عزت مآب،  جناب کسابا کوروسی، اقوام متحدہ کی جنرل اسمبلی کے صدر ،

عزت مآب، محترمہ امینہ محمد، اقوام متحدہ کی نائب  سیکرٹری جنرل،

عزت مآب، ایرک ایڈمز، نیویارک کے میئر،

اور دنیا بھر سے میرے پیارے دوستو،

نمسکار!

دوستو،

اس اچھی صبح، ہم یہاں اقوام متحدہ میں جمع ہیں۔

پوری انسانیت کے اجتماع کے مقام پر! نیویارک کے اس شاندار شہر میں! میں جانتا ہوں، آپ میں سے بہت سے لوگ دور سے آئے ہیں۔ آپ میں سے اکثر سورج نکلنے سے پہلے جاگےہیں، اور یہاں آنے کی کوشش کی ہے۔

میں آپ سب کو دیکھ کر بہت خوش ہوں۔ اور، میں آنے کے لئے آپ سب کا شکریہ ادا کرتا ہوں!

دوستو،

مجھے بتایا گیا ہے کہ آج یہاں تقریباً ہر قومیت کی نمائندگی موجود  ہے۔ اور، ہم سب کو اکٹھا کرنے کا کیا ہی حیرت انگیز سبب ہے - یوگا!

یوگا کا مطلب ہے - متحد ہونا۔ لہذا، آپ کا اکٹھا ہونا یوگا کی ایک اور شکل کا اظہار ہے۔ مجھے یاد ہے، تقریباً نو سال پہلے، یہیں اقوام متحدہ میں، مجھے 21 جون کو یوگا کا عالمی دن منانے کی تجویز پیش کرنے  کا اعزاز حاصل ہوا تھا۔

اس وقت اس خیال کی حمایت کے لیے پوری دنیا کو اکٹھا دیکھنا بہت اچھا تھا۔ میں نے ابھی اقوام متحدہ کے بہادر امن کے  فوجیوں کو خراج تحسین پیش کیا ہے۔ 2015 میں، میں نے اقوام متحدہ میں ان کی یاد میں ایک نئی یادگار تعمیر کرنے کا مطالبہ کیا تھا۔

اور پچھلے ہفتے پوری دنیا نے بھارت کے ساتھ ہاتھ ملایا تاکہ اسے جلد ہی حقیقت بنایا جا سکے۔ سب سے بڑی فوج دینے والی قوم کے طور پر، ہم اس عظیم مقصد کے لیے حمایت کے اظہار کے لیے تمام اقوام کے شکر گزار ہیں۔

پچھلے سال، پوری دنیا 2023 کو میلیٹس (موٹے اناج) کے بین الاقوامی سال کے طور پر منانے کی ہندوستان کی تجویز کی حمایت کے لیے اکٹھی ہوئی۔ میلیٹس ایک سپرخوراک ہے۔ وہ مجموعی صحت کو فروغ دیتے ہیں اور ماحول کے لیے بھی اچھے ہیں۔ اور آج، پوری دنیا کو یوگا کے لیے ایک بار پھر اکٹھا ہوتے دیکھنا شاندارہے!

دوستو،

یوگا ہندوستان سے آتا ہے۔ اور یہ بہت پرانی روایت ہے۔ لیکن تمام قدیم ہندوستانی روایات کی طرح یہ بھی جاندار اور متحرک ہے۔ یوگا مفت ہے - کاپی رائٹ سے، پیٹنٹ سے ، اور رائلٹی کی ادائیگیوں سے پاک ہے۔ یوگا آپ کی عمر، جنس اور تندرستی کی سطح کے موافق ہے۔ یوگا پورٹیبل ہے - آپ اسے گھر پر، یا کام پر، یا ٹرانزٹ میں کر سکتے ہیں۔

یوگا لچکدار ہے - آپ اسے اکیلے، یا کسی گروپ میں کر سکتے ہیں، کسی استاد سے سیکھ سکتے ہیں، یا خود  کوسیکھا سکتے ہیں۔ یوگا متحد کرنے والا  ہے - یہ سب کے لیے، تمام نسلوں کے لیے، تمام عقائد کے لیے، اور تمام ثقافتوں کے لیے ہے۔ یوگا واقعی آفاقی ہے۔

