Only vote-bank politics matter for Congress and JD(S): PM Modi

Published By : Admin | April 18, 2019 | 12:06 IST
The rapid strides that our country has taken during the last five years have been made possible by every precious vote supporting the BJP in 2014: PM Modi
The condition of Karnataka today has become just like the condition of the country in 2014 when corruption was endemic and governance had come to a total halt: PM Modi
I urge the people to not let the divisive agenda of the Congress and its allies prevail over our nationalist values: Prime Minister Modi

भारत माती की जय, भारत माता की जय

साथियो, लहर किसको कहते हैं, लहर कैसी होती है? ये देखना है तो चिकोडी आकर देखिए। दिल्ली में एयर कंडीशन कमरों में बैठ कर के जो लोग आज किसी को हराते हैं कल किसी को जिताते हैं। इनको समझ आएगा कि हवा का रुख क्या है। मुझे खबर मिल रही है कि आज सुबह से ही आपकी तरह ही मुझ पर अपना स्नेह जताने के लिए लोग बड़ी संख्या में अपने घर से निकल रहे हैं। इस चौकीदार के लिए आप सभी का यहीं विश्वास यहीं प्यार मेरी पूंजी है। भाइयो और बहनो, मैं पिछली बार विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के लिए यहां आशीर्वाद लेने के लिए आपके बीच आया था, और इसी मैदान में आया था, और इस बार मैं खुद अपने लिए आशीर्वाद मांगने के लिए आया हूं। 21वीं सदी के इस पर्व में आज आपका वोट बहुत अहम है। हमारे जो युवा साथी हैं। जो पहली बार वोट डाल रहे हैं। उनका वोट उनकी आकांक्षाओं की उड़ान तय करने वाला है। हमारे किसानों का ये वोट तय करेगा कि साल 2022 में उनकी इनकम दोगुनी होगी कि नहीं होगी? हमारी मध्यम वर्ग का ये वोट तय करेगा कि उनकी पसीने की कमाई पर टैक्स की राहत होगी, या उनपर तीन गुना चार गुना ज्यादा टैक्स लगेगा। देश के सामान्य मानवी उसका वोट ये तय करेगा कि महंगाई पर लगाम लगी रहेगी या फिर 2014 की तरह वो कंट्रोल से बाहर हो जाएगी। आपको वोट ये तय करेगा कि भारत माता की जय करने वालों को सम्मान मिलेगा या फिर टुकड़े-टुकड़े गैंग आपके बीच आकर भारत की बर्बादी के नारे लगाएंगे। आपका वोट तय करेगा कि राष्ट्रवाद रहेगा या फिर वंशवाद, भ्रष्टाचार और आतंकवाद। 

साथियो, आज विश्व धरोहर दिवस है। हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति हमारी पहचान को सुरक्षित रखना जरूरी है। आपके आशीर्वाद से मैं ये काम करने का बहुत ईमानदारी से प्रयास कर रहा हूं। लेकिन दुर्भाग्य से कांगेस और उसके महामिलावटी साथी हमारी परंपराओं को, हमारी संस्कृति को बदनाम करने का एक भी मौका नहीं छोड़ती। यहां जो कांग्रेस के अध्यक्ष हैं जो नामदार के राग दरबारी हैं। उनका बयान आपने सुना है। उनका बयान सुना है, वो कहते हैं कि हमारी आस्था, हमारा मत अफीम की तरह है। ये कैसी भाषा है। साथियो, कांग्रेस और जेडीएस नेताओं को सिर्फ एक वोट बैंक दिखता है। उनको जनहित और राष्ट्रहित से कोई मतलब नहीं है। कांग्रेस और जेडीएस की जोड़ी ऐसी है, जिसमें जगह-जगह झगड़े हैं, हर बात पर मतभेद है, लेकिन चार मामलों पर उनमें बड़ी जबरदस्त सहमति है, दोनों में मेल है, और वो चार बातें हैं, पहला राष्ट्रवाद को जी भर के गाली देना, दूसरा वंशवाद को पक्का समर्थन करना, तीसरा भ्रष्टाचारी शिष्टाचार यहीं उनकी परंपरा है। और चौथा सुबह शाम एक ही काम मोदी को गाली दो मोदी को गाली दो, मोदी को गाली दो। इसमें इन लोगों को जरा भी विवाद नहीं है। इसमें बराबर है, बाकी हर चीज में झगड़ा करते हैं।

