Text of PM’s address at 29th Statehood Day Celebrations of Arunachal Pradesh

Published By : Admin | February 20, 2015 | 19:11 IST

अरूणाचल के मेरे प्‍यारे भाईयों और बहनों.. जयहिंद।

शायद हिंदुस्‍तान में इसी प्रदेश के लोग ऐसे हैं जो किसी को भी जब ग्रीट करते हैं, तो जयहिंद करके ग्रीट करते हैं और सारे देश के लिए भारत के हर नागरिक के लिए, अरूणाचल ने यह जो परंपरा बनाई है, यह परंपरा प्रेरणादायक है, अनुकरणीय है और इसके लिए मैं अरूणाचल के नागरिकों को, उसकी इस महान परंपरा को आदर पूर्वक वंदन करता हूं, मैं उनका अभिनंदन करता हूं।

मेरे लिए आज यह सौभाग्‍य की बात है कि राज्‍य की स्‍थापना दिवस के अववसर पर आपके बीच यह उत्‍सव बनाने का सौभाग्‍य मिला है। हमारे मतुख्‍यमंत्री जी, हमारे गवर्नर श्री, दोनों दिल्‍ली रू-ब-रू आए थे और मुझे आग्रह किया था कि आप आइए। अरूणाचल की जनता का प्‍यार इतना है कि मैं आए बिना रह नहीं सकता और मैं आज अरूणाचल के उज्‍जवल भविष्‍य के लिए यहां के विकास के लिए, और एक प्रकार से पूरे नॉर्थ ईस्‍ट के लिए अरूणाचल का विकास एक ग्रोथ इंजन बने, अरूणाचल इतनी तेजी से आगे बढ़े कि पूरे नॉर्थ ईस्‍ट को भी आगे बढ़ने की ताकत दें, क्‍योंकि भौगोलिक दृष्टि से अरूणाचल सबसे बड़ा प्रदेश है यहां का। जनसंख्‍या कम है, लेकिन ताकत बहुत है और इसलिए मैं आज इस राज्‍य उत्‍सव को इस अवसर पर अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं और मुझे विश्‍वास है कि पिछले 28 साल में आपने जितनी प्रगति की है, उससे अनेक गुणा प्रगति आने वाले पांच साल में आप कर पाएंगे, यह मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं।

आज एक प्रकार से इस राज्‍य उत्‍सव के अवसर पर अनेक महत्‍वपूर्ण कार्य हो रहे हैं और सबसे बड़ी बात हो रही है कि आज अरूणाचल प्रदेश नाहरलागुन से दिल्‍ली भारत की राजधानी से सीधा रेल से जुड़ जाएगा। करीब 2100 से भी अधिक लंबी यात्रा 38 घंटे में पार की जाएगी और यह New AC-Express इस राज्‍य के जन्‍मोत्‍सव पर भारत सरकार का एक अनमोल नजराना, एक अनमेाल भेंट आज आपके चरणों में समर्पित करते हुए मैं गर्व अनुभव कर रहा हूं। इतना ही नहीं अब आप नाहरलागुन से गुवाहाटी भी रात को बैठे, सुबह गुवाहाटी और रात को गुवाहाटी से बैठे सुबह सूरज उगते ही यहां पहुंच जाएंगे। आखिरकर North-East के विकास में अगर सबसे बड़ी कोई बाधा रही है तो वो बाधा रही है connectivity की। रेल, रोड, एयर यह connectivity जितनी बढ़ेगी, उतनी ही इस क्षेत्र की ताकत राष्‍ट्र के विकास में काम आने वाली है और एक प्रकार से आज अरूणाचल प्रदेश दिल्‍ली से जुड़ रहा है ऐसा नहीं है, आज पूरा हिंदुस्‍तान अरूणाचल प्रदेश के साथ जुड़ रहा है। बेहिसाब से जुड़ रहा है और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं आने वाले दिनों में इस रेल यात्रा के कारण इतनी बड़ी मात्रा में यहां Tourism बढ़ेगा, लोगों के लिए यहां आने की सुविधा बढ़ेगी, लोग ट्रेनें भर-भर कर यहां आएंगे और यहां की खूबसूरत वादियां देखेंगे, यहां के पेड़-पौधे, यहां के लोग, यहां का इतना शुद्ध माहौल, शायद हिंदुस्‍तान में किसी एक जगह पर इतना अच्‍छा climate हो, environment हो, तो शायद उस प्रदेश का नाम अरूणाचल है। जिस प्रकार के फल-फूल अरूणाचल में होते हैं वे अगर यहां की हवा शुद्ध नहीं होती, यहां की वायु शुद्ध न होती, यहां की प्रकृति शुद्ध नहीं होती, तो वो फूल-फल यहां हो ही नहीं सकते थे। इतनी बड़ी मात्रा में.. और यह यहां की शुद्ध हवा मान का परिचायक है और यह ऐसे ही नहीं रहा है आप लोगों ने प्रकृति को प्‍यार किया है, आप लोगों ने प्रकृति की पूजा अपनी जिंदगी मानी है और प्रकृति का विनाश आपको मंजूर नहीं है। यह आपके संस्‍कार, आपकी परंपरा इसने आज अरूणाचल को बचाया हुआ है और इसलिए आपकी इस महान परंपरा को भी मैं हृदय से वंदन करता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं।