دوستو،

جب ہم یوگا کرتے ہیں تو ہم جسمانی طور پر فٹ، ذہنی طور پر پرسکون اور جذباتی طور پر مطمئن محسوس کرتے ہیں۔ لیکن یہ صرف چٹائی پر ورزش کرنے کے بارے میں نہیں ہے۔ یوگا زندگی کا ایک طریقہ ہے۔ صحت اور تندرستی کے لیے ایک جامع نقطہ نظرہے۔ خیالات اور اعمال میں بیداری کا ایک طریقہ ہے۔  خود کے ساتھ، دوسروں کے ساتھ اور فطرت کے ساتھ ہم آہنگی میں رہنے کا ایک طریقہ ہے۔ مجھے خوشی ہے کہ آپ میں سے بہت سے لوگ یوگا کے مختلف پہلوؤں کو سائنسی طور پر درست کرنے پر کام کر رہے ہیں۔ بے شک، یہی  طریقہ ہے۔

دوستو،

میں جانتا ہوں کہ آپ سب شروع کرنے کے خواہشمند ہیں! ٹھیک ہے، میں بھی ہوں۔ میں آج یہاں ہماری میزبانی کرنے پر اقوام متحدہ کا شکریہ ادا کرنا چاہتا ہوں۔ میں اس تقریب کو کامیاب بنانے میں مدد اور حمایت کے لئے  نیو یارک شہر اور اس کے  میئر کا شکر گزار ہوں۔ اور سب سے بڑھ کر، میں آج یہاں آنے کے لیے ایک بار پھر آپ سب کا شکریہ ادا کرنا چاہتا ہوں۔ آئیے ہم یوگا کی طاقت کو نہ صرف صحت مند اور خوش رہنے کے لیے استعمال کریں، بلکہ اپنے آپ اور ایک دوسرے کے لیے مہربان ہونے کے لیے بھی استعمال کریں۔

آئیے یوگا کی طاقت کو دوستی، ایک پرامن دنیا، اور ایک صاف ستھرا، سرسبز اور پائیدار مستقبل کے پل بنانے کے لیے استعمال کریں۔ آئیے ہم "ایک زمین، ایک خاندان، ایک مستقبل"کے ہدف کو حاصل کرنے کے لئے ایک  ساتھ ہاتھ ملائیں۔ میں اس  خواہش کے ساتھ اختتام کرتا ہوں:

सर्वे भवन्तु सुखिनः

सर्वे सन्तु निरामयाः

سب خوش رہیں، سب صحت مند رہیں!

شکریہ!

بہت بہت شکریہ!

 

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Our constitution is not merely a Book of Law, its a continuously ever- flowing, living stream: PM
Our Constitution is the guide to our present and our future: PM
Today every citizen has only one goal ,to build a Viksit Bharat: PM
A new judicial code has been implemented to ensure speedy justice, The punishment based system has now changed into a justice based system: PM

भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस संजीव खन्ना जी, जस्टिस बीआर गवई जी, जस्टिस सूर्यकांत जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्रीमान अर्जुन राम मेघवाल जी, अटॉर्नी जनरल श्री वेंकटरमानी जी, बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र जी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री कपिल सिब्बल जी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति गण, पूर्व मुख्य न्यायधीश गण, उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

आपको, सभी देशवासियों को संविधान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। भारत के संविधान का ये 75वां साल, पूरे देश के लिए एक असीम गौरव का विषय है। मैं आज भारत के संविधान को, संविधान सभा के सभी सदस्यों को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

हम लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण पर्व का जो स्मरण कर रहे हैं, उस समय ये भी नहीं भूल सकते कि आज मुंबई में हुए आतंकी हमले की भी बरसी है। इस हमले में जिन व्यक्तियों का निधन हुआ, उन्हें मैं अपनी श्रद्धांजलि देता हूं। मैं देश को ये संकल्प भी दोहराता हूं कि भारत के सुरक्षा को चुनौती देने वाले हर आतंकी संगठन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

साथियों,

संविधान सभा की लंबी बहस के दौरान भारत के गणतांत्रिक भविष्य पर गंभीर चर्चाएं हुई थी। आप सभी उस डिबेट से भली-भांति परिचित हैं। और तब बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा था- Constitution is not a mere lawyers’ document…its spirit is always the spirit of Age. जिस स्पिरिट की बात बाबा साहेब कहते थे, वो बहुत ही अहम है। देश-काल-परिस्थिति के हिसाब से उचित निर्णय लेकर हम संविधान की समय-समय पर व्याख्या कर सकें, ये प्रावधान हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें दिया है। हमारे संविधान निर्माता ये जानते थे कि भारत की आकांक्षाएं, भारत के सपने समय के साथ नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे, वो जानते थे कि आज़ाद भारत की और भारत के नागरिकों की ज़रूरतें बदलेंगी, चुनौतियां बदलेंगी। इसलिए उन्होंने हमारे संविधान को महज़ कानून की एक किताब बनाकर नहीं छोड़ा...बल्कि इसको एक जीवंत, निरंतर प्रवाहमान धारा बनाया।

साथियों,

हमारा संविधान, हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य का मार्गदर्शक है। बीते 75 वर्षों में देश के सामने जो भी चुनौतियां आई हैं, हमारे संविधान ने हर उस चुनौती का समाधान करने के लिए उचित मार्ग दिखाया है। इसी कालखंड में आपातकाल जैसा समय भी आया...और हमारे संविधान ने लोकतंत्र के सामने आई इस चुनौती का भी सामना किया। हमारा संविधान देश की हर जरूरत, हर अपेक्षा पर खरा उतरा है। संविधान से मिली इस शक्ति की वजह से ही...आज जम्मू-कश्मीर में भी बाबा साहेब का संविधान पूरी तरह लागू हुआ है। आज वहां पहली बार संविधान दिवस मनाया गया है।

साथियों,

आज भारत, परिवर्तन के इतने बड़े दौर से गुजर रहा है, ऐसे अहम समय में भारत का संविधान ही हमें रास्ता दिखा रहा है, हमारे लिए गाइडिंग लाइट बना हुआ है।

साथियों,

भारत के भविष्य का मार्ग अब बड़े सपनों, बड़े संकल्पों की सिद्धि का है। आज हर देशवासी का एक ही ध्येय है- विकसित भारत का निर्माण। विकसित भारत का मतलब है, जहां देश के हर नागरिक को एक quality of life मिल सके, dignity of life मिल सके। ये सामाजिक न्याय, सोशल जस्टिस का भी बहुत बड़ा माध्यम है। और ये संविधान की भी भावना है। इसलिए, बीते वर्षों में, देश में लोगों के बीच आर्थिक और सामाजिक समानता लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। बीते 10 वर्षों में 53 करोड़ से ज्यादा ऐसे भारतीयों का बैंक खाता खुला है...जो बैंक के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाते थे। बीते 10 वर्षों में 4 करोड़ ऐसे भारतीयों को पक्का घर मिला है, जो कई-कई पीढ़ियों से बेघर थे, बीते 10 वर्षों में 10 करोड़ से ज्यादा ऐसी महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है, जो बरसों से अपने घर में गैस पहुंचने का इंतजार कर रही थीं। हमें आज के जीवन में बहुत आसान लगता है कि घर में नल खोला और पानी आ गया। लेकिन देश में आजादी के 75 साल बाद भी सिर्फ 3 करोड़ घर ही ऐसे थे, जिनमें नल से जल आता था। करोड़ों लोग तब भी अपने घर में नल से जल का इंतजार कर रहे थे। मुझे संतोष है कि हमारी सरकार ने 5-6 साल में 12 करोड़ से ज्यादा घरों को नल से जल देकर नागरिकों का और विशेषकर महिलाओं का जीवन आसान बनाया है, संविधान की भावना को सशक्त किया है।

साथियों,

आप सभी जानते हैं कि हमारे संविधान की मूल प्रति में प्रभु श्रीराम, माता सीता, हनुमान जी, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, गुरू गोविंद सिंह जी...सभी के चित्र हैं। भारत की संस्कृति के प्रतीक...इन चित्रों को संविधान में इसलिए स्थान दिया गया ताकि वो हमें मानवीय मूल्यों के प्रति सजग करते रहें। ये मानवीय मूल्य...आज के भारत की नीतियों और निर्णयों का आधार हैं। भारतीयों को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए नई न्याय संहिता लागू की गई है। दंड आधारित व्यवस्था अब न्याय आधारित व्यवस्था में बदल चुकी है। महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम का ऐतिहासिक निर्णय हुआ है। हमने third gender को उनकी पहचान और उनका हक दिलाने के लिए भी कदम उठाए हैं। हमने दिव्यांगजनों के जीवन को आसान बनाने के लिए भी व्यवस्थाएं बनाईं हैं।

साथियों,

आज देश का बहुत ज्यादा जोर, देश के नागरिकों की Ease of Living पर है। एक समय था जब पेंशन पाने वाले सीनियर सीटिजन्स को बैंक में जाकर साबित करना होता था कि वो जीवित हैं। आज सीनियर सिटीज़न्स को घर बैठे ही डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट्स की सुविधा मिल रही है। करीब-करीब डेढ़ करोड़ सीनियर सीटिजन्स अब तक इस सुविधा का लाभ उठा चुके हैं। आज भारत वो देश है जो हर गरीब परिवार को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देता है। आज भारत वो देश है, जो 70 वर्ष से ऊपर के हर बुजुर्ग को फ्री हेल्थकेयर की सुविधा देता है। देश के हजारों जनऔषधि केंद्रों पर आज 80 परसेंट डिस्काउंट पर सस्ती दवाइयां मिल रही हैं। एक समय में हमारे देश में इम्यूनाइजेशन की कवरेज भी 60 परसेंट से भी कम थी। करोड़ों बच्चे हर साल टीकाकरण से छूट जाते थे। आज मुझे संतोष है कि अब मिशन इंद्रधनुष की वजह से भारत में इम्यूनाइजेशन की कवरेज शत प्रतिशत पहुंच रही है। आज दूर-सुदूर के गांवों में भी समय पर बच्चों का टीकाकरण हो पा रहा है। इन प्रयासों ने गरीबों की, मध्यम वर्ग की बहुत बड़ी चिंता कम की है।

