उपस्थित सभी महानुभाव,

मैं पीयूष जी और उनकी टीम को बधाई देता हूं कि उन्हों।ने बहुत बड़े पैमाने पर आगे बढ़ने के लिए निर्णय किया है और उसी के अनुसंधान में आज ये तीन दिवसीय workshop का आरंभ हो रहा है। एक बहुत बड़ा बदलाव हम लोगों ने नोटिस किया कि नहीं मुझे मालूम नहीं - सामान्य रूप से जब हम लोग देश में जब उर्जा की चर्चा करते आएं है तो Megawatt के संदर्भ में करते आएं हैं। पहली बार भारत ने Gigawatt की चर्चा करना शुरू किया है। कोई कल्पना कर सकता है कि Megawatt से Gigawatt की तरफ ये यात्रा कितनी Ambitious है, कितनी focussed है, और परिणाम प्राप्त करने का कितना आत्मविशवास भरा हुआ है।

भारत में, जब मैं उर्जा के संदर्भ में सोचता हूँ, तब वैश्विक संदर्भों में जो चर्चाएं हो रही हैं वो अपनी जगह पर है। मेरे चिंतन के केंद्र बिंदु और कुछ है। हम सभी जानते हैं कि मानव की जो विकास यात्रा है, उस विकास यात्रा में उर्जा की अहम भूमिका रही है। पत्थर युग में भी लोग पत्थर घिस-घिस करके ऊर्जा की भूख मिटाने की कोशिश करता था। और तब से लेकर अब तक यह यात्रा निरंतर चल रही है। निरंतर नए-नए प्रयास हो रहे हैं। क्योंकि मानव ये मानता है कि उसकी विकास यात्रा में उर्जा की एक अहम भूमिका है।

भारत में आज भी लाखों परिवार ऐसे हैं, जो ऊर्जा से वंचित हैं। गरीब से गरीब परिवार को भी यह अपेक्षा है कि उसका बच्चाि पढ़े, पढ़-लिख कर आगे जाए। लेकिन जब exam का समय होता है वो रात को पढ़ नहीं पाता है, क्योंसकि घर में ऊजाला नहीं होता है, और उसकी जिंदगी वहीं रूक जाती है। क्याक यह एक सरकार का, समाज का, देश का दायित्वक नहीं है कि हमारे गरीब से गरीब व्‍यक्ति को अपने सपनों को साकार करने के लिए जिस ऊर्जा की जरूरत है वो ऊर्जा उसे प्राप्तत हो? विकास का प्रकाश उसके घर तब तक नहीं पहुंचेगा तब तक कि वो खुद रोशनी से लाभान्वित नहीं होगा। और इसलिए मेरे दिल-दिमाग के अंदर भारत का एक सामान्यम व्य क्ति बैठा हुआ है, वह गरीब व्यदक्ति बैठा हुआ है। वो अंधेरे में डुबे हुए गांव मेरे दिमाग में सवार हैं। और उसके रास्तेय मैं खोज रहा हूं ताकि हमारे पास जो भी आज सामर्थ्य है, शक्ति है उसको optimum utilize करके हम इन आवश्यहकताओं की पूर्ति कैसे करें।

सामान्यि से सामान्य व्य क्ति आज अपने आपको विश्वम के साथ जोड़कर के देखता है। कोई भी खबर सुनता है तो उसको लगता है कि हां यह मेरे पास भी होना चाहिए। उसके सपने अब बहुत ऊंचे हैं। और इसलिए उसे ज्याउदा इंतजार भी नहीं है। अपने देखते ही अपने सामने बदलाव देखना चाहता है, अपने बच्चोंइ के लिए कुछ करके जाना चाहता है और इसलिए हम one point आगे गए, टू प्वाचइंट आगे गए, फाइव प्वाेइंट आगे गए.. आंकड़े तो बहुत अच्छेव लगते हैं। लेकिन हमें quantum jump के बिना कोई चारा नहीं है। और इसलिए हम पहले जिस गति से आगे बढ़ते होंगे,इसे हम गति तेज भी करना चाहते हैं और नई ऊंचाईयों को पार करके आगे बढ़ जाए, उस सीमा की दिशा में आगे बढ़ने की सारी योजनाओं को लेकर के चल रहे हैं। उसमें ऊर्जा एक क्षेत्र है।

दूसरी तरफ ऊर्जा के लिए जो हमारे स्रोत है। कौन से स्रोत से हम ऊर्जा पैदा कर पाएंगे उसका हिसाब लगाए बिना हम लम्बार सफर तय नहीं कर सकते। क्याओ हम ऊर्जा के संबंध में आश्रित रहना चाहते हैं? हमारे पास resources कौन से है? उनresources को optimum utilizationकरने का तरीका कैसे हो? और सफलता तब मिलती है कि जब हम हमारे पास उपलब्धu जो संसाधन है, उसको ध्या?न में रखकर के हमारी योजनाओं को बनाते हैं तो वो योजनाएं हमें लम्बे अर्से तक टिकने की ताकत देते है। और इसलिए ऊर्जा के क्षेत्र में अगर हमें हिंदुस्ताnन के हर गांव गरीब तक जाना है तो हमारी योजना का केंद्र बिंदु हमारे अपने उपलब्धह resources हैं उसी को केंद्रित करने की आवश्य कता है। एक तरफ climate को लेकर के दुनिया बहुत चिंतित है। Resources खत्मत होते जा रहे हैं लोग भयभीत हैं। और दूसरी तरफ प्रकृति के साथ जीवन जीते-जीते भी अपनी आवश्‍कताओं की पूर्ति कैसे की जाए उस पर अब गंभीरता से सोचा जा रहा है।

और उसी के तहत आज Renewal energy जिसमें भारत अपना ध्याशन केंद्रित करना चाहता है और भारत अपनी आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए, हमें दुनिया में अपना झंडा ऊंचा करने के लिए मेहनत नहीं कर रहे। मैं तो मेरे गरीब के घर में दीया जलें, रोशनी आएं उसके सपने साकार होने के लिए नए रास्तेक खुल जाएं इसलिए यह सब मेहनत कर रहे हैं। और इसलिए यह कोशिश है हमारी। और वही हमारा inspiration है। गरीब की झोपड़ी हमारा inspiration है और इसलिए इस मेहनत में रंग आएगा,यह मेरा विश्वाेस है।

आज दुनिया जो climate की चर्चा कर रही है। अलग-अलग तरीके से उसको address करने के प्रयास हो गए हैं। लेकिन मैं एक बात की जब चर्चा करता हूं दुनिया अभी मेरे साथ उस विषय को चलने को तैयार नहीं है, न ही मेरी बात मानने को तैयार है। मैं हमेशा कहता हूं कि हम climate की इतनी सारी चर्चा करते हैं लेकिन हम... Carbon Emission का क्‍या होगा क्याइ नहीं होगा, हम इस पर तो बड़े लंबे-लंबे सेमिनार करते है। लेकिन ये हमारा अपना Lifestyle क्या है और उस पर चर्चा करने के लिए कोई तैयार नहीं है, क्योंूकि सभी लोगों को मालूम है कि लाइफ स्टाऔइल की चर्चा करते ही मुश्किल कहां आने वाली है। और हम और यह आदतें इतनी बदली है कि हमें भी पता नहीं है कि हम जिंदगी को कैसे जी रहे है, पता नहीं है।

आपने देखा होगा एयरपोर्ट पर एक्स लेटर पर हम चढ़ते है जब कुछ लोगों को बाते करते हुए सुनाई देता है कि मैं रेग्युहलर 15 मिनट जिम में वॉक करता हूं। और यहां एक्स लेटर पर जाता हूं। यानी पता नहीं है उसको कि लाइफ स्टा इल कैसे बदल गया हैकि वो खुद तो एक्सेलेटर पर जाता है लेकिन कहता है कि मैं 15 मिनट जिम में रेग्यु लर दौड़ता हूं। वॉक कर जाता हूँ। यानी यहां भी बिजली खराब करता हूँ, और वहां भी। मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूं क्योंहकि मैं भी एक्स लेटर पर चढ़ता हूं। कहने का तात्परर्य यह है कि हम लोग की आदत इतनी बदल गई है कि हमें पता नहीं है कि सचमुच में हम हमारी भावी पीढ़ी के भाग्यी का जो है वो हम ही खाते चले जा रहे है। और ऐसे कैसे मां-बाप हो सकते है जो बच्चोंद का खाएं। हम अपनी भावी पीढ़ियों का खा रहे है। कोई मां-बाप ऐसा नहीं होगा जो अपने बच्चों कर्जदार देखना चाहेंगा हर मां-बाप चाहते है बच्चों के लिए कुछ विरासत छोड़कर जाएं। क्याद हम हमारी भावी पीढ़ी के लिए ये बर्बाद विश्व‍ देना चाहते है, बर्बाद पृथ्वीद देना चाहते है? हम उसको खुली हवा में जीने का अधिकार भी नहीं देना चाहते? क्याा हमारी भावी पीढ़ी के अधिकारों की रक्षा करना ये हमारा दायित्वद नहीं है? और इसलिए हमने अपने जीवनशैली में भी बदलाव लाना चाहिए। और इसलिए जब climate के issueको Address करते है तो व्यलक्ति से शुरू कर करके ब्रह्मांड तक की चर्चाएं होनी चाहिए लेकिन हो रहा है ब्रह्मांड से शुरू हो रहा है लेकिन व्यकक्ति तक आने तक कोई तैयार नहींहो रहा है। सारे Discourses बदलने की आवश्यहकता है और यह बदला जा सकता है।

दूसरी बात है कि हम लोग जिस परंपरा में पले बड़े हैं हमारे यहां जो कल्पंना जगत है उस कल्पसना जगत में कहते हैं ऊर्जा में उन्होंेने सूर्य भगवान की कल्पेना की है। और सूर्य भगवान के पास सात घोड़ों का रथ होता है। Mythology वाले या कल्पमना जगत वाले इस बारे में क्याा सोचते होंगे इसका मुझे पता नहीं लेकिन सूर्य ऊर्जा का केन्द्रन तो है ही इससे तो कोई इंकार नहीं कर सकता। आज के युग में मैं देख रहा हूं वो सात घोड़े कौन से होने चाहिए। हमारा जो यह सूर्य का घोड़ा है, ऊर्जा का घोड़ा है, वो कौन से सात घोड़े उसको चलाए? अब तक हमको आदत है एक Thermal की एक घोड़ा, दूसरी है Gas की, तीसरी Hydro की, चौथी है Nuclear करके। इसके आसपास तो थोड़ा हम चल रहे हैं। लेकिन हमें तीन और घोड़े लगाने की जरूरत है – Solar,Wind and Biogas. जो हमारी पहुंच में हैं और इसलिए इन सात घोड़ों से यह हमारा ऊर्जा का रथ आगे कैसे बढ़े, उसको लेकर के हमें चलना चाहते हैं।

मैंने इस दिशा में प्रयास शुरू किया है। दुनिया में 50 से अधिक देश ऐसे हैं कि जिनके पास Solar radiation में ईश्वंर की कृपा रही है उन देशों पर, 50 के करीब देश है। हमारी कोशिश है कि इन 50 देशों का एक संगठन बनें और वे Solar Energy के क्षेत्र में साथ मिलकर के Research करे। Solar Energy को और viable कैसे बनाया जा सकता है। Technology up gradation कैसे किया जा सकता है। ये पचासों देश, जिनके पास यह सामर्थ्यT पड़ा है, वे मिलकर के अपनी ऊर्जा के सारे सवालों का जवाब खुद मिलकर के खोजने की दिशा में प्रयास करें। इस दिशा में हम कुछ काम कर रहे हैं। मुझे विश्वाकस है कि थोड़े से प्रयास में कभी न कभी हमें इसमें सफलता मिलेगी।

