Farmer Welfare Is Of Utmost Importance for Us: PM Modi

Published By : Admin | February 10, 2017 | 13:42 IST
SP government in Uttar Pradesh is unable to protect the interests of the poor and honest citizens: PM
Welfare of sugarcane farmers is of utmost important for the BJP Government: PM
Farmer welfare is most vital for us. Our Government has brought the Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: PM
Uttar Pradesh does not deserve an inefficient state government that does not work for their wellbeing: PM

भारत माता की जय। भारत माता की जय।

मंच पर विराजमान केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमान संजीव बालियान जी, सांसद श्रीमान यशवंत सिंह जी, सांसद श्रीमान भारतेंदु सिंह जी, मेरे साथी श्री स्वतंत्र देव सिंह, संसद के मेरे साथी श्रीमान सर्वेश सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती कांता कर्दम जी, प्रदेश के सचिव युवा मोर्चा भाई मोहित बेनीवाल जी, जिलाध्यक्ष श्रीमान राजीव सिसोदिया जी, विधायक एवं नूरपुर से भाजपा उम्मीदवार श्रीमान लोकेंद्र चौहान जी... अभी ट्रैफिक में फंसे हैं, मैं देख रहा था कि रास्ते भर इतना ट्रैफिक था कि हमारे अध्यक्ष जी नहीं पहुंच पाए, हमारे कुछ उम्मीदवार भी नहीं पहुंच पाए। अब हम तो हैलीकॉप्टर से पहुंच गए। नहटौर के विधायक और उम्मीदवार श्रीमान ओम माथुर जी, ओम कुमार जी, बड़ापुर भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान सुशांत सिंह जी, धामपुर के उम्मीदवार श्री अशोक राणा जी, नगीना से उम्मीदवार श्रीमती ओमवती जी, नजीबाबाद श्रीमान राजीव अग्रवाल जी, चांदपुर से उम्मीदवार श्रीमती कमलेश सैनी जी, बिजनौर जिला ... बिजनौर सदर से उम्मीदवार श्रीमती सुचि चौधरी जी, क्षेत्रिय उपाध्यक्ष श्रीमान महेन्द्र धौनरिया जी, विशाल संख्या में पधारे मेरे प्यारे भाइयों बहनों।

मैं सबसे पहले आप सब भाइयों बहनों से क्षमा मांगना चाहता हूं। मैं आपसे माफी मांगना चाहता हूं, मैं माफी इसलिए मांग रहा हूं क्योंकि हमारे यहां के व्यवस्थापकों ने सोचा था कि शायद लोग जो आएंगे। इसमें इनको समावेश हो जाएगा लेकिन मैं देख रहा हूं। इस दीवार के उस पार इससे भी ज्यादा लोग हैं। वो मैदान के बाहर छूट गये हैं, ये मैदान छोटा पड़ गया, आप पहुंच नहीं पाए, इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की तरफ से जो आपको असुविधा हुई, उसके लिए मैं आपकी क्षमा मांगता हूं।

भाइयों-बहनों।

ये मेरा सौभाग्य है कि दूर-दूर छत पर जो खड़े रहे हैं। शायद उनको सुनाई भी नहीं देता होगा। यहां दीवार के उस पार हजारों लोग शायद मुझे देख भी नहीं पाते होंगे। इसके बावजूद आप मुझे आशीर्वाद देने के लिए आए मैं आपका ह्दय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।  

भाइयों-बहनों।

चुनाव तो मैंने बहुत देखे हैं, चुनाव के लिए राजनैतिक दल तैयारियां भी करें, साल-साल पहले से तैयारियां करें, अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को काम में लगाएं, ये तो मैंने हिंदुस्तान के हर कोने में देखा है। लेकिन उत्तर प्रदेश में चुनाव की तैयारियों में मैंने एक नई चीज देखी जो मुझे हिंदुस्तान में और कहीं पर दिखाई नहीं दी और वो तैयारी कर रहे थे यहां के मुख्यमंत्री, यहां की समाजवादी पार्टी। उन्होंने पुलिस को काम में लगाया था। अपनी पार्टी के लोगों को काम में लगाया था कि उत्तर प्रदेश के अंदर समाजवादी पार्टी का विरोध करने की ताकत रखने वाले कौन-कौन लोग हैं। उनकी सूची बनाओ, दम वाले कौन हैं, जनता में लोकप्रिय कौन हैं, माद्दा रखने वाले कौन हैं, समाजवादियों की गुंडागर्दी के सामने झुकने को तैयार नहीं, ऐसे कौन लोग हैं, इनकी सूची बनाओ। साल-डेढ़ साल पहले सूचियां बनाई गईं और पिछले एक साल में कोई विधानसभा क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां समाजवादी सरकार ने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को गलत गुनाहों में उनके नाम दर्ज कर दिये, जेलों में ठूस दिये। श्रीमान अखिलेश जी कान खोलकर के सुन लो। 11 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे और वो सिर्फ चुनाव के नतीजे नहीं होंगे, वो आपका कच्चा चिट्ठा खोलने वाले होंगे।

...और भाइयों-बहनों।

सरकार तुरंत ऐसे गलत कौन-कौन से गुनाह रजिस्टर किये गए, निर्दोष नागरिकों को किस-किस को फंसाया गया, किन-किन लोगों को जेल में ठूस दिया गया उसका सारा कच्चा चिट्ठा खोल दिया जाएगा, जांच बिठाई जाएगी और अखिलेश जी आप अपने वफादार लोगों के द्वारा जो पाप कर रहे हो आप उनको बचा नहीं पाओगे, ये लिखकर के रखो। क्या सरकार का उपयोग ऐसे करते हो? अपने विरोधियों को जेलों में बंद करने के लिए कानून का दुरुपयोग करते हो? भाइयों-बहनों आज मैं उत्तर प्रदेश की धरती पर आया हूं, ये मेरी चौथी रैली है, जहां-जहां गया हूं ऐसा जनसैलाब देखा है। ऐसा लग रहा मानो जैसा पूरा केसरिया सागर उमड़ पड़ा है।

भाइयों-बहनों।

जिसे राजनीति का “र” समझ नहीं होता उन्हें भी पता चलता है। ये आंधी नहीं तो क्या है? भाइयों-बहनों आज संत रविदास जी की जयंती है। काशी के लोगों ने मुझे प्रधानमंत्री के लिए सांसद बनाने में काशी के आशीर्वाद रहे। पूरा उत्तर प्रदेश पूरी ताकत के साथ मेरे साथ खड़ा हो गया। अगर उत्तर प्रदेश के लोगों ने, अगर आपने मुझे ताकत न दिखाई होती तो भाइयों-बहनों। आज देश को स्थिर सरकार न मिलती, आज देश में मुझे प्रधानमंत्री के रूप में सेवा करने का सौभाग्य नहीं मिलता, ये आपके कारण मिला है और वो काशी जहां संत रविदास का जन्म हुआ। पांच सौ साल के बाद भी पूरा हिंदुस्तान संत रविदास जी की बातों को स्मरण करके अच्छाई के रास्ते पर चलने का प्रयास करता है। मैं संत रविदास जी के चरणों में नमन करता हूं, आदर पूर्वक नमन करता हूं और जात-पात से परे संत परंपरा से परे मानव का कल्याण करने का संत रविदास जी ने जो संदेश दिया है, ऊंच-नीच का भेद किये बिना सबको अपना बनाने का संदेश दिया है। मन चंगा तो कठौती में गंगा ये संदेश जिस महापुरुष ने दिया है उस पवित्र संदेश को जी करके अगर कोई सरकार दिखाती है तो सबका साथ-सबका विकास इस मंत्र को लेकर के काम करने वाली भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली की सरकार कर रही है भाइयों। संत रविदास जी का आत्मा आज जहां भी होगा आज सबसे ज्यादा संतोष उनको होगा क्योंकि उन्होंने जो रास्ता दिखाया है इस रास्ते को पार करने का काम आज भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सरकार पूरी ईमानदारी के साथ कर रही है।

 

भाइयों-बहनों।

मैं आज, मैं आज बिजनौर आया हूं। लोकसभा के समय नहीं आ पाया था उसके बावजूद भी आपने प्रेम देने में कोई कमी नहीं रखी थी भाइयों, कोई कमी नहीं रखी थी और आज तो मैं देख रहा हूं... अध्यक्ष जी पहुंच पाए। देखिये जनता का प्यार देखिये। भाइयों-बहनों ये हमारा पूरा इलाका, कोई भी मुझे कहे आखिर सरकार किसके लिए होती है? सरकार किसके लिए होती है भाई? गरीब के लिए होती है कि नहीं होती है ...? ईमानदार नागरिक के लिए होती है कि नहीं होती है ...? सज्जन लोगों को रक्षा करने के लिए होती है कि नहीं होती है ...? आज कोई, कोई हिंदुस्तान का कोई व्यक्ति जो उत्तर प्रदेश से परिचित हो, कोई उत्तर प्रदेश का नागरिक जिसका भाजपा से कोई लेना-देना न हो, राजनीति से कोई लेना-देना न हो, ऐसा सीधा-साधा सज्जन नागरिक, एक भी नागरिक ये बताएगा कि उत्तर प्रदेश की सरकार सज्जनों की रक्षा करने वाली सरकार है ...? जरा जोर से बताइये है? क्या उत्तर प्रदेश की सरकार ईमानदारों की रक्षा करने वाली है ...? क्या उत्तर प्रदेश की सरकार मां-बेटियों की रक्षा करने वाली है ...? नौजवानों का भविष्य बनाने वाली है ...? किसानों का भाग्य सुरक्षित करने वाली है ...? जो सरकार ईमानदार का भला न कर पाए, सज्जनों का भला न कर पाए, दुखी, पीड़ित, शोषित, वंचित उनका कल्याण न कर पाए। क्या ऐसी सरकार की जरूरत है ...? ऐसी सरकार को निकालना चाहिए कि नहीं निकालना चाहिए ...?

भाइयों बहनों।

मैं देख रहा हूं। बिजनौर से बलिया होकर के बनारस तक पूरे उत्तर प्रदेश में परिवर्तन की एक जबर्दस्त लहर चल रही है। आंधी चल रही है और ये बचने के लिए, जो महीने पहले लड़ाई लड़ते थे, 27 साल उत्तर प्रदेश बेहाल, तू-तू, मैं-मैं करते थे लेकिन जब उन्होंने देखा कि चारों तरफ कमल दिखाई दे रहा है तो फिर निकल पड़े आ गले लग जा। बचाओ, बचाओ, बचाओ ...। मैं कभी-कभी श्रीमान अखिलेश जी के संबंध में मेरा ज्यादा परिचय तो नहीं। मीटिंग-मीटिंग में मिलना होता था, कभी अखबार में उनके विषय में पढ़ते थे तो ऐसा लगता था कि पढ़ा लिखा नौजवान है, हो सकता है सीखने का प्रयास कर रहा है। मुझे आशा थी कि शायद राजनीति में कोई नौजवान पांच-दस साल में धीरे-धीरे तैयार हो जाएगा, ऐसी मुझे आशा थी। दूसरी तरफ कांग्रेस के एक ऐसे नेता जिनकी बचकाना हरकतें। अगर आप कम्प्यूटर पर जाएं और गूगल में देखें शायद किसी राजनेता पर इतने चुटकुले नहीं होंगे जितने कांग्रेस के नेता पर हैं। उनका बोलचाल का ढंग, ये सब और वे ऐसी-ऐसी हरकतें करते थे कि कांग्रेस के भी वरिष्ठ नेता उनसे 10 फिट दूर रहना पसंद करते थे। जिस नेता से कांग्रेस के बड़े-बड़े लोग भी किनारा करते थे। अखिलेश जी आपने उसे गले लगा लिया और तब जाकर के मुझे अखिलेश जी की समझदारी पर शक होने लगा है। कोई बड़ी से बड़ी गलती कर सकता है. लेकिन ऐसी गलती नहीं कर सकता है जी।

भाइयों बहनों।

आपका अगर हम देखें बलात्कार की घटनाएं, बलात्कार की घटना, बहन-बेटी। मैंने उत्तर प्रदेश में एक सभा में पूछा कि सूरज ढलने के बाद बहन-बेटी घर से बाहर निकल सकती हैं क्या ...? निकल सकती हैं क्या ...? सभा पूरी करके मैं निकला हैलीकॉप्टर के पास एक सज्जन आए। उन्होंने कहा, साब मैं भाजपा वाला नहीं हूं, लेकिन आज आपने गलत बोल दिया। मैंने कहा, क्या गलत बोल दिया भाई?  बोले, आपने कहा कि सूरज ढलने के बाद बहन-बेटियां बाहर नहीं निकल पातीं हैं। ये आपका बयान गलत है। मैंने कहा, क्या हुआ भाई? अरे साब बोले सूरज ढलने के बाद नहीं, तपते सूरज में भी अकेली बहन-बेटियां बाहर नहीं निकल पातीं।

भाइयों बहनों।

इतनी पीड़ा होती है कि हमारी मां-बहन के साथ और इनकी मानसिकता देखिये। बदायूं जिले में जब सामुहिक बलात्कार हुआ तो कन्याओं पर कानून को कठोरता से लागू करने की बयाज समाजवादी पार्टी के नेताओं ने जो बयान दिये। मैं उस बयानों का बयान नहीं कर सकता हूं, अगर मैं करता हूं, करूंगा तो मुझे शर्मिदगी होगी लेकिन आप उस समय के अखबार निकाल कर देख लीजिए कि उन दो बहनों पर बलात्कार होने के बाद समाजवादी पार्टी के नेताओं ने कैसी-कैसी भाषा का प्रयोग किया था।

भाइयों-बहनों।

...और जब उत्तर प्रदेश में बहन-बेटियों की सुरक्षा की बात आए तो यहां के मुख्यमंत्री मीडिया को गाली देते हैं कि मीडिया वालों ने उत्तर प्रदेश को बदनाम कर दिया। ये मीडिया वाले बातें उछालते हैं और उसके कारण उत्तर प्रदेश में ये है। कोई मुझे बताइये। क्या उत्तर प्रदेश की सरकार का स्वयं का जो कानून व्यवस्था का रिपोर्ट है, वो उस बात की गवाही नहीं है कि यहां आए दिन बहन-बेटियों पर बलात्कार होते हैं, इतना ही नहीं भाइयों-बहनों समाजवादी पार्टी, ये पार्टी नहीं है कुनबा है कुनबा, एक परिवार का कुनबा और ये, ये दो पार्टियों का गठबंधन नहीं है ये गठबंधन दो कुनबों का है। एक दिल्ली वाला कुनबा और एक सैफई वाला कुनबा। ये दो कुनबा ही मिले हैं दो कुनबा और ये दो कुनबा मिलकर के ये सोच रखते हैं कि राज पाठ हमारी मालिकी का है कोई सामान्य मानवी उसमें घुस नहीं सकता है।  

भाइयों बहनों।

ये कुनबे के एक नेता, समाजवादी कुनबे के एक नेता ने क्या कहा? उसने कहा आज कल टीवी पर बच्चे ऐसा देखते हैं, इसलिए कभी-कभी ऐसा हो जाता है। क्यों भाई आप क्या बात बोल रहे हो? माताओं-बहनों पर होने वाले इतने भयंकर जुल्म और आप इस प्रकार की भाषाएं बोलते हो और कुनबे के मुखिया तो यहां तक कह दिये अरे बोले ‘बलात्कार तो होते रहते हैं उसमें सजा-वजा नहीं होनी चाहिए, फांसी की सजा नहीं होनी चाहिए, ये लड़के लोग लड़कपन में गलती कर देते हैं उनको माफ कर देना चाहिए।”

भाइयों बहनों।

जिस कुनबे की ये सोच हो, जिस कुनबे की ये परंपरा हो, आप तय करिये भाइयों-बहनों। क्या ऐसी सोच वाले मां-बेटियों की रक्षा कर पाएंगे क्या ...? कर पाएंगे क्या ...? और इसलिए भाइयों बहनों। आज मैं ये कहना चाहूंगा जिस प्रकार की भाषा, आप देखिये गाजियाबाद-अलीगढ़ हाइवे पर मां-बेटी को कार ने निकाल दिया और निकालकर के घंटों तक उनके ऊपर जुल्म चलता रहा और समाजवादी पार्टी की सरकार को इसकी जरा भी कोई चिंता नहीं हैं। ...और एक नेता, इस कुनबे के एक जो सबसे ज्यादा मलाई खा रहे हैं, सबसे ज्यादा मौज कर रहे हैं, सबसे ज्यादा फायदा उठा रहे हैं उनको तो सुप्रीम कोर्ट में जाकर के कान पकड़कर के मांफी मांगनी पड़ी, मांफी मांगनी पड़ी।

भाइयों बहनों।

कानून व्यवस्था पूरी तरह खत्म हो चुकी है। आपके भारतेंदु जी एमपी हैं, एक ही एमपी हैं ना ...? एक एमपी हैं ना ...? भारतेंदु जी एक एमपी हैं। आपके इलाके में भारतेंदु जी कुल गांव कितने होंगे ...? करीब 2 हजार? 2 हजार गांव होंगे ...?  2 हजार गांव उसमें से एक एमपी .. ठीक है? 2 हजार गांव में से एक एमपी। आपने दुनिया में कहीं देखा होगा क्या ...? एक गांव उत्तर प्रदेश में ऐसा है जिस गांव में से एमपी ही एमपी, एमएलए ही एमएलए, एमएलसी ही एमएलसी। कोई मुझे समझाओ, भाई क्या कारण है अकेले सफैई गांव से इतने सारे एमपी, इतने सारे एमएलए, इतने सारे जिला परिषदों के अध्यक्ष हर संस्था में सैफई गांव के एक ही कुनबे के सब लोग। क्या आपमें योग्यता नहीं है क्या ...? क्या आपमें क्षमता नहीं है क्या ...?

भाइयों बहनों।

ये ऐसा कुनबा है जिसने अपनी जाति की वोट बैंक तो बनाई है लेकिन जाति के लोगों का भी भला नहीं किया, सिर्फ एक कुनबे का भला किया है एक परिवार का भला किया है, एक गांव के लोगों का भला किया है और इसलिए भाइयों-बहनों करप्शन के मामले में... आप बताइये, नोएडा में एक व्यक्ति जो इंजीनियर नहीं लेकिन इंजीनियर के नाते नौकरी पाता था और मायावती जी का बड़ा निकट माना जाता था, खासमखास। भ्रष्टाचार के सारे कारोबार, वो सबसे बड़ा एजेंट था, बाद में उनके सामने केस हुए और ये अखिलेश जी की सरकार कह रही थी कि मायावती के जितने गुनहगार हैं। उन सबको ठिकाने लगा देंगे, पांच साल पहले उत्तर प्रदेश की जनता को लगा कि मायावती जी के खिलाफ जितने कानूनी काम हैं, अखिलेश जी आकर करके दिखाएंगे। उन्होंने कहा था, ठिकाने लगाएंगे। हम सोच रहे थे, सबको जेल भेज देंगे लेकिन उन्होंने क्या किया ये जितने लोग मायावती के साथ बदनाम थे उन सारे के सारों को इन्होंने अच्छे ठिकाने पर बिठा दिया। जिस व्यक्ति के खिलाफ इतने केस थे अखिलेश जी ने आकर के उसको उसी पद पर पूरी ताकत के साथ बिठा दिया लेकिन जब हमारे पास मामला आया हमने जांच शुरू करवाई, सीबीआई को देने के लिए तैयार नहीं थे, कोर्ट में मामला गया कोर्ट ने उसके खिलाफ सीबीआई को केस देने के लिए कहा। ये सुप्रीम में गये, ये अखिलेश सरकार एक भ्रष्ट आदमी, बेइमान आदमी जिसके घर से सैंकड़ों-करोड़ों रुपये पकड़े गये उसको बचाने के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार की तिजोरी के खर्च से सुप्रीम कोर्ट में गये, करोड़ों रुपयों का खर्च करके उसको सीबीआई में जाने से बचाने के लिए गरीब के रुपय खर्च कर दिये। भारत की सुप्रीम कोर्ट ने उसको सीबीआई को दे दिया और आज, आज हमारी ताकत देखो जेल में सड़ रहा है भाइयों।

भाइयों बहनों।

जो लोग करप्शन को बचाने तैयारियां करते हैं। ऐसे लोगों को, भाइयों-बहनों कुछ कहने, जितना भी हम कहें कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है उत्तर प्रदेश में, जहां अखिलेश सरकार और इस कुनबे के लोग और समाजवादी के नाम से लूट चलाने वालों ने अपना पराक्रम न दिखाया हो। ऐसी कोई जगह नहीं बची है और इसलिए भाइयों-बहनों अगर उत्तर प्रदेश को बचाना है, तो इन दोनों कुनबों से, जो दोनों कुनबे मिलकर के आए हैं। एक कुनबा जिसने 70 साल में देश को तबाह कर दिया। दूसरा कुनबा जिसने बारी-बारी से आकर के उत्तर प्रदेश को तबाह कर दिया। तबाह करने वाले दो कुनबे अलग-अलग थे। जब दो कुनबे अलग-अलग थे तो भी इतना नुकसान कर पाए ये दो कुनबे इकट्ठे हो गये हैं तो कुछ भी बचेगा क्या ...? आप मुझे बताइये कि ये दो कुनबे इकट्ठे हो जाएंगे तो कुछ बचेगा क्या ...? और इसलिए भाइयों-बहनों उत्तर प्रदेश को बचाना है तो सबसे पहले इस दो कुनबे जो मिलकर के आए हैं, उन कुनबों को निकालने की जरूरत है। उन कुनबों से बचाने की जरूरत है, तब जाकर के उत्तर प्रदेश बचेगा भाइयों-बहनों।

भाइयों-बहनों।

इन दिनों मेरे किसान भाइयों-बहनों यहां भी गन्ने की खेती होती है। आप मुझे बताइये उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाया पैसे दिलवाना ये अखिलेश सरकार की जिम्मेवारी है कि नहीं हैं ...? उन्होंने ये काम करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए ...? आज भी किसानों का गन्नों का पैसों का बकाया है कि नहीं है ...?

भाइयों-बहनों।

जब में लोकसभा का चुनाव लड़ रहा था 22 हजार करोड़ रुपया बकाया था और मैंने उस दिन कहा था कि मैं दिल्ली में जैसे ही आप लोगों का कार्य सेवा करने का अवसर शुरू करूंगा मैं उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की मदद करूंगा और भाइयों-बहनों दिल्ली सरकार ने अपनी तिजोरी से 22 हजार करोड़ रुपया जो उस समय भुगतान बाकी था उसका काम हमने पूरा कर दिया। 32 लाख किसानों को कोई बिचौलिया नहीं सीधा उनके खाते में पैसा जमा करवा दिया। लेकिन भाइयों-बहनों क्या कारण है कि ऐसी कौन... अखिलेश जी आपका उसके साथ नाता क्या है बताओ? ये दोनों कुनबे वाले मुझे बताइये ये 6 मिले हैं जिनका किसानों को अभी भी बकाया बाकी है। जरा अखिलेश जी बताइये।

भाइयों-बहनों।

11 मार्च को चुनाव का नतीजा आएगा भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही उत्तर प्रदेश में अभी भी जो गन्ना किसानों का बकाया है और ये 6-5 मीलें दबाकर के बैठी हैं। हम उनको दबाकर के पैसे दिलवा देंगे। मैं आपको कहना चाहता हूं।  

भाइयों-बहनों।

मैं उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी श्रीमान केशव प्रसाद मौर्य, हमारे यहां के सभी सांसद, हमारे यहां के सभी नेतागण आज मैं उनका ह्दय से अभिनंदन करना चाहता हूं। एक बहुत बड़ा फैसला उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी ने लिया है और उन्होंने कहा है कि ये जो छोटे-छोटे किसान हैं भाजपा की सरकार बनते ही इन छोटे किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। मैं भी उत्तर प्रदेश का सांसद हूं, सांसद के नाते मैं उत्तर प्रदेश की जनता को कहता हूं जो उत्तर प्रदेश में नई सरकार बनेगी भाजपा की सबसे पहला काम ये किसानों का मैं करवा के रहूंगा वो मैं आपको वादा करता हूं।

भाइयों-बहनों।

जब किसानों की बात आती है तो मैं ये तो समझ सकता हूं कि एक कुनबा ऐसा है जिस कुनबे को सपना है फैक्ट्री में आलू बनाने का, अब मुझे किसानों का क्या होगा, अब फैक्ट्री में आलू बनाने वाले हैं वो, आलू बनाने वाली फैक्ट्री लगाने वाले हैं, ऐसे कुनबे को जिसको ये मालूम नहीं है कि किसान अपना खून-पसीना लगाकर के आलू पैदा करता है वो फैक्ट्री में आलू पैदा करने की बात करते हैं उनको तो मेरी अपेक्षा नहीं है। उनको किसानी क्या होती है ...? किसान क्या होता है ...? खेत क्या होता है ...? खलिहान क्या होता है …? इसका उनका ज्ञान नहीं है लेकिन अखिलेश जी आपको तो कुछ समझ होनी चाहिए? आपके परिवार का बैकग्राउंड किसान का है लेकिन आपको भी समझ नहीं है।

कोई मुझे बताए भाई। अगर फसल खराब होती है तो तकलीफ आती है, कोई मुसीबत आती है। सबसे कम तकलीफ होने वाली कोई फसल है, उस फसल का नाम है गन्ना। गन्ना को कम से कम प्राकृतिक आपदा आती है। उसकी सहन करने की ताकत ज्यादा होती है। अब कोई, कोई कितना ही सुखी किसान होगा, कितना ही सुखी होगा। अरबों-खबरों वाला किसान होगा वो भी कभी गन्ने की खेती का बीमा नहीं करवाएगा, कभी नहीं करवाएगा क्योंकि उसको मालूम है कि गन्ने के लिए बीमा काम नहीं आता है। ये उत्तर प्रदेश की सरकार, गन्ना किसानों की विरोधी सरकार उसने ऐसा पाप किया है, उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता।

भाइयों-बहनों।

भारत सरकार ने किसानों की फसल के लिए, किसानों को मदद करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की, दो परसेंट, डेढ़ परसेंट की लागत से किसानों के लिए फसल बीमा योजना लाए और ये फसल बीमा योजना ऐसी है साब बुआई नहीं हो सकी, बारिश नहीं आई बुआई नहीं हो सकी उसके बावजूद भी अगर अगस्त महीने तक बुआई नहीं कर पाए तो बीमा का पैसा किसान को मिल जाएगा। फसल खड़ी है और प्राकृतिक आपदा आ गई, नुकसान हो गया तो उसका बीमा भी मिल जाएगा। मान लीजिए फसल खड़ी है लेकिन नुकसान नहीं हुआ, अच्छी फसल हो गई, कटाई हो गई, खेत के अंदर ढेर लगे हैं, अब ट्रैक्टर आने वाला है, ट्रक आने वाला है सोमवार को उठाकर ले जाना है और अचानक एक दिन पहले ओले गिर गए या बारिश आ गई। कटी हुई फसल का ढेर वो खराब हो गया, अगर 15 दिन में ये नुकसान हो जाएगा तो भी सरकार फसल बीमा का पैसा देगी। ऐसा बीमा कभी किसी ने नहीं दिया है, हमने ऐसा बीमा दिया है। लेकिन किसानों की इच्छा के विरुद्ध खासकर के गन्ना किसानों की इच्छा के विरुद्ध गन्ने को भी फसल बीमा में डालकर के किसानों से लूटने का पाप किया गया है।

भाइयों-बहनों।

सितंबर महीने में भारत सरकार के कृषि मंत्री श्रीमान राधामोहन सिंह जी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश जी को चिट्ठी लिखी। सरकार की तरफ से ढेर सारी चिट्ठियां भेजी कि भाई गन्ने किसानों को इसमें मत फंसाइये, उनसे रुपये मत ऐंठिये। उनको इसकी जरूरत नहीं है और अगर लागू करना है तो पहले किसानों को पूछो, अगर किसान चाहते हैं कि लागू करना चाहिए। भाइयों-बहनों उसके बावजूद भी उन्होंने हमारी सुनी नहीं और गन्ना किसानों को दंडित करने का पाप किया है। मैं आज, मैं आज आपको वादा करता हूं। हम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की भलाई के लिए लागू करना चाहते हैं, किसानों को दंडित करने के लिए उसका दुरुपयोग नहीं होने देंगे। हम गन्ना किसानों को पूछेंगे, अगर वो चाहेंगे तो बीमा लागू होगा। अगर वो नहीं चाहेंगे तो उनको बीमा थोपा नहीं जाएगा। उनके साथ अन्याय नहीं किया जाएगा।

भाइयों-बहनों।

चौधरी चरण सिंह जी जब वो प्रधानमंत्री कुछ दिनों के लिए बने थे। 30-35 साल पहले हिंदुस्तान में 70 साल का इतिहास है कि जब  चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने, तब एक बार हिंदुस्तान में फर्टिलाइजर के दाम कम हुए थे। खाद के दाम कम हुए थे। उसके बाद ये पहली सरकार दिल्ली में आई है। आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया है। चौधरी चरण सिंह के कदमों पर चलने का प्रयास कर रहा हूं और हमने आकर के खाद का, खाद का दाम कम करने का पहली बार निर्णय किया। जो काम चौधरी चरण सिंह जी ने किया था, उस काम को बाद में अगर किसी ने किया तो भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने करके दिखाया भाइयों। खाद की एक बोरी में 100 रुपया, 150 रुपया, 200 रुपया कम करने का काम चरण सिंह जी के बाद अगर किसी ने किया है, हमने किया है। क्योंकि चौधरी चरण सिंह जी के प्रति किसानों के लिए उन्होंने जो काम किया है। उन्होंने जो रास्ता दिखाया है, वही रास्ता सही है। उस रास्ते पर चलने का हमारा प्रयास है लेकिन कांग्रेस पार्टी को तो चौधरी चरण सिंह जी का नाम सुनते ही उनके रौंगटे खड़े हो जाते थे, वो कोई मौका नहीं छोड़ते थे। चौधरी चरण सिंह जी को बदनाम करने का, अपमानित करने का।

भाइयों-बहनों।

मैं तो उत्तर प्रदेश में सरकार बनेगी तो मैं इनसे आग्रह करूंगा एक सांसद के नाते आग्रह करूंगा। एक प्रधानमंत्री के नाते नहीं और मुझे विश्वास है कि उत्तर प्रदेश में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी तो मेरी इस बात को कभी टालेगी नहीं, ऐसा मैं विश्वास के साथ कहता हूं। मैं आग्रह क्या करूंगा, उत्तर प्रदेश के हर जिले में सरकार के खजाने से 500, 700, 1000 करोड़ रुपया निकाल करके हर जिले में चौधरी चरण सिंह किसान कल्याण कोष की रचना की जाएगी। ये मैं आज कहता हूं भाइयों। चौधरी चरण सिंह किसान कल्याण कोष 800, 1000 करोड़ लगा दूंगा। मैं सरकार से कहूंगा, आइये हम किसानों के कल्याण के लिए काम करें।

भाइयों-बहनों।

आप देखिये, आज प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वो किसान को हर प्रकार से गारंटी देता है लेकिन उत्तर प्रदेश जो हिंदुस्तान का सबसे बड़ा कृषि क्षेत्र वाला प्रदेश, हिंदुस्तान की सबसे ज्यादा जनसंख्या अगर किसी राज्य में किसान हैं को उत्तर प्रदेश में हैं जहां पर हिंदुस्तान का पेट भरने की ताकत है। उस उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सिर्फ 14 प्रतिशत लोगों तक पहुंची है। ये सरकार चलाते हो? ये कुनबा यही काम कर रहा है? अपने कुनबे के लिए सब कुछ करना लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए कुछ नहीं करना यही आपका कारोबार है?

भाइयों-बहनों।

राजस्थान भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, 53 प्रतिशत लोगों का फसल बीमा हुआ, महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार है करीब-करीब 50 प्रतिशत किसानों का फसल बीमा हुआ, मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की सरकार है करीब-करीब 50 प्रतिशत किसानों का फसल बीमा हुआ। क्या कारण है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ 14 प्रतिशत करके अटक गये। भाइयों-बहनों, अगर ऐसी मरी पड़ी सरकार हो, अगर ऐसी उदासीन सरकार हो, ऐसी अव्यवस्था वाली सरकार हो तो एक दिन भी ऐसी सरकार को चलने नहीं देना चाहिए।

भाइयों-बहनों।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा, फूड सिक्योरिटी, आपको जानकर के दुख होगा फूड सिक्योरिटी में जिन लोगों को सस्ते में अनाज मिलना चाहिए इसके लिए केंद्र की सरकार राज्यों को पैसे देती है, अनाज देती है और राज्यों को कहते हैं कि आप इन पैसों का उपयोग करिये। गरीब, दलित, पीड़ित, शोषित, वंचितों के घर में ये अनाज पहुंचाइये। आज मुझे दुख के साथ कहना है 50 लाख परिवारों की सूची, ये उत्तर प्रदेश सरकार न बना रही, न दे रही है। ...और उसके कारण केंद्र सरकार के पास साढ़े सात सौ करोड़ रुपये, वैसे के वैसे पड़े हुए हैं जो उत्तर प्रदेश के गरीबों की थाली के लिए थे लेकिन ये उत्तर प्रदेश की सरकार असंवेदनशील सरकार है। उन गरीबों को इस पैसों को पहुंचाने के लिए 50 लाख लोगों की सूची तक भेजने को तैयार नहीं। ऐसी सरकार आपका भला करेगी क्या ...? आपका कल्याण करेगी क्या ...?

भाइयों-बहनों।

हमारा उत्तर प्रदेश गेहूं का उत्पादन करता है, सबसे ज्यादा और सरकार एमएसपी के द्वारा गेहूं की खरीदी करती है ताकि किसान को सही पैसे मिले, सही दाम मिले, मुआवजा मिले। आज मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि 2016-17 में सरकार जो गेहूं खरीदना चाहिए जिसका पैसा दिल्ली की केंद्र सरकार देने को तैयार है। उत्तर प्रदेश ने सिर्फ 3 प्रतिशत खरीद की, 3 प्रतिशत। आप मुझे बताइये 97 परसेंट किसानों का क्या गुनाह था? सिर्फ 3 प्रतिशत लिया उन्होंने और जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं। हरियाणा 60 प्रतिशत उन्होंने खरीद किया, 60 प्रतिशत किसान को ताकत उससे मिलती है। कहां हरियाणा जैसा छोटा राज्य 60 प्रतिशत गेहूं खरीद लेता है और इतना बड़ा उत्तर प्रदेश ये पूरा कुनबा सारे उत्तर प्रदेश पर बैठ चुका है। सिर्फ किसानों का 3 प्रतिशत गेहूं लिया।

भाइयों-बहनों।

ऐसा करके किसानों का भला नहीं हो सकता है। चावल भाइयों-बहनों, चावल इतना बड़ा उत्तर प्रदेश है सरकार ने जितना चावल किसानों से लिया हरियाणा छोटा है, ढाई गुना चावल किसानों से हरियाणा सरकार खरीद सकती है, भाजपा सरकार खरीद सकती है इतने छोटे उत्तर प्रदेश में आप क्यों नहीं खरीद सकते हैं?

भाइयों-बहनों।

छत्तीसगढ़ बहुत छोटा प्रदेश है लेकिन वो उत्तर प्रदेश से 10 गुना ज्यादा चावल किसानों से खरीद लेता है। 10 गुना ज्यादा, इतना छोटा प्रदेश लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार को किसानों के लिए दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार ने जो योजना बनाई है उसको भी लागू करने की उनकी तैयारी नहीं है।

...और इसलिए भाइयों-बहनों ऐसे अनेक विषय हैं।

स्वच्छता का विषय, बिजनौर में सफाई हो, इसके लिए भारत सरकार पैसे दे रही है बताइये लेकिन 940 करोड़ रुपया उत्तर प्रदेश के शहरों की सफाई के लिए हमने दिया। सिर्फ 40 करोड़ रुपया खर्च कर पाई, 40 करोड़। 900 करोड़ रुपये वैसे के वैसे सड़ रहे हैं। बताओ ऐसी नाकाम.. भाइयों-बहनों ये कभी आपका भला नहीं कर पाएंगे। मेरे नौजवान, ऐसी मरी पड़ी सरकार आपके भाग्य को भी खत्म कर रही है, मार रही है। मैं नौजवानों के आह्वान करता हूं। मैं किसानों से आह्वान करता हूं। मैं माताओं-बहनों से आह्वान करता हूं। आइये, आइये उत्तर प्रदेश का भाग्य बदलने के लिए हम सब मिलकर के चलें और इस चुनाव में इस कुनबे से उत्तर मांगें। इस कुनबे से पूरा उत्तर प्रदेश उत्तर मांगे। पांच साल क्या किया जरा बताओ ...? मुझे बताइये ये हमारे गंगा के तट पर किसान कटाई के कारण परेशान हैं कि नहीं हैं ...? खेत के खेत बह जाते हैं कि नहीं बह जाते ...? पिछले चुनाव में भी अखिलेश जी ने यहां आकर के कटाई के संबंध में वादा किया था कि नहीं किया था ...? कटबंध का वादा किया था कि नहीं किया था ...? आज पांच के बाद फिर आकर के वही वादा किया कि नहीं किया ...? जरा हिसाब दो उन्होंने पांच साल में क्या किया हिसाब दो। ये हमारे एमपी इतने सक्रिय हैं, ये सारे एमपी मेरे पास आए थे और मैं आपका अभिनंदन करता हूं। आपने ऐसे-ऐसे सक्रिय एमपी दिये हैं, इतना काम करते हैं, मुझे भी चैन से नहीं बैठने देते। ये मुझे भी चैन से बैठने नहीं देते। उन्होंने मुझ पर दबाव डाला कि साब हमारे किसानों की जमीनें चली जा रही है, कटाई के कारण परेशानी हो रही है।

भाइयों-बहनों।

मैंने उमा भारती जी को यहां भेजा। उनकी तबियत ठीक नहीं थी। उन्होंने ट्रैक्टर में बैठकर दौरा किया और भाइयों-बहनों जहां-जहां पर ये किसानों की जमीन कटाई की समस्या थी कटबंध के बड़े अभियान को भारत सरकार ने उठाया है ताकि किसानों का भला हो ये काम हम करते हैं। मुझे बताइये खनिज की चोरी कौन करता है ...? बताइये खनिज की चोरी कौन करता है ...? खनिज की चोरी उत्तर प्रदेश में होती है कि नहीं होती है ...? बालू चोरी होती है कि नहीं होती है ...? नदियों में से बालू चोरी की जाती है कि नहीं होती है ...? और ऐसे लोगों को मंत्री बनाया जाता है कि नहीं बनाया जाता ...? पहले निकालो फिर लाओ। फिर निकालो फिर लाओ क्या चल रहा है भाई? और चुनाव अभियान का प्रचार भी उन्हीं से शुरू करते हैं, जिन्होंने प्राकृतिक संपदा को लूटा है। उन्हीं के इरादों से वोट मांगने के लिए निकल पड़ते हो। आपको पता चलना चाहिए कि इनका इरादा कैसा है। इनके लोग कैसे हैं, उनके कारनामें कैसे हैं? ये उत्तर प्रदेश की जनता भलिभाति जानती है।

...और इसलिए भाइयों-बहनों।

उत्तर प्रदेश के भाग्य को सुरक्षित करने के लिए, उत्तर प्रदेश के ईमानदार नागरिक की सुरक्षा के लिए, उत्तर प्रदेश के गरीब, पीड़ित, शोषित, दलित, वंचितों का कल्याण करने के लिए मैं आपसे आग्रह करने आया हूं। भारतीय जनता पार्टी के कमल के निशान पर बटन दबाकर के उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए आप हमारा पूरा मदद कीजिए। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिये। भारत माता की जय। भारत माता की जय। दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिये। वो दूर-दूर के लोग भी आपकी आवाज मुझे सुनाई दे रही है, मैं हैरान हूं अभी भी आप खड़े हैं, इतनी तादाद में खड़े हैं। मैं फिर एक बार आपको नमन करता हूं। सब मेरे साथ बोलिये। भारत माता की जय। भारत माता की जय।  बहुत-बहुत धन्यवाद।

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PM to participate in ‘Odisha Parba 2024’ on 24 November
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.