मैं सबसे पहले काशी वासियों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं, उनका धन्यवाद करना चाहता हूं। जब मैंने टीवी पर देखा, अखबारों में पढ़ा, कुछ यहां के स्थानीय नागरिकों ने मुझे फोन करके बताया कि हम काशी वालों ने छोटी दिवाली मना ली। 29 सितंबर को जब देश की सेना ने पराक्रम किया तो पूरा काशी झूम उठा। काशी वासियों ने देश के सुरक्षा बलों का जो गौरव गान किया, मां गंगा की आरती को जिस प्रकार से समर्पित किया, यहां का सांसद होने के नाते आपके द्वारा सेना का इतना सम्मान हो, गौरव हो तो मेरी खुशियों का कोई पार नहीं रहता।
ये आपने जो छोटी दिवाली मनाई थी उसके लिए मैं आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं। कई वर्षों के बाद सवा सौ करोड़ देश वासी सेना के जवानों को अहसास करवाने में सफल हुए हैं कि आप अकेले नहीं हैं, सवा सौ करोड़ का देश आपके पीछे खड़ा है। अब हम बड़ी दिवाली मनाने जा रहे हैं। हम तो अपने परिवार के साथ दिवाली मनाएंगे, अपनों के बीच खुशियां बांटेंगे, दीये जलाएंगे, अंधेरा हटाएंगे, रोशनी लाएंगे, सब कुछ करेंगे, लेकिन ये तब संभव होता है जब किसी मां का लाल सीमा पर तैनात होकर के हम लोगों के सुख चैन के लिए अपने आप को खपा देता है।
ये छोटी दिवाली मनाकर देश को आपने दिशा दी। मैं काशी वासियों का, उत्तर प्रदेश के नागरिकों का, हिंदुस्तान भर के नागरिकों का, काशी की धरती से आह्वान करता हूं कि इस दिवाली में हम अपनों को जिस प्रकार से शुभकामनाएं देते हैं, उसी प्रकार से हम सेना के अपने जवानों को, हमारे सुरक्षा बलों को, दीपावली का संदेश भेजकर उनके प्रति अपने लगाव का अहसास करवाएंगे। चाहे वो थल सेना में हों, जल सेना में हों, वायु सेना में हों, कोस्ट गार्ड में हों, इंडो-तिब्बतन फोर्स में हों, असम राइफल्स में हों, बीएसएफ में हों, सीआरपीएफ में हों - हर कोई, सवा सौ करोड़ देश वासियों की सुरक्षा के लिए तैनात है। इस दीपावली में हम सब की तरफ से उनको एक संदेश जाना चाहिेए।
भेजेंगे? कैसे भेजेंगे?
आप अपने मोबाइल से 1922 नंबर पर मिस्ड कॉल करना। वहां आपको एक मैसेज आएगा। उस मैसेज से आप नरेंद्र मोदी एप अपने फोन पर डाउनलोड कर सकते हैं। उसमें सेना के जवानों को संदेश भेजने के लिए एक जगह है, उससे आप संदेश भेजेंगे। देश के सुरक्षा बलों को आपके संदेश मिलेंगे।
देश के सुरक्षा बलों को हर पल लगना चाहिए कि हमारी जवानी हम देश के लिए लगा रहे हैं तो देश वासियों को हम पर कितना गौरव है, कितना अभिमान है। उन्हें ये प्रतिपल अनुभव होना चाहिए। सिर्फ बम, बंदूक और गोलियों की आवाज के दरमियान हों ये काफी नहीं है। दुनिया के कई देशों में, अगर सेना के जवान हवाई जहाज में जा रहे होते हैं, रेल से जा रहे है और वहां अन्य यात्री उन्हें देखते हैं तो सब तालियों से उनका गौरव गान करते हैं और वे वहां से गुजरते हैं। ये सामान्य स्वभाव बना हुआ है। हमारे देश में जब विशिष्ट परिस्थिति पैदा होती है, पराक्रम की बात आती है तब तो एकदम से देशभक्ति उमड़ पड़ती है, लेकिन फिर धीरे धीरे सब ठंडा हो जाता है। सेना के साथ, सुरक्षा बलों के साथ, एक आत्मीय, गौरवपूर्ण, सम्मानजनक नाता जोड़ने का कल्चर हमेशा बना रहना चाहिए। विशिष्ट अवसरों पर ही बना रहे ये काफी नहीं है।
इसलिए मैंने इस बार सेना के जवानों को संदेश भेजा है और देशवासियों को भी कहा है कि आप भी मेरे साथ इस संदेश में जुड़िए।