मुझे याद है जब मैं गुजरात में था तो शुरू में तो Solar की बात करते ही बड़ी आग-सी लग जाती थी, क्योंहकि 19 रुपया, 20 रुपया से कम कोई बात नहीं करता था। और कोई भी ऐसी हिम्मगत करेगा तो दूसरे दिन ऐसी Headlines बनती है कि बाजार में ढ़ाई रुपये में बिजली मिलती है और मोदी 20 रूपये में ले रहा है। बहुत बड़ा भ्रष्टााचार! पता नहीं क्याे-क्याम होता, लेकिन हमने हिम्मतत रखी उस समय मैंने कहा होगी बदनामी होगी, लेकिन देश को बदलना है तो बदनामी किसी को तो झेलनी पड़ेगी। और हमने झेली, झेली लेकिन वो Game changer बना। जैसे ही हमने बड़े Mass scale पर Initiative लिया तो 20 का 19, 19 का 16, 15, 13 पर कम होते होते साढ़े सात पर आ गए है। और शायद उससे भी कम हो गया होगा इस बार। यानी हम Thermal के साथ बराबरी करने की दिशा में जा रहे हैं। यह अपने आप में Game changer बन गया, लेकिन हम सोचते ही रहते तो नहीं होता। आने वाले दिनों में मैं मानता हूं कि हम Solar Energy के क्षेत्र में जो नए Research हो रहे हैं, अवश्यन हम इसको सामान्य मानव को सुविधाजनक हो, ऐसी स्थिति में हम पहुंच पाएंगे, ऐसा मेरा पूरा विश्वायस है। और हमारे देश का Youth talent यह Research करेगा। नई नई चीजें खोजेगा।

कुछ प्रयोग और भी कर सकते हैं। कुछ Hybrid system को हमने develop करना चाहिए। हम नहीं चाहते कि ज्यागदा जमीन इसमें चली जाए। लेकिन क्याe हम पहले उन location को पसंद कर सकते हैं, जहां Solar और Wind का Hybrid system हम develop करे। जहां wind velocity भी है, Solar रेडिएशन भी है, एक ही इलाके में विंड भी हो Solar भी हो, तो फिर Transmission cost एक दम से कम हो जाता है, infrastructure का खर्चा कम हो जाता है अपने आप कीमत कम होने के कारण हमें फायदा हो सकता है। यह जो मैं idea दे रहा हूं इसकी कोई consultancy fee नहीं है। क्यों न हम इस प्रकार से करें, जैसे अभी पीयूष जी बता रहे थे गुजरात में एक प्रयोग Canal के ऊपर डाला।

हमारे देश में जो तालाब है। अब नरेगा के द्वारा तालाब खोदे भी जाते हैं। क्यां तालाब के अंदर ही Solar panel लगाए जा सकते हैं? नीचे पानी है ऊपर Solar है। पानी भी बच जाएगा, जमीन का खर्चा नहीं होगा और आपका Solar project अपने आप इतने नजदीक में आप develop कर सकते हैं। हम उस प्रकार की innovative चीजें जो हमारे देश को सुसंगत है, हम सोचे, खर्चा कम आएगा और कम खर्चे से हम ज्या दा प्राप्त कर सकते हैं। हम rooftop policy पर जा रहे हैं। जो remotest से remote area हैं जहां पर बिजली पहुंचाने के लिए infrastructure का इतना खर्चा है, कोई हिम्मeत ही नहीं नहीं करता है। क्यों न हम Solar पर काम करे?

हमारे देश की talent ऐसे हैं, मुझे याद है। मैं कई वर्षों पूर्व हिमालय में एक गांव में देखने के लिए गया था उस गांव में ऊपर से पानी का झरना बड़ी ताकत से गिरता था। तो उसने, वहीं पर एक छोटा टर्बाइन अब फौज का कोई रिटायर्ड जवान था, छोटा टर्बाइन लगाकर के वो गेहूं पीसने की चक्कीो चलाता था। अब यह उसका Hydro Project था। यानी हम इस प्रकार की विकेंद्रित व्यकवस्था ओं को कैसे विकसित करें। जितनी बड़ी मात्रा में हम विकेंद्रित अवस्थाि डिसेंटलाइज सिस्टैम को develop करेंगे, वो सामान्यव व्यंक्ति को भी भी फायदा करेगा, खर्च कम होगा और loss minimize हो जाएगा। हम उस दिशा में कैसे आगे बढ़े?

