‘Imandari Ka Yug’ has started in India: PM Modi in Jharkhand

Published By : Admin | April 6, 2017 | 12:59 IST
QuoteDevelopment projects in Jharkhand will add to the state’s strength, empower poor and tribal communities: PM
QuoteWe are stressing on waterways and ensuring environment friendly infrastructure: PM Modi
QuoteOur fight against corruption and black money will continue: PM Modi
QuoteIf every person in the country takes a step ahead, then India will move 125 crore steps forward towards development: PM
QuoteImandari Ka Yug has started in India; youth wants to move ahead with honesty: PM

भाइयों बहनों आज सांथाल की धरती पर आने का मुझे सौभाग्य मिला है। भगवान बिरसा मुंडा, चांद भैरव, निलांबर-पितांबर जैसे वीर सपूतों की ये धरती। इस धरती को मैं नमन करता हूं और इस धरती के वीर नागरिकों का भी मैं हृदय से अभिवादन करता हूं। आज झारखंड में साहबगंज की धरती पर एक साथ सप्तधारा विकास की योजनाओं का शुभारंभ हो रहा है। सांथाल में इस इलाके में एक साथ इतनी बड़ी विकास की योजनाएं शायद आजादी के बाद किसी एक कार्यक्रम के तहत इस क्षेत्र के विकास के लिये उठाए कदम पहली बार होते होंगे ऐसा मैं मानता हूं। ये पूरे सांथाल इलाके का अगर भला करना है यहां के समस्याओं का समाधान करना है यहां के गरीब से गरीब मेरे आदिवासी भा बहन मेरे पिछड़े भाई बहन अगर इनकी जिन्दगी में बदलाव लाना है तो उसका एक ही उपाय है। और वो उपाय है, विकास। जितना तेज गति से हम विकास यहां करेंगे यहां के जन सामान्य की जिन्दगी बदलने में हम सफल होंगे।

आज एक बहुत बड़ा महत्पूर्ण कार्यक्रम जो झारखंड और बिहार को जोड़ रहा है। गंगा के ऊपर दो राज्यों को जोड़ने वाला सबसे बड़ा ब्रिज़ 2200 करोड़ रुपयों से ज्यादा लागत और ये सिर्फ दो राज्यों को जोड़ता है ऐसा नहीं ये विकास के नये द्वार को खोल देता है आप यहां से पूर्वी भारत के विशाल फलक के साथ अपने आपको सीधा जोड़ने का इस ब्रिज़ के बनने से आपको अवसर मिल रहा है।

मैं बिहार वासियों को बधाई देता हूं। मैं झारखंड वासियों को बधाई देता हूं कि एक महत्वपूर्ण ब्रिज़ का आज शिलान्यास हो रहा है और हमारे नितिन गडकरी जी, ये ऐसे मंत्री हैं जो समय सीमा में काम करवाने में बहुत कुशल हैं। और इसलिये मेरा पक्का विश्वास है कि जिस तारीख को इसका लोकार्पण तैय होगा उस तारीख की सीमा रेखा में पूरा काम पूरा करवा देंगे। ये लटकते हुए काम नहीं रहेंगे। आप कल्पना कर सकते हैं इस इलाके के कितने नौजवानों को रोजगार मिलेगा। और अपने ही जनपद में शाम को अगर घर लौटकर जाना है तो आसानी से जा सके। वहां उनका रोजगार भी होगा उसके साथ-साथ ये काम ऐसा है कि उनका Skill Development भी होगा। एक नई हुनर एक नई महारत, जब दो ढाई साल तक लगातार एक Project पर लगते हैं, तो किसी Engineer से भी ज्यादा काम करने की ताकत उसके अंदर आ जाती है। इस इलाके में इस Project के कारण हजारों परिवार के नौजवान ऐसी ताकत प्राप्त करेंगे। जो आने वाले दिनों में झारखंड हो, बिहार हो, हिन्दुस्तान का और कोई इलाका हो वहां भी अगर कोई ऐसे Project आते हैं तो इस इलाके के नौजवानों की पहली पसंद होगी और लोगों को ज्यादा पैसे देकर के अपने यहां काम के लिये ले जाएंगे। ये ताकत इसमें से पैदा होने वाली है। और इस सारे Project में सबसे बड़ी जो ताकत है ये मानव शक्ति का सुंयोजित रूप से Skill Development करके विकास करना है।

