The AAP bought in ‘Nakaampanthi’ in governance in Delhi; they came to change the nation, they changed themselves over time: PM Modi
The people of India still remember how this former PM used Indian navy and army vessels as his personal taxi: PM Modi in Delhi
The BJP government at the Centre has constantly worked to ensure greater, better mobility for the people of this city: Prime Minister Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय
दिल वालों के शहर दिल्ली को, मेहनतकश लोगों के शहर दिल्ली को मेरा नमस्कार।

दिल्ली में पंजाब, हरियाणा का जोश है तो पूर्वांचल की मिठास है। नॉर्थ ईस्ट का उत्साह है तो दक्षिण भारत की सौम्यता। ये मेरा सौभाग्य है कि आपने मुझे अपनी सेवा करने का अवसर दिया। साथियो, अपने काम का हिसाब देने से पहले मैं दिल्ली के हर व्यक्ति का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। एक बात और है, जिसके लिए दिल्ली के लोगों से मैं क्षमा भी चाहता हूं। साथियो, बीते पांच वर्षों में दिल्ली के अनेक इलाकों में आना जाना हुआ। कई बार एनसीआर के अलग-अलग शहरों में भी कार्यक्रम हुआ। इस दौरन प्रधानमंत्री बनने के बाद जो सुरक्षा के ताम-झाम जुड़े हैं। वो भी साथ ही चले। आते-जाते हुए मैं हमेशा देखता हूं कि बैरिकेटिंग लगी है। लोग बहुत दूर रोक लिए गए है। किसी दूसरे शहर से कभी रात 10 बजे लौटते हुए, कभी रात 12 बजे लौटते हुए, जब धौला कुआं पर ट्रैफिक रुका हुआ देखता था, तो ये भी सोचता था कि आज फिर मेरी वजह से कुछ लोगों को घर जाने में देर हो जाएगी। साथियो, मैं आप लोगों के बीच से ही निकलकर के यहां पहुंचा हूं। इसलिए बुलेट प्रूफ दीवारों में रहना न मेरा शोक है न मेरी आदत है। जब-जब मौका मिला है, मैंने कोशिश भी की है कि इस दीवार को जरा साइड रख दूं। अक्सर दिल्ली मेट्रो में सफर करते हुए जब लोगों से घिर जाता हूं तो वो मेरे लिए बहुत यादगार पल होते हैं। आपका यहीं प्यार यहीं समर्थन मुझे ऊर्जा देता रहा है। बीते पांच वर्ष में भाजपा, एनडीए सरकार को शक्ति देता रहा है। आपके मजबूत समर्थन के कारण ही आज नए भारत का रास्ता प्रशस्त हो रहा है। बीते पांच वर्षों में देश में जो बड़े फैसले लिए गए हैं। कड़े फैसले लिए गए हैं। उसमें आपने सदैव मेरा साथ दिया है। आज वीआईपी वाली लाल बत्ती अगर नेताओं और अफसरों की गाड़ी से उतरी है तो इसका कारण आप सभी है। आज पूरी सरकार आपके मोबाइल फोन की पहुंच में आ पाई है तो इसका कारण भी आप सभी है। भाइयो-बहनो, बहुत साल पहले दुनिया में एक कांसेप्ट आया था इज ऑफ डूइंग बिजनेस। हमने पांच साल न सिर्फ इज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिग में रिकॉर्ड सुधार किया। बल्कि उससे आगे बढ़कर इज ऑफ लिविंग के लिए काम किया। साथियो, इन पांच सालों में हमने 1400 से अधिक गैर जरूरी कानून खत्म किए हैं। जिससे जीवन और व्यापर में आसानी आई है। पहले लोगों को दस्तावेजों को अटैच कराने के लिए कितना भागना दौड़ना पड़ता था। हमने इसकी अनिवार्यता खत्म की। जिससे करोड़ों लोगों को राहत मिली है। हमने ग्रुप सी और ग्रुप डी की सरकारी नौकरियों में इंटरव्यू भी खत्म किया। जिससे भ्रष्टाचार का बड़ा रास्ता बंद हुआ है। हमने नई कंपनी खोलने की प्रकिया आसान की है। पहले यहां एक कंपनी खोलने में 7 से 15 दिन लग जाते थे। अब 24 घंटे में ये काम पूरा हो जाता है। इसी तरह जीएसटी ने देश में टैक्स का जाल खत्म किया है। जीएसटी को भी इस तरह डिजाइन किया गया है कि इंस्पेक्टर राज से लोगों को मुक्ति मिले। 