भाइयो –बहनो, हम नक्सलवादियों से मोर्चा ले रहे हैं या फिर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने में जुटे हैं। देश की रक्षा के लिए जाने वाले में गरीब का बच्चा भी होता है, मध्यम वर्ग का बच्चा भी होता है। लेकिन यहां के मुख्यमंत्री उनका भी अपमान करते हैं। जो भाषा उन्होंने प्रयोग की है क्या कोई भी स्वाभिमानी देश का नागरिक ये मुख्यमंत्री की भाषा को स्वीकार करेगा। उन्होंने क्या कहा था याद है.. याद है... सेना में जो जवान जाते हैं उनके लिए ऐसी भद्दी बात ऐसी भद्दी बात बोली कि माथा शर्म से झुक जाता है। देश भक्ति की भावना को भूख से जोड़ते हुए कहते हैं कि सेना में वो लोग ही जाते हैं जिन्हें अपना भूखा पेट भरना होता है।

भाइयो-बहनो, देश के लिए सीने पर गोलियां खाने के लिए वो जाता है कि पेट भरने के लिए जाता है। ये सेना का अपमान है कि नहीं है? ये जवानों का अपमान है कि नहीं है? क्या ऐसा अपमान बर्दाश्त करेंगे आप लोग। ऐसा अपमान सहन करेंगे क्या? इस एक बात पर इस पूरे परिवार को सार्वजनिक जीवन से हमेशा हमेशा के लिए हटाना चाहिए? भाइयो बहनो, कांग्रेस तो इससे भी एक कदम आगे निकल गई। कांग्रेस ने वादा किया है, अगर गलती से भी मजबूर सरकार दिल्ली में आ गई तो उन्होंने लिखित में कहा है कि वो AFSPA का कानून हटा देगी यानि कि हमारे जवान आतंकियों और नक्सलियों से लड़ रहे हैं। उन्हें जो अधिकार मिलता है जो विशेष सुरक्षा कवच मिलता है उसे कांग्रेस छीनना चाहती है। कांग्रेस चाहती है कि आतंकियों के समर्थक, पत्थरबाज सैनिकों पर झूठे केस कर सके, औऱ हमारे सपूत अदालतों के चक्कर काटते रहे। इतना नहीं, कांग्रेस एक तरफ सैनिकों के सुरक्षा कवच हटाना चाहती है वहीं दूसरी तरफ देशद्रोह करने वालों को खुली छूट भी देना चाहती है। कांग्रेस ने देशद्रोह के कानून को खत्म करने का ऐलान कर दिया है। इससे पता चलता है कि उसके इरादे क्या है? क्या इस खतरनाक खेल को आपका समर्थन मिलेगा? आप समर्थन करेंगे ऐसे पाप करने वालों को? जो कांग्रेस देशद्रोहियों के साथ देगी उसको सबक सीखाएंगे? पक्का सबक सिखाएंगे? भाइयो बहनो, ये महामिलावटी लोग न जवान के हैं, न किसान के। मैं जानना चाहता हूं कि यहां की महामिलावटी सरकार कभी जवाब नहीं देगी लेकिन यहां के किसानों को पता है क्या हुआ कर्जमाफी का? ये लोग एक तो वादा पूरा नहीं करते, और जब यहां के किसान वादे की याद दिलाते हैं तो उनको गुंडा बुलाते हैं उनका अपमान करते हैं। 

