PM Modi's Interview to Punjab Kesari

Published By : Admin | February 17, 2022 | 17:18 IST

राष्ट्रहित में वापस लिए कृषि कानून : राष्ट्रहित में बनाए थे कृषि कानून, राष्ट्रहित में वापस भी लिए, 7 वर्षों में हमारी सरकार ने किसानों के हित में बीज से बाजार तक काम किया

बी.एस.एफ. का दायरा बढ़ाना था जरूरी : दुश्मन देश ड्रोन के माध्यम से कभी ड्रग्स तो कभी हथियार पहुंचा रहे हैं, बी.एस.एफ. का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने से इन चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे

नेतृत्वविहीन हो चुकी पार्टी : ‘कांग्रेस में स्वार्थ की राजनीति हावी है, नेतृत्वविहीन हो चुकी पार्टी’

परिवारवाद की जगह विकासवाद : अन्य राज्यों की तरह पंजाब को दिलाएंगे कांग्रेस कल्चर से मुक्ति

पंजाब में एक जिम्मेदार सरकार के होने से न सिर्फ पंजाब और सुरक्षित होगा बल्कि पंजाब के युवा का भविष्य भी सुरक्षित होगा, उतना ही देश भी सुरक्षित बनेगा।

Q. पंजाब के चुनावों में भाजपा पहली बार अकाली दल से अलग होकर मैदान में उतरी है, क्या उम्मीदें हैं? पिछले चुनावों में अकाली दल और भाजपा साथ-साथ थे, लेकिन भाजपा सिर्फ 3 ही सीटें जीत पाई थी ?

A. देखिए, 2017 के चुनाव में परिस्थितियां बिल्कुल अलग थीं। अकाली दल और भाजपा की सरकार को तब 10 साल हो गए थे जबकि पिछले कुछ दशकों में पंजाब की परंपरा रही है कि हर 5 साल में यहां सरकार बदल जाती है। आज के चुनाव एक अलग परिस्थिति में हो रहे हैं। पंजाब की पुरानी पीढ़ी और युवा पीढ़ी दोनों ही पंजाब की वर्तमान स्थिति से बहुत निराश हैं। ऐसे में उसे भाजपा सरकार की कार्य संस्कृति में और डबल इंजन की सरकार में अपने लिए उम्मीदें नजर आ रही हैं। हम जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बहुत ईमानदारी से प्रयास करते हैं। आज पंजाब का प्रत्येक व्यक्ति शांति और विकास चाहता है। पंजाब का हर परिवार, हर मां इस बात से ङ्क्षचतित है कि बच्चे को खराब लत न लग जाए, नशा घर में न घुस जाए। पंजाब के लोग अपनी समस्याओं का, पंजाब के समक्ष चुनौतियों का समाधान ढूंढ रहे हैं और उन्हें विश्वास है कि बी.जे.पी. ही इसका समाधान दे सकती है। मैं आज जब पंजाब में जगह-जगह जा रहा हूं और बी.जे.पी. के लिए मुझे जो अभूतपूर्व समर्थन दिख रहा है, उससे इसका साफ-साफ अंदाजा लग जाता है। एक और महत्वपूर्ण बात मैं आपको बताना चाहता हूं। पंजाब के लोगों का, अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों का हमेशा ये सवाल रहा है कि जब हम भाजपा को इतना पसंद करते हैं, तो फिर बी.जे.पी. क्यों एक सीमित दायरे में ही चुनाव लड़ती है? जिन जिलों में हमने कभी चुनाव नहीं लड़ा, वहां के लोग भी हमसे कहते रहे हैं कि हम उन क्षेत्रों में अपनी पार्टी का आधार मजबूत करें और पंजाब को नया विकल्प दें। यही वो जनभावना है कि हम लोगों के बीच जा रहे हैं। हमारे पास पंजाब में एक बहुत ही अनुभवी नेतृत्व है। हमारे पास ऊर्जावान कैडर है और हम एक नवां पंजाब बनाने की इच्छाशक्ति भी रखते हैं। पंजाब के जागरूक लोग ये भी जानते हैं कि कांग्रेस कल्चर से मुक्ति दिलवाने का काम सिर्फ भाजपा ही कर सकती है। हम देश के अन्य राज्यों के लोगों को कांग्रेस कल्चर से मुक्ति दिला रहे हैं, वैसे ही पंजाब में भी करके दिखाएंगे। ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार, खनन से लेकर ड्रग्स माफिया, उद्योगों को चौपट करना, युवाओं और महिलाओं के सपने चकनाचूर करना, ये कांग्रेस के शासन की निशानी रहे हैं। पंजाब के लोग तो कांग्रेस के वर्तमान के साथ ही इतिहास से भी परिचित हैं, उन्होंने कांग्रेस के कुकृत्यों को भोगा है। कांग्रेस ने सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए पंजाब को एक खतरनाक रास्ते पर धकेल दिया। 1984 के पहले के हालात और उस समय के दंगों को देशवासी भूले नहीं हैं। इन दंगों में जो लोग सिखों को निशाना बनाने में शामिल बताए गए, उन्हें कांग्रेस ने सम्मानित करने का काम किया। आप भी ये जानते हैं कि सिख दंगों के एक आरोपी नेता को कांग्रेस ने पंजाब का प्रभारी बनाया था। ये जले पर नमक छिडक़ने जैसा था। ये कांग्रेस की सिख विरोधी मानसिकता का एक बड़ा प्रमाण है। पंजाब को कांग्रेस के चंगुल से बाहर निकालने के लिए हमने एक समय में बादल साहब के नेतृत्व वाले अकाली दल के साथ गठबंधन किया था। लक्ष्य अब भी वही है लेकिन अब भाजपा फ्रंटफुट पर आ गई है।

Q.कै. अमरेंद्र सिंह और सुखदेव सिंह ढींडसा के साथ गठबंधन का भाजपा को कितना फायदा मिलेगा?