 भाइयो-बहनो, जब साफ नीयत से काम होता है, ईमानदारी से अपने लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास किया जाता है तो नतीजे भी मिलते है। जो महंगाई देश के हर चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा होती थी वो आज कैसे नियंत्रण में है। विपक्ष के लोग चाहकर भी मंहगाई के मुद्दे पर कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। ये मेरे दिल्ली के लोग बराबर इसको देखते हैं। साथियो, आज गरीबों को घर, गैस, शौचालय से लेकर हर वर्ष पांच लाख रुपये तकत का मुफ्त इलाज संभव हुआ है। मिडिल क्लास को अपने घर के लिए अब प्रधानमंत्री आवास योजना से सहायता मिल रही है। उसकी 5-6 लाख रुपये तक की सेविंग हो रही है। पहले कुछ बेइमान लोगों के कारण जिनके घर का सपना अधूरा रह जाता था। अब रेरा जैसे कानून की वजह से उन्हें नई ताकत मिली है। मोबाइल फोन का बिल हो, या फिर दवाइयों का बिल पहले की अपेक्षा बहुत सस्ता हुआ है। हमने मिडिल क्लास की ईमानदारी का सम्मान करते हुए पांच लाख रुपये तक की टैक्सवल इनकम को टैक्स के दायरे से बाहर कर दिया है। साथियो, दिल्ली की एक बड़ी चुनौती है प्रदूषण, प्रदूषण का हल, तकनीक के बहेतर इस्तेमाल और ट्रांसपोर्ट के आधुनिक तौर तरीके में है। राजधानी में मेट्रो का विस्तार हो, इलेक्ट्रिक मोबिलेटी हो, सोलर सेक्टर से जुड़ी नीतियां हो, या नेक्स्ट जनरेशन इंफ्रास्ट्रक्टर का काम इसका बड़ा लाभ दिल्ली के लोगों को मिलने वाला है। याद करिए पहले हजारों ट्रक हर रोज उत्तर प्रदेश या हरियाण या अन्य राज्यों में आने जाने के लिए दिल्ली की सड़कों से होकर जाते थे। ये जाम के कारण थे, प्रदूषण के कारण थे। पहले की सरकारें वर्षों से पेरिफेरल एक्सप्रेस वे को पूरा करने पर ध्यान नहीं दे रही थी। अब ईस्टर्न पेरिफेरल और वेस्टर्न पेरिफेरल बनने के बाद वो ट्रक बिना दिल्ली में अंदर आए सीधा अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जाते हैं। इससे दिल्ली में जाम में भी कमी आई है और प्रदूषण में भी कमी आई है। इसी तरह पहले आपको इंडिया गेट से गाजीपुर बॉर्डर तक जाने के लिए तकरीबन एक घंटा लगता था, आज सिर्फ 15 से 20 मिनट लगते हैं। आपको धौला कुआं से एयरपोर्ट जाते हुए या वापस आते हुए भी घंटों जाम में फंसा रहना पड़ता था। आज वहां भी लोगों को ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिल रही है। हम गंगा जी की तरह ही यमुना जी को भी अविरल और स्वच्छ बनाने का कम शुरू कर चुके हैं। भाइयो-बहनो, आज जब हम सभी 21वीं सदी का भारत बनाने के लिए देश को विकास की नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने के लिए ईमानदार कोशिश कर रहे हैं तब देश की राजधानी को गवर्नेंस के मॉडल का मूल्यांकन करना भी जरूरी है। साथियो, आजादी के बाद से हमारे देश में चार राजनीति परंपराएं, चार राजनीति कल्चर देखे गए हैं। पहला नामपंथी जिनके लिए वंश और विरासत का नाम यहीं उनका विजन है। पहला नामपंथी दूसरा वामपंथी जिनके लिए विदेशी विचार, विदेशी व्यवहार, यहीं उनकी रोज रोटी है, यहीं उनका विजन है, तो पहला नामपंथी, दूसरा वामपंथी और तीसरा दाम और दमनपंथी जिनके लिए गुंडातंत्र यहीं उनके गणतंत्र की परिभाषा है। पहला है नामपंथी दूसरा वामपंथी, तीसरा दाम और दमन पंथी और चौथा है विकास पंथी। जिनके लिए सबका साथ और सबका विकास भी सर्वोपरि है।

