PM Modi's speech in a public meeting in Hooghly, West Bengal

Published By : Admin | February 22, 2021 | 16:10 IST
QuoteI assure people of Bengal that when BJP will be voted to power, you don't have to compromise with your culture: PM Modi
QuoteToday it's a big day for lakhs of students and workers who can now travel to Kolkata with the help of metro corridor from Dakshineswar: PM Modi
QuoteCentre transfers money directly into bank accounts of farmers and poor: PM Modi in Bengal
QuoteStarted 'Jal Jeevan Mission' to provide clean potable water to every household: PM Modi in Bengal
QuoteBJP will give Bengal a government that ensures development of all, appeasement of none: PM Modi

हुगली नोदी पूरो बांग्लार जॉल जीबौनधारा! 

एइ देबोत्तो भूमि ते एशे आमी, बाबा तारकनाथ आ माहाप्रोभु जगन्नाथ देब के शौतो-शौतो प्रोणाम जानाई !

आप लोगों का यह उत्साह, यह उमंग, यह ऊर्जा कोलकाता से लेकर दिल्ली तक बहुत बड़ा संदेश दे रहा है। अब पश्चिम बंगाल पोरिबोर्तन का मन बना चुका है।

एक बार फिर मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की... जय !

वंदे.... मातरम्

वंदे.... मातरम्

 

साथियो, 

आज इस वीर धरा से पश्चिम बंगाल अपने तेज विकास के संकल्प को सिद्ध करने के लिए एक बड़ा कदम उठा रहा है। पिछली बार मैं आपको गैस कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर का उपहार देने आया था, आज रेल और मेट्रो कनेक्टिविटी को मजबूत करने वाले महत्वपूर्ण काम शुरू हो रहे हैं। थोड़ी देर में हुगली की, पश्चिम बंगाल की रेल और मेट्रो कनेक्टिविटी के अनेक प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण होना है। इन महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए, बंगाल के उज्ज्वल भविष्य के लिए मैं आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 

साथियो, 

दुनिया में जितने देश गरीबी से बाहर आए या गरीबी मिटाने में सफल हुए या विकसित देश बने, ऐसे सभी देशों में एक बात बहुत कॉमन देखी जाती है। इन देशों ने अपने यहां सही समय पर बड़ी संख्या में इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया। आधुनिक हाईवे, आधुनिक रेलवे, आधुनिक एयरवे, इन देशों के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर ने, इन देशों को आधुनिक बनाने में मदद की, वहां ये एक प्रकार से परिवर्तन का बहुत बड़ा कारण बना। हमारे देश में भी यही काम दशकों पहले होना चाहिए था। लेकिन हुआ नहीं।

अब हमें और देर नहीं करनी है।

हमें एक पल भी रुकना नहीं है।

हमें एक पल भी गंवाना नहीं है।

इसी सोच के साथ आज देश में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर अभूतपूर्व जोर दिया जा रहा है, अभूतपूर्व निवेश किया जा रहा है। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, खेती, उद्योग, टूरिज्म, युवाओं को रोजगार, यानि विकास के हर पहलू के लिए जो मूलभूत आवश्यकता होती है। इसलिए पश्चिम बंगाल में भी कनेक्टिविटी से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर भारत सरकार की प्राथमिकता है, हमारी भी प्राथमिकता है। बीते वर्षों में हाईवे, रेलवे, एयरवे, वॉटरवे और आईवे, हर प्रकार की कनेक्टिविटी पर फोकस किया गया है। यहां बंगाल में भी हज़ारों करोड़ रुपए निवेश किए गए हैं। बंगाल में रेल लाइनों के चौड़ीकरण और बिजलीकरण का काम तेज गति से किया जा रहा है।  

भाइयो और बहनो,

अब रेलवे को लेकर पश्चिम बंगाल में संभावनाओं के नए द्वार खुल रहे हैं। पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का बड़ा लाभ पश्चिम बंगाल को होने वाला है। इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा चालू भी हो चुका है और बहुत जल्द पूरा कॉरिडोर खुल जाएगा, जिससे बंगाल में भी उद्योगों के लिए नए अवसर बनेंगे। इसी तरह जो विशेष किसान रेल शुरू की गई है, उसका लाभ आज पश्चिम बंगाल के छोटे किसानों को मिलना शुरू हो रहा है। अभी हाल में ही देश की 100वीं किसान रेल महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक चलाई गई। इससे यहां के फल, सब्जी, दूध और मछली से जुड़े छोटे किसानों को मुंबई, पुणे सहित देश के अनेक बड़े बाजारों तक सीधी पहुंच मिली है।