मैं यहां के नौजवानों को शुभकामनाएं देता हूं। ये आपके आंगन में शुभ अवसर आया है। आप भी मन में ठान लीजिये मेहनत भी करनी है और अपनी क्षमता भी बढ़ानी है। और एक बार क्षमता बढ़ गई तो दुनिया आपको पूछती हुई चली आएगी कि यहां जो अनुभवी नौजवान है उनकी हमें जरूरत है। ये बदलाव आने वाला है। आज मुझे यहां एक दूसरे कार्यक्रम का भी लोकार्पण का अवसर मिला है। और वो है साहबगंज से गोविंदपुर तक सड़क का जो निर्माण हुआ है। इसका लोकार्पण करना है। पहले कभी यहां से गोविंदपुर जाना होता तो 10 घंटे, 12 घंटे, 14 घंटे लग जाते थे। अब ये जो नया रोड बना है पांच, सात घंटे में आप गोविंदपुर पहुंच सकते हैं। कितनी बड़ी गति आई है आपके जीवन में इसके कारण कितना बड़ा बदलाव आया है और ये सिर्फ सड़क नहीं है पूरे सांथाल इलाके को बीच से निकलने वाली ये सिर्फ सड़क नहीं है ये पूरे सांथाल के इलाके के गरीब से गरीब नागरिक के जीवन में विकास का एक नया रास्ता खोल रही है। विकास की नई दिशा खोल रही है। विकास का एक नया लक्ष्य नजदीक लाकर के रख रही है। और इसलिये सड़के बहुत बनती हैं यातायात के लिये काम आती है लेकिन ये सड़क उन सड़कों में से नहीं है वो सिर्फ जाने आने का काम नहीं ये विकास कि ओर बढ़ने का एक रास्ता बन रहा है और जो पूरे सांथाल इलाके की सकल सूरत को बदल देगा। ये मेरा पक्का विश्वास है।

भाइयों बहनों नदी को हम मां कहते हैं। और मां हमें सबकुछ देती है लेकिन कभी कभी ऐसी भी कहावत कही जाती है कि मांगे बिना मां भी नहीं परोसती है। गंगा मां सदियों से इस पूरे क्षेत्र को नव पल्लवित करती रही है। ये जीवन धारा के रूप में बह रही है। लेकिन बदलते युग में ये मां गंगा में हमारे जीवन को एक नई ताकत भी दे सकती है 21वीं सदी के विश्व में ये मां गंगा झारखंड को दुनिया से सीधा-सीधा जोड़ने की दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। क्या कभी आपने कल्पना की थी समुद्री तट के जो शहर होते हैं राज्य होते हैं वे तो अपने आप दुनिया से जुड़ जाते हैं लेकिन Land Lock इलाका झारखंड जैसा इलाका जहां निकट में कहीं समन्दर नहीं है। क्या वह भी विश्व के साथ जुड़ सकता है। जिस Project को लेकर हमारे नितिन गडकरी जी काम कर रहे हैं। और बड़े मनोयोग से कर रहे हैं। और उससे सबसे बड़ा काम होने वाला है। ये Project जब पूरा होगा तो ये झारखंड सीधा-सीधा पूरी दुनिया के साथ जुड़ने की ताकत बन जाएगा। और वो Project है गंगा में Multi model Terminal का शिलान्यास। बंगाल की खाड़ी तक यहां से जहाज चलेंगे गंगा में जहाज चलेंगे, माल ढो कर के ले जाएंगे और यहां कि चीजें सीधे सीधी बंगाल की खाड़ी से निकल कर के समुद्री मार्ग से सीधी दुनिया में पहुंच पाएगी। व्यापार के लिये विश्व व्यापार के लिये जब इस प्रकार की सुविधायें उपलब्ध होती हैं तब विश्व व्यापार के अंदर झारखंड की अपनी जगह बना सकती है। चाहे यहां के स्टोन चिप्स हों, चाहे यहां का कोयला हो, चाहे यहां के अन्य पैदावार हो। विश्व के बाजार में सीधा पहुंचाने का सामर्थ इसके अंदर आ सकता है। इतना ही नहीं ये व्यवस्था बनने के बाद अगर यहां का कोयला पश्चिमी भारत में ले जाना है, तो जरूरी नहीं है इसको रोड, रास्ते और रेल से ले जाया जाए। वो बंगाल की खाड़ी से समुद्र के मार्ग उस ओर ले जाया जाए सस्ता पड़ जाएगा। और जो इस क्षेत्र में काम करते होंगे इनकी आर्थिक ताकत बढ़ाने में उपयोगी होगा।

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भाइयों बहनों हमारे देश में Highway कि चर्चा चिंता हुई अटल बिहार वाजपेयी की सरकार थी तब हमारे देश के Infrastructure में दो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक योगदान अटल जी की सराकर के Infrastructure के क्षेत्र में के दो मैं कह रहा हूं और तो सैंकड़ों हैं। एक उन्होंने पूरे हिन्दुस्तान को स्वर्णिम चतुश्कोष से जोड़कर के Infrastructure को आधुनिक रूप देने का एक सफल प्रयोग किया। पूरा किया। दूसरा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना जिससे हिन्दुस्तान के गांव गांव को जैसे शरीर के अंदर अलग –अलग सिरा और धमनियां होती हैं वैसे प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क के द्वारा रास्तों का पूरा नेटवर्क खड़ा करने का बीड़ा उठाया। बहुत बड़ा काम उनके कार्यकाल में हुआ। बाद में भी जो सरकारें आई उस कार्यक्रम को चला रही है। ये वाजपेयी जी का दूसरा योगदान था।

