پی ایم مودی کا اے بی پی نیوز کو انٹرویو

Published By : Admin | May 28, 2024 | 21:03 IST

In his interview with ABP News, Prime Minister Narendra Modi delved into the ongoing Lok Sabha elections, emphasizing the BJP-led NDA's commitment to policy-driven governance and development. He shed light on the Opposition's opportunistic and appeasement politics. Additionally, the PM shared insights into the profound influence Bengal and the Ramakrishna Mission have had on shaping his life and values.

नमस्कार 24 चुनाव की सबसे बड़ी शख्सियत इस चुनाव में पक्ष- विपक्ष की परख जिनके नाम पर है और जिनके काम पर है और जिनकी लोकप्रियता ऐसी है कि सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी कोई नेता लोकप्रियता के लिहाज से दूर- दूर तक इनके आसपास नजर नहीं आता, मैं भारत की मिट्टी से निकले, भारत मां के उस बेटे की बात कर रही हूं जिसके बिना आज की तारीख में आप नए भारत की कल्पना ही नहीं कर सकते हैं जी, मैं देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की बात कर रही नमस्कार प्रधानमंत्री जी

पीएम मोदी: नमस्कार जी

मैं रोमाना ईसार खान और मेरे साथ एबीपी नेटवर्क के हमारे दो वरिष्ठ सहयोगी रोहित सिंह सावल जी, सुमन दे जी आपका बहुत स्वागत करते हैं एबीपी नेटवर्क पर

पीएम मोदी: एबीपी नेटवर्क के सभी दर्शकों को भी मेरा प्रणाम, मेरी शुभकामनाएं। मुझे खुशी है कि अब चुनाव के आखिरी चरण के पहले मुझे आप लोगों को मिलने का अवसर मिला है, वैसे आप लोगों को मुझे बहुत जल्दी समय निकाल के मिलना चाहिए था लेकिन व्यस्तता इतनी रही कि मैं हर किसी को न्याय नहीं दे पाया लेकिन फिर भी मुझे अच्छा लग रहा है कि आज मैं आप सबसे मिल रहा हूं।

रोमाना ईसार खान: बहुत शुक्रिया आपने इतने बिजी शेड्यूल से टाइम निकाला हम लोगों के लिए, शुरुआत मुझे लगता है हमें करना चाहिए कि राष्ट्र निर्माण का ध्येय लेकर जो आप चले 2014 में जिस में कालेधन के खिलाफ एसआईटी से शुरुआत हुई, उसके बाद हमने नोटबंदी, जीएसटी देखा सेकेंड टर्म में अनुच्छेद- 370 का खात्मा, तीन तलाक जैसी कुरीति का खात्मा अब 2047 विकसित भारत हमें बनाना है और उसके लिए जो पहला पड़ाव जिसका आप जिक्र भी कर रहे हैं कि मोदी 3.0 में हम दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं तो उसका रोड मैप सर क्या है और इससे एक आम जन जो है देश का उसके जीवन में क्या बदलाव आएगा?

पीएम मोदी: पहले तो मैं आपका धन्यवाद करूंगा कि आपने ऐसे गंभीर मुद्दे पर बातचीत की शुरुआत की है ऐसा हमें अवसर बहुत कम मिलता है, ऐसे विषयों पर बात करने का मुझे अच्छा लगेगा आप लोगों से बात करना। हम तीन पर जाने से पहले पांच पर जाए देश की इकोनॉमी जब 11 पर थी उस पर से हम पांच पर आए, 11 से पांच अपने आप में बहुत बड़ा जंप होता है और उसके कारण देश में क्या हुआ, जैसे पहले कितने किलोमीटर रोड बन पाता था अब कितना बन पाता है, पहले गरीबों के घर कितने बनते थे अब कितने बन पाए हैं, पहले गरीबों को कितना अनाज मिलता था आज कितने गरीबों को कितने में अनाज मिलता है, पहले गरीबों को हेल्थ के लिए क्या सुविधा मिलती थी आज कितने मिलती है, पहले कितने मेडिकल कॉलेज थे आज कितने मेडिकल कॉलेज हैं, पहले एक दिन में कितने कॉलेज बनती होगी आज एक दिन में कितनी कॉलेज बनती है यानी ऐसे किसी भी पैरामीटर से देखिए परिवार का भी आपने स्वभाव देख लिया होगा अगर परिवार में एक व्यक्ति कमाता है तो उस आय को कैसे उपयोग करना है फैमिली अपना बजट बनाता है लेकिन दो कमाना शुरू कर दें तो उसी तारीख से उनके बजट का रूप बदल जाता है फिर लगता है ऐसा करो कि अच्छा टीवी ले आएंगे चलो भाई घर को अच्छा करें, अच्छा बच्चों के लिए अच्छा कपड़े लें क्यों क्योंकि पैसा आया है तो जब इकोनॉमी का कद बढ़ता है तो आपके पास विपुलता होती है आप प्रायोरिटी तय करते हैं आप उनको अच्छी तरह बांट सकते हैं। इकोनॉमी 11 से पांच आती है तो कद बढ़ता है, पांच से तीन जाती तो एकदम से आपकी ताकत बहुत बढ़ जाती है फिर दुनिया में पहली तीन इकोनॉमी में नाम होता है तो विश्व आपकी तरफ देखने का नजरिया बदल जाता है, इन्वेस्टर का बदल जाता है, फाइनेंस करने वाले लोग होते हैं वो भी बहुत ही लिबरल वे में फाइनेंस करते हैं तो आपके बोझ कम होता जाता है अब मान लीजिए आज मुझे याद है मैं गुजरात में था गुजरात की तो एक स्थिति अलग थी तो वो उदाहरण सारे देश में काम नहीं आ सकते लेकिन उच्छल निझर (4.25) करके बहुत दूर का एरिया, मैं तो कभी मेरी जवानी ट्राइबल की सेवा में गई हुई है तो मैं परिचित था वहां से एक बार डेलिगेशन मिलने आया बोले हमारे यहां रोड का कुछ कीजिए ये बिल्कुल महाराष्ट्र से नवापुर से सटा हुआ है मैंने कहा क्या बात करते हो यार मैं तुम्हारे यहां स्कूटर पर आया हूं रोड तो है तेरे यहां, नहीं.. नहीं बोले साहब रोड तो है हमें पेवर रोड चाहिए मैंने कहा क्या बात करते हो पेवर रोड, बोले पेवर रोड चाहिए कहने का मतलब कि एक जमाना था लोग क्या मांग करते थे पॉलिटिशियन से, मेमोरेंडम देते थे एमएलए क्या कि भाई जब अकाल होगा अकाल में जो लोगों के राहत के काम चलेंगे तो हमारे यहां जरा मिट्टी डलवा देना गांव के लोग आज वो सिंगल पट्टी है तो डबल मांगते हैं, डबल है तो पेवर रोड मांगते हैं मतलब हमें इस एस्पिरेशन को अगर पूरा करना है तो ये बहुत काम आएगा और रोड मैप का जहां तक सवाल है तीन- पांच से तीन ये रोड मैप के बजाय देखना चाहिए 11 से पांच आने का रोड मैप तीन में कितना बढ़ेगा? 11 से पांच आना हम आ गए पांच से तीन सबसे चैलेंजिंग होता है यानी आपको एक स्टेज के बाद बड़ा चैलेंज बनता है, बहुत चैलेंजिंग बनता है और मेरा पक्का विश्वास है कि 10 साल में जो हमने इनिशिएटिव लिए हैं जो ग्राउंड पर काम किया है और सरकार में जो एक विश्वास बना है एक अपने आप में बड़ी ताकत होता है जैसे आज चुनाव चल रहे हैं मैं गुजरात में मुझे मालूम है 2002 में मेरी ब्यूरोक्रेसी पूरी तरह मेरे खिलाफ थी क्योंकि उनको लगता ही नहीं था कि मैं जीत सकता हूं लेकिन साथ में 70- 80 परसेंट को लगता था नहीं यार ये तो वापस आएंगे उनका काम करने का तरीका तो छुट्टी पर नहीं गए ड्यूरिंग इलेक्शन भी काम किया वरना जैसे आचार संहिता आती है तो उनका वेकेशन शुरू हो जाता है पूरी सिस्टम का, मैं इस बार देख रहा हूं मेरी पूरी सिस्टम काम कर रही है कोई छुट्टियों पर नहीं गया मैंने सबको बहुत बड़ा टास्क दिया हुआ है और वो ऐसे ही काम कर रहे जैसे मैंने आज सरकार बनाई हो इसका मतलब हुआ कि मेरी टीम बहुत ही उत्साह और उमंग से भरी हुई है तो बहुत तेजी से मैं काम कर पाऊंगा।

रोहित सिंह सावल: प्रधानमंत्री जी चुनावों में हम इस वक्त बड़ा सवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ जो भी कार्रवाई देश भर में हो रही है हर कोई उसका समर्थन कर रहा है अभी आपने बिहार के बक्सर में एक रैली में बात कही कि तेजस्वी यादव अपनी जमानत का जुगाड़ कर लें, अरविंद केजरीवाल है दिल्ली के मुख्यमंत्री, इसके अलावा हम हेमंत सोरेन की बात करते हैं ऐसे कई नाम हैं आप इन पर कार्रवाई की बात करते हैं लेकिन विपक्ष कह रहा है एक साजिश है विपक्ष को साफ करने की क्या कहेंगे इस पर आप?

पीएम मोदी: इरेस्पेक्टिव ऑफ एनी पॉलिटिकल पार्टी एनी आइडियोलॉजी कितना ही बड़ा क्यों ना हो कितना ही लेकिन हमारे देश में हम क्या सुनते थे आप पिछले 20 साल का देखें साहब कुछ भी हो ये छोटे- छोटे बेचारों को फंसा देते थे छोटी मछलियां, मगरमच्छ तो छूट जाते हैं अब मैं हैरान हूं जी मुझसे देश में पूछा जा रहा है क्या आप मगरमच्छ को हाथ क्यों लगाते हो ये देश 30 साल से ये पूछ रहा था कि मछलियों को पकड़ रहे हो मगरमच्छ क्यों हाथ नहीं लगाते हो तो एक्चुअली तो अगर ईडी या सीबीआई ये काम करता है तो उनका सार्वजनिक सम्मान होना चाहिए अगर आपके गांव में भी पांच साल पुराना कोई केस सॉल्व नहीं होता लेकिन कोई अफसर आकर कर देता है तो पूरा गांव उसको सम्मानित करता है क्यों क्योंकि उसने सही काम किया और दूसरा इसमें कागजी में हो सकता है आप कोर्ट विवाद करो कैमरा के सामने नोटों के पहाड़ दिख रहे हैं भाई इसको मना कैसे कर सकते हो। 2004 से 2014 तक 34 लाख रुपय यानी स्कूल बैग में आ जाए, 34 लाख रुपय ईडी ने जब्त किए थे, 2014 से 24, 2200 करोड़ रुपया 70 टेंपो लगेंगे उठा के ले जाने में अब ये देश देख रहा है आप गाली फिर नहीं दे सकते जी आप किसी भी हालत में गाली नहीं दे सकते हो कि गलत हुआ है अब ये बड़े- बड़े लोग अंदर हैं, कौन होगा, कौन नहीं होगा ना मुझे पता है ना मेरी सिस्टम को पता है, कागजों को पता होगा, फाइलों को पता होगा कि कौन कहां है लेकिन मुझे पता हो या ना हो जिसने पाप किया उसको पता है उसका नंबर लगने वाला है, मुझे पता नहीं किसका लगेगा लेकिन जिसको जाना है उसको तो पता ही है उसका नंबर लगेगा क्योंकि उसने पाप किया उसको मालूम है।

सुमन दे: मोदी जी आप फ्लैशबैक पर लेकर गए तो मुझे याद आया 2014 के 22 अप्रैल पहली बार तब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो हम मिले तब एकदम करेंटली चिटफंड स्कैम, शारदा घोटाला सामने आया था तो मैं सरप्राइजड हो गया मैंने जब आपसे सवाल पूछा आपको सब डिटेल्स मालूम था और आपने कहा था कि कठोर कदम उठाना चाहिए क्योंकि नहीं तो कानून पर लोगों का जो भरोसा है वो बरकरार रहना चाहिए यहां दो डेवलपमेंट हुआ है एक है ये 2024, 10 सालों में बहुत सारे स्कैम पश्चिम बंगाल के भी हुए हैं जहां अभी चार्ज ट्रायल शुरू नहीं हुआ है, फाइनल चार्ज शीट नहीं आया है, चार्ज फ्रेम नहीं हुआ और 27 मार्च को बंगाल के एक रैली से आपने बहुत अहम एक बात कहा कि 3000 करोड़ रुपए जो ईडी ने बंगाल से जब्त किया है उनको गरीबों जिन लोगों को लूट कर ये पैसा बनाया गया है उन्हें वापस करना है आपको आप कानूनी सलाह ले रहे हैं उसके बारे में कुछ डिटेल?