भाइयो और बहनो,

आज उत्तर 24 परगना, हावड़ा, हुगली जिलों के लाखों छात्र-छात्राओं, कर्मचारियों, श्रमिकों के लिए भी बहुत बड़ा दिन है। नॉर्थ-साउथ मेट्रो का नोआपाड़ा से दक्षिणेश्वर तक विस्तार होने से हर दिन इन जिलों के हजारों यात्रियों को लाभ होगा। अब आपको कोलकाता आने-जाने के लिए आधुनिक और सुविधासंपन्न, तेज पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिल गया है।

भाइयो और बहनो,

चंद्रनगर सहित ये पूरा क्षेत्र, भारत की आजादी का, भारत की संस्कृति और भारत के ज्ञान-विज्ञान का एक प्रकार से तीर्थ है।महर्षि अरबिंदो, मोतीलाल रॉय, रास बिहारी बोस, बिपिन बिहारी गांगुली, कनाई लाल दत्त, उपेंद्रनाथ बंदोपाध्याय, अनगिनत ऐसे महान व्यक्तित्वों का नाता इस धरती से है। ये वो धरती है जिसने रामकृष्ण परमहंस जैसे महान संत हमें दिए। माउंट एवरेस्ट को मापने वाले महान गणितज्ञ राधानाथ सिगर, महान भाषाविद भूदेव मुखर्जी, ऐसे मनीषियों का भी नाता इसी मिट्टी से रहा है। मुझे हैरानी है कि इतने वर्षों में जितनी भी सरकारें यहां रही हैं, उन्होंने इस ऐतिहासिक नगर को, इस पूरे क्षेत्र को अपने हाल पर ही छोड़ दिया। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को, यहां की धरोहर को बेहाल होने दिया गया।

मुझे बताया गया है कि, वंदेमातरम् भवन जहां बंकिमचंद्र जी 5 साल रहे, वो बुरी स्थिति में है। ये वो भवन है जहां उन्होंने वंदे मातरम् की रचना को लेकर मंथन किया। वो वंदे मातरम् जिसने आज़ादी की लड़ाई में नए प्राण फूंके, हमारे क्रांतिवीरों को नई ताकत दी, मातृभूमि को सुजलाम्-सुफलाम् बनाने के लिए हर देशवासी को प्रेरित किया। 'वंदे मातरम्', सिर्फ इन दो शब्दों ने, गुलामी की निराशा में जी रहे देश को नई चेतना से भर दिया था। ऐसे अमर गान की रचना करने वाले के स्थान को ना संभाल पाना, बंगाल के, गौरव के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। और इस अन्याय के पीछे बहुत बड़ी राजनीति है। ये वो राजनीति है जो देशभक्ति के बजाय वोटबैंक, सबका विकास के बजाय तुष्टिकरण को बल देती है। आज यही राजनीति, बंगाल में लोगों को मां दुर्गा की पूजा से रोकती है, उनके विसर्जन से रोकती है। बंगाल के लोग, वोटबैंक की राजनीति के लिए अपनी संस्कृति का अपमान करने वाले ऐसे लोगों को कभी माफ नहीं करेंगे। आज मैं बंगाल के लोगों को ये विश्वास दिलाता हूं, जब बंगाल में भाजपा की सरकार बनेगी तो हर बंगालवासी अपनी संस्कृति का गौरवगान पूरी ताकत और हिम्मत से कर सकेगा। कोई उसे डरा नहीं पाएगा, दबा नहीं पाएगा। भाजपा उस सोनार बांग्ला के निर्माण के लिए काम करेगी, जिसमें यहां का इतिहास, यहां की संस्कृति दिनोंदिन और मजबूत होगी। ऐसा बंगाल, जहां आस्था, अध्यात्म और उद्यम, सबका सम्मान होगा। ऐसा बंगाल, जहां विकास सभी का होगा, तुष्टिकरण किसी का नहीं होगा। ऐसा बंगाल, जो टोलाबाजी से मुक्त होगा, रोजगार और स्वरोजगार से युक्त होगा।

भाइयो और बहनो,

आजादी से पहले बंगाल, देश के अन्य राज्यों से कहीं आगे था। लेकिन जिन लोगों ने बंगाल पर राज किया, उन्होंने बंगाल को आज इस हालत में पहुंचा दिया है। मां-माटी-मानुष की बात करने वाले लोग, बंगाल के विकास के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए हैं। केंद्र सरकार किसानों और गरीबों के हक का पैसा सीधे उनके बैंक खाते में जमा करती है। जबकि बंगाल सरकार की योजनाओं का पैसा टीएमसी के टोलाबाजों की सहमति के बिना गरीब तक पहुंच ही नहीं पाता। यही वजह है कि गांव-गांव में टीएमसी के नेताओं की शानो-शौकत बढ़ती ही जा रही है और सामान्य परिवार गरीब से गरीब होता जा रहा है।