भाइयों बहनों हमने Infrastructure की बात आती है, तो रोड और रास्तों की चिंता चर्चा की। हाईवे बनाए, हमनें हवाई जहाज के लिये एयरपोर्ट बनाना उसकी व्यवस्थाएं खड़ी की। हमनें रेलवे के विस्तार के लिये काम किया। लेकिन एक क्षेत्र हमें चुनौती दे रहा था। वर्तमान सरकार ने नितिन गडकरी जी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक नया फैसला लिया है कि हमारे देश की जो पानी से भरी हुई नदियां हैं उसमें यातयात करके कम खर्चे में माल ढोने का पूरा अभियान चले और उसी के तहत बनारस से हल्दिया तक कारगो ले जाने के लिये पूरी व्यवस्था विकसित हो रही है। झारखंड को बंगाल की खाड़ी तक जोड़ा जा रहा है। यहां से जहाज चलेंगे। नदी में छोटे छोटे नाव तो हमनें बहुत देखे हैं। हजारों टन माल उठाकर ले जाने वाले जहाज चलेंगे। आप कल्पना कर सकते हैं विकास का कौनसा नया क्षेत्र हमारे सामने उभर कर के आ रहा है। Highway है, Airways है, Railways है अब आपके सामने है Water way. ये Water way इसका ये शुभारम्भ शिलान्यास का आज काम हो रहा है। हजारों करोड़ की लागत आने वाली है। भारत में ये पूरा अभियान नये सिरे से हो रहा है। और इसलिये इसका एक कौतव्य होने वाला है। आने वाले दिनों में अर्थशास्त्री इस पर लिखने वाले हैं। इस पर चर्चा करने वाले हैं कि भारत के Infrastructure में Environment Friendly Infrastructure कि ओर कैसे आगे बढ़ रहा है। पर्यावरण की भी रक्षा हो, विकास भी हो, यातायात भी हो, गति भी मिले एक ऐसा काम हो उसी दिशा में तेजी से काम बढ़ाने के लिये नितिन जी का Department आज काम कर रहा है। मां गंगा सब कुछ दे रही थी। अब एक नई भेंट मां गंगा के द्वारा विकास का एक नया मार्ग हमारे लिये प्रस्तुत हो रहा है। इसलिये मां गंगा का हम जितना ऋण स्वीकार करें उतना कम होगा।

भाइयों बहनों मैं आज झारखंड के मुख्यमंत्री श्रीमान रघुवर दास जी को इस बात के लिए बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने इन सांथाल इलाके के किसानों के लिये पशुपालकों के लिये एक बहुत बड़ा महत्पूर्ण कदम उठाया है। और वो है डेरी उद्योग का। पशुपालक को दूध अगर Assure कीमत पर बिकेगा तो पशुपालन करेगा अच्छा पशुपालन करेगा। आज वो पशुपालन करता है या तो परिवार की दूध की जरूरत पूरी करता है या तो गांव में अड़ोस पड़ोस में थोड़ा दे देता है। लेकिन इसका Commercial Model उसके दिमाग में आता नहीं है। जब डेरी बन जाती है, तब गरीब किसान गरीब पशुपालक को भी एक पशुपालन उसके द्वारा दूध उत्पादन और दूध उत्पादन का Valuation कर के मार्केट एक बहु बड़ी चेन बन जाती है। मैं गुजरात की धरती से आया हूं। अमूल भी वहां का जाना जाता है। हिन्दुस्तान का कोई कोना ऐसा नहीं होगा, जहां अमूल न पहुंचा हो। ये अमूल है क्या आखिर किसी जमाने में सरदार वलभ भाई पटेल ने उनके मार्गदर्शन में एक छोटी सी मंडली बनी। कुछ किसानों ने इक्ट्ठा आकर के दूध इक्ट्ठा कर कर के काम शुरू किया। और देखते ही देखते बढ़ता गया बढ़ता गया और आज अमूल का नाम विश्व भर में है। आज रघुवार दास जी इस संथाल के गरीब किसानों के लिये पशुपालकों के लिये उस डेरी का शिलान्यास कर रहे हैं। जो डेरी आने वाले दिनों में लाखों परिवारों के पशुओं का दूध उसका प्रोसेसिंग, उसकी मार्केटिंग, उसकी ब्रांडिंग और पशुपालन को उसके दूध की सही कीमत मिले। रोजाना कीमत मिले। उस दिशा में काम करने का फैसला कर रहे हैं। मेरी उनको बहुत बहुत शुभकामना है। डेरी के क्षेत्र में गुजरात के डेरी उद्योग को काफी अनुभव है। अगर झारखंड को कोई गुजरात से मदद की जरूरत होगी तो मैं जरूर उन लोगों को कहूंगा कि वे भी आपकी मदद करें और यहां के पशु पालक के लिये यहां के किसानों के लिये एक बहुत बड़ा काम हो जाए। उनके जीवन में एक नया क्योंकि जमीन कभी कभी कम होती है। लेकिन अगर पशुपालन अच्छा हो तो उसको एक ताकत मिल जाती है। और मैं मुख्यमंत्री जी से और भी कहूंगा कि जैसे उन्होंने डेरी के काम के लिये बीड़ा उठाया है, वे डेरी के साथ – साथ शहद का भी काम कर सकते हैं। मधुमक्खी पालन के द्वारा जो पशुपालन दूध उत्पादन करता है, वो शहद भी उत्पादन कर सकता है। और डेरी के मार्ग से शहद भी इक्ट्ठा किया जा सकता है। और शहद का भी ग्लोबर मार्केट बन सकता है। हमारा किसान दूध से भी कमा सकता है, शहद से भी कमा सकता है और खेत की पैदावार से भी कमा सकता है। बारह महीना उसकी कमाई का उसमें गारंटी बन जाता है। मुझे विश्वास है कि रघुवार दास जी ने बड़ी दीर्घ दृष्टि के साथ आज भले वो छोटा लगे काम। सरदार वलभ भाई ने जब प्रेरणा लेकर के काम करवाया था बहुत छोटा लगता था। लेकिन वो काम आज दुनिया में मशहूर हो गया। रघुवर दास जी ने जो छोटा सा काम का आरम्भ किया है। उसकी भावि ताकत कितनी है वो मैं बिल्कुल अपनी आंखों के सामने देख पा रहा हूं। और पूरे सांथाल इलाके का भाग्य बदलने में हर पशुपालन किसान का भाग्य बदलने में ये काम आयेगी ऐसा मेरा पूरा विश्वास है।

