Quote21st century is the century of knowledge, says Prime Minister Modi
QuoteIndia has the potential to become the manufacturing hub for the world: PM Narendra Modi
QuoteIn history, whenever knowledge has been the driving force of the world, India has provided leadership: PM Modi
QuoteToday India is demographically the youngest country in the world, with young dreams full of energy: PM Narendra Modi
QuoteThe current generation of youngsters don't want to be job seekers. The youth wants to be job creators: PM Modi
QuoteGlobal agencies say India is the fastest growing economy in the world: PM

मंच पर विराजमान सभी वरिष्‍ठ महानुभाव, नौजवान साथियों, और इस समय online नॉर्थ ईस्‍ट के कई विद्यार्थी भी इस समारोह में शरीक हैं। मैं उन सबका भी स्‍वागत करता हूं।

सब से पहले मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ क्योंकि मुझे आने में बहुत विलंब हुआ, क्‍योंकि आज सुबह सिक्किम से मुझे चलना था। लेकिन weather साथ नहीं दे रहा था। बार बार समय बदलना पड़ रहा था। लेकिन आखिकार पहुंच ही गया। कभी-कभी देर होती है, लेकिन पहुंचता हूं। आज यहां दो महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम हैं। एक तो IIIT का, नये भवन का शिलान्‍यास और दूसरा ICT Academy की शुरूआत। हम सुनते आए हैं कि 21वीं सदी हिन्‍दुस्‍तान की सदी है, लेकिन 21वीं सदी हिन्‍दुस्‍तान की सदी है इसका कारण क्‍या है। तो पूरा विश्‍व ये मानता है कि 21वीं सदी ये ज्ञान की सदी है। information की सदी है और इसलिए information , knowledge के क्षेत्र में जो अगुवाई करेगा वो दुनिया की अगुवाई करेगा। वो लीडरशिप करेगा और दूसरा महत्‍वपूर्ण कारण है आज भारत विश्‍व का सबसे युवा देश है। 65 प्रतिशत जनसख्‍ंया इस देश में 35 साल से कम उम्र की है, कई तो 35 से भी नीचे है। जिस देश मे सदियों से यह परंपरा रही है कि जब-जब मानव जाति नाजुक दौर से गुजरी है हमेशा हमेशा भारत ने नेतृत्‍व किया है और 21वीं सदी में demographic dividend ये हमारी ताकत है इतनी बड़ी संख्‍या में जिस देश के पास नौजवान हों उसके सपने भी नौजवान होते हैं और जवान सपनों में समर्पण का भाव भी होता है, ऊर्जा भी होती है। भारत इस परिस्थिति का फायदा कैसे उठाए, इस अवसर को भारत किस प्रकार से दुनिया के विश्‍व के पटल पर एक शक्ति के रूप में उभर सकें। ये अवसर भी है, चुनौती भी है और जिंदगी बिना चुनौतियों के कभी सफल नहीं होती है। जो चुनौतियों को पार करता है वो ही अवसर को पाता है और वही अवसर को सिद्धि में परिवर्तित कर सकता है। आज पूरे विश्‍व में जितने भी मानको पर चर्चा होती है चाहे वर्ल्‍ड बैंक का रिपोर्ट देख लीजिए। IMF का रिपोर्ट देख लीजिए। credit rating agency, global level की कुछ कहें, एक बात साफ साफ उभर करके आती है और सर्व दूर से एक ही प्रकार से आती है और वो ये कि आज बड़े देशों की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली कोई economy है। वो economy का नाम है हिन्‍दुस्‍तान।

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आए दिन खबरें आती है कि दुनिया में ये हो रहा है। वो हो रहा है। पूरे विश्‍व में आर्थिक मंदी का माहौल है। विश्‍व आर्थिक संकट में घिरा हुआ है। ऐसे संकट के काल में एक अकेला हिन्‍दुस्‍तान अपने पैरों पर स्थिर खड़ा है और तेज गति से आगे भी बढ़ रहा है और ये भी विश्‍व मानता है कि आने वाले दिनों में भारत इससे भी अधिक गति से आगे बढ़ने वाला है। ये जो अवसर आया है। इस अवसर का फायदा अगर उठाना है। तो हमें हमारी युवा शक्ति पर ध्‍यान केन्द्रित करना होगा और इसलिए सरकार ने जिन बातों पर ध्‍यान दिया है वे बिखरी हुई चीजें नहीं हैं। सरकार में हैं कुछ करना पड़ता है चलो कुछ करते रहें ऐसा भी नहीं हैं। एक के बाद एक कदम एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं, interlinked हैं। एक के बाद एक कदम अंतिम परिणाम को प्राप्‍त करने का अवसर है। पहली बार इस देश में skill development एक अलग department बनाया गया। पहले क्‍या था। हर department अपने-अपने तरीके से skill department का काम करता था। लेकिन जब इतने बड़े department के एक कोने में skill department चलता है तो उसमें focus नहीं रहता था। चीजें चलती थी, कागज पर सब दिखता था। लेकिन धरती पर नजर नहीं आता था। हमने अलग skill department बनाया और पूरे देश में 21वीं सदी के अनुकूल किस प्रकार का मैन पावर तैयार करना चाहिए, किस प्रकार का Human resource development करना चाहिए और न सिर्फ हिन्‍दुस्‍तान वैश्विक संदर्भ में global perspective में आप कल्‍पना कर सकते हैं जब दुनिया पूरी बूढ़ी हो, दुनिया के पास पैसे हों। उद्योग कारखाने लगे हुए हों। लेकिन चलाने के लिए नौजवान न हो तो क्‍या होगा। पूरी विश्‍व को 2030 के बाद बहुत बड़ी मात्रा में human resource की आवश्‍यकता पड़ने वाली है। globally man power पहुंचाने का काम अगर कोई कर सकता है तो हिन्‍दुस्‍तान कर सकता है। दूनिया के हर कोने में भारत का नौजवान जा करके उस देश के जीवन में बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। वो दिन दूर नहीं है। जब पूरे global requirement को अगर ध्‍यान में रखें तो आज से हमारा प्रयास है कि हिन्‍दुस्‍तान में वो Human resource development हो वो man power तैयार हो जो आने वाले दिनों में global requirement को पूरी कर पाएं।

दूसरी तरफ भारत सिर्फ सेवादार बना रहे क्‍या ? ये बात हमें मंजूर नहीं है और इसलिए हमारे देश में Make in India का अभियान चलाया है। आज देश पेट्रोलियम पैदावार के बाद सबसे ज्‍यादा इम्‍पोर्ट जो पहली तीन चार चीजें हैं देश में जिसमे हमारी सबसे ज्‍यादा धन हमारे विदेश में जाता है। उसमें एक है electronic goods का import। चाहे लैपटॉप हो, चाहे मोबाइल फोन हो, चाहे electronic medical devices हो। अब जिस देश में ऐसी बढि़या IIT हो जिस गुवाहाटी के IT के, जो गुवाहाटी यहाँ के IIT के कारण पहचाना जाता है। यहां के IIT ने गुवाहाटी को एक नई पहचान दी है। लेकिन उस देश में electronic goods भी हमें इम्‍पोर्ट करना पड़े । ये अच्‍छी बात है क्‍या। Thermometer भी बाहर से लाना है। बीपी कम हुआ ठीक हुआ नहीं ठीक हुआ वो भी foreign का instrument तय करेगा क्‍या।

दोस्‍तों ये चीजे बदलनी है। मैं आज आपके बीच आया हूं चुनौती को ले करके, कम से कम electronic goods ये तो हम बना सकते हैं ऐसा नहीं हम दुनिया को दे सकते हैं। इस देश के पास टेलेंट की कमी नहीं है, इरादों की भी कमी नहीं है। हर नौजवान के पास कुछ न कुछ करने का इरादा है तो क्‍यों न हम हमारे देश की इस requirement को ध्यान में रखते हुए मेक इन इंडिया की बात को आगे बढ़ाएं। और दुनिया ने भारत के लोगों का लोहा माना है। आज सिलिकॉन मेले में जाइए। Address तो यूएसए का है। लेकिन चेहरा हिन्‍दुस्‍तानी है। हर तीसरी चौथी कंपनी का सीईओ हिन्‍दुस्‍तानी है। 50 परसेंट 60 परसेंट काम करने वाले नौजवान हिन्‍दुस्‍तानी है। इस देश के पास टेलेंट भी है।