A. मैंने बी.जे.पी. के एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में पंजाब में काम किया है, संगठन का काम किया है। उस दौरान मुझे यहां की राजनीति को भी निकट से देखने का अवसर मिला, बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। पंजाब की राजनीति को देखें तो कैप्टन और ढींडसा न केवल सबसे सीनियर नेता हैं, बल्कि आज भी बहुत सक्रिय हैं। मैं कैप्टन साहब और ढींडसा साहब को बहुत अर्से से जानता हूं और बहुत अच्छी तरह जानता हूं। यदि आप उनके जीवन को देखें तो उन्होंने हमेशा राजनीति में राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा है। पंजाब की भलाई के लिए, उसके विकास के लिए वे पूरी तरह से समर्पित होकर काम करते आ रहे हैं। ऐसे अनुभवी नेताओं का जुडऩा और बी.जे.पी. के साथ मिलकर चुनाव लडऩा, ये बहुत ही संतोष देने वाला विषय है। मुझे विश्वास है कि डबल इंजन की सरकार में हमें इन अनुभवी नेताओं का साथ मिलेगा तो पंजाब के विकास की गति बहुत तेज होगी। पंजाब का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई भी हम मिलकर तेजी से कर पाएंगे।

Q.कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा है कि कैप्टन की सरकार दिल्ली से भाजपा चला रही थी, इसलिए उन्हें हटाना पड़ा?

A. देखिए, हम सब जानते हैं कि कैप्टन साहब राज परिवार में पैदा हुए। उनके पास सुख-वैभव की ङ्क्षजदगी जीने के अनेक विकल्प थे, लेकिन उन्होंने एक सैनिक के रूप में मातृभूमि की सेवा करने का निश्चय किया। उन्होंने हमेशा राष्ट्र को आगे रखने की प्रेरणा से अपना काम किया और यही वजह है कैप्टन साहब ने हमेशा तिरंगे का, संविधान का, फैडरल स्ट्रक्चर का सम्मान किया और उसे हमेशा ऊपर रखा। वो जब भी सी.एम. रहे तो उन्होंने राजनीति से ऊपर उठकर पंजाब के हित और देशहित में ही काम किया लेकिन कांग्रेस में स्वार्थ की राजनीति हावी है। पार्टी नेतृत्वविहीन हो चुकी है। कांग्रेस की परेशानी ये है कि वे अपने अहंकार के कारण दूसरे लोगों को आगे बढ़ने नहीं दे सकते। जाहिर तौर पर वे फैडरल स्ट्रक्चर का भी सम्मान नहीं करते। मैंने पहले भी कहा है कि कांग्रेस की सभी सरकारें रिमोट कंट्रोल से चलती हैं और यही उनके आलाकमान को पसंद भी है। लेकिन कैप्टन साहब संविधान की मर्यादा के अनुसार फैडरलिज्म के सिद्धांत के साथ सरकार चला रहे थे। अब यहां कांग्रेस के नेता आकर कहते थे कि कैप्टन साहब हमारी नहीं सुनते थे। जाहिर है उन्होंने आखिरकार कैप्टन साहब को ही विदा कर दिया। 5 जनवरी को मेरे पंजाब दौरे में जो कुछ हुआ, उससे भी काफी कुछ पता चलता है। आप मुझे छोड़ दीजिए, लेकिन ये देश के प्रधानमंत्री का भी दौरा था। लेकिन उसमें राज्य सरकार ने किस प्रकार का काम किया। यही नहीं, यहां के मुख्यमंत्री ने जिस तरह का बयान दिया और गर्व जताते हुए गैर-संवैधानिक पद पर बैठे कांग्रेस के एक व्यक्ति को सिक्योरिटी को लेकर ब्रीफिंग दी, वो क्या दर्शाता है। आप जरा सोचिए कि अगर कैप्टन साहब आज सी.एम. होते तो क्या ये लोग उनसे ये सब करवा पाते? न कैप्टन साहब ऐसा करते और न ही ये लोग उनसे ऐसा करवा पाते। और यही वो बात है, जिसकी तकलीफ आज भी कांग्रेस नेताओं के बयानों में झलकती है। इसलिए मैं कहता हूं कि कैप्टन साहब ने हमेशा भारत की भलाई के लिए, पंजाब की भलाई के लिए काम किया है। उन्होंने राष्ट्रहित के मुद्दे पर हमेशा भारत सरकार के साथ सहयोग किया है।

Q. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब में रैलियों का भाजपा को कितना फायदा मिलेगा?

