सर जगन्‍नाथ जी, मारीशस सरकार के मंत्रीपरिषद के सभी महानुभाव, सभी वरिष्‍ठ नागरिक भाईयों और बहनों,

सर जगन्‍नाथ जी ने कहा कि छोटे भारत में भारत के प्रधानमंत्री का स्‍वागत करता हूं। ये लघू भारत शब्‍द सूनते ही पूरे तन मन में एक वाइब्रेशन की अनुभूति होती है, एक अपनेपन की अनुभूति होती है। एक प्रकार से 1.2 मिलियन के देश को 1.2 बिलियन का देश गले लगाने आया है। ये अपने आप में हमारी सांस्‍कृतिक विरासत है। हम कल्‍पना कर सकते हैं कि सौ डेढ़ सौ साल पहले हमारे पूर्वज यहां श्रमिक के रूप में आए और साथ में तुलसीदासकृत रामायण, हनुमान चालीसा और हिंदी भाषा को ले करके आए। इन सौ डेढ़ सौ साल में अगर ये तीन चीज़ें न होती और बाकी सब होता, तो आप कहां होते और मैं कहां होता, इसका हम अंदाज कर सकते हैं। इसे हमने बचाए भी रखा है, बनाए भी रखा है और जोड़ करके भी रखा है।

684-16 PM in Mauritius At Bhawan Nirmaan Aarambh, World Hindi Secretariat (2)

1975 में, जब नागपुर में विश्‍व हिंदी सम्‍मेलन हुआ तब श्री शिवसागर जी वहां आए थे और आपने उस समय प्रस्‍ताव रखा था, एक विश्‍व हिंदी सचिवालय होना चाहिए। 1975 में इस विचार को स्‍वीकार किया गया था, लेकिन उस बात को आगे बढ़ते-बढ़ते सालों बीत गए। और मैं मानता हूं कि आज विश्‍व सचिवालय की एक नई इमारत का शिलान्‍यास हो रहा है, तो उसकी खुशी विश्‍वभर में फैले हिंदी प्रेमियों को तो होगी ही होगी, लेकिन मुझे विश्‍वास है कि सर शिवसागर जी जहां कहीं भी होंगे, उनको अति प्रसन्‍नता होगी कि उनके सपनों का यह काम आज साकार हो रहा है।

जब अटल जी की सरकार थी तो 1975 के विचार को आगे बढ़ाने की दिशा में प्रयास हुआ। डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी यहां आए थे। फिर बाद में गाड़ी में रूकावट आ गई और शायद ये काम मेरे ही भाग्‍य में लिखा था। लेकिन मैं चाहूंगा कि अब ज्‍यादा देर न हो। आज जिसकी शुरूआत हो, अभी तय कर लें कि इतनी तारीख को उसका उद्घाटन हो जाए।

मॉरीशस ने हिंदी साहित्‍य की बहुत बड़ी सेवा की है। बहुत से सार्क देशों में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम रहा है। अनेक भाषा भाषी लोगों ने हिंदी भाषा को सीखा है। दूनिया की अनेक युनिवर्सिटीज़ में हिंदी सिखाई जाती है। कई पुस्‍तकों का हिंदी में अनुवाद हुआ है। कई भाषाओं की किताबों का अनुवाद हुआ है। लेकिन जैसे मूर्धन्‍य साहित्‍यकार दिनकर जी कहते थे कि मॉरीशस अकेला एक ऐसा देश है जिसका, उसका अपना हिेंदी साहित्‍य है। ये मैं मानता हूं, बहुत बड़ी बात है।

अभी 2015 का प्रवासी भारतीय दिवस हुआ। इस बार के प्रवासी भारतीय दिवस में कार्यक्रम रखा गया था कि प्रवासी भारतीयों के द्वारा जो साहित्‍य सर्जन हुआ है, उसकी एक प्रदर्शनी लगाई जाए। दूनियाभर में फैले हुए भारतीयों ने जो कुछ भी रचनाएं की हैं, अलग-अलग भाषा में की हैं, उसकी प्रदर्शनी थी। और मैं आज गर्व से कहता हूं कि विश्‍वभर में फैले हुए भारतीयों के द्वारा लिखे गए साहित्‍य की इस प्रदर्शनी में डेढ़ सौ से ज्‍यादा पुस्‍तकें मॉरीशस की थीं। यानि यहां पर हिंदी भाषा को इतना प्‍यार किया गया है, उसका इतना लालन-पालन किया गया है, उसको इतना दुलार मिला है, शायद कभी कभी हिंदुस्‍तान के भी कुछ इलाके होंगे जहां इतना दुलार नहीं मिला होगा जितना मॉरीशस में मिला है।

भाषा की अपनी एक ताकत होती है। भाषा भाव की अभिव्‍यक्ति का एक माध्‍यम होता है। जब व्‍यक्ति अपनी भाषा में कोई बात करता है, तब वो दिमाग से नहीं निकलती है, दिल से निकलती है। किसी और भाषा में जब बात की जाती है तो पहले विचार, दिमाग में ट्रांसलेशन चलता है और फिर प्रकट होता है। सही शब्‍द का चयन करने के लिए दिमाग पूरी डिक्‍शनरी छान मारता है और फिर प्रकट होता है। लेकिन, अपनी भाषा भाव की अभिव्‍यक्ति का बहुत बड़ा माध्‍यम होती है। जयशंकर राय ने कहा था कि मारीशस की हिंदी.. ये श्रमिकों की भक्ति का जीता जागता सबूत है। ये जयशंकर राय ने कहा था।

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और मैं मानता हूं कि मॉरीशस में जो हिंदी साहित्‍य लिखा गया है, वो कलम से निकलने वाली स्‍याही से नहीं लिखा गया है। मॉरीशस में जो साहित्‍य लिखा गया है, उस कलम से, श्रमिकों की पसीने की बूंद से लिखा गया है। मॉरीशस जो हिंदी साहित्‍य है, उसमें यहां के पसीने की महक है। और वो महक आने वाले दिनों में साहित्‍य को और नया सामर्थ्‍य देगी। और जैसा मैंने कहा कि भाव की अभिव्‍यक्ति .. हर भाषा का भाषातंर संभव नहीं होता है। और भाव का तो असंभव होता है।

जैसे हमारे यहां कहा गया है- "राधिका तूने बांसूरी चुराई।" अब यहां बैठे हुए जो लोग भी हिंदी भाषा को जानते हैं, उन्‍हें पूरी समझ है कि मैं क्‍या कह रहा हूं। “राधिके तूने बांसूरी चुराई।“ लेकिन यही बात बहुत बढिया अंग्रेजी़ में मैं ट्रांसलेट करके कहूंगा तो ये कहूंगा कि “Radhika has stolen the flute. Go to police station and report.” भाषा भाव की अभिव्‍यक्ति का एक बहुत बड़ा माध्‍यम होता है। भाषा से अभिव्‍यक्‍त होने वाले भाव सामर्थ्‍य भी देते हैं। हम हमारे प्रधानमंत्री श्री अनिरूद्ध जगन्‍नाथ जी को जानते हैं। नाम भी बोलते हैं लेकिन हमें पता नहीं होगा शायद कि जगन्‍नाथ में से ही अंग्रेजी डिक्‍शनरी में एक शब्‍द आया है और मूल शब्‍द वो जगन्‍नाथ का है.. और अंगेज़ी में शब्‍द आया है- Juggernaut. यानी ऐसा स्रोत,ऐसी शक्ति का स्रोत जिसे रोका नहीं जा सकता। इस के लिए और अंगेज़ी में शब्‍द आया है- Juggernaut. ये जगन्‍नाथ से गया है।

क्योंकि जब पुरी में जगन्‍नाथ जी यात्रा निकलती है और जो दृश्‍य होता है, उसमें जो शब्‍द वहां पहुंचा है। मैं एक बार Russia के उस क्षेत्र में गया जो हिंदूस्‍तान से सटा हुआ है। वहां के लोगों को tea शब्‍द पता नहीं है लेकिन चाय पता है। Door मालूम नहीं लेकिन द्वार पता है। कभी कभार ये भी अवसर होता है।

और मैं चाहूंगा कि ये जो हमारा विश्‍व हिंदी सचिवालय जो बन रहा है, वहां टेक्‍नॉलॉजी का भी भरपूर उपयोग हो। दूनिया की जितनी भाषाओं में हिंदी ने अपनी जगह बनाई है, किसी न किसी रूप में, पिछले दरवाजे से क्‍यों न हो, लेकिन पहूंच गई है, उसको भी कभी खोज कर निकालना चाहिए कि हम किस किस रूप में पहुंचे और क्‍यों स्‍वीकृति हो गई। विश्‍व की कई भाषाओं में हमारी भाषा के शब्‍द पहुंचे हैं। जब ये जानते हैं तो हमें गर्व होता है। ये अपने आप में एक राष्‍ट्रीय स्‍वाभिमान का कारण बन जाता है।

विश्‍व में फैले हुए हिंदी प्रेमियों के लिए ये आज के पल अत्‍यंत शुभ पल हैं। आज 12 मार्च है, जब मॉरीशस अपना राष्‍ट्रीय दिवस मना रहा है। मैं मॉरीशस के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों की सवा सौ करोड़ शुभकामनाएं ले करके आया हूं।

आज का वो दिन है, 12 मार्च,1930, जब महात्‍मा गांधी ने साबरमती के तट से दांडी यात्रा का आरंभ किया था। दांडी यात्रा भारत की आज़ादी के आंदोलन का एक turning point बनी थी। उसी साबरमती के तट से निकला था जिस साबरम‍ती का पानी पीकर मुझे भी तो बड़े होने का सौभाग्‍य मिला है। आज उसी 12 मार्च को ये अवसर आया है। महात्‍मा गांधी मॉरीशस आए थे। महात्‍मा गांधी ने मॉरीशस को भरपूर प्‍यार दिया था। सौ साल पहल.. महात्‍मा गांधी से जिनको बहुत प्रेम रहता था, एसे मणिलाल डॉ.. सौ वर्ष पूर्व उन्‍होंने यहां पर हिंदी अख़बार शुरू किया था.. हिंदुस्‍तानी। उस अख़बार की यह विशेषता थी.. कि अभी भी जब कुछ लोग भाषाओं के झगड़े करते हैं, लेकिन उस डॉ मणिलाल ने महात्‍मा गांधी की प्रेरणा से रास्‍ता निकाला था। वो हिंदुस्‍तानी अखबार ऐसा था जिसमें कुछ पेज गुजराती में छपते थे, कुछ हिंदी में छपते थे और कुछ अंग्रेज़ी में छपते थे और एक प्रकार से three language formula वाला वो अख़बार सौ साल पहले निकलता था।

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लेकिन वो हिंदुस्‍तानी अख़बार मॉरीशस के लोगों को जोड़ने का एक बहुत बड़ा माध्‍यम बना हुआ था। तो महात्‍मा गांधी के विचारों का प्रभाव उसमें अभिव्यक्त होता था। और स्‍वदेश प्रेम स्‍वदेशी भाषा से उजागर हो जाता है। अपनी भाषा से उजागर होता है। भाषा के बंधनों में बंधन वाले हम लोग नहीं हैं। हम तो वो लोग हैं जो सब भाषाओं के अपने गले लगाना चाहते हैं, क्‍योंकि वही तो समृद्धि का कारण बनता है। अगर अंग्रेजी ने जगन्‍नाथ को गले नहीं लगाया होता तो juggernaut शब्‍द पैदा नहीं होता। और इसलिए, भाषा की सम़द्धि भी बांधने से बंधती नहीं है। एक बगीचे से जब हवा चलती है तो हवा उसकी सुगंध को फैलाती जाती है। भाषा की भी वो ताकत होती है कि वो अपने प्रवाह के साथ सदियों तक नई चेतना, नई उर्जा, नया प्राण प्रसारित करती रहती है।

उस अर्थ में आज मेरे लिए बड़ा गर्व का विषय है कि मॉरीशस की धरती पर विश्‍व हिंदी सचिवालय के नए भवन का निर्माण हो रहा है। भाषा प्रेमियों के लिए, हिंदी भाषा प्रेमियों के लिए, भारत प्रेमियों के लिए, और महान विरासत जिस भाषा के भीतर नवप‍ल्‍लवित होती रही है, उस महान विरासत के साथ विश्‍व को जोड़ने का जो प्रयास हो रहा है, उसको मैं बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और इस अवसर पर मुझे आपके बीच आने का अवसर मिला उसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं।

बहुत बहुत धन्‍यवाद।

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Today, India is moving on a path of development driven by the aspirations of crores of people: PM
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With a vast pool of young talent and a massive audience for concerts, India has great possibilities for a thriving concert economy: PM

जय जगन्नाथ!

कार्यक्रम में उपस्थित ओडिशा के गवर्नर श्री हरि बाबू, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी जी, केन्द्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी मंत्रीगण, ओडिशा सरकार के मंत्री, साँसदगण, विधायकगण, उद्योग और व्यापार जगत के प्रमुख उद्यमी साथी, देश और दुनिया के इन्वेस्टर्स, और ओडिशा के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!

जनवरी महीने में, यानी 2025 के प्रारंभ में ही ओडिशा का ये मेरा दूसरा दौरा है। कुछ दिन पहले ही मैं यहां प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन का हिस्सा बना था। अब आज, यहां उत्कर्ष ओडिशा कॉन्क्लेव में आपके बीच आया हूं। मुझे बताया गया है कि ये ओडिशा में अब तक की सबसे बड़ी बिजनेस समिट है। पहले के मुकाबले 5-6 गुना ज्यादा इन्वेस्टर्स इसमें पार्टिसिपेट कर रहे हैं। मैं ओडिशा के लोगों को, ओडिशा सरकार को, इस शानदार आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सभी का इस आयोजन में अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

मैं पूर्वी भारत को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। और ओडिशा की इसमें एक बड़ी भूमिका है। इतिहास साक्षी है, जब ग्लोबल ग्रोथ में भारत की एक बड़ी हिस्सेदारी थी, तब पूर्वी भारत का अहम योगदान था। पूर्वी भारत में देश के बड़े इंडस्ट्रियल हब थे, पोर्ट्स थे, ट्रेड हब थे, ओडिशा की इसमें बड़ी हिस्सेदारी भी थी। ओडिशा, साउथ ईस्ट एशिया में होने वाले ट्रेड का प्रमुख सेंटर हुआ करता था। यहां के प्राचीन पोर्ट्स, एक प्रकार से भारत के गेट्वे हुआ करते थे। आज भी ओडिशा में हर वर्ष बाली जात्रा मनाई जाती है। अभी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जी आए थे, और वो तो यहां तक बोल गए कि शायद मेरे डीएनए में ओडिशा है।

साथियों,

ये ओडिशा उस लीगेसी को सेलिब्रेट करती है, जो ओडिशा को साउथ ईस्ट एशिया से जोड़ती है। अब 21वीं सदी में ओडिशा, अपनी उस गौरवशाली विरासत को फिर से रिवाइव करने में जुट गया है। हाल में ही, सिंगापुर के प्रेसिडेंट ओडिशा होकर गए हैं। सिंगापुर, ओडिशा के साथ संबंधों को लेकर बहुत ही उत्साहित है। आसियान देशों ने भी ओडिशा के साथ ट्रेड और ट्रेडिशन के कनेक्ट को मजबूती देने में दिलचस्पी दिखाई है। आज इस क्षेत्र में संभावनाओं के इतने द्वार खुल रहे हैं, जितने आजादी के बाद पहले कभी नहीं खुले। मैं यहां उपस्थित हर इन्वेस्टर्स का आह्वान करूंगा, और हमारे मुख्यमंत्री जी ने जो बात कही, मैं उसको दोहराना चाहूंगा- यही समय है, सही समय है। ओडिशा की इस विकास यात्रा में आपका निवेश, आपको सफलता की नई बुलंदियों पर पहुंचाएगा, और ये मोदी की गारंटी है।

साथियों,

आज भारत विकास के ऐसे पथ पर चल रहा है, जिसको करोड़ों लोगों की aspirations ड्राइव कर रही हैं। AI, AI का युग है, Artificial intelligence ही, इसकी चर्चा है, लेकिन भारत के लिए तो AI सिर्फ नहीं, Aspiration of India हमारी ताकत है। और Aspirations तब बढ़ती हैं, जब लोगों की needs पूरी होती हैं। बीते दशक में करोड़ों देशवासियों को Empower करने का लाभ आज देश को दिख रहा है। ओडिशा भी इसी एस्पिरेशन को रिप्रज़ेंट करता है। ओडिशा, Outstanding है। ओडिशा, नए भारत के Optimism और Originality का प्रतीक है। ओडिशा में Opportunities भी हैं, और यहां के लोगों ने हमेशा Outperform करने का जुनून दिखाया है। मैंने गुजरात में ओडिशा से आने वाले साथियों के कौशल, उनकी मेहनत, उनकी ईमानदारी को खुद अनुभव किया है। इसलिए आज जब ओडिशा में नए अवसर बन रहे हैं, तो मेरा पक्का विश्वास है, ओडिशा बहुत जल्द विकास की उस ऊंचाई पर पहुंचेगा, जहां पहुंचने की किसी ने कल्पना तक नहीं की है। मुझे खुशी है कि मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी जी की पूरी टीम, ओडिशा के विकास को तेज गति देने में जुटी है। फूड प्रोसेसिंग, पेट्रोकेमिकल, पोर्ट लेड डेवलपमेंट, फिशरीज़, आईटी, एडुटेक, टेक्सटाइल, टूरिज्म, माइनिंग, ग्रीन एनर्जी ऐसी हर इंडस्ट्री में ओडिशा, भारत के लीडिंग राज्यों में से एक बन रहा है।

साथियों,

भारत आज बहुत तेज़ गति से दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। फाइव ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का पड़ाव भी अब ज्यादा दूर नहीं है। बीते दशक में मैन्युफेक्चरिंग में भी भारत की ताकत सामने आने लगी है। अब भारत की इकोनॉमी के विस्तार के दो बड़े पिलर हैं, एक- हमारा इनोवेटिव सर्विस सेक्टर और दूसरा- भारत के क्वालिटी प्रोडक्ट्स। देश की तेज प्रगति सिर्फ रॉ मैटेरियल के एक्सपोर्ट पर संभव नहीं है। इसलिए हम पूरे इकोसिस्टम को बदल रहे हैं, नए विजन के साथ काम कर रहे हैं। यहां से मिनरल निकले और फिर एक्सपोर्ट होकर के दुनिया के किसी देश में पहुंचे, वहां पर वैल्यू एडिशन हो, कोई नया प्रोडक्ट बने, और फिर वो प्रोडक्ट भारत में वापस आए, ये ट्रेंड मोदी को मंजूर नहीं है। इस ट्रेंड को अब भारत बदल रहा है। यहां के समंदर से सी-फूड निकले और फिर दुनिया के किसी दूसरे देश में वो प्रोसेस होकर बाज़ारों में पहुंचे, ये ट्रेंड भी भारत बदल रहा है। ओडिशा में जो रिसोर्सेज़ हैं, उससे जुड़ी इंडस्ट्रीज भी यहीं लगे, इस दिशा में हमारी सरकार काम कर रही है। आज का ये उत्कर्ष ओडिशा कॉन्क्लेव भी इसी विजन को साकार करने का एक माध्यम है।

साथियों,

आज दुनिया सस्टेनेबल लाइफस्टाइल की बात कर रही है, ग्रीन फ्यूचर की तरफ बढ़ रही है। आज ग्रीन जॉब्स की संभावनाएं भी बहुत बढ़ रही हैं। हमें समय की जरूरतों और डिमांड के हिसाब से खुद को बदलना है, उसके हिसाब से ढालना है। इसी सोच के साथ ही भारत, ग्रीन फ्युचर पर, ग्रीन टेक पर इतना फोकस कर रहा है। सोलर हो, विंड हो, हाइड्रो हो, ग्रीन हाइड्रोजन हो, ये विकसित भारत की एनर्जी सिक्योरिटी को पावर करने वाले हैं। इसके लिए ओडिशा में बहुत सारी संभावनाएं हैं। आज देश में हमने राष्ट्रीय स्तर पर ग्रीन हाईड्रोजन मिशन और सोलर पावर मिशन शुरु किए हैं। ओडिशा में भी रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी इंडस्ट्री को प्रमोट करने के लिए बड़े Policy Decisions हो रहे हैं, हाइड्रोजन एनर्जी के प्रोडक्शन के लिए भी यहां काफी सारे कदम उठाए जा रहे हैं।

साथियों,

ग्रीन एनर्जी के साथ-साथ ओडिशा में पेट्रो और पेट्रोकेमिकल सेक्टर के विस्तार के लिए भी initiative लिए जा रहे हैं। पारादीप और गोपालपुर में, dedicated industrial parks और investment regions बन रहे हैं। इस सेक्टर में भी इन्वेस्टमेंट के लिए बहुत अधिक संभावनाएं हैं। मैं ओडिशा सरकार को बधाई दूंगा कि ओडिशा के अलग-अलग रीजन की संभावनाओं को देखते हुए, वो तेजी से निर्णय ले रही है, नया इकोसिस्टम विकसित कर रही है।

साथियों,

21वीं सदी के भारत के लिए ये दौर, कनेक्टेड इंफ्रास्ट्रक्चर का है, मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी का है। जिस स्केल पर, जिस स्पीड से भारत में आज स्पेशलाइज़्ड इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है, वो भारत को इन्वेस्टमेंट का शानदार डेस्टिनेशन बना रहा है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स से ईस्ट और वेस्ट की कोस्टलाइन को कनेक्ट किया जा रहा है। देश का एक बड़ा हिस्सा जो land-locked था, उसको भी अब समंदर तक तेज़ एक्सेस मिलने लगी है। आज देश में दर्जनों ऐसे इंडस्ट्रियल शहरों का निर्माण किया जा रहा है, जो प्लग एंड प्ले सुविधाओं से लैस होंगे। ओडिशा में भी ऐसी ही संभावनाओं को बढ़ाया जा रहा है। यहां रेलवे और हाईवे नेटवर्क से जुड़े हज़ारों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। ओडिशा में इंडस्ट्री की Logistics Cost कम हो, इसके लिए सरकार यहां के पोर्ट्स को Industrial Clusters से जोड़ रही है। यहां पुराने पोर्ट्स का विस्तार के साथ ही नए पोर्ट्स भी बनाए जा रहे हैं। यानि ओडिशा, ब्लू इकोनॉमी के मामले में भी देश के टॉप के राज्यों में शामिल होने वाला है।

साथियों,

सरकार के इन प्रयासों के बीच, मेरा आप सभी से कुछ आग्रह भी है। आप तेज़ी से बदलती दुनिया में ग्लोबल सप्लाई चेन से जुड़ी चुनौतियों को देख रहे हैं। भारत, बिखरी हुई सप्लाई चेन और इंपोर्ट आधारित सप्लाई चेन पर ज्यादा भरोसा नहीं कर सकता। हमें भारत में ही एक ऐसी सशक्त सप्लाई और वैल्यू चेन बनानी है, जिस पर वैश्विक उतार-चढ़ाव का कम से कम असर पड़े। ये सरकार के साथ-साथ इंडस्ट्री का भी बहुत बड़ा दायित्व है। इसलिए आप जिस भी इंडस्ट्री में हैं, उससे जुड़े MSMEs को सपोर्ट करें, उनकी हैंड-होल्डिंग करें। आप ज्यादा से ज्यादा युवा स्टार्ट अप्स को भी सपोर्ट करें।

साथियों,

आज कोई भी इंडस्ट्री नई टेक्नोलॉजी के बिना ग्रो नहीं कर सकती। ऐसे में रिसर्च और इनोवेशन बहुत ज़रूरी है। सरकार, देश में रिसर्च से जुड़ा एक बहुत वाइब्रेंट इकोसिस्टम बना रही है। इसके लिए एक स्पेशल फंड भी बनाया गया है। इंटर्नशिप और स्किल डेवलपमेंट के लिए एक स्पेशल पैकेज घोषित किया गया है। इसमें भी इंडस्ट्री खुलकर आगे आए, सरकार के साथ मिलकर काम करे, ये सभी की अपेक्षा है। जितना बड़ा और बेहतरीन भारत का रिसर्च इकोसिस्टम होगा, स्किल्ड यंग पूल होगा, हमारी इंडस्ट्री को इससे सीधा फायदा होगा। मैं इंडस्ट्री के सभी साथियों, ओडिशा सरकार से कहूंगा कि आप सभी मिलकर, यहां एक आधुनिक इकोसिस्टम का निर्माण करें। एक ऐसा इकोसिस्टम, जो ओडिशा की Aspirations के साथ चले, यहां के नौजवानों को नए मौके दे। इससे ओडिशा के नौजवानों को यहां पर ही जॉब्स के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, ओडिशा समृद्ध होगा, ओडिशा सशक्त होगा, ओडिशा का उत्कर्ष होगा।

साथियों,

आप सभी दुनियाभर में जाते हैं, दुनियाभर के लोगों से मिलते हैं। आज दुनिया में भारत को जानने, समझने की उत्सुकता, आप चारों तरफ अनुभव करते हैं। भारत को समझने के लिए ओडिशा एक बेहतरीन डेस्टिनेशन है। यहां हज़ारों वर्षों की हमारी हैरिटेज है, हिस्ट्री है, आस्था-आध्यात्म, घने जंगल, पहाड़, समंदर, हर चीज़ के दर्शन एक ही जगह पर होते हैं। ये राज्य विकास और विरासत का अद्भुत मॉडल है। इसी भाव के साथ ही, हमने G-20 के कल्चर से जुड़े इवेंट ओडिशा में रखे थे। कोणार्क सन टेंपल के चक्र को हमने G-20 के मेन इवेंट का हिस्सा बनाया था। उत्कर्ष ओडिशा में हमें ओडिशा के इस टूरिज्म पोटेंशियल को भी एक्सप्लोर करना है। यहां की 500 किलोमीटर से लंबी कोस्ट लाइन, 33 परसेंट से ज्यादा का फोरेस्ट कवर, इको टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म की अनंत संभावनाएं, आपका इंतजार कर रही हैं। आज भारत का फोकस है- Wed in India, आज भारत का मंत्र है- Heal in India, और इसके लिए ओडिशा का नेचर, यहां की प्राकृतिक सुंदरता, बहुत मददगार है।

साथियों,

आज भारत में Conference tourism का भी बहुत पोटेंशियल बन रहा है। दिल्ली में भारत मंडपम और यशोभूमि जैसे वेन्यू इसके बड़े सेंटर बन रहे हैं। भुवनेश्वर में भी बहुत बढ़िया कन्वेंशन सेंटर का लाभ मिल सकता है। इसी से जुड़ा एक और नया सेक्टर, concert economy का है। जिस देश में music-dance, स्टोरी टेलिंग की इतनी समृद्ध विरासत है, जहां युवाओं का इतना बड़ा पूल है, जो concerts का बहुत बड़ा कंज्यूमर है, वहां concert economy के लिए अनेक संभावनाएं हैं। आप देख रहे हैं कि बीते 10 सालों में live events का चलन और डिमांड दोनों बढ़े हैं। पिछले कुछ दिनों में आपने मुंबई और अहमदाबाद में हुए ‘कोल्डप्ले कॉन्सर्ट’ की शानदार तस्वीरें देखी होंगी। ये इस बात का प्रमाण है कि live concerts के लिए भारत में कितना स्कोप है। दुनिया के बड़े-बड़े कलाकार, बड़े-बड़े आर्टिस्ट भी, भारत की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। Concert economy से टूरिज्म भी बढ़ता है और बड़ी संख्या में जॉब्स क्रिएट होती हैं। मेरा राज्यों से, प्राइवेट सेक्टर से आग्रह है कि concert economy के लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करें, ज़रूरी स्किल्स पर फोकस करें। इवेंट मैनेजमेंट हो, आर्टिस्ट्स की ग्रूमिंग हो, सिक्योरिटी और दूसरे इंतजाम हों, इन सभी में नई संभावनाएं बन रही हैं।

साथियों,

अगले महीने ही भारत में पहली बार world audio visual summit यानि WAVES होने वाली है। ये भी एक बहुत बड़ा आयोजन होगा, ये भारत की creative power को दुनिया में नई पहचान दिलाएगा। राज्यों में इस तरह के इवेंट्स से भी जो रेवेन्यू जनरेट होता है, जो परसेप्शन बनता है, वो भी इकोनॉमी को आगे बढ़ाता है। और ओडिशा में भी इसकी बहुत संभावनाएं हैं।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में ओडिशा की बड़ी भूमिका है। ओडिशा वासियों ने, समृद्ध ओडिशा के निर्माण का संकल्प लिया है। इस संकल्प की सिद्धि के लिए केंद्र सरकार की तरफ से हर संभव सहयोग मिल रहा है। ओडिशा के प्रति मेरा स्नेह आप सब भली-भांति जानते हैं। प्रधानमंत्री के तौर पर ही मैं यहां करीब-करीब 30 बार आ चुका हूं। आजादी से अब तक जितने प्रधानमंत्री होंगे, वो सब मिलाकर के जितने बार आए होंगे, उससे मैं ज्यादा बार ओडिशा आया हूं, ये आपका प्यार है। यहां के ज्यादातर जिलों में जा चुका हूं, मुझे ओडिशा के सामर्थ्य पर भरोसा है, यहां के लोगों पर भरोसा है। मुझे विश्वास है कि आप सभी साथियों का इन्वेस्टमेंट, आपके बिजनेस और ओडिशा के उत्कर्ष, दोनों को नई ऊंचाई देगा। मैं फिर एक बार इस शानदार आयोजन के लिए पूरे ओडिशा वासियों को, यहां की सरकार को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, धन्यवाद देता हूं। और जो महानुभाव ओडिशा में संभावनाओं को तलाश रहे हैं, मैं उनको विश्वास दिलाता हूं, ओडिशा सरकार और भारत सरकार पूरी ताकत से आपके साथ खड़ी है। फिर एक बार आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद!