پی ایم مودی کا روزنامہ جاگرن کو انٹرویو

Published By : Admin | May 27, 2024 | 08:09 IST

भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी चुनाव अभियान में यह स्पष्ट करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं कि विपक्ष की नीयत ठीक नहीं है। दो महीने चले इस चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ने दूसरी बार दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा से कुछ मुद्दों पर बात की है।

प्रश्न- चुनाव लगभग संपूर्ण हो गया है। आपने काफी लंबा प्रचार किया। क्या आप संतुष्ट हैं कि आपकी बात लोगों तक पहुंच गई?अब भाजपा को मिलने वाली सीटों का कोई ठोस आंकड़ा देंगे?

उत्तर- चुनाव को मैं एक उत्सव की तरह देखता हूं। मेरे लिए ये पूरे देश में जनता जनार्दन के दर्शन का अवसर है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों से मिलना, संवाद करना, उनके साथ समय बिताना, इससे कई सारे नए अनुभव होते हैं। इस बार के चुनाव में मैंने देश की हर दिशा यानी उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में बहुत दौरे किए। मैं नार्थ ईस्ट कई बार गया। इस दौरान मैं जहां भी गया, वहां जनता का अभूतपूर्व समर्थन मिला।

जनसमर्थन और जनता का प्यार मुझे 2014 और 2019 के चुनाव में भी मिला था, लेकिन इस बार लोगों का उत्साह पहले से कहीं ज्यादा है। इसकी एक खास वजह है। लोगों के मन में भाजपा को लेकर 2014 में उम्मीद थी, 2019 में एक विश्वास था और 2024 में एक गारंटी है। लोगों को भरोसा है कि काम तो मोदी ही करेंगे। विकसित भारत बनाने की प्रतिबद्धता सिर्फ भाजपा में है।

आप सीटों का आंकड़ा पूछ रहे हैं तो जो संख्या हमने चुनाव अभियान के शुरू में दी थी,वही अभी भी है। पहले चरण से लेकर अब तक हर वोटर 400 पार के नारे पर ही चर्चा कर रहा है। 400 पार का आंकड़ा जनता के बीच से आया है,और इसे लोगों ने पूरी तरह अपना लिया है। देश की जनता 400 पार के नारे को सच करके दिखाएगी।

 

 

प्रश्न- इस बार आपका एक नया रूप दिखा। जिस तरह आपने मीडिया के साथ इंटरेक्शन बढ़ाया और एक पीएम के रूप में हर इच्छुक पत्रकारों को समय दिया। इसकी रणनीति क्या थी?

उत्तर- हर चुनाव में मेरी कोशिश यही होती है कि मैं ज्यादा से ज्यादा मीडिया के साथियों से बात कर सकूं, इंटरव्यू दे सकूं। 2014 और 2019 में भी मैंने ये प्रयास किए थे। मीडिया के साथियों से मुझे बहुमूल्य फीडबैक मिलता है। ये जनता के पास अपनी बात पहुंचाने का एक अच्छा माध्यम होता है।

दूसरी तरफ आप देखिए कि मीडिया को लेकर “शहजादे” की भाषा का स्तर कितना गिरता जा रहा है। उन्होंने अब मीडिया पर हमले करना शुरू कर दिया है। उनके मन में मोदी को लेकर इतनी नफरत भर गई है कि जो लोग मुझसे बात करने आ रहे हैं,उनके बारे में भी अनाप-शनाप बोलने लगे।

 

प्रश्न- पश्चिम बंगाल में ओबीसी को लेकर हाई कोर्ट का एक फैसला आया है जिसमें प्रदेश सरकार की एक सूची को रद कर दिया गया। ममता बनर्जी कह रही हैं कि यह भाजपा ने करवाया है। कह रही हैं कि कोर्ट में भाजपा और आरएसएस के लोगों को जमावड़ा है। आप क्या कहेंगे?

उत्तर- ममता बनर्जी क्या कह रही हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि कोर्ट ने क्या कहा है। कोर्ट ने इसे पूरी तरह से असंवैधानिक और गैरकानूनी बताया है। एक अच्छी बात ये हुई कि ये फैसला तब आया है जब देश में इसे लेकर एक चर्चा छिड़ी हुई है। देश का जो ओबीसी- एससी- एसटी समाज है बहुत व्यथित है। उनमें बहुत गुस्सा है। जो हक बाबासाहेब के संविधान ने उन्हें दिया है वो कोई सरकार उनसे छीनकर मुसलमानों को नहीं दे सकती है।

ममता बनर्जी की सरकार का जो पाप है, जो पिछड़ों के प्रति अन्याय है, उसे रंगे हाथ पकड़ लिया गया है और देश भर में इन लोगों के चेहरे बेनकाब हो गये हैं। तो थोड़ी बौखलाहट तो रहेगी ही। ये तो पक्का है कि देश भर का पिछड़ा, दलित, वंचित और आदिवासी समाज उन्हें माफ नहीं करेगा।

बतौर प्रधानमंत्री पूरे देश की चिंता लेकिन संसदीय क्षेत्र वाराणसी की बात आते ही जो भावुकता और अपनत्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में एकबारगी दिखता है वह कई लोगों के लिए सीख हो सकती है। खासतौर से तब जबकि चुनाव में बडी संख्या में उम्मीदवारों को लेकर उनके ही क्षेत्रों में असंतोष दिखता रहा है। अब चुनाव उस मोड़ पर पहुंच गया है, जहां वही स्टार प्रचारक खुद मैदान में जिसके नाम और छवि पर केवल भाजपा की नहीं बल्कि राजग सहयोगी दलों के कई उम्मीदवार भी जीत की आस लगाए बैठे हैं। दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा से प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी के मुद्दों पर बात करते हैं तो लगता है कि दस साल में उन्हें काशी की हर गलियां याद हो गई हैं। वह कहते हैं- बनारस कुछ खास है। जैसे आप कहीं भी चले जाएं लेकिन जब आप अपने घर पहुंचते हैं,अपनी मां के पास पहुंचते हैं तो अलग प्रकार का सुकून मिलता है। वैसे ही बनारस मेरे लिए मां है, वहां मां गंगा भी है।

 

प्रश्न: यह लगातार देखा गया है कि प्रधानमंत्री होते हुए भी आप बहुत बड़ी संख्या में चुनावी अभियान करते हैं। ऐसा इसलिए कि आप लोगों के बीच जाना पसंद करते हैं या आप एहसास करते हैं कि जीत के लिए आपको ही जिम्मेदारी निभानी होगी?

उत्तर: लोकतंत्र में चुनाव की एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। लोकतंत्र में जरूरी है कि जो चुने हुए प्रतिनिधि हैं वो लोगों तक पहुंचें, उनको अपना काम बताएं, उनका फीडबैक लें और फिर जनता की जरूरतों के मुताबिक काम करने का संकल्प लें। देश के लोग पहली बार एक ऐसी सरकार देख रहे हैं जो अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के पास जाती है। हमारे लिए एक-एक वोट हमारे काम पर जनता की मुहर है। इस देश में 10 साल तक एक ऐसे प्रधानमंत्री रहे जो इलेक्टेड यानी चुने हुए प्रधानमंत्री ही नहीं थे। तो उनके लिए चुनाव, वोट मांगना, लोगों से मिलना, ये सब कोई महत्व ही नहीं रखता था। उनके बाद अब मैं जो कर रहा हूं वो लोगों को नया लगता है। मैं प्रधानमंत्री तो हूं पर भाजपा का नेता भी हूं। भाजपा का नेता होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि पार्टी मुझे जो जिम्मेदारी देगी, मैं उसे निभाऊंगा।

भाजपा में प्रधानमंत्री से पन्ना प्रमुख तक हर स्तर पर सभी कार्यकर्ता कड़ी मेहनत कर रहे हैं। आप हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को देखिए, आप रक्षा मंत्री जी को देखिए, आप गृहमंत्री जी को देखिए। हमारे मुख्यमंत्री, हमारे मंत्री सब बहुत मेहनत कर रहे हैं। सभी दिन में चार से पांच कार्यक्रम कर रहे हैं। ये भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति है, संस्कार हैं। सभी अपना अधिकतम योगदान देने में जुटे हैं।

 

प्रश्न: यूं तो आप पूरे देश में बड़ी संख्या में रैली व रोड शो कर रहे हैं लेकिन जब आप अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पहुंचते हैं, वहां रोड शो या रैली करते हैं तो वह दूसरे क्षेत्रों से क्या और कितना अलग होता है?

उत्तर: (थोड़ी मुस्कान के साथ) बनारस कुछ खास है। जैसे आप कहीं भी चले जाएं लेकिन जब आप अपने घर पहुंचते हैं, अपनी मां के पास पहुंचते हैं तो अलग प्रकार का सुकून मिलता है। वैसे ही बनारस मेरे लिए मां है, वहां मां गंगा भी है। जब भी मैं बनारस जाता हूं तो मुझे एक अलग प्रकार का अपनापन मिलता है। अलग प्रकार का स्नेह मिलता है। मैं वहां का प्रतिनिधि हूं, मैं लोगों से वोट मांगता हूं, लोग मुझे समर्थन देते हैं, वोट देते हैं। ये सब तो चलता रहता है लेकिन बनारस के साथ मेरा रिश्ता इससे बढ़कर है।

काशी बहुसंस्कृति की नगरी है। आप जब रोड शो में अलग-अलग मोहल्लों से होकर गुजरते हैं,तो आपको अलग अलग संस्कृतियां भी देखने को मिलती हैं। अभी मैं नामांकन करने गया था। जिस बीएचयू के पास से रोड शो शुरू हुआ, वहां बिहार समेत पूर्वी भारत के अनेक परिवार रहते हैं। आगे बढ़ने पर अस्सी मोहल्ला है, वहां आपको दक्षिण भारत से जुड़े अनेक मठ और आश्रम मिल जाएंगे। इसी रास्ते में कांची कामकोटिश्वर मठ है। केदार घाट पर उत्तराखंड की शैली में बने मंदिर हैं। वो घाट हैं जो राजस्थान के राजाओं ने बनवाए।

इसी रास्ते पर आगे बढ़ेंगे, तो मदनपुरा में मुस्लिम परिवार और बुनकर भाइयों के घर मिलेंगे। इसके बाद जंगमबाड़ी में बंगाली परिवारों का मोहल्ला है। गोदौलिया पर पूरे भारत से आने वाले लोग मिल जाएंगे। आगे विश्वनाथ मंदिर की ओर बढ़ने पर मराठी और गुजराती परिवार मिल जाते हैं। यही काशी है। एक 4-5 किलोमीटर के रोड शो में कोई आरती करता है, कोई शिवाजी महाराज की तस्वीर लेकर खड़ा होता है, कोई बंगाली साड़ी पहने तो कोई दक्षिण के परिधानों में मिलता है। काशी के रोड शो और सभाओं में पूरे भारत की संस्कृति का संगम होता है। मेरे लिए ये एक भारत-श्रेष्ठ भारत का सबसे सशक्त रूप है। इसीलिए काशी सबसे अलग है, सबको जोड़े हुए है।


प्रश्न: ‘दिव्य काशी, भव्य काशी’ की हर ओर चर्चा होती है। बीते दस सालों में काशी का, यहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर का आपने कायाकल्प कर दिखाया। यह काम कितना मुश्किल था?

उत्तर: देखिए, काशी में जो काम हुआ है, मैं उसका निमित्त भर था। ये सबकुछ बाबा विश्वनाथ के आदेश से हुआ। और जिस नगरी का विकास, विधान स्वयं महादेव निर्धारित करें, वो दिव्य और भव्य तो बन ही जाती है। हां, विकास के जो काम हुए उनके बारे में मैं कुछ बातें आपको बताता हूं। देखिए वाराणसी का मॉडल पूरे विश्व में सबसे अलग है। करीब 70 लाख लोगों का शहर है और अब हर रोज करीब 5 लाख पर्यटक भी यहां आते हैं। हमने बीते 10 वर्षों में इतनी जनसंख्या के लिए शहर को अलग-अलग मॉडल पर बदला। स्थानीय लोगों की जो समस्याएं थीं और पर्यटन का विकास होने के कारण बाद में जो जरूरतें बनीं, हमने दोनों पर काम किया।

स्थानीय लोगों के लिए गलियों की साफ सफाई, पुराने सीवेज सिस्टम में बदलाव, सड़कों का चौड़ीकरण, हेरिटेज मॉडल पर बाजारों का विकास, स्ट्रीट लाइट सिस्टम, लोकल वेंडिंग जोन की समस्या ऐसी कई चीजें हमने योजनाबद्ध तरीके से बदली। बनारस में एक कमांड सेंटर बनाकर ट्रैफिक मैनेजमेंट सही किया गया। ये काशी के अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडल का पहला कदम था।

बनारस में हर रोज लाखों लोग इलाज, दर्शन, बाजार और पर्यटन के लिए आते हैं। हमने ऐसे यात्रियों के लिए शहरभर में पार्किंग बनाई हैं। गोदौलिया और बेनियाबाग की हाईटेक पार्किंग ऐसे ही इंतजाम हैं। पर्यटकों के आने के लिए वाराणसी के चारों ओर के हाइवे नेटवर्क को सुधारा गया। पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से आने वालों के लिए गाजीपुर-वाराणसी, जौनपुर वाराणसी, आजमगढ़-वाराणसी की सड़कें सुधारी हैं।

शहर में 15 ऐसे फ्लाईओवर बने हैं, जिनसे जाम की समस्या बहुत हद तक खत्म हुई है। वाराणसी के बाहरी इलाकों में रिंग रोड बनी है। एयरपोर्ट का विकास हो रहा है, काशी के स्टेशन को फ्यूचर रेडी किया जा रहा है। इससे पर्यटकों को काशी आने में सहूलियत मिलती है और काशीवासियों को भी लाभ होता है। जो लोग इलाज के लिए आते हैं, उनके लिए कैंसर का अस्पताल और सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बने हैं। बीएचयू के अस्पताल का बड़ा अपग्रेडेशन हुआ है। इससे ना सिर्फ पूर्वांचल बल्कि बिहार के भी लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। इन सब के साथ शहर में बिजली, पानी और वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था के लिए भी करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं।

अब बनारस भविष्य के लिए तैयार हो रहा है। भारत का पहला सिटी रोप-वे बनारस में बन रहा है। इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम से लेकर घाटों तक बहुत सारे काम हो रहे हैं। काशी में रुद्राक्ष जैसा हाइटेक कन्वेंशन सेंटर भी है और बाबा विश्वनाथ का भव्य धाम भी। काशी शहरी विकास की मॉडल सिटी है। काशी जैसे जनघनत्व वाले शहर में इतने सारे काम हुए होंगे, तो सोचिए लोगों को कितनी सारी परेशानी हुई होगी। लेकिन काशीवासियों ने विकास कार्यों में मेरा बहुत साथ दिया। यही कारण है कि हम काशी को इतना बदल पाए।


प्रश्न: काशी की भारत की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में मान्यता है, पर दस साल पहले तक यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कई असुविधाओं का सामना करना पड़ता था। काशी की पौराणिकता को सहेजने और संवारने के लिए आपके द्वारा किये गए कामों की सूची लंबी है। क्या इस दौर को हम सनातन-शाश्वत काशी का स्वर्ण काल कह सकते हैं?

उत्तर: काशी तो भारत के आध्यात्मिक वैभव की नगरी है। ये महादेव का तीर्थ भी है और बुद्ध की नगरी भी। यहां संत रविदास का सीर गोवर्धन भी है और मां गंगा के घाटों की श्रृंखला भी। इन सभी के दर्शन के लिए शताब्दियों से श्रद्धालु यहां आते हैं। इनके लिए पहले जो व्यवस्थाएं थीं, वो बढ़ती जनसंख्या के साथ अपर्याप्त होती गईं। इससे असुविधाएं होने लगीं, लेकिन काशीवासियों ने आतिथ्य भाव में कभी कमी नहीं की। जिन सरकारों ने यूपी या देश पर राज किया उन्होंने कभी काशी के विकास के बारे में सोचा तक नहीं। गलियां, सड़कें, मंदिर सब वैसे ही रह गए। कुछ क्षतिग्रस्त हो गए और कुछ होने की कगार पर आ गए। एक जमाना था, जब बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए लोग गलियों में लंबी लाइन में लगते थे और वहीं सीवर बहता रहता था। सारनाथ या सीरगोवर्धन में कोई आयोजन हो जाए तो पूरे शहर में जाम की स्थिति बन जाती थी। काशी आने वाले यात्रियों के लिए सड़क, ट्रेन और हवाई मार्ग से अच्छे साधन नहीं थे।

लेकिन 10 वर्षों में हमने चीजें बदलीं। हमने शहर के 101 मंदिरों का विकास किया। जिन कुंडों पर काशी के संस्कार होते थे, उनकी सफाई और जीर्णोद्धार किया। काशी के जिस मणिकर्णिका घाट पर पूर्वांचल और बिहार के लोग क्रिया कर्म के लिए आते हैं उसका पुनर्निर्माण हो रहा है। पंचक्रोशी यात्रा के पड़ावों को ठीक किया गया। ये काशी की संस्कृति और भव्यता के अनुरूप बनें, इसका सबसे ज्यादा ध्यान रखा। आज पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा लोग यहां आते हैं। काशी में साधन और संसाधन दोनों का विकास हुआ है। आप इसे स्वर्ण काल कहते हैं ये आपका मानना है। मैं संतुष्ट नहीं होता। अभी काशी में बहुत कुछ करना है। मुझे विश्वास है कि बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से काशी और समृद्ध होगी।


प्रश्न: आप संतुष्ट होकर रुकना नहीं चाहते हैं यह तो अच्छी बात है। लेकिन श्री विश्वनाथ धाम का भव्य निर्माण आपको कितना संतोष देता है? विश्वनाथ मंदिर के पुनरुद्धार ने करोड़ों-करोड़ों शिवभक्तों की सदियों की प्रतीक्षा को खत्म किया। आप विरासत भी विकास भी की बात करते हैं। क्या यह पूरा होता नजर आ रहा है।

उत्तर: बाबा विश्वनाथ धाम का भव्य निर्माण मेरे लिए ड्रीम प्रोजेक्ट की तरह था। मैं इस मंदिर से अपनी अंतरात्मा से जुड़ा हूं। जब भी बाबा के अरघे के किनारे बैठता हूं, लगता है एक दूसरी ऊर्जा से जुड़ गया हूं। विश्वनाथ धाम का निर्माण इसी शक्ति से हुआ है। आज बाबा विश्वनाथ के धाम में बाबा का गर्भगृह स्वर्णमंडित हुआ है। धाम का स्वरूप भव्य हुआ है। गंगा के तट से बाबा का धाम जुड़ा है। हजारों भक्तों के एकसाथ खड़े होने की व्यवस्था हुई है। बाबा के धाम के साथ पूरी काशी के मोहल्लों के कुंड भी भव्य हुए हैं। काशी के लक्खा मेलों का आनंद भी बढ़ा है। बाबा विश्वनाथ सर्वसमावेशी विकास के सबसे बड़े पुंज हैं।

आज एक तरफ बाबा का धाम दिखता है, दूसरी तरफ गंगा में चलते हाइटेक क्रूज दिखते हैं। यही विरासत और विकास का संगम है। मेरे लिए यही उपलब्धि है कि काशी अपनी पुरातन परंपरा को संरक्षित करते हुए नवयुग को देख रही है। लेकिन ये महादेव की कृपा से हुआ है। मैं बस साधन हूं, साध्य खुद बाबा विश्वनाथ हैं। सनातन में ये धारणा रही है कि परमात्मा की इच्छा से ही जगत के सारे काम हो रहे हैं। मेरे जीवन का भी एक उद्देश्य ईश्वर ने तय किया है, और उस उद्देश्य को पूर करने की शक्ति भी वही देते हैं। मैं स्वयं ये सब नहीं कर रहा, बल्कि महादेव मुझसे काशी की सेवा करा रहे हैं। भगवान शिव स्वयं विरक्त रहते हैं, लेकिन भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। मैंने भी उनसे विरक्त जीवन जीते हुए लोक कल्याण के लिए काम करने की प्रेरणा ली है।


प्रश्न: जब आप दस साल पहले बनारस आये तो आपने कहा कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है। हाल ही में आपने कहा कि मुझे मां गंगा ने गोद ले लिया है। मां गंगा और काशी से अपने नाते की बात करते आप भावुक हो जाते है। अपने जीवन में काशी के प्रभाव के बारे में आप क्या कहेंगे?

उत्तर: (थोड़ी चुप्पी के बाद) काशी में कुछ है जिसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता। जिस नगरी में गंगा का नित प्रवाह हो, बाबा विश्वनाथ का अभय दान हो और माता अन्नपूर्णा की समृद्धि हो वही काशी है। मैं जब यहां आया था, तो जन प्रतिनिधि के रूप में था। अब परिवार के प्रतिनिधि के रूप में हूं। इसीलिए मैं कहता हूं कि काशी ने मुझे बनारसी बना दिया है।

जब भी काशी आता हूं, काशी के लोग आत्मीयता से मिलते हैं। काशी परिवार सी लगती है। मां गंगा ने मुझे 10 वर्ष पहले काशी बुलाया था, पर आज लगता है कि उन्होंने मुझे बेटा मानकर अपना लिया है। चूंकि मेरी मां अब प्रत्यक्ष रूप से मेरे साथ नहीं, इसलिए गंगा ही मेरी मां के रूप में हैं। मैं काशी आता हूं तो लगता है मां के घर आया हूं। अब बेटा मां और परिवार के पास आएगा तो उसका भावुक होना स्वाभाविक है।


प्रश्न: पंजाब में भाजपा की जड़ें नहीं जम पाई। क्या कारण है। क्या इस बार कुछ उम्मीदें हैं?

उत्तर: पंजाब में भाजपा लगभग 3 दशक के बाद बिना गठबंधन के उतरी है। जब तक हम गठबंधन में रहे तब तक हमारा दायरा सीमित रहा। हम गठबंधन धर्म के नियमों से बंधे थे। उस समय भी हम लोक कल्याण के अपने दायित्वों से पीछे नहीं हटे। लेकिन तब हमें पंजाब के हर जिले, हर पिंड में विस्तार का अवसर नहीं मिला।

2024 के चुनाव में भाजपा देश और पंजाब के विकास का विजन लेकर लोगों के बीच जा रही है। पिछले 10 वर्षों में केंद्र की भाजपा सरकार ने जो काम किए हैं उससे लोगों का भाजपा पर विश्वास बढ़ा है। लोगों के सामने एक तरफ हमारे 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड है तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार, ड्रग्स की समस्या, इंफ्रास्ट्रक्चर का बुरा हाल और खस्ताहाल कानून-व्यवस्था का अनुभव है।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में वो मिलकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में वो पंजाब के लोगों से जो चाहें कह लें, जनता उनकी असलियत जानती है। उनकी नीति और नीयत की कोई विश्वसनीयता नहीं है। इंडी अलायंस की ये राजनीति लोगों के गले नहीं उतर रही। ऐसे में लोगों को भाजपा से बड़ी उम्मीदें हैं। मुझे विश्वास है कि पंजाब के लोग भाजपा के विकसित भारत के संकल्प के साथ जुड़ेंगे और पंजाब के बेहतर भविष्य के लिए हमारा समर्थन करेंगे।


प्रश्न: बिहार में एनडीए की ओर से अभी भी जंगलराज की ही याद दिलायी जाती है, जबकि लालू राज खत्म हुए 20 साल हो गये हैं। आप कुछ कहेंगे?

उत्तर: दुनिया में किसी भी चीज की बुरी यादें होती हैं तो वो वर्षों तक याद रहती हैं। उदाहरण के लिए देश के लोग इमरजेंसी की खौफनाक यादों को अब भी नहीं भूल पाए हैं। जब कभी चर्चा होती है कि कोई सरकार किस तरह लोगों को दबा सकती है, किस तरह विरोध की आवाज कुचल सकती है, तो तुरंत आपातकाल का स्मरण हो जाता है। वैसे ही जंगलराज की कटु यादें हैं। भले ही कुछ समय बीत गया हो पर जो लोगों ने देखा और भुगता है, सहन किया है वो सबको याद हैं। लूट, हत्या, डकैती, फिरौती, खुले आम महिलाओं के साथ अपराध, ध्वस्त कानून व्यवस्था वो कोई भूल नहीं सकता है।

इसकी वजह से जिन लोगों ने पलायन किया वो 20-30 साल से बिहार से दूर रह रहे हैं फिर भी उनके मन से इसका चित्र नहीं जाता है। जिन्होंने ये सब नहीं देखा था या जो भूल गए थे, उन्हें इन लोगों की कुछ समय के लिए आई सरकार ने फिर से याद करा दिया है। उस दौर की भयानक यादें फिर से ताजा हो गयी हैं। इन्होंने दिखा दिया कि अगर इन्हें फिर से सत्ता मिली तो ये उससे भी भयानक काम कर सकते हैं। रोज-रोज मर्डर, डकैती, लूट और जहां कानून का कोई राज ही ना हो, वैसा शासन उन्होंने कुछ ही समय में करके दिखाया है।


प्रश्न: जिस तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टकराव बढ़ रहा है उसमें माना जा रहा है कि आनेवाले दिन संकट और संघर्ष के रहेंगे। उसमें भारत की गति को साधना कितना मुश्किल रहेगा?

उत्तर: हम सब देख रहे हैं कि दुनिया एक अप्रत्याशित दौर से गुजर रही है। पहले कोविड और अभी दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं। इसका असर अलग अलग सेक्टर्स पर पड़ रहा है। खासकर फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर। इनके या तो दाम बढ़े हैं या फिर किल्लत है। ये स्थिति दुनिया में सब जगह है। ऐसे समय में भारत ने ये सुनिश्चित किया है कि फ्यूल, फूड और फर्टिलाइजर की कोई कमी नहीं हो। ना ही हमारे लोगों को इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़े।

दुनिया में संघर्ष की स्थिति और विकट हो सकती है। ये सब ऐसे समय में हो रहा है जब भारत को तेजी से विकास करना है। फिर भी मेरा मानना है कि भारत के लिए विकास का सही समय यही है। ऐसे समय में ये बहुत जरूरी है कि भारत दुनिया भर के संघर्षों के बीच विकास की गति बनाए रखे। हमें इस गति को और बढ़ाना होगा ताकि हम विकसित भारत का अपना सपना पूरा कर सकें। इसके लिए देश में एक स्थिर और पूर्ण बहुमत वाली सरकार का होना बहुत आवश्यक है।

लोगों ने देखा है कि हमारी विदेश नीति में जो अभूतपूर्व परिवर्तन आया है, उसकी वजह भी पूर्ण बहुमत वाली स्थिर और मजबूत सरकार है। आज विश्व के हर मंच पर भारत अपनी बात पूरे आत्मविश्वास से कहता है। जब दुनियाभर में तेल के दाम बढ़ रहे हैं, तब भारत बिना किसी दबाव के रूस से तेल खरीदता है क्योंकि भारत के पास एक स्थिर सरकार है। आज भारत दुनिया के हर देश से आंख मिलाकर बात करता है। इसका कारण भी पूर्ण बहुमत की सरकार है।

Following is the clipping of the interview:

Source: Dainik Jagran

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Prime Minister Narendra Modi to attend Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 22, 2024
PM to interact with prominent leaders from the Christian community including Cardinals and Bishops
First such instance that a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India

Prime Minister Shri Narendra Modi will attend the Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) at the CBCI Centre premises, New Delhi at 6:30 PM on 23rd December.

Prime Minister will interact with key leaders from the Christian community, including Cardinals, Bishops and prominent lay leaders of the Church.

This is the first time a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India.

Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) was established in 1944 and is the body which works closest with all the Catholics across India.