A. मैं अपनी पार्टी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने मुझे लगातार पंजाब की जनता से मिलने का, उनके दर्शन करने का अवसर दिया। पंजाब की धरती पर मत्था टेकने का मुझे जब भी अवसर मिलता है, मुझे एक अलग ही सुख मिलता है। इस प्रकार के कार्यक्रमों में जब हम कार्यकर्ताओं के बीच जाते हैं, उन्हें देखते हैं, सुनते हैं और उनसे सीखते हैं तो हमारे अंदर का जो एक कार्यकर्ता है, उसका भी विकास होता है। मेरे लिए एक तरीके से यह अवसर एक ओपन यूनिवर्सिटी की तरह है, जहां मैं ढेर सारी चीजें सीखता हूं। जहां तक बी.जे.पी. की बात है तो हमारे लाखों कार्यकर्ता चौबीसों घंटे, पूरे सालभर जनता के बीच सुख-दुख में भागीदार बनते हैं और पार्टी को असल फायदा उसी से मिलता है। ये जो कोरोना की बीमारी आई, उसमें लोगों ने देखा कि बी.जे.पी. के लाखों कार्यकर्ताओं ने किस प्रकार पूरे देश में सेवा ही संगठन के भाव के साथ कार्य किया। देश ने यह भी देखा है कि जहां भी सरकारों में बी.जे.पी. को अवसर मिलता है, वहां लोक कल्याण और विकास हमारी प्राथमिकता में होता है। हमारी हमेशा यही कोशिश होती है कि लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं कैसे पूरी हों। आप आज की परिस्थितियों को देखें तो इसका श्रेय भी बी.जे.पी. को ही जाता है कि चुनावी विमर्श के केंद्र में परिवारवाद की जगह विकासवाद आ रहा है। आज चुनाव में पार्टियों को मापने-तौलने का पैमाना विकास बन रहा है। आज हर ओर विकास की चर्चा हो रही है और जाहिर तौर पर जब मैं कार्यकर्ताओं के बीच में जाता हूं, रैलियों में जाता हूं तो मुझे ये बातें लोगों के बीच में रखने का अवसर मिलता है कि बी.जे.पी. की सरकारें किस तरह से देश में विकास कर रही हैं। मैं लोगों को ये भी बताता हूं कि डबल इंजन की सरकार से क्या फायदा होता है। लोग भी इन चीजों को सुनकर खुद को रिकनैक्ट करते हैं? मेरा जनता से कनैक्ट होता है तो स्वाभाविक है कि बी.जे.पी. कार्यकर्ताओं का लाभ चुनाव में होता ही है। देखिए, भारत के वैभव के लिए पंजाब का वैभव अति आवश्यक है, लेकिन दिशाहीन नेतृत्व ने पंजाब की क्षमताओं के साथ अन्याय किया है। कृषि हो या कंपनी, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां पंजाब की स्थिति को कमजोर नहीं किया गया हो और इसलिए पंजाब में अब एक चाह है, एक इच्छा है स्पष्ट निर्देश की, विशेष उत्साह और दृढ़ निश्चय से भरे नेतृत्व की, जो पंजाब की समस्याओं को सुलझाकर स्थिति में परिवर्तित कर सके। इसे देखते हुए ही मेरा विश्वास है कि इस बार पंजाब के लोग भाजपा को सेवा का अवसर जरूर देंगे।

Q.पंजाब क्षेत्र के भीतर सीमा से 50 किलोमीटर तक बी.एस.एफ. के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का चन्नी सरकार विरोध कर रही है। इसके खिलाफ पंजाब सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है, आप क्या मानते हैं?

A. मैं पंजाब केसरी से आग्रह करूंगा कि इस बारे में ज्यादा से ज्यादा पाठकों को जागरूक करें। सभी को और पंजाब के लोगों को ये जानना जरूरी है कि इस प्रकार के बदलाव से राज्य के अधिकार क्षेत्र पर रत्ती भर भी प्रभाव नहीं पड़ता है। साथ ही इस बात को भी देखना चाहिए कि आखिर राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कौन कर रहा है, या फिर ऐसे मामलों में षड्यंत्र कौन कर रहा है? देखिए, आज टैक्नोलॉजी के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। दुश्मन देश इस समय ड्रोन के माध्यम से कभी ड्रग्स पहुंचा रहे हैं तो कभी हथियार। इसकी वजह ये है कि यहां के ड्रग्स कारोबारियों के लिए ये बहुत ही सुविधाजनक हो गया है लेकिन अगर 50 किलोमीटर की रेंज में बी.एस.एफ. आती है, तो इन सब चीजों पर ज्यादा बेहतर तरीके से लगाम लग पाएगी। अब ये भी सोचने की जरूरत है कि जो निर्णय पंजाब में ड्रग्स की सप्लाई रोकने में सहायक सिद्ध होगा, उस निर्णय के खिलाफ ये लोग क्यों काम कर रहे हैं। सच तो यह है कि 50 किलोमीटर क्षेत्र का नियम सिर्फ पंजाब के लिए नहीं है, बल्कि ऐसा 10-11 राज्यों के लिए किया गया है। ये सभी राज्य सीमावर्ती हैं और इन सब में गहन चिंतन और चर्चा के बाद ही यह नियम लागू किया गया है। इससे पूर्व, इस तरह के नियम में कोई संतुलन नहीं था। किसी राज्य में 20 किलोमीटर का क्षेत्र बनाया गया था, तो कहीं पर 80 किलोमीटर का। अब जाकर इस विसंगति को सुधारा गया है और सभी राज्यों में 50 किलोमीटर के नियम को दायरे में लाया गया है।