भाइयो बहनों 2015, 2 अक्तूबर मुझे जस्टिस डीएन पटेल जी के एक निमंत्रण पर खूटी आने का सौभाग्य मिला। और खूटी का न्यायालय खूटी की कोर्ट वो देश की पहली सोलार कोर्ट बनी। सूर्य शक्ति से प्राप्त बिजली से उस न्यायालय का पूरा कारोबार चल रहा है। आज मुझे खुशी है कि फिर से एक बार साहबगंज में एक सरकारी व्यवस्था का परिसर और दूसरा न्यायालय दोनों पूर्ण रूप से सूर्य शक्ति से चलने वाले इकाइयां बन रही है। मैं इसके लिये जस्टिस डीएन पटेल और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं और झारखंड सरकार को भी बधाई देता हूं। उन्होंने सूर्य शक्ति को बढ़ावा दिया है। roof Top Solar Energy का काम जो उन्होंने उठाया है। करीब करीब 4500 किलो वॉट सूर्य ऊर्जा उन्होंने Install करने का काम सफलतापूर्वक पूरा कर दिया है। अगर हमें हमारे जंगल बचाने हैं, हमारी भावी पीढ़ी को कुछ देकर जाना है तो हमें हमारे पर्यावरण की रक्षा करनी होगी है। और ऊर्जा का कोई उत्तम स्रोत है जो हमें सहज उपलब्ध है वो है Solar Energy सूर्य शक्ति। और सूर्य शक्ति कि दिशा में आज भारत एक तेज गति से आगे बढ़ रहा है। भारत ने सपना देखा है। 175 Giga Watt Renewable Energy का उसमें 100 Giga Watt Solar Energy का हिन्दुस्तान के हर कोने में सूर्य शक्ति से ऊर्जा मिले। इसको बल दिया जा रहा है। आज हमें जो विदेशों से Energy खरीदनी पड़ती है। उसमें बहुत बड़ी बचत होगी। वो पैसे गरीब के काम आएंगे। आज पर्यावरण को जो नुकसान होता है। उसमें से हमें राहत मिलेगी। और सूर्य शक्ति की दिशा में एक जमाना था सूर्य शक्ति कि एक यूनिट ऊर्जा की कीमत 19 रुपया लगती थी। लेकिन भारत ने जिस प्रकार से अभियान चलाया आज स्थिति आ गयी है कि कोयले से भी सूर्य शक्ति की ऊर्जा सस्ती मिलने लग गई है। अभी अभी जो टेंडर निकला सिर्फ तीन रुपये का निकला 2 रुपया 96 पैसे। यानी एक प्रकार से एक बार Investment Cost लग गई बाद में बिना कोई खर्चे हम बिजली प्राप्त कर सकते हैं।

