अधिकार दीदी छीन नहीं सकती।

साथियो, महामिलावट के दम पर दिल्ली जाने का जो सपना दीदी देख रही थी वो अब मिट्टी में मिलता दिख रहा है। आज पश्चिम बंगाल, पश्चिम बंगाल में दीदी दस के आकड़े तक पहुंचने के लिए जी-जान से ताकत लगा रही है। सबको दौड़ा रही है और गुस्से में आकर के हर दिन मोदी पर गलियां बरसा रही है, जो गलियां मन में आए बोल रही है। संतुलन ही खो दिया है। और उसका कारण क्या है मालूम है? ये संतुलन खोया है उसका कारण मालूम है? क्या कारण है? भाइयो-बहनो, ये जनसागर हैं ना उनको रिपोर्ट तो मिलती है, ये जो जुस्सा है पूरे बंगाल के हर कोने में है, इसी ने दीदी की नींद खरब कर दी है। सब नेताओं के दिमाग भी खराब हो रहे हैं, दीदी का भी दिमाग खराब हो रहा है। जिन गरीबों का सब कुछ टीएमसी के चिटफंड गिरोह ने लूटा, वो युवा जिनको परीक्षा पास करने के बावजूद नौकरी नहीं मिली, जिन कर्मचारियों को डीए नहीं मिला, गुंडागर्दी और सिंडिकेट राज के कारण जिन कामगारों की रोजी रोटी छिन गई, ये सब अब दीदी को दस सीटों तक भी पहुंचने नहीं देंगे। ये यहां के लोगों का तय है और साथियो, इसीलिए आज कल दीदी काफी डरी हुई है। बौखलाई हुई नजर आती है, ये एक डर उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। ये डर है लोकतंत्र का, ये डर है कानून का, ये डर है जनता की ताकत का, ये डर है जनता के फैसले का। जब दीदी को भी लोकतंत्र का डर सताये तो ये डर अच्छा है। जब दीदी को भी कानून का डर सताये तो ये डर अच्छा है। जब दीदी को भी जनता के फैसले का डर सताये तो ये डर अच्छा है। भाइयो और बहनो, ये पूरा क्षेत्र क्रांतिवीरों की धरती है। यहां अंग्रेजों के दमन और अत्याचार के विरुद्ध हमारे जनजातीय साथियो ने आजादी की लड़ाई लड़ी है। जंगल महल में स्वतंत्रता के लिए अगर हम सभी के पूर्वज ईस्ट इंडिया कंपनी से भिड़ सकते हैं, तो टीएमसी के जगाई मथाई क्या चीज़ होती हैं।

साथियो, आपका ये सेवक विकास की पंचधारा यानी बच्चों की पढ़ाई, युवा की कमाई, बुजुर्गों की दवाई, किसान को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए निकला है। भाइयो और बहनो, आजादी के बाद के दशकों में जो सरकारें थी उन्होंने आपके कल्याण के बारे में कभी सोचा नहीं था। आदिवासी परिवारों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए ही अटल जी की सरकार ने एक अलग मंत्रालय बनाया था। उन्हीं की प्रेरणा से जनजातीय कल्याण के लिए केंद्र सरकार ने इस बार 30 प्रतिशत से अधिक राशि का भी प्रावधान किया है। हमारा संकल्प है की गरीब, वंचित, आदिवासी के पास 2022 तक अपना पक्का घर होगा। हर गरीब, आदिवासी बहन के पास घर के चूल्हे में गैस का कनेक्शन होगा। हर गरीब, आदिवासी इलाके में पोषक आहार की और टीकाकरण की उचित व्यवस्था होगी। गांवों में, आदिवासी अंचलों में आधुनिक चिकित्सा केंद्र खोलने का काम कर चल रहा है।

साथियो, मैं आपको भी भरोसा देता हूं की कोई भी आपके अधिकार छीन नहीं पाएगा। किसी भी वनवासी के, जनजातीय समाज के अधिकार कम नहीं होंगे। आप कांग्रेस और टीएमसी और लेफ्ट वालों की अफवाहों से सतर्क रहिए। साथियो, हमारी सरकार में जन धन से लेकर वन धन योजना तक संपूर्णता के साथ आदिवासी बहनो भाइयो के लिए काम किया जा रहा है। वन धन योजना के माध्यम से ये सुनिश्चित किया जा रहा है की जंगल से आदिवासी जो उपज लेते हैं उसकी बेहतर कीमत उन्हें मिल पाए। इसके अलावा सरकार ने MSP के लिए वन उपजों की संख्या भी बढ़ाई है। पांच वर्ष पहले जहां सिर्फ 10 फसलों पर MSP मिलता था अब वो संख्या बढ़ा कर करीब-करीब 50 हो चुकी है। केंद्र की एनडीए सरकार ने ही बांस के कानून को भी बदला है। जिससे आप अपने खेतों में भी अपने खुद के खेत में बांस उगा कर उसको काट कर उस बांस को बेचकर आप पैसे कमा सकते हैं, पहले कानून आपको रोकता था हमने कानून बदल दिया।

साथियो, जनजातीय क्षेत्रों में एकलव्य मॉडल स्कूल खोले जा रहे हैं। हमारे युवाओं को खेल की अच्छी सुविधा मिले इसके लिए भी संस्थान बनाए जा रहे हैं। हमारे जनजाति वीर-वीरांगनाओं की शौर्य गाथाएं नई पीढ़ी को प्रेरित करे, इसके लिए देश भर में स्मारक स्थलों का निर्माण हो रहा है।

भाइयो और बहनो, जो अपने शहीदों को याद नहीं रखते, वो समाज, वो सभ्यताएं कभी विकास नहीं कर सकतीं। दुर्भाग्य से आजादी के 70 वर्षों में यही होता रहा है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। लेकिन इन वंशवादियों ने, जिनके गुण गा-गा कर दीदी यहां तक पहुंची है और जिनके भरोसे दिल्ली के सपने देखती हैं, उन्होंने नेता जी को भुलाने की साजिश रची। हमने आजाद हिंद फौज के भारत की आजादी में योगदान को फिर से उचित स्थान दिया। इस बार आजाद हिंद सरकार की 75वीं जयंती लाल किले पर धूम-धाम से मनाई गई। इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में आजाद हिंद फौज के सेनानी भी पहली बार परेड में शामिल हुए। भाइयो और बहनो, ये वो लोग हैं, जिन्होंने राष्ट्र की आजादी के लिए बलिदान दिए। हमारे भविष्य के लिए अपना वर्तमान दांव पर लगाया। हम सभी को ये गौरव नहीं मिल पाया, देश के लिए देश के लिए मरने का मौका नहीं मिला लेकिन जो हमारी अगली पीढ़ी है क्या उसके लिए सुरक्षित और समृद्ध भारत छोड़ना ये हमारी जिम्मेदारी है और आप मुझे बताइए क्या टीएमसी की वोटबैंक की सोच भारत को सुरक्षा दे सकती है? जो घुसपैठियों के चरणों में लोट-पोट है, वैसी विचारधारा क्या दुश्मनों से रक्षा कर सकती है? दिल्ली में टीएमसी और महामिलावटियों की मजबूर सरकार क्या देश को स्थिरता दे सकती है? ये काम कौन कर सकता है? कौन कर सकता है? कौन कर सकता है? कौन कर सकता है? कौन कर सकता है?

मोदी ये काम तभी कर पाएगा, जब आप पूरी शक्ति से दिल्ली में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बनाएंगे, आप सभी को एक-एक बूथ पर कमल खिलाना है। आपका एक-एक वोट मोदी के खाते में जाएगा। याद रखिए, याद रखोगे, याद रखोगे?

चुपचाप-कमल छाप, चुपचाप-कमल छाप, चुपचाप- कमल छाप, बूथ-बूथ से टीएमसी साफ, बूथ-बूथ से टीएमसी साफ, बूथ-बूथ से टीएमसी साफ, चुप चाप... कमल छाप, बूथ-बूथ से…टीएमसी साफ।
भारत माता की जय
भारत माता की जय
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!