भाइयो-बहनो, आज मैं सबसे पहले इन सारे मंत्रियों का, उनके मंत्रालयों का आभार व्यक्त करता हूं क्योंकि मेरे संसदीय क्षेत्र में आपने इतनी सारी योजनाएं लागू कीं और मेरे यहां के मतदाताओं की सुविधा के लिए आपने इतना बढ़िया-बढ़िया काम किया। मैं पहले आपका आभार व्यक्त करता हूं। मैं रेलवे विभाग के अधिकारियों का अभिनंदन करना चाहता हूं कि आपने मेरे स्वभाव को भली भांति समझ कर के प्रकल्प को समय से पहले पूरा कर दिया। वरना सरकारें ऐसी होती हैं कि शिलान्यास एक सरकार करती है, उद्घाटन दूसरी या तीसरी सरकार के नसीब में आता है। सरकारें आती हैं, जाती हैं, बदल जाती हैं लेकिन वो पत्थर वहीं पड़ा रहता है।
ये ऐसी सरकार है कि शिलान्यास भी हम ही करते हैं और उद्घाटन भी हम ही करना चाहते हैं। योजनाएं समय सीमा में होनी चाहिए। निर्धारित बजट में होनी चाहिए। हो सके तो समय भी बचना चाहिए, धन भी बचना चाहिए और काम उत्तम होना चाहिए। ये कल्चर विकसित करने का प्रयास दिल्ली में जो आपने सरकार बैठाई है वो कोशिश कर रही है और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि ये हर क्षेत्र में होने वला है।
आपने देखा होगा, हमारे जितने मंत्री यहां बोले, जितनी आपको कार्यक्रम की योजनाएं बताईं उसके साथ-साथ समय भी बताया। क्योंकि मेरा एक आग्रह रहता है, मैं कार्यक्रम पर या किसी फाइल पर साइन करता हूं तो पूछता हूं जरा ये बताओ पूरा कब करोगे? योजनाएं सिर्फ अखबारों में छपने के लिए नहीं होती हैं, सिर्फ अखबारों में वाहवाही के लिए नहीं होती हैं, योजनाएं जनसामान्य के जीवन में बदलाव लाएं इसे कार्यान्वित करने के लिए होती हैं। और इस सरकार का आग्रह है कि हम जो योजनाएं लाएंगे, लागू करके रहेंगे।
अभी आपने यहां देखा, सुकन्या समृद्धि योजना। जिस दिन हमने यह योजना घोषित की होगी, अखबार में भी आई होगी, कुछ लोगों ने जाना, कुछ लोगों ने नहीं जाना और बात आई-गई हो गई लेकिन हम ऐसे नहीं करते, हम पीछे लगे रहते हैं कि बताओ भई कर रहे हो कि नहीं? सभी बच्चियों को लाभ पहुंच रहा है कि नहीं पहुंच रहा है? पीछे लग रहे हो कि नहीं लग रहे हो? तो देखो, कर रहे हैं।
यहां आपने देखा, मुझे कुछ परिवारों को गैस सिलेंडर देने का अवसर मिला। हमें मालूम है गैस सिलेंडर पाना पहले कितनी दिक्कत का काम हुआ करता था। सिफारिश लगानी पड़ती थी। सांसद के अगल-बगल घूमना पड़ता था। बड़े-बड़े अफसर भी एमपी को पकड़ते थे कि साहब मेरी ट्रांसफर यहां हुई है मैं यहां आया हूं जरा गैस का कनेक्शन मिल जाए मुझे, देखिए न बड़ी मुसीबत है। एमपी को 25 कूपन मिला करती थी गैस का कनेक्शन दिलवाने के लिए। और वो एमपी 25 कूपन लेकर घूमता रहता था, उसके पीछे 200-200 लोग घूमते रहते थे कि साहब एक कूपन मुझे भी दीजिए। ये सब चला गया। सरकार सामने से गरीबों को ढूंढ रही है, गरीबों के घर को ढूंढ रही है।
मेरा सपना है कि 3 साल में हिंदुस्तान के गरीब परिवारों के घर में जहां लकड़ी का चूल्हा जलता है, जहां खाना पकाने में हर मां के भीतर बहुत धुंआ जाता है, उन माताओं को धुंए से बचाना है। गरीब के घर में गैस का चूल्हा जलाना है। ये कोशिश कर रहा हूं।