रेलवे इस यातायात का साधन नहीं होता है। एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचने के लिए जैसे स्‍कूटर है, साइकिल है, मोटर है, इतना मात्र रेलवे नहीं है। रेलवे का नेटवर्क एक प्रकार से विकास के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह काम करता है। जैसे शरीर में रीढ़ की हड्डी का रोल होता है, वैसे ही भारत के अर्थतंत्र को ताकत देने में रेलवे का योगदन हो सकता है और इसलिए अरूणाचल प्रदेश के अर्थतंत्र के विकास के लिए भी यह रेलवे एक ताकत बनेगी। रेलवे सिर्फ आवागमन का साधन नहीं, लेकिन विकास का एक इंजन बनकर रहेगी, जो अरूणाचल प्रदेश और पूरे North-East को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा, ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है।

कल मैं राजस्‍थान के आखिरी छोर पर था और आज हिंदुस्‍तान के पूरब के आखिरी छोर पर खड़ा हूं और कल राजस्‍थान में, मैं कृषि कर्मण अवॉर्ड दे रहा था। मैं अरूणाचल प्रदेश के लोगों का हृदय से अभिनंदन करता हूं कि कल जो राजस्‍थान में अवॉर्ड दिए गए उसमें North-East से एक अवॉर्ड पाने वाला हमारा अरूणाचल प्रदेश भी है। यहाँ पर आज, मैं राज्‍य सरकार को, कृषि विभाग को और यहां के किसानों को इस सिद्धि के लिए हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। कल यहां के लोग मुझे राजस्‍थान में मिले थे और कल उनको राजस्‍थान में अवार्ड दिया गया है। यह सम्‍मान किसानों की मेहनत का सम्‍मान है। इन पहाडि़यों में भी, विपरीत प्राकृतिक अवस्‍था में भी कृषि क्षेत्र में जो उन्‍होंने नई सिद्धि प्राप्‍त की है। इसके लिए उनका अभिनंदन है। कल इनाम पाने वालों में असम भी है, मेघालय भी है और अरूणाचल भी है। North-Eastके इन तीनों राज्‍यों ने यह जो इनाम पाया है इसके लिए मैं उनका अभिनंदन करता हूं।

आज अरूणाचल को गति भी मिल रही है, आज अरूणाचल को ऊर्जा का भी आरंभ हो रहा है और गति और ऊर्जा के बिना प्रगति संभव नहीं होती है। अगर प्रगति करनी है तो ऊर्जा भी चाहिए, गति भी चाहिए। रेल व्‍यवस्‍था आपको गति देती है और आज 132 केवी वाट का Power Transmission Line का भी शिलान्‍यास हुआ है। करीब-करीब तीन हजार दो सौ करोड़ रुपये का प्रोजेक्‍ट है। यह जो रेलवे का प्रोजेक्‍ट किया वो करीब-करीब चार हजार दो सौ करोड़ का प्रोजेक्‍ट और आज अभी यह बिजली पहुंचाने के लिए जो Transmission Line का काम होने वाला है, वो करीब-करीब तीन हजार दो सौ करोड़ रुपये की लागत से होगा। यह बिजली के खम्‍बे, यह बिजली के तार सिर्फ घर में दीया जलाने का काम करते हैं ऐसा नहीं है। यह ऊर्जा विकास यात्रा में अहम भूमिका अदा करती है। जैसे भारत सरकार ने रेलवे के विकास के लिए एक नया अभियान छेड़ा है, वैसा ही हमने सपना देखा है। क्‍या हमारे हर परिवार में 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए। मिलनी चाहिए? मेरी यह इच्‍छा है कि मिले, यह आपकी आशा पूरी हो। लेकिन ऐसे तो मिलेगी नहीं, बिजली उत्‍पन्‍न करनी पड़ेगी, बिजली पहुंचानी पड़ेगी, हर घर में लट्टू लगाना पड़ेगा। तब जाकर बिजली पहुंचेगी। काम बड़ा कठिन है, काम बड़ा भगीरथ है, लेकिन किसी न किसी को तो करना पड़ेगा। आपने मुझे आर्शीवाद दिए हैं इस भगीरथ काम करने के लिए और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि आपके आर्शीवाद कभी बेकार नहीं जाएंगे। आपके आर्शीवाद में वो ताकत है कि आपकी सारी आशाएं, आकांक्षाए पूरी हो सकती है।

आपमें वो ताकत है कि आपके सपने पूरे होकर के रहेंगे। 24 घंटे बिजली, अगर हमें गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। हमें गरीबी से बाहर आना है, तो सिर्फ नारेबाजी से गरीबी नहीं जाती है। गरीबी से मुक्ति का रास्‍ता ढूंढना पड़ता है, चुनना पड़ता है, रोड मैप बनाना पड़ता है और उस पर चल पड़ना पड़ता है। किसी घर में कमरे में अंधेरा हो और किसी को ले जाएं, बाहर एक कतार खड़ी कर दें और कहे आओ भाई यह अंधेरा दूर करो। एक जाएगा मानो और अंदर जाकर के पूजा-पाठ में बैठ जाएगा, मंत्र-तंत्र करता रहेगा, भूत-प्रेत को बुलाता रहेगा। अंधेरा जाएगा क्‍या? जाएगा क्‍या? दूसरे को बुलाएंगे, वो लेकर के कंबल लेकर के मार रहा हैं निकालो, अंधेरे को निकालो.. निकलेगा क्‍या? कोई आकर के वहां पर एक छोटा सा दीया जलाएगा तो अंधेरा जाएगा या नहीं जाएगा? उजाला आएगा या नहीं आएगा? यह गरीबी को भी हटाना है तो हम सिर्फ नारेबाजी करते रहेंगे तो गरीबी नहीं हटती है।

40 साल से हम यह नारे सुनते आए हैं। गरीबी हटाने की जड़ी-बूटियां पकड़नी पड़ेगी। उन जड़ी-बूटियों को लेकर के निकलना पड़ेगा जो जड़ीबूटी गरीबी को हटाती है। सबसे बड़ी जड़ीबूटी होती है शिक्षा। अगर हम गरीब केघर में अगर हर बच्‍चों को शिक्षित करे, हर गरीब की झोपड़ी में भी अगर लिखना-पढ़ना पहुंचा दें, तो वो शिक्षा गरीबी के खिलाफ लड़ने की उसको ताकत देती है और‍‍ फिर एक ही पीढ़ी में वो गरीबी से बाहर आ जाता है।

उसी प्रकार से एक और रास्‍ता है बिजली, उसके परिवार को अगर बिजली से जोड़ा जाए, तो उसके बच्‍चों को पढ़ने की सुविधा बढ़ती है। वे कम्‍प्‍युटर सीखना शुरू करते हैं। वे रात देर तक पढ़ पाते हैं और के साथ स्‍पर्धा में खड़े रहे सकते हैं और खड़े रह करके वे शिक्षा और दीक्षा के माध्‍यम से आगे बढ़ सकते हैं। अगर ऊर्जा आती है, तो गांव में छोटे-मोटे कारोबार शुरू होते हैं। छोटे मोटे उद्योग शुरू होते हैं। किसान है तो अपनी फसल को संभालने के लिए व्‍यवस्‍था कर सकता है, उसमें से value-addition कर सकता है, मूल्‍य वृद्धि कर सकता है। छोटे-मोटे उद्योगों का नेटवर्क खड़ा होता है, जो गरीबी के ‍खिलाफ लड़ने के लिए एक बहुत बड़ा साधन बनता है और इसलिए आज यह जो 3200 करोड़ रुपयों की लागत से Transmission Line लगाई जा रही है वो गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का हमारे अभियान का हिस्‍सा है। आपकी गरीबी को हटाने का यह हमारा एक रास्‍ता है। उस रास्‍ते को लेकर के हम आज आपके पास आए हैं।

उसी प्रकार से हमने पिछले दिनों शिक्षा के क्षेत्र में एक "Ishan Vikas" योजना बनाई है। यह North-East के विकास की एक बृहद योजना बनाई है और उस बृहद योजना के अंदर North-East के जो होनहार बालक है भले ही गरीब क्‍यों न हो ऐसे एक हजार बालकों को पसंद करके, उनको special scholarship देकर के उनकी अच्‍छी से अच्‍छी पढ़ाई हो उस पर हम बल दे रहे हैं। जिसके कारण गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए वो भी हमारा एक मजबूत सिपाही बन जाए, हमारा साथी बन जाए, पढ़-लिखकर के वो भी गरीबी के खिलाफ लड़ने के लिए हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर के काम करें। गरीबी से मुक्ति पाने के लिए हमने इन रास्‍तों को चुना हुआ है। उन रास्‍तों के सहारे हम आगे बढ़ेंगे।

आज एक, तीसरे प्रोजेक्‍ट का भी प्रारंभ हुआ है और वो तीसरा प्रोजेक्‍ट है, जो लोग टीवी पर यह भाषण सुन रहे हैं, उनको यह सुनकर के आश्‍चर्य होगा कि ये जो तीसरा प्रोजेक्‍ट है वो ईटानगर के नागरिकों को पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने का प्रोजेक्‍ट है। करीब करीब सौ करोड़ से ज्‍यादा लागत ईटानगर के लोगों को पीने का शुद्ध पानी मिले। आज राज्‍य के 29वें जन्‍मदिन पर ईटानगर के नागरिकों को शुद्ध पानी पहुंचाने का यह प्रोजेक्‍ट अर्पित करते हुए मेरे मन को आनंद भी होता है थोड़ी पीड़ा भी होती है। जब दुनिया जानेगी कि ईटानगर राजधानी यहां के लोगों को पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने में आजाद हिंदुस्‍तान को 60 साल लग गए। यह जब सुनता हूं तो पीड़ा होती है, लेकिन आज जब शुद्ध पीने का पानी पहुंच रहा है तो मन में संतोष होता है कि चलो भाई कुछ अच्‍छे काम मेरे ही नसीब में लिखे हुए हैं और इसलिए लेकिन इतने पहाड़ हो, भरपूर पानी हो, जितना पानी North-East के पास है। हिंदुस्‍तान में औरों के पास नहीं है लेकिन फिर भी यह इलाका प्‍यासा है। इससे बड़ी पीड़ादायक बात क्‍या हो सकती है। समंदर के तट पर रहने वाला प्‍यासा हो वो तो मैं समझ सकता हूं, क्‍योंकि समंदर विराट होने के बाद भी उसका पानी पीने योग्‍य नहीं होता है, लेकिन यहां तो शुद्ध पानी होता है लेकिन पानी आता है चला जाता है। हमारे यहां कहावत है कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, यह पहाड़ के काम नहीं आती है। ऐसा कहते हैं कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, यह पहाड़ के काम नहीं आती है। जो जवान होता है पहाड़ में वो जितना जल्‍दी से जवान होगा, वो अपना पहाड़ छोड़कर के रोजी-रोटी कमाने कहीं चला जाता है। सेना में चला जाएगा या दिल्‍ली चला जाएगा, मुंबई चला जाएगा, मेहनत मजदूरी करेगा, रोजी रोटी कमाने का प्रयास करेगा। क्‍यों, क्‍योंकि अपने जहां रहता है वहां रोजी-रोटी के संसाधन नहीं होते। अपने बूढ़े मां-बाप के लिए, जवानी अपनी जिन पहाड़ों में बिताई, उन पहाड़ों को छोड़कर के घनी आबादी वाली जिंदगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है। पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती है। पहाड़ का पानी भी.. कितना भी पानी पहाड़ पर आए पहाड़ के काम नहीं आता है, वो आता है चला जाता है, बह जाता है। लेकिन मुझे इस कहावत को बदलना है। मुझे पहाड़ की शक्‍ल—सूरत ऐसे बदलनी है कि पहाड़ की जवानी भी पहाड़ के काम आए और पहाड़ का पानी भी पहाड़ के काम आए और आज का विज्ञान आज की टेक्‍नोलॉजी यह संभव कर सकती है। यह पहाड़ का पानी कैसे काम आएगा?

भाईयों बहनों मैं अरूणाचल के भाईयों से आग्रह करने आया हूं, आपके पास पानी एक बहुत बड़ी ताकत है। इस ताकत को पहचानिए, आपकी जवानी और आपका पानी दोनों दमदार है। अगर आप इसकी ताकत नहीं समझोगे और यह पानी बहता ही चला जाएगा, तो जैसे जवानी चली जाती है, पानी भी चला जाएगा और प्रगति ठहरकर आएगी, प्रगति रूक जाएगी। मैं जानता हूं अरूणाचल प्रदेश के लोग कुछ Hydro project जो है Power Project उसके विषय में उनकी राजी-नाराजी है। किसी समय नेपाल में भी ऐसा ही था, भूटान में भी ऐसा ही था। नेपाल के साथ हमने समझौता किया, भूटान के साथ हमने समझौता किया और वहां भी उतना ही पानी है जितना अरूणाचल प्रदेश में हैं और वहां पर बिजली के कारखाने लगाने के लिए भारत सरकार जुड़ी है। अकेली बिजली के माध्‍यम से नेपाल और भूटान की पूरी आर्थिक ताकत बदल जाएगी। सुखी देश में वो परिवर्तित होने वाले हैं और पानी से बिजली निकालकर के वो बिजली हिंदुस्‍तान खरीदेगा और कमाई भूटान और नेपाल को होगी।

भाईयों और बहनों हिमाचल प्रदेश ने हमारे ही देश में पानी में से बिजली में सफलतापूर्वक आगे बढ़ा, हिमाचल की आर्थिक स्थिति में बदलाव आया। यह ताकत आपके अंदर भी है। यह बात सही है कि इस प्रकार के प्रोजेक्‍ट के लिए जिन लोगों को विस्‍थापित होना पड़ता है। जिन लोगों को नुकसान झेलना पड़ता है, उनके लिए पूरी-पूरी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए, उनको कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए, दोनों चीजों पर बल देना चाहिए, कोई गरीब से गरीब परिवार दुखी नहीं होना चाहिए, उनको कोई मुसीबत नहीं आनी चाहिए। पहले से अच्‍छी जिंदगी का अवसर मिलना चाहिए और दूसरी तरफ बिजली पैदा करने की दिशा में अरूणाचल प्रदेश से आगे बढ़ना चाहिए। मैं विश्‍वास दिलाता हूं अरूणाचल प्रदेश हिंदुस्‍तान को उजाला दे सकता है। हिंदुस्‍तान क्‍या अरूणाचल प्रदेश को उजाला देगा! यह ताकत आपने पड़ी है, उस ताकत को अगर आप पहचानेंगे, तो अरूणाचल का भाग्‍य बदल जाएगा और इसलिए मैं आपके साथ जुड़कर के काम करना चाहता हूं, आपसे कंधे से कंधा मिलाकर के काम करना चाहता हूं। मैं आपके सेवक के रूप में आपके पास आया हूं, आपके साथी के रूप में आया हूं। आइये हम मिल-बैठ करके सिर्फ 132 किलोवाट की ही क्यों बल्कि हम पूरी ताकत से व्‍यवस्‍था क्‍यों खड़ी न करे। अरूणाचल हमारे साथ चले, हम अरूणाचल के साथ चले, हम कंधे से कंधा मिलाकर के चले। आप देखिए कि दुनिया बदलती है कि नहीं बदलती है।

Solar Energy.. इन दिनों अपना अभियान चलाया हुआ है Solar Energy का। ऊंची-ऊंची पहाडि़या हैं, पांच-दस परिवार रहते हैं। मुझे उनको भी बिजली पहुंचानी है, Solar योजना के माध्‍यम से पहुंचानी है ताकि गरीब के घर में दीया जलें और गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए वो मेरा सिपाही बने। मुझे गरीबों की फौज तैयार करनी है इसी फौज से मुझे गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ना है और गरीबी से देश को मुक्ति दिलाने में सफलता पाकर रहना है और इसलिए ऊर्जा हो, शिक्षा हो, इन माध्‍यमों से आगे चलना भाईयों।

आज ईटानगर को शुद्ध पानी पहुंचने वाला है और आने वाले दिनों में यह व्‍यवस्‍थाएं Tourism को भी बल देतीह है, Tourism को भी ताकत देती है और इसलिए मैं आप सबसे आग्रह करता हूं कि हम Infrastructure पर बल दें, हम विकास की नई योजनाओं पर बल दें और इन योजनाओं के माध्‍यम से हम नई-नई स्थितियों को पाने का प्रयास करें। पूरे North-East के लिए 2014-15 के बजट में 53000 करोड़ रुपये की लागत के साथ विकास की नई-नई योजनाओं को हमने बनाया है। यह कम रकम नहीं है। पाई-पाई का उपयोग होना चाहिए। आप समझ गए। पाई-पाई का उपयोग होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? यह पैसा जनता का है कि नहीं है? यह जनता के काम आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए? यह किसी की जेब में नहीं जाना चाहिए न, हर पाई-पाई का ‍हिसाब मांगोगे या नहीं मांगोगे? मेरे से भी मांगना, मैं जवाबदार हूं, आपको जवाब दूंगा और सरकारे राज्‍य की हो या केंद्र की हो जनता को जवाबदेह होनी चाहिए। पैसों की कमी नहीं है, पैसो की कमी नहीं है, अगर पाई-पाई योजना के साथ सही ढंग से सही जगह पर खर्च की जाए, समय पर खर्च की जाए तो हिंदुस्‍तान कहीं से कहीं पहुंच सकता है। यह आप को में विश्‍वास दिलाने आया हूं भाईयों।

भाईयों बहनों हमने आने वाले दिनों में यहां पर FM रेडियो के लिए भी बड़ा नेटवर्क खड़ा करना तय किया है। कुछ ही समय में करीब-करीब 18 नई FM चैनल, जिसका auction होने वाला है, जिसका लाभ जरूर मिलेगा। 2G, 3G, 4G..अब मोबाइल फोन के बिना लोग जी नहीं सकते, वो जीवन का ‍हिस्‍सा बन गया है। लेकिन अगर connectivity नहीं है slow है तो आदमी तंग आ जाता है। स्थिति को बदलने के लिए भी North-East को लाभ कैसे मिले, उस दिशा में भी हमने काम प्रारंभ किया है।

छह नई Agriculture College... North-East की अपनी एक ताकत है। North-East हिंदुस्‍तान का Organic Farming का Capital बन सकता है, यह ताकत है। आज भी North-East में chemical fertilizer की आदत कम है, लेकिन Organic Farming का जितना ब्रांडिंग होना चाहिए, मार्केटिंग होना चाहिए उतना नहीं हुआ है। हम चाहते है कि पूरा North-East दुनिया के लिए Organic Farming पाने का एक बहुत बड़ा Capital बन जाए और दुनिया में जो भी लोग wholistic health-care में विश्‍वास करते हैं वो Organic चीजें पसंद करते हैं, वो यहां के फल हो, यहां का अनाज हो, यह Organic चीजें उनको बाजार में मिलेगी, दुनिया आपके यहां आकर के खड़ी रह जाएगी, माल खरीदने के लिए और रुपया डॉलर में जाएगा, मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं। यह ताकत है North-East में और हम इसके लिए 6 Agriculture Universities को चालू करने वाले हैं, Organic Farming को हम काम देने वाले हैं।

इतना ही नहीं भाईयों और बहनों हमने एक और काम शुरू किया है पहले North-East के लोगों को छोटा सा भी काम हो तो दिल्‍ली जाना पड़ता था। बार-बार मुख्‍यमंत्री हो, मंत्री हो, अवसर हो, जब भी देखो दिल्‍ली। क्‍यों, क्‍योंकि दिल्‍ली वाले यहां देखते नहीं थे। हमने बदल दिया है मैं मेरे मंत्रियों को महीने में दो बार यहां भेजता हूं दौरा करने और पूछने लगे कि बताओ भई पैसे भेजे थे क्‍या हुआ। हिसाब मांगना शुरू किया है। मैं भारत सरकार के अवसरों को लगातार भेज रहा हूं DONER(Development of North Eastern Region) Ministry के द्वारा अवसर आते हैं, वरिष्‍ठ अवसर आते हैं यहां के अवसरों के साथ बैठते हैं बाताओं भई क्‍या कठिनाई है, हम रास्‍ता निकालेंगे। यह जिम्‍मेवारी है और भारत सरकार pro-active होकर के जिम्‍मेवारी निभा रही है। पिछले दो महीने से काम मैंने शुरू किया है। आने वाले दिनों में यह बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा।

इन दिनों में Make in India का अभियान चला रहा हूं, लेकिन मैंने DONER(Development of North Eastern Region) Ministry से कहा है कि जैसे Make in India का हमारा अभियान है, लेकिन DONER Ministry के लोग Make in North-East उसका Perspective Plan तैयार करें, योजना बनाए, Make in North के लिए हम क्‍या कर सकते हैं उस पर योजना बनाएं। इस पर काम चल रहा है और मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में विकास की नई ऊंचाईयों पर हम North-East को ले जाएंगे।

आज इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर, राज्‍य के स्‍थापना दिवस पर आपके सबके बीच आने का मुझे अवसर मिला, आपने मेरा स्‍वागत सम्‍मान किया, प्‍यार दिया और इतनी बड़ी संख्‍या में आप लोग यहां आए और मैं देख रहा हूं वहां पहाडि़यों पर भीड़ ही भीड़ है, हर मंजिल पर कोई न कोई खड़ा है। चारों तरफ अरूणाचल प्रदेश का यह प्‍यार। मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं अब दिल्‍ली हर पल आपकी सेवा में तैनात है और मैं आपका सेवक दिल्‍ली में बैठा हूं। मैं आपके लिए काम करने के लिए हर पल तैयार हूं। और आज इस राज्‍य के स्‍थापना दिवस के Festival को उसका उद्घाटन करते हुए मुझे गर्व हो रहा है और मैं इस Festival का उद्घाटन घोषित करता हूं और आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिये दोनों मुट्ठी बंद करके, हाथ ऊपर करके बोलिये जयहिंद, पूरी ताकत से बोलिये, आप लोग तो जयहिंद पूरे हिंदुस्‍तान को सुनाते हो – जयहिंद, जयहिंद, जयहिंद।

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जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।