पीएम मोदी: ये बहुत ही अहम पूर्ण विषय है और मैं तो चाहता हूं आपके यहां भी कि लीगल पैनल को बुला कर के चर्चाएं करनी चाहिए, मुद्दा ऐसा है और मुझे पक्का विश्वास है कि आप लोग करेंगे भले चार तारीख के बाद करें लेकिन करेंगे क्योंकि होता क्या है जी इस सरकार का खजाना भरने के लिए पैसे तो है नहीं यानी कोई व्यक्ति घर लूट कर के ले जाए और सरकार लूट कर ले जाए उस इंसान को क्या फर्क पड़ता है उसका तो गया ना उसको तो फर्क तब पड़ेगा जब उसको वापस आए तो मेरी सोच है उसको वापस जाना चाहिए वापस कैसे जाए एक पैसा जिसने दिया है और जिसको दिया है उसका कोई ट्रेल प्रूफ पक्का होना चाहिए, मनी ट्रेल होना चाहिए, कोई ना कोई एविडेंस हमारे पास उपलब्ध हो क्योंकि हम ऐसा नहीं कि किसी का पैसे कोई और लूट जाए ये भी नहीं होना चाहिए और ये संभव मुझे लगता है अब जैसे बिहार है नौकरी के बदले जमीन का कांड हुआ तो जमीन किसकी थी वो पता है, अब जमीन किसकी है वो पता है और उसी परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी मिली है वो भी पता है तो फिट होता है बिल्कुल और डेट बैठती है इस तारीख को नौकरी मिली और इस तारीख को जमीन दी तो अब मैंने अफसरों को बोला भाई ढूंढो क्या हम जमीन उनको वापस दे सकते हैं क्या, उसी प्रकार से आपके बंगाल में रेट कार्ड है कि टीचर बनना है तो इतना ऑफिशल रेट कार्ड है जी और उस पैसों का भी कैटेगरी एक को इतना जाएगा, कैटेगरी दो को इतना जाएगा, कैटेगरी तीन को इतना जाएगा ऐसा एक बड़ा साइंटिफिक बना हुआ है जी अब इससे पता चलता है कि तो मैंने मेरी पार्टी को कहा लीगल एडवाइजर टीम बनाओ तो जिस रिलीजियस के पास सर्टिफिकेट है, योग्यता है, जिसको नौकरी मिली है वो अलग और जिसके पास कुछ नहीं है लेकिन पा लिया है उसको अलग करो फिर सरकार अपनी सिस्टम तो 3000 करोड़ रुपये सरकार ने जब्त किये हैं और प्रॉपर्टी के हिसाब से दे तो सवा लाख करोड़ रुपए की अटैचमेंट है, 2200 करोड़ तो कैश, सवा लाख करोड़ का हमने अब जैसे केरल में वहां कोऑपरेटिव बैंक चलती है ज्यादातर कोऑपरेटिव बैंक्स ये लेफ्ट वाले चलाते हैं, सभी कोऑपरेटिव बैंक का बहुत बड़ा स्कैम है ये मिडिल क्लास लोगों ने बड़ी मेहनत के जमा किया हुआ पैसा है तो पता है पैसा किसका का था बैंक डूब रही है तो मैंने कहा भाई ये इनकी प्रॉपर्टी अटैच करो, उनकी प्रॉपर्टी अटैच की है अब मैंने कहा उसमें से जिनका पैसा है कितना परसेंटेज दे सकते हैं देखो सबको समान रूप से बांट करके देंगे वो प्रक्रिया चल रही है। दूसरा पिछले दिनों अलग-अलग जो मुझे मिला उसमें से अब तक 17000 करोड़ रुपये हम ऑलरेडी दे चुके हैं अब तक तो ये जनता का पैसा है ये जनता को मिलना चाहिए

सुमन दे: और ये पॉसिबल है..

पीएम मोदी: हां, मैं बताऊं दूसरा एक जो काम हो रहा है हमने जो अंग्रेजों के जमाने से हमारा पीनल कोड, आईपीसी धारा है वो हमने न्याय संहिता में परिवर्तित किया है उस न्याय संहिता की जो सुविधाएं हैं उसमें एक है कि ऐसी जो प्रॉपर्टी जब्त करते हैं उसको जजमेंट आने तक इंतजार करने की जरूरत नहीं आप उसका निकाला कर सकते हैं उस चीजें बनेंगी उसका रूल्स बनेंगे। 1 जुलाई से वो लागू होगा।

रोमाना ईसार खान: आप ये जो बात कह रहे हैं मतलब बिल्कुल इनोवेटिव सा आईडिया और मुझे लगता है ये कहने के बाद हो सकता है जब ये इंटरव्यू चले उसके बाद में ट्रोल भी हूं लेकिन अगर ऐसा होता है तो ये भ्रष्टाचार के खिलाफ जो मुहिम है दुनिया को दिखाने वाला ये वाकई में मोदी का मास्टर स्ट्रोक बनेगा सर

पीएम मोदी: एक मैं देखता हूं कि शायद आपके सवाल का मैं एक और पहलू बताना चाहूंगा ऐसे ही दिमाग में चल रहा है 2014- 19, 19- 24, 24- 29, 14 से 19 अफसर भी हेजिटेट थे दे ना दे, बताएं ना बताएं, ओनरशिप कौन लेगा, हम मर जाएंगे हमको दुश्मनी वगैरह..वगैरह। 19 से 24 उनको विश्वास हुआ कि ये तो भाई कोई पॉलिटिकल भाषण बाजी नहीं एक आदमी है कमिटेड है फिर दूसरा मेरा जीवन भी देखा उन्होंने तो उनको लगा कि ये कोई गपबाजी नहीं ये पॉलिटिशियन से कुछ अलग है ये विश्वास पैदा हुआ तो 19 से 24 में मुझे सिस्टम का सपोर्ट मिला मैं देख रहा हूं कि अब जो मैं 10 साल की मेरी तपस्या ये लड़ाई है, 24 से 29 शायद ये लड़ाई अब जनता उठा लेगी और जनता मुझे भरपूर इंफॉर्मेशन देगी, मेरा सहयोग करेगी कि साहब देखिए उस दफ्तर में फलाने ने मेरे से ये मांगा था, उसने मेरे से ये मांगा था क्योंकि उसको विश्वास बन गया है कि कोई रक्षक है तो मुझे बताएंगे तो एक प्रकार से मास मूमेंट बनेगी 24 टू 29 फिर कोई गाली- गलौज नहीं करेगा, भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी मांगेगा तो ठहरो भाई मैं आपकी फोटो निकालता हूं जैसे मैंने अभी एक सुझाव दिया कि भाई आप ट्रेन में टिकट चेकर बिना टिकट लोगों को पकड़ता है लेकिन कुछ लोग ऐसे होंगे जो बार-बार पकड़े जाएंगे तो जो 10 बार से ज्यादा बार बिना टिकट पकड़ा जाए उसकी फोटो वहां प्लेटफॉर्म पर लगाओ ये सज्जन इस तारीख को पकड़े गए इस तारीख को पकड़े गए मैंने कहा देश देखेगा तो वो बगल में बैठा हुआ देखेगा कि अच्छा भाई ये बिना टिकट वाला आया है वो ही चेकर को बुलाएगा यार वो आ गया है बिल्कुल ये होने वाला है। मैं ये देख रहा हूं और उसमें अगर मीडिया मेरी मदद करे तो एक बहुत बड़ा जन आंदोलन खड़ा हो जाएगा।

रोमाना ईसार खान: क्रांति आ जाएगी, सर सवाल मेरा ये है कि आपने इतने चुनाव लड़े अब 4 जून बिल्कुल नतीजों का दिन सामने ही है अच्छा हम लोगों का रिजल्ट आता था स्कूल में जब पढ़ते थे तो साहब बड़ी नर्वसनेस होती थी अच्छा अभी भी नौकरी में है हम सभी जिस दिन पता होता है कि आज चिट्ठी बंटने वाली है अप्रेजल की उस दिन भी सुबह से धुकधुकी सी होती है आप तो खुद ही बताते हैं कैसे नर्वस नहीं होना है लेकिन मैं बस ये जानना चाहती हूं कि रिजल्ट वाले दिन आपका क्या मतलब शैली रहती है, दिनचर्या रहता है?

पीएम मोदी: मैं वैसे कोई मैं नहीं मानता लोगों का इंटरेस्ट होगा लेकिन मैं बताता हूं एक मैं पता नहीं क्यों एक्स्ट्रा कॉन्शियस रहता हूं उस दिन, उन चीजों से दूर रहने के लिए..

रोमाना ईसार खान: नंबर्स वगैरह नहीं देख रहे होते हैं टेलीविजन पर..

पीएम मोदी: इसलिए मैं कहता हूं कि मैं एक तो मेरा जो उस दिन का मेरा जो रेगुलर मेरा ध्यान वगैरह होता है उसको थोड़ा टाइम ज्यादा बढ़ाता हूं मैं, दूसरा उस दिन मेरे कमरे में किसी को एंट्री नहीं होती है, उस दिन किसी को मुझे फोन देने के चुनाव के संबंध में, किसी और काम की बात है तो अलग बात है अलाउड नहीं होता है अब घटना बताता हूं मैं 2002 की, मैं 2001 में मुख्यमंत्री बना 2002 में चुनाव था और यहां इलेक्शन कमीशन थे वो भी मुझे बहुत परेशान कर रहे थे भांति- भांति की मुसीबतें मेरे लिए खड़ी हुई थीं तो लोग मानते साहब आपके लिए जीतना मुश्किल है तो मैंने कहा जो होगा सो होगा। मैं अपने कमरे में था मैं मुख्यमंत्री था तो मेरे पास रहने के लिए जगह थी तो मैंने फोन वगैरह उठाया नहीं कोई एक डेढ़ बजा होगा मेरे घर के बाहर ढोल बजने लगे तो फिर मैंने नीचे से किसी को बुलाया तो बेचारा चिट्ठी लेकर आया साहब सब पार्टी के वर्कर बाहर आए हैं और आपको बधाई देना चाहते हैं तो मैंने एक डेढ़ बजे पहली बार जाना कि क्या रिजल्ट आया है तब तक मैंने तब तक टू थर्ड मेजोरिटी क्लियर हो चुकी थी तो फिर मैंने नीचे कहा ऐसा करो भाई एक अच्छी माला मंगवा लो और मिठाई मंगवाओ मैं पहले केशुभाई पटेल के घर जाऊंगा मैं उनको माला पहनाऊंगा उनका मुंह मीठा करूंगा उसके बाद मैं चुनाव की तो मैं उस दिन केशुभाई के घर गया डेढ- दो बजे उनको माला पहनाई, उनको मिठाई खिलाई तब जाकर के मैंने उसका सेलिब्रेशन किया तब तक मैंने नहीं किया। अभी भी मैं एग्जिट पोल आता है उस दिन भी मैं अपने आप को दूर रखता हूं जिस दिन रिजल्ट आता है उस दिन भी करीब- करीब एकदम से क्लियर हो जाए करीब डेढ़- दो बजे तक तो मैं ज्यादा उसमें अपने आप को उलझाता नहीं हूं तो मैं एक प्रकार से विरक्त भाव से अपना समय मेरे भीतर खोया हुआ मैं बिताता हूं

रोहित सिंह सावल: यानी आप नतीजों का इंतजार करते हैं रुझानों पर ध्यान नहीं देते..

