In an interview with 'NDTV India', PM Modi discussed several important topics in detail. Regarding his vision for governance, he stated, "I don't run the government to form the government again; I run the government to build the country." Speaking about women's inclination towards the BJP, the PM said that, unlike the vote bank mentality, the party has placed special emphasis on the power of women.

एंकर- 2024 का लोकसभा चुनाव इस समय लगभग आखिरी चरण में है और इस दौरान क्या मुद्दा है जमीन पर इसको लेकर चर्चा है क्या मोदी ही मुद्दा हैं या मुद्दा ही मोदी है। और क्या यह चुनाव मुद्दाविहीन हो गया है यह सब कुछ पता चलेगा 4 जून को। लेकिन इन सारे मसले पर बातचीत करने के लिए हमारे साथ देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी साहब हैं। आपका एनडीटीवी में बहुत-बहुत स्वागत है।

पीएम मोदी- धन्यवाद भैया।

एंकर- प्रधानमंत्री जी पहला सवाल ये कि 22 साल की नवयौवन वाली ऊर्जा आप कैसे लाते हैं। आप तीन से चार घंटे सो रहे हैं, दिन में चार से पांच रैलियां कर रहे हैं, उसके बाद आप सरकारी कामकाज भी कर रहे हैं इतनी ऊर्जा का स्रोत...

पीएम मोदी- मैं समझता हूं कि सबसे बड़ी गलती यह है आपकी रिसर्च टीम की कि वह 22 साल पर अटक गया। क्योंकि मैं किसी पद पर बैठा और कैमरा के सामने मेरा चेहरा आने लगा। मेरी जिंदगी में, मैं कह सकता हूं कि 15 साल की उम्र के बाद का समय जो है ऐसे ही परिश्रम से गुजरा है। और कठिनाइयों में जीने की आदत से गुजरा है। सुख-सुविधा से मेरा कोई लेना देना नहीं रहा है क्योंकि मैंने जब भी जो काम मुझे मिला तो उसको एक कर्तव्य के भाव से और कुछ सीखने के इरादे से मैं करता रहा हूं। तो जब आप जीवन भर एक विद्यार्थी अवस्था में होते हैं तो मन से आप हमेशा फ्रेश रहते हैं क्योंकि आपको हर बार नई सीखने की वृत्ति रहती है और आखिर का शरीर वगैरह की सबकी रचना के भीतर एक मन की अवस्था बहुत बड़ी होती है। मेरे केस में मेरे भीतर का विद्यार्थी जीता रहता है बिल्कुल ही जीवंत है। तो हर बार कुछ नया सीखना समझना मेरी इच्छा रहती है। और उसी का परिणाम है कि इंसान, अब आप देखिए दो उदाहरण में देता हूं, मैं नहीं जानता हूं टीवी वालों को इसमें मजा आएगा। एक होता है कंप्यूटर ऑपरेटर वो उंगली का खेल खेलता है दिन भर वो, लेकिन शाम को जब नौकरी से घर जाता होगा तब देखेंगे ऐसा ही मरा-पड़ा बड़ी मुश्किल से घर में जाता है, जाते ही अपना बैग फेंक देता है, आयु 50 साल भी नहीं होती है लेकिन वो भी कंप्यूटर ऑपरेटर है। एक सितार वादक होता है वह भी उंगली का खेल करता है, 80 साल के बाद भी देखेंगे व एकदम फ्रेश लगता है। यह दोनों में फर्क क्या है फर्क मन की रचना का है। और इसलिए अगर आप जीने का विज्ञान जानते हैं और दुनिया जैसे जीती वैसे जीने की आदतों से बचते हैं तो मैं नहीं मानता हूं कि कोई संकटों से गुजरना पड़ता है।

एंकर- मतलब आप ये कह रहे हैं कि काम को अगर एंजॉय करने लगे तो फिर आपको थकान नहीं होगी।

पीएम मोदी- जब काम पूरा होता है तब थकान उतर जाती है। काम पड़ा रहता है तब थकान लगती है। यार ये करना है, ये करना है, जब हो जाता अरे वाह अब तो हो गया। काम करने से थकान दूर होती है। काम ना करने से काम जब सामने रहता है तो थकान लगती है।