भाइयो बहनो, किसानों की स्थिति सुधारने को लिए हमारी सरकार ने पीएम किसान योजना की शुरुआत की, देश के तीन करोड़ से ज्यादा किसानों को इसका लाभ मिलना शुरू हो गया है। उनके बैंक खाते में सीधे पैसे जा रहे हैं। लेकिन कर्नाटक के किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि यहां कि सरकार ने बहुत कम किसानों की लिस्ट हमें भेजी हैं। इन लोगों को डर है कि किसान के खाते में अगर पैसे पहुंच गया, तो यहां कि सरकार से लोग सवाल पूछेंगे। लेकिन आप आश्वस्त रहिए, ज्यादा देर तक आपका हक रोक नहीं पाएंगे। मैंने ठान कर के रखा है कि जो मैंने वादा किया है, जो बजट में पैसे रखे हैं वो आपके खाते में जमा कर के रहूंगा। वो लिस्ट नहीं देंगे तो लिस्ट निकलवा के रहूंगा। 23 मई को चुनाव का नतीजा आएगा। याद है ना। 23 मई को चुनाव का नतीजा आएगा। याद है ना। 23 मई को फिर एक बार मोदी सरकार। 23 मई को फिर एक बार मोदी सरकार। 23 मई को फिर एक बार मोदी सरकार बनेगी तो पाई पाई किसानों के अकांउट में जमा होगी। इतना ही नहीं हमने इस संकल्प पत्र में घोषित किया है कि अब किसान सम्मान योजना का लाभ कर्नाटक के हर किसान को मिले। चाहे कितनी भी जमीन हो, ये संकल्प हमने लिया है। 5 एकड़ भूमि को जो नियम बनाया था, नई सरकार बनने के बाद उस नियम को भी हटा लिया जाएगा। इसके साथ ही अब हम छोटे किसान और खेतों में काम करने वाले श्रमिकों को 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन भी देने वाले हैं। इसी तरह पशुपालकों के लिए भी हमने अनेक कदम उठाए हैं।

पशुपालकों की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए पैसे उपलब्ध हो इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी गई है। साथियो, किसानों की आय को बढ़ाने के लिए हम व्यापक रणनीति के साथ काम कर रहे हैं। आपके इस चौकीदार की सरकार ने 22 फसलों का लागत डेढ़ गुना समर्थन मूल्य तय किया है। अब भाजपा ने संकल्प लिया है कि आने वाले पांच वर्षों में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए 25 लाख करोड़ रुपये लगाए जाएंगे। गांव में किसानों को अनाज के भंडारण की सुविधा मिले। इसके लिए ग्राम भंडारण योजना बनाई जाएगी। गन्ना किसानों को भी मुश्किलों को सामना न करना पड़ा इसके लिए भी अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। गन्ने से इथेनॉल बनाना हो, या फिर चीनी समर्थन मूल्य तय करना अनेक फैसले सरकार ने लिए हैं