भाइयो और बहनो,

बंगाल के लाखों किसान परिवारों को पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा इसी मानसिकता के कारण नहीं मिल पाया। बंगाल के लाखों गरीब परिवार, आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा से आज भी वंचित हैं। गरीब को सुविधा मिले, इन प्रयासों को कैसे यहां रोका जाता है, इसका एक और उदाहरण मैं आपको देता हूं। देश के गांवों में हर घर तक पाइप से पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन चल रहा है। प्रयास ये है कि हमारी बहनों-बेटियों को पानी लाने में अपना समय और अपना श्रम ना लगाना पड़े। प्रयास ये है कि हमारे बच्चों को प्रदूषित पानी से होने वाली अनेक बीमारियों से बचाया जा सके। बंगाल के लिए ये मिशन इसलिए ज्यादा जरूरी है क्योंकि यहां डेढ़-पौने दो करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में से सिर्फ 2 लाख घरों में ही नल से जल की सुविधा है। अब बताइए क्या करके रख दिया था उन्होंने।  देश में अब तक इस अभियान के तहत देश में 3 करोड़ 60 लाख घरों को पानी के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। जहां बंगाल 2 लाख पर था, भारत सरकार ने इतना जोर लगाया, पैसे लगाए, पीछे पड़ गए, तो भी बंगाल में डेढ़-पौने दो करोड़ में से सिर्फ 9 लाख परिवारों तक ही पाइप से पानी का कनेक्शन पहुंच पाया है। यहां की सरकार जिस रफ्तार से काम कर रही है, उस रफ्तार से तो पश्चिम बंगाल के हर गरीब के घर पाइप से जल पहुंचाने में पता नहीं कितने साल बीत जाएंगे। टीएमसी सरकार, गरीबों के घर तक पानी पहुंचाने के लिए कितनी गंभीर है, इसका एक और उदाहरण आपको देता हूं। मैं आपसे पूछना चाहता हूं, क्या बंगाल के लोगों को पीने का शुद्ध पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। जरा पूरी ताकत से बोलिए....मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। गांवों में भी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। गरीब को भी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। ये आपका हक है कि नहीं है। यहां की सरकार को काम करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। लेकिन हुआ क्या। हर घर जल पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने 1700 करोड़ रुपए से ज्यादा, टीएमसी सरकार को दिए हैं। लेकिन इसमें से सिर्फ 609 करोड़ रुपए ही यहां की सरकार ने खर्च किया है। बाकी 1100 करोड़ रुपए यहां की सरकार दबाकर के बैठ गई है। ये दिखाता है कि टीएमसी सरकार को गरीब की, पश्चिम बंगाल की बहनों, बेटियों जरा भी परवाह नहीं है दोस्तो। क्या जो पानी के लिए तरस रही है वो बंगाल की बेटी है कि नहीं है। बंगाल की बेटी को पानी मिलना चाहिए कि नहां मिलना चाहिए। बंगाल की बेटी के साथ अन्याय करने वाले लोगों को क्या माफ किया जा सकता है। 

भाइयो और बहनो,

पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार सिर्फ सत्ता में पोरिबोर्तोन के लिए नहीं, बल्कि आसोल पोरिबोर्तोन के लिए बनानी है। बल्कि यहां कमल खिलाना इसलिए जरूरी है ताकि पश्चिम बंगाल की स्थिति में वो आसोल पोरिबोर्तोन आ सके जिसकी उम्मीद में आज हमारा नौजवान जी रहा है। ये हुगली, अपने आप में बहुत बड़ा उदाहरण है कि बीते दशकों की अव्यवस्था ने पश्चिम बंगाल को किस हाल में पहुंचा दिया है। हुगली जिला तो भारत में उद्योगों का एक प्रकार से हब था। हुगली के दोनों किनारों पर जूट इंडस्ट्री थी, आयरन और स्टील मशीनों के बड़े-बड़े कारखाने थे। बड़े पैमाने पर यहां से निर्यात होता था। लेकिन अब आज हुगली की क्या स्थिति है, ये आप भली-भांति जानते हैं। एक समय था जब पूर्वी भारत के अनेक लोकगीतों में हर घर में माताएं-बहनें किसी भी शुभ अवसर पर गीत गाती थी, जो लोकगीत गाते थे, उसमें गाया जाता था कि घर के लोग कमाने के लिए ‘कलकत्ता’ गए हैं। उस समय शब्द प्रयोग करते थे, कलकत्ता गए हैं। इन गीतों में ये उम्मीद लगाई जाती थी कि ‘कलकत्ता’ से आते समय, अपना परिवार का व्यक्ति जब घर लौटेगा तो घर के लोगों के लिए कलकत्ता से क्या-क्या लाएगा? कौन-कौन से उपहार लाएगा। कौन-कौन सी चीज कलकत्ता में नई बनी है, वो अब हमारे गांव, हमारे घर में आएगी। ऐसे गीत बंगाल के बाहर ओडिशा हो, बिहार हो, आंध्र-तेलंगाना तक, इधर असम, नॉर्थ-ईस्ट लोग स्वर में गाते थे। अब ये सब बदल गया है। अब इस औद्योगिक शहर के निवासियों को, बंगाल के बहुत से निवासियों को काम करने के लिए दूसरों राज्यों में जाना पड़ रहा है। इस स्थिति को बदलने का काम बंगाल में बनने वाली भाजपा सरकार करेगी। भाजपा सरकार, औद्योगिक विकास की नीतियों में बदलाव करेगी, तेजी से निर्णय लिए जाएंगे, इस क्षेत्र का विकास किया जाएगा।

साथियो, 

एक दौर था जब पश्चिम बंगाल की जूट मिलें, देश की अधिकांश ज़रूरतों को पूरा करती थीं। लेकिन इस इंडस्ट्री को भी अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। जबकि इससे हमारे किसान, हमारे श्रमिक, हमारे गरीब, उनका इस व्यवसाय से सीधा नाता था। जब से केंद्र में भाजपा सरकार आई है, तबसे जूट किसानों की चिंता की गई। अब तो गेहूं की पैकेंजिंग में जूट के बोरों को कंपल्सरी किया गया है। चीनी की पैकिंग के लिए भी बड़ी मात्रा में जूट का उपयोग अब हो रहा है।

साथियो, 

हुगली के आलू किसान, जो यहां की शान रहे हैं, उनकी स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। यहां के आलू और धान किसानों को कौन लूट रहा है, ये आप अच्छी तरह जानते हैं। जब तक यहां फूड प्रोसेसिंग के कारखाने नहीं लगेंगे, जब तक किसानों को अपनी उपज बेचने की आजादी नहीं मिलेगी, तब तक ना तो किसानों का हित होगा और ना ही मेरे मजदूर भाइयों-बहनों का।

साथियो,

बंगाल में निवेश के लिए उत्साह की कमी नहीं है, मुसीबत है सरकार ने जो  माहौल बनाया है। कट-कट-कट का जो कल्चर बनाया है। सिंडिकेट के हवाले बंगाल दे दिया है। उसी के कारण ये माहौल बिगड़ता गया है। जब भी मैं विदेश में प्रबासी बंगाली बहनों-भाइयों से मिलता हूं, तो अपनी मातृभूमि के लिए योगदान देने के लिए, हर बंगाल का बेटा-बेटी आज दुनिया में कहीं भी होगा, वो यहां के लिए कुछ करना चाहता है। लेकिन उनकी सिर्फ एक ही शिकायत रहती है कि वो योगदान करें भी तो कैसे करें। आज के पश्चिम बंगाल में किराए पर बिल्डिंग भी लेनी हो तो उसमें भी कट लगता है। और ये ऐसे बदमाशी कर रहे हैं कि दोनों तरफ से कट लेते हैं। बिना सिंडिकेट की इजाजत के किराए पर बिल्डिंग भी नहीं ले सकते। इस स्थिति को, पश्चिम बंगाल के बारे में बनाई गई इस धारणा को हमें मिलकर बदलना है, इसलिए यहां आसोल पोरिबोर्तोन लाना है, कमल खिलाना है। 

साथियो,

बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक यहां सिंडिकेट राज रहेगा। बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जबतक यहां टोलाबाजों का राज रहेगा। बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जबक Cut Culture बंगाल में रहेगा। बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जबतक शासन-प्रशासन गुंडों को आश्रय देगा। बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक कानून का राज पश्चिम बंगाल में स्थापित नहीं होता। ये तब तक संभव नहीं है, जबतक पश्चिम बंगाल के सामान्य जन की सुनवाई करने वाली सरकार यहां नहीं बनती है। इसी स्थिति को बदलने के लिए आज पश्चिम बंगाल के कोने-कोने से आवाज आ रही है- “आर नॉय अन्नॉय, आमरा आशोल पोरिबोर्तन चाई।” 

भाइयो और बहनो,

मुझे विश्वास है कि हम सभी साथ मिलकर पश्चिम बंगाल के किसानों, श्रमिकों, यहां के युवाओं को बेहतर भविष्य दे पाएंगे। भाइयों-बहनों एक बार फिर जो अनेक सौगातें बंगाल को मिल रही हैं, उज्ज्वल भविष्य के लिए ये इंफ्रास्ट्रक्चर के काम आने वाले हैं, और इन सबके लिए आप सबको मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मेरे साथ दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए, 

भारत माता की.... जय !

भारत माता की....जय !

वंदे.....मातरम् !

