Confers Prime Minister’s Awards for Excellence in Public Administration to 16 awardees
Releases E-books ‘Viksit Bharat - Empowering Citizens & Reaching the last mile Volume I and II
“For a developed India, the government system should support the aspirations of common people”
“Earlier thinking was that the government will do everything, but now thinking is that the government will work for everyone”
“Motto of the government is ‘Nation First-Citizen First’, today’s government is prioritizing the deprived”
“Today’s aspirational citizens are not willing to wait for long to see changes in the systems”
“As the world is saying that India’s time has arrived, there is no time to be wasted by the bureaucracy of the country”
“Basis of all your decisions should always be the national interest”
“It is the duty of the Bureaucracy to analyze whether a political party is making use of taxpayers’ money for the benefit of their own organization or for the nation”
“Good governance is the key. People-centric governance solves problems and gives better results”
“The century of independence will be the golden century of the country when we will give first priority to our duties. Duty is not an option for us but a resolution”
“The aim of Mission Karmayogi is to utilize the full potential of civil servants”
“You will not be judged by what you have done for yourself, but by what changes have you brought in the lives of the people”
“The power of the citizens of the country has increased in the new India, the power of India has increased”

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी डॉ. जितेंद्र सिंह, श्री पी.के. मिश्रा जी, श्री राजीव गौबा जी, श्री श्रीनिवासन जी और इस कार्यक्रम में जुड़े सभी कर्मयोगी साथियों, देवियों और सज्जनों ! आप सभी को सिविल सेवा दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

इस साल का सिविल सर्विसेस डे बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। ये एक ऐसा समय है, जब देश ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। एक ऐसा समय है, जब देश ने अगले 25 वर्षों के विराट-विशाल लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तेजी से कदम बढ़ाना शुरू किया है। देश को आजादी के इस अमृतकाल तक लाने में उन अधिकारियों की बड़ी भूमिका रही, जो 15-20-25 साल पहले इस सेवा में आए। अब आजादी के इस अमृतकाल में उन युवा अधिकारियों की भूमिका सबसे बड़ी है, जो अगले 15-20-25 साल इस सेवा में रहने वाले हैं। इसलिए, मैं आज भारत के हर सिविल सेवा अधिकारी से यही कहूंगा कि आप बहुत भाग्यशाली हैं। मुझे पूरा विश्‍वास है कि मेरी बात पर आपको पूरा भरोसा होगा। हो सकता है, कुछ लोग न भी मानते हो कि वो सौभाग्‍यशाली नहीं है। अपनी-अपनी सोच हर किसी को मुबारक।

आपको इस कालखंड में देश की सेवा करने का मौका मिला है। आजादी के अमृतकाल में देश के स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरा करने का दायित्व हम सभी पर है। हमारे पास समय कम है, लेकिन सामर्थ्य भरपूर है। हमारे लक्ष्य कठिन हैं, लेकिन हौसला कम नहीं है। हमें पहाड़ जैसी ऊंचाई भले चढ़नी है, लेकिन इरादे आसमान से भी ज्यादा ऊंचे हैं। पिछले 9 वर्षों में भारत आज जहां पहुंचा है, उसने हमारे देश को बहुत ऊंची छलांग के लिए तैयार कर दिया है। मैं अक्सर कहता हूं कि देश में ब्यूरोक्रेसी वही है, अधिकारी-कर्मचारी वही हैं, लेकिन परिणाम बदल गए हैं। पिछले 9 वर्षों में भारत अगर विश्व पटल पर एक विशिष्ट भूमिका में आया है, तो इसमें आप सबका सहयोग बड़ा महत्‍वपूर्ण रहा है। पिछले 9 वर्षों में अगर देश के गरीब से गरीब को भी सुशासन का विश्वास मिला है, तो इसमें भी आपकी मेहनत रंग लाई है। पिछले 9 वर्षों में अगर भारत के विकास को नई गति मिली है, तो ये भी आपकी भागीदारी के बिना संभव नहीं था। कोरोना के महासंकट के बावजूद आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

आज भारत फिनटेक वर्ल्ड में छाया हुआ है, डिजिटल पेमेंट्स के मामले में भारत नंबर वन है। आज भारत दुनिया के उन देशों में है, जहां मोबाइल डेटा सबसे सस्ता है। आज भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट अप इकोसिस्टम है। आज देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, बहुत बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। 2014 के मुकाबले आज देश में 10 गुना ज्यादा तेजी से रेल लाइनों का Electrification हो रहा है। 2014 के मुकाबले आज देश में दोगुनी रफ्तार से National Highways का निर्माण हो रहा है। 2014 के मुकाबले आज देश के पोर्ट्स में capacity augmentation लगभग दोगुना हो चुका है। 2014 के मुकाबले आज देश में एयरपोर्ट्स की संख्या भी दोगुने से ज्यादा हो चुकी है। आज यहां जो पुरस्कार दिए गए हैं, वो देश की सफलता में आपकी इसी भागीदारी को प्रमाणित करते हैं, आपके सेवाभाव को परिलक्षित करते हैं। मैं सभी पुरस्कृत साथियों को फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

बीते वर्ष 15 अगस्त को मैंने लाल किले से, देश के सामने पंच प्राणों का आह्वान किया है। विकसित भारत के निर्माण का विराट लक्ष्य हो, गुलामी की हर सोच से मुक्ति हो, भारत की विरासत पर गर्व की भावना हो, देश की एकता-एकजुटता को निरंतर सशक्त करना हो, और अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखना हो, इन पंच प्राणों की प्रेरणा से जो ऊर्जा निकलेगी, वो हमारे देश को वो ऊंचाई देगी, जिसका वो हमेशा हकदार रहा है। मुझे ये देखकर भी अच्छा लगा कि आप सभी ने इस वर्ष सिविल सेवा दिवस की थीम भी 'विकसित भारत' रखी है। विकसित भारत के निर्माण के पीछे क्या सोच है, ये उस पुस्तक में भी झलकता है, जिसका अभी विमोचन हुआ है। विकसित भारत सिर्फ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर या आधुनिक निर्माण तक सीमित नहीं है। विकसित भारत के लिए आवश्यक है- भारत का सरकारी सिस्टम, हर देशवासी की आकांक्षा को सपोर्ट करे। विकसित भारत के लिए आवश्यक है- भारत का हर सरकारी कर्मचारी, देशवासियों के सपनों को सच करने में उनकी मदद करे। विकसित भारत के लिए आवश्यक है- भारत में सिस्टम के साथ जो Negativity बीते दशकों में जुड़ी थी, वो Positivity में बदले, हमारा सिस्टम, देशवासियों के सहायक के रूप में अपनी भूमिका को आगे बढ़ाए।

साथियों,

आजादी के बाद के दशकों का हमारा अनुभव रहा है, योजनाएं कितनी भी बेहतर हों, कागज़ पर कितना ही शानदार रोडमैप क्यों ना हो, लेकिन अगर लास्ट माइल डिलिवरी ठीक नहीं होगी तो अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे। आप भली-भांति जानते हैं कि, ये पहले के सिस्टम की ही देन थी कि देश में 4 करोड़ से ज्यादा फर्जी गैस कनेक्शन थे। ये पहले के सिस्टम की ही देन थी कि देश में 4 करोड़ से ज्यादा फर्जी राशन कार्ड थे। ये पहले के सिस्टम की ही देन थी कि देश में एक करोड़ काल्पनिक महिलाओं और बच्चों को महिला और बाल विकास मंत्रालय की सहायता जा रही थी। ये पहले के सिस्टम की ही देन थी कि अल्पसंख्यक मंत्रालय, करीब 30 लाख फर्जी युवाओं को स्कॉलरशिप का लाभ दे रहा था। और ये भी पहले के ही सिस्टम की ही देन है कि मनरेगा के तहत देश में लाखों ऐसे फर्जी अकाउंट बने, लाखों ऐसे श्रमिकों को पैसे ट्रांसफर किए गए, जिनका अस्तित्व ही नहीं था। आप सोचिए, जिनका कभी जन्म ही नहीं हुआ, जो सिर्फ कागजों में ही पैदा हुए, ऐसे लाखों-करोड़ों फर्जी नामों की आड़ में एक बहुत बड़ा इकोसिस्टम भ्रष्टाचार में जुटा था। आज देश के प्रयासों से, आप सभी के प्रयासों से, ये सिस्टम बदला है, देश के करीब-करीब तीन लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचे हैं। आप सब इसके लिए अभिनंदन के अधिकारी हैं। आज ये पैसे गरीबों की भलाई के काम आ रहे हैं, उनका जीवन आसान बना रहे हैं।

साथियों,

जब समय सीमित हों, तो ये तय करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि हमारी दिशा क्या होगी, हमारी कार्यशैली क्या होगी। आज चुनौती ये नहीं है कि आप कितने efficient हैं, बल्कि चुनौती ये तय करने में है कि जहां जो deficiency है, वो कैसे दूर होगी? अगर हमारी दिशा सही होगी, तो efficiency की strength बढ़ेगी और हम आगे बढ़ेंगे। लेकिन अगर deficiency होगी तो हमें वो परिणाम नहीं मिलेंगे, जिसके लिए हम प्रयास कर रहे थे। आप याद करिए, पहले deficiency की आड़ में हर सेक्टर की छोटी से छोटी चीज को control करने के तरीके बनाए जाते थे। लेकिन आज वही deficiency, efficiency में बदली है। आज वही, efficiency पॉलिसी से जुड़ी छोटी से छोटी बाधाओं की पहचान कर रही है, ताकि उन्हें हटाया जा सके। पहले ये सोच थी कि ‘सरकार सब कुछ करेगी’, लेकिन अब सोच है कि ‘सरकार सबके लिए करेगी’।

अब सरकार ‘सबके लिए’ काम करने की भावना के साथ time और resources का efficiently उपयोग कर रही है। आज की सरकार का ध्येय है- Nation First-Citizen First आज की सरकार की प्राथमिकता है- वंचितों को वरीयता। आज की सरकार, Aspirational District तक जा रही है, Aspirational Blocks तक जा रही है। आज की सरकार, देश के सीमावर्ती गांवों को, आखिरी गांव ना मानकर, उन्हें First Village मानते हुए काम कर रही है, वाइब्रेंट विलेज योजना चला रही है। ये बीते वर्षों में हमारी सरकार की बहुत बड़ी पहचान रही है। लेकिन हमें एक और बात हमेशा ध्यान रखनी है। 100 परसेंट सैचुरेशन के लिए हमें इससे भी अधिक मेहनत की, इनोवेटिव समाधानों की पल-पल ज़रूरत पड़ेगी। अब जैसे डिजिटल इंडिया का इतना व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर हमारे पास उपलब्ध है, इतना बड़ा डेटा सेट हमारे पास है। लेकिन अभी भी हम देखते हैं कि हर विभाग अपने-अपने हिसाब से वही जानकारी, वही दस्तावेज़ मांगता है, जो पहले से ही किसी ना किसी डेटाबेस में मौजूद है।

प्रशासन का बहुत बड़ा समय NoC, प्रमाण पत्र, क्लीयरेंस, इन्हीं सब कामों में चला जाता है। हमें इनके Solutions निकालने ही होंगे। तभी Ease of Living बढ़ेगी, तभी Ease of Doing Business बढ़ेगा। मैं आपको पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान का भी उदाहरण देना चाहता हूँ। इसके तहत हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े डेटा लेयर्स एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। इसका हमें अधिक से अधिक उपयोग करना है। हमें सोशल सेक्टर में बेहतर planning और execution के लिए भी पीएम गतिशक्ति का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। इससे हमें लोगों की जरूरतों को Identify करने में और execution में आने वाली मुश्किलों को दूर करने में मदद मिलेगी ही मिलेगी। इससे डिपार्टमेंट्स के बीच, डिस्ट्रिक्ट और ब्लॉक के बीच संवाद और सरल होगा। इससे हमारे लिए आगे की स्ट्रेटजी बनाना भी ज्यादा आसान होगा।

साथियों,

आजादी का ये अमृतकाल, ये Time Period, भारत के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए जितने बड़े अवसर लेकर आया है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी है। इतनी सारी उपलब्धियों के बावजूद, तेज गति से हासिल हुई सफलताओं के बावजूद, मैं इसे चुनौती क्यों कह रहा हूं, और मैं मानता हूँ कि इस बात को आपको भी समझना होगा। आज भारत के लोगों की Aspirations, उनकी आकांक्षाएं बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। विकसित भारत के लिए, व्यवस्थाओं में बदलाव के लिए अब देशवासी और ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहते। देश के लोगों की इस Aspiration को पूरा करने के लिए हम सबको, आपको पूरे सामर्थ्य से जुटना ही होगा, तेजी से निर्णय लेने होंगे, उन निर्णयों को उतनी ही तेजी से लागू करना होगा। और आपको एक और बात का ध्यान वश्‍य रखना होगा कि आज, और यह मैं कह रहा हूं इसलिए नहीं आप भी अनुभव करते होंगे, आज पूरे विश्व की भी भारत से अपेक्षाएं बहुत ज्यादा बढ़ी हुई हैं।

दुनिया भर के एक्सपर्ट, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं ये कह रही हैं कि भारत का समय आ गया है- India's time has arrived. ऐसी स्थिति में भारत की ब्यूरोक्रेसी को एक भी पल गंवाना नहीं है। आज मैं भारत की ब्यूरोक्रेसी से, भारत के हर सरकारी कर्मचारी से, चाहे वो राज्य सरकार में हो या केंद्र सरकार में, मैं एक आग्रह जरूर करना चाहता हूं। देश ने आप पर बहुत भरोसा किया है, आपको मौका दिया है, उस भरोसे को कायम रखते हुए काम करिए। मैं आपसे अक्सर कहता हूं कि आपकी सर्विस में, आपके निर्णयों का आधार सिर्फ और सिर्फ देशहित होना चाहिए। हो सकता है फील्ड में आपको किसी एक व्यक्ति के लिए कोई फैसला लेना हो, किसी एक समूह के लिए कोई फैसला लेना हो, लेकिन तब भी आप ये जरूर सोचें कि मेरे इस निर्णय से, निर्णय भले ही छोटा क्‍यों न हो, मेरे से इस निर्णय से देश का क्या भला होगा? यानि आपके लिए कसौटी, देशहित ही है। और मैं आज भारत की ब्यूरोक्रेसी के लिए इस कसौटी में एक और बात जोड़ना चाहता हूं। मुझे विश्वास है, आप इस कसौटी पर भी खरा उतरेंगे।

साथियों,

किसी भी लोकतंत्र में राजनीतिक दलों का बहुत महत्व होता ही है और ये आवश्यक भी है। और ये लोकतंत्र की ब्यूटी है। हर दल की अपनी विचारधारा होती है, संविधान ने हर दल को ये अधिकार दिया है। लेकिन एक ब्यूरोक्रेट के तौर पर, एक सरकारी कर्मचारी के तौर पर अब आपको अपने हर निर्णय में कुछ सवालों का अवश्य ध्यान रखना ही पड़ेगा। जो राजनीतिक दल सत्ता में आया है, वो Taxpayers Money का इस्तेमाल अपने दल के हित के लिए कर रहा है, या देश के हित के लिए उसका उपयोग कहां हो रहा है? यह आप लोगों को देखना ही होगा दोस्‍तों। वो राजनीतिक दल, अपने दल के विस्तार में सरकारी धन का उपयोग कर रहा है या फिर देश के विकास में उस पैसे का इस्तेमाल कर रहा है? वो राजनीतिक दल, अपना वोटबैंक बनाने के लिए सरकारी धन लुटा रहा है या फिर सभी का जीवन आसान बनाने के लिए काम कर रहा है? वो राजनीतिक दल, सरकारी पैसे से अपना प्रचार कर रहा है, या फिर ईमानदारी से लोगों को जागरूक कर रहा है? वो राजनीतिक दल, अपने कार्यकर्ताओं को ही विभिन्न संस्थाओं में नियुक्त कर रहा है या फिर सबको पारदर्शी रूप से नौकरी में आने का अवसर दे रहा है? वो राजनीतिक दल, नीतियों में इसलिए तो फेरबदल नहीं कर रहा, ताकि उसके आकाओं की काली कमाई के नए रास्ते बनें? आप अपने हर फैसले से पहले इन सवालों के बारे में भी जरूर सोचें। सरदार पटेल जिस ब्यूरोक्रेसी को स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया कहा करते थे, उसी ब्यूरोक्रेसी को उनकी अपेक्षाओं पर भी खरा उतरना है। क्योंकि अब अगर ब्यूरोक्रेसी से चूक हुई, तो देश का धन लुट जाएगा, Taxpayers Money तबाह हो जाएगा, देश के युवाओं के सपने चकनाचूर हो जाएंगे।

साथियों,

जो युवा, बीते कुछ वर्षों में, या पिछले दशक में देश की सिविल सेवा से जुड़े हैं, उन्हें मैं, कुछ बातें विशेष तौर पर कहना चाहता हूं। आप भी जानते हैं कि जीवन जीने के दो तरीके होते हैं। पहला है ‘getting things done’. दूसरा है ‘letting things happen’ पहला active attitude और दूसरा passive attitude का प्रतिबिंब है। पहले तरीके से जीने वाले व्यक्ति की सोच होती है कि हां, बदलाव आ सकता है। दूसरे तरीके में विश्वास करने वाला व्यक्ति कहता है, ठीक है, रहने दो, सब ऐसे ही चलता है, पहले से भी चलता आया है, आगे भी चलता रहेगा, वो तो अपने आप हो जाएगा, ठीक हो जाएगा’। ‘Getting things done’ में यकीन रखने वाले आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेते हैं। जब उन्हें टीम में काम करने का अवसर मिलता है तो वो हर काम का driving force बन जाते हैं। लोगों के जीवन में बदलाव लाने की ऐसी ज्वलंत इच्छा से ही आप एक ऐसी विरासत छोड़ जाएंगे, जिसे लोग याद करेंगे। आपको ये भी याद रखना होगा कि एक अफसर के रूप में आपकी सफलता इस बात से नहीं आंकी जाएगी कि आपने अपने लिए क्या हासिल किया। आपकी सफलता का आकलन इस बात से होगा कि आपके काम से, आपके करियर से दूसरों का जीवन कितना बदला है। जिनका जीवन बदलने की जिम्मेदारी आपके पास थी, वे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं? इसलिए आपको ये हमेशा याद रखना है- Good Governance is the key.

जब People Centric Governance होती है, जब Development Oriented Governance होती है, तो वो समस्याओं का समाधान भी करती है और बेहतर Result भी देती है। Good Governance में जनता के प्रति जवाबदेही होती है। एक ही राज्य में एक जिला अच्छा perform करे और दूसरा ना करें तो इसके पीछे असली वजह Good Governance का अंतर ही होता है। हमारे सामने Aspirational Districts का उदाहरण है। हमने जब जोश से भरे देश के युवा अफसरों को वहां नियुक्त किया, उन्हें Good Governance के लिए प्रेरित किया, तो नतीजे भी बेहतरीन आए। आज अनेक Aspirational Districts, Development Parameters में देश के दूसरे जिलों से भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। जब आप इस पर फोकस करेंगे, People’s Participation पर फोकस करेंगे, तो जनता में भी Ownership का भाव, उसकी भावना और अधिक मजबूत होगी। और जब जनता जनार्दन किसी योजना की Ownership ले लेती है, तो अभूतपूर्व नतीजे आना सुनिश्चित हो जाता है। आप स्वच्छ भारत अभियान देख लीजिए, अमृत सरोवर अभियान देख लीजिए, जल जीवन मिशन देख लीजिए, इनकी सफलता का बड़ा आधार, जनता द्वारा ली गई Ownership है।

साथियों,

मुझे बताया गया है कि आप अपने जिले की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक डिस्ट्रिक्ट विजन@100 तैयार कर रहे हैं। ऐसा ही विजन पंचायत स्तर तक होना चाहिए। अपनी ग्राम पंचायत, अपने ब्लॉक, अपने डिस्ट्रिक्ट, अपने राज्य में हमें किन सेक्टर्स पर फोकस करना है? इन्वेस्टमेंट्स को आकर्षित करने के लिए कौन-कौन से बदलाव करने हैं? हमारे जिले, ब्लॉक या पंचायत में कौन से प्रोडक्ट्स हैं, जिन्हें हम एक्सपोर्ट कर सकते हैं या उस स्तर तक ले जा सकते हैं? इनको लेकर एक स्पष्ट विजन हमारे पास होना चाहिए। आप अपने क्षेत्र में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए MSME और स्वयं सहायता समूहों के बीच कड़ियों को जोड़ सकते हैं। आप सभी के लिए, लोकल टैलेंट को प्रोत्साहित करना, लोकल आंट्रप्रन्योरशिप को सपोर्ट करना, स्टार्ट अप कल्चर को बढ़ावा देना मैं समझता हूँ कि ये समय की मांग है।

साथियों,

Head of the Government रहते हुए मुझे 20 साल से भी ज्यादा समय हो चुका है। आप में से कई लोग बरसों से मेरे साथ काम कर रहे हैं। और मैं तो कहूंगा कि मेरा सौभाग्‍य है कि आप जैसे साथियों के साथ मुझे काम करने का अवसर मिला है। आप जानते हैं कि मैंने हमेशा capacity building पर कितना ज़ोर दिया है। मुझे खुशी है कि आज आप सब civil servants के बीच ‘मिशन कर्मयोगी’ एक बड़ा अभियान बन चुका है। मिशन कर्मयोगी का मकसद है- civil servants के full potential का उपयोग करना। Capacity Building Commission इस अभियान को पूरी मजबूती से आगे बढ़ा रहा है। मेरा ये भी मानना है कि ट्रेनिंग और लर्निंग कुछ महीनों की औपचारिकता बनकर नहीं रहनी चाहिए। इसलिए, ट्रेनिंग और लर्निंग से जुड़ा quality material हर जगह हर समय उपलब्ध हो, इसके लिए iGOT प्लैटफ़ार्म बनाया गया है। अब सभी नए recruits को iGot पर ‘कर्मयोगी प्रारम्भ’ के orientation module के साथ भी ट्रेन किया जा रहा है।

साथियों,

बीते वर्षों में, सरकार ने ब्यूरोक्रेसी को एक और बंधन से मुक्ति दिलाई है। ये बंधन है- प्रोटोकॉल और hierarchy का बंधन। आप जानते हैं कि hierarchy के बंधनों को तोड़ने की शुरुआत भी मैंने खुद की है। मैं लगातार सेक्रेटरीज़ से लेकर असिस्टेंट सेक्रेटरीज़ तक से मिलता हूँ। मैं ट्रेनी ऑफिसर्स के साथ मुलाक़ात करता हूँ। हमने डिपार्टमेंट के भीतर हर किसी की भागीदारी बढ़ाने के लिए, नए ideas के लिए केंद्र सरकार में भी चिंतन शिविर को बढ़ावा दिया है। हमारे प्रयासों से एक और बड़ा बदलाव आया है। पहले वर्षों तक राज्यों में रहने के बाद ही अधिकारियों को deputation पर केंद्र सरकार में काम करने का अनुभव मिलता था। ये किसी ने नहीं सोचा कि अगर इन अधिकारियों के पास केंद्र सरकार में काम का अनुभव ही नहीं होगा तो वो केंद्र के प्रोग्राम्स को जमीन पर लागू कैसे करेंगे? हमने assistant सेक्रेटरी प्रोग्राम के जरिए इस गैप को भी भरने का प्रयास किया। अब युवा IAS को अपने career की शुरुआत में ही केंद्र सरकार में काम करने का, उसके अनुभव लेने का मौका मिलता है। Senior most लोगों के साथ उसको कुछ सीखने का मौका मिलता है। हमें इस तरह के इनोवेशन्स को आगे बढ़ाना है, इन प्रयासों को परिणामों के शिखर पर ले जाने की निरंतर कोशिश करनी है।

साथियों,

विकसित भारत के लिए 25 वर्षों की अमृत यात्रा को देश ने कर्तव्यकाल माना है। आज़ादी की शताब्दी देश की स्वर्ण शताब्दी तब होगी, जब हम कर्तव्यों को पहली प्राथमिकता देंगे। कर्तव्य हमारे लिए विकल्प नहीं संकल्प हैं। ये समय तेजी से बदलाव का समय है। आपकी भूमिका भी आपके अधिकारों से नहीं, आपके कर्तव्यों और उनके पालन से तय होगी। नए भारत में देश के नागरिक की ताकत बढ़ी है, भारत की भी ताकत बढ़ी है। इस नए उभरते भारत में आपको अहम भूमिका निभाने का अवसर मिला है। आज़ादी के सौ साल बाद जब इतिहास आकलन करेगा, तो आपके पास अवसर है कि उसमें एक प्रमुख नाम आपका भी हो। आप गर्व से ये कहें कि मैंने देश के लिए नई व्यवस्थाओं के सृजन में भूमिका निभाई है, व्यवस्थाओं को सुधारने में बड़ी भूमिका निभाई है। मुझे विश्वास है कि आप सभी राष्ट्रनिर्माण में अपनी भूमिका को विस्तार देते रहेंगे। Capacity building हर पल हमारी कोशिश रहनी चाहिए खुद के लिए भी, साथियों के लिए भी और व्‍यवस्‍था के लिए भी हमें उत्‍तरोत्‍तर नई ऊंचाईयों को पार करने की स्थितियों को पर्याप्‍त करते ही रहना होगा। मुझे विश्‍वास है कि civil services day यह वार्षिक ritual नहीं है। ये civil services day संकल्‍पों का समय है। ये civil services day नये निर्णयों का समय है। निर्णयों को निर्धारित समय में कार्यान्वित करने का उत्‍साह और ऊर्जा से भरने का अवसर है। इस अवसर से एक नई ऊर्जा, नई प्रेरणा, नई शक्ति, नया सामर्थ्‍य, नया संकल्‍प यह ले करके हम चलेंगे, तो जिन सिद्धियों को प्राप्‍त करना चाहते हैं उन सिद्धियों को हम खुद छू करके देखेंगे, इसी विश्‍वास के साथ मेरी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।

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