भारत माता की जय। भारत माता की जय। मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश के महामंत्री श्रीमान विजय बहादुर पाठक जी, श्रीमान स्वतंत्र देव सिंह, श्रीमान मानवेंद्र सिंह जी, श्रीमान नरोत्म मिश्र जी, संसद में मेरे साथी श्री भानू प्रताप वर्मा जी, प्रदेश के उपाध्यक्ष श्रीमान बाबूराम निषाद जी, जालौन जिलाध्यक्ष उदयन पालीवाल जी, श्रीमान आनंद राजपाल जी, श्रीमान नागेंद्र गुप्ता जी, श्रीमान हर्द्वार दुबे जी, श्रीमान चंद्रभान राय जी, श्रीमान अनिल बहुगुणा जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार माधवगढ़ से श्रीमान मूलचंद निरंजन जी, राठ से श्रीमती मनीषा अनुरागी जी, ओरई से श्रीमान गौरीशंकर वर्मा जी, काल्पी से श्रीमान नरेंद्र सिंह जादोन जी और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।
सब जनन को राम-राम।...कायो कैसे हो ...। सपा, बसपा, कांग्रेस की सरकार ने, बुंदेलखंड में सब कुछ तबाह हो गयो। ...का मैं सही कह रयो हो कि नहीं कह रयो हो ...। तो मेरे साथ बोलिए भारत माता की जय। भारत माता की जय।
भाइयों-बहनों।
बहुत वर्षों के बाद मुझे आपके बीच आने का सौभाग्य मिला है। 1992 में जब कन्याकुमारी से कश्मीर की एकता यात्रा लेकर के चला था, तब मुझे इस क्षेत्र में आने का सौभाग्य मिला था। बीच में बुंदेलखंड के अलग-अलग इलाकों में जाने का मौका मिला, लेकिन ओरई में आने का बहुत दिनों बाद सौभाग्य मिला है।
भाइयों-बहनों।
आप इतनी बड़ी तादाद में आकर के भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को, भारतीय जनता पार्टी को और मुझे आशीर्वाद देने के लिए आए हैं। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।
भाइयों-बहनों।
ये चुनाव किसकी सरकार बने या किसकी न बने, इतना सीमित उद्देश्य के लिए ये चुनाव नहीं है। ये चुनाव कौन मंत्री बने, कौन मुख्यमंत्री बने, कौन विधायक बने और कौन न बने, सिर्फ उसका फैसला करने के लिए नहीं है। बुंदेलखंड के लिए ये चुनाव एक बहुत बड़ा फैसला है। बुंदेलखंड को तय करना है कि ये सपा, बसपा के चक्कर से निकलना है कि नहीं निकलना है। ये सपा-बसपा ने जो मुसीबतें डाली हुई हैं, उस मुसीबतों से बाहर आना है कि नहीं आना है। पूरे हिंदुस्तान में उत्तर प्रदेश की हालत खराब है। उत्तप्रदेश में भी सबसे बुरा हाल अगर किसी का है तो ये बुंदेलखंड का है भाइयों। ...और ये इसलिए नहीं है कि बुंदेलखंड के लोगों में दम नहीं है। ये इसलिए नहीं है कि बुंदेलखंड की मिट्टी में ताकत नहीं है। ये इसलिए नहीं है कि बुंदेलखंड के पानी में ऊर्जा नहीं है।
भाइयों-बहनों।
परमात्मा ने सब कुछ दिया है, लेकिन दुर्भाग्य से आपने उत्तर प्रदेश में ऐसी सरकारें बनाई हैं जिन सरकारों ने, उन नेताओं ने, उन मंत्रियों ने, उन मुख्यमंत्रियों ने, उन विधायकों ने आपको तबाह करके रखा हुआ है भाइयों। ...और इसलिए सपा हो, बसपा हो, कांग्रेस हो ये सभी एक ही सिक्के के अलग-अलह पहलु हैं। एक ही चट्टे-बट्टे के लोग हैं। ...और इसलिए भाइयों और बहनों। अब बुंदेलखंड को किसी की बात मानने की जरूरत नहीं है। मेरी भी मत मानिए, आप अपने आत्मा से पूछो कि क्या आपके साथ अन्याय हुआ है कि नहीं हुआ है। आपको उपेक्षित रखा गया कि नहीं रखा गया। आपके हकों को छीना गया है कि नहीं छीना गया। क्या भाइयों-बहनों। आपके साथ हर पांच साल, जो भी आया, आपको लूटता रहा, आपकी गिनती ही नहीं, उनको तो लगता है कहीं और से सीटें ले आएंगे, यहां के लोग कहां जाएंगे, उनको तो दबोच के रख देंगे।
भाइयो-बहनों।
भारतीय जनता पार्टी आपको वादा करती है, भारतीय जनता पार्टी आपको वादा करती है कि अब उत्तर प्रदेश में जो सरकार बनेगी, उसमें बुंदेलखंड की आवाज को सुनने की व्यवस्था होगी भाइयों। उनकी समस्याओं की समाधान के लिए, योजनाओं को लागू करने के लिए विशेष प्रावधान किया जाएगा। ...और इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद एक स्वतंत्र बुंदेलखंड विकास बोर्ड बनाया जाएगा और मुख्यमंत्री के दफ्तर में ही उसकी निगरानी की व्यवस्था की जाएगी। वीकली उसका हिसाब मांगा जाएगा, साप्ताहिक रूप से हिसाब मांगा जाएगा।
भाइयों-बहनों।
ये बसपा पार्टी, आप मुझे बताइए। आज ये बसपा पार्टी कहां से कहां पहुंच गई। आपको मालूम है जब 8 नवंबर रात को 8 बजे टीवी पर आकर के मैंने कहा कि बड़े-बड़े लोगों ने जो गरीबों को लूटा है, वो हजार की नोट हो या पांच सौ की, उनको गरीबों को लौटानी पड़ेगी। ये सपा और बसपा, एक-दूसरे की जानी-दुश्मन है कि नहीं है ...। सपा एक कहे तो बसपा दूसरा कहे कि न कहे ...। सपा कहे सुबह है तो बसपा कहे रात है। ऐसा है कि नहीं है ...। सपा कहे पूरब जाएंगे तो बसपा कहे पश्चिम जाएंगे। ऐसा है कि नहीं है ...। एक-दूसरे के घोर विरोधी हैं कि नही हैं ...। लेकिन मैं हैरान था जब मैंने, जब मैंने नोटबंदी की, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़ी, कालेधन वालों का हिसाब मांगा तो सपा, बसपा, कांग्रेस सब इकट्ठे हो गए। ...और सबके सब एक ही भाषा बोलने लग गए, और इन नेताओं ने तो क्या कहा। बहनजी ने तो कहा, कि पूरी तैयारी नहीं की थी, सरकार ने नहीं की थी कि आपने नहीं की थी ...। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह दे देते तो फिर हमारा बहुत विरोध नहीं था। ये सप्ताह किसके लिए भाई। ये बीच में सप्ताह की क्या जरूरत थी ...। मुलायम सिंह ने भी यही कहा, अरे भाई पहले घोषणा करनी चाहिए थी, लोगों को तैयारी का मौका देना चाहिए था, और उसके बाद लागू करना चाहिए था। अगर उसके बाद लागू करता, तो ये नोटें बैंक में आती क्या ...। आती क्या ...। पूरा खेल खत्म हो जाता कि नहीं हो जाता ...। लूटने वाले लूटकर चले जाते कि नहीं चले जाते ...। उनको नोटबंदी से ज्यादा परेशानी इस बात की है कि तैयारी करने का मौका नहीं मिला।
भाइयों-बहनों।
...और रातों-रात बैंकों में दनादन पैसे जमा होने लगे, और फिर चिल्लाने लगे कि चुनाव आता है, तभी मेरे भाई का हिसाब क्यों खोला जाता है, चुनाव आता है। तभी बीएसपी ने सौ करोड़ रुपया जमा किया तो उसकी चर्चा क्यों हो रही है। अरे बहनजी ...। चुनाव आया इसलिए चर्चा नहीं हो रही है, आपने नोटबंदी के बाद अभी-अभी जमा किया, इसीलिए चर्चा हो रही है। भाइयों-बहनों। अब तो बीएसपी का नाम ही बदल गया है, अब वो बहुजन समाज पार्टी नहीं रही है, बहुजन तो सिर्फ बहनजी में सिमट गया, अक्षर वही है जगह बदल गई। अब वो बहुजन, बहनजी बन गया, और पूरी पार्टी बहनजी संपत्ति पार्टी बन गई। आप मुझे बताइए। जो अपने लिए धन जमा करते हैं, वो कभी आपका भला करेंगे क्या ...। आपकी समास्याओं का समाधान करेंगे क्या ...।
...और इसलिए भाइयो-बहनों।
सपा हो, बसपा हो, कांग्रेस हो, इनको आपने देख लिया है, परख लिया है। 70 साल के बाद भी पीने का पानी तक नहीं दे पाए, क्या उनके भरोसे आगे भी आपकी गाड़ी चलेगी क्या ...। हिम्मत के साथ सपा, बसपा कांग्रेस को पूरे बुंदेलखंड में से चुन-चुन के साफ कर दीजिए भाइयों और बहनों। उनको ऐसी सजा दीजिए, ऐसी सजा दीजिए कि दोबारा, ये बुंदेलखंड को टेकेन फॉर ग्रांटेड मानते हैं ना, ये तो हमारी जेब में है जाएगा कहां। ये जो सोच करके बैठे हैं ना, वो ठिकाने पर आ जाएंगे, लाइन में लग जाएंगे भाइयों।
...और इसलिए भाइयों-बहनों।
मैं आज बुंदेलखंडवासियों से यह आग्रह करने आया हूं। 70 साल में बुंदेलखंड की जो बर्बादी हुई है, वो पांच साल में अगर ठीक करना है, यहां इतना बड़ा गड्ढा है, इतना बड़ा गड्ढा है कि बुंदेलखंड को उस गड्ढे में से बाहर निकालना है, न तो अकेले लखनऊ का इंजन काम नहीं आएगा। अकेले दिल्ली का इंजन भी काम नहीं आएगा, बुंदेलखंड को इन मुसीबतों के गड्ढे से बाहर निकालना है तो उत्तरप्रदेश में लखनऊ में भी बीजेपी का इंजन लगाना पड़ेगा और दिल्ली में भाजपा के प्रधानमंत्री का भी इंजन लगाना पड़ेगा, तब जाके बाहर आएगा भाइयों।
...और इसलिए भाइयों-बहनों।
मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूं, मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूं जिस भूमि पर इतनी नदियां हो, इतना नीर हो, इतने मेहनतकश लोग हों, यहां का भाग्य, यहां की एक-एक इंच धरती में अमूल्य खनिज पैदा होती है। इतनी ताकत पड़ी है साहब। ...लेकिन भाइयों-बहनों। यहां यदि सबसे बड़ा उद्योग पनपा है तो वो क्या उद्योग पनपा है ...। अवैध खनन, यही उद्योग, लखनऊ से नेता यहां आते क्यों हैं? सिर्फ अवैध खनन के ठेकेदारों को तकलीफ न हो इसीलिए आते हैं। ये अवैध खनन रूकना चाहिए कि नहीं रूकना चाहिए ...। ये आपकी संपत्ति लूटी जा रही है वो बंद होनी चाहिए कि नहीं चाहिए ...। भाइयों-बहनों। कितना मूल्यवान खनन की संपत्ति को लूटा जा रहा है और इसलिए भाइयों-बहनों हम एक स्पेशल स्क्वॉड बनाना चाहते हैं जिसकी निगरानी में ये अवैध खनन के कारोबार को नेस्तानाबूद कर दिया जाएगा। हम टेक्नोलोजी का उपयोग करना चाहते हैं, अब ये आपने देखा होगा हिन्दुस्तान के वैज्ञानिकों ने 104 सैटेलाइट एकसाथ आसमान में छोड़कर के दुनिया को चकित कर दिया।
भाइयों-बहनों।
ये सैटेलाइट, इसका उपयोग बुंदेलखंड के लिए हो सकता है कि नहीं हो सकता है ...। हो सकता है। ये जो सैटेलाइट है उसके द्वारा, कौन सी खदान कहां पर है, उसकी बाउंडरी कितनी है, सीमा कितनी है। हर दिन उसमें से क्या बदलाव हुआ, कितनी खुदाई हुई, ये सारा सैटेलाइट से नापा जा सकता है। भाइयों-बहनों। बुंदेलखंड के ये भू-संपदा को बचाने के लिए हम सैटेलाइट टेक्नोलोजी का उपयोग करेंगे। चौबीसों घंटा पर उस पर निरीक्षण सैटेलाइट से होगा और अवैध रूप से कोई खनन करेगा तो समझ लीजिए उसका ठेका भी गया और वो भी गया। ये बुंदेलखंड के लोग उनको पूछो, किसी भी बुंदेलखंड वाले को पूछो, क्या करते हो भई तो चार में से एक तो ऐसा ही कहेगा, मैं ठेकेदार हूं। न उद्योग है, न धंधा है, न कारोबार है, फिर भी वो ठेकेदार है किसका ...। वो जनता-जनार्दन या अपने पसीने से काम करने की ठेकेदारी नहीं कर रहा है, लखनऊ में बैठे हुए लोगों का ठेकेदार बनके उनके इरादों को पूरा करने का पाप करता है।
...और इसलिए भाइयों-बहनों।
ये बुंदेलखंड को इन संकटों से बाहर निकालना है। आप मुझे बताइए भाइयों-बहनों। आज हमारा यूपी गरीब से गरीब मां-बाप भी, गरीब से गरीब मां-बाप को भी पूछोगे कि आपकी क्या इच्छा है? गरीब से गरीब मां-बाप कहेगा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी है। गरीब से गरीब मां-बाप, उसकी यही इच्छा है कि चलो हमारी जिंदगी तो गई, अब बुढ़ापा गुजार लेंगे लेकिन बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल जाए ताकि उनकी जिंदगी बदल जाए। मैं उत्तर प्रदेश की सरकार को पूछना चाहता हूं। क्या कारण है कि प्राथमिक शिक्षा में हिंदुस्तान के पहले बीस राज्यों में उत्तर प्रदेश का नाम नहीं है? मेरे भाइयों-बहनों। तो इन बच्चों के भविष्य का क्या होगा और बुंदेलखंड में तो इससे भी बुरे हाल इन्होंने कर के रखा है। अगर बच्चों की पढ़ाई, ये उनकी चिंता का विषय नहीं है तो आने वाला उत्तर प्रदेश कैसा होगा? आने वाला मेरा बुंदेलखंड कैसा होगा? हर गरीब परिवार का हाल क्या होगा? ये भाइयों-बहनों, हमें इस चुनाव में गंभीरता से सोचना पड़ेगा।
भाइयों-बहनों।
हमारे देश में प्रति व्यक्ति आय ऐवरेज, औसत कितनी कमाई करता है एक व्यक्ति। आज मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है कि हिंदुस्तान का सबसे बड़ा राज्य, ये प्रति व्यक्ति आय में भी पहले बीस राज्यों में उसका नामो-निशान नहीं है। गरीबी घर-घर अपने पैर जमा करके बैठ गई है भाइयों। ...और उसका कारण यहां पर भ्रष्टाचार, कुशाषण इन्हीं लोगों की ऐसी जुगलबंदी है कि जिसने हर घर में गरीबी की जड़ें जमा करके रखी हुई हैं। उन गरीबी से हर परिवार को बाहर लाना है।
...और इसलिए भाइयों-बहनों।
सपा, बसपा, कांग्रेस के चक्कर से निकलना पड़ेगा मेरे भाइयों-बहनों। मैंने एक सभा में कहा था कि भाजपा की लड़ाई स्कैम के खिलाफ है, स्कैम के खिलाफ। तूफान मच गया तूफान। मैंने कहा, स्कैम के खिलाफ लड़ाई है, स्कैम मतलब घोटाले। अंग्रेजी में स्कैम बोलते हैं और स्कैम में चार अक्षर होते हैं एस सी ए एम। और इसलिए मैंने कहा स्कैम का मतलब है एस-समाजवादी, सी-कांग्रेस, ए-अखिलेश, एम-मायावती। इस देश में घोटालों में भी ईमानदारी देखने वाले, घोटालों में भी सेवा का भाव देखने वाले एक नेता को ये भी समझ नहीं आया कि मोदी का जवाब कैसे देना चाहिए। उन्होंने हड़बड़ी में कह दिया कि स्कैम मतलब हमारे यहां तो एस का सेवा होता है। बताओ, अब जिनके लिए स्कैम अगर ये सेवा है तो आपको ऐसी सेवा चाहिए क्या ...। ऐसी सेवा चाहिए क्या ...। ऐसा स्कैम जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए ...।
भाइयों-बहनों।
ये चुनाव में आपको मौका है। स्कैम को उत्तरप्रदेश से पूरी तरह निकालने का, बुंदेलखंड से पूरी तरह से निकालने का, आपको एक मौका है और इसलिए भाइयों-बहनों। आज अगर उत्तरप्रदेश में तीन चरण के चुनाव पूरे हो गए। मैं इन तीन चरण के लिए उत्तर प्रदेश की जनता को बधाई देता हूं, इलेक्शन को भी बधाई देता हूं कि शांतिपूर्ण रूप से उन्होंने मतदान करवाया है। लोगों ने भी बढ़-चढ़ के, बड़े उत्साह के साथ मतदान किया है और भाइयों-बहनों तीन चरण के मतदान से साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी की उत्तरप्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाना तय हो गया है ...। आने वाले जो दौर बाकी हैं, उनको तो तय करना है कि अब सरकार बन ही जा रही है तो हम पीछे क्यों रह जाएं, बस इतना ही फैसला कर लेना है, जुड़ जाना है, मजबूती के साथ सरकार बनाना है और अपने सपनों का उत्तर प्रदेश निर्णाण करके रहना है, बुंदेलखंड को समस्याओं से मुक्त करके रहना है।
...और इसलिए भाइयों-बहनों।
यह चुनाव विकास के लिए चुनाव है। आप मुझे बताइए भाइयों-बहनों। यहां कानून-व्यवस्था ठीक है क्या ...। पूरी ताकत से बोलिए। ठीक है क्या ...। आप के साथ कोई जबर्दस्ती हो जाए, अन्याय हो जाए तो थाने में आपको न्याय मिलने की आशा है क्या ...। थाने में आपकी शिकायत सुनी जाएगी क्या ...। सरकार में कोई आपकी बात सुनेगा क्या ...।
भाइयों-बहनों। न्याय होना वो तो बाद का विषय है, अरे पहले कम से कम गरीब की, पीड़ित की, दुखी की सुनवाई तो होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। आखिर सरकार किसके लिए होती है ...। क्या सरकार अमीरों के लिए होती है ...। सरकार बाहुबलियों के लिए होती है ...। सरकार मुट्ठीभर नेताओं के लिए होती है ...। सरकार लोगों को लूटने वालों के लिए होती है ...। अगर सरकार होती है तो गरीबों के लिए होती है, सरकार का काम गरीबों की भलाई करना होता है। लेकिन भाइयों-बहनों। बुंदेलखंड में, उत्तरप्रदेश में सरकार मुट्ठीभर लोगों ने दबोच करके रखा है और यहां के थाने, जब सपा की सरकार का कार्यालय बन जाता है। बसपा की सरकार हो थाना बसपा का कार्यालय बन जाता है। अरे थाने को थाना रहना चाहिए कि नहीं रहना चाहिए ...। थाने में सुनवाई होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। गुनहगारों को पकड़ना कि नहीं पकड़ना चाहिए ...। उनके ऊपर केस दर्ज होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। मां-बहनों की सुरक्षा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...।
आप मुझे बताइए भाइयों-बहनों।
यहां पर गांव के जो गरीब लोग हैं, निर्दोष लोग हैं, उनकी जमीनों को ये बाहुबली लोग गैर-कानूनी कब्जा कर लेते हैं कि नहीं कर लेते ...। हड़प कर लेते हैं कि नहीं कर लेते ...। आप मुझे बताइए हड़प कर लेते हैं कि नहीं कर लेते हैं ...। भाइयों-बहनों जो आपकी जमीन हड़प करते हैं, जो आपके मकानों पर कब्जा कर लेते हैं, मैं बुंदेलखंडवासियों को वादा करने आया हूं कि उत्तप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद ये गैर-कानूनी कब्जा करने वाले लोग हैं, उनके खिलाफ एक बहुत बड़ी मुहिम चलाई जाएगी। एक स्पेशल सेल बनाया जाएगा। जो मालिक है उसको, वो लौटाया जाएगा और हड़प करने वालों को, सलाखों के पीछे जगह बना दी जाएगी भाइयों-बहनों। ये सब संभव है। भाइयों कुछ लोग तो मान के बैठे हैं कि भई बुंदेलखंड का तो हाल ऐसा है कि यहां कुछ हो ही नहीं सकता। क्या ये सच्चाई है क्या ...। ये सच्चाई है क्या ...। मैं आपको उदाहरण देता हूं भाइयों। और आप विश्वास कीजिए। पूरे उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड को नंबर एक बनाया जा सकता है। एक नंबर बनाया जा सकता है। आपको मैं मेरा अनुभव बताता हूं, मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था, कई वर्षों तक मुझे मुख्यमंत्री के नाते सेवा करने का मौका मिला। गुजरात में एक जिला है कच्छ और वहां भी एक बहुत बड़ा रेगिस्तान है, और रेगिस्तान के उस पार पाकिस्तान है, ऐसा वो जिला है, आज से बीस साल पहले अगर किसी सरकारी मुलाजिम की कच्छ में ट्रांसफर होती थी तो वो ये मानता था कि मेरी काले पानी की सजा हुई है। ...और कच्छ में, हिंदुस्तान में सब जगह पे जनसंख्या वृद्धि होती थी लेकिन कच्छ जिला ऐसा था कि जहां जनसंख्या कम होती जा रही थी। क्योंकि वहां पानी नहीं था, खेती नहीं थी, रेगिस्तान था, उद्योग नहीं था। सब लोग छोड़-छोड़के चले जाते थे। 2001 में भूकंप आया भूकंप के बाद हमने काम शुरू किया।
भाइयों-बहनों।
जो जिला हिंदुस्तान के सबसे पिछड़े जिलों में जिसका नाम था आज हिंदुस्तान के, सिर्फ गुजरात के नहीं, हिंदुस्तान के सबसे तेज गति से आगे जाने वाले जिलों में उसका नाम दर्ज हो गया है भाइयों-बहनों। ये मेरे बुंदेलखंड के भी कई नौजवान कच्छ के अंदर रोजी-रोटी कमा रहे हैं, कच्छ तक गए हैं वो, भाइयों-बहनों अगर इरादा नेक हो, विकास करने की विजन साफ हो और करके रहने के लिए संकल्प शक्ति हो, तो ये मेरा बुंदेलखंड भी आगे बढ़ सकता है। भाइयों-बहनों। आज पूरे उत्तर प्रदेश में अगर किसानों का सबसे ज्यादा बुरा हाल हो तो कहां पर है ...। कहां पर है ...। बुंदेलखंड में है कि नहीं है ...। है कि नहीं है ...।
भाइयों-बहनों।
मैं भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को अभिनंदन करता हूं कि बीजेपी के नेताओं ने, उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की इकाई ने एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण फैसला किया है और ये महत्वपूर्ण फैसला है किसानों की कर्ज माफी का ...। भाइयों-बहनों। मैं उत्तर प्रदेश का सांसद हूं, उत्तर प्रदेश ने मुझे सांसद बनने का सौभाग्य दिया है और उत्तर प्रदेश ने मुझे इतना भारी बहुमत दिया। बुंदेलखंड ने भी इतनी मदद कर दी कि भाइयों-बहनों। मुझे प्रधानमंत्री बनने का भी सौभाग्य आपने दिया। मैं आज उत्तर प्रदेश के सांसद के नाते बुंदेलखंड के किसान भाइयों को विश्वास दिलाना चाहता हूं। 11 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे, दो-चार दिन में सरकार गठित हो जाएगी। सरकार की पहली कैबिनेट की मीटिंग होगी। यूपी के सांसद के नाते मैं जिम्मेवारी लेता हूं कि पहली ही मीटिंग में ही किसानों की कर्ज माफी का फैसला हो जाएगा।
भाइयों-बहनों
हमारे किसान, यहां पर सबसे बड़ी मुसीबत है अन्नप्रथा की, किसान परेशान है अन्नप्रथा के कारण, है कि नहीं है ...। क्या उसका कोई उपाय नहीं है ...। उपाय है ...। भाइयों-बहनों। मैंने ऐसे-ऐसे एनजीओ के साथ काम किया हुआ है, जो गाय दूध नहीं देती है। उस गाय को भी उस प्रकार से रखरखाव किया जा सकता है कि हर साल चालीस हजार रुपये की अतिरिक्त कमाई दे सकती है गाय। चालीस हजार रुपये की कमाई। भाइयों-बहनों। भारतीय जनता पार्टी की सरकार विशेषकर बुंदेलखंड में ये जो अन्नप्रथा के कारण मेरे किसान परेशान है, उन पशुओं से भी किस प्रकार से खाद मिले, उन खाद की कैसे बिक्री हो, उसमें से कमाई कैसे हो, उसमें से उन पशुओं का पालन कैसे हो, और उसमें से किसान को भी मुनाफा कैसे हो, उसकी एक पूरी व्यवस्था बना दी जाएगी। मेरा किसान भी बच जाएगा, मेरा पशु भी बच जाएगा, ऊपर से किसान के घर में पशु पालक के घर में, कमाई में भी बढ़ोत्तरी हो जाएगी। ये सब संभव है भाइयों, ये मुश्किल नहीं है। ...लेकिन भाइयों-बहनों। उनको इन कामों को करना नहीं है। ...और इसलिए भाइयों-बहनों। आप मुझे बताइए बुंदेलखंड में हमलोगों ने एक अटल जी का सपना था, रिवर ग्रीड का, नदियों को जोड़ने का, केन-बेतवा को जोड़ने का हमने बीड़ा उठाया है। इस केन-बेतबा के द्वारा कुछ लोगों को लगता है कि मेरे यहां पानी पहुंचेगा कि नहीं पहुंचेगा। लेकिन भाइयों-बहनों विज्ञान कहता है कि अगर केन-बेतबा जोड़ दी गई और पानी जमीन में जाना शुरू हो गया तो पूरे बुंदेलखंड में जब पानी बहुत नीचे गया है, तो पानी ऊपर आना शुरू हो जाएगा। हर कोने में किसान को इसका लाभ होगा, इतना बड़ा फायदा होगा और इसलिए भाइयों-बहनों पूरे बुंदेलखंड को इस जमीन को सजल बनाना, ये जमीन पानी की ताकत लाना, ये बड़ा फैसला हम बुंदेलखंड में करके दिखाना चाहते हैं भाइयों-बहनों।
भाइयों-बहनों।
बुंदेलखंड में आप मुझे बताइए। हमारे देश में खाद के दाम, फर्टीलाइजर के दाम, यूरिया की स्थिति, भाइयों-बहनों दो साल पहले किसान को, पहले समय पर यूरिया मिलता था क्या ...। जितना चाहिए उतना यूरिया मिलता था क्या ...। जब चाहे उतना यूरिया मिलता था क्या ...। जहां से चाहे वहां से यूरिया मिलता था क्या ...। यूरिया के लिए लाइन, कतार लगानी पड़ती थी कि नहीं पड़ती थी ...। कभी-कभी पुलिस वाले आकर के डंडे मारते थे कि नहीं मारते थे ...। यूरिया ब्लैक में खरीदना पड़ता था कि नहीं ...। कालेबाजारी में लाना पड़ता था कि नहीं, भाइयों-बहनों दो साल हो गए, दो साल में हिंदुस्तान में कहीं पर भी एक भी किसान ने, एक भी सरकार ने यूरिया के लिए शिकायत नहीं की है। ये कैसे कैसे हुआ ...। कैसे हुआ ...। कैसे हुआ भाइयों ...। भाइयों-बहनों इसलिए हुआ कि हमने जहां-जहां चोरी होती थी न वहां स्क्रू टाइट कर दिए हैं। ऐसे स्क्रू टाइट कर दिए, ऐसे स्क्रू टाइट कर दिए कि चोरी के रास्ते ही बंद हो गए। पहले यूरिया की क्यों चोरी होती थी ...। यूरिया कारखाने से निकलता था और कारखाने से निकलने के बाद खेत में जाना चाहिए ...। खेत में नहीं जाता था वो केमिकल वालों की फैक्ट्री में चोरी-छिपे चला जाता था और केमिकल फैक्ट्री वालों के लिए वो रॉ मैटेरियल के नाते उपयोग आता था। वो उसका उपयोग करके और चीजें बनाकरके बड़े दामों में दुनिया के बाजारों में बेचते थे। किसान के नसीब में नहीं आता था। हमने एक महत्वपूर्ण काम किया, हमने क्या किया? यूरिया का नीम कोटिंग कर दिया। ये नीम कोटिंग बहुत बड़ा विज्ञान नहीं है भई। किसी को लगता होगा नीम कोटिंग शब्द, पता नहीं मोदी ने क्या किया होगा? बड़ा सिंपल है, गांवों में गरीब माताओं-बहनों को कहा कि जो नीम का पेड़ है, उसकी जो फली है वो जरा इकट्ठी कीजिए, हम आपको पैसे देंगे। लोगों ने नीम की फली इकट्ठी करने लगी माताएं-बहनें, हमने उस नीम की फली का तेल निकाला? ...और उस तेल को यूरिया में मिक्स कर दिया। और उसके कारण अब वो यूरिया, मुट्ठीभर यूरिया भी खेत के सिवाय कहीं काम नहीं आ सकता है और इसलिए जितना यूरिया होता था वो अब खेत में जाने लगा और फायदा ये हुआ कि पहले यूरिया से जो आय होती थी, पैदावार होती थी, नीम कोटिंग यूरिया के कारण धान में पांच पर्सेंट से पंद्रह पर्सेंट वृद्धि हो गई। किसान का मुनाफा हो गया ये काम हमने करके दिखाया है।
भाइयों-बहनों।
हमारे देश में एक बार दाम बढ़ते हैं। उसके बाद कभी कम नहीं होते। डीएपी, भाइयों-बहनों एक बार जब चौधरी चरण सिंह जी प्रधानमंत्री थे। एक बार खाद की कीमत कम हुई थी, बाकी इतनी सरकारें आई, इतने प्रधानमंत्री आए कभी कम नहीं हुई। हमने आकर के पहली बार भाइयों-बहनों। डीएपी, डीएपी में तीन हजार आठ सौ रुपया, उसका प्रति टन मूल्य हमने कम कर दिया। इसके कारण किसान को पचास किलो ग्राम के बोरे में दो सौ रुपये का फायदा हो गया, दो सौ रुपये का। एमओपी, किसान को पचास किलो के बोरे में ढाई सौ रुपये का फायदा हो गया। मिश्रित खाद एनपीए भाइयों-बहनों। हर टन पे एक हजार रुपये का फायदा हो गया। ये किसानों के लिए काम करने वाली आपने दिल्ली में सरकार बिठाई है, उत्तर प्रदेश में भी बिठाइए। आप देखिए कि किसानों के जीवन में हम बदलाव लाते हैं कि नहीं लाते हैं।
भाइयों-बहनों।
जैसे मैंने कहा हम विकास के चार मंत्र लेकर के चल रहे हैं, किसान को सिंचाई मिले, बालकों को पढ़ाई मिले, युवकों को कमाई मिले और बुजुर्गों को दवाई मिले। किसान को सिंचाई, बालक को पढ़ाई, युवा को कमाई, बुजुर्गों को दवाई, लेकिन भाइयों-बहनों आप मुझे बताइए। ये दवाई, बीमार पड़ना महंगा हो गया कि नहीं हो गया ...। गरीब के घर में कोई एक बीमार हो जाए तो उसकी जिंदगी भर की कमाई तबाह हो जाती है। दवाई महंगी है कि नहीं है ...। आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया, मैंने तय किया कि गरीब को ये महंगी दवाई से मुक्ति दिलानी चाहिए। सात सौ दवाइयां हमने ऐसी निकाली जो कैंसर में काम आती हो, डायबिटिज में काम आती है, हार्ट अटैक में काम आती हो, और जो दवाई तीस-तीस हजार रुपये में बिकती थी, उसकी कीमत ढाई हजार-तीन हजार कर दी भाइयों। जो दवाई अस्सी रुपये में बेचती उस दवाई को मैंने बारह रुपये में लाकर खड़ा कर दिया। मुझे बताइए। गरीब को सस्ते में दवाई मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...। ये हमने करके दिखाया है।
भाइयों-बहनों।
आज मेहनतकश आदमी के जीवन में भी हृदय रोग की बीमारी आ जाती है, अचानक दिल का दौड़ा पड़ जाता है। बेचारे भागे-भागे परिवार के लोग डॉक्टर के पास जाते हैं, और डॉक्टर भी, हमलोगों को मालूम तो है नहीं अंदर क्या बिगड़ा है, दिखता तो है नहीं, वो कहता है स्टेंट लगाना पड़ेगा, स्टेंट। उत्तरप्रदेश के लोग कहते हैं छल्ला लगाना पड़ेगा छल्ला, हार्ट की जो नली है, नली के अंदर एक और पाइप रखकर के उसको खोलना पड़ेगा, और फिर वो अंदर ले जाते और कहते हैं, देखो ये छल्ला लगवाओगे तो पैतालीस हजार रुपया होगा, लेकिन पांच-दस साल से ज्यादा जिंदा नहीं रहेगा। ये छल्ला लगवाओगे तो ये विदेश का है डेढ़ लाख रुपये का खर्चा होगा, लेकिन जिंदगी में दोबारा तकलीफ नहीं होगी। तो गरीब आदमी को भी लगता है कि भाई जिंदा तो रहना है और इसलिए वो डेढ़ लाख का छल्ला लगवाने के लिए हां बोल रहा है। बेचारा मकान गिरवी रख देता है, जमीन गिरवी रख देता है, कर्ज कर देता है, बेटे की, बहू की, मां की तबीयत बचाने के लिए छल्ला लगवाने के लिए लाख-डेढ़ लाख खर्च कर देता है। मेरे मन में आया कि गरीब कैसे लाएगा डेढ़ लाख रुपया। मैंने छल्ला वालों को बुलाया, मैंने कहा इधर आओ, मैंने कहा बताओ तुम्हारा छल्ला बनाने में खर्च कितना होता है। पाई-पाई का मुझे खर्च बताओ, हिसाब बताओ, पूरी डीटेल बताओ, कहां से लाते हो, कैसे करते हो, मजदूरी कितनी लगती है, माल का खर्चा कितना लगता है, फैक्ट्री है। सब बताओ। दो साल से लगा हुआ था भाइयों-बहनों। दो साल से, आखिरकार कार मैंने उनको मजबूर कर दिया और जो पैतालीस हजार छल्ले के पैसे लूटते थे, सात हजार रुपये पर लाकर के रख दिया। जो डेढ़ लाख रुपये का छल्ला लगाते थे, उनको पच्चीस-सत्ताई हजार रुपये पर लाकर के रख दिया। बताइए भाइयों-बहनों। एक गरीब के लिए काम हुआ कि नहीं हुआ ...। गरीब की बीमारी में मदद करने का काम है कि नहीं है ...। छल्ला बनाने वाले क्या करेंगे ...। वो मोदी-मोदी करेंगे क्या ...। ये छल्ला बनाने वाले मोदी-मोदी करेंगे क्या ...। अब जिनके सारे दुकान पे ताले लग गए, उनके पैसे भी जो वो बेईमानी से लूटते थे बंद हो गया, अब वो मोदी के खिलाफ षड़यंत्र करेंगे कि नहीं करेंगे ...। करेंगे कि नहीं करेंगे ...। अरे भाइयों-बहनों जिन्होंने आपको लूटा है, कितने ही षड्यंत्र करें लेकिन आपकी रक्षा करने का मेरा रास्ता मैं कभी छोड़ने वाला नहीं हूं। क्योंकि आपने मुझे आशीर्वाद दिया है। आपने मुझे आशीर्वाद दिया है। गरीबों के लिए ही तो मुझे बिठाया है भाइयों।
भाइयों-बहनों।
गरीबी क्या होती है, ये देखने के लिए मुझे किसी झुग्गी-झोपड़ी में जाने की जरूरत नहीं पड़ती। मैं गरीबी में पैदा हुआ हूं, मैं गरीबी पला हूं, मैं गरीबी में जीया हूं। गरीबी क्या होती है ये मेरे जेहन में पड़ा हुआ है। इसीलिए भाइयों-बहनों। ईश्वर ने जनता-जनार्दन ने मुझे, गरीबों के काम करने के लिए भेजा है, और इसीलिए मुझे गरीबों के लिए मुझे कुछ न कुछ करके रहना है भाइयों। भाइयों-बहनों। ये बुंदेलखंड नौजवानों को अपने ही जनपद में, बुंदेलखंड के नौजवानों को अपने ही जनपद में रोजी-रोटी मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...। पलायन बंद होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। यहीं पर रोजगार के अवसर पैदा होने चाहिए कि नहीं होने चाहिए ...।
भाइयों-बहनों।
हमारा जालौन इलाका, काल्पी का उद्योग हो, सब बंद पड़ा है, हमीरपुर, जूतियों का कुटीर उद्योग, चांदी की मछली का काम, ये बंद पड़ा है, चित्रकूट में ग्लास की फैक्ट्री, भाइयों-बहनों ग्लास की फैक्ट्री देखी क्या आपने ...। उसमें से कोई ग्लास निकला क्या ...। किसी को रोजगार मिला क्या ...। आपके मालूम है ये ग्लास की नींव किसने डाली थी ...। मालूम है ...। भूल गए न ...। ये आप भूल जाते हैं न इसी का फायदा ये लोग उठाते हैं ...। आप भूल जाते हो, बताइए भूलोगे नहीं न ...। याद रखोगे ...। आपको मालूम है ...। ये कांग्रेस के नेता हैं न उनके पिताजी, हमारे देश के प्रधानमंत्री थे। उनका नाम था श्रीमान राजीव गांधी। 1988 में चित्रकूट में आकर के ग्लास की फैक्ट्री का शिलान्यास किया था। तीस साल होने आए।
भाइयों-बहनों।
न फैक्ट्री लगी, न ग्लास बना, न नौजवानों को रोजगार मिला। ऐसे लोगों पे भरोसा करोगे क्या ...। ऐसे लोगों पे भरोसा करोगे क्या ...। मैं सोच रहा था कि कांग्रेस-समाजवादी पार्टी की दोस्ती हुई कैसे ? भाइयों-बहनों। कारण बड़ा साफ-साफ है, कि ग्लास की फैक्ट्री लगने वाली नहीं तो भी शिलान्यास अगर राजीव गांधी कर सकते हैं, और अखिलेश जी मेट्रो नहीं है तो भी मेट्रो का उद्घाटन कर सकते हैं तो ऐसे लोगों की दोस्ती होना बड़ा स्वभाविक है। कौन-कौन मौसेरे भाई वाला खेल है भैया।
...और इसलिए भाइयों-बहनों।
बुंदेलखंड के सामने एक अवसर आया है। ऐसा मौका गवांइए मत। भाइयों-बहनों। इस चुनाव में बुंदेलखंड में एक भी सपा-बसपा-कांग्रेस का नमूना लखनऊ नहीं पहुंचना चाहिए। एक नमूने के तौर पर भी नहीं पहुंचना चाहिए। पूर्ण रूप से भारतीय जनता पार्टी को जीताइए। भाइयों-बहनों। बुंदेलखंड का एक हिस्सा मध्यप्रदेश में भी है। बुंदेलखंड का एक हिस्सा मध्यप्रदेश में भी है। भारत सरकार उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड को भी पैसे देती है। भारत सरकार मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड को भी पैसा देती है। उत्तरप्रदेश की सरकार बुंदेलखंड में पूरे पैसे भी खर्च नहीं कर पाती है, भारत सरकार के दिए हुए पैसे पड़े रहते हैं। मध्यप्रदेश बुंदेलखंड के लिए भारत सरकार ने जो पैसे दिए उसने अपने राज्य की तरफ से और जोड़के ज्यादा खर्च करके दिखाता है भाइयों-बहनों। उत्तरप्रदेश बुंदेलखंड का किसान पानी के लिए मरता है। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड ने पानी का काम पूरा किया, गेहूं की बुआई बढ़ा दी। उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड में बुआई कम हो गई भाइयों। सरकार अच्छी हो तो पैसों का सदुपयोग कैसे होता है वो भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश की सरकार ने मध्यप्रदेश वाले बुंदेलखंड में करके दिखाया है। अगर मध्यप्रदेश में हो सकता है तो उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड में हो सकता है कि नहीं हो सकता है ...। हो सकता है कि नहीं हो सकता है ...। हमें करना है भाइयों। हमें ये करके दिखाना है और आपकी आंखों के सामने पांच साल के भीतर-भीतर करके दिखाना है, और इसलिए हमें आपके आशीर्वाद चाहिए।
भाइयों-बहनों।
मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जो लड़ाई छेड़ी है, कालेधन के खिलाफ जो लड़ाई छेड़ी है, पांच सौ और हजार की नोट पर पाबंदी लगाकर के अच्छों-अच्छों के रुपये बैंकों में जमा करने के लिए मजबूर कर दिया है। आपका आशीर्वाद है मुझपे ...। दोनों मुट्ठी बंद करके हाथ ऊपर करके मुझे बताइए। आपका आशीर्वाद है ...। आपका आशीर्वाद है ...। आपका आशीर्वाद है ...। ये लड़ाई आगे बढ़ाऊं ...। भ्रष्टाचार को खत्म करने में आगे बढ़ूं ...। कालेधन के खिलाफ लड़ाई चलाऊं ...। जिन्होंने गरीबों का लूटा है उसे लौटा करके वापस लाऊं ...। अरे इतने जनता-जनार्दन का आशीर्वाद है, ये होकर रहेगा भाइयों-बहनों। दोनों मुट्ठी बंद करके मेरे साथ बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद भाइयों।