वंदे....मातरम् !

 

  • शिवकुमार गुप्ता February 20, 2022

    जय माँ भारती
  • शिवकुमार गुप्ता February 20, 2022

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Today, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM Modi in TV9 Summit
March 28, 2025
QuoteToday, the world's eyes are on India: PM
QuoteIndia's youth is rapidly becoming skilled and driving innovation forward: PM
Quote"India First" has become the mantra of India's foreign policy: PM
QuoteToday, India is not just participating in the world order but also contributing to shaping and securing the future: PM
QuoteIndia has given Priority to humanity over monopoly: PM
QuoteToday, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM

श्रीमान रामेश्वर गारु जी, रामू जी, बरुन दास जी, TV9 की पूरी टीम, मैं आपके नेटवर्क के सभी दर्शकों का, यहां उपस्थित सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं, इस समिट के लिए बधाई देता हूं।

TV9 नेटवर्क का विशाल रीजनल ऑडियंस है। और अब तो TV9 का एक ग्लोबल ऑडियंस भी तैयार हो रहा है। इस समिट में अनेक देशों से इंडियन डायस्पोरा के लोग विशेष तौर पर लाइव जुड़े हुए हैं। कई देशों के लोगों को मैं यहां से देख भी रहा हूं, वे लोग वहां से वेव कर रहे हैं, हो सकता है, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं यहां नीचे स्क्रीन पर हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठे हुए सब दर्शकों को भी उतने ही उत्साह, उमंग से देख रहा हूं, मेरी तरफ से उनका भी स्वागत है।

साथियों,

आज विश्व की दृष्टि भारत पर है, हमारे देश पर है। दुनिया में आप किसी भी देश में जाएं, वहां के लोग भारत को लेकर एक नई जिज्ञासा से भरे हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो देश 70 साल में ग्यारहवें नंबर की इकोनॉमी बना, वो महज 7-8 साल में पांचवे नंबर की इकोनॉमी बन गया? अभी IMF के नए आंकड़े सामने आए हैं। वो आंकड़े कहते हैं कि भारत, दुनिया की एकमात्र मेजर इकोनॉमी है, जिसने 10 वर्षों में अपने GDP को डबल किया है। बीते दशक में भारत ने दो लाख करोड़ डॉलर, अपनी इकोनॉमी में जोड़े हैं। GDP का डबल होना सिर्फ आंकड़ों का बदलना मात्र नहीं है। इसका impact देखिए, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ये 25 करोड़ लोग एक नियो मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं। ये नियो मिडिल क्लास, एक प्रकार से नई ज़िंदगी शुरु कर रहा है। ये नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहा है, हमारी इकोनॉमी में कंट्रीब्यूट कर रहा है, और उसको वाइब्रेंट बना रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी हमारे भारत में है। ये युवा, तेज़ी से स्किल्ड हो रहा है, इनोवेशन को गति दे रहा है। और इन सबके बीच, भारत की फॉरेन पॉलिसी का मंत्र बन गया है- India First, एक जमाने में भारत की पॉलिसी थी, सबसे समान रूप से दूरी बनाकर चलो, Equi-Distance की पॉलिसी, आज के भारत की पॉलिसी है, सबके समान रूप से करीब होकर चलो, Equi-Closeness की पॉलिसी। दुनिया के देश भारत की ओपिनियन को, भारत के इनोवेशन को, भारत के एफर्ट्स को, जैसा महत्व आज दे रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। आज दुनिया की नजर भारत पर है, आज दुनिया जानना चाहती है, What India Thinks Today.

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साथियों,

भारत आज, वर्ल्ड ऑर्डर में सिर्फ पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहा, बल्कि फ्यूचर को शेप और सेक्योर करने में योगदान दे रहा है। दुनिया ने ये कोरोना काल में अच्छे से अनुभव किया है। दुनिया को लगता था कि हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में ही, कई-कई साल लग जाएंगे। लेकिन भारत ने हर आशंका को गलत साबित किया। हमने अपनी वैक्सीन बनाई, हमने अपने नागरिकों का तेज़ी से वैक्सीनेशन कराया, और दुनिया के 150 से अधिक देशों तक दवाएं और वैक्सीन्स भी पहुंचाईं। आज दुनिया, और जब दुनिया संकट में थी, तब भारत की ये भावना दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची कि हमारे संस्कार क्या हैं, हमारा तौर-तरीका क्या है।

साथियों,

अतीत में दुनिया ने देखा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब भी कोई वैश्विक संगठन बना, उसमें कुछ देशों की ही मोनोपोली रही। भारत ने मोनोपोली नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि रखा। भारत ने, 21वीं सदी के ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स के गठन का रास्ता बनाया, और हमने ये ध्यान रखा कि सबकी भागीदारी हो, सबका योगदान हो। जैसे प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती है। देश कोई भी हो, इन आपदाओं से इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। आज ही म्यांमार में जो भूकंप आया है, आप टीवी पर देखें तो बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वस्त हो रही हैं, ब्रिज टूट रहे हैं। और इसलिए भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure - CDRI नाम से एक वैश्विक नया संगठन बनाने की पहल की। ये सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करने का संकल्प है। भारत का प्रयास है, प्राकृतिक आपदा से, पुल, सड़कें, बिल्डिंग्स, पावर ग्रिड, ऐसा हर इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रहे, सुरक्षित निर्माण हो।

साथियों,

भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर देश का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। ऐसी ही एक चुनौती है, हमारे एनर्जी रिसोर्सेस की। इसलिए पूरी दुनिया की चिंता करते हुए भारत ने International Solar Alliance (ISA) का समाधान दिया है। ताकि छोटे से छोटा देश भी सस्टेनबल एनर्जी का लाभ उठा सके। इससे क्लाइमेट पर तो पॉजिटिव असर होगा ही, ये ग्लोबल साउथ के देशों की एनर्जी नीड्स को भी सिक्योर करेगा। और आप सबको ये जानकर गर्व होगा कि भारत के इस प्रयास के साथ, आज दुनिया के सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं।

साथियों,

बीते कुछ समय से दुनिया, ग्लोबल ट्रेड में असंतुलन और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी challenges का सामना कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत ने दुनिया के साथ मिलकर नए प्रयास शुरु किए हैं। India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC), ऐसा ही एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट, कॉमर्स और कनेक्टिविटी के माध्यम से एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट को जोड़ेगा। इससे आर्थिक संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, दुनिया को अल्टरनेटिव ट्रेड रूट्स भी मिलेंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन भी और मजबूत होगी।

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साथियों,

ग्लोबल सिस्टम्स को, अधिक पार्टिसिपेटिव, अधिक डेमोक्रेटिक बनाने के लिए भी भारत ने अनेक कदम उठाए हैं। और यहीं, यहीं पर ही भारत मंडपम में जी-20 समिट हुई थी। उसमें अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाया गया है। ये बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम था। इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी, जो भारत की प्रेसीडेंसी में पूरी हुई। आज ग्लोबल डिसीजन मेकिंग इंस्टीट्यूशन्स में भारत, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ बन रहा है। International Yoga Day, WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क, ऐसे कितने ही क्षेत्रों में भारत के प्रयासों ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ये तो अभी शुरूआत है, ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत का सामर्थ्य नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है।

साथियों,

21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं। इन 25 सालों में 11 साल हमारी सरकार ने देश की सेवा की है। और जब हम What India Thinks Today उससे जुड़ा सवाल उठाते हैं, तो हमें ये भी देखना होगा कि Past में क्या सवाल थे, क्या जवाब थे। इससे TV9 के विशाल दर्शक समूह को भी अंदाजा होगा कि कैसे हम, निर्भरता से आत्मनिर्भरता तक, Aspirations से Achievement तक, Desperation से Development तक पहुंचे हैं। आप याद करिए, एक दशक पहले, गांव में जब टॉयलेट का सवाल आता था, तो माताओं-बहनों के पास रात ढलने के बाद और भोर होने से पहले का ही जवाब होता था। आज उसी सवाल का जवाब स्वच्छ भारत मिशन से मिलता है। 2013 में जब कोई इलाज की बात करता था, तो महंगे इलाज की चर्चा होती थी। आज उसी सवाल का समाधान आयुष्मान भारत में नजर आता है। 2013 में किसी गरीब की रसोई की बात होती थी, तो धुएं की तस्वीर सामने आती थी। आज उसी समस्या का समाधान उज्ज्वला योजना में दिखता है। 2013 में महिलाओं से बैंक खाते के बारे में पूछा जाता था, तो वो चुप्पी साध लेती थीं। आज जनधन योजना के कारण, 30 करोड़ से ज्यादा बहनों का अपना बैंक अकाउंट है। 2013 में पीने के पानी के लिए कुएं और तालाबों तक जाने की मजबूरी थी। आज उसी मजबूरी का हल हर घर नल से जल योजना में मिल रहा है। यानि सिर्फ दशक नहीं बदला, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बदली है। और दुनिया भी इस बात को नोट कर रही है, भारत के डेवलपमेंट मॉडल को स्वीकार रही है। आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है।

साथियों,

जब कोई देश, अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तब उस देश का समय भी बदलता है। यही आज हम भारत में अनुभव कर रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। पहले पासपोर्ट बनवाना कितना बड़ा काम था, ये आप जानते हैं। लंबी वेटिंग, बहुत सारे कॉम्प्लेक्स डॉक्यूमेंटेशन का प्रोसेस, अक्सर राज्यों की राजधानी में ही पासपोर्ट केंद्र होते थे, छोटे शहरों के लोगों को पासपोर्ट बनवाना होता था, तो वो एक-दो दिन कहीं ठहरने का इंतजाम करके चलते थे, अब वो हालात पूरी तरह बदल गया है, एक आंकड़े पर आप ध्यान दीजिए, पहले देश में सिर्फ 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे, आज इनकी संख्या 550 से ज्यादा हो गई है। पहले पासपोर्ट बनवाने में, और मैं 2013 के पहले की बात कर रहा हूं, मैं पिछले शताब्दी की बात नहीं कर रहा हूं, पासपोर्ट बनवाने में जो वेटिंग टाइम 50 दिन तक होता था, वो अब 5-6 दिन तक सिमट गया है।

साथियों,

ऐसा ही ट्रांसफॉर्मेशन हमने बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी देखा है। हमारे देश में 50-60 साल पहले बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, ये कहकर कि इससे लोगों को बैंकिंग सुविधा सुलभ होगी। इस दावे की सच्चाई हम जानते हैं। हालत ये थी कि लाखों गांवों में बैंकिंग की कोई सुविधा ही नहीं थी। हमने इस स्थिति को भी बदला है। ऑनलाइन बैंकिंग तो हर घर में पहुंचाई है, आज देश के हर 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट जरूर है। और हमने सिर्फ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ही दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को भी मजबूत किया। आज बैंकों का NPA बहुत कम हो गया है। आज बैंकों का प्रॉफिट, एक लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड को पार कर चुका है। और इतना ही नहीं, जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उनको भी अब लूटा हुआ धन लौटाना पड़ रहा है। जिस ED को दिन-रात गालियां दी जा रही है, ED ने 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक वसूले हैं। ये पैसा, कानूनी तरीके से उन पीड़ितों तक वापिस पहुंचाया जा रहा है, जिनसे ये पैसा लूटा गया था।

साथियों,

Efficiency से गवर्नमेंट Effective होती है। कम समय में ज्यादा काम हो, कम रिसोर्सेज़ में अधिक काम हो, फिजूलखर्ची ना हो, रेड टेप के बजाय रेड कार्पेट पर बल हो, जब कोई सरकार ये करती है, तो समझिए कि वो देश के संसाधनों को रिस्पेक्ट दे रही है। और पिछले 11 साल से ये हमारी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रहा है। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताऊंगा।

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साथियों,

अतीत में हमने देखा है कि सरकारें कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिनिस्ट्रीज में accommodate करने की कोशिश करती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई मंत्रालयों का विलय कर दिया। आप सोचिए, Urban Development अलग मंत्रालय था और Housing and Urban Poverty Alleviation अलग मंत्रालय था, हमने दोनों को मर्ज करके Housing and Urban Affairs मंत्रालय बना दिया। इसी तरह, मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज़ अफेयर्स अलग था, विदेश मंत्रालय अलग था, हमने इन दोनों को भी एक साथ जोड़ दिया, पहले जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय अलग था, और पेयजल मंत्रालय अलग था, हमने इन्हें भी जोड़कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। हमने राजनीतिक मजबूरी के बजाय, देश की priorities और देश के resources को आगे रखा।

साथियों,

हमारी सरकार ने रूल्स और रेगुलेशन्स को भी कम किया, उन्हें आसान बनाया। करीब 1500 ऐसे कानून थे, जो समय के साथ अपना महत्व खो चुके थे। उनको हमारी सरकार ने खत्म किया। करीब 40 हज़ार, compliances को हटाया गया। ऐसे कदमों से दो फायदे हुए, एक तो जनता को harassment से मुक्ति मिली, और दूसरा, सरकारी मशीनरी की एनर्जी भी बची। एक और Example GST का है। 30 से ज्यादा टैक्सेज़ को मिलाकर एक टैक्स बना दिया गया है। इसको process के, documentation के हिसाब से देखें तो कितनी बड़ी बचत हुई है।

साथियों,

सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के आप लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है, और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर- DBT की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। DBT की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्ज़ी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है।

साथियों,

 

हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है, और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आज ITR फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ है। पहले सीए की मदद के बिना, ITR फाइल करना मुश्किल होता था। आज आप कुछ ही समय के भीतर खुद ही ऑनलाइन ITR फाइल कर पा रहे हैं। और रिटर्न फाइल करने के कुछ ही दिनों में रिफंड आपके अकाउंट में भी आ जाता है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम भी टैक्सपेयर्स को परेशानियों से बचा रही है। गवर्नेंस में efficiency से जुड़े ऐसे अनेक रिफॉर्म्स ने दुनिया को एक नया गवर्नेंस मॉडल दिया है।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में भारत हर सेक्टर में बदला है, हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। और एक बड़ा बदलाव सोच का आया है। आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक, भारत में ऐसी सोच को बढ़ावा दिया गया, जिसमें सिर्फ विदेशी को ही बेहतर माना गया। दुकान में भी कुछ खरीदने जाओ, तो दुकानदार के पहले बोल यही होते थे – भाई साहब लीजिए ना, ये तो इंपोर्टेड है ! आज स्थिति बदल गई है। आज लोग सामने से पूछते हैं- भाई, मेड इन इंडिया है या नहीं है?