 भाइयो-बहनो, लेकिन दिल्ली देश का वो एकलौता राज्य है, जिसने पॉलिटिकल कल्चर का एक पांचवां मॉडल भी देखा। ये पांचवा मॉडल है नाकामपंथी। ये पांचवा मॉडल है नाकामपंथी। यानी जो दिल्ली के विकास से जुड़े हर काम को न कहते हैं और जो काम करने की कोशिश भी करते हैं उसमें नाकाम रहते हैं। इस नाकामपंथी मॉडल ने दिल्ली में न सिर्फ अराजकता फैलाई बल्कि देश के लोगों के साथ विश्वासघात किया है। भाइयो-बहनो, इन नाकामपंथियों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन को नाकाम करने का पाप कया है। देश के सामान्य मानवी की छवि को, आम आदमी की छवि को इन नाकामपंथियों ने बदनाम कर के रख दिया है। करोड़ों युवाओं के विश्वास और भरोसे को इन नाकामपंथियों ने चकना चूर कर दिया है। इतना ही नहीं इन्होंने देश में नई राजनीति के प्रयासों को भी नाकाम किया है। ये लोग देश बदलने आए थे लेकिन खुद ही बदल गए। ये लोग नई व्यवस्था देने आए थे लेकिन खुद ही अव्यवस्था, अराजकता का दूसरा नाम बन गए। इन लोगों ने पहले हर किसी को आनाप-शनाप कहा और फिर घुटनों के बल चलकर माफी मांग ली। इन लोगों ने अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के लिए हर बात से यू –टर्न लेने का काम किया। देश की हर संवैधानिक संस्था हर पद, हर व्यक्ति को गालियां देकर इन्होंने अपने संस्कार एक प्रकार से कुसंस्कार प्रकट किए। इन्होंने अपनी हर नाकामी का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने का काम किया। यहीं नहीं ये लोग टुकड़े –टुकड़े गैंग, टुकड़े टुकड़े गैंग के समर्थन में जाकर खड़े हो गए। पंजाब में देश के विरोधियों और खालिस्तान समर्थकों को इन्होंने ताकत दी। यहां तक की विदेश जाकर देश विरोधी ताकतों से भी संपर्क करने में इन्होंने कोई संकोच नहीं किया। साथियो, ये इतनी नेगेटिविटी से भरे हुए लोग हैं कि गरीबों के जुड़ी योजनाओं के सामने भी ये नाकामपंथी दिवार बनकर खड़े हो गए हैं। इसका एक उदाहरण मैं आपको देता हूं। साथियो, दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा और राज्य सरकार दोनों प्रकार के अस्पताल हैं। जो केंद्र सरकार के अस्पताल हैं वहां आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों को हर साल पांच लाख रुपये का इलाज सुनिश्चित हुआ है। लेकिन ये सुविधा राज्य सरकार के अस्पताल में गरीबों को नहीं मिल रही है। क्यों? क्योंकि दिल्ली में नाकामपंथी राज्य सरकार के तहत आने वाले अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना को लागू नहीं किया गया। इन्होंने सिर्फ अपनी राजनीति के लिए गरीब के जीवन से खिलवाड़ करने का काम किया है। भाइयो-बहनो, पूरे देश में सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण लागू हो चुका है। लेकिन दिल्ली में गीरब बच्चों को ये सुविधा भी नहीं मिल रही है।