और भाइयों बहनों 21वीं सदी में किसी भी नागरिक को अंधकार में जीने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता । कई परिवार हैं जो आज भी घरों में बिजली का कनेक्शन नहीं ले रहे हैं। उनको लगता है क्या जरूरत है। समझा बुझाने के बाद लेते हैं। सरकार मुफ्त में कनेक्शन देती है तो भी कभी कभी लोग खुद उदासीनता बरत देते हैं। ऐसे परिवारों को बच्चों की बढ़ाई के लिये भारत सरकार ने बच्चे की बढ़ाई के लिये छोटा सा बैटरी सोलार से चलने वाली छोटा बल्ब ऐसा टेबल पर लगा दे जमीन पर लगाकर के पढ़ना चाहता है तो उससे पढ़ सकता है ये लाखों ऐसे गरीब परिवारों को देने की दिशा में एक बहुत बड़ा बीड़ा उठाया। हमारा किसान जहां जमीन से पानी निकाल कर के खेती करता है। उसको बिजली महंगी पड़ती है। अब सोलार पम्प हम लगा रहे हैं। किसान सोलार पम्प से जमीन से पानी निकालेगा। सूर्य से बैटरी भी चार्ज होती रहेगी पानी भी निकलता रहेगा। खेत भी हरा भरा रहेगा। दो फसल लेता है तीन फसल लेने लग जाएगा। उसकी आय जो दोगुना करनी है उसमें ये सोलार पम्प भी काम आएगा। एक बहुत बड़ा रिवोल्युशन का काम सूर्य ऊर्जा के क्षेत्र में भारत सरकार के द्वारा चल रहा है। झारखंड सरकार ने भी कंधे से कंधा मिलाकर के भारत सरकार के साथ चलने का बीड़ा उठाया है। Solar Energy को बल दे रहे हैं। roof Top Solar Energy के Project को आगे बढ़ा रहे हैं। मैं इसके लिये भी झारखंड को बधाई देता हूं। और मैं देशवासियों से भी कहूंगा कि हम ऊर्जा के क्षेत्र में संवेदनशील बनें। हम ऊर्जा के महत्वमय को समझें। और भावि जीवन के रक्षा को भी समझें। अभी पूरे देश में एलईडी बल्ब का एक अभियान चल रहा है। अगर कोई सरकार अपने बजट में यह कह दे कि हम दस हजार करोड़ रुपये लगाते हैं और ये दस हजार करोड़ रुपया लोगों को बांट देंगे, तो वाह वाई हो जाएगी तालियां बजेगी अखबार में हैडलाइन छपेगी। वाह मोदी कितना अच्छा प्रधानमंत्री है। दस हजार करोड़ रुपया लोगों को बांटने वाला है। भाइयों बहनों आप सबके सहयोग से हमने एक ऐसा काम किया है जो दस हजार करोड़ से भी ज्यादा आपकी जेब में पहुंचा रहा है। हिन्दुस्तान के नागरिकों की जेब में पहुंचा रहा है। क्या किया एलईडी बल्ब लगाईए बिजली बचाइए। बिजली का बिल कम कीजिये। और आपका किसी का साल का ढाई सौ बचेगा किसी का साल का हजार बचेका किसी का साल का 2 हजार बचेगा वो गरीब बच्चों को दूध पिलाने के काम आ जाएगा। गरीब बच्चों को कुछ शिक्षा दीक्षा देने के काम आ जाएगा। हम जब सरकार में आए तब एलईडी बल्ब साढ़े तीन सौ चार सौ रुपये में बिकता था। आज वो एलईडी बल्ब पचास साठ रुपये में बिकने लग गया। और देश में सरकार के द्वारा 22 करोड़ बल्ब वितरित कर चुके हैं। और लोगों ने अपने आप किया है दोनों मिलाकर के करीब करीब 50 करोड़ नए एलईडी बल्ब लोगों के घरों में लग चुके हैं। और इससे जो बिजली की बचत हुई है। वो करीब करीब 11 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। ये 11 हजार करोड़ रुपया जो बिजली का अवप्रास करने वाले लोग हैं। उनकी जेब में बचने वाला है। कितना बड़ा रिवोल्यूशन आता है जब हम छोटे से बदलाव से काम कर सकते हैं, तो बिजली बचाना दूसरी तरफ सूर्य ऊर्जा का उपयोग करना एक प्रकार से सस्ती से सस्ती बिजली कि दिशा में जाना तो एक 360 डिग्री जिसको कहे, वैसे पूरा ऊर्जा का एक पूरा नेटवर्क बनाकर के काम आज सरकार कर रही है। और उसका भी आपको लाभ मिलेगा।

मैं आज मेरे सामने यहां नौजवान देख रहा हूं। उनके सर पर टोपी है टोपी पर पीले फूल लगे हुए हैं। बड़े शानदार दिख रहे हैं। ये हमारे आदिम जाति के बच्चे हैं। ये पहाड़िया समाज के बच्चे हैं। उनके परिवार में अभी तक सरकार के अंदर काम करने का सौभाग्य नहीं मिला है। सब लोग ताली बजाकर के इनका अभिनन्दन कीजिये। मैरथोडारजी के नये इनिसिएटिव के लिये और इनके मौलिक चिंतन के लिये बधाई देता हूं कि उन्होंने इन पहाड़िया बच्चों को सिलेक्ट किया। सरकारी नियमों में बदलाव किया। उनकी ऊंचाई कम थी तो उनको भी कॉम्परमाइज किया। उनकी पढ़ाई कम थी उस पर भी कॉम्परोमाइज किया। और उनको ट्रेनिंग देकर के आपके सुरक्षा के काम पर लगाया। वो एक प्रकार से सरकार बन गए हैं। भाइयों बहनों हिन्दुस्तान के आखिरी छोर पर बैठे हुए जो लोगों की गिनती होती है इसमें ये मेरे पहाड़िया बेटे हैं। ये पहाड़िया बेटियां हैं आज वो मुख्य धारा में आर रही हैं। विकास की मुख्य धारा में जुड़ रही हैं। और मैं देख रहा थो वो बेटियां जब अपना सर्टिफिकेट लेने के लिये आईं थीं। उनका आने का तरीका उनका सल्यूट करने का तरीका उनका अपना प्रेस वालों को जवाब देने का तरीका उनका कॉन्फिडेन्स देखकर के मुझे लग रहा है कि ये हमारी शान-ओ-शौकत बन जाएंगी। ये पहाड़िया बिरादरी के मेरे साथी सारे मेरे नौजवान ये झारखंड के भाग्य को सुरक्षा देने वाले एक नई ताकत बन जाएंगे फिर एक बार इनके लिये तालियां बजाकर के इनके लिये गौरव कीजिए। रघुवर दास जी का भी अभिनन्दन कीजिये उन्होंने इतना बड़ा महत्वपूर्ण काम किया है। समाज के आखिरी छोर पर जो आदिवासियों से भी गरीब है। आदिवासियों से भी पछाद है। चार चार पीढ़ी तक जिसको स्कूल में जाने का अवसर नहीं मिला है। ऐसे सारे बच्चे आज हमारे सामने है। इससे कितना आनन्द होता है। आज जीवन धन्य हो गया। इन बालकों को देखते हुए और यही मेरे भारत का नीव बनने वाली है मेरे भाइयों बहनों। यही मेरा न्यू इंडिया है। देश का गरीब से गरीब भारत की विकास यात्रा में जुड़ जाएगा इसका ये उदाहरण है।

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भाइयों बहनों कुछ महिलाएं आज मंच पर आई थीं। आपको दूर से दिखता था कि नहीं दिखता था मुझे मालूम नहीं झारखंड सरकार कि तरफ से मैं उनको मोबाइल फोन दे रहा था। और मैं देख रहा था कि वे मुझे मेरे सब सवालों के सही जवाब दे रही थीं। उनको मालूम था कि एप क्या होती है बीम एप क्या है। एप कैसे डाउनलोड होती है। इसके आर्थिक कारोबार इस मोबाइल फोन से कैसे उनको सब मालूम था। मुझे इतनी खुशी हुई। जो संसद में हमारे साती हैं वो कभी कभी कहते हैं कि भारत के गरीब को मोबाइल फोन कहां आएगा कहां सीखेगा, कहां चलाएगा। मैं जरूर संसद में मेरे साथियों को जब मिलूंगा तब कहूंगा कि मैं हिन्दुस्तान में अति पिछड़ा इलाका सांथाल में गया था और वहां कि मेरी आदिवासी बहनें मोबाइल फोन का क्या उपयोग हो सकता है वो मुझे सिखा रही थीं। ये रिवोल्यूशन है। ये डीजिटल इंडिया का रिवोल्यूशन है। ये लेस कैस सोसाएटी का रिवोल्यूशन है। और नोटबंदी के बाद हर किसी को लग रहा है कि अब हम अपने मोबाइल फोन से अपने मोबाइल फोन को ही अपना बैंक बना सकते हैं। छोटे छोटे सखी मंडल उनका कारोबार उनके बीच में एक मुखिया बहन उसके हाथ में मोबाइल फोन हो उसका मोबाइल फोन बैंक से जुड़ा हुआ, मोबाइल फोन उसके ग्राहकों से जुड़ा हुआ एक पूरा नया रिवोल्यूशन इस पहल से आ रहा है। मैं इस सांथाल इलाके की सखी मंडल कि बहनों को बधाई देता हूं। मेरा बहुत पुराना एक अनुभव है। वो अनुभव आज भी मुझे प्रेरणा देता है। मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री था। तो दक्षिणी गुजरात में आदिवासी बस्ती के बीच में एक कपरारा करके सुदूर इलाका है। तब मैं मुख्यमंत्री था लेकिन वहां जाना होता नहीं था। क्योंकि उस इलाके में ऐसा कोई अवसर नहीं आता था सभा के लिये दो मैदान भी नहीं था पूरा जंगल ही जंगल था। और एक घर यहां तो दूसरा घर दो मील दूर तो तीसरा घर तीन मील दूर। मैंने तय किया नहीं मुझे जाना है। वहां हमने डेरी का छोटा सा काम शुरू किया। एक चिली सेन्टर बनाया। जो दूध ठंडा दूध ठंडा करने की व्यवस्था होती है। डेरी में लेजाने से पहले थोड़ी देर जहां दो चार घंटे दूध रखना हो तो वहां दूध रख देते हैं। छोटा सा प्रोजेक्ट होता है। 25 -50 लाख में तैयार हो जाता है। मैंने कहा मैं उस प्रोजैक्ट के लिये आऊंगा। तो हमारे सब लोग नाराज हो गये। साहब इतनी दूर पचास लाख के कार्यक्रम में, मैंने कहा मैं जाऊंगा। मुझे जाना है। मैं गया अब वो जगह ऐसी थी जन सभा तो हो नहीं सकती थी। जनसभा तीन चार किलोमीटर दूर है स्कूल के मैदान में थी। लेकिन दूध भरने के लिये जो महिलाएं आती हैं। वो अपने बर्तन में दूध लेकर के आई हुई थीं। वो चिली सेंटर में आई हुई थीं दूध भरने का कार्यक्रम हो गया। और बाद में मैंने देखा उन महिलाओं ने अपना जो बर्तन था बाजू में रख दिया था और मोबाइल फोन पर मेरी फोटो ले रही थी। करीब करीब तीस महिलाएं थीं। हरेक के हाथ में मोबाइल था। और वो भी फोटो निकालने वाला मोबाइल था । वो फोटो निकाल रही थीं। मैं उनके पास चला गया मेरे लिये बड़ा अजूबा था। इतने बैकवर्ड इलाके में आदिवासी महिलाएं दूध भरने के लिये आई हैं गांव में किसान हैं। मैंने जाकर के पूछा आप क्या कर रही हैं। वो बोली आपका फोटो निकाल रहे हैं मैं बोला फोटो निकाल कर के क्या करोगी। तो बोलीं इसको हम डाउनलोड करवाएंगे। मैं हैरान था उनके मुंह से डाउनलोड शब्द सुनकर कभी कभी बड़े बड़े लोगों को भी पता नहीं होता है कि भारत के सामान्य मानवी में विज्ञान टैक्नॉलॉजी आधुनिकता पकड़ने की ताकत कितनी बड़ी होती है। और मैंने आज दोबारा एक बार इन मेरी आदिवासी बहनों के पास देखा उन्होंने कहा हम डीजिटल रिवोल्यूशन की धारा बन जाएंगे। हम इस काम को करके रहेंगे। मैं इन सभी सखी मंडलों को और मोबाइल फोन से कनेक्टिविटी के द्वारा एक डीजिटल क्रांति के सैनिक बनाने का जो अभियान चला है इसके लिये मैं झारखंड सरकार को भी बहुत बहुत बधाई देता हूं। युग बदल चुका है बदले युग में हमें कैसे आगे बढ़ना चाहिए उस दिशा में हमें जाना होगा।

भाइयों बहनों हिन्दुस्तान का गरीब सम्मान के साथ जीना चाहता है। हिन्दुस्तान का आदिवासी दलित पीड़ित शोषित सम्मान के साथ जिन्दगी जीना चाहता है। वो किसी की कृपा पर चीजें ढूंढता नहीं है। उसका नौजवान कह रहा है कि मुझे अवसर दीजिये मैं अपनी भाग्य रेखाएं खुद लिख दूंगा ये ताकत मेरे गरीब आदिवासी के बच्चों में होती है दलित पीड़ित शोषित के बच्चों में होती है। और मेरी पूरी शक्ति इन बच्चों के पीछे मैं लगा रहा हूं। इन नौजवानों के पीछे लगा रहा हूं। ताकि वही भारत का भाग्य बदलने के लिये एक नई ताकत के रूप में जुड़ जाएंगे। एक नई ताकत के रूप में देश का भाग्य बदलने में जुड़ जाएंगे। और हिन्दुस्तान के भाग्य बदलने में वो ताकत के रूप में काम आएंगे।

भाइयों बहनों भ्रष्टाचार ने काले धन ने देश को तबाह कर दिया दीमक की तरह एक जगह पर बंद करो तो दूसरी जगह पर निकल आता है दूसरी जगह सफाई करो तो तीसरी जगह पर निकल आता है लेकिन आप सबके आशीर्वाद से भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। जिन्होंने गरीबों को लूटा है उन्हें गरीबों को लौटाना ही पड़ेगा। तब तक मैं चैन से बैठने वाला नहीं हूं। एक के बाद एक कदम उठाता रहूंगा। और इसलिये भाइयों बहनों आप जो मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं। वे ईमानदारी की लड़ाई के लिये आशीर्वाद है। नोटबंदी के बाद मुझे कुछ नौजवानों से बातचीत का अवसर मिला पढ़े लिखे थे धनी परिवार के थे। मैं सोच रहा था कि नोटबंदी के कारण बड़े परेशान होंगे गुस्से में होंगे नाराजगी व्यक्त करेंगे लेकिन उन्होंने मुझे एक बात बताई वो बड़ी इन्ट्रस्टिंग है। उन्होंने कहा कि साहब हमारे परिवार में रोज झगड़ा होता हैं मैंने कहा क्या झगड़ा होता है। बोले हमारे पिता जी से कहते हैं कि पिताजी आपके जमाने जो सरकार थी नियम थे टैक्स इतने ज्यादा था आपको चोरी करनी पड़ी होगी की होगी। लेकिन अब देश में ईमानदारी का युग आया है। और हम जो पीढ़ी के लोग हैं बेइमानी का कारोबार करना नहीं चाहते हम ईमानदारी से जीना चाहते हैं और ईमानदारी से आगे बढ़ना चाहते हैं। मेरे देश की युवा पीढ़ी में ईमानदारी का युग शुरू हुआ है। ईमानदारी से जीने की इच्छा पैदा हुई है। यही मेरे लिये शुभ संकेत है मेरे भाइयों देश के लिये शुभ संकेत है। अगर देश का युवा एक ओर मन बना ले कि मेरे पूर्वजों मेरे मात पिता को मेरे पिछले वालों को जो कुछ करना पड़ा अब हमें नहीं करना है।