भाइयो-बहनो, ये पांच नदियों से घिरा इलाका है, लेकिन कांग्रेक और उसे साथी यहां के खेतों तक पानी नहीं पहुंचा पाए। हमारी सरकार पहले ही अनेक प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। अब इसे और विस्तार दिया जाएगा। बीते पांच वर्षों में जिस तरह हमने बिजली के लिए काम किया अब हम पानी देने के लिए कम करेंगे। इसके लिए भारत सरकार में अलग से एक नया मंत्रालय बनेगा, उसका अलग मंत्री होगा और वो होगा जल शक्ति मंत्रालय। सोलर पंप देने का काम तो हम शुरू भी कर चुके हैं। खेतों में छोटे-छोटे सोलर ग्रिड लगाकर मुफ्त में किसान सिंचाई भी कर पाएंगे और बाकी बची बिजली को किसान बेच भी सकेंगे। साथियो, विकास की पंचधारा बच्चों की पढ़ाई, युवा को कमाई, बुजुर्गों को दवाई, किसानों को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई। इस पर हम काम कर रहे हैं। चाहे सस्ती दवाईयां हो, या आयुष्मान भारत योजना कर्नाटक के गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार को आर्थिक लाभ हो रहा है। इसी तरह युवा साथियों को मुद्रा योजना के तहत स्वरोजगार के लिए बिना गारंटी के लोन दिए जा रहे हैं। इससे गांव-गांव में स्वरोजगार के अवसर बन रहे हैं। आने वाले पांच वर्षों में इस योजना को और सशक्त करेंगे। साथियो, एक तरफ विकास का हमारा विजन और दूसरी तरफ कांग्रेस के पास सिर्फ खोखली घोषणाएं हैं। कांग्रेस और महामिलावटी लोगों के शासन में तीन तरह के विकास होते हैं, कुछ परिवारों को विकास, बिचौलियों और दलालों का विकास और महंगाई का विकास। याद करिए 2014 से पहले महंगाई की स्थिति क्या थी। गरीब और सामान्य परिवार का जीना मुश्किल हो गया था। कांग्रेस आई महंगाई लाई, ये कांग्रेस का आदर्श वाक्य था। साथियो, चौकीदार की सरकार ने महंगाई की रफ्तार पर लगाम लगाई है, 10 प्रतिशत की दर से बढ़ने वाली महंगाई आज 2 से 3 प्रतिशत तक हमने पहुंचाई है। आप सभी चौकीदारों को चौकन्ना रहने की जरूरत है। क्योंकि कांग्रेस ने महंगाई बढ़ाने का काम तो सामने रख ही दिया है। गरीबों की सब्सिडी खत्म करने की भी योजना बनाई है। वोट के लिए कांग्रेस और उसके महामिलावट की हर साजिश को हमें नाकाम करना है। आपको एक एक वोट कमल के निशान पर देना है, और भाइयो बहनो, जब कमल के निशान पर बटन दबाएंगे न, जब आप कमल को वोट देंगे, जब कमल को वोट देंगे तो वो सीधा सीधा मोदी के खाते में जाएगा।

 

भाइयो-बहनो, आप मुझे बताइए पांच साल जिस मजबूती के साथ मैंने काम किया आप उससे खुश हैं? आपको संतोष है? पाकिस्तान में घुसकर के मारा उससे आप खुश है? हमारे जवानों के खून का बदला लेना चाहिए कि नहीं चाहिए? आपको को सेना पर भरोसा है? आपको सेना के पराक्रम पर भरोसा है? सेना की बात पर भरोसा है? ये कांग्रेस वाले हमारे सपूतों पर भरोसा नहीं कर सकते और पाकिस्तान के सपूतों पर भरोसा करते हैं। भाइयो बहनो, देश तभी बढ़ता है जब मजबूत सरकार होती है। देश तभी मजबूत होता है जब सरकार मजबूत हो। आप मुझे बताइए कि सरकार मजबूत होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? देश मजबूत बनाना है कि नहीं बनाना है ? मजबूत देश बनाने के लिए मजबूत सरकार बनाएंगे क्या ? और मजबूत सरकार बनाने के लिए चौकीदार मजबूत चाहिए कि नहीं चाहिए? लेकिन भाइयो बहनो, अकेला मैं चौकीदार नहीं हूं। पूरा हिंदुस्तान चौकीदार है, 130 करोड़ चौकीदार है। आप मेरे साथ संकल्प लेंगे। मैं कहूंगा मैं भी... आप कहेंगे चौकीदार, मैं भी... चौकीदार.. मैं भी... चौकीदार... हाथ ऊपर करके पूरी तकात से बोलना है। और जो पीछे हैं उन्होंने भी बोलना है।बोलेंगे? सारा देश चौकीदार... सौरा देश चौकीदार... मैं भी चौकीदार, भारत माता की जय..भारत माता की जय
बहुत बहुत धन्यवाद

 

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!