وزیر اعظم نے نیویارک میں ستمبر میں کویت کے ولی عہد کے ساتھ اپنی ملاقات کو یاد کیا اور دو طرفہ تعلقات میں تیز رفتار پیش رفت پر اطمینان کا اظہار کیا .
انہوں نے تجارت، سرمایہ کاری، توانائی، ٹیکنالوجی، ثقافت اور عوام سے عوام کے تعلقات کے میدان میں تعاون میں اضافے پر تبادلہ خیال کیا
وزیر اعظم نے ہندوستانی برادری کا خیال رکھنے پر کویت کی قیادت کا شکریہ ادا کیا
وزیر اعظم نے ہندوستان اور خلیج تعاون کونسل کے درمیان قریبی تال میل پر زور دیا
کویت کے وزیر خارجہ عزت مآب عبداللہ علی ال یحییٰ نے آج وزیر اعظم جناب نریندر مودی سے ملاقات کی۔

کویت کے وزیر خارجہ عزت مآب  عبداللہ علی ال یحییٰ نے آج وزیر اعظم جناب نریندر مودی سے ملاقات کی۔

ستمبر میں نیویارک میں کویت کے ولی عہد شیخ صباح خالد الحمد الصباح سے اپنی ملاقات کو یاد کرتے ہوئے، وزیراعظم نے دو طرفہ تعلقات میں بڑھتی ہوئی رفتار پر اطمینان کا اظہار کیا۔

انہوں نے تجارت، سرمایہ کاری، توانائی، ٹیکنالوجی، ثقافت اور عوام سے مضبوط تعلقات میں تعاون بڑھانے کے اقدامات پر تبادلہ خیال کیا۔

وزیر اعظم نے کویت میں مقیم  دس لاکھ   لوگوں پر مشتمل  مستحکم ہندوستانی برادری کا خیال رکھنے پر کویت کی قیادت کا شکریہ ادا کیا۔

وزیر اعظم نے اس یقین کا اظہار کیا کہ ہندوستان اور خلیج تعاون کونسل کے درمیان قریبی  تال میل کو  کویت کی جی سی سی کی  موجودہ  صدارت کے تحت مزید مضبوط کیا جائے گا۔ انہوں نے مغربی ایشیا کی صورتحال پر تبادلہ خیال کیا اور خطے میں امن، سلامتی اور استحکام کی جلد واپسی کی حمایت کا اظہار کیا۔

وزیر اعظم نے کویت کی قیادت کی جانب سے جلد از جلد ملک کا دورہ کرنے کی دعوت قبول کی ۔

 

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We have begun a new journey of Amrit Kaal with firm resolve of Viksit Bharat: PM Modi
December 09, 2024
Today India is moving forward on the basis of its own knowledge, tradition and age-old teachings: PM
We have begun a new journey of Amrit Kaal with firm resolve of Viksit Bharat, We have to complete it within the stipulated time: PM
We have to prepare our youth today for leadership in all the areas of Nation Building, Our youth should lead the country in politics also: PM
Our resolve is to bring one lakh brilliant and energetic youth in politics who will become the new face of 21st century Indian politics, the future of the country: PM
It is important to remember two important ideas of spirituality and sustainable development, by harmonizing these two ideas, we can create a better future: PMā

परम श्रद्धेय श्रीमत् स्वामी गौतमानंद जी महाराज, देश-विदेश से आए रामकृष्ण मठ और मिशन के पूज्य संतगण, गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेन्द्र भाई पटेल, इस कार्यक्रम से जुड़े अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों, नमस्कार!

गुजरात का बेटा होने के नाते मैं आप सभी का इस कार्यक्रम में स्वागत करता हूँ, अभिनंदन करता हूं। मैं मां शारदा, गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद जी को, उनके श्री चरणों में प्रणाम करता हूं। आज का ये कार्यक्रम श्रीमत् स्वामी प्रेमानन्द महाराज जी की जयंती के दिन आयोजित हो रहा है। मैं उनके चरणों में भी प्रणाम करता हूँ।