एंकर- अभी जो काम चल रहा है चुनाव का। आप लगातार दिन में रैलियां करते हैं। अभी जो मतदान के आंकड़े आए सर, इसमें पिछले पांचवें चरण के, महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले हैं पुरुषों की तुलना में करीब डेढ़ प्रतिशत अधिक डाले हैं। तो देश की 50 प्रतिशत आबादी महिलाओं की आपकी तरफ बहुत उम्मीद से देखती है। इसके पीछे बड़ा कारण क्या मानते हैं जो भरोसा है महिलाओं का आपके ऊप।

पीएम मोदी- इसको दो रूप में देखना चाहिए। जहां तक भारतीय जनता पार्टी का सवाल है, हम हिंदुस्तान के सभी भूभाग में, समाज के सभी वर्गों में, चाहे गांव हो शहर हो, शिक्षित हो अशिक्षित हो, हर एक में भारतीय जनता पार्टी ने अपना एक स्थान बनाया है। और एक लंबी तपस्या का परिणाम है आज देश में भारतीय जनता पार्टी के प्रति एक श्रद्धा भाव बना है। दूसरा भारतीय जनता पार्टी के पास एक संगठन की ताकत है यानी एक प्रकार से 30 वोटर्स के ऊपर एक कोई न कोई बीजेपी का कार्यकर्ता रहे इतनी बारीकी से प्लानिंग है। तो वह एक संगठन की शक्ति है जो सारी चीजों को चैनलाइज करती है। दूसरी बात है नेतृत्व रहता है, मुझे काफी लंबे समय से पार्टी के लीडरशिप का अवसर मिला है तो एक पहचान बनी है मेरी। और जब एक व्यक्ति की पहचान बनती है और उसका ट्रैक रिकॉर्ड एक भरोसा पैदा करता है, हवा बजी नहीं लगती उनको। सिर्फ बीजेपी का संगठन होता है तो इतना नहीं, लेकिन जब उसको लगता है हर स्तर पर उसके पास एक लीडरशिप है जिसपर भरोसा कर सकते हैं, संकट होगा तो जरूर दौड़ के आ जाएगा, तकलीफ होगी उसको बता देंगे। डिस्ट्रिक्ट लेवल का मेरा कार्यकर्ता होगा तो भी एक भाव बना हुआ है तो यह पूरा हमारा विश्वास का, भरोसा का हर लेयर पर एक नेतृत्व पैदा हुआ है। और जिसका बेनिफिट बीजेपी को मिल रहा है। जहां तक महिलाओं का सवाल है समाज के सभी वर्गों का सहयोग है। महिलाओं की सक्रियता बढ़ी है। इसमें दो चीज आप देख सकते हैं अब महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है सिर्फ चुनाव में नहीं हर क्षेत्र में बढ़ रही है। वे सक्रिय हैं, उनको लगता है कि वो कंट्रीब्यूट कर रही हैं। पहले समय लगता था भाई कुछ भी होता है भाई वो तो उन्होंने किया होगा। दरअसल महिला को लगने लगा है कि मैं भी कुछ कंट्रीब्यूट कर रही हूं। उसका विश्वास बन रहा है। खेल के मैदान में जब महिलाएं जीत करके आती हैं तो जीतने वाली बेटी तो एक है लेकिन देश भर की महिलाएं आइडेंटिफाई करती है अपने आप को। मैं देख रहा हूं इस चुनाव में भी उसका प्रतिबिंब नजर आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रति जो झुकाव है, जो रुझान है उसका कारण है कि भारतीय जनता पार्टी ने मातृशक्ति पर विशेष बल दिया हुआ है। हमारी सरकार के कार्यक्रमों में भी महिलाओं को उतना ही प्राधान्य है और उसके पीछे वोट बैंक नहीं है। उसके पीछे इरादा है कि भारत की विकास यात्रा में अगर यह 50 प्रतिशत शक्ति जुड़ जाती है तो एकदम से तेजी से देश आगे बढ़ेगा। अब जैसे मैं लखपति दीदी बनाने का कार्यक्रम लेकर चल रहा। तीन करोड़ लखपति दीदी बनने का मतलब होता है कि वो इकोनॉमी का नेतृत्व करेगी गांव का। और वो बहुत बड़े बदलाव के बहुत बड़ी कैटेलिक एजेंट बनेगी। ये जो बदलाव है, इन चीजों का फर्क पड़ता ही पड़ता है।

एंकर- प्रधानमंत्री जी जब हम वाराणसी के आपके रोड शो में थे तो एक बुजुर्ग महिला आपकी आरती उतारने के लिए वहां पर खड़ी हुई थी। जब हमने उनसे बात की कि आप आरती उतारने क्यों आए तो उन्होंने कहा कि आप पहचानते हैं उनको कौन हैं। उलटा उन्होंने मुझसे सवाल पूछा तो मैंने कहा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। तो उन्होंने कहा नरेंद्र मोदी नहीं है यह महात्मा मोदी है। तो यह नरेंद्र मोदी से महात्मा मोदी की छवि गढ़ने तक का जो सफर है। ये आपको इस तरह की जो उपाधियां मिलती हैं तो जिम्मेदारी का एहसास और ज्यादा बढ़ जाता है।

पीएम मोदी- ऐसा है कि हर एक की अपनी-अपनी भावना होती है आपको 10 लोग गंदी से गंदी मेरे लिए गाली बोलने वाले भी मिल जाएंगे। 50 लोग अच्छी भावना भी व्यक्त करने वाले के बोल मिल जाएंगे। लेकिन मैं जो अच्छी भावना अभिव्यक्त होती है उसको ठेस ना पहुंचे, उसको कभी निराशा ना हो, वो मेरा कर्तव्य बन जाता है और मैं उस कर्तव्य को निभाने का प्रयास करता हूं। मैं नहीं जानता हूं कि जो वो शब्दों का प्रयोग करते हैं वह मेरे जीवन में है या नहीं। मैं नहीं जानता हूं। हो सकता है मेरे से उनसे अपेक्षा हो मेरे लिए कोई शब्द। लेकिन मैं इतना जरूर कविंस हूं यानी कोई मुझे मूर्ख कह सकता है, कोई मुझे पागल कह सकता है, मैं कविंस हूं कि परमात्मा ने किसी परपज के लिए मुझे भेजा है। और वह परपज पूरा होगा तो परमात्मा मेरा काम भी पूरा कर देगा। और इसलिए मैं पूर्णत परमात्मा को समर्पित हूं।

एंकर- क्या परपज है सर?

पीएम मोदी- परमात्मा पत्ते खोलता नहीं है। वो मुझसे करवाता रहता है और मेरी वो डायरेक्ट डायलिंग नहीं है कि मैं उसको पूछ लूं भाई जरा बताओ आगे मुझे क्या करना है।

एंकर- एक पॉलिटिकल सवाल यह आ रहा है चुनाव के बीच में, जिस तरह से कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला आया यह कहा गया कि ओबीसी में जिस तरह से मुसलमानों को आरक्षण दे दिया गया ममता बनर्जी सरकार से उसको पूरा उन्होंने कहा कि ये कैटेगरी आपको हटानी होगी। आपको ये नहीं करना होगा। आप भी अपने भाषणों में इस बात को बार-बार कहते हैं कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। मुझे यह भी याद है मोदी जी कि आप हैदराबाद में जो बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी उसमें आपने पार्टी नेताओं से कहा था कि जो पसमांदा समाज है उस तक अपनी बात बीजेपी को पहुंचानी चाहिए। तीन तलाक उसको खत्म किया आपकी सरकार ने तो आपको लगता है कि एक तरफ आरक्षण ना देने की बात करना और दूसरी तरफ यह कदम उठाना ये संतुलन बनाएगा मुसलमानों को बीजेपी की तरफ लाने के लिए।

पीएम मोदी- हमारे देश का दुर्भाग्य हुआ है कि सरकारें जो चलाते हैं उसके दिमाग में, फिराक में रहता है कि अगला चुनाव जीतने के लिए कुछ खेल खेले। मेरे दिमाग में ये नहीं रहता है। मैं सरकार दोबारा बनाने के लिए सरकार नहीं चलाता। मैं देश बनाने के लिए सरकार चलाता हूं। ये सरकार देश का भविष्य बनाने के लिए, ये सरकार देश की भावी पीढ़ी का भविष्य बनाने के लिए। वोट बैंक के हिसाब से ना मैं सोचता हूं ना मैं करता हूं और भगवान बचाए मैं नहीं करना चाहता। पसमांदा समाज मुसलमान समाज, हमारे देश का दुर्भाग्य देखिए, आप लोग टीवी में एनालिसिस करते हैं, और एनडीटीवी वाले भी करते हैं। क्या करेंगे, बनिये कितने, क्षत्रिय कितने, ब्राह्मण कितने, फलाने कितने आप ये नहीं कहते हिंदू इतने परसेंट मुसलमान में भी जातियां हैं लेकिन आपको मालूम तक नहीं होगा, ना कभी जाति का उल्लेख करते हैं। और उसका कारण क्या है कि वहां जो एक अगड़ा वर्ग है उसने ऐसा कब्जा जमाया है। कुछ ही परिवार है जिनका ठेका है ना नीचे शिक्षा है अब देश का इतना बड़ा वर्ग देश की विकास यात्रा में अगर भागीदार नहीं बनता है तो देश का नुकसान है। तो मेरे मन रहता है कि मेरे देश की विकास यात्रा में समाज का आखिरी व्यक्ति तक... इसलिए वो मुसलमान है तो उस पर ध्यान देना चाहिए और हिंदू पर नहीं देना चाहिए। हिंदू पर देना चाहिए मुसलमान पर नहीं, ये मेरा तरीका नहीं है। समाज में अनटैप्ड जो पोटेंशियल पड़ा हुआ है उन सबको हमने सामर्थ्य देना चाहिए। हैंड होल्डिंग करना चाहिए। पसमांदा समाज के प्रति मेरा यह भाव है कि उसमें सचमुच में, मैं तो मेरा गांव, मेरा घर परिवार है मेरे अगल-बगल में जो मुस्लिम परिवार है, मैं मुस्लिम बस्ती में बड़ा पला हूं। मेरा घर वही हैं वो ज्यादातर य भाड़ भूजा वगैरह जिसको कहते हैं, उस प्रकार के समाज के लोग हैं। जो रुई करने वाले वगैरह। अब वो अलग-अलग राज्यों में उनके लिए नेम अलग है। लेकिन अब उनकी हालत मैं देख चुका हूं और तब मैं कहता हूं कि पसमांदा समाज में शिक्षा बढ़नी चाहिए। पसमांदा समाज के लोगों को एक अवसर मिलना चाहिए। तो मेरा भारत की विकास यात्रा में इतना बड़ा वर्ग भागीदार कैसे बने यह मेरा विषय है।

एंकर- लेकिन कांग्रेस की तरफ से अक्सर प्रधानमंत्री जी ये कोशिश होती है कि पाकिस्तान को इलेक्शन में ले आया जाया जाता है और एक खास तबके के वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए उसका इस्तेमाल होता है। इस बार मणिशंकर अय्यर साहब कह रहे हैं जो आपको हर चुनाव में कुछ ना कुछ एक अपशब्द का इस्तेमाल करते हैं और कुल मिला के अब तक कांग्रेस 100 से ज्यादा शब्दों का इस्तेमाल आपके लिए कर चुकी है, लेकिन इस बार धमकी अलग है इस बार कह रहे हैं कि पाकिस्तान का सम्मान करो नहीं तो एटम बम है उसके पास।

पीएम मोदी- मैं समझता हूं इस पर तवज्जो देने वाले विषय नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी भी उनको तवज्जो देती नहीं है, लेकिन कभी-कभी मुझे लगता है वो पार्टी योजना से ऐसे लोगों के माध्यम से कुछ शगूफे छोड़ती है। वह अकेले अपनी मर्जी से करते होंगे ऐसा मुझे नहीं लगता है। क्योंकि वो फिर हो-हल्ला होता है तो कुछ दिन के लिए पार्टी से निकालते हैं फिर पार्टी की मुख्य धारा में वो रहते हैं। जैसे अभी उन्होंने अमेरिका में जो उनके गुरु है, उनको अभी इस्तीफा दिलवा दिया, अब कुछ दिन के बाद उनको ले लेंगे। तो ये उनकी एक सोची समझी रणनीति है। देश में भ्रम पैदा करना, वातावरण बदलना, नए नए मुद्दे जोड़ते रहना और विपक्ष को ऐसे मुद्दों पर रिएक्ट करने के लिए मजबूर कर देना। तो ऐसी अलग-अलग चालाकियां वो करते रहते हैं। लेकिन देश के मतदाताओं पर इसका कोई प्रभाव होगा, ऐसा मैं नहीं मानता हूं, टीवी मीडिया में शायद स्पेस मिल जाती होगी उनको।

एंकर- तो ये पाकिस्तान का मुद्दा तो फारूक अब्दुल्ला भी बीच-बीच में काफी उठाते हैं। कहते हैं पाकिस्तान से बात होनी चाहिए।

पीएम मोदी- ऐसा है कि सब लोग यही करते हैं। आतंकवाद के साथ लड़ाई लड़ने का, उनको लगता था कि पाकिस्तान को संभालो तो आतंकवाद संभल जाएगा। हकीकत ये नहीं है जी। आप अगर सामर्थ्यवान होंगे तो बुराइयां चली जाएंगी। अगर आप खुद फिजिकली वीक हैं तो थोड़ी सी भी बारिश हो गई आप बीमार हो जाएंगे, थोड़ी भी गर्मी आ गई आप बीमार हो जाएंगे। और अगर आप खुद मजबूत हैं तो बीमारियां हो सकता है आएंगी, लेकिन अटक जाएगी वैसा भारत को भी सशक्त होना पड़ता है। और सशक्त का मतलब सेना और बंदूक के पिस्तौल वो नहीं होता है। अनेक क्षेत्रों में आपके अंदर सामर्थ्य बढ़ाना होता है।

एंकर- अब जो पाकिस्तान से अक्सर खबरें आती हैं कि कोई अज्ञात व्यक्ति किसी आतंकी को गोली मारकर चला गया। अक्सर ये खबरें आती हैं और वो जो व्यक्ति मारा जाता है वो कहीं ना कहीं भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए जिम्मेदार रहा होता है। तो क्या ये भीतर भी उनकी लड़ाई शुरू हो गई।

पीएम मोदी- मैं हैरान हूं कि कभी आप लोगों ने ऐसा विश्लेषण किया कि भाई बिहार का मेरा एक भाई कश्मीर में मेहनत कर रहा था कोई गोली मार के भाग गया। कभी आपने विचार किया कि अमरनाथ की यात्रा में कोई यात्री गया था, किसी ने उसको मार दिया। फलानी जगह पर कोई जा रहा था किसी ने चाकू मार दिया। यह कौन है अज्ञात लोग। उनकी चर्चा नहीं कर रहे आप लोग। पाकिस्तान के अज्ञात और ज्ञात पाकिस्तान को करने दो न भाई। हम अपना टाइम क्यों खराब करें। हम अपने देश में ध्यान केंद्रित करें।

एंकर- सर इनसे बातचीत का कोई है पाकिस्तान से और चीन के साथ रिश्ते हमारे कैसे हों इन सब को लेकर।

पीएम मोदी- भारत का हमेशा मत रहा है विश्व बंधु का हमारा भाव रहा है। और विश्व बंधु के रूप में जिसको जो जरूरत हो उससे जुड़ना ही हमारा काम रहा है। तो हम तो पूरी दुनिया के साथ जुड़ना चाहते हैं और हम जुड़ते भी रहते हैं और जुड़े हुए भी हैं।

एंकर- ममता बनर्जी कह रही हैं कि मोदी जी जो चाहे कर लें, लेकिन 4 जून को इस सरकार की एक्सपायरी हो जाएगी। और ये कह रहे हैं कि सरकार की जो एक्सपायरी उसकी चिंता लगता है कि विपक्ष को बहुत लंबे समय से 10 साल से।

पीएम मोदी- और वो सच बोल रही हैं जी। ये सरकार तो 4 जून को समाप्त होना ही होना है। नई सरकार बननी है ना। वो तो कांस्टीट्यूशनली है भाई। इसका कार्यकाल पूरा हो रहा है। उसमें पॉलिटिकल कुछ है ही नहीं जी। कार्यकाल इसका चुनाव तक ही है, चुनाव होने के बाद नई सरकार बनेगी। तो हम नई ताजा सरकार बना करके आएंगे।

एंकर- आप नई एक्सपायरी दे देंगे तब?

पीएम मोदी- अरे ऐसा है कि एक्सपायरी डेट, मैं तो अविनाशी हूं जी। मैं काशी का हूं काशी तो अविनाशी है।

एंकर- प्रधानमंत्री जी आप हैं ना गुजरात के समय से देखा जा रहा है कि बड़े काम करते हैं, बड़ी योजनाएं बनाते हैं, उनको इंप्लीमेंट करते हैं, साबरमती नदी मृतप्राय हो गई थी उसको पुनर्जीवित किया। दुनिया की सबसे ऊंची स्टैचू बना दी आपने। पूरा जो ये सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट है उसको नए सिरे से आप गढ़ रहे हैं, नई पार्लियामेंट आपने खड़ी कर दी और जब ये बड़े काम करते हैं तो आप साथ में विपक्ष को चैलेंज करते हैं कि हिम्मत है तो मोदी को टक्कर देके दिखाओ, कैसे टक्कर देंगे वो।

पीएम मोदी- मैं कभी चैलेंज नहीं करता भाई, मैं तो उनको साथ लेना चाहता हूं। मैं किसी को कम नहीं आंकता हूं, उनके पास भी अनुभव है। वह 60-70 साल तक सरकार में रहे हुए हैं। उनकी अच्छी चीजें मैं तो सीखना चाहता हूं। मैं विरोध पक्ष को दुश्मन नहीं मानता हूं। अगर उनके पास कोई अनुभवी लोग हैं और मुझे कोई एडवाइस देना चाहते तो मैं तो सुनने को तैयार हूं जी। उनको मीडिया अखबार में जो भी अच्छा बुरा कहना है वो कहते रहें। देश के हित में अगर अच्छे सुझाव है तो जरूर स्वागत है उनका। मैं किसी का बुरा नहीं चाहता। उनको लगता है कि नहीं, पार्लियामेंट हाउस इतना भव्य बन रहा है, एक पौधा यह लग जाए तो अच्छा होगा, मुझे तो खुशी होगी। कोई मेरी पर्सनल प्रॉपर्टी थोड़ी है जी। ये देश है, 140 करोड़ लोगों को अधिकार है। इसमें कुछ ना कुछ आगे बढ़ाने के लिए और इसलिए मैं कोई टक्कर-वक्कर और चुनौती देता नहीं हूं। हां मैं विकास को उस पुरानी सोच से बाहर लाना चाहता हूं। मैं शासन, कानून व्यवस्था को 18वीं शताब्दी में रख कर के 21वी शताब्दी का भविष्य नहीं बना सकता हूं। तो मैं बदलाव करना चाहता हूं। और मेरा रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म और जब मैं रिफॉर्म कहता हूं तो पोलिटिकल विल चाहिए रिफॉर्म करने के लिए। परफॉर्म करने के लिए, मैं चाहता हूं तो उस विजन के साथ अलाइन आपके पास ब्यूरोक्रेसी चाहिए। एबिलिटी वाली ब्यूरोक्रेसी चाहिए। टाइम बाउंड काम करने वाली ब्यूरोक्रेसी चाहिए। तो पॉलिटिकल लीडरशिप का विजन रिफॉर्म करता है। सिस्टम का सामर्थ्य ट्रांसफॉर्म करता है। और भागीदारी परफॉर्म करती है। तो रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म। परफॉर्म करने का काम सिस्टम का है। ट्रांसफॉर्म करने का काम जन भागीदारी से होता है। तो रिफॉर्म पॉलिटिकल लीडरशिप के विजन से। परफॉर्म ब्यूरोक्रेटिक और गवर्नेंस सिस्टम के परफॉर्मेंस से और ट्रांसफॉर्मेशन जन भागीदारी जुड़ती है। जैसे स्वच्छता, स्वच्छता कब आएगी जन भागीदारी जुड़ेगी तो आएगी।

एंकर- सर एक बात विपक्ष ये भी कहता है कि जो सरकार की उपलब्धियां हैं उन्हें आप निजी उपलब्धियां बता देते हैं। जैसे मंगलयान है, चंद्रयान है कि ये जब आप आए तो ये सब हुआ बल्कि वो कहते ये तो लंबे समय से इस पर काम चल रहा था। ये भी एक आलोचना इस पर आपकी की जाती है।

पीएम मोदी- ऐसा है भाई, पहला विषय तो यह है कि क्या भारत की उपलब्धियों पर हम गर्व करते हैं कि नहीं करते। करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। आपको भारत की उपलब्धि पर गर्व करने में पता नहीं क्या मुसीबत है। और इसलिए क्या कहते हैं मोदी क्यों क्रेडिट लेता है। मतलब आप गर्व लेने की बजाय आप यह क्रेडिट लेने की कोशिश करते हैं। मुझे याद है जब अटल जी सरकार थी और अणु विस्फोट का हम लोगों ने जो अटल जी की सरकार ने प्रयोग किया। तो ये कहते हैं कि ये तो वैज्ञानिकों ने किया। अब मजा यह है कि अटल जी ने जिस दिन ये अणु विस्फोट की घोषणा की तो दुनिया भर के सैंक्शन लग गए, आर्थिक संकट का आ गया। लेकिन 13 दिन के बाद दोबारा उन्होंने किया। इसके लिए पोलिटिकल विल लगता है। चंद्रयान एक विफल हुआ तो एक पॉलिटिकल लीडरशिप में दम था, वो साइंटिस्टों के बीच विफलता की जिम्मेवारी लेता है। जो आदमी विफलता की जिम्मेवारी लेता है तो दुनिया उसको सफलता का यश भी देती है। उस दिन मैं भाग सकता था कि मेरे साइंटिस्टों क्या कर दिया। मैं नहीं गया मैं वहीं रुका और सुबह सब साइंटिस्ट से मिला। उनका हसला मैंने बढ़ाया और मैंने कहा आप चिंता मत कीजिए अगर कुछ कमी है तो मेरी है तो मैं ओनरशिप लेता हूं।

एंकर- लेकिन आपकी आलोचना इस बात के लिए होती है जहां चंद्रयान लैंड किया उस जगह का नाम आपने शिवशक्ति रख दिया। कुछ और नाम रख सकते थे।

पीएम मोदी- हां रख सकते थे अगर वो लोग होते तो अपने परिवार का नाम रख लेते। हो सकता है भावी संतानों का नाम रख लेते वो हो सकता है दूसरा। मैं नहीं कर सकता हूं। मैं इस ब्रह्मांड के अंदर सामर्थ्य मान मेरे देश ने दुनिया को एक फिलोसोफी दी है। और उसके नियंताओं का नाम रखना मैं गर्व करता हूं। और यह किसी परिवार का आइडेंटिफाई नहीं है। जब मैं शिवशक्ति कहता हूं तो 140 करोड़ लोग उसके साथ अपने आप को जोड़ लेते हैं। कोई एक नाम मैं रख लेता तो एक परिवार जुड़ता, एक कुनबा जुड़ता या एक संगठन जुड़ जाता। जब मैं शिवशक्ति कहता हूं, दूसरा शिवशक्ति प्रेरक नाम है, सामर्थ्यवान नाम है, कोटि-कोटि जनों को गाइड करने वाला नाम है।

एंकर- सर इंटरव्यू समाप्त कर रहे हैं आखिर में जाते-जाते 4 जून को तो परिणाम आएंगे। एक इतिहास बनाने के मोड़ पर आप हैं क्योंकि देश के इतिहास में केवल पंडित नेहरू जिन्होंने लगातार तीन बार सत्ता में वापसी की थी। आप इस रिकॉर्ड की बराबरी कर सकते हैं। इस बात की संभावना तमाम सर्वेक्षण वगैरह में बताई जा रही है। इसको किस तरह से देखते हैं, बहुत बड़ी जिम्मेदारी बहुत बड़ी चुनौती आपके लिए तीसरा टर्म होगी?

पीएम मोदी- देखिए गुजरात में मेरे लिए लिखा जाता था Longest serving Chief Minister of the State अब ये एनालिसिस करने वाले लोगों का काम है। मेरा काम मोदी ने क्या पाया, कहां पहुंचा वो है ही नहीं जी। मेरी कंपैरिजन करनी है तो यह करिए कि मोदी के कालखंड में देश कहां पहुंचा। चर्चा देश की करिए जी। मोदी तो तीन बार भी जीतेगा, पांच बार भी जीतेगा, सात बार भी जीतेगा। 140 करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद हैं तो वो तो चलता रहेगा। वो तो एक यात्रा है मोदी की।

एंकर- बहुत-बहुत धन्यवाद मोदी जी।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!