Q. आपको नहीं लगता कि तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने में सरकार ने देरी कर दी। क्योंकि अब कानून वापस लेने के बावजूद भी पंजाब के किसानों की नाराजगी दूर नहीं हुई है। एम.एस.पी. पर कानून बनाने की दिशा में अभी काम शुरू नहीं हो पाया है। सरकार का नारा है कि किसानों की आमदनी दोगुनी करेंगे। किसानों के लिए क्या रणनीति है?

A. कृषि कानूनों के पीछे हमारा लक्ष्य था कि देश के छोटे किसानों के जीवन स्तर को सुधारा जाए, उनको अधिक से अधिक सुरक्षा दी जाए, उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुनाफा मिले। इसी को ध्यान में रखकर ये कृषि सुधार किए गए थे। हमने राष्ट्रहित में ये एक बड़ी पहल करने की कोशिश की थी और राष्ट्रहित में ही इसे वापस भी लिया। पिछले 7 वर्षों में हमारी सरकार ने किसानों के हित में बीज से बाजार तक जितना काम किया है, उतना पहले ही किसी सरकार ने नहीं किया। हमारी सरकार ने एम.एस.पी. पर किसानों से अधिक खरीद और अधिक भुगतान सुनिश्चित किया है। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि एम.एस.पी. बढ़ोतरी का लाभ वास्तव में किसानों तक पहुंचे। यू.पी.ए. सरकार की तुलना में अगर आप हमारे शासनकाल को देखें तो धान, गेहूं और दलहन की खरीद में हमने रिकॉर्ड बनाए हैं। यू.पी.ए. के आखिरी 7 वर्षों और हमारी सरकार के 7 वर्षों की तुलना करें तो धान की खरीद में 78 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। महामारी के दौरान भी गेहूं और धान की खरीद ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यू.पी.ए. के आखिरी 5 वर्षों और हमारे पिछले 5 वर्षों के बीच दलहन के लिए एम.एस.पी. भुगतान 88 गुना बढ़ा है। बीते 4-5 वर्षों में हमने खरीद केंद्रों की संख्या को भी बढ़ाकर लगभग दोगुना कर दिया है। एम.एस.पी. के प्रति हमने यही प्रतिबद्धता दिखाई है, न केवल शब्दों में बल्कि कार्यों में भी। किसानों की आय बढ़ाने की हमारी रणनीति बहुत व्यापक है : इनपुट कॉस्ट में कमी, फसल की अच्छी कीमत, हार्वेस्ट और पोस्ट हार्वेस्ट लॉस कम से कम हो इस पर ध्यान और आय बढ़ाने के लिए खेती के अन्य विकल्पों पर जोर। ये कृषि चक्र के हर चरण को कवर करते हैं। और हम किसान की हर छोटी-छोटी जरूरतों का ध्यान रख रहे हैं। आप देखिए, दुनिया भर में कोविड महामारी के कारण उर्वरक की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है लेकिन हमने बढ़ी हुई कीमत का बोझ किसानों पर नहीं डाला। सरकार ने अतिरिक्त कीमत चुकाई और उर्वरक की आपूॢत को बिना किसी बाधा के जारी रखा। इसी प्रकार सॉयल हैल्थ कार्ड ने मिट्टी की गुणवत्ता आंकने में किसानों की जबरदस्त मदद की। जब लॉसेस को कम करने की बात आती है तो संकट के समय में एक तरफ पी.एम. फसल बीमा योजना ने लाखों किसानों का हाथ थामा, वहीं दूसरी तरफ हम फूड प्रोसैङ्क्षसग, कोल्ड चेन आदि का विस्तार कर रहे हैं। हमारी सरकार कृषि के बुनियादी ढांचे के निर्माण और आधुनिकीकरण में लगभग 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर रही है। मैं आपको फूड प्रोसैङ्क्षसग सैक्टर का एक उदाहरण दूंगा। 2014 तक भारत में सिर्फ 2 मैगा फूड पार्क थे आज लगभग 22 हैं। जहां तक किसानों की आय बढ़ाने के लिए और अधिक अवसर पैदा करने की बात है, पशुपालन और मछली पालन के लिए किसान क्रैडिट कार्ड सुविधाओं का विस्तार, मधुमक्खी पालन के माध्यम से स्वीट रिवॉल्यूशन और बायो फ्यूल को प्रोत्साहन, इसी दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम हैं।

Q. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम-यादव गठजोड़ के सामने भाजपा की मुश्किल नहीं बढ़ी? इसे आप कैसे देखते हैं?

A.ऐसा कोई गठजोड़ था क्या? जमीनी सच्चाई ये है कि उत्तर प्रदेश इस तरह के गठजोड़ और जोड़-तोड़ वाली राजनीति को पीछे छोड़ कर बहुत आगे निकल चुका है। जिन जातियों और पंथ का आपने नाम लिया, उन्होंने भी भाजपा को अपना भरपूर आशीर्वाद दिया है। आपको क्या लगता है कि जिस मुस्लिम बेटी का घर-परिवार, तीन तलाक कानून बनने की वजह से बचा हुआ है, वो वोट देते समय अपना धर्म देखेगी? आपको क्या लगता है कि कानून-व्यवस्था सुधरने से, माफियाओं पर लगाम लगने से जिस व्यापारी-कारोबारी, जिस दुकानदार की चिंता कम हुई है, वो वोट देते समय अपनी जाति और धर्म देखेगा। आप जानते हैं कि इस समय देश 100 साल के सबसे बड़े संकट, कोरोना महामारी का मुकाबला कर रहा है। ये हमारी ही सरकार है जो इस संकट के समय में गरीबों को मुफ्त राशन दे रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने गरीबों को मुफ्त वैक्सीन लगवाने के लिए दिन-रात एक कर दिया। और सिर्फ यू.पी. ही नहीं बल्कि यहां पंजाब में, देश के कोने-कोने में, हम गरीब के साथ खड़े रहे। और लोग ये जानते हैं कि जो दुख में साथ देता है, जो तकलीफ में साथ देता है, वही अपना होता है। मेरा आपसे आग्रह है कि यू.पी. के लोगों के विवेक और उनकी समझदारी को ऐसे कठघरे में खड़ा मत करिए। लोग भी ये जानते हैं कि जब कानून व्यवस्था बिगड़ती है, हर रोज दंगे होते हैं, कर्फ्यू लगता है, तो नुकसान सभी का होता है। इसलिए अब इस तरह की मानसिकता के साथ हमें यू.पी. चुनावों को नहीं देखना चाहिए। और उत्तर प्रदेश के लोग तो बार-बार बता रहे हैं कि उनके लिए यू.पी. का विकास ही सर्वोपरि है, यू.पी. में कानून का राज ही सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसलिए ही जो लोग विकासवादी राजनीति नहीं करते उन्हें यू.पी. के लोगों ने 2014 में सबक सिखाया, 2017 में भी सबक सिखाया, 2019 में भी सबक सिखाया और अब 2022 में उनका यही हाल करेंगे। लेकिन अफसोस है कि यू.पी. में कुछ परिवारवादी दल ये बातें समझ नहीं पा रहे। आप देखिए, इन परिवारवादी पार्टियों ने यू.पी. में कैसे-कैसे गठबंधन किए। कभी इन्होंने दो के साथ गठबंधन किया तो तभी 3 के साथ। यहां तक कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए हर चुनाव में ये अपना सहयोगी बदलते रहे हैं। ये लोगों को बार-बार भ्रमित करने का प्रयास करते रहे हैं, इस बार भी कर रहे हैं पर हमेशा की तरह उन्हें नाकामी ही हाथ लगेगी।

Q. कांग्रेस लगातार आपके पंजाब दौरे को लेकर आक्रामक तेवर दिखा रही है? सांसद रवनीत बिट्टू ने तो प्रधानमंत्री को केवल हवाई यात्रा का सुझाव दिया था? कैसे देखते हैं?

A. देखिए, खेल के मैदान में, जो सबसे मजबूत होता है, जिसकी विजय निश्चित होती है, सारे विरोधी खिलाड़ी उसी को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बनाते हैं। ये आप सही कह रहे हैं कि आज कांग्रेस का हर छोटा-बड़ा नेता, चाहे गली का हो या दिल्ली का, वो इस चुनाव अभियान में बी.जे.पी. को ही निशाना बना रहा है और मैं इसे बड़ा स्वाभाविक मानता हूं, क्योंकि पंजाब चुनाव में बी.जे.पी. उनकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी बन गई है। जनता इस समय बी.जे.पी. और एन.डी.ए. को भारी समर्थन दे रही है। जाहिर है ये सब देखकर कांग्रेस की नींद उड़ी हुई है, इसलिए बी.जे.पी. से उनका आक्रोश स्वाभाविक है। कांग्रेस की एक अन्य परेशानी यह भी है कि जनता जब भी भाजपा को मौका देती है, तो फिर न जनता हमारा साथ छोड़ती है, न हम जनता का साथ छोड़ते हैं। आप कई राज्यों के उदाहरण देख लीजिए, भाजपा की सरकार में विकास का जो सिलसिला शुरू होता है, जनता उसे कभी रुकने नहीं देती है। यानी जहां एक बार भाजपा के पैर जम जाते हैं, तो फिर वहां दिल्ली में बैठकर रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाने वाले परिवार की छुट्टी हो जाती है और मैं आपको इनका 2014 में दिया गया बयान भी याद दिलाना चाहता हूं। इन्होंने कहा था कि एक चाय वाला कभी पी.एम. नहीं बन सकता, वो जहां से आया है हम वहीं उसको चाय बेचने के लिए वापस भेज देंगे लेकिन आपने देखा कि किस प्रकार देश की जनता ने उनके इस अहंकार को चूर-चूर कर दिया लेकिन आज भी ये अपनी पराजय को पचा नहीं पा रहे हैं और उनकी नफरत बार-बार जाहिर हो जाती है। इसीलिए ये अनाप-शनाप भाषा का प्रयोग करते हैं लेकिन तब भी इन्हें लेकर मेरी कोई शिकायत नहीं है। हिंदुस्तान की जनता समझदार है और वह भी जानती है कि कांग्रेस क्यों बौखलाई हुई है।

Q. संसद से सडक़ तक देश की न्यायप्रणाली, चुनाव आयोग सहित तमाम संस्थानों को लेकर अविश्वास की स्थिति पैदा की जा रही है, आपकी क्या राय है?

A. कुछ लोगों को लगता है कि यदि मुर्गा बांग न दे तो सवेरा नहीं होता है। कुछ लोग इसी प्रकार की बातें करते हैं लेकिन देश इनकी बातों को समझ चुका है, इसलिए इन्हें स्वीकार नहीं करता है। ये मु_ी भर लोग हैं, जो लोगों में भ्रम और आशंकाएं फैलाकर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते हैं। आपने देखा होगा कि ये वही लोग हैं, जो चुनाव हारते हैं तो ई.वी.एम. पर सवाल उठाने लगते हैं। यहां तक कि सेना ने सॢजकल स्ट्राइक की, तो इन्होंने सेना के शौर्य और पराक्रम के ऊपर भी सवाल उठाए। यही नहीं, कोरोना काल में ये लोग मना रहे थे कि देश तबाह हो जाए ताकि मोदी को कोस सकें। ये लोग भारत में वैक्सीन पर भी सवाल उठाने से नहीं चूके। यही इन लोगों की मानसिकता है, जिसे अब हमारी युवा पीढ़ी, हमारे प्रोफैशनल्स, हर देशवासी बहुत अच्छी तरह समझ गया है। बावजूद इसके, आप देखेंगे कि ये हर दिन एक नया झूठ फैलाने का प्रयास करते हैं। देश ने इनके झूठे आरोपों पर न पहले विश्वास किया और न ही आज करता है।

Q. आप 2030 तक भारत को राजनीतिक, सामाजिक व आॢथक मोर्चे पर कैसे देखते हैं?

A. आपको याद होगा, पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले से मैंने अपनी एक कविता पढ़ी थी-यही समय है, सही समय है, भारत का अनमोल समय है। ये कोरोना काल है लेकिन ये भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण अवसर भी लेकर आया है। कोविड के इस दौर में एक नई विश्व-व्यवस्था आकार ले रही है। दुनिया की हमसे बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं और भारत के पास अब गंवाने के लिए समय नहीं है। इस वैश्विक महामारी से हमें सीख मिली है कि हमारे लिए हर क्षेत्र में खुद की क्षमताओं का विकास करना कितना जरूरी है। चाहे वो मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज और एग्रीकल्चर सैक्टर ही क्यों न हो। इसी संकल्प के साथ हमने आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत की है और इसे लेकर हमें लोगों का अपार समर्थन मिला है। महामारी के दौरान भी हमारे किसान भाई-बहनों ने अपने परिश्रम से यह सुनिश्चित किया कि देश में खाने-पीने की चीजों की कोई कमी हो। यही नहीं, इस दौरान जहां निर्यात का रिकॉर्ड बना, वहीं एफ.डी.आई. के मामले में भी हमने एक नई ऊंचाई हासिल की। आप इस बार का बजट देखेंगे तो अनुमान लगा पाएंगे कि हमने इस बात को ध्यान में रखा है कि आजादी के जब 100 साल पूरे होंगे तब भारत कैसा होगा, इसका पूरा विजन हमने पेश किया है। और आप इस बात से भी सहमत होंगे कि 5 राज्यों के चुनाव को देखते हुए बहुत से जानकार ये उम्मीद लगाए बैठे थे कि इस बार का बजट चुनावी बजट होगा लेकिन हमने चुनाव से ज्यादा देश के लक्ष्यों को प्राथमिकता दी। और देशवासियों ने भी हमारी इस बात के लिए बहुत सराहना की है कि चुनाव के गणित को ध्यान में रखकर बजट बनाने के बजाय हम पूरी तरह से राष्ट्रहित में समर्पित एक फ्यूचरिस्टिक बजट लेकर आए। भारत की इकोनॉमी की ताकत इस दशक में भारत की वैश्विक ताकत को बढ़ाने वाली है। आज हम यह भी सोच रहे हैं कि क्या अपने लोगों की आवश्यकता पूरी करने के अलावा, हम दूसरे देशों के लिए भी एक रिलायबल सोर्स बन सकते हैं? हम अपने किसानों को ड्रोन जैसी आधुनिक टैक्नोलॉजी और स्टार्टअप जैसी सुविधाओं से सशक्त कर रहे हैं। हम वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट जैसे आइडियाज के जरिए भी कई प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी तरह हम पी.एल.आई. स्कीम के माध्यम से भारत को मैन्युफैक्चरिंग, मैन्युफैक्चङ्क्षरगपावरहाऊस बना रहे हैं। यह सीधे तौर पर हमारे हजारों एम.एस.एम.ईज को भी मदद पहुंचा रहा है। हमारे स्टार्टअप और टैक कंपनियां पहले से ही आसमान की ऊंचाइयों पर हैं। इस दशक में आप इनमें अनेकों नए सैक्टर्स को जुड़ते हुए देखेंगे।

Q. पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनावी स्थिति को फिलहाल आप कैसे देखते हैं?

A. देखिए इन चुनावों में जो सबसे बड़ी बात दिख रही है वो ये है कि युवा अपना मन बना चुका है और लोकतंत्र के लिए ये एक अच्छा संकेत है। भाजपा की नीतियों और नीयत को देखकर युवा पीढ़ी उसकी ओर आकॢषत हो रही है। ये भी देखने को मिल रहा है कि इन सभी राज्यों में जनता-जनार्दन विकासवादी राजनीति के लिए बढ़-चढक़र आगे आ रही है। हर जाति, हर वर्ग के लोग, गांव से लेकर शहर तक के लोग भाजपा के पक्ष में दिख रहे हैं। जहां युवाओं में एक नया जोश देखने को मिल रहा है, वहीं महिलाएं भी खुलकर अपनी बात सामने रख रही हैं। मुस्लिम महिलाओं ने भी हर मिथक को तोड़ कर भाजपा का समर्थन किया है। कुछ राजनीतिक पार्टियों के खोखले वायदों को नकार करके अब लोग ये देख रहे हैं कि किसकी नियत अच्छी है, और कौन ईमानदारी से देश के विकास में जुटा है। आपने ये नोटिस किया होगा कि इस चुनाव में कहीं भी भाजपा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक आरोप तक नहीं लगा है। विपक्ष मुद्दाविहीन है। भाजपा शासित राज्यों में कानून व्यवस्था की जो स्थिति है, वो लोगों को बेहतर भविष्य का भरोसा देती है।

Q.भाजपा ने कांग्रेस पर हमेशा तुष्टिकरण का आरोप लगाया है, भाजपा पर भी वोटों के ध्रुवीकरण का आरोप विपक्षी दल लगाते हैं, इस बारे क्या कहेंगे?

A. हमें केंद्र सरकार में आए, देश की लोगों की सेवा करते हुए 7 साल से अधिक का समय हो रहा है। भाजपा लंबे समय से विभिन्न राज्यों में भी लोगों की सेवा करती आ रही है। हमारी सभी सरकारों का एक ही मंत्र है-सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास। जब हम इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं तो फिर न तुष्टिकरण के लिए कोई जगह रह जाती है और न ही ध्रुवीकरण के लिए। देश अब विकास की राजनीति को, राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत राजनीति को ही प्राथमिकता देता है। हम जहां भी सरकार में हों या विपक्ष में, हमारा रुख एकदम स्पष्ट रहा है। सभी के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो। जन धन योजना के तहत अब तक गरीबों के लिए 44 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं। आप किसी एक व्यक्ति के बारे में भी बता दीजिए जो किसी विशिष्ट पृष्ठभूमि के कारण बैंक खाते से वंचित किया गया हो। इसी तरह जब हमने आयुष्मान भारत के तहत 50 करोड़ से अधिक गरीबों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी, तो किसी से ये नहीं पूछा कि आपकी जाति क्या है, आपका धर्म क्या है। हमारी सरकार ने 2 करोड़ से ज्यादा गरीबों को पक्के घर बनाकर दिए हैं। एक तरह से उन्हें लखपति बनाया है। ये घर देते समय जाति के आधार पर, समुदाय के आधार पर, धर्म के आधार पर कभी कोई भेदभाव नहीं किया। आपको एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिलेगा जो यह कह रहा हो कि उनके धर्म के कारण नल का पानी उनके घर नहीं पहुंचा या उनके धर्म के कारण ग्रामीण सडक़ें उनके घर तक नहीं पहुंची हैं। आपको मैं एक और बात बताता हूं। इस बार मैंने लाल किले से कहा है कि हम सरकार की योजनाओं के लाभ को सैचुरेशन तक लेकर जाएंगे। यानी हम शत-प्रतिशत लोगों तक पहुंचने का अभियान चलाएंगे, समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक उस योजना का लाभ लेकर पहुंचेंगे। जब हम इस तरह का संकल्प लेते हैं तो इसका मतलब ये है कि कोई भी समाज में विकास से छूटेगा नहीं, किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा। हमारे यहां जो दल तुष्टिकरण की राजनीति पर निर्भर हैं, उनकी सबसे बड़ी काट यही है कि योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत लोगों तक पहुंचाओ। जब कुछ को मिलेगा, कुछ को नहीं मिलेगा, कुछ को प्राथमिकता होगी, कुछ पीछे छूट जाएंगे, इस तरह की कार्यशैली से अलग, हर लाभार्थी तक पहुंचने की सोच हो, सरकार की योजना के लाभ से एक भी पात्र व्यक्ति छूट न जाए, इस तरह का प्रयास हो, तो तुष्टिकरण की राजनीति बहुत दिन टिक नहीं पाएगी। और देश में हम ये होता हुआ देख रहे हैं। इसलिए वो हमें पूरे दिल से समर्थन करते हैं, हमें आशीर्वाद देते हैं।

Q. जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, गुजरात की सीमा भी पाकिस्तान से सटी है, फिर पंजाब से ही क्यों पाकिस्तान से ड्रग्स और हथियार ज्यादा आते हैं? बॉर्डर स्टेट होने के कारण केंद्र की पंजाब के लिए क्या खास योजना है?

A. मैं आपके माध्यम से, पंजाब के लोगों को ये कहना चाहता हूं कि पंजाब आज संवेदनशील स्थिति में खड़ा है और इसी कारण यह आवश्यक है कि अब जो सरकार पंजाब में आए वो शत-प्रतिशत राष्ट्र सुरक्षा के हितों के साथ तालमेल रखे। इन्हीं कारणों के चलते कै. अमरेंद्र ङ्क्षसह ने कांग्रेस छोड़ दी थी। उनके भाषणों को ध्यान से सुनें, तो आप समझ जाएंगे कि चाहे राजनीति अलग हो, पर राष्ट्र को एक रहना है। इसके लिए अनिवार्य है कि केंद्र और राज्य सरकारों का आपसी तालमेल बना रहे। ये भी बहुत ज्यादा जरूरी है कि पंजाब में जो भी सरकार हो, उसकी नियत साफ हो, देश के हित, देश की सुरक्षा उसके लिए सर्वोपरि हो। आज पंजाब में कांग्रेस की जो सरकार है, उसके पास न तो नियत है और न ही उसमें पंजाब की सुरक्षा करने की काबिलियत है। इस संदर्भ में केंद्र की ओर से जो भी कदम उठाए गए हैं उससे आप परिचित हैं। बी.एस.एफ. का दायरा बढ़ाना हो, उसे सशक्त करना हो, टैक्नोलॉजी के माध्यम से ट्रैङ्क्षकग में सुधार हो, और इंटैलीजैंस पर जोर देना ऐसे कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। केंद्र में हमारी सरकार ने देश की सुरक्षा को लेकर हमेशा बहुत गंभीरता दिखाई है। पहले की सरकारों के समय देश की जो स्थिति थी, जिस तरह के आतंकी हमले होते थे, वो आज भी लोगों को याद हैं। अब उन स्थितियों में बहुत सुधार आया है। देश आज पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित है। पंजाब में एक जिम्मेदार सरकार के होने से न सिर्फ पंजाब और सुरक्षित होगा बल्कि पंजाब के युवा का भविष्य भी सुरक्षित होगा और उतना ही देश भी सुरक्षित बनेगा।

Q. आप कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाते हैं, क्या परिवारवाद से निकलकर कांग्रेस दोबारा खड़ी होने में सक्षम है, आपका अनुभव क्या कहता है?

A. जब मैं परिवारवाद की बात कर रहा होता हूं तो वो किसी पार्टी विशेष या व्यक्ति विशेष को टारगेट करने वाली बात नहीं होती है। इसको लेकर मेरी जो चर्चा है, वो दरअसल एक सैद्धांतिक चर्चा है। भारत जैसे विविधता से भरे देश में लोकतंत्र को सर्वसमावेशी होना चाहिए। लोकतंत्र सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के सिद्धांत पर चले, ये अनिवार्य है लेकिन आजादी के बाद से हमारे लोकतंत्र में दो बीमारियां घुस गईं। उसने भारत की राजनीति और भारत के लोकतंत्र को बहुत नुकसान पहुंचाया है। एक तो वोटबैंक की राजनीति और दूसरा परिवारवाद की राजनीति। आप भारत के नक्शे पर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देखिए, आपको वंशवादी राजनीति की एक खतरनाक बीमारी दिखेगी। कश्मीर में दो वंशवादी पार्टियां दशकों तक राज करती रहीं। पंजाब में, हरियाणा में हमने वंशवादी राजनीति को देखा है। आप उत्तर प्रदेश चले आइए, यहां भी परिवारवादी पार्टियों ने राज किया और उनका जुड़ाव माफियाओं तक से हो गया। बिहार में परिवारवादी पार्टियों का खेल हम देख चुके हैं, उधर महाराष्ट्र में भी परिवारवादी पार्टियों ने कब्जा कर रखा है। आप कर्नाटक से लेकर गोवा, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना तक चले जाइए, आपको हर जगह यही हाल देखने को मिलेगा। झारखंड में आज एक परिवारवादी पार्टी के शासन के चलते ही गवर्नेंस का बहुत बुरा हाल है। बंगाल में भी हम एक परिवारवादी पार्टी को देख ही रहे हैं। अब जरा सोचिए कि इन परिवारवादी पार्टियों ने सबसे ज्यादा देश और देश के टैलेंट का ही तो नुकसान किया न! मैं तो इतना ही कहना चाहूंगा कि आज देश के जो युवा हैं और जो राजनीति में आना चाहते हैं, उन्हें परिवारवादी पार्टियों में अपना कोई भविष्य नहीं दिखता। उन्हें आज अपनी उम्मीदों पर हर तरह से भाजपा ही खरी उतरती दिखाई देती है। निश्चित रूप से बी.जे.पी. ही उन्हें आकर्षित करती है।

Source : Punjab Kesari

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !