QuoteBJP is building museums for tribal warriors across the country: PM Modi in Nandurbar
QuoteAs long as Modi is alive, no one can touch the reservations of SC, ST, OBC: PM Modi in Nandurbar
QuoteThe ‘Matru Shakti’ of this country is my shield: PM Modi in Nandurbar

जोहार! नंदुरबारमधील माझ्या सर्व भावांना आणि बहिणींना माझा नमस्कार। मैं देवमोगरा माता की धरती को नमन करता हूं। मैं महान आदिवासी सेनानी राघोजी भांगरे को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करता हूं। हम सबको प्रेरणा देने वाले जननायक कृष्णाजी राव साबले, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले,उनको भी आदरपूर्वक नमन करते हुए, मैं प्रणाम करता हूं।

साथियों,

आज अक्षय तृतीया, आखा तीज का शुभ पर्व है। मैं सभी देशवासियों और खास करके मेरे किसान भाई बहनों, को अक्षय तृतिया की बधाई देता हूं। आज भगवान परशुराम जयंती भी है। मैं सभी देशवासियों को इस शुभ दिन की भी शुभकामनाएं देता हूं। और अक्षय तृतीया हो, और इतने सारे लोग आशीर्वाद देने के लिए आए हो, अक्षय तृतीया के दिन जो आशीर्वाद मिलता है न वो भी अक्षय होता है। आज इतनी विशाल संख्या में आपका ये आशीर्वाद,ये पक्का कर रहा है- उना एकदा, उना एकदा। उना एकदा... मै देख रहा हूँ, अभी भी हूजूम का हूजूम अंदर आ रहा है। साथियों, यहाँ नंदुरबार और गुजरात के बीच कोई दूरी ही नहीं है। पहले भी मेरा यहां खूब आना-जाना होता था। और नंदुरबार आए औऱ चौधरी की चाय न पीए, चौधरी की कड़क चाय यानि नंदुरबार की यादों से जुड़ जाती है। और चाय का रिश्ता, और आपके प्यार का कर्ज, मोदी कभी भी भूल नहीं सकता!

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साथियों,

वंचितों, आदिवासियों की सेवा, मेरे लिए परिवार के सदस्य की सेवा जैसी ही है। मैं काँग्रेस के शाही परिवार की तरह बड़े घराने से नहीं निकला हूँ। मैं तो गरीबी में ही बड़ा हुआ हूँ। मुझे पता है, यहाँ आपने कितनी तकलीफ उठाई है! हमारे आदिवासी भाई-बहन यहां काफी ऊंचाई पर भी रहते हैं। पानी के लिए कैसे आपको उतरकर नीचे आना पड़ता था! तब पानी मिलता था! ये माताओं-बहनों सबको मालूम है। आपके जीवन में भी मुश्किलों का पहाड़ था। कितने ही आदिवासी परिवारों के पास पक्का घर नहीं था। आजादी के 60 साल बाद भी गाँवों में बिजली नहीं पहुंची थी। और इसीलिए, मोदी ने संकल्प लिया था, हर गरीब को घर, हर आदिवासी को घर, हर आदिवासी के घर में पानी, हर परिवार को पानी की सुविधा, दूर-सूदूर जंगलो में भी गांव क्यों न हो हर गाँव में बिजली।