लेकिन इसके साथ-साथ, आज वाराणसी में गैस पाइपलाइन के कार्यक्रम का शिलान्यास हो रहा है। रसोईघर में नल से पानी भी हर घर में आता होगा या नहीं उसका मुझे मालूम नहीं। अभी भी घर से बाहर पानी लेने के लिए लोगों को शायद जाना पड़ता होगा। मेरी कोशिश है और खासकर के काशी की माताएं बहनें मुझे आशीर्वाद दीजिए कि रसोई घर में नल ऑन करने से गैस आ जाएंगी, खाना पकना शुरू हो जाएगा। निर्धारित समय में सैकड़ों करोड़ों रुपया खर्च करके गैस की पाइपलाइन बिछाने की दिशा में आज कार्य आरंभ हो रहा है।
अर्थव्यवस्था में ऊर्जा का बड़ा महत्व होता है। गैस आधारित इकोनॉमी, फर्टिलाइजर के उत्पादन में गैस की जरूरत होती है। उसके लिए जगदीशपुर-हल्दिया पाइपलाइन का जो काम था वो तो होना ही है लेकिन उसके साथ हमने देश के सात शहरों, विशेष कर पूर्वी हिंदुस्तान में, पाइपलाइन से गैस देना तय किया है। ये शहर हैं वाराणसी, रांची, कटक, पटना, जमशेदपुर भुवनेश्वर, कोलकाता। उसके तहत आज मेरे संसदीय क्षेत्र के घरों में पाइपलाइन से गैस पहुंचाने की दिशा में काम हो रहा है।
यातायात में भी जहां आप पेट्रोल डीजल से गाड़ियां चलाते हैं, अब सीएनजी से गाड़ी चला पाएंगे। पेट्रोल-डीजल से सीनएनजी सस्ता भी पड़ता है, पर्यावरण को भी फायदा करता है। यहां करीब 20 लाख वाहन हैं जिन्हें फायदा मिलेगा जब सीएनजी के स्टेशन लग जाएंगे। और इन सातों शहरों में बहुत बड़ी मात्रा में वाहन हैं, तो पर्यावरण को बहुत बड़ा लाभ होगा। देश को विदेशों से पेट्रोलियम लाना पड़ता है, उसमें भी आर्थिक रूप से देश की बचत होगी। तो एक ऐसी योजना जो जनसुविधा वाली भी है और भावी पीढ़ी के भविष्य के लिए भी पर्यावरण की रक्षा करने वाली है।
ये मेरा साफ मत रहा है कि अगर हम सोचें भारत का कोई इलाका आगे बढ़ जाए तो देश आगे बढ़ जाएगा ये संभव नहीं है। देश तभी आगे बढ़ेगा जब हिंदुस्तान के हर कोने में विकास हो, विशेषकर हिंदुस्तान के पूर्वी इलाके में विकास हो। चाहे वो पूर्वी उत्तर प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, बंगाल हो, झारखंड हो, उड़ीसा हो, पूर्वोत्तर के प्रदेश हों, असम हो - ये सारा क्षेत्र आर्थिक गतिविधि का केंद्र बनाना है तो हमें इस प्रकार की सुविधाओं से उसे जोड़ना होगा।
पिछले दिनों आपने देखा होगा काशी की संगीत की दुनिया को हैरिटेज में स्थान मिला। वो काशी के लिए गौरव का विषय था। ये सर्वविद्या का केंद्र है। संगीत के क्षेत्र में काशी ने देश और दुनिया को बहुत कुछ दिया है। उस विरासत को हैरिटेज के रूप में दुनिया के अंदर स्थान मिला. उसी से प्रेरणा लेकर के आज काशी का पोस्टल स्टैंप .. और मैं चाहूंगा काशी के लोग तो अपनी डाक में काशी का ही ये पोस्टल स्टैंप लगाने की आदत डालें। वो अपने आप में आपका परिचय बढ़ाता है। एक बार पोस्टल स्टैंप जाता है तो दुनिया में टूरिज्म के लिए वो कारण होता है। उससे एक पहचान मिलती है। काशी का गौरव गान होता है। बहुत पहले शहरों की डाक टिकट की कल्पना हुई थी हमारे देश में, लेकिन वो मामला आगे बढ़ा नहीं। हमने काशी को इस काम के लिए चुना। फिर से एक बार शुरुआत हुई है और इसके कारण हमारे इस पुरातन शहर की एक पहचान नए तरीके से दुनिया के सामने पहुंचाने में ये एक काम होगा।
आज यहां किसानों के लिए भी एक बहुत बड़े महत्वपूर्ण राजा तालाब प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ है। हमारे किसान बड़े शहरों के अगल बगल में सब्जी पैदा करते हैं। ये राजा तलाब एक ऐसी जगह है जो पूरब, पश्चिम और उत्तर में रोड़ और रेल की कनेक्टिविटी में केंद्र बिंदु है। यही वो इलाका है जहां हमारे किसान सबसे ज्यादा सब्जी, फलों और फूलों की खेती करते हैं। अगर उनको इस प्रकार की सुविधा मिले और उनके लिए बर्बादी बच जाए और परिवहन की सुविधा हो जाए तो हमारे किसान को सबसे ज्यादा फायदा होगा। और ये व्यवस्था ऐसी है कि इस इलाके के किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होने वाली है। वो अपनी मर्जी से जब दाम मिलेगा तो माल बेच सकता है नहीं तो तब तक अपना माल सुरक्षित रख सकता है। सुविधा मिल जाए, व्यवस्था मिल जाए, परिवहन की व्यवस्था से वो जुड़ जाए तो किसान न सिर्फ इस इलाके में बल्कि वो कोलकाता से लेकर दिल्ली तक कहीं पर भी अपनी सब्जियां बेचने के लिए पहुंचा सकता है। यहां की फूलगोभी वगैरह तो बड़ी प्रसिद्ध है। यहां की चीजें बड़ी स्वादिष्ट हैं। मां गंगा का आशीर्वाद है यहां के कृषि उत्पादन पर। उसका एक अनोखा टेस्ट भी है। तो इसके कारण बाजार में उसकी एक पहचान बनेगी।
आज हमारे मनोज सिन्हा जी ने काशी को एक और गौरव दिया। डाक विभाग हमारे यहां की बहुत पुरातन व्यवस्था है। जब तक तकनीकी नहीं आई थी डाकिया हर घर में इंतजार का कारण हुआ करता था। डाक आए या न आए लेकिन हर परिवार राह देखता था कि डाकिया आकर तो नहीं चला गया? अगर बेटा बाहर रहता है तो वो हर दिन डाकिए को याद करते थे। डाक का अपना एक महत्व है।
नए समय में डाक का स्वरूप अब बदल चुका है। हम डाक को बैंकिग क्षेत्र में तब्दील कर रहे हैं। पोस्ट ऑफिस बैंकिग सुविधा उपलब्ध करवाएंगे। देश में आज जितनी बैंकों की शाखाएं हैं उतनी ही अकेली डाकघरों की शाखाएं हैं। डेढ़ लाख से ज्यादा। वे सब बैंकिंग का काम करेंगी। वो जब एक नया जोन बनता है तो यहां कि सुविधाओं पर एक विशेष निगरानी बनती है, कुशलता आती है और परिणाम मिलता है। वो काम करने के लिए एक क्षेत्रीय व्यवस्था काशी के आस पास के जिलों को जोड़कर के बनी है। नए जोन का निर्माण किया गया है।
आजकल ई-कॉमर्स का मामला बहुत बढ़ रहा है। लोग ऑनलाइन अपनी चीजें खरीदते हैं। लेकिन वो वक्त दूर नहीं होगा जब पोस्ट ऑफिस डिलीवरी के बहुत बड़े केंद्र बनेंगे। आज मनरेगा के पैसे देने हों, स्कॉलरशिप के पैसे देने हों, पेंशन के पैसे देने हों - बैंकों की शाखा कम हैं। ये सुविधा बढ़ने के कारण जो बुजुर्ग लोग हैं, विद्यार्थी हैं, विधवाएं हैं उनको डाक और बैंक जुड़ने के कारण ये सुविधाएं सरलता से उपलब्ध होंगी। ये होने के कारण व्यापारी वर्ग को भी खासकर छोटे-छोटे व्यापारियों को अपना कारोबार चलाने के लिए एक नई सुविधा उपलब्ध होगी। इस काम को भी आज आपके सामने प्रस्तुत किया है।
रेल हमारे देश की बहुत पुरानी व्यवस्था है। जब संसद में बजट आता और रेल मंत्री हजारों लाखों करोड़ की घोषणाएं कर दें, कोई सांसद उनकी सुनता नहीं था, लेकिन जैसे ही वे बोलना शुरू होते थे कि फलाने शहर से फलाने शहर तक एक डिब्बा जोड़ दिया जाएगा तो तुरंत सांसद तालियां बजानी शुरू करते थे। फलानी जगह पर स्टॉपेज दिया जाएगा, तालियां बजती थीं। फलानी जगह पर नई ट्रेन लगाई जाएगी तो तालियां बजती थीं। रेलवे बजट इसी पर सीमित हो गया कि किस सांसद के कौन से इलाके में ट्रेन रुकेगी या नहीं रुकेगी, जाएगी या नहीं जाएगी। यहां पर रेल सीमित हो गई।
रेल भारत का इतना बड़ा नेटवर्क है लेकिन उसके हाल चाल रूप रंग ढंग पिछली शताब्दी के हैं। हमने सपना देखा है कि रेल को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। रेल की गति बढ़ाने की आवश्यकता है। रेल के इलेक्ट्रिकल कनवर्जन की आवश्यकता है। गेज कनवर्जन की आवश्यकता है। दूर-सुदूर इलाकों से जोड़ने की आवश्यकता है और इसलिए एक बहुत बड़ा प्लान जैसा हमारे रेल मंत्री जी कह रहे थे, आजादी के बाद जितने रूपये खर्च किए गए, जितना काम नहीं हुआ पिछले ढाई साल में और पिछले महीनों में हमने इतना काम किया है। और इसी के तहत ये जब इलाहाबाद डबल लाइन हो जाएगी, नया पुल बन जाएगा, गति भी बढ़ेगी, व्यापार को भी फायदा होगा। एक बार इस प्रकार का गतिशील आधारभूत ढांचा उपलब्ध हो जाता है तो आर्थिक गतिविधि भी तेज हो जाती है। ये सिर्फ पटरियों का खेल नहीं है, ये सिर्फ एक ट्रेन दौड़ने वाला खेल नहीं है, ये पूरी अर्थव्यवस्था को बदल देता है। इस काम के लिए ये बड़ा अहम कदम आज हमने यहां उठाया है। उसका भी लाभ आपको मिलने वाला है।
आज बिजली के लिए भी एक लोकार्पण हुआ। बिजली होती तो है लेकिन ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता कि बिजली के कारखाने में बिजली बनने से बिजली मिलती नहीं है। बिजली का कारखाना भी लग गया, तार भी लग गए तो उससे बिजली नहीं आ जाती। जैसे पानी के बहाव को पहुंचाने कि लिए बांध की जरूरत पड़ती है या ट्यूबवेल से जरिए पानी को ऊपर ले जाकर टंकी में भरने के बाद पानी नीचे पहुंचता है, वैसे बिजली को भी इस प्रकार के सब-स्टेशन की जरूरत पड़ती है जिससे बिजली को आगे पहुंचाने के लिए धक्का लगता है।
ये बड़ा खर्चीला काम होता है लेकिन सब-स्टेशन न हो तो बिजली आती है, जाती है, कभी टीवी जल जाते हैं, कभी मोटर जल जाती है, कभी एसी जल जाता है, स्थिरता नहीं आती। क्वालिटी पावर नहीं मिलता है। इसके लिए बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है। लेकिन ज्यादातर सरकारों को इस प्रकार के खर्च करने से डर लगता है। उनको लगता है ठीक है लोग चला लेंगे, बिजली आई न आई वो थोड़े दिन चलाते रहेंगे। नहीं, क्वालिटी बिजली होती है तो आर्थिक विकास का एक बहुत बड़ा सरल रास्ता हो जाता है। उद्योगपति भी पैसे तब लगाते हैं जब क्वालिटी बिजली मिलती है। आती है, जाती है, पूछते हैं, करते हैं, हुआ, नहीं हुआ इन बातों से कभी विकास नहीं होता है। ये जो पावर के सब-स्टेशन डाले गए हैं जिसका उद्घाटन हुआ है वो क्वालिटी पावर की गारंटी देते हैं।
एक प्रकार से आज किसी एक समारोह में करीब-करीब 5000 करोड़ रुपये का काम काशी की धरती को अर्पित हो रहा है।
ये छोटा काम नहीं है। और बड़ी-बड़ी योजनाएं मैं कहूं तो आज सात योजनाएं मेरे काशी वासियों के सामने लोकार्पण के रूप में या शिलान्यास के रूप में मैंने रखी हैं। एक तरह से ये सप्तर्षि है। जैसे आकाश में सप्तर्षि दिशा का काम करते हैं, सप्तर्षि को देखकर के समंदर में नाविक अपनी दिशा तय करता है, पहले के जमाने में जंगलों से गुजरने वाले लोग सप्तर्षि को देख अपना रास्ता तय करते थे। काशी की विकास की राह तैयार करने वाला ये सप्तर्षि आज मुझे यहां की धरती को दने का अवसर मिला है।
काशी का अविरल प्यार मुझे मिलता रहा है। भरपूर प्यार मिलता रहा है। मैं आपका ह्दय से बहुत-बहुत आभारी हूं और मुझे विश्वास है कि विकास की यात्रा तेज गति से पूरे पूर्वी भारत को बदलाने का काम करेगी और काशी अपनी ताकत दिखा कर रहेगी इस विश्वास के साथ आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद।