Text of PM's address at the Inauguration of Pravasi Bharatiya Divas

Published By : Admin | January 8, 2015 | 21:39 IST

विशाल संख्या में यहां पधारे हुए, विश्व के कोने-कोने से आए हुए, मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

100 वर्ष पहले, एक प्रवासी भारतीय भारत आए और आज 100 साल के बाद सभी प्रवासी भारतीयों का एक प्रवासी गुजराती स्वागत करता है। भारत के नागरिक विश्व के 200 से ज्यादा अधिक देशों में बसे हैं और मैं विश्वास से कह सकता हूं कि उन 200 देशों में सिर्फ कोई एक भारतीय मूल का व्यक्ति वहाँ बसा है ऐसा नहीं है, वहाँ एक प्रकार से पूरा भारत बसा हुआ है। आप सबके माध्यम से भारत वैश्विक बना हुआ है। 100-150 साल पूर्व, हमारे पूर्वजों ने, साहसिक पूर्वजों ने, विश्व में जहां-जहां संभावनाएं थीं, कुछ नया करने की उमंग थी, गुलाम हिन्दुस्तान में संभावनाएं नहीं थी, उन्होंने साहस जुटाया और साहस जुटाकर दुनिया के अनेक भू-भाग में पहुंचे। सामुद्रिक यात्रा रहती थी, कठिन यात्रा रहती थी, कभी-कभी लक्ष्य तक पहुंच भी नहीं पाते थे। लेकिन उनका प्रयास रहा... कि अंजान जगह पर जाना है और अपने कौशल के द्वारा, अपने सामर्थ्य के द्वारा, अपने संस्कारों के द्वारा वहां पर अपनी जगह बनाने का प्रयास।

कुछ कालखंड ऐसा भी आया कि आज भारत के शिक्षित लोग, Professionals, जीवन में और नई ऊंचाइयों को पाने के लिए, ज्ञान वृद्धि के लिए, Exposure के लिए, विश्व में गए, उन्होंने भारत की एक नई पहचान बनाई। लेकिन वो एक कालखंड था, जब आप अपना प्राण प्रिय देश छोड़कर के, अपने स्वजनों को छोड़कर के, यार-दोस्तों को छोड़कर के, दुनिया के किसी और छोर पर चले जाते थे। कभी साहसिक स्वभाव के कारण, तो कभी संभावनाओं को तलाशने के लिए, तो कभी अवसर खोजने के लिए। वो समय था जब शायद यह जरूरी था।

किंतु मैं आप सबका स्वागत करते हुए आपको विश्वास दिलाता हूं, जब हमारे पूर्वज गए थे- संभावनाओं को तलाशने के लिए। अब भारत की धरती पर संभावनाएं अब आपका इंतजार कर रही हैं। वक्त बहुत तेजी से बदल चुका है। भारत एक नए सामर्थ्य के साथ उठ खड़ा हुआ है। और विश्व, भारत के प्रति बहुत आशा भरी नजरों से देख रहा है। आज गयाना, साइथ अफ्रीका, मॉरिशस - विशेष मेहमान के रूप में हमारे बीच विराजमान हैं। मैं जब मुख्यमंत्री नहीं था, उसके पहले, मुझे इन सभी स्थानों पर जाने का अवसर मिला और गयाना के आदरणीय राष्ट्रपति जी अपनी पार्टी का और उनके Founder पूर्व राष्ट्रपति जी का उल्लेख कर रहे थे. उनके सुपुत्र भरत जगदेव जी जब राष्ट्रपति थे, तब मेरा काफी उनसे सतसंग हुआ था और गयाना के लोग किसी भी समाज के क्यों न हो, किसी भी भाषा को क्यों न बोलते हो, लेकिन जिस किसी को मिलो वे गयाना की आजादी में भारत की प्रेरणा का उल्लेख अवश्य करते हैं।

महात्मा गांधी 100 साल पहले South Africa से चले थे और मातृभूमि की सेवा का सपना लेकर भारत मां को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए मानवतावाद में विश्वास लेकर इस धरती पर आए थे। वो निकले थे South Africa से और आए थे हिंदुस्तान। आज South Africa भी हमारे बीच मौजूद है, जहां से गांधी लौटे थे। और African Congress और African National Congress का जन्म 8 जनवरी को हुआ था। आज 8 जनवरी है। आज ही का दिवस और तब उस समय महात्मा गांधी ने दीर्घदृष्टि से उस समय गांधीजी ने African National Congress के जन्म के समय विश्व पर को जो संदेश दिया था, उस संदेश में एक विश्वास झलकता था। उन्होने कहा था कि ये नवजागरण का, प्रेरणा बिंदू बनकर रहेगा। यह बात, उस समय, महात्मा गांधी ने कही थी।

आज भी मॉरिशस में 2 अक्टूबर मनाई जाती है, कभी हमारे यहां नहीं मनाई जाती होगी, ऐसी दो अक्टूबर आज भी मॉरिशस में मनाई जाती है। और मुझे सबके साथ मॉरिशस में सबके साथ दो अक्टूबर मनाने के लिए जाने का अवसर मिला था। और आज भी उनका जैसा उनके यहां जैसे हमारे महात्मा मंदिर इस प्रकार के कार्यक्रमों का केंद्र बना है, उनके यहां भी महात्मा गांधी के नाम से गांधी सभा गृह उनका सबसे बड़ा केंद्र बिंदु है। यानी कि हम देख सकते हैं कि कितना अपनापन है। आज शायद दुनिया के 70-80 ज्यादा देश होंगे, जहां पर महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी हुई है।

कुछ दिन पहले में ऑस्ट्रेलिया गया था, वहां भी मुझे सौभाग्य मिला महात्मा गांधी के प्रतिमा के अनावरण का। कहने का तात्पर्य यह है कि इस "विश्व मानव" की पहचान, इस "युग पुरुष" की पहचान, विश्व को जितनी ज्यादा होगी और समय रहते होगी, कभी-कभी उलझनों में घिरी इस दुनिया को वैचारिक स्वतंत्रता का संदेश देने की क्षमता आज भी गांधी रखते हैं। आज भी गांधी के विचार विश्व को, और खास करके मानवतावाद को केंद्र में रखकर समस्या का समाधान कैसे हो सकता है, विकास की राह कैसे सरल हो सकती है, आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति की जिंदगी में बदलाव कैसे आ सकता है - शायद गांधी से बढ़कर के चिंतन कहीं नहीं है।

और हम सबका गर्व है, हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि महात्मा गांधी विदेश की उस सारी दुनिया को अलविदा करके हमारे गांव और गरीब लोगों के लिए खप गए थे। और तभी तो आज इतिहास हर पल उन्हें स्मरण कर रहा है।

हमारे देश के लोग जो बाहर गए – अगर आप गयाना जाएंगे, भाषा बोलना तो कठिन है हमारे लोगों को, लेकिन होली अगर आप देखोगे गयाना की, तो वैसी ही रंगों में रंग जाते हैं जैसे हिंदुस्तान की धरती पर हम रंग जाते हैं। जब दीवाली मनाते हैं तो आप को लगेगा कि क्या दीये जगमगाते हैं, ऐसा लगता है कि हिंदुस्तान में रहने वाले हिन्दुस्तानियों को गुयाना में जलता हुआ दीप हमें प्रेरणा देने की ताक़त रखता है। ये हमारे लोगों ने विरासतें खड़ी की हैं, एक ताक़त कड़ी की है. और इसी ताकत को एक सकारात्मक काम के लिए इस्तेमाल करना, इस सामर्थ्य को विश्व में सार्थक पहचान कराने का वक्त आ चुका है। अब हम बिखरे-बिखरे, एक अकेले, किसी देश के एक कोने में - भले ही एक हिंदुस्तानी वहां अकेला होगा, लेकिन उसके साथ पूरा हिंदुस्तान जिन्दा है।

एक नई ज़िम्मेदारी मिलने के बाद, मुझे विश्व के 50 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, बातचीत करने का मौका मिला है और इतने कम समय में इतनी बड़ी मात्रा में, करीब-करीब विश्व के सभी देशों के अध्यक्षों से मिलना और उनके साथ जो बातचीत हुई, खुले मन से बात हुई है। उन बातों से लगता है, दुनिया का समृद्ध से समृद्ध देश हो तब भी और दुनिया का गरीब से गरीब देश हो तब भी.... हर किसी की नजर हिंदुस्तान पर है। हर एक को लगता है कि हम जहां जाना चाहते हैं, शायद भारत के साथ कदम मिलाकर के हम चल सकते हैं। हर कोई अपनी एकाध-एकाध चीज के साथ भारत को जोड़कर के देख रहा है। ऐेसे अवसर बहुत कम आते हैं। अब हम हिंदुस्तान के लोग जो विदेशों में बसे हुए हैं, ये उनका कर्तव्य बनता है कि वे इस अवसर को मानव जाति के कल्याण की दृष्टि से और भारत की उत्कर्षता की दृष्टि हम काम में कैसे लगाएं? और मैं मानता हूं आज हर भारतीय एक शक्ति के रूप में वहां विराजित है। वो अगर संगठित शक्ति बनती है, अगर वे अपने आप में एक Driving force बनती है, तो हम अनेक नए परिणामों को प्राप्त कर सकते हैं।

विश्व में भारतीयों के प्रति जो आदर है, जो लगाव है, उसका कारण वहां रहने वाले भारतीयों के पास विपुल मात्रा में कोई सपंदा है, वो नहीं है। जिन मूल्यों को लेकर के वो जी रहे हैं, जिन सांस्कृतिक विरासत का वो प्रतिनिधित्व कर रहा है। और इसका परिणाम है आज दुनिया में किसी भी देश में वहां के नागरिक को जब पता चले कि हमारे पड़ोस वाले घर में कोई भारतीय परिवार रहने के लिए आने वाला है, तो सबसे ज्यादा खुशी उसको होती है कि “वाह बहुत अच्छा हो गया, हमारे बगल में भारतीय पड़ोसी आ गया है। हमारे बच्चों के विकास में बहुत काम आएगा।“

क्यों? क्योंकि Family values उसमें अपने आप सीख जाएगा। दुनिया के किसी भी देश में भारतीय को ये अनुभव नहीं आता है। नहीं-नहीं भाई हमारे मौहल्ले में नहीं, हमारी गली में नहीं, हमारी सोसायटी में नहीं, ऐसा कभी अनुभव नहीं आता है। ये कौनसी ताकत है? ये अपनापन, लगाव, दुनिया हमें स्वागत करने के लिए बांह फैलाकर के खड़ी रहती है उसका कारण क्या है? ये हमारे मूल्य हैं, हमारी सांस्कृति है, ये हमारे संस्कार हैं, हमारी इस विरासत को हम जी रहे हैं, उसी की वजह तो हो रहा है। और इसलिए हमारी ये जो बदौलत है उस बदौलत को हम कैसे आगे लेकर के जाएं। उस दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए।

कभी-कभार लोगों को लगता है कि भई अब हम बाहर रहते हैं, सालों से चले गए, हम क्या कर सकते हैं? मैं समझता हूं ऐसा सोचने की जरूरत नहीं है। कोई एक-दो महीने पहले की घटना है मुझे किसी ने अखबार की एक कटिंग भेजी थी, Xerox भेजी थी उसकी और बड़ा Interesting था। मैं नाम वगैरह तो भूल गया। सूरत जिले में कोई एक NRI अपने गांव आते थे, हर साल आते थे। जब अपने गांव आते थे 15 दिन, महीना-दो महीना जितना दिन भी रुकते थे। वे सुबह झाड़ू लेकर के गांव की सफाई किया करते थे, गांव की गलियों में जाते थे कूड़ा-कचरा साफ किया करते थे और गांव वाले उनकी बड़ी मजाक उड़ाते थे। उनको लगता था इसका Screw ढीला हो गया है। सबको उनके प्रति बड़ी विचित्रता का भाव रहता था। लेकिन इस बार जब वो आए उन्होंने तो ये काम जब शुरू किया, वो तो पहले भी करते थे। अपने गांव में निकल पड़े, आते ही दुसरे दिन सुबह jetlag कुछ नहीं, बस वो ही काम। इस बार उन्होंने देखा पूरा गांव उनके साथ जुड़ गया था। और वो खबर मुझे किसी ने एक Press cutting भेजा था।

एक प्रवासी भारतीय मैं 100 साल पहले गांधी को देखता हूं – दुनिया को कैसे खड़ा कर दिया था। और एक छोटा सा नागरिक जिसका नाम-पहचान कुछ नहीं है लेकिन Commitment के साथ उसने अपने गांव को कैसे बदल दिया। इसका उदाहरण ये कहता हूं मैं ये। ऐसे तो एक हैं, अनेकों होंगे, अनेकों होंगे। जिन्होंने अपनी शक्ति, बुद्धि, समझ को रहते मां भारती की सेवा को लगाने का प्रयास किया होगा। और ये ही तो है हमारी ताकत।

आप देखिए दुनिया भारत को कितना प्यार कर रही है उसका उदाहरण देखिए। मुझे पहली बार UN में जाने का अवसर मिला। वहां मुझे भारत की तरफ से बोलना था तो बोलते-बोलते मैंने एक बात कही कि United Nation अनेक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता है। Children day मनाता है, Women day मनाता है, Non-violence day मनाता है। क्यों न विश्व Yoga day मनाएं? अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कैसे मनें, ये मैंने वहां प्रस्ताव रखा और United Nation के इतिहास की एक अद्भुत घटना घटी। 193 Countries है UN के Member. Out of 193 Countries 177 Countries ने Co-sponsor के नाते उस प्रस्ताव का समर्थन किया। इतना ही नहीं इस प्रकार के प्रस्तावों में आज तक जितना समर्थन मिला है ये Record breaking है। किसी भी प्रस्ताव को कभी भी इतने सारे देशों ने समर्थन किया ऐसा कभी नहीं हुआ। 40 से अधिक मुस्लिम Countries ने समर्थन किया। सामान्य रूप से इस प्रकार का प्रस्ताव पारित होने में उसकी प्रक्रिया बड़ी विशेष होने के कारण करीब-करीब दो साल लग जाते हैं। इस प्रस्ताव को पारित होने में मुश्किल से 100 दिन लगे। मैं इस चीज को विस्तार से इसलिए कह रहा हूं कि विश्व भारत को किस प्रकार से गले लगाने को तैयार है, ये उसकी एक छोटी सी झलक है।

इससे हम अंदाजा कर सकते हैं कि दुनिया हमें स्वीकार करने के लिए सज्य बैठी है और विश्व हमें स्वीकार करने के लिए सज्य बना है तब ये हमारा दायित्व बनता है कि हम अपने आप को विश्व की अपेक्षा के अनुसार अधिक सजग करें, अधिक सामर्थ्यवान बनाएं। दुनिया को देने के लिए हमारे पास क्या नहीं है? अगर आवश्यकता है, तो हमारे भीतर एक विश्वास की आवश्यकता है, अपने पर भरोसे की आवश्यकता है, और आखिरकार महात्मा गांधी ने आजादी दिलाई तो इसी मंत्र से दिलाई थी कि उन्होंने हर हिंदुस्तानी के दिल में आजादी की आग भर दी थी, आत्मविश्वास भर दिया था और झाड़ू लगाए तो भी आजादी के लिए करता हूं, बच्चों को पढ़ाएं तो भी आजादी के लिेए करता हूं, खादी पहने तो भी आजादी के लिए कर रहा हूं, सेवा का कोई प्रकल्प करें तो भी मैं आजादी के लिए कर रहा हूं। ऐसा एक जनांदोलन खड़ा कर दिया था।

हम भी - इस मानवतावाद की आज सबसे बड़ी ज़रूरत है तब - इन्हीं आदर्शों को लेकर के विश्व के सामने भारत एक आशा की किरण लेकर के बैठा है तब - अपने आप को सज्य करने का प्रयास हमारे लिए बहुत बड़ी आवश्यकता है।

ये प्रवासी भारतीय दिवस, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब 2003 में प्रारंभ हुआ और निरंतर चल रहा है। लेकिन बीच में थोड़ा-थोड़ा, आप लोगों का आने का मन नहीं करता था, बहुत कम लोग आते थे, कुछ लोग इसलिए आते थे कि आना पड़ता था। कुछ लोग इसलिए आते थे कि आए बिना रह नहीं सकते थे। लेकिन मैं हर बार आता था। और शायद केरल में जब हुआ था एक बार, तब मैं रूबरू तो नहीं जा पाया था तब मैंने Video Conferencing से प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा लिया था। मैं समय इसलिए देता था, मैं जाने के लिए इसलिए उत्सुक रहता था, कि मैं Conviction से मानता हूं कि विश्व भर में फैला हुआ जो हिंदुस्तानी नागरिक है, वो आज के वैश्विक परिवेश में भारत की बहुत बड़ी ताकत है, भारत की पूंजी है। और इस पर हम जितना ध्यान देंगे, हम आसानी से विश्व फलक पर अपनी जगह बना सकते हैं।

और इसलिए, जिस प्रकार से विश्व में रहने वाले भारतीयों के साथ भारत का नाता महत्वपूर्ण है, उतना ही भारत के लिए, विश्व में रहने वाले भारतीयों के प्रति, नाभि का नाता उतना ही जरूरी है। ये one way नहीं है। ये दो तरफा है। और इस दो तरफा को बल देने का हमारा प्रयास है।

विश्व में रहने वाला हमारा हिंदुस्तानी, एक बात मैंने बराबर देखी है कि भारत में अगर कोई भी पीड़ादायक घटना हुई हो, कोई हादसा हुआ हो - हो सकता हो सालों से हिंदुस्तान छोड़कर गया हो, भाषा भी मालूम न हो, घटना घटी हो, भौगोलिक रूप से वो कहां है, वो भी मालूम न हो लेकिन हिंदुस्तान में हुआ है - इतना कान पर पड़ते ही या टीवी पर आंख से देखते ही दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले आंख में से आंसू टपकते हैं। उसको उतना ही दर्द होता है, जितना दर्द हिंदुस्तान में जो इस घटना को अनुभव कर रहा है, उसको पीड़ा होती है, उतनी ही मेरे देशवासी जो दुनिया में बसे हैं, उनको पीड़ा होती है।

मुझे याद है जब गुजरात में कच्छ का भूकंप आया था, विश्व का कोई हिंदुस्तानी ऐसा नहीं होगा, जिसने उस समय गुजरात के आंसू पोंछने का प्रयास न किया हो। ये विश्व भर में फैला हुआ हमारा भाई - जिसको हिंदुस्तान के प्रति इस प्रकार का लगाव है, इस प्रकार का नाता है। यहां के दुख के लिए दुखी, यहां के सुख के लिए सुखी। जब मंगलयान की सफलता हुई, Mars orbit पर हम लोग पहुंचे, पहले प्रयास में पहुंचे। सिर्फ हिंदुस्तान नाचा था, नहीं, दुनिया भर में पहुंचा हुआ हिंदुस्तानी भी नाचा था। उसके लिए गर्व की बात थी कि मेरा देश ये प्रगति कर रहा है। इस ताकत को हम कैसे आगे बढ़ाएं, उस दिशा में हम सोच रहे हैं।

मैं जानता हूं जब मैं मुख्यमंत्री भी नहीं था, प्रधानमंत्री भी नहीं था, तब भी मैं विश्व के कई लोगों से मिलता था तो मैं उनकी शिकायतें भी जरा सुनता रहता था। तब मैं देखता था कि भरी शिकायतें रहती थीं। हमने आने के बाद कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की थीं। जब मैं विदेश प्रवास पर था तो चाहे ऑस्ट्रेलिया हूं, चाहे फिजी रहा, चाहे अमेरिका गया। जो बातें मैंने बताई थीं कि हम ये करेंगे। आज मैं गर्व के साथ आपको हिसाब देता हूं कि हमने जो कहा था वो सब पूरा कर दिया है। हमने कहा था कि PIO card holder को आजीवन वीजा दिया जाएगा - वो काम हो चुका है। अब आपको Embassy के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दूसरी एक समस्या थी - वो क्यों थी वो अभी भी मेरी समझ मैं नहीं आता है - जो PIO card holder थे और भारत में आकर के रहते थे, उनको हर सप्ताह पुलिस स्टेशन जाना पड़ता था। कुछ सिखाने के लिए नहीं - हाजिरी लगानी पड़ती थी। और मैं जब ये सुनता था तो मैं सोचता था कि क्यों ये सब हो रहा है? लेकिन जब ये काम करने की जिम्मेवारी मेरी आई, ये नियम अब समाप्त कर दिया गया है। ये एक स्वाभिमान का विषय है, सम्मान का विषय है, ये सिर्फ कोई Administrative decision के रूप में न देखा जाए। आज सरकार में बैठे हुए लोगों के लिए आपके सम्मान का महत्व क्या है, वो इस निर्णय में दिखाई देता है।

एक मैंने कहा था क्योंकि कईयों ने मुझे कहा था कि ये PIO अलग OCI अलग क्यों - ये हमारे साथ भेद-भाव क्यों? तो मैंने हमारे अफसरों से पूछा, गोलमोल-गोलमोल जवाब आते रहते थे। आगे का मैंने कहा, जो होगा, सो होगा कर दो एक बार। अब हमने घोषणा तो कर दी। जब हम यहां आये तो सारा कानून बदलना था, बड़ी लंबी प्रक्रिया थी। खैर उस प्रक्रिया से भी हम निकल चुके हैं, और आज मैं गर्व के साथ आपको हिसाब दे सकता हूं कि अब PIO और OCI card दोनों व्यवस्थाओं को merge कर दिया गया है और सबको एक ही प्रकार की सुविधाएं मिल पाएंगी।

उसी प्रकार से - Visa on Arrival। आप जानते हैं, आपको क्या-क्या तकलीफें झेलनी पढ़ी हैं भूतकाल में। मैं जानता हूं। और इसलिए अब Visa on Arrival। इसलिए अब Visa on Arrival। आपके लिए ये सुविधा कर दी गई है। करीब दुनिया के 43 Countries को इसका benefit already हमने कर दिया है। उसी प्रकार से Electronic travel authorization - ये व्यवस्था भी कर दी है ताकि Online Correspondence से भी आप ये काम कर सकते हैं। आपका समय सबसे ज्यादा बचे और हमारी Embassy एक प्रकार से आपके लिए सर्वाधिक उपयोगी हो उस दिशा के महत्वपूर्ण कदम इस सरकार ने already उठा लिए हैं।

दिल्ली में एक प्रवासी भारतीय केंद्र, उसकी स्थापना का निर्णय हुआ था। अब उसका भवन तैयार हो गया है। थोड़े ही दिनों में वो भी प्रारंभ हो जाएगा और मैं मानता हूं कि इसका लाभ आने वाले दिनों में सभी प्रवासी भारतीयों को मिलेगा।

कुछ लोगों को लगता है कि प्रवासी भारतीयों के साथ ये जो मेल-मिलाप है कुछ अपेक्षाओं से है। मैं समझता हूं कि ये अपेक्षाओं के लिए नहीं है। अपनों से मिलना, यही अपने आप में एक ताकत होती है। मिल-बैठकर के एक-दूसरे के सुख-दुख बांटना ये भी अपने आप में एक बहुत बड़ा ऊर्जा का केंद्र बन जाता है और इसलिए ये हमारा मेल-मिलाप उसकी अपनी एक विशेषता है - और अब तो युवा पीढ़ी जिनका जन्म ही वहां हुआ Second generation, Third generation है। वे युवक भी इन दिनों बहुत बड़ी मात्रा में शरीख होते हैं कयोंकि उनको भी भारत के लिए कुछ न कुछ करने की उमंग रहती है।

जिनके मन में कुछ करना है उनके लिए बहुत कुछ है। लेकिन हर चीज पाउंड और डॉलर से ही होती है, ये मानने की आवश्यकता नहीं है। मैंने ऐसे लोग देखे हैं, गुजरात में हम जब भूकंप के लिेए काम कर रहे थे, Canada से एक बच्ची आई थी उससे मैं मिला था, मुस्लिम परिवार से थी। उसका जन्म शायद African country में हुआ और बाद में उसका परिवार Canada में Shift हुआ था। उसके पिता ने, उसकी माता ने कभी हिंदुस्तान देखा नहीं था लेकिन कच्छ के भूक्ंप के बाद वो आई, कच्छ में रही और महीनों तक उसने कच्छ में काम किया था। ये ताकत जो है, इसको हमने समझने की आवश्यकता है।

हमारे पास ज्ञान है, हमारे पास अनुभव है, हमारे पास एक विशिष्ट परिस्थिति में काम करने का Exposure है, हम एक अलग प्रकार के Discipline से गुजरे हुए लोग हैं। ये वो चीजें हैं जो हम अपने यहां Inject कर सकते हैं, इसको ला सकते हैं। और यहां रहकर के, कुछ समय अपने लोगों के साथ कुछ समय बिताकर के हम इन चीजों को कर सकते हैं। और ये भी देश की बहुत बड़ी सेवा होती है।

इन दिनों स्वच्छ भारत का एक अभियान चलाया है। लेकिन एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण काम, जो मैं जानता हूं कि आप सब के दिलों में भी वो उतनी ही ताकत रखता है। आप के दिलों को भी छूने के लिए उस बात में उतना ही सामर्थ्य है। और वो है मां गंगा की सफाई। आप इस प्रकार की Technology से परिचित हैं, आप इस तरह के काम से परिचित हैं। एक नमामी गंगे फंड create भी किया गया है कि दुनिया के जो भी लोग गंगा के अंदर अपना योगदान चाहते हैं वो आर्थिक मदद करना चाहते हैं वो दे सकते हैं, जो आकर के समय देना चाहते हैं वो दे सकते हैं। जो ज्ञान परोसना चाहते हैं वो ज्ञान दे सकते हैं, जो Technology लाना चाहते हैं वो Technology ला सकते हैं। एक प्रकार से विश्व भर में फैले हुए समाज जिसके मन में गंगा के प्रति और गंगा की क्या ताकत है।।। पूरे मॉरिशस को कोई एक जगह जोड़ती है, कोई एक जगह आंदोलित करती है तो मॉरिशस का गंगा सागर है। तालाब तो मॉरिशस के लोगों ने खुद बनाया है, तालाब है, लेकिन गंगा जी से लेकर के वहां जाकर जल डाला है। जल तो थोड़ा ही डाला लेकिन उन्होंने उसमें से एक भाव जब पैदा किया कि ये गंगा का प्रतिनिधित्व करती है और आज भी शिवरात्रि का मेले देखो तो पूरे मॉरिशस के मूल भारतीयों को जोड़ने का कोई एक जगह है तो वो गंगा सागर है। हिंदुस्तान से दूर गंगा नाम से बना हुआ एक तालाब भी पूरे मॉरिशस को सांस्कृतिक विरासत को जगाने की प्रेरणा दे सकता है और जब शौकत अली जी को सुनोगे तो आपक पता चलेगा किस प्रकार से उसने वहां के जीवन को बदला है। यो मां गंगा है - ढाई-तीन हजार किलोमीटर लंबी, हिंदुस्तान की 40 प्रतिशत जनसंख्या जिसके साथ सीधी-सीधी जुड़ी हुई है - और मेरे लिए गंगा की सफाई जिस प्रकार से Environment का विषय है, गंगा की सफाई श्रृद्धा का विषय है, गंगा की सफाई सांस्कृतिक विरासत का विषय है, उसी प्रकार से गंगा की सफाई उन 40 प्रतिशत उस भू-भाग में रहने वाले भाईयों-बहनों की आर्थिक उन्नति का बी प्रतीक बन सकता है और इसलिए उस काम को हमें करना है और जिन राज्यों से मां गंगा गुजरती है। वहां पर आर्थिक उन्नति के लिए हम जितना करे उतना कम है। चाहे उत्तर प्रदेश हो, बिहार हो, झारखंड हो, उत्तराखंड हो, पश्चिम बंगाल हो - ये सारा इलाका है, जहां पर आर्थिक उन्नति की बहुत संभावनाएं पड़ी और उन संभावनाओं को तराशने के लिए मां गंगा एक बहुत बड़ा केंद्र बिंदू बन सकती है। गंगा के किनारे पर विकास हो सकता है, 120 से ज्यादा शहर हैं गंगा के किनारे पर, छह हजार से ज्यादा गांव हैं, ढाई हजार किलोमीटर लंबा है और काशी जैसा तीर्थ क्षेत्र हो, हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री, यमुनोत्री हो क्या कुछ नहीं है!

इस विरासत को लेकर कर हम आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं आपको निमंत्रण देता हूं। आइए। आपका ज्ञान, बुद्धि, सामर्थ्य जो कुछ भी हो इसके साथ जुडि़ए। जो Environment में विश्वास करते हैं उनके लिए भी वहां भरपूर काम है, जो Inclusive growth में विश्वास करते हैं, उनके लिए वहां भरपूर काम है, जो Rural development में विश्वास करते हैं, उनके लिए वहां भरपूर काम है, जो Adventure चाहते हैं उनके लिए भी भरपूर काम है।

मां गंगा सबको समेटे हुए हैं, मां गंगा से जुडऩे का अवसर मतलब है हजारों साल से पुरानी संस्कृति से जुडने का अवसर। इस अवसर को हम लें, और उसी का उपयोग करें, यह मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ। आज भारत विकास यात्रा पर कहां से कहां पहंच रहा है, उसके लिए आपका समय नहीं लेना चाहता। क्योंकि 11 तारीख को मैं एक दुसरे अवसर पर फिरसे इस सभाग्रह में आ रहा हूँ। उस समय काफी विस्तार से बातें करनी होंगी क्योंकि आर्थिक विषयों से जुड़ा हुआ वह कार्यक्रम है लेकिन मैं चाहता हूं कि आपकी शक्ति और सामर्थ्य, हमारे यहां शास्त्रों में एक बहुत ही बढ़िया श्लोक विदेश में रहने वाले लोगों के लिए है, बहुत अच्छा है। मैं उसका ज़िक्र यहाँ करना चाहता हूँ। शास्त्र कहते हैं:

यस्तु संचरते देशान् सेवते यस्तु पण्डितान् | तस्य विस्तारिता बुधिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि ||

उसका सीधा meaning यह है, कि जो विश्व में भ्रमण करता है, वो इतना ज्ञान और अनुभव अर्जित करता है, और वो ज्ञान-अनुभव इतना पैना होता है, इतना ताकतवर होता है, कि कितना ही गहरा समंदर क्यों न हो, पानी का कितना ही बड़ा सागर क्यों न हो, लेकिन उसपर एक तेल बिंदु पड़े, तो जिस प्रकार से वो उसपर प्रभावी होकर के फैल जाता है – यह विश्व भर में भ्रमण करके पाया हुआ ज्ञान भी उतना ही ताक़तवर होता है, यह मन्त्र कह रहा है। और वो ताक़त के धनी आप हैं। वो ताक़त के धनी आप हैं।

उस ताक़त का उपयोग, माँ भारती की सेवा के लिए कैसे लगे, आने वाले दिनों में, भारत जो विकास की ऊचाइयों को पार कर रहा है, आप भी उसके साथ जुड़िये, इस महान सांस्कृतिक विरासत से विश्व को परिचित कराइए, और जिस मन्त्र को लेकर के, हमारे पूर्वजों ने कल्पना की थी – हम ही तो लोग थे, जिन्होंने पहली बार विशवास से कहा था: “वसुधैव कुतुम्भकम”। The whole world is a family।

पूरे विश्व को जिसने परिवार माना है, वो हमारा DNA है। वो हमारी संस्कृति है। पूरे विश्व को जिसने परिवार माना है, उसका एक दायित्व बनता है कि मानवतावाद के विषय को लेकर के पूरे विश्व में हम एक ताक़त के साथ पहुंचें। फिर एक बार – Guyana के राष्ट्रपतिजी हमारे बीच आये, उनका स्वागत करता हूँ, उनका आभार व्यक्त करता हूँ। South Africa की विदेश मंत्रीजी हमारे बीच आयीं, उनका भी स्वागत करता हूँ, उनका अभिनन्दन करता हूँ। और Mauritius के उप-प्रधान मंत्रीजी हमारे बीच आये, मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूँ।

आज के अवसर पर, राष्ट्र्पिताजी के 100 साल पहले वापिस आने की ख़ुशी में भारत सरकार ने सौ रूपएका और दस रूपए का सिक्का आज हमें दिया है, और उसकी प्रकार से पोस्टल स्टाम्प भी आपके सामने रखा है। पोस्टल स्टाम्प, और ये सिक्के इतिहास की धरोहर बनते हैं। आज भी आपने देखा होगा, पुरातात्त्विक विभाग जो रहता है – Archaeological Department – वो इतिहास की कड़ी जोड़ने के लिए, पुराने coin जो मिलते हैं, वो उसकी सबसे बड़ी ताक़त होते हैं। उसके आधार पर वो तय करते हैं, कि 400 साल पहले कहाँ कौन सी currency थी, और वो currency 2000km दूर, सात समंदर पार, कहाँ-कहाँ पर दिखाई दी – उसके आधार पर 1000 साल पहले कैसा विश्व व्यापार था, किस प्रकार के सांस्कृतिक सम्बन्ध थे, ये सारी कड़ी जोड़ने में यह काम आता है। सिक्कों का महत्त्व आज भी उतना ही है, और विश्व में कई ऐसे लोग हैं, जो इस प्रेरणा को लेकर के चलते हैं।

मेरे मन में एक विचार है। विदेश में रहे हुए हमारे मित्र उस काम को अगर कर सकें तो ज्यादा अच्छा होगा। क्या हम इस प्रवासी भारतीय दिवस पर - विशेष योगदान करने वाले लोगों का तो हमें सम्मान करने का सौभाग्य मिलता है – जिन्होंने अपने-अपने, जो अपनी कर्म भूमि है, वहां भारत का झंडा ऊंचा रखने के लिए कुछ न कुछ योगदान किया होगा। लेकिन क्या भविष्य में, अगर विदेश की जो Young Team है, वो आगे आये तो।।। मैं इस कार्यक्रम को भारत के माध्यम से करना नहीं चाहता – बाहर के लोग करें तो मेरे मनन में विचार है – कि हम आज का जो Information Technology का युग है, Communication की नयी दुनिया है, उसका उपयोग करते हुए, “भारत को जानो” – ऐसी एक प्रति वर्ष एक Quiz Competition कर सकते हैं? Online Quiz Competition।

भारत के सम्बन्ध में ही सवाल हों। और भारत से बाहर रहने वाले लोग उसमें शरीक हों, उसमें हिस्सा लें। और उसमें जिसका नंबर आये, उनका सम्मान प्रवासी भारतीय दिवस में होता रहे, ताकि साल भर हमारी युवा पीढी को online जाकर के, Quiz Competition में जुड़ करके, ज्यादा से ज्यादा marks पाने का प्रयास हो, और पूरे विश्व में, भारत को जानने का एक बहुत बढ़ा आन्दोलन खड़ा हो जाए। उस दिशा में हम प्रयास कर सकते हैं।

मैं फिर एक बार आप सबको प्रवासी भारतीय दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनायें देता हूँ। और पूज्य बापू ने, भारत आकर के, भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया। और इतना ही नहीं, भारत के मानवतावाद का सन्देश था, उसे पूरे विश्व को पहुंचाया, ऐसे युगपुरुष के भारत आगमन का यह शताब्दी का पर्व हम मना रहे हैं। तब हम भी, जहां भी हों – नाभि से नाता जुडा रहे। मिट्टी से नाता जुडा रहे। अपनों के लिए कुछ न कुछ कर गुजरने का हौसला बुलंद बना रहे – इसी अपेक्षा के साथ, सबको बहुत बहुत शुभकामनायें।

धन्यवाद।

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After 43 years, an Indian Prime Minister is visiting Kuwait: PM
The relationship between India and Kuwait is one of civilizations, seas and commerce: PM
India and Kuwait have consistently stood by each other:PM
India is well-equipped to meet the world's demand for skilled talent: PM
In India, smart digital systems are no longer a luxury, but have become an integral part of the everyday life of the common man: PM
The India of the future will be the hub of global development, the growth engine of the world: PM
India, as a Vishwa Mitra, is moving forward with a vision for the greater good of the world: PM

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।