हमारे देश में किसान को कैसे इसका लाभ उठाए? मैं चाहता हूं हमारे जो Engineering field के लोग हैं उस पर काम करें। Solar pump हमारे देश के किसानों को अगर Solar पम्पक से पानी निकालने के लिए व्यrवस्था मिल जाती है, तो आज हमारे किसान की Input cost कम हो जाएगी और Input cost कम हो जाएगी, तो हमारा किसान ताकतवर बनेगा। आज उसकी Input cost में पानी की सबसे बड़ी कीमत देनी पड़ती है और पानी की कीमत का मूल कारण है बिजली। और बिजली मुहैया नहीं कर पाते फिर political पार्टियां क्याी करती हैं, हर चुनाव में घोषणा करती है “बिजली मुफ्त में देंगे”। और मुफ्त में देने की घोषणा कौन करते हैं, जिनके पास बिजली नहीं है। तो बिल देंगे, तो फिर उसका बिल आएगा न। लेकिन किसानों की समस्या,ओं को हमें समझना पड़ेगा और हमारे लिए आवश्यगक है कि हम किसानों को Solar pump के द्वारा पानी निकालने की पूरी व्यएवस्थाे मिले और अपने खेत में पानी... और एक बार उसके पास Solar Pump होगा, तो वो Micro irrigation में तुरंत चला जाएगा, क्योंेकि उसको Pumping System का भी लाभ मिलेगा। और micro irrigation में जाएगा तो न सिर्फ हम ऊर्जा की बचत करेंगे, हम पानी की भी बचत करेंगे। Not only that यह माना गया है कि agriculture sector में micro irrigation के द्वारा crop ज्यायदा मिलता है, quality ज्यामदा अच्छीे मिलती है, किसान को multiple benefit की संभावना होती है। तो हम जिस ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। हम समाज जीवन में कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं और उन बदलाव को लेकर के हम कैसे काम कर सकते हैं। इस पर हम गंभीरता से सोचेंगे।

जैसे मैंने कहा ऊर्जा बचाना यह समय की मांग है। हमें सहज स्वहभाव बनाना पड़ेगा और ऊर्जा हम जितनी बचाएंगे, हम आने वाली पीढि़यों को बचाएंगे। ऊर्जा पीढि़यों के रक्षक के रूप में काम आ सकती है। और उस बात को गंभीरता से लेकर चलना भी आवश्य क है। भारत सरकार अकेली इस दिशा में आगे बढ़ रही है ऐसा नहीं है, आपने देखा करीब-करीब सभी राज्यर यहां पर मौजूद हैं। और यह वो राज्य हैं जिन्होंोने कुछ न कुछ achieve किया है। यानी आज हिंदुस्तामन के सभी राज्योंय में awareness है, initiative है और ज्याeदा लोग राज्यों के साथ मिलकर के इसमें काम भी कर रहे हैं। मैं इसे एक शुभ संकेत मानता हूं। सभी राज्य जैसे मिलकर के आगे बढ़ते हैं तो मेगावाट का गीगावाट होने में देर नहीं लगती जी। यह ताकत वो है सब राज्यि जब मिलकर के काम कर रहे हैं, तो मेगावाट से गीगावाट का सफर अपने आप चल पड़ता है और उस सफर को पाने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। मैं आपको विश्वा स दिलाता हूं। यह क्षेत्र ऐसे हैं जो मेरे article of faith हैं। मेरा इसमें विश्वामस है, मेरी इसमें श्रद्धा है।

मैं मानता हूं कि मानवजाति के कल्या ण के जो रास्तेo हैं उस रास्तोंम से हटना नहीं चाहिए और मेरा यह विश्वांस है कि दुनिया को यह global warming से बचने के रास्ते दिखाने की अगर किसी के पास सहज शक्ति है, तो हिंदुस्तायन के पास है, क्योंस‍कि हम लोग जन्मनजात रूप से प्रकृति को प्रेम करना हमें सिखाया गया है। हमारे डीएनए में है, लेकिन हम ही उसको अगर भूल जाएंगे, तो दुनिया को रास्ताय कौन दिखाएगा? और फिर दुनिया Emission के हिसाब-किताब से अपने समय बर्बाद करती रहेगी। जीने का रास्ताे क्याय हो वो दिखाने की ताकत भारत के पास के है और जो हजारों साल उसने जीकर के दिखाया है। अकेले महात्मात गांधी को लें, उन्हों ने जिन बातों को जीकर दिखाया है उसी को भी अगर दुनिया समझना शुरू करे, तो मैं समझता हूं global warming से लड़ने का रास्ताद उसको मिल जाएगा, बचने का रास्ताो मिल जाएगा। हम प्रकृति को प्रेम करने वाले लोग हैं, हम ही तो लोग हैं, जो नदी का मां कहते हैं। यह हमारे स्वामभाव में है और इसलिए मानवजाति जिस संकट की ओर आगे बढ़ रही है उसको बचाने का भी मार्ग... लेकिन भारत को खुद ने भी उसको जीने का प्रयास एक बार फिर से शुरू करना पड़ेगा। हम यह कहे कि हमारे ग्रंथों में इतना महान पड़ा हुआ है, तो हमारी गाड़ी चल जाएगी। यह होना नहीं है। जो उत्त म है उसको जीने का हौसला भी चाहिए और जो जीने का हौसला होता है तो औरों को भी उस रास्तेी पर खींच कर ले जाने की ताकत रखते हैं। उस ताकत के भरोसे हम आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं फिर एक बार इस प्रयास को बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

मैं चाहूंगा कि अनेक विषयों पर चर्चा होने वाली है, विभिन्न expert लोगों से विचार-विमर्श होगा और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग भी हमें भी मिलकर के research और innovation पर बल देना होगा। सिर्फ हम Quantum jump कितना करते हैं, पहले कितना मेगावाट थी और कितना गीगावाट हो गई उससे बात बननी नहीं है। हमें technological qualitative change लाने की जरूरत है और उसके लिए research की आवश्यoकता है। हम जो कुछ भी कर रहे हैं उस पर बल देना चाहिए।

दूसरा Manufacturing. हम Make in India की बात कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारे Solar या wind हो, Equipment manufacturing पर बल यहां पर मिले। अगर हम equipment manufacturing नहीं करेंगे और हम Equipment बाहर से लाएंगे और ईश्वमर कृपा से solar का फायदा उठाएंगे और बिजली बेचते रहेंगे तो हमारे यहां job creation ज्या‍दा नहीं होगा। अगर हमें Job create करनी है तो हमें Equipment Manufacturing पर भी बल देना पड़ेगा और उसमें भी innovations समय की मांग है। आज Wind energy में कितना Innovation हो रहा है और अब तो उसमें भी Hybrid system की संभावना दिखती है। मेरी क्षेत्र में रूचि होने के कारण इस प्रकार से काम करने वालों में, हमारे एक मित्र बता रहे थे कि अब wind mill जो होगी वो हवा में से जो humidity है उसको absorb करके वो बिजली भी दे सकती है और एक Wind Mill 10,000 litre शुद्ध पीने का पानी भी दे सकती है, हवा में से लेकर के। अब गांव में एक Wind लग जाए, मैं नहीं जानता वो technology सफल हुई है या नहीं, लेकर प्रयास चल रहे थे। अगर यह सफल होता है तो गांव में एक wind mill होगी। तो छोटा गांव होगा तो पीने के पानी की समस्याह भी अपने आप solve हो जाएगी। समुद्री तट के पीने के पानी तो तुरंत solution हो सकता है। यानी संभावनाएं जितनी पड़ी हैं हम innovation की तरफ जाए और इस समस्याu के समाधान के लिए काम करें। मुझे विश्वा स है हम एक ऐसे भारत को बना सकते हैं जो भारत में कभी आने वाली पीढि़यों का चिंता का विषय न रहे।

और हम जो भी कर रहे हैं, गरीब के घर में दीया जलाने की हमारी कोशिश है। हम जो भी कर रहे हैं भावी पीढि़यों की जिंदगी बचाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। उस कोशिश में आप हमारे साथ चल पड़े हैं। मैं आपका स्वा गत करता हूं और विश्वाोस दिलाता हूं कि हम सब मिलकर के इन सपनों को यथाशीघ्र पूर्ण करेंगे।

बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यावाद।

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
Today, Maharashtra has witnessed the triumph of development, good governance, and genuine social justice: PM Modi to BJP Karyakartas
The people of Maharashtra have given the BJP many more seats than the Congress and its allies combined, says PM Modi at BJP HQ
Maharashtra has broken all records. It is the biggest win for any party or pre-poll alliance in the last 50 years, says PM Modi
‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।