भारत ने Mars Mission किया। ऑरबिट में हम पहुंचे। दूनिया में हम पहले देश हैं जो Mars Orbit Mission में पहले ही ट्रायल में सफल हो गये। दुनिया के और देशों में सफलता 20-20-25 बार ट्रायल करने पर मिली। भारत को पहली बार मिल गई। और खर्चा कितना आप गुवाहाटी में एक किलोमीटर ऑटो रिक्‍शा में जाए तो दस रुपया लगता होगा। हम मार्स मिशन में सिर्फ सात रुपए किलोमीटर पर गए। हॉलीवुड की फिल्‍म का जो खर्चा होता है उससे कम खर्चें में हम मार्स मिशन पर पहुंचे। ये कैसे संभव हुआ। हमारे नौजवानों के talent के कारण, तजुर्बे के कारण। कुछ कर गुजरने के इरादे के कारण। जिस देश के पास ये सामर्थ्‍य हो तो वो देश का प्रधानमंत्री make in India का सपना क्‍यों न देखे। हमारा दूसरा क्षेत्र है Defence. क्‍या भारत अपनी सुरक्षा के लिए आजादी के 70 साल के बाद भी औरों पर dependent रहे। अश्रु गैस है न अश्रु गैस, रोने के लिए भी tear gas, वो भी बाहर से लाना पड़ता है। ये स्‍थिति अब बदलनी है दोस्‍तों। हम हमारी रक्षा के लिए जो आवश्‍यकताएं हैं वो तो हम बनाएं। इतना ही नहीं दुनिया को हम supply भी करे, ये ताकत हमारी होनी चाहिए।

हम मोबाइल के बिना जी नहीं सकते और आप में से कई लोग है, मेरे से जुड़े हुए हैं, फेसबुक पर, ट्वीटर पर। कुछ लोग मेरी Narendra Modi app पर भी कुछ न कुछ लिखते रहते हैं गुवाहाटी से। लेकिन मोबाइल फोन बाहर से लाना पड़ता है और इसलिए दोस्‍तों हमारे जो IITs है। हमारी IIIT है। हमारी technical institutions है। वहां make in India का मुझे माहौल create करना है। अभी से विद्यार्थी के मन में विचार होना चाहिए कि मैं शस्‍त्रार्थों की दुनिया में भारत को ये अमानत दूंगा ताकि दुनिया हमें कुछ न कर पाए।

हम ICT के क्षेत्र में जा रहे हैं। ICT हम व्‍यापार-धंधे के लिए नए-नए सॉफ्टवेयर बनाने की ताकत create कर रहे हैं, लेकिन दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है और सारी दुनिया के सामने है। वो चुनौती है, cyber security की। हर कोई परेशान है, कहीं कोई हाई-जैक तो नहीं कर लेगा। मेरी पूरी फाइल चली तो नहीं जाएगी। मैं research कर रहा हूं, कोई उठा तो नहीं ले जाएगा। दुनिया को कोई ठप्‍प तो नहीं कर देगा। हवाई जहाज उड़ता होगा और cyber attack करके उसको वही रोक दिया जा सकता है और फिर वो नीचे ही आएगा। ये संकट है, दुनिया डरी हुई है। technology ने जहां-जहां पर हमको पहुंचाया है तो उसके साथ हमारे सामने चुनौतियां भी आई हैं। क्‍या हमारे विद्यार्थी, हमारे नौजवान विश्‍व को cyber security देने के लिए नेतृत्‍व नहीं कर सकते क्‍या? अगर दुनिया में किसी को भी cyber security की जरूरत होगी, भारत के नौजवान पर उसको भरोसा करना पड़ेगा, तब जाकर के उसका काम होगा। ये नहीं कर सकते क्‍या?