पीएम मोदी: मैं ना रुझान पर ध्यान देता हूं ना नतीजों पर ध्यान देता हूं मैं एक मिशन के लिए मरने वाला इंसान हूं तो 30 तारीख शाम तक मेरा काम है मैं करता रहूंगा मेरी पार्टी ने मुझे कहा है उसके बाद मेरा कुछ नहीं होता है जी हो गया मैंने काम कर लिया।

सुमन दे: मा फलेषु कदाचन गीता में भी ऐसा बोला गया है

रोहित सिंह सावल: प्रधानमंत्री जी आजकल आपको तानाशाह कहा जा रहा है मौत के सौदागर से ये शब्दावली की शुरुआत हुई, इस डिक्शनरी को अगर मैं देखूं, पॉलिटिकल डिक्शनरी कहूंगा इसमें सैकड़ों शब्द जुड़ते गए मुझे ठीक से याद है लेकिन नरेंद्र मोदी इसको किस तरह से देखते हैं, इग्नोर करते हैं, तकलीफ होती है, क्या कहेंगे इस पर?

पीएम मोदी: मुझे लगता है ये जो तानाशाह बिरादरी होगी ना वो सबसे ज्यादा दुखी होती होगी उनको लगता होगा कि तानाशाह का इतना हो गया इतना डिवैल्यूएशन हो गया है, इतना डिग्रेडेशन हो गया है ऐसा कैसा तानाशाह जो तानाशाही की गालियां सुनता है फिर भी कुछ बोलता नहीं है तो जो एक्चुअल होगा उसको लगता है मेरा मार्केट डाउट हो रहा है जी, तो मुझे ऐसा लगता है। देखिए, मैं हमेशा कहता हूं और ये मैं मानता हूं कोई मेरे पॉलिटिकल वर्जन नहीं है ये नामदार हैं, हम कामदार हैं और इसलिए हमारे नसीब में गाली- गलौच, अपमान लिखा हुआ है जी और ये बात मैं को राजनीति में आने के बाद कह रहा हूं ऐसा नहीं है जी मैं बचपन से ऐसी जिंदगी गुजार करके आया हूं सामान्य जीवन में भी हमने अपमान बहुत सहन किए हैं बचपन में क्योंकि हम ऐसी जिंदगी से मैं निकला हूं कि जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता तो हम मान के चलते भाई हम सहन कर लेंगे जी हम उसी से पले- बड़े हैं तो इसके कारण एक प्रकार से मन हमारा कोई हमारी तारीफ करें तो उस दिन आश्चर्य होता है अरे यार कुछ सचमुच में गाली दे दे तो मुझे आश्चर्य नहीं होता है बचपन से यही सुना है जी बड़े लोग जो होते हैं जो नामदार होते हैं वो हम लोगों को ऐसा ही करते हैं जी मैं कप प्लेट धोता था जी तो कभी किसी के ऐसा जो मेरे छोटी सी दुकान में चाय पीने वाला कप प्लेट वो भी डांट देता था मुझे ऐसा कैसा है वो कैसा है चाय भी अगर ठंडी हो तो भी थप्पड़ मार देता था ऐसी ठंडी चाय क्या लेकर आया है उस समय तो शायद एक रुपए भी कीमत नहीं थी चाय की तो बचपन में हमये सह करके आए हैं तो ये चीजें हमें ज्यादा शिकायत ही नहीं है परमात्मा ने ये ही व्यवस्था मेरे लिए लिखी हुई है।

सुमन दे: प्रधानमंत्री जी आप और आपकी पार्टी एकदम शुरू से ओबीसी के अंदर मुसलमानों को आरक्षण देने के मामले में आपका स्टैंड बड़ा साफ है कि आप इसके खिलाफ हैं और सारे इस चुनावी दौर में भी रैली में भी आपने इसका जिक्र किया है इसी समय में कोलकाता हाई कोर्ट में एक बहुत एक महत्त्वपूर्ण वर्डिक्ट आया कोलकाता हाई कोर्ट में कि 2010 साल के बाद जितने भी बंगाल में ओबीसी सर्टिफिकेट इश्यूज किया गया सबको खारिज कर दिया गया उसी दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का रिएक्शन आया कि ये वर्डिकट बीजेपी का वर्डिक्ट है और हम इसे नहीं मानेंगे मिस्टर प्राइम मिनिस्टर वाट्स योर रिएक्शन ओन दिस?

पीएम मोदी: देखिए, इसके अलग- अलग पहलू हैं एक तो इस प्रकार की बयानबाजी ये अदालत का अपमान है आप ऊपरी अदालत में जाइए, लड़ाई लड़े इस प्रकार से कहना कोर्ट को कहना की बीजेपी मतलब आप अदालत को इस प्रकार से अपमानित करें तो सुप्रीम कोर्ट का काम है इसको गंभीरता से लें और जो भी आवश्यक है वो कार्यवाही करें अगर कोई व्यक्ति अदालत को इस प्रकार से क्यों अपमानित करें ये तो अनुचित है, जजमेंट के संबंध में उसका ओपिनियन हो सकता है तो ऊपर की अदालत में चले जाए जहां तक कोर्ट का मामला है। दूसरा है आपने जो कहा उसका एक पहलू ये गलती हो रही है मैंने कभी ये नहीं कहा है मेरा क्या कहना है मैं ये कहता हूं कि भारत की संविधान सभा ने जब संविधान बना महीनों तक इन मुद्दों पर डिबेट किए हैं और सहमती से विचार बना कि भारत में हम धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दे सकते हैं तो मेरा कहना ये है कि हमें संविधान की भावना का सम्मान करना चाहिए, संविधान में जो लिखा गया है उसका सम्मान करना चाहिए और बाबा साहब अंबेडकर हो, डॉक्टर राजेंद्र बाबू हो, चाहे पंडित नेहरू हो इन लोगों ने सबने कहा है कि हमारे देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। आज ये धर्म के आधार पर आरक्षण करना चाहते हैं तो मैं कहता हूं ये संविधान का अपमान है, ये संविधान को खत्म करने के उनके तौर- तरीके हैं और इसलिए हम चाहते हैं कि भाई योग्यता के आधार पर अब जैसे मैंने पार्लियामेंट में किसी भी प्रकार के तनाव, हमारे देश में आरक्षण के मुद्दे पर हर बार लड़ाई हुई है, हर बार समाज में बिखराव हुआ है, मैं अकेला व्यक्ति हूं जिसने आरक्षण का निर्णय भी किया और समाज को जोड़ा कब मैंने जो लोग इस कैटेगरी में नहीं आते हैं एससी, एसटी, ओबीसी में ऐसा जो समुदाय है जिसको आप कहे बनिया, ब्राह्मण, उच्च वर्ग जिसको कहा जाता था जो सामान्य वर्ग के लोग जिसको कहे उनमें भी गरीबी तो है ही आरक्षण उनको भी मिले तो शायद उनकी जिंदगी बन जाए तो मैंने सोचा 10 परसेंट आरक्षण सामान्य वर्ग के गरीबों को देना होगा तो सामान्य वर्ग के गरीबों का मैंने 10 परसेंट आरक्षण किया है..

सुमन दे: आर्थिक स्थिति के मद्देनजर..

पीएम मोदी: उस सामान्य वर्ग में जो अन्य बेनिफिट नहीं लेते हैं एससी, एसटी, ओबीसी उसके बाहर के हैं उसमें मुसलमान भी है, उसमें हिंदू भी है, इसमें ईसाई भी है, इसमें जैन भी है, इसमें बौद्ध भी है, पारसी भी है कोई तनाव नहीं हुआ इस देश में क्यों मैंने धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं किया था, मैंने सामान्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए आरक्षण किया उसकी एक आर्थिक स्थिति की समय मर्यादा तय की और इस देश ने बहुत ही प्यार से स्वीकार किया इवन दलित समाज ने भी स्वीकार किया, आदिवासी समाज ने भी स्वीकार किया, ओबीसी समाज ने भी स्वीकार किया और सामान्य समाज ने भी स्वीकार किया तो सोशल हार्मोनी भी बनी रही और जिसके साथ जिसका हैंड होल्डिंग की जरूरत थी वो भी हुआ तो मैं धर्म के आधार पर आरक्षण हम एक बार धर्म के आधार पर देश को बांट चुके हैं अभी भी हम धर्म के आधार पर निर्णय करते जाएंगे तो देश का क्या होगा? हम ये तनाव क्यों पैदा करते हैं? जस्ट आपकी वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए और इन्होंने सबसे बड़ा काम किया वो धोखा किया ओबीसी समाज के साथ, टीएमसी ने क्या किया 77 कम्युनिटीज को रातों- रात ओबीसी बना दिया कोई प्रक्रिया किए बिना..

सुमन दे: बिना सर्वे किए..

पीएम मोदी: हां, कोई प्रक्रिया नहीं की उसके लिए स्टेबलिश नॉर्म्स हैं उन्होंने 77 कम्युनिटीज को ओबीसी बना दिया अब ओबीसी का इतना मान लीजिए इतना एक केक है आपका अब नए 77 कम्युनिटी आई तो केक कहां, आधे तो उधर तो उन लोगों के साथ आपने अन्याय किया क्यों क्योंकि आपकी वोट बैंक बनेगी। कर्नाटक में क्या किया इन्होंने रातों- रात सभी मुसलमानों को ओबीसी घोषित कर दिया मतलब जो ओबीसी के लिए आरक्षण का बल था उसका बड़ा हिस्सा रातों- रात आपने लूट लिया तो उसका मतलब ये हुआ कि जो संविधान प्रेरित बातें हुई थीं, जो संसद में चर्चा करके तय हुई थी आप बैकडोर एंट्री से जिसको मिला है उसे लूट रहे हो और जो लेने के हकदार है कि नहीं उसकी कोई जांच पड़ताल किए बिना बांटते चले जा रहे हो। हमारा विरोध मुसलमान से नहीं है, हमारा विरोध ईसाई से नहीं है, हमारा विरोध पारसी से नहीं है, हमारा विरोध जैन से नहीं है, हमारा विरोध बौद्ध से नहीं है, हमारा विरोध सिख से नहीं है। हमें कहना है भारत का संविधान कहता है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए और हमें लेटर एंड स्पिरिट में अब ज्यादा जिम्मेवारी से इसको पालन करना चाहिए उस समय इतना गंभीर था मामला आज तो ज्यादा गंभीर है।

रोमाना ईसार खान: प्रधानमंत्री जी आपने जो अभी बात कही कि साहब धर्म के आधार पर बंटवारा और उसका दर्द ये देश झेल चुका है बावजूद इसके चुनाव दर चुनाव धर्म की एंट्री हो जाती है, वोट जिहाद आ जाता है, मुसलमान आ जाता है, चुनाव बीत जाता है लेकिन वो जो समाज का ताना बाना सा है बंधुत्व वाला, भाईचारे वाला उसको वो थोड़ा कमजोर सा करता चलता है, मैं सिर्फ सवाल आपसे ये पूछना चाहती हूं कि इन विषयों पर कभी चुनाव की गहमागहमी से दूर अगर आप बैठकर विचार करते हैं तो इस देश के मुसलमान को लेकर आपको दया ज्यादा आती है कि इसको हर बार वोट बैंक के नाम पर लॉलीपॉप पकड़ाई जाती है और ये धोखे में खुश हो जाता है या आपको गुस्सा आता है कि इसको हर बार वोट बैंक के नाम पर धोखा दिया जाता है और ये फिर भी सह रहा है धोखे को?