 साथियो, दिल्ली में नाकाम पंथियों का ये मॉडल स्थापित करने की गुनहगार नामपंथी कांग्रेस भी उतनी ही जिम्मेदार है। आज दिल्ली के इस मंच से मैं पूरे देश को नामपंथ की राजनीति के बारे में विस्तार से बताना चाहता हूं. साथियो, कांग्रेस के नामदार परिवार की चौथी पीढ़ी आज देश देख रहा है। लेकिन वंशवादी प्रवृति सिर्फ एक परिवार तक ही सीमित नहीं रही है। जो इस परिवार के करीबी रहे उन्होंने भी वंशवाद का झंडा बुलंद रखा। दिल्ली में दीक्षित वंश, हरियाणा में हुड्डा वंश, वहां से लेकर के भजनलाल जी और बंशीलाल जी तक सिर्फ वंशवाद की सियासत चल रही है। पंजाब में बेअंत सिंह परिवार, राजस्थान में गहलोत परिवार और पायलट परिवार, मध्य प्रदेश में सिंधिया परिवार और कमलनाथ परिवार और दिग्विजय जी का परिवार। वंशवाद का नारा बुलंद कर रहे हैं। साथियो, वंशवाद की ये विकृति कांग्रेस के साथ दूसरे महामिलावटी दलों में भी फैली है। जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्लाह वंश और मुफ्ती वंश चल रहा है। यूपी में मुलायम सिंह जी तो बिहार में लालू जी के परिवार के नाम पर ही पार्टियां चल रही है। महाराष्ट्र में पवार वंश तो कर्नाटक में देवगौड़ा जी का वंशवाद फल फूल रहा है। तमिलनाडु में करुणानिधि का वंश तो आंध्र प्रदेश में चंद्र बाबू नायडू जी भी उसी वंशवाद का झंडा उठाए हुए हैं। ये वंशवादी नेता सामाजिक न्याय और सेकुलरिज्म की आड़ में भ्रष्टाचार और परिवारवाद में लिप्त है। नीचे से उठे लोगों को, गरीबी से उठे लोगों को इन पार्टियों में बची-खुची जगह में बेचारों को एडजस्ट होना पड़ रहा है। वो भी लंबे कालखंड के लिए नहीं। साथियो, जिन पार्टियों की सोच ही प्रतिभा और टैलेंट की कुचलने की हो। वो 21वीं सदी की भारत की सोच का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकती है। इसलिए आज जब मैं इनके वंशवाद पर सवाल खड़े करता हूं तो इन्हें दिक्कत होने लगती है। इन्हें अपने पूर्वजों के नाम पर वोट तो चाहिए लेकिन जब उन्हीं पूर्वजों के कारनामे खंगाले जाते हैं तो इन्हें मिर्ची लग जाती है। मैं आपके प्यार के लिए आपका आभारी हूं। अगर आप किसी के नाम पर वोट मांग रहे हैं तो उनके कारनामों का हिसाब भी देना ही होगा। भाइयो-बहनो, कांग्रेस आज कल अचनाक न्याय की बात करने लगी है। कांग्रेस को बताना पड़ेगा कि 1984 में सिख दंगों में हुए अन्याय का हिसाब कौन देगा? कांग्रेस को बताना पड़ेगा कि सिखों के खिलाफ जो दंगे हुए उसे जुड़ा होने का जिन पर आरोप है उनको मुख्यमंत्री बनाना ये कौन सा न्याय है।

 भाइयो-बहनो, कांग्रेस ने देश के साथ जो अन्याय किया हम उसे निरंतर कम करने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे संतोष है कि तीन दशक बाद पहली बार 84 के सिखों की कत्लेआम करने वाले गुनहगारों के गिरेबान तक अब कानून पहुंचा है। पहली बार, पहली बार वो सलाखों के पीछे पहुंचे हैं। फांसी के फंदे तक पहुंचे हैं। साथियो, आपके आशीर्वाद से हमने बीते पांच वर्ष में सत्ता के गलियारों में घुमते दलालों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि जिन्होंने जनपथ को दलालों और बिचौलियों का पथ बना रखा था। जहां क्वात्राकी मामा बोफोर्स तोप की दलाली का भाव फिक्स करता था। जहां अगस्ता हेलीकॉप्टर वाले मिशेल मामा का पलक बिछाकर स्वागत करते थे। जहां भोपाल का विनाश करने वाले एंडरसेन मामा को हवाई जहाज से भगाने की रणनीति बनती थी। अदालतें और जेल के डर से वहां अब वकीलों का ही आना-जाना रहता है। साथियो, आज की पीढ़ी को फर्स्ट टाइम वोटर्स को इन सारी सच्चाइयों से परिचित होना जरूरी है। आज कल आपने ये भी देखा होगा कि कांग्रेस के नामदार चिल्ला-चिल्ला कर मुझे पूछ रहे हैं और कह रहे हैं कि सेना किसी की पर्सनल जागीर नहीं है। देश की रक्षा करने वालों को अपनी जागीर कौन समझता रहा है। ये भी मैं आज ये दिल्ली की धरती से उन लोगों के सामने आंख में आंख मिलाकर हिंदुस्तान की जनता को बताना चाहता हूं। दिल्ली वासियों को बताना चाहता हूं। साथियो, क्या आपने कभी सुना है कि कोई अपने परिवार के साथ युद्धपोत से छुट्टियां मनाने जाए। आप इस सवाल पर हैरान मत होइए, ये हुआ है और हमारे ही देश में हुआ है। कांग्रेस के सबसे बड़े इस नामदार परिवार ने देश की आन -बान -शान INS विराट जो हमारा समुद्री युद्ध जहाज है। INS विराट का अपने पर्सनल टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया था। उसका अपमान किया था। ये बात तब की है जब राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे और दस दिन के लिए छुट्टियां मनाने निकले थे। 

भाइयो-बहनो, INS विराट उस समय समद्री सीमाओं की रखवाली के लिए तैनात था। लेकिन उसे छुट्टियां मनाने जा रहे गांधी परिवार को लेने के लिए भेज दिया गया। उसके बाद उनके पूरे कुनबे को लेकर INS विराट एक खास द्वीप पर रुका। दस दिन तक रुका रहा। भाइयो-बहनो, राजीव गांधी के साथ छुट्टी मनाने वालों में उनके ससुराल वाले भी शामिल थे। सवाल ये कि क्या विदेशियों को भारत के वॉरशिप पर ले जाकर तब देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया गया था कि नहीं गया था? ये खिलवाड़ है कि नहीं है? या सिर्फ इसलिए क्योंकि वो राजीव गांधी थे और उनके ससुराल वाले थे इटली से आए थे उन्हें सारी छूट मिल गई थी। भाइयो-बहनो, नामदार परिवार की इस छुट्टी का किस्सा इतने पर ही खत्म नहीं होता। गांधी परिवार जिस द्वीप पर गया था, वहां आवाभगत के लिए कोई नहीं था इसलिए सारी सुविधाएं जुटाने का काम भी सरकार और नौसेना के जवानों ने किया था। एक विशेष हेलीकॉप्टर वो भी सेना का दिन-रात उनकी सेवा में लगा रहा। पूरा प्रशासन इन लोगों के मनोरंजन का इंतजाम देखता रहा। भाइयो-बहनो, जब एक परिवार ही सर्वोच्च हो जाता है, तब देश की सुरक्षा दांव पर लग ही जाती है। जब एक परिवार ही सर्वोच्च हो जाता है तो आम नागरिकों की चिंता भी कहीं नजर नहीं आती है। आप याद कीजिए दिल्ली पर कितनी बार आतंकियों ने हमले किए।

कितने ही निर्दोष लोग इन धमाकों की चपेट में आए। भाइयो-बहनो, वो दिन भी थे जब दिल्ली के लोग बसों में डरते सहमते हुए चढ़ते थे। बाजारों में चलते समय मन में एक खटक लगी रहती थी कि कहीं कुछ हो न जाए। साथियो, आप 2014 से पहले की उस स्थिति को भी याद कीजिए जब एक साथ दो बड़े आयोजन करने में सरकार के हाथ पांव फूल जाते हैं। 2009 में और 2014 में तो कांग्रेस सरकार लोकसभा का चुनाव और IPL तक एक साथ नहीं करा पाई थी। अब उस दौर से आगे बढ़कर आज की स्थिति देखें बीते पांच वर्षों में इन धमाकों पर लगाम लगाने में हमारे वीर सुरक्षा कर्मी कामयाब हुए हैं। आज देश के 130 करोड़ लोग लोकतंत्र का पर्व मना रहे हैं। साथ ही करोड़ों साथी IPL का आनंद भी अपने शहरों में ले रहे हैं। इसी दौरान देश के लोगों ने चैत्र नवरात्री भी मनाई, हनुमान जयंती भी मनाई, ईस्टर भी मनाया और अब धूम धाम से रमजान भी मनाया जा रहा है इसी बीच में देश ने खतरनाक फोनी चक्रवात भी उसका भी डटकर मुकाबला किया है। और मैं फिर कहूंगा कि ये सब चुनाव और मतदान के बीच हो रहा है। ये सारे कार्य एक साथ होना भारत के सामार्थ्य को दिखाता है। आज जो सरकार है उसकी इच्छाशक्ति को दिखाता है। इसी इच्छाशक्ति की वजह से पुलवामा आतंकी हमलों के गुनहगार मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया है। पहले जो नामुमकिन लगता था, अब वो मुमकिन हुआ है। साथियो, नया हिंदुस्तान अब अपनी समस्याओं के लिए कहीं जाकर गिड़गिड़ाता नहीं है।