और इसलिए दोस्‍तों skill development से लेकर के make in India. दो दिन पहले आप में से कई लोग शायद मेरे साथ वीडियो कॉंफ्रेंस में जुड़े हुए होंगे। जब मैं दो दिन पहले दिल्‍ली में ‘स्‍टार्ट-अप’ का आरंभ किया। जब मैं पहले ‘स्‍टार्ट-अप’ कह रहा था तो कुछ लोगों को तो पता ही नही पड़ता, क्‍या कह रहा है ये। ‘स्‍टार्ट-अप इंडिया, स्‍टैंड-अप इंडिया’. जब लालकिले से हमने कहा तो ऐसे ही आकर के चला गया विषय। पता ही नहीं चला, कहीं रजिस्‍टर्ड ही नहीं हुआ। लेकिन अभी जब ‘स्‍टार्ट-अप’ का कार्यक्रम हुआ, लाखों नौजवानों ने रजिस्‍ट्रेशन कराया। एक नया mood बना है, देश में। नौजवान सोच रहा है मैं रोजगार के लिए apply नहीं करूंगा, मैं अपने पैरों पर नई चीज खोजकर के दुनिया के बाजार में ले आऊंगा, नए तरीके से ले आऊंगा।

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‘स्‍टार्ट-अप’ का एक माहौल बना है। वर्तमान में जो नई पीढ़ी है वो job-seeker नहीं बनना चाहती है, वो job-creator बनना चाहती है और सरकार ‘स्‍टार्ट-अप इंडिया, स्‍टैंड-अप इंडिया’ के भरोसे उसे बल देना चाहती है और इसलिए अभी आपने देखा होगा, हमने कई नई योजनाएं घोषित की है, नए initiative लिए हैं क्‍योंकि भारत दुनिया का ‘स्‍टार्ट-अप’ का capital बन सकता है जिस देश के पास इतनी talent हो, वो दुनिया का capital बन सकता है और मैंने ये देखा, आपने भी शायद टीवी पर इन चीजों को ध्‍यान से देखा होगा, नहीं देखा होगा तो इंटरनेट पर सारी चीजें इन दिनों available है। 22-25-27-30 साल के नौजवान अरबों-खरबों रुपयों का व्‍यापार करने लगे हैं और दो-तीन साल में करने लगे हैं और पांच हजार- दस हजार- 25 हजार लोगों को रोजगार दे रहे हैं just अपना दिमाग और technology का उपयोग करते हुए।

और जमाना App का है, हर चीज का App बनता है और दुनिया जुड़ जाती है। मैं भी अब जुड़ गया लेकिन हमारे नौजवानों की जो बुद्धिमत्‍ता है वो कुछ कर गुजरने की बुद्धिमत्‍ता है और इसलिए skill development से लेकर के ‘स्‍टार्ट-अप’ तक की यात्रा Make in India. पहले Make for India और बाद में Make for Global, ये requirement को पूरा करने के लिए हम आगे बढ़ना चाहते हैं और उसमें technical force एक बहुत बड़ी आवश्‍यकता है। हर हाथ में हुनर होना चाहिए। कभी-कभी हम लोग रोते बैठते हैं। हमारे देश में कुछ ये भी आदत है। समस्‍याएं होती है। हर किसी के नसीब में मक्‍खन पर लकीर करने का सौभाग्‍य नहीं होता है। पत्‍थर पर लकीर करने की ताकत होनी चाहिए और अगर हम अपने आप को युवा कहते हैं तो उसकी पहली शर्त यह होती है कि वो मक्‍खन पर लकीर करने के रास्‍ते न ढूंढे, वो पत्‍थर पर लकीर करने की ताकत के लिए सोचे। अगर यही इरादे लेकर के हम चलते हैं तो हम अपनी तो जिन्‍दगी बनाते हैं लेकिन कइयों की जिन्‍दगी में बदलाव लाने के लिए कारण भी बनते हैं।

तो भारत में हमारी जितनी भी academic institutions है, technical institutions है, हमारी Universities है। चाहे हमारी आईआईटी हो या हमारी आईटीआई हो, छोटी से छोटी technical इकाई से लेकर के, top most technical venture, इन दोनों के अंदर एकसूत्रता होनी चाहिए और हम देश की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने के लिए सामर्थ्‍यवान बने। समस्‍याएं अपने आप उसका रास्‍ता भी खोजकर के आती है। कोई समस्‍या ऐसी नहीं होती जिसकी कोख में समाधान भी पलता न हो। सिर्फ पहचानने वाला चाहिए। हर समस्‍या की कोख में समाधान भी पलता है, उस समाधान को पकड़ने वाला चाहिए, समस्‍या का समाधान निकल आता है।

मैं चाहूंगा मेरे नौजवान चीजों को देखे तो उसके मन में पहले ये न आए कि यार ऐसा क्यों है। जो सो है सो है, यार ये है ऐसा करेंगे तो ये नहीं रहेगा। हम बदलाव ला सकते हैं। हमारी विचार प्रक्रिया को हम बदले।

पिछले दिनों राष्‍ट्रपति भवन में स्‍कूल के कुछ बच्‍चों को बुलाया गया था। हमारे राष्‍ट्रपति जी ऐसे लोगों को काफी encourage करने के अनेक कार्यक्रम करते रहते हैं। तो उन्‍होंने कहा, मोदी जी एक बार आइए, जरा देखिए। आठवीं, नौवीं, दसवीं कक्षा के बच्‍चे थे और मैंने देखा कि ‘स्‍वच्‍छ भारत’ के विषय में technology क्‍या role कर सकती है, कौन-सी innovative equipment create किया जा सकता है जो स्‍वच्‍छ भारत के लिए next requirement जो process है उसको पूरा कर सके। आठवीं-नौवी कक्षा के बच्‍चों ने ऐसी-ऐसी चीजें बनाई थी, मैं हैरान था। इसका मतलब यह हुआ कि हर समस्‍या का समाधान करने के लिए हमारे पास सामर्थ्‍य होता है।

अगर इंडिया के पास million problem है तो हिन्‍दुस्‍तान के पास billion brain भी है और इसलिए दोस्‍तों नया भवन तो मिलेगा। हिन्‍दुस्‍तान के पूर्वी छोर में ये ज्ञान का सूरज ऐसा तेज होकर के निकले कि पूरे हिन्‍दुस्‍तान को ज्ञान से प्रकाशित कर दे, ये मेरी आप सबको शुभकामनाएं हैं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

  • Babla sengupta December 23, 2023

    Babla sengupta
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महंत श्री राम बापू जी, समाज के अग्रणी लोग, लाखों की संख्या में आने वाले सारे श्रद्धालु भाइयों और बहनों नमस्कार, जय ठाकर।

सबसे पहले मैं भरवाड समाज की परंपरा और सारे पूज्य संतों को, महंतों को, समग्र परंपरा के लिए जीवन अर्पण करने वाले सारे लोगों को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करता हूँ। आज खुशी अनेक गुना बढ़ गई है। इस बार जो महाकुंभ हुआ है, ऐतिहासिक तो था ही, पर हमारे लिए गर्व की बात है कि क्योंकि महाकुंभ के पुण्य अवसर पर महंत श्री राम बापू जी को महा मंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त हुई है। यह काफी बड़ी घटना है, और हम सब के लिए अनेक गुना खुशी का अवसर है। राम बापू जी और समाज के सारे परिवारजनों को मेरी ओर से खूब- खूब शुभकामनाएं।

पिछले एक सप्ताह में ऐसा लगा कि भावनगर की भूमि भगवान कृष्ण का वृंदावन बन गई हो, और उसमें सोने पर सुहागा ऐसे हमारे भाई जी की भागवत कथा हुई, जिस तरह का श्रद्धा भाव बहा, लोग जैसे कृष्ण में सराबोर हो गये हो ऐसा माहौल बना। मेरे प्रिय स्वजन बावलियाली स्थान केवल धार्मिक स्थल नहीं, भरवाड समाज सहित अनेकों के लिए आस्था, संस्कृति और एकता की प्रतीक भूमि भी है।

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नगा लाखा ठाकर की कृपा से इस पवित्र स्थान को, यहां से भरवाड समुदाय को हमेशा सच्ची दिशा, उत्तम प्रेरणा की असीम विरासत मिली है। आज इस धाम में श्री नगा लखा ठाकर मंदिर की पुनः प्राण प्रतिष्ठा हमारे लिए सुनहरा अवसर बना है। पिछले एक सप्ताह से तो जैसे धूमधाम मच गई है। समाज का जो उत्साह, उमंग है.. मैं तो चारो ओर वाहवाही सुन रहा है। मन में होता है कि मुझे आप लोगों के बीच पहुंचना चाहिए, पर पार्लियामेंट और काम के कारण निकल पाना मुश्किल है। पर जब मैं हमारी हजारों बहनों के रास के बारे में सुनता हूं तब लगता है कि वाह, उन्होंने वहीं पर वृंदावन को जीवंत बना लिया।

आस्था, संस्कृति और परंपरा का मेल और मिलन मन को, चित्त को प्रसन्न करने वाला है। इन सारे कार्यक्रमों के बीच कलाकार भाइयों–बहनों जिन्होंने भाग लेकर प्रसंग को जीवंत बनाया और समयानुकूल समाज को संदेश देने का काम किया। मुझे विश्वास है कि भाई जी भी हमें कथा के माध्यम से समय समय पर संदेश तो देंगे ही, इसके लिए जितने भी अभिनंदन दूं, कम है।

मैं महंत श्री राम बापू जी और बावलिया धाम के पावन अवसर पर मुझे सहभागी बनाने के लिए उनका आभार मानता हूं। मुझे तो क्षमा मांगनी चाहिए, क्योंकि इस पवित्र अवसर पर मैं आप लोगों के साथ नहीं पहुंच पाया। आप लोगों का मुझ पर बराबर अधिकार है। भविष्य में जब कभी उस ओर आऊँगा तब मत्था टेकने जरूर आऊँगा।

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मेरे प्रिय परिवारजन,

भरवाड समाज के साथ, बावलियाधाम के साथ मेरा संबंध आज कल का नहीं, काफी पुराना है। भरवाड समाज की सेवा और उनका प्रकृति प्रेम, गौ सेवा को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। हम सब की जुबान से एक बात अचूक निकलती है,

नगा लाखा नर भला,

पच्छम धरा के पीर।

खारे पानी मीठे बनाये,

सूकी सूखी नदियों में बहाये नीर।

यह केवल शब्द नहीं है। उस युग में सेवाभाव, कठिन काम (नेवा के पानी मोभे लगा लिए- गुजराती कहावत है) सेवा के काम में प्रकृतिकरण दिखता है, कदम-कदम पर सेवा की सुगंध फैलाई और आज सदियों बाद भी लोग उन्हें याद कर रहे है यह बात काफी बड़ी है। पूज्य इसु बापू के द्वारा हुई सेवाओं का मैं प्रत्यक्ष साक्षी बना हूं, उनकी सेवाओं को मैंने देखा है। हमारे गुजरात में सूखा पड़ना नई बात नहीं। एक समय था, दस में से सात साल सूखा पड़ता था। गुजरात में तो कहा जाता था कि पुत्री का धंधूका (सूखाग्रस्त इलाका) में ब्याह मत कराना। (गुजराती– बंदूके देजो पण धंधूके न देता का अर्थ है कि पुत्री का ब्याह धंधूका 9 (सूखाग्रस्त इलाका) में मत करवाना, जरूर हो तो गोली से उडा देना (बंदूके देजो) पर धंधूका (सूखाग्रस्त इलाका) में ब्याह मत करवाना ... (इसका कारण था कि तब धंधूका में सूखा पड़ता था) धंधूका, राणपुर भी पानी के लिए तड़पने वाला स्थान था। और उस समय, पूज्य इसु बापू ने जो सेवा की है, पीड़ितों की जो सेवा की है वह प्रत्यक्ष नजर आती है। केवल मैं नहीं, पूरे गुजरात में लोग उनके कार्यों को देवकार्य के रूप में मानते हैं। उनकी तारीफ करते लोग रुकते नहीं। स्थानांतरित जाति के भाई-बहनों की सेवा, उनके बच्चों की शिक्षा का कार्य हो, पर्यावरण के लिए समर्पण, गीर-गायों की सेवा चाहे कोई भी कार्य ले लीजिए, उनके हर कार्यों में हमें उनकी इस सेवाभावी परंपरा के दर्शन होते है।

मेरे प्रिय स्वजन,

भरवाड समाज के लोग हंमेशा कभी भी परिश्रम और त्याग के विषय में पीछे नहीं हटे, हमेशा आगे रहे हैं। आप लोगों को पता है कि जब मैं आपके बीच आया हूँ मैंने कड़वी बात कही है। मैंने भरवाड समाज से कहा है कि अब लठ्ठ का ज़माना नहीं है, लठ्ठ लेकर काफी घूम लिये आप लोग, अब कलम का ज़माना है। और मुझे गर्व के साथ कहना होगा कि गुजरात में जितना भी समय मुझे सेवा का अवसर मिला है, भरवाड समाज की नई पीढ़ी ने मेरी बात को स्वीकार किया है। बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ने लगे हैं। पहले कहता था कि, लठ्ठ छोड़कर कलम पकड़ो। अब मैं कहता हूं कि मेरी बच्चियों के हाथ में भी कम्प्यूटर होना चाहिए। बदलते समय में हम काफी कुछ कर सकते हैं। यही हमारी प्रेरणा बनती है। हमारा समाज प्रकृति संस्कृति का रक्षक है। आपने तो सच में अतिथि देवो भवः को जीवंत बनाया है। हमारे यहां चरवाह, बलुवा समाज की परंपरा के बारे लोगों को कम पता है। भरवाड समाज के बड़े-बुजुर्ग वृद्धाश्रम में नहीं मिलेंगे। संयुक्त परिवार, बड़ों की सेवा का भाव जैसे कि परमात्मा की सेवा का भाव है उनमें। बड़ों को वृद्धाश्रम में नहीं भेजते, वे लोग उनकी सेवा करते हैं। यह संस्कार जो नई पीढ़ी को दिए हैं, यह बहुत बड़ी बात है। भरवाड समाज के सामाजिक जीवन के नैतिक मूल्य, उनमें पारिवारिक मूल्यों को हमेशा मजबूत बनाने के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी प्रयास हुआ है। मुझे संतोष है कि हमारा समाज हमारी परंपराओं को संभाल भी रहा है और आधुनिकता की ओर तेज गति से आगे भी बढ़ रहा है। स्थानांतरित जाति के परिवार के बच्चे पढ़े, उनके लिए छात्रावास की सुविधा बने, यह भी एक प्रकार की बडी सेवा है। समाज को आधुनिकता के साथ जोड़ने का काम, देश को दुनिया के साथ जोड़ने वाले नये अवसर बने, यह भी सेवा का बड़ा कार्य है। अब मेरी इच्छा है कि हमारी लड़कियां खेल-कूद में भी आगे आये उसके लिए हमें काम करना होगा। मैं गुजरात में था तब खेल महाकुंभ में देखता था कि छोटी बच्चियां स्कूल जाती और खेल-कूद में नंबर लाती थीं। अब उनमें शक्ति है परमात्मा ने उन्हें विशेष दिया है तो अब उनकी भी चिंता करने की जरूरत है। पशुपालन की चिंता करते है, हमारे पशु को कुछ होता है तब उसके स्वस्थता के लिए लग जाते है। बस अब हमारे बच्चों के लिए भी ऐसे ही भाव और चिंता करनी है। बावलियाधाम तो पशुपालन में सही है पर, विशेष रूप से यहाँ गीर गायों की नस्ल की देखरेख की गई है उसका गर्व पूरे देश को होता है। आज विश्व में गीर गायों की वाहवाही होती है।

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मेरे प्रिय परिवारजन,

भाइयों-बहनों हम भिन्न नहीं, हम सब साथी हैं, मुझे हमेशा लगा है कि परिवार के सदस्य हैं। मैं आपके बीच हमेशा परिवार के सदस्य की तरह ही रहा हूँ। आज बावलियाधाम में जितने भी परिवारजन आये हैं, लाखों लोग बैठे हैं, मुझे अधिकार है कि आपसे कुछ मांगु। मैं मांगना चाहता हूँ आपसे, और आग्रह करने वाला हूं, और मुझे विश्वास है कि आप मुझे कभी निराश नहीं करेंगे। हमें अब ऐसे नहीं रहना है, एक छलांग लगानी है और पच्चीस वर्ष में भारत को विकसित बनाना ही है। आपकी मदद के बिना मेरा कार्य अधूरा रहेगा। समग्र समाज को इस कार्य में जुड़ना है। आपको याद होगा कि मैंने लाल किले से कहा था, सबका प्रयास.. सबका प्रयास ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। भारत को विकसित भारत बनाने का प्रथम पड़ाव हमारे गांव को विकसित करना है। आज प्रकृति और पशुधन की सेवा हमारा सहज धर्म है। तब एक ओर काम हम क्या नहीं कर सकेंगे... भारत सरकार की एक योजना चलती है, और वह संपूर्ण नि:शुल्क है – फुट एन्ड माउथ डिसिज जिसे हमारे यहां खूरपका, मुंहपका कहकर की बीमारी के रूप में जानते हैं। उसमें लगातार वैक्सीन लेनी पड़ती है, तभी हमारे पशु इस बीमारी से बाहर आ सकते है। यह करुणा का काम है। अब सरकार मुफ्त वैक्सीन देती है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमें हमारे समाज के पशुधन को यह वैक्सीन अवश्य करायें, नियमित कराएँ। तभी हमें भगवान श्री कृष्ण के निरंतर आशीर्वाद मिलेंगे, हमारे ठाकर हमारी मदद में आयेंगे। अब हमारी सरकार ने एक और महत्वपूर्ण कार्य किया है। पहले किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड था, अब हमने पशुपालकों के लिए भी क्रेडिट कार्ड देने का निश्चय किया है। इस कार्ड से ये पशुपालक बैंक में से कम ब्याज पर पैसे ले सकते हैं और अपना व्यापार बढ़ा सकते हैं। गायों की देशी नस्लों को बढ़ाने के लिए, उनके विस्तार के लिए, संरक्षण के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन भी चल रहा है। मेरी आपसे विनती है कि मैं दिल्ली में बैठकर यह सब करता रहूँ और आप सब उसका लाभ भी न उठाये यह कैसे चलेगा। आप लोगों को उसका लाभ उठाना पड़ेगा। मुझे आपके साथ लाखों पशुओं के आशीर्वाद मिलेंगे। जीव मात्र के आशीर्वाद मिलेंगे। इसलिए आपसे निवेदन है कि इस योजना का लाभ उठाएँ। दूसरी महत्वपूर्ण बात जो पहले भी कही है और आज फिर दोहराता हूँ वृक्षारोपण का महत्व हम सब जानते हैं, इस साल मैंने अभियान चलाया जिसकी वाहवाही दुनिया के लोग कर रहे हैं। एक पेड मां के नाम, हमारी मां जीवित है तो उसकी उपस्थिति में और यदि मां जीवित नहीं है तो उनकी फोटो को सामने रखकर एक पेड़ उगाएँ। हम तो भरवाड समाज के ऐसे लोग हैं, जिनकी तीसरी-चौथी पीढ़ी के बुजूर्ग नब्बे-सौ साल तक जीवित रहते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं। हमें मां के नाम से पेड़ लगाना है, और इस बात का गर्व करना है कि यह मेरी माता के नाम से है, मेरी माता की याद में है। आप जानते हो, हमने धरती मां को भी दुःखी किया है, पानी निकालते रहे, केमिकल डालते रहे, उसे प्यासी बना दिया। उस पर जहर डाल दिया। धरती मां को स्वस्थ बनाने की जिम्मेदारी हमारी है। हमारे पशुपालकों के पशु का गोबर भी हमारी धरती मां के लिए धन समान है, धरती मां को नई शक्ति देगा। उसके लिए प्राकृतिक खेती महत्वपूर्ण है। जिसके पास जमीन है, अवसर है, प्राकृतिक खेती करें। गुजरात के गर्वनर साहब आचार्य जी प्राकृतिक खेती के लिए कितना कुछ कर रहे हैं। आप सबसे मेरा निवेदन है कि हमारे पास जितनी भी छोटी-बड़ी जमीन है, हम सब प्राकृतिक खेती की ओर मुड़े और धरती मां की सेवा करें।

प्रिय भाइयों-बहनों,

मैं एक बार फिर से भरवाड समाज को ढ़ेर सारी शुभेच्छाएं देता हूं औऱ फिर से एक बार प्रार्थना करता हूँ कि नगा लाखा ठाकर की कृपा हम सब पर बनी रहें और बावलियाधाम से जुड़े सारे व्यक्ति का भला हो, उन्नति हो ऐसी मेरी ठाकर के चरणों में प्रार्थना है। हमारी बच्चियाँ, बच्चे पढ़ लिखकर आगे आयें, समाज शक्तिशाली बने, इससे अधिक और क्या चाहिए। इस सुनहरे अवसर पर भाई जी की बातों को नमन करते हुए उन्हें आगे ले जाते हुए निश्चित करें कि समाज को आधुनिकता की ओर शक्तिशाली बनाकर आगे ले जाना है। मुझे खूब आनंद मिला। स्वयं आया होता तो अधिक आनंद मिलता।

जय ठाकर।