साथियों,

आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली MRI मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी MRI मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया MRI मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।

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साथियों,

आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान ने, देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को एक नई ऊर्जा दी है। पहले दुनिया भारत को ग्लोबल मार्केट कहती थी, आज वही दुनिया, भारत को एक बड़े Manufacturing Hub के रूप में देख रही है। ये सक्सेस कितनी बड़ी है, इसके उदाहरण आपको हर सेक्टर में मिलेंगे। जैसे हमारी मोबाइल फोन इंडस्ट्री है। 2014-15 में हमारा एक्सपोर्ट, वन बिलियन डॉलर तक भी नहीं था। लेकिन एक दशक में, हम ट्वेंटी बिलियन डॉलर के फिगर से भी आगे निकल चुके हैं। आज भारत ग्लोबल टेलिकॉम और नेटवर्किंग इंडस्ट्री का एक पावर सेंटर बनता जा रहा है। Automotive Sector की Success से भी आप अच्छी तरह परिचित हैं। इससे जुड़े Components के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटर-साइकल पार्ट्स इंपोर्ट करते थे। लेकिन आज भारत में बने पार्ट्स UAE और जर्मनी जैसे अनेक देशों तक पहुंच रहे हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सोलर सेल्स, सोलर मॉड्यूल का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। बीते एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी अचीवमेंट्स, देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी की ताकत को दिखाती है। ये दिखाती है कि भारत में कैसे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट हो रही हैं।

साथियों,

TV9 की इस समिट में, विस्तार से चर्चा होगी, अनेक विषयों पर मंथन होगा। आज हम जो भी सोचेंगे, जिस भी विजन पर आगे बढ़ेंगे, वो हमारे आने वाले कल को, देश के भविष्य को डिजाइन करेगा। पिछली शताब्दी के इसी दशक में, भारत ने एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के लिए नई यात्रा शुरू की थी। और हमने 1947 में आजादी हासिल करके भी दिखाई। अब इस दशक में हम विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चल रहे हैं। और हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना जरूर पूरा करना है। और जैसा मैंने लाल किले से कहा है, इसमें सबका प्रयास आवश्यक है। इस समिट का आयोजन कर, TV9 ने भी अपनी तरफ से एक positive initiative लिया है। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की सफलता के लिए मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।

मैं TV9 को विशेष रूप से बधाई दूंगा, क्योंकि पहले भी मीडिया हाउस समिट करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर एक छोटे से फाइव स्टार होटल के कमरे में, वो समिट होती थी और बोलने वाले भी वही, सुनने वाले भी वही, कमरा भी वही। TV9 ने इस परंपरा को तोड़ा और ये जो मॉडल प्लेस किया है, 2 साल के भीतर-भीतर देख लेना, सभी मीडिया हाउस को यही करना पड़ेगा। यानी TV9 Thinks Today वो बाकियों के लिए रास्ता खोल देगा। मैं इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, आपकी पूरी टीम को, और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि आपने इस इवेंट को एक मीडिया हाउस की भलाई के लिए नहीं, देश की भलाई के लिए आपने उसकी रचना की। 50,000 से ज्यादा नौजवानों के साथ एक मिशन मोड में बातचीत करना, उनको जोड़ना, उनको मिशन के साथ जोड़ना और उसमें से जो बच्चे सिलेक्ट होकर के आए, उनकी आगे की ट्रेनिंग की चिंता करना, ये अपने आप में बहुत अद्भुत काम है। मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। जिन नौजवानों से मुझे यहां फोटो निकलवाने का मौका मिला है, मुझे भी खुशी हुई कि देश के होनहार लोगों के साथ, मैं अपनी फोटो निकलवा पाया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं दोस्तों कि आपके साथ मेरी फोटो आज निकली है। और मुझे पक्का विश्वास है कि सारी युवा पीढ़ी, जो मुझे दिख रही है, 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, सबसे ज्यादा बेनिफिशियरी आप लोग हैं, क्योंकि आप उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, जब भारत विकसित होगा, आपके लिए मौज ही मौज है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।