साथियों,

महान विभूतियों की ऊर्जा कई सदियों तक संसार में सकारात्मक सृजन को विस्तार देती रहती है। इसीलिए, आज स्वामी प्रेमानन्द महाराज की जयंती के दिन हम इतने पवित्र कार्य के साक्षी बन रहे हैं। लेखंबा में नवनिर्मित प्रार्थना सभागृह और साधु निवास का निर्माण, ये भारत की संत परंपरा का पोषण करेगा। यहां से सेवा और शिक्षा की एक ऐसी यात्रा शुरू हो रही है, जिसका लाभ आने वाली कई पीढ़ियों को मिलेगा। श्रीरामकृष्ण देव का मंदिर, गरीब छात्रों के लिए हॉस्टल, वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर, अस्पताल और यात्री निवास, ये कार्य आध्यात्म के प्रसार और मानवता की सेवा के माध्यम बनेंगे। और एक तरह से गुजरात में मुझे दूसरा घर भी मिल गया है। वैसे भी संतों के बीच, आध्यात्मिक माहौल में मेरा मन खूब रमता भी है। मैं आप सभी को इस अवसर पर बधाई देता हूँ, अपनी शुभकामनाएं अर्पित करता हूं।

साथियों,

सानंद का ये क्षेत्र इससे हमारी कितनी ही यादें भी जुड़ी हैं। इस कार्यक्रम में मेरे कई पुराने मित्र और आध्यात्मिक बंधु भी हैं। आपमें से कई साथियों के साथ मैंने यहाँ जीवन का कितना समय गुजारा है, कितने ही घरों में रहा हूँ, कई परिवारों में माताओं-बहनों के हाथ का खाना खाया है, उनके सुख-दुःख में सहभागी रहा हूँ। मेरे वो मित्र जानते होंगे, हमने इस क्षेत्र का, यहाँ के लोगों का कितना संघर्ष देखा है। इस क्षेत्र को जिस economic development की जरूरत थी, आज वो हम होता हुआ देख रहे हैं। मुझे पुरानी बातें याद हैं कि पहले बस से जाना हो तो एक सुबह में बस आती थी और एक शाम को बस आती थी। इसलिए ज्यादातर लोग साइकिल से जाना पसंद करते थे। इसलिए इस क्षेत्र को मैं अच्छी तरह से पहचानता हूँ। इसके चप्पे-चप्पे से जैसे मेरा नाता जुड़ा हुआ है। मैं मानता हूँ, इसमें हमारे प्रयासों और नीतियों के साथ-साथ आप संतों के आशीर्वाद की भी बड़ी भूमिका है। अब समय बदला है तो समाज की जरूरत भी बदली है। अब तो मैं चाहूँगा, हमारा ये क्षेत्र economic development के साथ-साथ spiritual development का भी केंद्र बने। क्योंकि, संतुलित जीवन के लिए अर्थ के साथ आध्यात्म का होना उतना ही जरूरी है। और मुझे खुशी है, हमारे संतों और मनीषियों के मार्गदर्शन में सानंद और गुजरात इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

किसी वृक्ष के फल की, उसके सामर्थ्य की पहचान उसके बीज से होती है। रामकृष्ण मठ वो वृक्ष है, जिसके बीज में स्वामी विवेकानंद जैसे महान तपस्वी की अनंत ऊर्जा समाहित है। इसीलिए इसका सतत विस्तार, इससे मानवता को मिलने वाली छांव अनंत है, असीमित है। रामकृष्ण मठ के मूल में जो विचार है, उसे जानने के लिए स्वामी विवेकानंद को जानना बहुत जरूरी है, इतना ही नहीं उनके विचारों को जीना पड़ता है। और जब आप उन विचारों को जीना सीख जाते हैं, तो किस तरह एक अलग प्रकाश आपका मार्गदर्शन करता है, मैंने स्वयं इसे अनुभव किया है। पुराने संत जानते हैं, रामकृष्ण मिशन ने, रामकृष्ण मिशन के संतों ने और स्वामी विवेकानंद के चिंतन ने कैसे मेरे जीवन को दिशा दी है। इसलिए मुझे जब भी अवसर मिलता है, मैं अपने इस परिवार के बीच आने का, आपसे जुड़ने का प्रयास करता हूँ। संतों के आशीर्वाद से मैं मिशन से जुड़े कई कार्यों में निमित्त भी बनता रहा हूँ। 2005 में मुझे वडोदरा के दिलाराम बंगलो को रामकृष्ण मिशन को सौंपने का सौभाग्य मिला था। यहां स्वामी विवेकानंद जी ने कुछ समय बिताया था। और मेरा सौभाग्य है कि पूज्य स्वामी आत्मस्थानन्द जी स्वयं उपस्थित हुए थे, क्योंकि मुझे उनकी उंगली पकड़कर के चलना-सीखने का मौका मिला था, आध्यात्मिक यात्रा में मुझे उनका संबल मिला था। और मैंने, ये मेरा सौभाग्य था कि बंग्लो मैंने उनके हाथों में वो दस्तावेज सौंपे थे। उस समय भी मुझे स्वामी आत्मस्थानन्द जी का जैसे निरंतर स्नेह मिलता रहा है, जीवन के आखिरी पल तक, उनका प्यार और आशीर्वाद मेरे जीवन की एक बहुत बड़ी पूंजी है।

साथियों,

समय-समय पर मुझे मिशन के कार्यक्रमों और आयोजनों का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिलता रहा है। आज विश्व भर में रामकृष्ण मिशन के 280 से ज्यादा शाखा-केंद्र हैं, भारत में रामकृष्ण भावधारा से जुड़े लगभग 1200 आश्रम-केंद्र हैं। ये आश्रम, मावन सेवा के संकल्प के अधिष्ठान बनकर काम कर रहे हैं। और गुजरात तो बहुत पहले से रामकृष्ण मिशन के सेवाकार्यों का साक्षी रहा है। शायद पिछले कई दशकों में गुजरात में कोई भी संकट आया हो, रामकृष्ण मिशन हमेशा आपको खड़ा हुआ मिलेगा, काम करता हुआ मिलेगा। सारी बातें याद करने जाऊंगा तो बहुत लंबा समय निकल जाएगा। लेकिन आपको याद है सूरत में आई बाढ़ का समय हो, मोरबी में बांध हादसे के बाद की घटनाएं हों, या भुज में भूकंप के बाद जो तबाही के बाद के दिन थे, अकाल का कालखंड हो, अतिवृष्टि का कालखंड हो। जब-जब गुजरात में आपदा आई है, रामकृष्ण मिशन से जुड़े लोगों ने आगे बढ़कर पीड़ितों का हाथ थामा है। भूकंप से तबाह हुए 80 से ज्यादा स्कूलों को फिर से बनाने में रामकृष्ण मिशन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। गुजरात के लोग आज भी उस सेवा को याद करते हैं, उससे प्रेरणा भी लेते हैं।

साथियों,

स्वामी विवेकानंद जी का गुजरात से एक अलग आत्मीय रिश्ता रहा है, उनकी जीवन यात्रा में गुजरात की बड़ी भूमिका रही है। स्वामी विवेकानंद जी ने गुजरात के कई स्थानों का भ्रमण किया था। गुजरात में ही स्वामी जी को सबसे पहले शिकागो विश्वधर्म महासभा के बारे में जानकारी मिली थी। यहीं पर उन्होंने कई शास्त्रों का गहन अध्ययन कर वेदांत के प्रचार के लिए अपने आप को तैयार किया था। 1891 के दौरान स्वामी जी पोरबंदर के भोजेश्वर भवन में कई महीने रहे थे। गुजरात सरकार ने ये भवन भी स्मृति मन्दिर बनाने के लिए रामकृष्ण मिशन को सुपुर्द किया था। आपको याद होगा, गुजरात सरकार ने स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जन्म जयन्ती 2012 से 2014 तक मनायी थी। इसका समापन समारोह गांधीनगर के महात्मा मंदिर में बड़े उत्साहपूर्वक मनाया गया था। इसमें देश-विदेश के हजारों प्रतिभागी शामिल हुए थे। मुझे संतोष है कि गुजरात से स्वामी जी के संबंधों की स्मृति में अब गुजरात सरकार स्वामी विवेकानंद टूरिस्ट सर्किट के निर्माण की रूपरेखा तैयार कर रही है।

भाइयों और बहनों,

स्वामी विवेकानंद आधुनिक विज्ञान के बहुत बड़े समर्थक थे। स्वामी जी कहते थे- विज्ञान का महत्व केवल चीजों या घटनाओं के वर्णन तक नहीं है, बल्कि विज्ञान का महत्व हमें प्रेरित करने और आगे बढ़ाने में है। आज आधुनिक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत की बढ़ती धमक, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप ecosystem के रूप में भारत की नई पहचान, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी economy बनने की ओर बढ़ते कदम, इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में हो रहे आधुनिक निर्माण, भारत के द्वारा दिये जा रहे वैश्विक चुनौतियों के समाधान, आज का भारत, अपनी ज्ञान परंपरा को आधार बनाते हुए, अपनी सदियों पुरानी शिक्षाओं को आधार बनाते हुए, आज हमारा भारत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। स्वामी विवेकानंद मानते थे कि युवाशक्ति ही राष्ट्र की रीढ़ होती है। स्वामी जी का वो कथन, वो आह्वान, स्वामी जी ने कहा था- ''मुझे आत्मविश्वास और ऊर्जा से भरे 100 युवा दे दो, मैं भारत का कायाकल्प कर दूँगा''। अब समय है, हम वो ज़िम्मेदारी उठाएँ। आज हम अमृतकाल की नई यात्रा शुरू कर चुके हैं। हमने विकसित भारत का अमोघ संकल्प लिया है। हमें इसे पूरा करना है, और तय समयसीमा में पूरा करना है। आज भारत विश्व का सबसे युवा राष्ट्र है। आज भारत का युवा विश्व में अपनी क्षमता और सामर्थ्य को प्रमाणित कर चुका है।

ये भारत की युवाशक्ति ही है, जो आज विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियों का नेतृत्व कर रही है। ये भारत की युवाशक्ति ही है, जिसने भारत के विकास की कमान संभाली हुई है। आज देश के पास समय भी है, संयोग भी है, स्वप्न भी है, संकल्प भी है और अथाग पुरूषार्थ की संकल्प से सिद्धि की यात्रा भी है। इसलिए, हमें राष्ट्र निर्माण के हर क्षेत्र में नेतृत्व के लिए युवाओं को तैयार करने की जरूरत है। आज जरूरत है, टेक्नोलॉजी और दूसरे क्षेत्रों की तरह ही हमारे युवा राजनीति में भी देश का नेतृत्व करें। अब हम राजनीति को केवल परिवारवादियों के लिए नहीं छोड़ सकते, हम राजनीति को, अपने परिवार की जागीर मानने वालों के हवाले नहीं कर सकते इसलिए, हम नए वर्ष में, 2025 में एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं। 12 जनवरी 2025 को, स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर, युवा दिवस के अवसर पर दिल्ली में Young Leaders Dialogue का आयोजन होगा। इसमें देश से 2 हजार चयनित, selected युवाओं को बुलाया जाएगा। करोड़ों अन्य युवा देशभर से, टेक्नोलॉजी से इसमें जुड़ेंगे। युवाओं के दृष्टिकोण से विकसित भारत के संकल्प पर चर्चा होगी। युवाओं को राजनीति से जोड़ने के लिए रोडमैप बनाया जाएगा। हमारा संकल्प है, हम आने वाले समय में एक लाख प्रतिभाशाली और ऊर्जावान युवाओं को राजनीति में लाएँगे। और ये युवा 21वीं सदी के भारत की राजनीति का नया चेहरा बनेंगे, देश का भविष्य बनेंगे।

साथियों,

आज के इस पावन अवसर पर, धरती को बेहतर बनाने वाले 2 महत्वपूर्ण विचारों को याद करना भी आवश्यक है। Spirituality और Sustainable Development. इन दोनों विचारों में सामंजस्य बिठाकर हम एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद आध्यात्मिकता के व्यावहारिक पक्ष पर जोर देते थे। वो ऐसी आध्यात्मिकता चाहते थे, जो समाज की जरूरतें पूरी कर सके। वो विचारों की शुद्धि के साथ-साथ अपने आसपास स्वच्छता रखने पर भी जोर देते थे। आर्थिक विकास, समाज कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बिठाकर सस्टेनेबल डेवलपमेंट का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। स्वामी विवेकानंद जी के विचार इस लक्ष्य तक पहुँचने में हमारा मार्गदर्शन करेंगे। हम जानते हैं, spirituality और sustainability दोनों में ही संतुलन का महत्व है। एक मन के अंदर संतुलन पैदा करता है, तो दूसरा हमें प्रकृति के साथ संतुलन बिठाना सिखाता है। इसलिए, मैं मानता हूं कि रामकृष्ण मिशन जैसे संस्थान हमारे अभियानों को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मिशन लाइफ हो, एक पेड़ मां के नाम जैसे अभियान हों, रामकृष्ण मिशन के जरिए इन्हें और विस्तार दिया जा सकता है।

साथियों,

स्वामी विवेकानंद भारत को सशक्त और आत्मनिर्भर देश के रूप देखना चाहते थे। उनके स्वप्न को साकार करने की दिशा में देश अब आगे बढ़ चुका है। ये स्वप्न जल्द से जल्द पूरा हो, सशक्त और समर्थ भारत एक बार फिर मानवता को दिशा दे, इसके लिए हर देशवासी को गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद जी के विचारों को आत्मसात करना होगा। इस तरह के कार्यक्रम, संतों के प्रयास इसका बहुत बड़ा माध्यम हैं। मैं एक बार फिर आज के आयोजन के लिए आपको बधाई देता हूं। सभी पूज्य संतगण को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं और स्वामी विवेकानंद जी के स्वप्न को साकार करने में आज की ये नई शुरुआत, नई ऊर्जा बनेगी, इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।