पीएम मोदी: मैं आपको मेरा अनुभव बताता हूं मैं उस दिन बहुत चौंक गया था जिस दिन देश के प्रधानमंत्री ने लाल किले से कहा हमारे यहां पहले प्रधानमंत्रियों की लाल किले से बोलने की स्टाइल थी हिंदू, सिख, ईसाई ऐसा बोलते थे, वर्णन करते थे मैं हैरान हो जाता था ये सबका अलग आइडेंटिफिकेशन किसको एड्रेस कर रहे हो तुम क्या देश का प्रधानमंत्री ये नहीं कहता मेरे प्यारे देशवासियों। मैं गुजरात में था तो मैंने शुरू किया पांच करोड़ मेरे गुजरातियों मैंने टर्मिनोलॉजी शुरू की धीरे- धीरे सबको करनी पड़ी ताकि कोई इधर- उधर..सब मेरे हैं उनको भी फील होगा कि हम गुजरात का भला करने के लिए हम गुजरात के नागरिक हैं ये वातावरण बनाया, यहां भी मैं 140 करोड़ मेरे देशवासी बोलता हूं, शुरू में आया तब 120 करोड़ देशवासी बोलता था हमने अपनी भाषा टर्मिनोलॉजी में एकता की तरफ जोड़ना चाहिए आपने देखा होगा मैंने सरदार वल्लभ भाई पटेल का स्टैच्यू बनाया है और मैं तो चाहूंगा कि आपके एबीपी की एक कोई बड़ी मीटिंग वहीं करनी चाहिए आप लोगों ने देखेंगे ये दुनिया का सबसे बड़ा है वो तो एक बात है लेकिन उसमें नाम रखा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी क्यों तो सरदार साहब के साथ देश की एकता का मुद्दा जुड़ा हुआ है और मैं मानता हूं कि एकता ये भाव निरंतर चलता रहे अभी मेरी सरकार ने एक योजना बनाई इस बजट में 50 साल के लिए विदाउट इंटरेस्ट स्टेट को हम पैसे देते हैं ताकि आप अगर को डेवलप करें उसमें एक मेरी योजना ये है अगर आप हर राज्य के कैपिटल में एकता मॉल बनाते हैं, एकता मॉल के पीछे मेरी कल्पना ये कि उस एकता मॉल में हिंदुस्तान के हर राज्य की हर चीज अवेलेबल होनी चाहिए यानी मुझे लखनऊ के एकता मॉल में गया और मुझे केरल की चीज चाहिए तो वहां मिल जाएगी एकता का भाव बनना चाहिए हम विघटन का भाव बना रहे हैं जहां तक आपने जो चिंता व्यक्त की ये चिंता सही है वोट जिहाद कोई मदरसा से निकला हुआ कोई मौलवी बोल देता तो अभी भी मानते कि चलो भाई उसकी शिक्षा- दीक्षा एक हाईली क्वालिफाइड फैमिली से वोट जिहाद की बात निकलती है तब चिंता बढ़ जाती है, तब चिंता बढ़ जाती है ये गलत रास्ते पर जा रहा है ये ऐसा होना नहीं चाहिए। कोई छोटे- मोटे लोग इधर- उधर बोलने वाले कहीं पर भी मिल जाएंगे तो मैं उनके लिए शिकायत नहीं करता और शाही परिवार के निकट परिवार हाईली क्वालिफाइड फैमिली उसका ये रास्ता अपनाना ये चिंताजनक है। तीसरी बात है मैं अपना गुजरात का एक अनुभव बताता हूं अहमदाबाद में एक मार्केट है मानेक चौक में बड़ा इंटरेस्टिंग मार्केट है इतनी भीड़ रहती है आप साइकिल नहीं चला सकते, साइकिल हाथ में लेकर के नहीं जा सकते, पैदल भी चलना है तो आपको पार करते- करते 15- 20 मिनट लग जाएंगे और वहां सारा का सारा व्यापारी मुसलमान है और सारा का सारा खरीदार हिंदू है यानी 100 परसेंट व्यापारी मुसलमान, 100 परसेंट खरीदार हिंदू हैं। बड़ा यूनिक सा है तो मैंने एक 30-40 लड़कों को ट्रेंड किया मैंने तुम लोग तीन दिन लगातार इस मार्केट में घूमते रहो और इनको जरा चिढ़ाते रहो सब व्यापारियों को ऐसे टेढ़े- मेढ़े सवाल पूछो खरीद करने जाओ कहो चाचा दिवाली कैसी है जवाब क्या आता था अरे भाई बहुत अच्छी दिवाली है फिर चिढ़ाओ जरा अरे ये राक्षस बैठा है और तुम्हारी दिवाली ठीक है मोदी बैठा है तुम क्या बात करते हो ऐ..ऐ मोदी के खिलाफ मत बोलो इसकी मां को पता चलेगा ना मुझे हमको खाना नहीं मिलेगा तो बोले क्यों बोले ये मेरा लड़का कभी दुकान नहीं आता था ये मोदी आया ना बोले रेगुलर दुकान आता है बोले पहले ये भटकता था ये बच्चा है ना बोले छुट्टियां है तो आया है पढ़ता है बोले पहले पढ़ता नहीं था सब उसकी मां इतनी खुश है मोदी पर ये मेरा 2002 की दिवाली का अनुभव है जी।

सुमन दे: ये एक यूनिक सोशल सेलिब्रेशन रहा..

पीएम मोदी: जो मुसलमान समाज मैं तो उसी बस्ती में बड़ा हुआ हूं मेरे घर के अगल-बगल में पसमांदा समाज के ही सब लोग हैं। जहां मेरा जन्म हुआ, इतने अच्छे लोग उनके पास हाथ में इतनी अच्छा बढ़िया स्किल है हम इसको ताकत दे रहे हैं देश का भला होगा हम ही उनको गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं, हमारी राजनीति करने के लिए उनको उनके नसीब पर छोड़ दें तो ज्यादा अच्छा करेंगे ये जो उनके ठेकेदार बने हुए हैं ना अब मुझे बताइए इतनी पॉलिटिकल पार्टी है किसने मुस्लिम लीडर पैदा किया मुझे बताइए, हिंदू लीडर है जो मुसलमान के ठेकेदार बने बाकी सब ये हिंदू लीडरों ने इनको अपने कब्जे में रखा हुआ है अब ये मुसलमान समाज को आत्म चिंतन करना चाहिए। दूसरा एज अ गवर्नमेंट मेरा काम क्या दैट शुड बी नो डिस्क्रिमिनेशन तो मैंने क्या कहा मुझे अब चलना है 100 परसेंट सैचुरेशन मानो मेरे पास चार करोड़ घर है और चार करोड़ लाभार्थी की सूची है तो मुझे कोई डिस्क्रिमिनेशन के बिना उन लाभार्थियों को मकान देना है हो सकता है किसी को जनवरी में मिलेगा, किसी को मार्च में मिलेगा लेकिन क्योंकि तुम इस जाति के हो तो मिलेगा उस जाति के हो तो नहीं मिलेगा, इस धर्म के हो तो मिलेगा उस धर्म के है तो नहीं मिलेगा, ये नहीं चलेगा। दूसरा मैं जब 100 परसेंट सैचुरेशन कहता हूं तो सामाजिक न्याय की गारंटी है, मैं जब 100 परसेंट सैचुरेशन कहता हूं तो सेकुलरिज्म की गारंटी है, मैं जब 100 परसेंट सैचुरेशन की बात करता हूं तब ट्रांसपेरेंसी की गारंटी है नो करप्शन वो हर एक को मालूम है तीन महीने के बाद मिलना है चल एक रुपए मांगेगा नहीं दूंगा, मैं बैठा हूं देखता हूं मोदी ने कह दिया मिलने वाला है तो मेरी जो स्ट्रेटेजी है वो ये है ‘सबका साथ- सबका विकास’ ये सिर्फ नारा नहीं है जी मेरी हर चीज में वो प्रैक्टिस है, हर चीज में। अब देखिए डीबीटी- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर 38 लाख करोड़ रुपए हमने डीबीटी किया है अगर राजीव गांधी के हिसाब से मैं देखूं एक रुपए में 15 पैसा पहुंचता है तो 38 लाख करोड़ में से 28 लाख करोड़ करीब- करीब गबन हो गया होता, किसी पंजे ने मार लिया होता, आज 38 लाख करोड़ उसको पहुंचा है आप इंस्टाग्राम पर देखें एक हजार रील मिलेगी जब मुस्लिम समाज कहता है कि मुझे ये मिला.. मुझे ये मिला.. मुझे ये मिला।

रोमाना ईसार खान: वो तो आंकड़ों में नजर आता है चाहे उज्ज्वला योजना हो, चाहे प्रधानमंत्री आवास हो जो मुसलमानों की इस देश में आबादी है अगर लाभार्थी इन योजनाओं के देखा जाए तो मुसलमान तो उससे बहुत ज्यादा हैं मतलब बढ़- चढ़कर उनको मिल रहा है।

पीएम मोदी: सबको मिला है.. सबको मिला है.. सबको मिला है..

रोहित सिंह सावल: लेकिन फिर भी कुछ लोग हैं मोदी जी जो पसंद और नापसंद की बात कहते हैं कि मुसलमान पसंद करता है कुछ कहते हैं कि नहीं पसंद करते मोदी को ये सवाल उठता है?

पीएम मोदी: ऐसा है कि लोकतंत्र में ये उसका अनिवार्य अंग है अगर सब लोग मुझे पसंद करें तो वो लोकतंत्र कैसे हो सकता है ये तो तरीका नहीं हो सकता फिर तो वो मजबूरी है उनकी कि मुझे पसंद करना पड़ रहा है, मुझे वो नहीं चाहिए जिस दिन वो कन्विन्स हो जाए, जिस दिन उनको लगे कि हां यार हमारा भविष्य इसमें है। दूसरा मुसलमानों को भी समझना होगा देश के भविष्य के साथ उनका भविष्य जुड़ा हुआ है वो ये माने कि देश डूब जाएगा और मैं बच जाऊंगा वो होने वाला नहीं है और देश बनेगा और मुझे घर बैठे मिल जाएगा तो एक स्थिति आएगी कि शायद न भी मिले क्योंकि रुपया, रुपए को खींचता है जी जो फिर आगे निकल जाएगा और इसलिए मैं उनको कहा पढ़ाओ भाई बच्चों को पढ़ाओ अवसर है तुम मौका खो रहे हो फिर रह जाओगे तुम्हारा काम है तुम इसलिए मैंने एक मेरा बहुत पहले 2013 के इंटरव्यू मैंने कहा भाई मेरे एक हाथ में कुरान हो मुझे इतना नहीं लेकिन एक हाथ में कंप्यूटर होना चाहिए मुझे उनका भविष्य बनाना है वो पीछे रह जाएंगे मुझे दर्द है। दुनिया बहुत तेजी से आगे चली जाएगी और इसकी हमें चिंता है और मुझे बताइए साहब कोई देश 10 परसेंट हो 12 परसेंट जो भी हो अलग- अलग लोग आंकड़े बताते हैं वे अगर अविकसित रह जाए, वे अगर समृद्ध ना हो तो मेरा देश समृद्ध हो सकता है क्या? आपका शरीर है वजन अच्छा है, ऊंचाई अच्छी है, सब मजबूत है लेकिन एक हाथ नहीं है अच्छे से काम नहीं करता है उसको स्वस्थ माना जाएगा क्या? सभी अंग स्वस्थ होने चाहिए तो ये भी मेरे देश का एक महत्त्वपूर्ण अंग है अगर वो अस्वस्थ होगा मेरा देश कैसे स्वस्थ हो सकता है जी?

रोहित सिंह सावल: मोदी जी पसंद- नापसंद की बात से जुड़ा हुआ सवाल है कि विपक्ष में भी ऐसे बहुत से नेता हैं जो निजी तौर पर आपको पसंद करते हैं हो सकता है उनकी पार्टी की मजबूरी हो कि आपको विरोध करना पड़ता है, आपके खिलाफ बोलना पड़ता है लेकिन विपक्ष में ऐसा कौन नेता है जो नरेंद्र मोदी को पसंद हो?

पीएम मोदी: ऐसा है कि मैं नाम बताऊं वो अच्छा नहीं होगा लेकिन मैं आपको बताता हूं मैं अलग से उदाहरण देता हूं कोर्ट के अंदर वकीलों के बीच में कैसे लड़ाई होती है लेकिन उनके पारिवारिक दोस्ताना बहुत अच्छा होता है ये आपको दिखता है पॉलिटिकल फील्ड में भी बहुत कुछ होने के बाद भी अपनापन भी तो होता है जैसे प्रणव मुखर्जी कांग्रेस के थे अब मुझे याद है कि 2019 के चुनाव में चुनाव के दरमियान उन्होंने तीन- चार बार मुझे फोन किया होगा इलेक्शन में उन्होंने कहा मोदी जी मेरा एक क्षेत्र नहीं है लेकिन इतनी मेहनत करोगे तबियत को कौन देखता है वो तो कांग्रेसी थे मैं तो बीजेपी का था और मैं कांग्रेस को हराने के लिए काम कर रहा था 19 में फिर भी वो मुझे फोन करके कहते थे..

सुमन दे: आप भी तो उन्हें दादा बोलकर बहुत सम्मान करते थे..

पीएम मोदी: हां, मैं उनको बहुत सम्मान करता था और वो तो मैं सीएम बना उसके पहले भी करता था ऐसा होता था कि मैं यहां दिल्ली में रहता था मॉर्निंग वॉक के लिए मैं ये राष्ट्रपति भवन वाले इलाके में जाता था प्रणव दा की भी मार्निंग वॉक की पद्धति थी तो एक छोटा डंडा रखते थे मैं सामने मिल गए तो उनके पैर छूता था उस समय..

रोहित सिंह सावल: जब आप संगठन का काम देखते थे..

पीएम मोदी: मैं पार्टी का संगठन का काम करता था वो कांग्रेस के मिनिस्टर थे वो चलते थे मैं उनके पैर छूता था सार्वजनिक जीवन में जी हमें सबका जैसे हमने नरसिम्हा राव को भारत रत्न दिया, हमने प्रणव दा को भारत रत्न दिया उससे कोई वोट पाने का काम नहीं है जी, इस देश में ऐसा तो नहीं चल सकता मेरे, मेरो के लिए, मेरे परिवार के लिए मैं करूंगा हमने गुलाम नबी साहब को हमने पद्मभूषण दिया, हमने बेग साहब जम्मू- कश्मीर के उनको दिया अब देखिए हमें राष्ट्रपति बनाने का मौका मिला तीन बार, अटल जी को एक बार मिला, दो बार मुझे मिला। अटल जी को मिला तो हमने मुसलमान को राष्ट्रपति बनाया, मुझे मौका मिला तो हमने पहले दलित को बनाया बाद में आदिवासी को बनाया ये ‘सबका साथ- सबका विकास’ का मंत्र है, पॉलिटिकली भी मेरे इन सबसे अच्छे संबंध हैं सबसे, सिवाय के शाही परिवार मेरा कोई कम्युनिकेशन नहीं है लेकिन मैं उनकी तकलीफ के समय हमेशा बहुत प्रोएक्टिव रहा हूं तुरंत चिंता करना, कुछ भी हुआ तो एक बार शायद 19 का चुनाव कोई चुनाव था और सब महाराष्ट्र में राहुल जी के हवाई जहाज को कुछ गड़बड़ हुआ तो तुरंत मुझे पता चला तो मैंने उनको फोन किया मैंने कहा भाई..

रोमाना ईसार खान: राहुल गांधी..

पीएम मोदी: हां, मैंने उनको फोन किया मैंने कहा भाई दूसरा मैं बताता हूं एक बार सोनिया जी काशी में मेरे खिलाफ रोड शो कर रही थी चुनाव में अब उनकी तब अचानक खराब हो गई मुझे पता चला मैंने कहा भाई उनको स्पेशल प्लेन दीजिए और उनको ले आइए यहां तो फिर मुझे बताया कि साहब बनारस एयरपोर्ट पर हम ले गए हैं धीरे-धीरे सेटल होने दो तुरंत मैंने फोन किया था। एक बार दमन में उनका हेलिकॉप्टर क्रैश कर गया उसमें अहमद पटेल थे, सोनिया जी थी और कोई और था तो दमन तो गुजरात के बाहर था मैं सीएम था तो मैंने उनको फोन किया अहमद भाई को मैंने कहा अहमद भाई बड़ा गंभीर मामला है मैं तत्काल एयर एंबुलेंस की व्यवस्था करता हूं कहा साहब हम लोग सेफ हैं हेलिकॉप्टर को बहुत नुकसान हुआ है हम लोग सेफ हैं मैं मानता हूं ये पीएम की बात छोड़ दीजिए नरेंद्र मोदी ये सब साहब अपने देश के लिए काम करने वाले लोग हैं आई मस्ट मेरा नाता रहना चाहिए।

रोमाना ईसार खान: ये आते ही नहीं है ना सामने आपकी शख्सियत के पहलू सामने निकल कर ही नहीं आते हैं..

पीएम मोदी: ऐसा है कि ये चीजें तो सवाल पूछा तो बातें निकली कहने के विषय हैं नहीं जी, कहने के विषय होते नहीं ये चीजें ऐसी होती हैं जो अपनापन है इसमें राजनीति नहीं होती है ये अपनापन होता है। मैं बताऊं हमारे संगमा जी उनका स्वर्गवास हुआ अब उनके यहां डेड बॉडी ले जाना तो तीन दिन लग जाते तो मैंने स्पेशल प्रंबंध किया डेड बॉडी पहुंचाने की व्यवस्था की ऐसा है कि हमें एक- दूसरे के सुख- दुख के साथी रहना होता है साहब हम ऐसे किसी के खिलाफ कुछ करना ये अपना काम नहीं होना चाहिए और मेरा सरकार नियम वो अलग बात है।

सुमन दे: प्रधानमंत्री जी रामकृष्ण मिशन से आपका वर्षों पुराना रिश्ता है आपने कई बार मुझे भी कहा है कि पूर्व प्रेसिडेंट स्वामी आत्मस्थानंद जी आप उनके सेवक रह चुके हैं वो मैग्नेट की तरह आपको बंगाल की ओर खींचते थे तो लेकिन अनफॉर्चूनेटली इस चुनावी राजनीति में रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ और इस्कॉन को घसीटा जा रहा है एक तो ये कितना दुखदायक है आपके लिए, दूसरा आपके बंगाल के विरोधी ये भी बोल रहे हैं कि आपके पुरुलिया वाले सभा में रैली में वहां भारत सेवाश्रम संघ के महाराज थे तो वो भी क्यों मतलब ये भी संघ का राजनीतिकरण हो रहा है?

पीएम मोदी: पहली बात ये है कि जहां तक मेरा जीवन का सवाल है, मेरे जीवन में बंगाल की बहुत बड़ी भूमिका है क्योंकि मैं घर छोड़ा तब मेरे दिमाग में और कुछ नहीं था विवेकानंद जी थे, बंगाल था, रामकृष्ण मिशन था और मेरा पहली जो मेरी भेंट हुई स्वामी आत्मस्थानंद जी से हुई तब उनकी आयु भी बहुत छोटी थी मैं तो बच्चा था तो मुझे उन्होंने निराश नहीं किया कई दिनों तक मैं वहां रहा रामकृष्ण मिशन में उन्होंने जीवन भर मेरी मदद की, उन्होंने मुझे बहुत गाइड किया और क्योंकि मैं जब निकला तब कहां जा रहा हूं मुझे मालूम नहीं था और कौन मिलेगा, कैसे बात होगी, ये एक प्रकार से जो एक मेरी नई दुनिया की शुरुआत की एंट्री प्वाइंट यही था उन्होंने मेरी काफी मदद की और जीवन भर वो करते रहे और मजा ही है कि मैं सीएम बना या मैं पीएम बना उनको कोई लेना- देना नहीं था उनके लिए तो मेरा नरेंद्र है वो मुझे हमेशा तू करके बुलाते थे, मेरी मां कभी मुझे तू नहीं कहती थी, आत्मस्थानंद मुझे तू कह करके बुलाते थे आखिर तक भी और जब मैं अस्पताल में मिलने गया तो भी वही भाव था उनका, तो मेरा एक अलग नाता रहा है इन दिनों इनके साथ जो हो रहा है कोई मुझे बताए कि अगर स्वामी अग्निवेश आपकी चुनाव सभा में संबोधित करें तो आपको कोई प्रॉब्लम नहीं लेकिन आप मुझे बताइए क्या ममता जी कलकत्ता की गलियों में ये सभी साधु-महात्मा को लेकर के जुलूस नहीं निकाला था क्या, हर साल दो- तीन बार कोई लड़ाई होती है तो ऐसे ही लोगों को आगे करके निकलती है अगर किसी के विचार वो नागरिक है और ये लोकतंत्र तो एक प्रकार से बहुत बड़ी ओपन यूनिवर्सिटी होती है मैं तो चाहता हूं किसी ने घर में नहीं बैठना चाहिए, हर एक ने बाहर निकलना चाहिए, हर एक ने अपने ओपिनियन खुल करके बताने चाहिए, हर एक ने एजुकेट करना चाहिए एक- दूसरे को, ये मंथन का समय होना चाहिए इलेक्शन ये हमारे विचारों के मंथन का महा पर्व होना चाहिए

सुमन दे: भलाई के लिए..

पीएम मोदी: ऐसा है जिसका जो ठीक लगता है बोलो ना भाई ऐसा है खुलापन कभी ना कभी बेनिफिट करता है हम दबा के रखेंगे तो अंदर से कभी विस्फोट हो जाएगा आओ निकलो भाई जो भी गुस्सा है निकालो कोई मुझे मौत का सौदागर कह जाता है तो जरा चलो कम से कम उसका गुस्सा तो निकला यार, उसको अच्छी रात को नींद आएगी

सुमन दे: मुझे याद है आपका ऑफिशियल रेसिडेंस गुजरात में सीएम के नाते जब था तो हर कमरे में देखा कि स्वामी विवेकानंद का एक मूर्ति है

पीएम मोदी: कोई मूर्ति होगी या कोई फोटो होगा

सुमन दे: प्रधानमंत्री के तौर पर आपके विचारधारा में भी स्वामी विवेकानंद का छाप छोड़ा होगा।

पीएम मोदी: मैं जब विवेकानंद जी का शिकागो में लेक्चर को 100 साल हुए तो मैं उसी सभागृह में एक छोटा- सा कार्यक्रम के लिए गया था वहां मुझे लेक्चर के लिए बुलाया था तो मेरा वो नाता रहा है और जब मैं राष्ट्रपति ओबामा को मिला तो उन्होंने मुझे जो किताब दी वो 1893 की उस कॉन्फ्रेंस का जो कंपाइलेशन था नहीं कंपाइलेशन पूरा वो ढूंढ के रखा था और विवेकानंद जी वाले वर्जन का उन्होंने फ्लैग रख करके मुझे किताब दी थी यानी मुझे बड़ा अच्छा लगा उसी प्रकार से मैं जब जर्मनी गया तो जर्मनी चांसलर उन्होंने परमहंस जी की रामकृष्ण देव जी की अच्छी बहुत पुरानी चीज निकाल करके रखी थी वो मुझे ओरिजिनल किताब दी उन्होंने, इसका मतलब अगर आप उस मन- विचार से हैं तो दुनिया में भी इसका प्रभाव होता है।

रोमाना ईसार खान: प्रधानमंत्री जी बिहार की अभी बात कर रहे थे फिर हम विदेश चले गए लेकिन मैं जरा बड़े खुशनुमा से माहौल में लेकर चलती हूं आपको जम्मू- कश्मीर चुनावी हार- जीत से अलग वहां से जो कश्मीर के लोगों के उत्साह वाले आंकड़े मतदान प्रतिशत के तौर पर सामने आ रहे हैं इससे आपको क्या ऐसा लगता है कि अनुच्छेद 370 खत्म करने का जो आपका फैसला था ऐतिहासिक फैसला वो कश्मीरियत की कसौटी पर इस बार खरा उतर रहा है?

पीएम मोदी: आपको मैं बताता हूं जी कश्मीर का मेरा नाता बहुत पुराना है, मैं संगठन का काम करता था मैं हर इलाके में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ट्रेवल करता था बहुत परिवारों में मेरा नाता रहा है अब ये तो ये 80-90 के कालखंड की मैं बात कर रहा हूं फिर मैं एकता यात्रा लेकर चला था कन्याकुमारी से कश्मीर एक बड़ा हाईलेट था, मैं पुट्टपर्थी जाता था साई बाबा के पास तो वहा पांच- छह कश्मीरी मुसलमानों की छोटी- छोटी जगह थी तो मेरा अड्डा था वो मैं वहां बैठता था तो मैं उनसे समझता था वहां के हालात, वो तो माल बेचने आते थे सीजन के बाद चले जाते थे तो मैंने ऐसा अपना नाता जोड़ा इन सबसे मेरा अनुभव बना था फिर जब मैं यहां प्रधानमंत्री बना तो बड़ा टर्निंग प्वाइंट आया, टर्निंग प्वाइंट ये आया कि वहां बाढ़ आई तो जिस दिन आई बाढ़ में उसी दिन वहां चला गया अब इस देश में ऐसे प्रधानमंत्री की किसी कल्पना नहीं कि ऐसे आएगा तो बाढ़ आई थी श्रीनगर में मुख्यमंत्री कहीं और थी अफसर कोई अवेलेबल नहीं था तो मैं तो चल पड़ा तो उस इलाके में गया जहां आतंकवादियों के भारी चलती थी और मैं पानी में भीग करके चल रहा था फिर मैं वापस आया तो एयरपोर्ट तब तक ये लोग 6-8 घंटे के बाद आए सब एयरपोर्ट में मीटिंग की, मीटिंग की तो इनको कुछ पता ही नहीं था वो लोग अपने मुसीबत और बड़ी भारी बाढ़ थी अपनी मुसीबत में जी रहे थे मैंने वहां एक थाउजेंड करोड़ रुपए देने का घोषणा किया फिर मैं वापस आया फिर मैंने तय किया कि मैं दिवाली वहां बिताऊंगा अब दिवाली वहां बिताऊं मतलब ये था कि मैं मेरी दिवाली छोड़ कर के उनके दुख में शरीक होने गया मीडिया ने क्या चलाया कि ईद के दिन जाते तो मतलब था दिवाली में जाते हो तो क्या मतलब है, विवाद उस दिशा में ले गए तो मैं फिर वहां करीब 40 के डेलिगेशन को मिला सब के सब मुझे कहते थे साहब हम अकेले आपको मिलना चाहेंगे कोई होना नहीं चाहिए, मैंने कहा ठीक है फिर सब कहते थे साहब आपको जो मदद करनी है करिए, नहीं करनी हो तो मत करिए लेकिन ये स्टेट गवर्नमेंट के माध्यम से मत करना। हमें डायरेक्ट कुछ कर सकते तो करना वरना मत करना बोले हमें कुछ नहीं चाहिए तब मैं समझ गया कि यहां तो इस सरकार के साथ किसी का लेना- देना ही नहीं है इनके बाद मैंने एक के बाद एक कदम उठाया आप हैरान हो जाएंगे जी जम्मू कश्मीर बैंक इसका जो टर्न अराउंड हुआ है ना वो अपने आप में एक बहुत बड़ा केस स्टडी है, जम्मू- कश्मीर बैंक को लुटेरों ने लूट लिया था माफ करना मुझे आज जम्मू- कश्मीर का शेयर कैपिटल इतना बढ़ गया, इतना कॉन्फिडेंस बढ़ गया, जम्मू- कश्मीर बैंक बहुत बढ़िया बन गया प्रॉफिट मेकिंग बैंक बन गया हमें किसी का बुरा करना होता तो क्यों करते ऐसी कई चीजें अब वहां बात तो पहुंचती है कोविड के समय मैं स्पेशल केयर करता था क्योंकि ये ठंडा प्रदेश है उनका ही करता नहीं हिमाचल का भी करता था, उत्तराखंड का करता था। दूसरा मेरा आग्रह था कि जो टूरिस्ट डेस्टिनेशन है वो कोरोना से जल्दी बाहर आ जाए गोवा, कश्मीर, हिमाचल क्योंकि रोजी- रोटी शुरू हो जाए तो मैंने पहले वैक्सीनेशन वहां किया था आपने देखो गोवा, हिमाचल एंड जम्मू- कश्मीर यानी ये कोई बारीकी से देखता नहीं कि कोई आदमी दिमाग इतना खपा- खपाकर एक- एक चीज कर रहा है इन सारी बातों का परिणाम है कि आज चुनाव में परिणाम आया और मुझे खुशी है कि कश्मीर के लोगों ने कश्मीर के लिए मतदान किया है और देश के लिए मतदान किया है ठीक है हम तो वहां कैंडिडेट भी नहीं थे लेकिन 60 परसेंट वोटिंग होना मतलब मेरे संविधान को उन्होंने माथे पर लेकर के वो नाच रहे हैं मैं इसका अर्थ ये निकालता हूं। मेरे देश के तिरंगे झंडे का सम्मान कर रहे हैं। आज लाल चौक में जाइए एक जमाना था मुझे लाल चौक में तिरंगा झंडा चलाने के लिए भगाया और उस दिन मेरा बयान था हिंदुस्तान का तिरंगा चढ़ता है जब फहरता है तो हिंदुस्तान की तोपे गरजती हैं आज मैंने कहा जब मैं लाल किले में तिरंगा झंडा फहरा रहा हूं पाकिस्तान की तोपे गरज रही हैं क्योंकि पाकिस्तान से आतंकवादी गोलियां चला रहे थे जब हम कर रहे थे और उस समय हमारे हवाई जहाज को भी डैमेज हुआ था तो बीबीसी ने रिपोर्ट किया था उसको मार्क टुली थे उस दिन श्रीनगर में थे कहने का मतलब ये है कि एक लंबी यात्रा मेरी रही है, व्यक्तिगत भी और बहुत ही निश्चित रूप से मैं मानता हूं कि कश्मीर में बहुत पोटेंशियल है, स्पोर्ट्स में एक बच्ची शायद कभी आप लोग उसको आजकल कहां है मुझे मालूम नहीं है वो पत्थर मारती थी एक बार मैंने टीवी पर देखा बच्चे में इतनी ताकत है पत्थर इतना दूर जाता है इसका तो मैंने कहा ढूंढो उसको मैं उसको ले आया आज इतनी बढ़िया प्लेयर बन गई है देश की नेशनल प्लेयर बन गई है।

रोहित सिंह सावल: वो पत्थर मारने वाली बच्ची की आप बात कर रहे हो, घर वाले सब तैयार हो गए..

पीएम मोदी: हां.. सब, मैं कहता हूं ना बुरे लोग नहीं हैं जी कोई संभाले इनको

रोहित सिंह सावल: माहौल तो ऐसा बनाया जाता है कि तो इंटरेक्ट ही नहीं करना चाहते दिल्ली से..

पीएम मोदी: ऐसा है जी किसी को पता ही नहीं है वहां क्या है जी वो एक, एक बम फूटा वही न्यूज बन जाती है बाकी 50 काम की पता, चर्चा नहीं होती। अभी यानी इसका मतलब ये नहीं कि वहां गलत लोग नहीं हैं, बुराइयां नहीं हैं ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं लेकिन सब गई बीती बातें नहीं हैं जी।

रोहित सिंह सावल: एक और सवाल आप नवाचार की आप हमेशा बात करते हैं, अभी भी इस रोचक बातचीत में भी बड़े आपके नए- नए इनिशिएटिव हमने सुने ये बताइए मोदी जी वो वक्त कब आएगा जब इस देश के आम आदमी को मुफ्त राशन की ही जरूरत नहीं रहेगी?

पीएम मोदी: वही हमारा ड्रीम होना चाहिए लेकिन उसके तरीके डेडलाइन तय करके नहीं होते हैं उसके लिए एक प्रोसेस होती है मैं गुजरात का अनुभव बताता मैं गुजरात में गरीब कल्याण मेला करता था वो क्या होता है कि सरकार की जितनी बेनिफिट की स्कीम होती है वो और सरकार का काम रहता था कि पूरे डिस्ट्रिक्ट में से लाभार्थियों को ढूंढो, कौन इसका हकदार है? कौन हैंडीकैप है जिसको ट्राई साइकिल मिलना चाहिए कागज पर काम नहीं चलेगा ये मुझे लास्ट मैन डिलीवरी मेरी विशेषता है तो उनको घर- घर जाना पड़ता था, तीन महीने तक सर्वे करना पड़ता था फिर हर एक को लेकर के आओ और साथ में एक और व्यक्ति तो लाने की छूट और 20- 25 मंच बनाता था हर बेनिफिट के लिए इस बेनिफिट का ये मंच, इस बेनिफिट का ये मंच, उनका कलर कोड रहता था पास का तो उस प्रकार फिर वो बड़ा सफल हुआ, एक- एक लाख लोग होते थे एक-एक डिस्ट्रिक्ट में एक-एक लाख लोग होते थे लेकिन वहां एक विशेषता होती थी मेरी उसके पहले मैं डिस्ट्रिक्ट के स्कूलों में कंपटीशन करता था कि आपको एक नुक्कड़ नाटक लिखना है और उसका विषय रहता है- ‘अब मुझे गरीब नहीं रहना है’ ये थीम, डिस्ट्रिक्ट अपने तरीके से नाटक बनाए उसकी कंपटीशन होती थी और उसमें से जो बेस्ट ड्रामा होता था 12- 13 मिनट का होता था जब गरीब कल्याण मेला होता था मैं मंच पर बैठता था मेरे सामने उसको मौका मिलता था परफॉर्म करने का और उसमें होता कार्यक्रम गरीब कल्याण मेले का, होता कार्यक्रम गरीबों को मदद करने का लेकिन मैसेज होता था अब मैं गरीब नहीं रहना चाहता फिर मैं पांच- छह लोग भाषण के लिए मैं अलाउ करता था जो अपना बीपीएल कार्ड लेकर के आते थे और वो वहां अपना भाषण करते थे और फिर बीपीएल कार्ड सरेंडर करते थे कि अब मुझे गरीब नहीं रहना है जैसे एक बार मेरा वलसाड में कार्यक्रम था 18- 19 लोग आए और वहां का मुखिया था उसने भाषण किया कि अब मुझे गरीब नहीं रहना है तो उनको कारण बताना पड़ता था कि भाई गरीब नहीं मतलब क्या तो उसने कहा कि हम लोग गांव में आदिवासी लड़के थे तो बोले वो भजन कीर्तन भगत की तरह वो बजाते थे तो बोले सरकार के अफसर आए उसने कहा कि तुम इतना अच्छा बजाते हो तो तुम्हारी ट्रेनिंग करें तो बोले हम लोगों को और चीजें उन्होंने सिखाई ले गए हमको फिर हमको बैंक से इतना पैसा मिला, बैंक से पैसा मिला तो हमने अब वो शादी-ब्याह में बाजे वाले की कंपनी बना दी है तो हम 18 लोग हैं और बजाते हैं और हमको हर जगह पर लोग बुलाते हैं तो बोले अब हमारे अपना टेंपो भी है हम टेंपो में जाते हैं और हम प्रति व्यक्ति इतनी इनकम हो गई अब हमें बीपीएल नहीं रहना है ये हमारा कार्ड है तो ऐसे 8-10 लोग मंच पर आकर बीपीएल कार्ड सरेंडर कर गए, यानी गरीबी से बाहर निकलने का उत्सव हम क्या करते हैं गरीब बनाने का कार्यक्रम बनाते हैं जरूरत करो हैंड होल्डिंग करो लेकिन मिजाज पैदा करो मुझे इससे बाहर आना है, मैं जो घर दे रहा हूं तब घर नहीं दे रहा हूं नए अरमान दे रहा हूं, ये चार दीवारी नहीं दे रहा हूं, नए सपनों का बीज बो रहा हूं उसी दिन उसको लगता है अरे घर मिल गया यार चेयर लानी पड़ेगी ऐसा करो आज इतना पैसा बचाएंगे या पर्दा करना पड़ेगा मैंने एक बार क्या किया सूरत में गरीबों के लिए मल्टी स्टोरी घर बनाए फिर मैंने एक एनजीओ को बुलाया मैंने कहा घर देने से चलेगा नहीं भाई इनको ट्रेंड करो कि जो टॉयलेट है कैसे उपयोग करना है, सफाई कैसे करना है, घर के बाहर पैर पोछने के लिए क्या रखना है, हाथ धोने मैंने ट्रेनिंग की तीन दिन और उनको सिर्फ मकान नहीं जिंदगी बदलनी है तो मैं ऐसी छोटी- छोटी चीजें करते- करते निकला हुआ इंसान हूं और इससे मुझे लगता है आज 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए, ऐसे नहीं आए हैं जी लेकिन मैं उनको ठप्पा नहीं मारना चाहता वो कहेंगे साहब अब निकल गए जैसे मैंने लाल किले से कहा कि जिसको जरूरत नहीं है वो गैस की सब्सिडी क्यों लेते हो इस देश में सवा करोड़ लोग मुझे गैस सब्सिडी सरेंडर कर दी हम देश के लोगों पर भरोसा करें जी उनको मोटिवेट करें उनके सामर्थ्य को हम जगाएं हमें परिणाम मिलता है और मैं मानता हूं जो आप चिंता कर रहे हैं कि कब बंद होगा बंद करना ही नहीं पड़ेगा ऊपर से वो दान देना शुरू करेगा मुझे इतने साल मैंने खाया है मैं अब देश के लिए कुछ करना चाहता हूं।

सुमन दे: प्रधानमंत्री जी जिंदगी बदलने की बात है तो औद्योगिक विकास की बात होना चाहिए और खास करके बंगाल में अगर औद्योगिक विकास की बात करें तो सिंगूर का मामला सामने आ जाएगा ममता बनर्जी के आंदोलन से टाटा ने जब सिंगूर छोड़ी तो सीधा आपने साणंद में उनका स्वागत कर लिया, आपके मुख्यमंत्री रहने के समय में वाइब्रेंट गुजरात नाम का एक यूनिक सम्मेलन आपने शुरू किया है जिसका मॉडल पूरे देश में विभिन्न राज्य में फॉलो किया जाता है अगर कभी बंगाल में आपकी पार्टी सत्ता में आई तो एक औद्योगिक विकास के लिए आपका ब्लूप्रिंट क्या है और दूसरा इससे जुड़ा हुआ कि युवाओं की नौकरी के लिए आपका क्या प्लान है?

पीएम मोदी: एक तो बंगाल इस देश का नेतृत्व करता था आर्थिक रूप से, सामाजिक रूप से, सामाजिक सुधार कोई भी क्षेत्र लीजिए हिंदुस्तान का 200 साल का इतिहास निकालिए हर जगह पर बंगाल नजर आएगा इसका मतलब भरपूर पोटेंशियल से भरा पड़ा हुआ है, सामर्थ्य की कोई कमी नहीं है, संसाधनों की कोई कमी नहीं है, सही नेतृत्व का अभाव है अगर सही नेतृत्व, सही नेतृत्व मतलब आई एम नॉट टॉकिंग अबाउट ओनली पॉलिटिकल लीडरशिप जीवन के हर क्षेत्र में अब मुझे बताइए जी फुटबॉल की दुनिया में हर बंगाली के डीएनए में है फुटबॉल लेकिन मेरा देश मेडल लेकर नहीं आता है अगर मैंने ठीक से उसके पीछे ध्यान दिया होता तो मेरा बंगाल का फुटबॉल पूरी दुनिया में वो नंबर वन पर होता मतलब है इसलिए ट्रेनिंग देनी चाहिए यानी केयर करनी होती है, लीडरशिप देनी पड़ती है, किसी को करना होता है। एग्रीकल्चर में क्या नहीं है कोई मुझे बताए बांग्लादेश के जूट से मेरा जूट वीक क्यों है? बांग्लादेश जूट में क्यों आगे है? रेडीमेड गारमेंट बंगाल में क्या कमी है जी रेडीमेड बांग्लादेश से मेरा देश आगे जा सकता है कि नहीं जा सकता है, नेचुरल रिसोर्सेस क्या नहीं है जी, बंगाल में इतनी संबल लेकिन मोदी वाइब्रेंट गुजरात करता था ऐसा मैं इवेंट कर लू इससे बात बनती नहीं थी मुझे याद है जी मुझे 6-6 महीने मेहनत करनी पड़ती थी जी, मैं प्रोफाइल तैयार करता था कि यहां जमीन मिलेगी, यहां पर बिजली ऐसे मिलेगी, पानी ऐसे मिलेगा, यहां आपको लाइसेंस ऐसे मिलेगा ये काम करने के लिए ये आदमी आपके जिम्मे लगेगा ये सारा करते थे तब जाकर इन्वेस्टमेंट आता है वरना गुजरात क्या है गुजरात एक ऐसा राज्य है जिसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है सिवाय के नमक, नमक के सिवाय उसके पास कुछ है ही नहीं लेकिन उस गुजरात में आज दुनिया का कोई भी डायमंड उठा लीजिए 10 में से आठ डायमंड किसी ने किसी का हाथ इंडियन का लगा हुआ है तो बदलाव आया। गुजरात की बात में तो एग्रीकल्चर में माइनस ग्रोथ क्योंकि 10 साल में 7 साल अकाल था आज गुजरात 10 परसेंट एग्रीकल्चर ग्रोथ वाला स्टेट बन गया है, आज वो मैन्युफैक्चरिंग स्टेट बन गया, हर प्रकार का मैन्युफैक्चरिंग हो रहा है तो आपको मेहनत करनी पड़ती है अगर मेहनत करे तो बदलाव आता है और पोटेंशियल इतना है और मुझे लगता है ये जो दुनिया जो बदल रही है फ्यूचर एशिया का है तो साउथ-ईस्ट एशिया इलाका जो है उसके सबसे बड़े कैपिटल कौन से हैं, साउथ-ईस्ट एशिया कोलकाता एंड गुवाहाटी हमें उस रूप में सोचना चाहिए कि हम भारत के एक शहर है ऐसा नहीं है, हम साउथ- ईस्ट एशिया के अंदर एक सबसे बड़े लीडर बनेंगे आप गुवाहाटी और कोलकाता में वो ताकत है इन दिनों में जो गुवाहाटी में इंस्टिट्यूशन खड़ी कर रहा हूं वो सिर्फ गुवाहाटी के लिए ऐसा नहीं है जी वो मेरा मन में साउथ- ईस्ट एशिया के लिए बहुत बड़ा पोटेंशियल मैं देख रहा हूं, मैं साउथ- ईस्ट एशिया के लिए एक्ट ईस्ट पॉलिसी बनाई उस पर काम कर रहा हूं और दूसरा अभी जो हमने कॉरिडोर का बनाया है यूरोप, मिडिल ईस्ट, सऊदी अरब रोल लिया है यूएई ने रोल लिया उसका सबसे बड़ा बेनिफिट कोलकाता को होगा, अब जब अवसर आते हैं तो रोजगार के बिना तो हो ही नहीं सकता कोई काम ये स्थिति है।

रोमाना ईसार खान: प्रधानमंत्री जी विकास का खाका आपने रखा लेकिन जब बात विकास की तो आप कहते हैं विकास भी और विरासत भी एक सवाल मेरे मन में है 500 वर्ष का इंतजार खत्म हुआ रामलला अपने स्थान पर विराज हैं और दिव्य- भव्य राम मंदिर जो है वो बहुसंख्यकों की सहिष्णुता के प्रतीक के तौर पर हमारे सामने है ये नियति है कि उसकी भूमि पूजन से लेकर प्राण प्रतिष्ठा तक सब कुछ आपके हाथों से संपन्न हुआ लेकिन मेरा सवाल ये है कि इस मौके पर जो विपक्ष ने एक दूरी बनाई क्या आपको लगता है कि ये देश भारतीय समाज, भारतीय संस्कृति, भारतीय संस्कार को लेकर इस देश के विपक्ष की जो समझ सामने निकल कर आई है इस चुनाव में उसका आकलन करेगा?

पीएम मोदी: एक है कि इन्होंने राजनीति के शॉर्टकट ढूंढे हैं और इसलिए वो वोट बैंक की राजनीति में फंस गए हैं और वोट बैंक की राजनीति में फंसने के कारण वे लोग घोर सांप्रदायिक हो गए, घोर जातिवादी हो गए, घोर परिवारवादी हो गए और दूसरा गुलामी की मानसिकता से बाहर नहीं आए, वरना क्या कारण है कि 19वीं शताब्दी के कानून आज मुझे 21वीं शताब्दी में चेंज करने की नौबत आई, वो पहले होना चाहिए था तो ये दुर्दशा रही। अब सवाल हमारे तीर्थ क्षेत्रों का सिर्फ नहीं है मुझे बताइए दुनिया में महात्मा गांधी एक बहुत बड़े महान महात्मा थे क्या इस 75 साल में हमारी जिम्मेवारी नहीं थी क्या कि पूरी दुनिया महात्मा गांधी को जाने, कोई नहीं जानता माफ करना मुझे पहली बार जब गांधी फिल्म बनी तब दुनिया में क्यूरियोसिटी हुई अच्छा ये क्या, कौन है? हमने नहीं किया जी, इस देश का काम था अगर मार्टिन लूथर किंग को दुनिया जानती है अगर हमारे साउथ अफ्रीका के नेल्‍सन मंडेला जी को दुनिया जानती है, गांधी जी से कम नहीं थे जी और ये मानना पड़ेगा जी मैं दुनिया घूमने के बाद कह रहा हूं कि गांधी को और गांधी के माध्यम से भारत को जो तवज्जो मिलनी चाहिए थी आज दुनिया की कई समस्याओं का समाधान में गांधी है लेकिन हम गांधी को लेते ही नहीं तो हमने अपना बहुत कुछ खोया है। आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी मैंने बनाया दांडी कभी कोई जाए दांडी जो मैंने बनाया है दांडी जाकर के देखिए जी मैंने बाबा साहेब अंबेडकर के पंचतीर्थ बनाए अब जाकर देखिए हमारे इतिहास को जीना चाहिए हमें, इतिहास से हमने जुड़े रहना चाहिए, उसमें सांस्कृतिक विरासत भी है। दूसरा इस देश को गर्व के साथ दुनिया में ब्रांड करना चाहिए था जब 500 साल की लड़ाई थी लेकिन जब अदालत ने जजमेंट दिया ये देश के अंदर पूर्ण रूप से शांति रही अब ये शांति कोई एक तरफा नहीं है, शांति के लिए क्रेडिट सबको जाता है हमने इसका ब्रांडिंग करना चाहिए था, मार्केटिंग करना चाहिए था, राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण सम्मान के साथ पूर्ण गौरव के साथ और खुद बाबरी मस्जिद का वकालत, लड़ाई लड़ने वाले इकबाल अंसारी वहां बैठे हुए ये देश है हमारा, हम उन चीजों को क्यों अब कुछ लोगों को क्या हुआ कि भाई हमारी वोट बैंक को क्या होगा आपने देखा होगा और मैं तो चाहता हूं पहले ये चुनाव में मंदिरों में जाया करते इन दिनों नहीं जाते इतना ही नहीं इस चुनाव के दरमियान किसी पॉलिटिकल लीडर को अपने इफ्तार पार्टी में नहीं देखा होगा क्या कारण है आप लोगों ने इफ्तार पार्टियां इतनी की क्योंकि मोदी ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि तुम्हारा ये नाटक नहीं चलेगा जो सही है वो करो दबाव बढ़ा है इन पर उनको सारी गलत चीजों और लोगों को मुर्ख बनाने वाले जो कार्यक्रम थे वो छोड़ने पड़ रहे हैं यानी इफ्तार पार्टी वो सबसे बड़े पॉलिटिकल इवेंट बन गए थे इन दिनों बिल्कुल बंद हो गए वरना चुनाव में तो सबसे ज्यादा होनी चाहिए था, हर एक को डर लगने लगा अब ये खेल लंबा चलने वाला नहीं है। ट्रू सेकुलरिज्म होना चाहिए जी, अपीजमेंट सेकुलरिज्म नहीं होता है।

रोहित सिंह सावल: प्रधानमंत्री जी एबीपी न्यूज ने पूरे देश को दिखाया कि किस तरह से यूपीए सरकार के वक्त जो ब्रह्मोस मिसाइल थी उसके निर्यात की फाइल को रोका गया आपने भी ‘एक्स’ के जरिए उस पर प्रतिक्रिया जाहिर की थी लेकिन क्या अब वो पूरी परिस्थितियां बदल गई आपकी सरकार में किस तरह का रक्षा क्षेत्र आपको मिला था और क्या विसंगतियां दूर हो गई हैं क्योंकि देश ये जानना चाहता है?

पीएम मोदी: पहले तो मैं एबीपी को बधाई देता हूं कि आपने इस विषय को एक्सपोज किया, ये बहुत ही गंभीर विषय है बड़े अच्छे ढंग से आपकी जिसने भी रिसर्च किया है ये बहुत चिंता का विषय है कि हमारे देश के अंदर विदेशों से इंपोर्ट करने की जो एक बहुत बड़ा अंडरग्राउंड बिजनेस वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप का बना था इसलिए हमारी सेना कभी आत्मनिर्भर हो ही नहीं पाई मैंने आकर के हर साल 100 की लिस्ट बनवाता था कि ये 100 चीजें अब इपोर्ट नहीं होंगी अगले साल दूसरी 100 अब तक शायद 300 पर पहुंच चुका हूं मैं या उससे भी ज्यादा पहुंचा हूं बड़ा नंबर है वो बिल्कुल वो इंडिया से ही लेनी पड़ेगी इसी कारण इंडिया में मैन्युफैक्चर को विश्वास है ये हमारा बिकने वाला है वो भी बनाने लगा जब बनाता है तो वो भी क्वालिटी में बनाने वाले की कंपटीशन बड़ी पहले पांच बनाते थे अब आठ बना रहे हैं यानी आज हम एक लाख करोड़ का मैन्युफैक्चरिंग कर रहे हैं, हमने 21000 करोड़ का एक्सपोर्ट किया है इसका मतलब हुआ कि भारत में सामर्थ्य है ब्रह्मोस के साथ जो हुआ अगर ये ना होता तो आज से 10 साल पहले दुनिया में मेरा लाखों- करोड़ों का ब्रह्मोस बिक जाता और हम नए वर्जन बनाने की क्षमता में आ जाते, खैर मेरा कालखंड एक अलग है तो अब अच्छा हो रहा है पूरे दुनिया में मांग बढ़ रही है और हम सप्लाई करने के लिए अपनी स्थिति भी बना रहे हैं।

सुमन दे: मोदी जी मेरा अंतिम सवाल है साइक्लोन को लेकर मुझे आज भी याद है कि अप्रैल के महीने में जब गुजरात गए थे आप मुख्यमंत्री थे उस दिन एक साइक्लोनिक सिचुएशन था आप खुद कंट्रोल रूम में खड़ा हुए आपको चेयर दिया जा रहा था आप नहीं बैठ रहे थे खुद मॉनिटर कर रहे थे कल रात अभी से कुछ ही घंटा पहले बंगाल में एक साइक्लोन ने हिट किया है आपने कल ही एक रिव्यू मीटिंग भी की तो क्या केंद्र सरकार, बंगाल सरकार के साथ मिलकर राहत और रिव्यू का काम कर रहा है और जहां- जहां क्षति पहुंचा है वहां क्या भरपाई किया जा सकता है?

पीएम मोदी: एक तो मेरा मत है कि प्राकृतिक आपदा हिंदुस्तान में हो या दुनिया के किसी भी भाग में ये मानवीय संकट है हमारा ह्यूमैनिटेरियन अप्रोच होना चाहिए उसमें कोई तेरा- मेरा नहीं हो सकता, मैं इतनी चुनाव की आपाधापी में था चार रैली करके निकला था लेकिन मैं करके गया था सारा रेडी रखो मैं शाम के आते ही रिव्यू मीटिंग करूंगा और इंस्ट्रक्शन दूंगा, मेरे जो एमओएस हैं उसको भी मैंने कहा तुम संबंधित लोगों से इसकी बात करो सारी टीमें भेज दी एडवांस में जैसा हमको पता चला कि 26-27 के बीच में आ रहा है तो हम बांग्लादेश की भी मदद कर रहे हैं, हम बांग्लादेश को भी पूरी डिटेल में इस सारे ऑपरेशन में हम लोग साथ में काम कर रहे हैं और बंगाल सरकार के अफसरों के साथ भी हम बिल्कुल ही मिलकर के काम कर रहे हैं और हम चाहते हैं कम से कम नुकसान हो साइक्लोन तो रोक नहीं सकते कम से कम नुकसान हो उसके लिए जो भी पूर्व तैयारी के लिए कल रात मैंने जो रिव्यू किया 30- 32 हजार लोगों को हमने सेफ कर दिया था हमारी कोशिश थी कल शाम तक एक लाख लोग शिफ्ट होने चाहिए थे और मैं मानता हूं कि इसमें सवाल ही नहीं उठता है मानव मात्र के भलाई के लिए जिसके पास जो ताकत है पूरी लगानी चाहिए।

रोमाना ईसार खान: मैं इतना जरूर कहना चाहूंगी कि आपने जिस आत्मीयता के साथ अपनी बातें रखी हैं शायद यही वो गुण हैं जिससे आप इस देश के लोगों को अपना बना लेते हैं और इस देश ने भी उसी गुण के आधार पर आपको आत्मसात कर लिया है।

पीएम मोदी: मैं बताता हूं ऐसा है कि सच हम सब देश के लिए चर्चा कर रहे हैं, देश की चिंता कर रहे हैं। मैं अपने अनुभव शेयर कर रहा हूं आप अपनी जिज्ञासा कर रहे हैं और वो ही तौर- तरीका होता है लेकिन दुर्भाग्य क्या हुआ है जी इंटरव्यू में जाने से पहले आज पत्रकार बहुत डरा हुआ है उसको अपनी पूरी करियर का सवाल खड़ा हो क्योंकि एक गैंग है जो पहले से ही आपको जी कटघरे में डाल देती है कि आप तो मैच फिक्सिंग करेंगे आप तो फलाना करेंगे आप तो ठिकना करेंगे और इसलिए आपको भी लगता है यार मैं अगर ये नहीं करूंगा तो मेरी तो छवी खराब हो जाएगी इसलिए आप गालियां लेकर के निकल पड़ते हो आपको भी लड़ाई लड़नी पड़ेगी, आपको लगता है कि भी कोई हमें ड्राइव करें उस दिशा में हम तो नहीं जाएंगे जो सही वो हम करेंगे सही का मतलब ये नहीं कि सरकार के साथ चलना होता है और गलत का मतलब ये भी नहीं सरकार के साथ लड़ते ही रहना चाहिए, हमने सरकार की कमियां हैं तो 10 सवाल पूछने चाहिए उसमें क्या जाता है जी।

रोमाना ईसार खान: बहुत बहुत धन्यवाद प्रधानमंत्री जी बार फिर से इतना समय देने के लिए।

पीएम मोदी: आपके दर्शकों को भी मेरा बहुत और बंगाल में खास करके आपका काफी बड़ा नेटवर्क है तो मैं इस आपदा के समय सबको कहूंगा खास करके बिजली से बचना पड़ता है पहले क्योंकि सबसे बड़ा नुकसान होता है, पेड़- पौधे उससे नुकसान होता है, बारिश आती है सब लोग अपने आप को भी संभाले, व्यवस्था में तो हम लोगों के साथ खड़े हुए हैं, बहुत-बहुत धन्यवाद जी।

सुमन दे: 100 साल के लिए एबीपी की लड़ाई सत्य के लिए जारी है

पीएम मोदी: थैंक्यू भैया, थैंक्यू.. विश यू ऑल द बेस्ट।

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