साथियों,

हमने नंदूरबार के करीब सवा लाख, देखिए आजादी के सत्तर साल के बाद मैं ये कह रहा हूँ, करीब सवा लाख गरीबों को हमने पीएम-आवास पक्का घर दिया, सिर्फ नंदुरबार में। और मेरा एक काम है, करोगे आपलोग? मेरा एक काम करोगे? ये मेरा दिली काम है, करोगे? माताऐं-बहनें करेंगी? ये जो पीछे लोग खड़े हैं, वो करेंगे? हाथ ऊपर कर के बताओ करेंगे? तो मै बताऊँ, करेंगे। अच्छा, मेरा एक काम करना इन दिनों आप चुनाव के लिए. जब भी गांव में जाऐं, मोहल्ले में जाऐं, और अगर आपके ध्यान में आए कि ये दो परिवार है जिन्हें गैस का कन्केशन नहीं मिला है, ये दो परिवार रह गए हैं इनको नल से जल नहीं मिला है, अभी चार परिवार रह गए हैं, अभी कच्ची झोपड़ी में रहते हैं उनको पक्का घर नहीं मिला है, आप उनका नाम पता लिख लिजिए, और मुझे भेज दीजिए और मेरी तरफ से उनको गारंटी दे देना कि मोदी आए थे, मोदी ने कहा है कि तीसरे टर्म में मैं तीन करोड़ और घर बनाने वाला हूँ, आपको पक्का घर मिलेगा। ये बता देंगे। देखिए, आप ही मेरे मोदी हैं। तो करेंगे? देखिए, हमने घर दिया मतलब, चार दिवारें दी ऐसा नहीं है, हमने घर के साथ बिजली, पानी, गैस कनेक्शन भी दिया। NDA सरकार ने महाराष्ट्र के 20 हजार से अधिक गांवों में हर घर जल पहुंचाया है। मैं शिंदे जी औऱ देवेन्द्र जी को बधाई देता हूँ कि आपने मेरे हाथ मजबूत कर दिए हैं। इसमें नंदूरबार के 111 गांव, जो कठिन एरिया था, वो भी शामिल है। औऱ अभी तो ये ट्रेलर है, अभी तो मोदी को बहुत कुछ करना है औऱ आपके लिए करना है।

साथियों,

एक तरफ भाजपा के ये प्रयास हैं और दूसरी तरफ ये काँग्रेस है। कांग्रेस ने आदिवासी भाई-बहनों की कभी परवाह नहीं की। आदिवासी इलाकों में सिकल सेल एनीमिया एक बड़ा खतरा रहा है। लेकिन कांग्रेस ने इस बीमारी की तरफ उतना ध्यान ही नहीं दिया। ये बीजेपी है जिसने सिकल सेल एनीमिया को जड़ से खत्म करने के लिए अभियान चलाया है। और मेरी माताएं, बहनें, नौजवान, ये जो मैं सिकल सेल एनिमिया के लिए काम कर रहा हूँ न, वो चुनाव के लिए नहीं कर रहा हूँ। आने वाली आपकी अनेकों पीढियों के लिए मैं लगा हुआ हूँ, ताकि उनको ऐसी बीमारी न आए। कोई गरीब कुपोषण का शिकार न हो, हमने इसकी भी चिंता की। आज नंदूरबार के 12 लाख से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है। साथियों, काँग्रेस जानती है कि वो विकास में मोदी का मुक़ाबला कर ही नहीं सकते। इसलिए, इस चुनाव में वो झूठ की फैक्ट्री खोल कर बैठ गए हैं। झूठ फैलाकर वोट लेना चाहते हैं। कभी आरक्षण को लेकर झूठ. कभी संविधान को लेकर झूठ, और इन्होंने पूरा इकोसिस्टम ऐसी अफवाह फैलाने के लिए चौबीसों घंटे लगा रखा है।

साथियों,

आरक्षण पर काँग्रेस का हाल ‘चोर मचाए शोर’, ये ‘चोर मचाए शोर’ वाला है। धर्म के आधार पर आरक्षण बाबासाहेब के सिद्धांतों के खिलाफ है, बाबासाहेब की भावना के खिलाफ है, संविधान निर्माताओं ने जो संविधान बनाया, उसकी पीठ में छूरा भोंकने वाला, ये माफ न कर सकें, ऐसा पाप है। लेकिन काँग्रेस पार्टी का एजेंडा है- दलित, पिछड़े, आदिवासी का आरक्षण छीनकर के, मॉइनॉरिटी के नाम पर अपने वोटबैंक को दे देना। और मैं ऐसे हवा में नहीं कर रहा हूँ, मेरे पास मजबूत उदाहरण है। औऱ इसलिए मेरे भाई-बहन, आप घर घर हर आदिवासी परिवार को समझाइए और मेरे आदिवासी समाज के पढ़े लिखे लोग हैं उनको भी मैं करबद्ध प्रार्थना करता हूँ, आप समाज को जगाइए, ये कितना बड़ा संकट कांग्रेस वाले ले कर आए हैं। अब उन्होंने क्या किया, कर्नाटक में धर्म के आधार पर आरक्षण देने के दिशा में बहुत बड़ा कदम उठाया। और उन्होंने कहा रातोंराता कर्नाटक में जितने भी मुसलमान लोग हैं, उन सब को रातोंरात ओबीसी बना दिया, एक आर्डर निकाल दिया, मुख्यमंत्री ने ठप्पा मार दिया। अब हुआ क्या OBC को जो आरक्षण मिलता है, उसका सबसे बड़ा हिस्सा, ये रातोंरात OBC बन गए, इन्होंने लूट लिया। अब बताइए कि वो आदिवासियों के लिए करना चाहते हैं, वो दलितों के लिए करना चाहते हैं औऱ ये कर्नाटक का मॉडल पूरे देश में लागू करना चाहती है। SC, ST, OBC का आरक्षण खत्म करने के लिए, मैं गंभीरता से कह रहा हूँ, ये महा अघाढ़ी, आरक्षण का महाभक्षण का, महाअभियान चला रही है। वहीं SC, ST, OBC का आरक्षण बचाने के लिए मोदी, आरक्षण का महारक्षण का महायज्ञ कर रहा है। मैं पिछले 17 दिनों से लगातार काँग्रेस पार्टी को चुनौती दे रहा हूँ! मैंने काँग्रेस से पूछा है कि वो लिखकर दे, वो SC, ST, OBC का आरक्षण, उसके टुकड़े करके उसका एक टुकड़ा मुसलमान को नहीं बांटेगी। मेरा सवाल सही है कि गलत है भाई? सही है कि गलत है? अब वो मुसलमानों को देना चाहते हैं। और कांग्रेस जवाब भी नहीं देती है। सच बोलो न भाई! हम नही देंगे। इसका मतलब, इनका हिडन एजेंडा है। आपका हक लूटने का खेल है भाई। मेरे इस चैलेंज पर कांग्रेस की चुप्पी यानि दाल में काला है। ये चाहें जितनी भी कोशिश कर लें, देशविरोधी ताकतों के साथ मिलकर कितना ही झूठ फैला लें, आपके पास मोदी का भरोसा है, आपके पास मोदी की गारंटी है! और आप लिख कर रखिए, मोदी जब तक जिंदा है, मोदी जब तक जिंदा है, SC, ST, OBC में से आरक्षण का रत्ती भर भी हिस्सा मैं किसी भी धर्म के आधार पर नहीं देने दूंगा। कोई उसको हाथ नहीं लगा सकता है। औऱ देशवासी, मैं बड़े ही जिम्मेवारी के साथ कहना चाहता हूँ, औऱ दायित्व के साथ कहना चाहता हूँ वंचित का जो अधिकार है! चाहे SC हो ST हो OBC हो, वंचित का जो अधिकार है, मोदी उसका चौकीदार है। मोदी की चौकीदारी में, जब मोदी जैसा चौकीदार हो तो किसने अपनी मां का दूध पिया है जो आपका हक छीन सकता है।

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साथियों,

हम तो माता शबरी की पूजा करने वाले लोग हैं, लेकिन काँग्रेस ने कभी आदिवासी समाज को सम्मान नहीं दिया और न मिलने दिया। आदिवासी क्रांतिकारियों ने आज़ादी की लड़ाई में इतने बलिदान दिये। लेकिन, काँग्रेस ये बलिदान की बात मानने को तैयार नहीं है। आज़ादी की लड़ाई का पूरा श्रेय कांग्रेस केवल एक परिवार को ही देती रही है। ये भाजपा है जो देशभर में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों पर म्यूज़ियम बनवा रही है। ताकि आने वाली पीढियों को पता चले कि हमारे पूर्वज आदिवासियों ने देश के लिए कितने बड़े बलिदान दिए थे।

साथियों,

आप सभी जानते हैं, भाजपा ने, एनडीए ने आदिवासी बेटी को राष्ट्रपति बनाया, औऱ पहली बार ऐसा हुआ लेकिन, आपको याद रहना चाहिए कि वो कौन लोग थे जिन्होंने आदिवासी बेटी द्रौपदी मुर्मु जी को चुनाव, राष्ट्रपति का चुनाव हराने के लिए, रात-दिन एक कर लिए थे, वो कौन थे ? ये कांग्रेस वाले थे जिन्होंने एक आदिवासी बेटी को राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए रात-दिन एक किया था। और काँग्रेस पार्टी ने ऐसा क्यों किया औऱ इसकी एक वजह, अभी दो तीन दिन पहले ही खुली है। कांग्रेस के जो शाहजादे हैं ना उनके गुरू अमेरिका में रहते हैं, ये कांग्रेस के शाहजादे के ये गुरू अमेरिका में रहते हैं। उन्होंने भारत के लोगों पर रंगभेदी टिप्पणी की है। रंग के आधार पर भेद, ऐसा गंभीर आरोप लगाया है। अरे! जिनका रंग, भगवान कृष्ण जैसा होता है, कांग्रेस उन्हें अफ्रीकन मानती है। और इसलिए द्रौपदी मूर्मु जी राष्ट्रपति बनें, उन्हें ये मंजूर ही नहीं था। आप लोग बताइए, यहां जो भगवान कृष्ण के रंग वाले हैं क्या वो सब अफ्रीकन हैं क्या? क्या ये अपमान है या नहीं है? क्या आदिवासी समाज का अपमान, इसका बदला लेने के लिए, ये रंग की बातें कर रहे हो।

साथियों,

काँग्रेस पार्टी का एजेंडा इतना खतरनाक है कि शहजादे के गुरू ने इसका भी खुलासा किया है। ये शहजादे के गुरू ने अमेरिका से कहा है कि राममंदिर का निर्माण और रामनवमी का उत्सव, ये Idea of India के खिलाफ है, भारत के विचार के खिलाफ है। उन्होंने यहां तक कह दिया मोदी मंदिर जाता है, वो भी उनके पेट में चूहे दौड़ने लग जाते हैं। कांग्रेस, मेरा मंदिर जाना भी भारत विरोधी बता रही है। बताइए भाई? मंदिर जाना ये देश द्रोह है क्या? जरा आप बताइए? ये देश द्रोह है क्या? क्या ये भारत विरोधी काम है क्या? आप कल्पना कर सकते हैं? आप काँग्रेस की मानसिकता देखिए, ये राम के देश में राममंदिर को देशविरोधी बता रहे हैं। ये तुष्टिकरण के लिए सरकारी इफ्तारी करने वाले लोग, ये आतंकवादियों की कब्रों को संवारने वाले लोग, ये हम सबके प्रभु राम औऱ जिनका राममंदिर, जहां हम जाते हैं उस राममंदिर जाने को देशविरोधी बता रहे हैं। मेरे भाई बहन, हम तो माता सबरी के पुजारी हैं। ये इंडी गठबंधन हमला, ये मोदी पर नहीं, ये 140 करोड़ देशवासियों की आस्था है। ये हमला आप पर है, ये मेरे देश के आदिवासियों पर हमला है। कांग्रेस पार्टी देश से हिन्दू आस्था को मिटाने का षड्यंत्र कर रही है।

साथियों,

प्रभु श्रीराम जीवन के उच्चतम आदर्शों, महानतम गुणों औऱ सुन्दरत्तम मूल्यों के महासंगम हैं। भारत के अस्तीत्व का आधार राम से है। औऱ भारत के भविष्य का प्रेरणापुंज भी प्रभु श्रीराम हैं। यहीं महाराष्ट्र की धरती पर ये संत आवाज उठी थी-“विश्वाचा विश्राम रे स्वामी माझा राम रे”। अर्थात्, मेरे राम तो पूरे विश्व के विश्राम हैं, आश्रय हैं। ऐसे प्रभु राम को कांग्रेस पार्टी वाले Idea of India के खिलाफ मानती है। भगवान श्रीराम की सीख है-पर हित सरिस धर्म नहिं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।। अर्थात्, दूसरों की सेवा से, परोपकार से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। और किसी को पीड़ा देना ही सबसे बड़ा पाप है। ऐसे प्रभु राम को शहजादे, उनके गुरू और कांग्रेस पार्टी Idea of India के खिलाफ मानती है। हमारे राम कहते हैं-कोमलचित दीनन्ह पर दाया। मन बच क्रम मम भगति अमाया॥ अर्थात्, जो दीन दुखियों की पीड़ा को जानता है, महसूस करता है, वही मेरा भक्त है। ऐसे प्रभु राम को कांग्रेस Idea of India के खिलाफ मानती है। और ये भगवान राम की ही शिक्षा है-धरमु न दूसर सत्य समाना। आगम निगम पुरान बखाना॥ अर्थात्, सत्य से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। ऐसे प्रभु राम को कांग्रेस Idea of India के खिलाफ मानती है। ये राम ही हैं, जो सभी दीन-दुखियों को, वंचितों को गले लगाकर अपने पास बैठाते हैं। सहज सनेह बिबस रघुराई। पूँछी कुसल निकट बैठाई॥ ऐसे प्रभु राम को कांग्रेस Idea of India के खिलाफ मानती है। हमारे राम जनजातीय समाज से कैसे मिलते हैं? हमारे राम जनजातीय समाज को मिलते हैं-पुरजन करि जोहारु घर आए। अर्थात, राम आदिवासियों की संस्कृति का सम्मान करते हैं। उनसे जोहार करके मिलते हैं। ऐसे प्रभु राम को कांग्रेस Idea of India के खिलाफ मानती है। हमारे प्रभु श्रीराम ने हमें सिखाया है, और ये जो लोग देश छोड़ करके भाग गए हैं, वो जरा कान खोल करके सुन लें, हमारे प्रभु राम ने सिखाया है-अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात्, हमारी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। यानी, ‘राष्ट्र प्रथम’, Nation First, ऐसे प्रभु राम को कांग्रेस Idea of India के खिलाफ मानती है।

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साथियों,

ये लोग इतने अहंकार से भरे हुए हैं कि गरीब, इनके लिए कोई मायने नहीं रखता। ये लोग सत्ता में रहते हैं तो गरीब को दुत्कारते हैं, उसे तरसा-तरसा कर रखते हैं। आज एक गरीब का बेटा, आपका सेवक बन करके, प्रधानमंत्री पद से जब काम कर रहा है, ये गरीब विरोधी मानसिकता वाले, शाही परिवार की मानसिकता वाले इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। ये नकली शिवसेना वालों की गरीब से कितनी नफरत है, ये उन्होंने फिर बताया है। ये नकली शिवसेना वाले मुझे जिंदा गाड़ने की बात कर रहे हैं। एक तरफ कांग्रेस है जो कहती है- मोदी तेरी कब्र खुदेगी, और दूसरी तरफ ये नकली शिवसेना है, जो मुझे जिंदा गाड़ने की बात करती है। और मुझे गाली देते हुए भी ये लोग तुष्टिकरण का पूरा ध्यान रखते हैं। मोदी की कब्र खुदेगी, मोदी को जिंदा गाड़ देंगे, इसमें भी अपने वोटबैंक को पसंद आए...वही गाली दागोगे क्या? साथियों, मुझे कई बार ये सोचकर दुख होता है कि बाला साहेब ठाकरे को कितना दुख होता होगा। मैंने बालासाहेब को निकट से देखा है, उनके मन को दिल को छू करके देखा है। अब तो ये नकली शिवसेना वाले, बम धमाके को दोषी को भी अपने साथ प्रचार में ले जाने लगे हैं। इसका मतलब हुआ कि बिहार में चारा चोरी में जेल भुगत रहे व्यक्ति को कंधे पर बैठाकर घूम रहे हैं, महाराष्ट्र में बम धमाकों के दोषी को कंधे पर बैठाकर घूम रहे हैं। ऐसे पापियों को ले करके जिनको चलना पड़ रहा है, इन लोगों के विषय में पचास बार सोचना पड़ता है। इसलिए कोई बड़ी बात नहीं कि मुझे जमीन में जिंदा गाड़ने के सपने देख रहे हैं। ये लोग जनता का साथ और जनता का विश्वास तो गंवा चुके हैं, इनकी अपनी सियासी ज़मीन खिसक चुकी है, लेकिन ये भूल रहे हैं कि भारत की 140 करोड़ जनता, मेरी माताऐं -बहनें जो इतनी बड़ी तादाद में आयी हैं न, ये मेरी माताऐं-बहनें यही मोदी की रक्षक है। ये मातृशक्ति मेरा सुरक्षा कवच है। मुझ पर मातृशक्ति का इतना आशीर्वाद है कि ये लोग चाहकर भी मोदी को जीते जी भी और मरने के बाद भी जमीन में नहीं गाड़ पाएंगे।

साथियों,

महाराष्ट्र के एक दिग्गज नेता, चालीस पचास साल से वे ऐसे ही फ्री मारते रहते हैं। बारामती के चुनाव के बाद, वे इतने चिंतित हैं, इतने चिंतित हैं कि उन्होंने बयान दिया है औऱ ये बयान उन्होंने, मैं पक्का मानता हूँ कि काफी लोगों से विचार विमर्श करके ही दिया होगा। वे इतने हताश औऱ निऱाश हो गए हैं कि उनको लगता है कि चार जून के बाद सार्वजनिक जीवन में, राजनीतिक जीवन में अगर टिक के रहना है तो छोटे-छोटे राजनीतिक दलों को कांग्रेस में Merge हो जाना चाहिए। इसका मतलब जो नकली एनसीपी है, औऱ ये नकली शिवसेना है उन्होंने कांग्रेस में Merger करने का मन बना लिया है। अब आप को मैं बताता हूँ जब चार जून के बाद कांग्रेस में जा करके मरने के बजाय, सीना तान करके हमारे अजीत दादा औऱ सिंदे जी के साथ आओ औऱ बड़े शान से सपने पूरे हो जाएगें।

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भाइयों-बहनों,

13 मई को काँग्रेस और इंडी अघाड़ी को आपका वोट ही जवाब देगा। नंदुरबार से हमारी बेटी हिना गावित जी आपकी सुख-दुख की साथी हैं। आप जानते हैं न कि हिना मेरी कितनी मदद करती है, पार्लियामेंट में आपने देखा होगा, ये छोटी बेटी है लेकिन पार्लियामेंट में विपक्ष वालों के छक्के छुड़ा देती है। आप उन्हें ज्यादा से ज्यादा वोट देकर बहुत बड़ी जीत दिलाइए। और मेरा इसलिए आग्रह है कि मतदान ज्यादा होना चाहिए भाई, करोगे? करोगे? पहले मतदान फिर जलपान। मंजूर है? अच्छा मेरा एक काम करोगे? मेरा एक काम करोगे? जरा हाथ ऊपर करके कहिए। माताऐं-बहनें बताइए मेरा काम करोगे?जरा हाथ ऊपर करके बताइए, मेरा एक काम करोगे? देखिए, घर-घर जाना और लोगों को कहना अपने मोदी जी आए थे, और मोदी जी ने आपको प्रणाम भेजा है। मेरा प्रणाम पहुंचा देंगे? हर परिवार में मेरा प्रणाम पहुंचा देंगे? बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

  • Jitendra Kumar May 05, 2025

    🇮🇳🇮🇳🙏❤️
  • Jitendra Kumar May 05, 2025

    ❤️🙏🙏
  • Dheeraj Thakur February 02, 2025

    जय श्री राम।
  • Dheeraj Thakur February 02, 2025

    जय श्री राम
  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम 🚩 वन्दे मातरम् जय भाजपा विजय भाजपा
  • Devendra Kunwar October 08, 2024

    BJP
  • दिग्विजय सिंह राना September 18, 2024

    हर हर महादेव
  • Vivek Kumar Gupta July 25, 2024

    नमो ........................🙏🙏🙏🙏🙏
  • Vivek Kumar Gupta July 25, 2024

    नमो .................................🙏🙏🙏🙏🙏
  • Vimlesh Mishra July 22, 2024

    jai mata di
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Urban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM Modi in Gandhinagar
May 27, 2025
QuoteTerrorist activities are no longer proxy war but well thought out strategy, so the response will also be in a similar way: PM
QuoteWe believe in ‘Vasudhaiva Kutumbakam’, we don’t want enemity with anyone, we want to progress so that we can also contribute to global well being: PM
QuoteIndia must be developed nation by 2047,no compromise, we will celebrate 100 years of independence in such a way that whole world will acclaim ‘Viksit Bharat’: PM
QuoteUrban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM
QuoteToday we have around two lakh Start-Ups ,most of them are in Tier2-Tier 3 cities and being led by our daughters: PM
QuoteOur country has immense potential to bring about a big change, Operation sindoor is now responsibility of 140 crore citizens: PM
QuoteWe should be proud of our brand “Made in India”: PM

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!