भाइयों बहनों बिना चोरी किये बिना लूट किये भी सुख चैन की जिन्दगी जी सकते हैं। संतोष की नींद ले सकते हैं। और इसलिये हम एक ईमानदारी कि युग की ओर रेशो ले जाना है। 2022 भारत की आजादी के 75 साल होने वाले हैं। भाइयों बहनों ये आजादी के 75 साल ये सिर्फ दीवार पर टंगे हुए कैलेंडर का विषय नहीं हो सकता। ये आजादी के 75 साल कैलेंडर के एक बाद एक डेट बदल जाए 2022 आजाए वो यात्रा नहीं है। आजादी के 75 साल का मतलब होता है देश की आजादी के लिये जान की बाजी लगाने वाले इसी धरती के बिसरा मुंडा से लेकर के अनगिनत लोग थे भाई। क्यों अपने आपको खपा दिया था। आजाद भारत के सपने देखे थे उन्होंने और इसलिये उन्होंने अपने आपको खपा दिया था। क्या उनके सपनों को पूरा करने के लिए वे तो हमारे लिये फांसी तक पर चढ़ गए। वे तो हमारे लिए जिन्दगी जेलों में काट गए। वे तो हमारे लिये परिवारों को तबाह करके मिट गए। क्या हम उनके सपनों के लिये पांच साल मैं ज्यादा नहीं कह रहा हूं दोस्तों पांच साल 2022 तक जो भी करेंगे देश के लिये करेंगे। कुछ न कुछ करेंगे तो देश के लिये करेंगे। और देश की भलाई के लिये करेंगे। ये सपना सवा सौ करोड़ देशवासियों का हो। सवा सौ करोड़ देशवासियों का एक एक संकल्प हो कि आजादी के 75 साल होने में पांच साल बाकी है। पांच साल में मैं समाज को देश को ये देकर करे रहूंगा। अगर एक हिन्दुस्तानी एक संकल्प लेकर के एक कदम आगे बढ़ता है 2022 आते आते हिन्दुस्तान सवा सौ करोड़ कदम आगे बढ़ जाएगा दोस्तों ये ताकत है हमारी। और इसलिये समय की मांग है कि हम अभी से सरकार में हैं तो सरकार में विभाग में बैठे तो विभाग में नगर पालिका में बैठे हैं तो नगरपालिका, नगर पंचायत तो नगर पंचायत, स्कूल है तो स्कूल में गांव है तो गांव में मोहल्ला है तो महोल्ले में जाति है तो जाति में परिवार में हो तो परिवार में कोई न कोई संकल्प करे कि 2022 तक यहां पहुंच कर ही रहना है। कर के रहेंगे। अगर एक बार हर हिन्दुस्तानी का ये सपना बन जाए तो 2022 में आजादी के लिये जान मिटाने वाले महापुरुषों को हम ऐसा हिन्दुस्तान दे सकते हैं कि उनको एक बार तो संतोष होगा कि अब मेरा देश सही दिशा में चल पड़ा, जिस देश के लिये मैंने जिन्दगी खपा दी। वो मेरा देश आगे बढ़ चला वो सपने को लेकर के आगे चलना है। इसी एक कामना के साथ मैं फिर एक बार झारखंड की धरती को नमन करता हूं। भगवान बिरसा मुंडा की धरती को नमन करता हूं। मैं इन पहाड़िया नौजवानों को बहुत बहुत बधाई देता हूं। मैं झारखंड की जनता को शुभकामनाएं देता हूं। मां गंगा को प्रणाम करते हुए ये जो नया हमनें अभियान छेड़ा है। मां गंगा के आशीर्वाद बने रहेंगे। हम एक नई इस पूरे भू भाग में नई आर्थिक क्रांति मां गंगा के भरोसे लाएंगे इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद बहुत बहुत शुभकामनाएं।

  • Laxman singh Rana July 02, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌷
  • Laxman singh Rana July 02, 2022

    नमो नमो 🇮🇳
  • G.shankar Srivastav June 12, 2022

    G.shankar Srivastav
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Prime Minister Narendra Modi plants a sapling at Bhagwan Mahavir Vanasthali Park in Delhi
June 05, 2025

On the occasion of World Environment Day, the Prime Minister, Shri Narendra Modi has participated in a tree plantation drive and planted a sapling at the Bhagwan Mahavir Vanasthali Park in Delhi strengthening the Ek Ped Maa Ke Naam initiative.

Shri Modi also highlighted the importance of reforest the Aravalli range under the Aravalli Green Wall project.

The Prime Minister noted that the Aravalli range, one of the oldest on the planet, spans Gujarat, Rajasthan, Haryana, and Delhi.

He highlighted that the region faces multiple environmental challenges which the Government is committed to addressing.

Shri Modi said that in the Aravalli range and beyond, in addition to the traditional planting methods, we will encourage new techniques especially in urban and semi-urban areas where there are space constraints. Plantation activities will be geo-tagged and monitored on the Meri LiFE portal, Shri Modi further added.

The Prime Minister also urged the youth of the country to actively participate in the movement and contribute to enhancing the green cover of the planet.

In a X thread, the Prime Minister said;

"Today, on #WorldEnvironmentDay, we strengthened the #EkPedMaaKeNaam initiative with a special tree plantation drive. I planted a sapling at the Bhagwan Mahavir Vanasthali Park in Delhi. This is also a part of our effort to reforest the Aravalli range - the Aravalli Green Wall project."

"It is widely known that the Aravalli range is one of the oldest on our planet, covering Gujarat, Rajasthan, Haryana and Delhi. The past several years have brought to the fore several environmental challenges relating to this range, which our Government is committed to mitigating. Our focus is to rejuvenate areas linked with this range. We are going to work with the respective local administrations and going to emphasise things such as improving water systems, curbing dust storms, stopping eastward expansion of the Thar desert and more."

"In the Aravalli range and beyond, in addition to the traditional planting methods, we will encourage new techniques especially in urban and semi-urban areas where there are space constraints. Plantation activities will be geo-tagged and monitored on the Meri LiFE portal. I call upon the youth of our nation to take part in this movement and add to our planet’s green cover."