साथियों,

आज देश में कैसे काम हो रहा है...इसका एक उदाहरण Aspirational District अभियान भी है। देश के 100 से अधिक ऐसे जिले जिन्हें पिछड़ा कहा जाता था...हमने उन्हें Aspirational District माना और वहां हर पैरामीटर में विकास की गति तेज़ की गई है। आज देश के अनेक Aspirational Districts, दूसरे जिलों से बहुत बेहतर कर रहे हैं। अब इसी मॉडल के आधार पर हमने aspirational block program भी शुरु किया है।

साथियों,

लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से परेशानियां खत्म करने पर भी आज देश का बहुत ज्यादा जोर है। कुछ साल पहले तक भारत में ढाई करोड़ घर ऐसे थे, जो शाम होते ही अंधेरे में डूब जाते थे, उन घरों में बिजली कनेक्शन ही नहीं था। सबको बिजली का मुफ्त कनेक्शन देकर, देश ने उनके जीवन को रोशन कर दिया है। बीते वर्षों में दूर-सुदूर इलाकों में भी हजारों की संख्या में मोबाइल टावर्स लगाए गए हैं...ताकि लोगों को 4G/5G कनेक्टिविटी मिलती रहे। पहले कभी आप अंडमान या लक्ष्यद्वीप जाते थे तो वहां ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी नहीं मिलती थी। आज अंडरवॉटर ऑप्टिकल फाइबर ने ऐसे द्वीपों तक भी अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट पहुंचा दिया है। हमारे यहां गांव के घरों, गांव की ज़मीन से जुड़े कितने विवाद होते रहे हैं...ये भी हम भली-भांति जानते हैं। पूरी दुनिया में विकसित देशों के सामने भी लैंड रिकॉर्ड एक बहुत बड़ा चैलेंज रहा है। लेकिन आज का भारत, इसमें भी लीड ले रहा है। पीएम स्वामित्व योजना के तहत, आज गांव के घरों की ड्रोन मैपिंग की जा रही है और लीगल डॉक्यूमेंट इश्यू किए जा रहे हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का तेज निर्माण भी उतना ही जरूरी है। इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे होने से देश का धन भी बचता है...और प्रोजेक्ट भी, उसकी उपयोगिता भी बहुत बढ़ जाती है। इसी सोच के साथ प्रगति नाम से एक प्लेटफॉर्म बनाया गया है जिसमें इंफ्रा प्रोजेक्ट्स का रेगुलर रिव्यू होता है। और इनमें से कुछ प्रोजेक्ट्स तो ऐसे थे जो 30-30, 40-40 साल से पेंडिंग थे। मैं खुद इसकी मीटिंग्स को चेयर करता हूं। आपको जानकर अच्छा लगेगा कि अभी तक 18 लाख करोड़ रुपए के ऐसे प्रोजेक्ट्स को रिव्यू करके, उनके सामने की अड़चनों को दूर किया जा चुका है। समय पर पूरे हो रहे प्रोजेक्ट्स लोगों के जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। देश में हो रहे ये प्रयास...देश की प्रगति को भी गति दे रहे हैं और संविधान की मूल भावना को भी सशक्त कर रहे हैं।

साथियों,

मैं अपनी बात डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी के शब्दों के साथ समाप्त करना चाहूंगा...26 नवंबर...आज के ही दिन 1949 में संविधान सभा में अपने समापन भाषण में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी ने कहा था...“भारत को आज ईमानदार लोगों के एक समूह से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए जो अपने हितों से आगे देश का हित रखेंगे। नेशन फर्स्ट, राष्ट्र सर्वप्रथम की यही भावना भारत के संविधान को आने वाली कई-कई सदियों तक जीवंत बनाए रखेगी। मैं, संविधान ने मुझे जो काम दिया है, मैंने उसी मर्यादा में रहने का प्रयास किया है, मैंने कोई encroachment की कोशिश नहीं की है। क्योंकि संविधान ने मुझे वो काम कहा इसलिए मैंने अपनी मर्यादाओं को संभालते हुए अपनी बात को रखा है। यहां तो इशारा ही चल रहा होता है ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं होती है।

बहुत-बहुत धन्यवाद।