मंच पर विराजमान राज्यपाल, श्रीमान राम नाइक जी, केंद्र सरकार में मेरे साथी मंत्री श्रीमान गंगवार जी, उपस्थित सभी वरिष्ठ महानुभाव भाईयों और बहनों...

ये सिक्योरिटी वालों ने जो पर्दें बंद कर दिये बगल में थोड़ा-थोड़ा खोल दो। थोड़ा-थोड़ा खोल कर रखो ताकि हवा आए अंदर, मुझे भी कुछ दिखाई दे। यहां तो कुछ दिखता ही नहीं मुझे। ये पीछे भी जो सिक्योरिटी वाले है जरा खोल दिजिए पर्दें क्या जाता है आपका। अंदर बैठे हुए लोगों को थोड़ी हवा भी मिल जाए। उनको जरा टेंशन रहता है न सिक्योरिटी का।

मैं उत्तर प्रदेश के मंत्री महोदय श्रीमान अहमद हसन जी विशेष रूप से आज उपस्थित रहे। मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। मैं आज यहां अपनों के बीच आया हूं। अब सरकारी व्यवस्था ऐसी रहती है कि व्यवस्था के कारण लगता है कि हम कोई मंच पर बैठने वाले व्यक्ति हैं और आप लोग उधर बैठने वाले व्यक्ति हो। लेकिन मेरे केस में वो नहीं है। मैंने बनारस को अपना एक ऐसा स्थान के रूप में पाया है कि जिस बनारस ने मुझे अपना बना लिया है और एक प्रकार से अपनों के बीच में आने का एक आनंद अलग होता है। कुछ समय पूर्व मैंने आना तय किया था लेकिन आंध्र में एक बहुत ही बड़ा cyclone आया उसके कारण मेरा वहां जाना जरूरी था उसके कारण मैं यहां नहीं आ पाया फिर कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव हुआ। लेकिन मैं आज दो दिन के लिए आपके बीच हूं। आपके प्रतिनिधि के रूप में हूं। आपके सुख-दुख के साथी के रूप में हूं। आपके सेवक के रूप में आया हूं।

हमारे देश में कृषि क्षेत्र के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला अगर कोई क्षेत्र है तो वो टैक्सटाइल है और कम पूंजी से ज्यादा लोग अपनी आजीविका चला सकते है। यह ऐसा क्षेत्र है कि जिसमें मजदूर और मालिक के बीच में खाई संभव ही नहीं है, दीवार संभव ही नहीं है, ऐसा क्षेत्र है। खेती में भी कभी अगर किसान मालिक है और मजदूर काम करता है तो एक खाई नजर आती है। यह एक क्षेत्र है कि जहां पर हैंडलुम हो, पावरलुम हो, उसका मालिक हो, उसके काम करने वाले और कोई बाहर के लोग हो, लेकिन पूरा माहौल एक परिवार के जैसे होता है। न कोई जाति बीच में होती है न कोई सम्प्रदाय होता है। एक अपनेपन का माहौल होता है और जैसे कपड़े के तानेबाने बुने जाते हैं वैसे ही ये बुनने वाले समाज के भी तानेबाने बुनते रहते हैं। यह गंगा-जमुना तहजीब की बात हो रही है ना। वो यही समाजिक ताना-बाना है। जो हमें हर हथकरघे से हर पावरलुम के साथ जुड़ा हुआ नजर आता है। और यह भारत की भी विरासत है। बनारस की विशेष विरासत है, लेकिन अगर समय रहते इन क्षेत्रों में अगर बदलाव नहीं आता है। इन क्षेत्रों में विकास नहीं होता है तो आप काल भय हो जाते हैं। ये क्षेत्र ऐसे है कि जिसमें एक तो customer को संतोष देना होता है। अब customer के पास आधुनिक युग में रोज नई variety आती है। वो पुरानी variety पर जाना नहीं चाहता। उसे नई variety चाहिए, नई product चाहिए। नया डिजाइन चाहिए, नया fabric चाहिए, नया finishing चाहिए, नया पैकेजिंग चाहिए, नया colour चाहिए। और जो यह बदलाव को समझ नहीं पाता है और अपना सालों पुराना काम करता रहता है। तो उसके, निश्चित जो परिवार रहते हैं वो तो उसके साथ खरीदी करते रहते है। लेकिन न उसका विस्तार होता है न उसका कोई बढ़ावा होता है और इसलिए अगर भारत में यह एक उद्योग ऐसा है जो सर्वाधिक लोगों को रोजगार देता है, गरीब लोगों को रोजगार देता है, हमारे जुलाहे परिवार को रोजगार देता है और समाज के सब वर्ग के लोग इसमें जुड़े हुए होते हैं। उसे भी दुनिया के साथ ताल मिलाने वाला बनाना पड़ता है। आधुनिक जो modernisation हो रहा है उसके सामने वो टिक सके यह व्यवस्था विकसित करना आवश्यक होती है। और इसलिए सिर्फ रुपये दें, पमपिंग करे इससे काम बनता नहीं है। एक comprehensive vision के साथ इस काम को आगे बढ़ाना पढ़ता है और आज उसका शुभारंभ बनारस की धरती से हो रहा है। सिर्फ रुपये पैसों से, कोई बैंक लोन दें दे। इसी से काम चल जाएगा ऐसा नहीं है और इसलिए यह आवश्यक है कि उसके हर छोटे विषय को कैसे Develop किया जाए। आज समय कह सकता है कुछ लोग प्रयोग भी कर रहे है कि computer डिजाइनिंग के द्वारा weaving का काम आसानी से किया जा सकता है। स्पीड भी बढ़ाई जा सकती है और wastage कम से कम हो यह संभावना बनी है। हम उस दिशा में कैसे आगे बढ़े। Technology up gradation कैसे करे। उसी प्रकार से human resource development यह जरूरी नहीं है कि हथकरघा और पावरलुम चलाने वाले हमारे कारीगरों को NIFT में यह NID में जाकर के पढ़ेंगे और बड़ी डिग्री लेकर आएंगे तब काम करेंगे। यह जरूरी नहीं है। यह ज्ञान उनको आसानी से उनके यहां भी दिया जा सकता है, उनके स्थान पर दिया जा सकता है और सरकार की कोशिश यह है कि डिजाइनिंग के क्षेत्र में हमारे इस क्षेत्र में जुड़े हुए निचले तबके के लोग भी अगर उनके साथ जुड़ जाते हैं उनको इसका लाभ मिलता है, तो प्रोडक्शन में, स्पीड में, क्वालिटी में, डिजाइन में एकदम से improvement लाने के संभावना रहती है। और इसलिए सरकार ने जो पूरी योजना को लागू करने का प्रयास किया है, उसमें एक तो Technology up gradation हो। हम दुनिया का मुकाबला कर सके भले ही वो Handloom हो या Power loom हो। हम दुनिया का मुकाबला कर सके इस प्रकार से Technology up gradation की दिशा में रिसर्च हो। उस Technology के अनुकुल यंत्रों का Manufacturing हो, वो उनको प्राप्त हो। उस दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता है। और सरकार ने उस दिशा में काम उठाया है। दूसरा जैसे मैंने कहा कि Human Resource Development आधुनिक से आधुनिक डिजाइन क्योंकि जो इस क्षेत्र में काम कर रहा है, उसको स्वभावगत मालूम है। यह बदलाव करूंगा तो अच्छा लगेगा, लेकिन अगर उसको scientific ढंग से जब train किया जाए, काम करते-करते train किया जाए। जरूरी नहीं कि बहुत बड़े-बड़े कॉलेज में जाना पड़े। वो अपने यहां रहकर भी इन चीजों को सीख सखता है। उस काम को हम आगे बढ़ाना चाहते है।

तीसरी बात है हमारी नई पीढ़ी। हमारी नई पीढ़ी इस क्षेत्र में मजबूरी के कारण नहीं, गौरव के साथ कैसे जुड़े इस विषय में हमने गंभीरता से सोचना चाहिए। अब यह तो संभव नहीं कि कोई पेट भूखा रखकर के नई-नई योजनाओं से जुड़ता रहेगा। उनकी income के संबंध में assured व्यवस्था होनी चाहिए, गारंटी होनी चाहिए। लेकिन हम यह समझे आज पूरे हिंदुस्तान भर में कोई महिला ऐसी नहीं होगी, कोई महिला। गरीब से गरीब क्यों न हो, अनपढ़ से अनपढ़ क्यों न हो। जिसके कान में ‘बनारसी साड़ी’ ये शब्द न पड़ा हो। अब आज जो यहां लोग हैं उनको पूछा जाए कि यह बात पहुंचाने में भई तुम्हारा क्या Contribution है। तो आज जो लोग यहां बैठे हैं, उनका कोई विशेष Contribution नहीं है। लेकिन हमारे पूर्वजों ने इस काम को जिस साधना के साथ किया, जिस पवित्रता के साथ किया और ऊंचाई देखिए हमारे पूर्वजों ने एक ऐसी नींव रखी है कि हर मां अपनी बेटी की शादी जो जीवन का सबसे अमूल्य अवसर होता है, उसके मन का एक सपना रहता है कि बेटी को शादी में बनारसी साड़ी पहनाए। यह कितनी बड़ी विरासत हमारे पास है। न हमें कोई Marketing करने की जरूरत है क्योंकि लोगों को मालूम है। आप कल्पना कर सकते है कि भारत की सवा सौ करोड़ जनसंख्या है। आने वाले कुछ वर्षों में कम से कम 20 करोड़ से ज्यादा बेटियों की शादी होगी। मतलब 20 करोड़ साड़ी का मार्केट है। अब बनारस वाले सोचे कि सोचा है कभी इतना बड़ा मार्केट। आपने कभी सोचा है कि इतना बड़ा मार्केट आपके लिए wait कर रहा है, इंतजार कर रहा है। लेकिन हमने क्या किया, हम जितना कर सकते थे उतना किया। जितना जिसके पास पहुंचा उतना पहुंचा फिर बाकी लोगों ने क्या किया आर्टिफिशल माल जहां से मिलता था वो ले लिया। हम इस Production quantum को इतना बढ़ाए, ताकि भारत के हर परिवार की need है, हर परिवार एक पीढ़ी में जितनी बेटियां है उतनी ज्यादा साडि़यां खरीदने की इच्छा रखता ही रखता है। यानी आपका मार्केट assured मार्केट है और जिनका assured मार्केट हो उनका काम यही होता है कि उस कस्टमर को कैसे बनाए रखे और बनाए रखने को तरीका होता है आपकी क्वालिटी, आपके डिजाइन, आपकी सर्विस, आपका ये परंपराएं। और उन कामों को करने के लिए आज जो Trade Facilitation जो बन रहा है जमीन की अगर लागत जोड़ दे तो यह शायद 500 करोड़ का प्रोजेक्ट हो जाएगा। लेकिन अगर जमीन की लागत में न गिनू तो भी आज बनारस को डेढ़ सौ करोड़ रुपये का एक बड़ा प्रोजेक्ट मिल रहा है। और यह सिर्फ डेढ़ सौ करोड़ का मसला नहीं है। जब ये पूरा सेंटर तैयार हो जाएगा। काशी में आने वाला कोई भी भारतीय या विदेशी टूरिस्ट ऐसा नहीं होगा, जो यहां की मुलाकात नहीं लेगा। यह एक ही जगह पर यहां की शिल्पकृतियां, यहां के टेक्सटाइल की चीजें, जो यहां की विरासत है, उस विरासत को एक जगह पर प्राप्त न कर सके ऐसा कोई भी टूरिस्ट नहीं होगा। वो पूजा-पाठ के लिए आया होगा तो भी आएगा, वो गंगा स्नान के लिए आया होगा तो भी आयेगा। वो पुरातन शहर को देखने के लिए दुनिया के किसी कोने से आया है तो भी जाएगा, यानी आपको घर बैठे गंगा जैसे माहौल होने वाला है। और इसलिए यह Facilitation centre यह आपका काम है कि आप इसमें किस प्रकार से भागीदार बनते है। आप इसमें किस प्रकार से जुड़ते है। आप अपनी चीजों को किस प्रकार से वहां डिसप्ले करते हैं। आप मार्केट को आकर्षित करने के लिए कौन से आधुनिक तरीकों को अपनाते हैं।

आज विश्व में ई-बिजनेस बढ़ता चला जा रहा है। ग्लोबल मार्केट के लिए संभावनाएं, टेक्नोलोजी के कारण बनी है। विदेशों में भी बनारसी शब्द नया नहीं है। मैं एक बार सालों पहले बोस्टन गया था। बोस्टन एक प्रकार से विद्वानों की नगरी मानी जाती है, तो बोस्टन में मुझे दो चीजों का बड़ा आश्चर्य हुआ था। मुझे एक गली में ले गए दिखाने के लिए। बहुत चौड़ी नहीं थी पतली गली थी, अमरीका में जिस प्रकार का रहता है ऐसा नहीं, थोड़ी पतली गली थी। मुझे वहां ले गए और वहां के लोगों ने मुझे बताया कि यह जो पूरा मार्ग है इसे हमारे यहां बनारस स्ट्रीट के रूप में जाना जाता है। तो मैंने कहा कि क्या कारण है यह जरा थोड़ी साकड़ी, संकडी है इसलिए है क्या, narrow है इसलिए है क्या उन्होंने कहा कि नहीं हमारे यहां यूनिवर्सिटी के जो top most टीचर हैं वे सब इस इलाके में रहते हैं और इसलिए यह विद्वानों की जगह है और हम लोग भी उनको यहां गुरू शब्द से बुलाते हैं। तो एक तो उस गली में गुरू शब्द और दूसरा उस गली का नाम बनारस स्ट्रीट। ये मेरे लिए एक ऐसा आनंद और गौरव के पल थे। मैं 15-20 साल पहले की बात बता रहा हूं। आप कल्पना कर सकते हैं कि बनारस शब्द ये शब्द दुनिया के लिए अपरिचित नहीं है। हमारे पूर्वजों के प्रयास से हो चुका है। e-commerce के द्वारा, ये जो विरासत है। इस विरासत का हम एक Strategically use करें, हम Global market को छूने का प्रयास करें और Global requirement के अनुसार हम अपने आप को modify करें। मुझे विश्वास है कि हम इस पूरे उद्योग को और तेज गति से आगे बढ़ा सकते हैं और नई ऊचाइयों पर ले जा सकते हैं।

भारत सरकार ने एक और भी निर्णय किया है कि यह बात सही है कि इस क्षेत्र में काम करने वालों को सरकार की मदद मिलना जरूरी है, आर्थिक सहायता आवश्यक है और इसलिए हमने तय किया है कि जो प्रधानमंत्री जन-धन योजना बनी है, बैंक में खाते खोले हैं अब ये जो लाभार्थी होंगे। इनको उनके खाते में Direct पैसे जमा कराना तय किया है इसलिए न कहीं रुकावट आएगी, न कहीं लीकेज आएगा, न परेशानी होगी और न ही इस मदद को लेने के लिए आपको चक्कर काटना पड़ेगा। ये कैसे Smooth हो व्यवस्थाएं। सामान्य मानवीय और गरीब से गरीब व्यक्ति, उनको इसका लाभ कैसे मिले, उस पर हमारा ध्यान केंद्रित है।

बनारस! किसी एक शहर के पास इतनी सारी विरासत हो। ऐसा शायद दुनिया में कहीं नहीं होगा। कला हो, नृत्य हो, नाट्य हो, संगीत हो, शिल्प हो, मंदिर हो, पवित्रता हो, Spirituality हो, भाईचारा हो। क्या कुछ नहीं है आपके पास। ये ऐसी विरासत है। इसी विरासत को लेकर के हम एक आधुनिक गतिविधि वाला, आधुनिक सोच वाला और पुरातन नींव का गौरव करने वाला अपने बनारस का विकास कैसे करे। मेरे मन में बहुत सारी योजनाएं हैं इस काम को करने के लिए। मैं आज बोलूंगा कम क्योंकि लोगों को लगता है कि मोदी जी आज आएंगे तो ये घोषणा करेंगे, वो घोषणा करेंगे। वो अपने आप ही ये सब कहते रहते हैं। मेरी जिम्मेवारी है कुछ करके दिखाना और जैसे-जैसे काम होता जाएगा, मैं आपको बताता जाऊंगा। करने से पहले बड़ी-बड़ी बातें नहीं करूंगा और मुझे विश्वास है कि आप लोगों के साथ विचार-विमर्श कर-करके जो भी सुझाव आ रहे हैं उन्हें पूरा करने का पूरा प्रयास है।

ये Centre थोड़ा काशी से बाहर बन रहा है। हमारी कोशिश ये थी कि शहर के पास ही ये बन जाए। उत्तर प्रदेश सरकार से उनकी अपनी एक जमीन थी वो उनसे हमने मांगी थी लेकिन वो हमें मिली नहीं इसलिए थोड़ा हमें दूर आना पड़ा लेकिन फिर भी ये विकास भी, बनारस के विकास में एक बड़ी अहम भूमिका निभाएगी।

पिछले हमने एक बहुत बड़ा निर्णय किया है। आपने सुना होगा मैं चुनाव के समय एक बात कहा करता था। सामान्य रूप से राजनेताओं का स्वभाव ये रहता है कि बातों को भुला देना और अगले चुनाव में नई बातें लेकर के आना, ये सामान्य रूप से स्वभाव रहता है लेकिन मैं उस प्रकार की राजनीति में से पैदा नहीं हुआ हूं। मैं तो आपके प्यार के कारण आया हूं और जो कुछ भी मैं बना हूं आपको प्यार के कारण बना हूं लेकिन मेरे मन में मन से लग रहा है हमेशा कि हमें, भारत को विकास करना है तो भारत का सिर्फ पश्चिमी छोर का विकास हो तो ये देश कभी विकास नहीं कर सकता है। भारत के पूर्वी छोर का विकास भी उतना ही आवश्यक है। एक हाथ मजबूत हो और दूसरा हाथ अपंग हो तो शरीर मजबूत नहीं माना जाता। हमारी भारत माता तब मजबूत होती है अगर उसका पश्चिमी छोर मजबूत है तो उसका पूर्वी छोर भी मजबूत होना चाहिए और उसमें चाहे हमारा पूर्वी उत्तर प्रदेश हो, चाहे हमारा झारखंड हो, बिहार हो, असम हो, North-East हो, उड़ीसा हो। ऐसे राज्य हैं कि जहां पर विकास की संभावनाओं को और तलाशना और प्रयास करना ताकि पूरा देश सामान्य रूप से आगे बढ़े और इसलिए मैंने अपना पूरा ध्यान हिंदुस्तान के इस पूर्वी हिस्से पर केंद्रित किया है।

पिछले हफ्ते हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। मैं नहीं जानता कि यहां के अखबारों में आया कि नहीं आया। उत्तर प्रदेश की उसमें भी खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की 16 जिलों की बैंकें बंद पड़ी हैं। आर्थिक संकट के कारण, कुछ घोटालों के कारण, कुछ राजनीतिक विकुरीतियों के कारण और उसके कारण नुकसान सबसे ज्यादा मध्यम वर्ग के, निम्न वर्ग के, छोटे किसान इनको हुआ है। इन बैंकों को जिंदा करना बहुत जरूरी था और इन बैंकों में ताकत नहीं थी कि वो अपने आप जिंदा हो जाएं। इनके लिए कोई मदद की आवश्यकता थी तो पिछले सप्ताह भारत सरकार ने करीब 2375 करोड़ रूपए का पैकेज देना तय किया है, घोषित किया है और उसके तहत इस इलाके में 16 बैंक देवरिया, बहराइच, सिद्धार्थनगर, सुल्तानपुर, जौनपुर, हरदोई, बस्ती, बलिया, आजमगढ़, गोरखपुर, फतेहपुर, सीतापुर, वाराणसी, इलाहाबाद, गाजीपुर and फैजाबाद, ये बैंकें जीवित हो जाएंगी और इसके कारण यहां का सामान्य व्यापारी, गरीब व्यक्ति इन बैंकों के साथ अपना व्यवहार शुरू कर सकता है। ये काम जितना तेजी से जल्दी हो और मेरा राज्य सरकार से आग्रह रहेगा कि अगर इन बैंकों को पैसे तो दिए हैं लेकिन बैंकें तब बच पाएंगी और सामान्य मानवी का भला तब होगा जब वहां पर राजनीति को थोड़ा बाहर रखा जाए। एक बार बैंक जिंदा करके सामान्य मानवी का भला करने की दिशा में काम हो और सभी दल के लोग उसमें होंगे। ऐसा नहीं है कि एक ही दल के लोग होंगे। बैंकों के कारोबार में सभी दल के लोग होते हैं। सब मिलकर के, राजनीति से ऊपर उठकर के इन बैंकों की तरफ ध्यान देंगे तो इस पूर्वी उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा जिले इस पूर्वी उत्तर प्रदेश के बैंक के हैं। ये अगर इसके कारण revive हो जाती है तो यहां की आर्थिक गतिविधि में बहुत लाभ होगा।

मैं आज और कल यहां हूं, कई लोगों से मिलने वाला हूं बहुत सी बातें करने वाला हूं और मैं आपको इतना विश्वास दिलाता हूं। आपने मुझ पर भरोसा किया है, आपने मुझे भरपूर प्यार दिया है, मैं आपका हूं, आपके लिए हूं और मुझे ईश्वर ने जितनी बुद्धि क्षमता, शक्ति दी है। पूरा उपयोग इस क्षेत्र के विकास के लिए यहां के गरीबों की भलाई के लिए मैं करता रहूंगा फिर एक बार मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

धन्यवाद।

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
Today, Maharashtra has witnessed the triumph of development, good governance, and genuine social justice: PM Modi to BJP Karyakartas
The people of Maharashtra have given the BJP many more seats than the Congress and its allies combined, says PM Modi at BJP HQ
Maharashtra has broken all records. It is the biggest win for any party or pre-poll alliance in the last 50 years, says PM Modi
‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।