नया हिंदुस्तान जानता है कि आतंकी हमलों का खतरा अभी टला नहीं है। लेकिन वो आश्वस्त है कि क्योंकि नया हिंदुस्तान अब आतंकियों को घर में घुसकर मारता है। घर में घुसकर मारना चाहिए कि नहीं मारना चाहिए? घर में घुस कर मारना चाहिए कि नहीं मारना चाहिए? घर में घुसकर मारना चाहिए कि नहीं मारना चाहिए? नया हिंदुस्तान किसी को छेड़ता नहीं है लेकिन छेड़ने वालों को छोड़ता भी नहीं है। साथियो, आज जल में, थल में, नभ में हम एक शक्ति है ही। स्पेस में भी भी दुनिया की महाशक्ति में हमने अपना नाम दर्ज करा लिया है। आपके विश्वास और आशीर्वाद से भारत आज दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक होता जा रहा है। अब इस शक्ति को और मजबूत करने का समय आया है। खुद को दिल्ली का मालिक समझने वाले तो दूसरे लोग हैं। मैं तो खुद को आपका सेवक समझता हूं। आपकी निरंतर सेवा कर संकू, इसके लिए दिल्ली से फिर एक बार आशीर्वाद मांगने आया हूं। आपके पिछले पांच साल के सहयोग के लिए धन्यवाद, लेकिन आने वाले पांच साल के लिए मुझे आपसे फिर से एक बार आशीर्वाद चाहिए। समग्र दिल्ली से मुझे आशीर्वाद चाहिए। आपको एक एक बूथ पर कमल खिलाना है, आपका एक एक वोट मोदी के खाते में आएगा। आपसे मैं आग्रह करता हूं, अपना बूथ मजबूत बनाएंगे? अपना बूथ मजबूत बनाएंगे ? अपना बूथ मजबूत बनाएंगे? घर-घर जाएंगे? मतदताओं से मिलेंगे? मेरी बात पहुंचाएंगे ? मतदान के लिए निकालेंगे ? कमल पर बटन दबाएंगे ? भाइयो-बहनो, एक बार फिर आप सभी का हम सब पर आशीर्वाद बना रहे, इसके लिए मैं आपसे आग्रह करता हूं, मेरे साथ बोलिए

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय
बहुत बहुत धन्यवाद

 

 

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Prime Minister condoles passing away of former Prime Minister Dr. Manmohan Singh
December 26, 2024
India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji: PM
He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years: PM
As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has condoled the passing away of former Prime Minister, Dr. Manmohan Singh. "India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji," Shri Modi stated. Prime Minister, Shri Narendra Modi remarked that Dr. Manmohan Singh rose from humble origins to become a respected economist. As our Prime Minister, Dr. Manmohan Singh made extensive efforts to improve people’s lives.

The Prime Minister posted on X:

India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji. Rising from humble origins, he rose to become a respected economist. He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years. His interventions in Parliament were also insightful. As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives.

“Dr. Manmohan Singh Ji and I interacted regularly when he was PM and I was the CM of Gujarat. We would have extensive deliberations on various subjects relating to governance. His wisdom and humility were always visible.

In this hour of grief, my thoughts are with the family of Dr. Manmohan Singh Ji, his friends and countless admirers. Om Shanti."