Focus should be on 'Ease of Living' and 'Ease of Justice' for the people: PM Modi

Published By : Admin | October 15, 2022 | 12:42 IST
Quote“When justice is seen to be delivered, then the faith of the countrymen in the constitutional institutions is strengthened”
Quote“The people of the country should feel neither the absence nor the pressure of the government”
Quote“In the last 8 years, India has repealed more than one and a half thousand old and irrelevant laws and reduced more than 32 thousand compliances”
Quote“We have to understand how to make alternative dispute resolution mechanism a part of the legal system at the local level in the states”
Quote“Our focus should be to make laws that are easily understood by the poorest of the poor”
Quote“Local language plays a big role in the legal system for ease of justice”
Quote“State governments should work with a humane approach regarding undertrial prisoners so that the judicial system moves forward with human ideals”
Quote“If we look at the spirit of the Constitution, there is no scope for argument or competition among judiciary, legislature and courts despite different functions”
Quote“A sensitive justice system is essential for a capable nation and a harmonious society”

केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू जी, राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल जी, बैठक में शामिल तमाम राज्यों के कानून मंत्री, सचिव, इस अहम कॉन्फ्रेंस में उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

देश के और सभी राज्यों के कानून मंत्रियों और सचिवों की ये अहम बैठक, स्टेचू ऑफ यूनिटी की भव्यता के बीच हो रही है। आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब लोकहित को लेकर सरदार पटेल की प्रेरणा, हमें सही दिशा में भी ले जाएगी और हमें लक्ष्य तक पहुंचाएगी।

साथियों,

हर समाज में उस काल के अनुकूल न्याय व्यवस्था और विभिन्न प्रक्रियाएं-परंपराएं विकसित होती रही हैं। स्वस्थ समाज के लिए, आत्मविश्वास से भरे समाज के लिए, देश के विकास के लिए भरोसेमंद और त्वरित न्याय व्यवस्था बहुत ही आवश्यक है। जब न्याय मिलते हुए दिखता है, तो संवैधानिक संस्थाओं के प्रति देशवासियों का भरोसा मजबूत होता है। और जब न्याय मिलता है, तो देश के सामान्य मानवी का आत्मविश्वास भी उतना ही बढ़ता है। इसलिए, देश की कानून व्यवस्था को निरंतर बेहतर बनाने के लिए इस तरह के आयोजन बेहद अहम हैं।

साथियों,

भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है, निरंतरता बनायी रखी है। हमारे समाज में नैतिकता के प्रति आग्रह और सांस्कृतिक परंपराएं बहुत समृद्ध हैं। हमारे समाज की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए, खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है। हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, कुरीतियों, रिवाजों उसको हटा देता है, फेंक देता है। वर्ना हमने ये भी देखा है कि कोई भी परंपरा हो, जब वो रूढ़ी बन जाती है, तो समाज पर वो एक बोझ बन जाती है, और समाज इस बोझ तले दब जाता है। इसलिए हर व्यवस्था में निरंतर सुधार एक अपरिहार्य आवश्यकता होती है। आपने सुना होगा, मैं अक्सर कहता हूं कि देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए। सरकार का दबाव जिन भी बातों से बनता है, उसमें अनावश्यक कानूनों की भी बहुत बड़ी भूमिका रही है। बीते 8 वर्षों में भारत के नागरिकों से सरकार का दबाव हटाने पर हमारा विशेष जोर रहा है। आप भी जानते हैं कि देश ने डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है। इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे थे। Innovation और Ease of Living के रास्ते से कानूनी अड़चनों को हटाने के लिए 32 हजार से ज्यादा compliances भी कम किए गए हैं। ये बदलाव जनता की सुविधा के लिए हैं, और समय के हिसाब से भी बहुत जरूरी हैं। हम जानते हैं कि गुलामी के समय के कई पुराने कानून अब भी राज्यों में भी चल रहे हैं। आजादी के इस अमृतकाल में, गुलामी के समय से चले आ रहे कानूनों को समाप्त करके नए कानून आज की तारीख के हिसाब से बनाए जाना जरूरी है। मेरा आपसे आग्रह है कि इस कॉन्फ्रेंस में इस तरह के कानूनों की समाप्ति का रास्ता बनाने पर जरूर विचार होना चाहिए। इसके अलावा राज्यों के जो मौजूदा कानून हैं, उनकी समीक्षा भी बहुत मददगार साबित होगी। इस समीक्षा के फोकस में Ease of Living भी हो और Ease of Justice भी हो।

साथियों,

न्याय में देरी एक ऐसा विषय है, जो भारत के नागरिकों की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। हमारी न्यायपालिकाएं इस दिशा में काफी गंभीरता से काम कर रही हैं। अब अमृतकाल में हमें मिलकर इस समस्या का समाधान करना होगा। बहुत सारे प्रयासों में, एक विकल्प Alternative Dispute Resolution का भी है, जिसे राज्य सरकार के स्तर पर बढ़ावा दिया जा सकता है। भारत के गांवों में इस तरह का mechanism बहुत पहले से काम करता रहा है। वो अपना तरीका होगा, अपनी व्यवस्थाएं होंगी लेकिन सोच यही है। हमें राज्यों में लोकल लेवेल पर इस व्यवस्था को समझना होगा, इसे कैसे लीगल सिस्टम का हिस्सा बना सकते हैं, इस पर काम करना होगा। मुझे याद है, जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो हमने Evening Courts की शुरुआत की थी और देश में पहली Evening Court की वहां शुरुआत हुई। Evening Courts में ज्यादातर ऐसे मामले आते थे जो धाराओं के लिहाज से बहुत कम गंभीर होते थे। लोग भी दिन भर अपना काम-काज निपटाकर के, इन कोर्ट्स में आकर न्यायिक प्रक्रिया को पूरा करते थे। इससे उनका समय भी बचता था और मामले की सुनवाई भी तेज से होती थी। Evening Courts की वजह से गुजरात में बीते वर्षों में 9 लाख से ज्यादा केसों को सुलझाया गया है। हमने देखा है कि देश में त्वरित न्याय का एक और माध्यम लोक अदालतें भी बनी हैं। कई राज्यों में इसे लेकर बहुत अच्छा काम भी हुआ है। लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों केसों को सुलझाया गया है। इनसे अदालतों का बोझ भी बहुत कम हुआ है और खास तौर पर गांव में रहने वाले लोगों को, गरीबों को न्याय मिलना भी बहुत आसान हुआ है।

साथियों,

आप में ज्यादा लोगों के पास संसदीय कार्य मंत्रालय का भी दायित्व होता है। यानि आप सभी कानून बनने की प्रक्रिया से भी काफी करीब से गुजरते हैं। मकसद कितना ही अच्छा हो लेकिन अगर कानून में ही भ्रम होगा, स्पष्टता का अभाव होगा, तो इसका बहुत बड़ा खामियाजा भविष्य में सामान्य नागरिकों को उठाना पड़ता है। कानून की क्लिष्टता, उसकी भाषा ऐसी होती है और उसकी वजह से, Complexity की वजह से, सामान्य नागरिकों को बहुत सारा धन खर्च करके न्याय प्राप्त करने के लिए इधर-उधर दौड़ना पड़ता है। इसलिए कानून जब सामान्य मानवी की समझ में आता है, तो उसका प्रभाव ही कुछ और होता है। इसलिए कुछ देशों में जब संसद या विधानसभा में कानून का निर्माण होता है, तो दो तरह से उसकी तैयारी की जाती है। एक है कानून की परिभाषा में technical शब्दों का प्रयोग करते हुए उसकी विस्तृत व्याख्या करना और दूसरा उस भाषा में कानून को लिखना और जो लोक भाषा में लिखना, उस देश का सामान्य मानवी को समझ आए, उस रूप में लिखना, मूल कानून के spirit को ध्यान में रखते हुए में लिखना। इसलिए कानून बनाते समय हमारा फोकस होना चाहिए कि गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाए। कुछ देशों में ऐसा भी प्रावधान होता है कि कानून के निर्माण के समय ही ये तय कर दिया जाता है कि वो कानून कब तक प्रभावी रहेगा। यानि एक तरह से कानून के निर्माण के समय ही उसकी उम्र, उसकी एक्सपायरी डेट तय कर दी जाती है। ये कानून 5 साल के लिए है, ये कानून 10 साल के लिए है, तय कर लिया जाता है। जब वो तारीख आती है तो उस कानून की नई परिस्थितियों में फिर से समीक्षा होती है। भारत में भी हमें इसी भावना को लेकर आगे बढ़ना है। Ease of Justice के लिए क़ानूनी व्यवस्था में स्थानीय भाषा की भी बहुत बड़ी भूमिका है। मैं हमारी न्यायपालिका के सामने भी इस विषय को लगातार उठाता रहा हूँ। इस दिशा में देश कई बड़े प्रयास भी कर रहा है। किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे। इसके लिए हमें logistics और infrastructure का support भी चाहिए होगा, और युवाओं के लिए मातृभाषा में अकैडमिक ecosystem भी बनाना होगा। Law से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में हों, हमारे कानून सहज-सरल भाषा में लिखे जाएं, हाइकोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो, इसके लिए हमें काम करना होगा। इससे सामान्य मानवी में कानून को लेकर जानकारी भी बढ़ेगी, और भारी-भरकम कानूनी शब्दों का डर भी कम होगा।

साथियों,

जब न्याय व्यवस्था समाज के साथ-साथ विस्तार लेती है, आधुनिकता को अंगीकार करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति उसमें होती ही है तो समाज में जो बदलाव आते है, वो न्याय व्यवस्था में भी दिखते हैं। टेक्नोलॉजी किस तरह से आज न्याय व्यवस्था का भी अभिन्न अंग बन गई है, इसे हमने कोरोना काल में भी देखा है। आज देश में e-Courts Mission तेजी से आगे बढ़ रहा है। 'वर्चुअल हियरिंग' और वर्चुअल पेशी जैसी व्यवस्थाएं अब हमारे लीगल सिस्टम का हिस्सा बन रही हैं। इसके अलावा, केस की e-filing को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। अब देश में 5G के आने से इन व्यवस्थाओं में और भी तेजी आएगी, और बहुत बड़े बदलाव इसके कारण अंतनिर्हित हैं, होने ही वाले हैं। इसलिए हर एक राज्य को इसे ध्यान में रखते हुये अपनी व्यवस्थाओं को update और upgrade करना ही पड़ेगा। हमारी legal education को टेक्नोलॉजी के हिसाब से तैयार करना भी हमारा एक महत्वपूर्ण लक्ष्य होना चाहिए।

साथियों,

समर्थ राष्ट्र और समरस समाज के लिए संवेदनशील न्याय व्यवस्था एक अनिवार्य शर्त होती है। इसीलिए, मैंने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों की संयुक्त बैठक में अंडरट्रायल्स का विषय उठाया था। मेरा आप सबसे आग्रह है कि केसों के speedy trial के लिए राज्य सरकार द्वारा जो कुछ किया जा सकता है, वो जरूर करें। विचाराधीन कैदियों को लेकर भी राज्य सरकारें पूरे मानवीय दृष्टिकोण के साथ काम करें, ताकि हमारी न्याय व्यवस्था एक मानवीय आदर्श के साथ आगे बढ़े।

साथियों,

हमारे देश की न्याय व्यवस्था के लिए संविधान ही सुप्रीम है। इसी संविधान की कोख से न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका, तीनों का ही जन्म हुआ है। सरकार हो, संसद हो, हमारी अदालतें हों, ये तीनों एक तरह से एक ही मां संविधान रूपी माता की संतान हैं। इसलिए कार्य भिन्न होने के बावजूद, अगर हम संविधान की भावना को देखें तो वाद-विवाद के लिए, एक दूसरे से होड़ के लिए कोई गुंजाइश नहीं रहती। एक मां की संतान की तरह ही तीनों को मां भारती की सेवा करनी है, तीनों को मिलकर 21वीं सदी में भारत को नई ऊंचाई पर ले जाना है। मुझे उम्मीद है कि इस कॉन्फ्रेंस में जो मंथन होगा, उससे देश के लिए legal reforms का अमृत जरूर निकलेगा। आप सबको मेरा आग्रह है कि समय निकालकर स्टेचू ऑफ यूनिटी और उसका पूरे परिसर में जो विस्तार और विकास हुआ है, उसको आप जरूर देखें। देश बहुत तेजी से आगे बढ़ने के लिए के अब तैयार है। आप के पास जो भी जिम्मेदारी है, उसको आप बखूबी निभाएं। यही मेरी आपको शुभकामना है। बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

  • दिग्विजय सिंह राना September 20, 2024

    हर हर महादेव
  • Reena chaurasia August 27, 2024

    bjp
  • krishangopal sharma Bjp June 02, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • krishangopal sharma Bjp June 02, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • krishangopal sharma Bjp June 02, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • krishangopal sharma Bjp June 02, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • krishangopal sharma Bjp June 02, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • JBL SRIVASTAVA May 30, 2024

    मोदी जी 400 पार
  • MLA Devyani Pharande February 17, 2024

    जय हो
  • Vaishali Tangsale February 14, 2024

    🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Explore More
Blood of every Indian is on the boil: PM Modi in Mann Ki Baat

Popular Speeches

Blood of every Indian is on the boil: PM Modi in Mann Ki Baat
Social security cover up from 24% in 2019 to 64%: ILO report

Media Coverage

Social security cover up from 24% in 2019 to 64%: ILO report
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
PM expresses grief over Ahmedabad tragedy, assures swift and effective assistance
June 12, 2025

The Prime Minister Shri Narendra Modi has expressed profound grief and shock over the tragic incident in Ahmedabad today. He stated that the tragedy has stunned and saddened the nation and described it as heartbreaking beyond words.

Shri Modi said that he has been in continuous communication with Ministers and relevant authorities to ensure swift and effective assistance to those impacted.

In a post on X, he wrote:

“The tragedy in Ahmedabad has stunned and saddened us. It is heartbreaking beyond words. In this sad hour, my thoughts are with everyone affected by it. Have been in touch with Ministers and authorities who are working to assist those affected.”