PM Modi addresses the National Conference on Sustainable Agriculture and Farmers Welfare in Gangtok, Sikkim
PM Narendra Modi lauds Sikkkim for their progress in organic farming sector
It has been agreed by all nations that we have to change our lifestyle. We cannot exploit nature. We have to live in harmony with nature: PM
Sikkim is a state where the environment is protected and at the same time it is scaling new heights of development: PM
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana instills confidence in the farmers. We should integrate as many farmers as possible with this scheme: PM

म भारतको प्रधानमंत्री भएर सिक्किम राज्य को यों पहिलो भ्रमण हो। सिक्किमका मानिसहरु सोझा र साधारण रहेछन। यहाँको वातावारण अति सुंदर, पवित्र र शांतिपूर्ण छ। यहाँ को स्वच्छ पर्यावरण, विविद-वन-सम्पदा, जैविकता अनि सुंदर वातावरणमा म मोहित भएं।

यहांको जैविक खेतिको विषयमा मैले धेरे कुरा सुने। आज सुन्दर सुनखरी,बहुरंगी फूलहरकों दर्शन भयो अनि म अतिनै हर्षित भऍ। देशमा सिक्किम एउटा नमुनाको राज्य हुन सकछ।

आज हमने प्रारंभ में सिक्किम के भूतपूर्व राज्‍यपाल श्रीमान रामाराव को श्रद्धांजलि दी। रामाराव से मेरा बड़ा गहरा परिचय रहा। एक साथी कार्यकर्ता के रूप में मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिला। सहज व्‍यंग विनोद उनकी प्रकृति में था। आंध्र प्रदेश विधान परिषद में लम्‍बे अरसे तक उनका मार्गदर्शन मिलता रहा। कुछ दिनों से उनका स्‍वास्‍थ्‍य ठीक नहीं था। कल मकरसक्रांति के बाद ही हमारे बीच से विदाई हो गई। सिक्किम में पांच साल वो रहे। सिक्‍कम को उन्‍होंने अपना बना लिया। मैं उनके प्रति आदर पूर्वक श्रद्धांजलि प्रेषित करता हूं।

मैं पवन जी जब मेरी तारीफ कर रहे थे। तो मैं भी दुविधा में था कि यह क्‍या हो रहा है। जब तक मेरा नाम नहीं बताया, मुझे लग रहा था कि किसी और के लिए कह रहे हैं। लेकिन जब अचानक मेरा नाम आया तो मैं चौक गया। लेकिन बाद में समझ आया कि इतनी तारीफ क्‍यों हो रही थी। लेकिन आपने देखा होगा सामान्‍य रूप से किसी समारोह में जाते हैं, कहीं पर तो जो होस्‍ट होते हैं, वो मुफत में थोड़े बुलाते हैं। लेकिन पवन जी ने जितनी बातें रखी, उसमें राज्‍य को रुपये दो, इतने पैसे दो ऐसी कोई बात नहीं रखी। यह बहुत बड़ी बात है। उन्‍होंने कहा कि जनजातियों के लिए क्‍या चाहिए, किसानों के लिए क्‍या चाहिए। यहां की जनजातियों को कौन सा हक चाहिए। यह राज्‍य प्रगति कर रहा है, उसका मूल कारण है पवन जी की यह सोच। वरना तो जितने संकट हम कल्‍पना करें, वो सारे संकट यहां मौजूद हैं, प्राकृतिक कठिनाईयां बेशुमार है। अगर सिक्किम के लोगों को या सिक्किम के शासकों को शिकायत करनी हो, रोना-धोना हो, हजारों बातें हैं, लेकिन यह सुखिस्‍तान है, यहां रोना-धोना होता नहीं है। 


पहाड़ी मन है, हिमालय जैसी ऊंचाई है और वे कुछ कर-गुजरना चाहते हैं। पवन जी ने जितनी बातें कही है। भारत सरकार उसको गंभरीता से देखेगी, उसकी जांच पड़ताल करके क्‍या हो सकता है। मैं आज सरकार का मेहमान हूं यह निमित है, पवन जी का मेहमान हूं यह निमित है। दरअसल मैं आज सिक्किम के लाखों किसानों का मेहमान हूं। और मैं आज यहां अकेला नहीं आया हूं। मैं देश के करोड़ों किसानों की आशा ले करके आया हूं। यहां पर जब पवन जी ने मुझे कहा कि एक organic state के रूप में घोषित करना है, लेकिन आप आइये। मैंने कहा मैं अकेला आऊंगा घोषित करूंगा, इससे क्‍या फर्क पड़ेगा। मैंने कहा कि मैं सारे हिंदुस्‍तान के कृषि मंत्रियों को बुलाऊंगा। देश के सभी कृषि सचिवों को बुलाऊंगा। दो दिन जहां इतना बड़ा कृषि यज्ञ किया है, ऐसे ऋषि तुल्य किसानों को इस पवित्र भूमि में हमारे सब लोगों को प्रेरणा मिले, तो दो दिन इस प्रकार से चिंतन भवन में एक प्रकार से मंथन हुआ है, मनन हुआ है, जो देश के कृषि जगत में किस प्रकार से बदलाव लाया जा सके इसकी गहराई से चर्चा हुई है। जो पांच presentation आए। आपने देखा होगा कि पहले क्‍या परंपरा थी, यह कोई कृषि मंत्रियों की मीटिंग पहली बार नहीं हुई है, हर वर्ष होती है, लेकिन विज्ञान भवन में आना, अपनी बात बताना और चले जाना। यही ज्‍यादातर होता था। शायद पहली बार हुआ होगा कि दो दिन कृषि मंत्री और कृषि सचिव एक साथ रहे होंगे। बैठ करके बातें की, चर्चाएं की, Group discussion किये और निश्चित विषयों पर की है। और उसमें से उन्‍होंने कुछ actionable चीजें निकाली है। suggestions निकाले हैं।

कुछ short term हैं, कुछ long term, कुछ कानूनी व्यवस्था से जुड़े हुए हैं, कुछ financial resources की बातें हैं, कुछ नए vision से जुड़े हुए हैं। यानि एक प्रकार से बदले हुए कालखंड में कृषि जीवन को कैसे देखे जाए। देश का गांव, देश का किसान, देश की कृषि, देश का कृषि उत्पादन। इन विषयों को टुकड़ों में देखने से कभी देश का भला नहीं होगा, हमें उसे समग्रता में देखना होगा और समग्रता में देखने के इरादे से, ये मंथन हुआ है और उसमें से कई महत्वपूर्ण सुझाव उभरकर के आए हैं। मुझे विश्वास है आने वाले दिनों में राज्य सरकारों की agriculture की road map में और भारत सरकार के agriculture के vision में ये कहीं-कहीं reflect होंगे। जो राज्यों के प्रतिनिधि आए हैं उनके प्रयासों से, राज्यों के आने वाले बजट में भी ये प्रतिबिंबित होंगे और जो बातें यहां हुई उसके प्रकाश में राज्य में छोटे-छोटे group meeting करें, seminar करें, संबंधित लोगों को बिठाएं और हो सकता है ये जो 5 presentation हुए, सारे मुद्दे हर राज्य को लागू नहीं होंगे लेकिन उसमें वो राज्य क्या-क्या कर सकता है। 50 बातें आई होंगी, हो सकता है वो 20 कर पाए। हो सकता है कि किसी को लगता है 10 इस साल, 10 अगले साल, 10 और एक साल के बाद लेकिन कोई न कोई कार्यक्रम इसमें से उभर करके आने चाहिए, योजना बननी चाहिए और एक प्रकार से Sikkim declaration के रूप में ये चीजें याद रहनी चाहिए। कृषि क्षेत्र में निराशा के लिए बहुत कारण हैं।

अनुभवों की ऐसी भरमार है कि उसमें नया विश्‍वास पैदा करना, चुनौती है तो भी उस चुनौती को स्‍वीकार करना ही है। सिक्किम एक उदाहण है। उदाहरण इस अर्थ में है कि जब यहां पर 2003 में विचार रखा गया होगा, जैविक खेती का तो क्‍या विरोध नहीं हुआ होगा क्‍या। क्‍या किसानों ने शिकायतें नहीं की होगी क्‍या। जब 10 किसान जैविक की तरफ गए होंगे और प्रांरभ में थोड़ा घाटा भी हुआ होगा। तब पड़ोस वाला भरपूर fertilizer डाल करके उसे डबल पैदावर करके उसे दिखा देता होगा कि देख तू तो मर रहा है, मैं जी रहा हूं। हर किसान का मन डुल गया होगा, जिसने तीन में प्रयोग किया होगा उसने सोचा होगा कि यार अब अगली बार नहीं करना है यह मुख्‍यमंत्री जी तो कहते हैं, उनको कहां खेती करनी है। खेती तो हमें करनी है। ऐसे कई निराशा के पल आए होंगे, कई आशंका के अवसर पैदा हुए होंगे, इस रास्‍ते को छोड़ करके फिर पुराने रास्‍ते पर लोटने की इच्‍छा भी हुई होगी, आर्थिक संकट भी झेलने पड़े होंगे, लेकिन उसके बावजूद भी सिक्किम के उन लाखों किसानों को मैं नमन करता हूं कि उन्‍होंने अपनी राह छोड़ी नहीं, चाह छोड़ी नहीं और जो राह नहीं छोड़ता, चाह नहीं छोड़ता, वो जीवन में कुछ पा करके रहता है। और आज दुनिया पूरी सिक्किम के लिए ताली बजाती होगी।

एक लम्‍बे अरसे की तपस्‍या का परिणाम है। एक दशक तक बिना रूके, बिना थके इस बात को मानना उसके पीछे खपे रहना यह छोटा काम नहीं है जी। अब अपने घर में भी परिवार में तय करो कि यह दो चीजें करेंगे| सामान्‍य दो चीजें इतना तय करो कि हर दिन शाम को साथ में बैठ करके परिवार के साथ खाना खाएंगे। नहीं निभा पाओगे। परिवार के सब लोग एक साथ शाम को बैठ करके खाना खाएंगे, यह निर्णय करेंगे, 10 साल लगातार पूरा नहीं कर सकते। कहीं-कहीं तो रूकावट आ जाएगी। यह सिक्किम के किसान है, जिन्‍होंने करके दिखाया। शायद एक कारण यह भी हो जिस आधुनिकता की हवा में हम लोग फंसे हैं यहां पर आप जैविक पवन की प्रेरणा पा रहे हैं। और यह पवन अब सिक्किम तक सीमित नहीं है, यह जैविक पवन पूरे देश में फैलने वाला है। Holistic health care यह सब मनुष्‍य के मन में अब यह विचार घर करने लगा है।

भी फ्रांस में ग्‍लोबल वार्मिंग की चिंता करने के लिए दुनिया के सारे देश इकट्ठे आए थे। Environment की चिंता कर रहे थे। ग्‍लेशियर पिघल रहे हैं, उसकी चिंता कर रहे थे। पूरा पर्यावरण बदल रहा है, बिगड़ रहा है। बर्बाद हो रहा है, यह चिंता का विषय था। कई बातें हुई। लेकिन इसमें एक paragraph बड़ा महत्‍वपूर्ण है और वो paragraph है back to basic का। दुनिया के सब देशों ने मिल करके कहा है कि हमें हमारी life style बदलनी पड़ेगी। जो पहले माना नहीं जाता था, वरना मनुष्‍य मानता था कि इस प्रकृति को लूटने का हमें हक मिला है। यह हमारे लिए ही सब कुछ। पहली बार COP21 में दुनिया ने मिल करके कहा कि जी नहीं प्रकृति के साथ प्रेम का नाता चाहिए। प्रकृति के साथ जीने का सीखना पड़ेगा। सिक्किम ने वो उदाहरण करके दिखाया है। कभी विकास और Environment का एक conflict है ऐसे चर्चा होती है। आशंका पैदा की जाती है कि development होगा तो Environment नष्‍ट होगा। सिक्किम दुनिया के लिए एक मॉडल है कि जिसमें पर्यावरण का पूरा protection होता है और development की भी नई ऊंचाईयों को पार किया जा सकता है।

मुझे बराबर याद है पवन जी ने गैंगटोक में मालरोड है न आपका, मैन रोड.. है.. गांधी मार्ग, उस पर उन्‍होंने vehicle बंद किए थे। बड़ा तूफान खड़ा हो गया था, बहुत साल पहले की बात है शायद। वो अडिग रहे और आखिरकार लोगों ने इस बात को मान लिया और आज वो गांधी रोड़ पूरे गैंगटोक की शोभा बन गया है। लोग गर्व करने लग गए हैं। इन दिनों स्‍वच्‍छता का अभियान चल रहा है, वो भी पर्यावरण से जुड़ा है, मैं गैंगटोक को, सिक्किम को और मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देता हूं कि अभी-अभी जो रेटिंग कर रही है, भारत सरकार इन दिनों बराबर उसके पीछे लगी है। देश में जो पहले 10 नंबर आए, पूरे देश में, जिसमें बड़े-बड़े शहर हैं। बंगलौर है, दिल्ली है, जयपुर है, उदयपुर है सब बड़े-बड़े हैं, इतने बड़े शहरों के बीच गंगटोक ने दसवां नंबर प्राप्त किया। ये छोटी स्थिति नहीं है और Himalayan States में, पर्वतीय राज्यों में गंगटोक ने नंबर एक प्राप्त किया। मैं उनको बधाई देता हूं इस काम के लिए और यहां की जनता को बधाई देता हूं। जिन्होंने स्वच्छता को स्वभाव बनाया है।

मैंने सुना कि 20वीं सदी में कोई प्रधानमंत्री यहां आए थे, जो रात को रुके थे, 21वीं सदी में मैं आया हूं, रात को रुकूंगा। हमारे देश के कृषि जगत के विकास के लिए जैविक खेती का एक आकर्षण तो बना है। किसान भी प्रयोग करने के लिए तैयार है। लेकिन छिटपुट प्रयोगों से वो पहले भी चलते होंगे, छिटपुट प्रयोगों से परिवर्तन अहसास नहीं होता। मैं राज्यों से जो प्रतिनिधि आए हैं, उनसे मैं आग्रह करता हूं कि जब दुनिया में जैविक उत्पादन की बड़ी मांग है कृषि उत्पादन की, एक बहुत बड़ा मार्केट है और एक प्रकार से zero cost कृषि की तरफ जाने का जो अभियान कुछ लोग चलाते हैं, उसके अनुकूल भी है। हम रणनीतिक दृष्टि से, strategically राज्य का कोई एक district पकड़े। पहले तय करें कि एक district को पूरी तरह जैविक करेंगे। अगर district करने की ताकत नहीं तो एक block पकड़ें, तालुका बोलते होंगे, block बोलते होंगे, जो बोलते होंगे। जिसमें 100, 125, 150 गांव हो, एक पूरा इलाका पकड़ें और एक बार उस पूरे इलाके को करके दिखाएं। ये कार्यक्रम बड़ा लम्बा चलता है क्योंकि इसमें एक साल अगर fertilizer या prestige का उपयोग नहीं किया तो बात बनती नहीं है, इसकी एक लंबी प्रक्रिया है और उसके special arrangement कर-करके, किसानों को guide करना, उनको जो आश्यकता है वो provide करना और उनके marketing तक की व्यवस्था को खड़ा करना। अगर एक block या district सफल हो गया तो बाकि जगह पर अपने-आप होना शुरू हो जाएगा और किसान का स्वभाव है, किसान लेक्चरबाजी से काम नहीं करता है। कितने ही बड़े agriculture university के scientist आकर के उसको भाषण दें, कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन वो अगर खुद आंख से देखे तो उसको किसी के भाषण की जरूरत नहीं पड़ती, वो करना शुरू कर देता है। Seeing is believing ये किसान का nature है। उसने एक बार देखा, वो detail में जाएगा, समझेगा और उसका विश्वास बन गया तो वो चल पड़ता है फिर उसको कोई रोक नहीं सकता है।

मैं चाहूंगा राज्यों से जो हमारे साथी आए हैं, वो कोई न कोई strategy तय करें, तय करें कि हमें किस दिशा में जाना है। दूसरी बात है आपने काफी crop insurance की बड़ी तारीफ की लेकिन ये भी मानना पड़ेगा कि crop insurance इतने सालों से चर्चा में है, किसान भी उसकी चर्चा, चिंता करता है लेकिन 20 percent से ज्यादा किसान इससे जुड़ा नहीं है, ये स्थिति हमें बदलनी है। हम अभी इतना तय कर सकते हैं कि हम कम से कम 50 प्रतिशत पर जाएंगे। हमारे राज्य में जितने किसान है, उसमें से कम से कम आधे किसान crop insurance से जुड़ें, ये हम कर सकते हैं, संकल्प करके करें और उसके कारण भारत की तिजोरी पर खर्च बढ़ने वाला है लेकिन वो खर्च बढ़ते हुए भी किसान को जो आज नई बीमा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आई है, वो किसान को एक विश्वास देती है। कई नई चीजें ऐसी जोड़ी गईं है, जो उसको रोजमर्रा की मुसीबतें थी, जो पहले count नहीं होती थीं। insurance company पर भी दबाव पैदा किया जा रहा है कि ये रास्ता है, आपको किसानों के साथ इस प्रकार से करना होगा। मैं आशा करता हूं कि crop insurance के काम में इसको जोड़ें। स्वच्छता को मैं कृषि के साथ जोड़ना चाहता हूं। Waste to wealth, हमारे यहां जो bio waste है उसमें से fertilizer कैसे बने, व्यापक रूप से fertilizer कैसे बने और ये fertilizer हमारे किसानों को कैसे मुहैया कराया जाए, उसका branding हो, मैं तो चाहूंगा कि सिक्किम भी जो organic चीजें उत्पादित करता है, उसको एक name का branding करना चाहिए। आज उन्हें तीन फूलों को नाम देने थे, दो को उन्होंने कहा कि आप दीजिए, एक मुख्यमंत्री ने कहा, मैं खुद दूंगा। मैंने जो दो नाम दिए, एक दिया सरदार, सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद में दिया और दूसरा नाम दिया दीनदयाल, दीनदयाल उपाध्याय जी की शताब्दी का वर्ष है, उनके लिए दिया था, दीनदयाल। लेकिन उन्होंने दूसरा ही नाम दे दिया। मैं आभारी हूं सिक्किम सरकार का, आपने इतना बड़ा सम्मान दिया लेकिन मुझे फूल जैसा नाजुक मत बनने देना। कांटों के बीच गुजारा किया है, कांटों के बीच गुजारा करना है लेकिन जहां जरूरत हो, वहां फूल जैसी कोमलता के साथ दुखी, दरिद्रों के आंसू पोंछने के काम आ जाए ये जिंदगी, इससे बड़ा क्या सौभाग्य हो सकता है।

कृषि क्षेत्र में, हमने एक आमूलचूल कुछ चीजें किसानों को बदलाव कि दिशा में सोचना होगा। एक बात सही है कि उत्पादन के बाद की व्यवस्था, वैज्ञानिक करेंगे तो किसान को फायदा होने ही वाला है। हमारे यहां जो wastage है उसको रोकेंगे, किसान को फायदा होने वाला है और market के संबंध में यहां काफी चर्चा हुई, bank finance के संबंध में काफी चर्चा हुई, technology के संबंध में काफी चर्चा हुई है। इन सारी बातों का महत्व है और उसको आगे करना भी है लेकिन किसान को भी कई चीजों में हमें जोड़ना पड़ेगा। अब जैसे soil health card है, यहां पर आय़ा soil health card में ये-ये मुसीबतें हैं। देखिए soil health card एक प्रकार से जनांदोलन के रूप में परिवर्तित करना चाहिए। आज से 30 साल पहले कोई Doctor आपको blood test कराने के लिए कहता था क्या, नहीं कहता था, urine test के लिए कहता था, नहीं कहता था। आज कोई भी Doctor के पास जाओ पहले कहता है भई पहले ये report ले आओ। अच्छा उस Doctor के पास उस एक testing की laboratory है, नहीं है। गांव में कोई और है जो laboratory चलाता है। आप testing करवाते हैं, report लेकर जाते है और वो तय करता है क्या बीमारी है। soil health के लिए ऐसी laboratories का network क्यों खड़ा न हो, देश में नौजवान soil health laboratory के उद्योग में क्यों न आए, Entrepreneur क्यों न बने और ये कोई ऐसी technology नहीं है कि जो कोई कर न सके। skill development जो भारत सरकार है, उसमें हम इसको करने वाले हैं कि soil health के लिए skill develop हो, soil health परीक्षण करने वाले जो लोग हो और गांव-गांव ऐसी छोटी-छोटी laboratory क्यों न बनें। मैंने ये भी कहा जो हमारे school-colleges हैं, जिस school-college में laboratory है। विज्ञान का प्रवाह होगा तो laboratory होगी। मार्च महीने से जून महीने तक हमारे यहां करीब-करीब स्कूलें बंद रहती हैं, छुट्टियां रहती हैं, कुछ इलाकों में नहीं रहती हैं, जहां पर मौसम अलग होता है, कुछ जगह पर अलग समय होता है लेकिन ज्यादातर हिंदुस्तान में मार्च महीने से जून-जुलाई तक स्कूल बंद रहती हैं। क्या उस समय हम स्कूल को, स्कूल की उस लैब को soil testing lab में convert कर सकते हैं, उस स्कूल को भी कमाई होगी। जो 10वीं, 12वीं के विद्यार्थी हैं या college के student हैं, उनको भी vacation में कमाई होगी और किसान उसको पता होगी कि इस प्रकार से नमूना लेकर के जाना है, वहां जाऊंगा, 3 दिन में मुझे report मिल जाएगी। ये इस प्रकार से हमें model विकसित करना पड़ेगा। हम ये आज चाहें, कर रही है सरकार और इस वर्ष का जो लक्ष्य था, उसमें काफी काम हुआ है लेकिन इतने से बात अटकनी नहीं है क्योंकि हर दो साल में जमीन अपना स्वभाव बदलती है, गुण-दोष में परिवर्तन आता है, हर दो साल में जमीन की जो परत होती है, उसमें परिवर्तन आता है और इसलिए हर दो साल में soil testing अनिवार्य हो जाता है। भले point five percent फर्क आता होगा लेकिन फर्क तो आता ही है। इतना बड़ा काम करना है तो नए Entrepreneur चाहिए। मैं अभी ये Start-Up के लिए नौजवानों से मिला था, उसके पहले भी मैं कुछ Start-Up वालों से मिला था, छोटी meeting में एक बार मिला था। मैं उनको कहा कि आप किसान mobile phone क्यों नहीं बनाते हो। आजकल ऐसे मशीन आते हैं कि आप अपने घर में blood test कर सकते हो, blood थोड़ा रखा तो उस पर report आ जाती है, sugar level क्या है, क्या ऐसे mobile phone नहीं निकल सकते हैं कि जिसकी screen पर मिट्टी रखे तो तुरंत report आना शुरू हो जाए, ये सब संभव है, technology बदल रही है, ये Start-Up वाले कर सकते हैं। किसान mobile phone क्यों न हो, उसके अंदर सारे software किसान से जुड़ी हुई हर चीज उसके अंदर हो, उसको ये जो हम लोग आज ये mobile phone इस्तेमाल करते हैं, उसको उसकी कहां जरूरत है, बिल्कुल फालतू में जगह रोककर के बैठ जाता है, उसको वो चीजें देखनी नहीं है जी। उसको तो weather report देखना है, उसको तो बाजार भाव देखने हैं, उसको तो फसल की variety देखनी है, fertilizer की समझ पानी है, कौन सी चीज कहां मिलती है और कौन सी चीज कहां बिकती है, वो चीज चाहिए, समस्या है तो कहां पूछूं, क्या पूछूं, ये चाहिए और मैं मानता हूं कि अगर आज जो Start-Up की दुनिया में हमारे नौजवान आए हैं, वो इस दिशा में सोचें कि मेरे देश के गरीब से गरीब किसान, अनपढ़ किसान भी, उसके हाथ में mobile phone के द्वारा वो अपनी समस्याओं का समाधान कर सकता है और जो technology की चर्चा यहां हुई, वो technology वहां से संभव है और ये जो मैं बातें कर रहा हूं, कोई कठिन काम नहीं कह रहा हूं, आज विज्ञान जिस गति से आगे बढ़ रहा है, ये सब संभव है और बहुत बड़ा मार्केट है।

पूरे दुनिया में जितना उनका mobile का मार्केट होगा, उतना मार्केट उनको अकेला हिंदुस्तान में मिल जाएगा, किसानों में। हम technology को, सब कुछ करना है, लोगों को जोड़कर के कैसा किया जा सकता है। अगर लोगों को जोड़कर के हम करें, हम कर सकते हैं। अभी मैंने कुछ कंपनी के लोगों से बात की। मैंने कहा कि भई हमारे यहां जो फल की खेती करने वाले किसान हैं, फल की उम्र ज्यादा होती नहीं है और पहाड़ों में या खेतों में दूर बड़ी मेहनत से, पहाड़ों में तो ज्यादा फल होते हैं, उसको मार्केट आते-आते तक 20 percent, 30 percent तो खराब हो जाते हैं और हम लोग pepsi पीने की fashion हो गई, coca cola पीने की fashion हो गई, अरबों-खरबों रुपए की ये aerated water बिक रहे हैं। मैंने उन कंपनियों को बुलाया, मैंने कहा भई ये आप इतनी सारी चीजें करते हो क्या ये प्रयोग करो ना, 5 percent ज्यादा मैं नहीं कह रहा हूं, 5 percent natural fruit का juice उसमें mix क्यों नहीं करते हो। अगर ये हमारे aerated water बेचने वाले लोग 5 percent natural fruit juice mix कर दें, हिंदुस्तान के किसान का एक भी फल बेकार नहीं जाएगा, मार्केट तुरंत मिल जाएगा, मार्केट तुरंत मिल जाएगा। हमारे यहां इतने सारे फूल हो रहे हैं। यहां से मार्केट जाते-जाते कितने फूले हैं जो बहुत कम फूले हैं जो बचेंगे, ये अच्छा है सिक्किम में कुछ फूले ऐसे हैं जिसकी उम्र बहुत लंबी भी है और मैं आज जब देखा फूलों का प्रदर्शनी, कुछ फूल हैं जिनकी कीमत 3 हजार रुपए है। 3-3 हजार रुपए कीमत है इन फूलों की, अनेक प्रकार की fragrance है। आज दुनिया में fragrance का बहुत बड़ा market है और उनको भी organic चीजें चाहिए। अगर organic चाहिए तो raw material में फूल चाहिए और फूल मार्केट में पहुंचाना है तो quick व्यवस्था चाहिए और इसलिए सिक्किम में airport बनाना है। कुछ लोगों को लगता है सिक्किम में airport, tourism बढ़ेगा। सिक्किम में airport बनने से tourism तो बढ़ेगा लेकिन सबसे बड़ा फायदा होगा perishable good को यहाँ कार्गो से उठाकर के फटाफट दुनिया के बाजार में ले जाया जा सकता है, रोज यहां से विमान भर-भरकर के फल और फूल जा सकते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, सिक्किम जो सुखिस्तान है, सुखिस्तान कहां से कहां पहुंच सकता है। देश को सुखिस्तान में बदल सकता है और इसलिए हमने बदलाव जो लाने हैं infrastructure होगा तो किसान के market की जो requirement है, उसको ध्यान में रखकर के होगा।

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना दी वो सिर्फ गांव में गाड़ियां जाएं इसलिए नहीं है, गांव में जो पैदावार होती है वो तुरंत बाजार में पहुंचे इसके लिए है वो काम, उसको हम आगे बढ़ा रहे हैं। दूर-सुदूर interior में कैसे ये व्यवस्था बने उस दिशा में काम कर रहे हैं तो अगर एक तरफ airport बनाने की कल्पना है तो दूसरी तरफ गांव की वो सड़क बनाने की भी कल्पना है। मंडी को e-board पर लाने की कल्पना है। e-network क्यों न हो हमारी मंडी का और e market की व्यवस्था हो जाएगी, उसको proper platform मिलेगा तो जो नौजवान किसान मैदान में आया है इन दिनों और ये अच्छी बात है कि हमारे देश की young generation वापस कृषि में रुचि लेने लगी है। बीच में 20 साल का ऐसा समय गया कि किसान छोड़ रहा था चीजें, वो वापिस लौट रहा है, उसको हम ला सकते हैं। हम किसान को कुछ चीजों में guide कर सकते हैं क्या, कृषि को प्रमुखतया तीन हिस्सों में बांट सकते हैं एक वो जो रेगुलर खेती करता है, परपंरागत खेती करता है वो। दूसरा, वो पेड़ की खेती करें Tree वृक्ष की खेती करें। हमारा देश आज इतना टिम्‍बर import करता है , फर्नीचर के लिए इतना टिम्‍बर import करता है। अगर हमारे देश के किसान को खेत के किनारे पर, जहां उसकी जमीन पूरी होती है वहां अगर वो टिम्‍बर लगाता है और 20 साल के बाद उसका पेड़ बड़ा हो जाता है उसको काटने का अधिकार दिया जाए और बैचने का अधिकार दिया जाए। अगर उसके घर में बेटी पैदा हुई हो और टिम्‍बर के दो पेड़ लगा दे तो बेटी की शादी करनी होगी उस दो पेड़ में से शादी का खर्चा निकल जाएगा। क्‍यों न हम हमारे किसान को टिम्‍बर की खेती के लिए प्रेरित करें। तीसरी बात है, animal husbandry, one-third उसकी एक पूरी व्‍यवस्‍था का हिस्‍सा पशु पालन करें चाहे फिशरिज का करें चाहे poultry का रके। यह उसका हिस्‍सा है और सहज रूप से वो by product के रूप में मिल सकता है। यह तीन हिस्‍सों में one-third, one-third, one-third किसान के काम में फोकस करेगा तो एक-आध बार फसल खराब हो जाएगी तो animal husbandry से गुजारा चल जाएगा। कभी टिम्‍बर से गुजारा, विशेष अवसर आएं तो निकल जाएगा। कभी हमारे किसान को असहाय होने की नौबत नहीं आएगी। अब यह दो चीजें और करने जैसी नई निकली हैं, जिस पर सोचा जा सकता है कुछ किसानों ने प्रयोग किया है।

एक तो हम लोग क्‍या करते हैं कि दो खेतों के बीच में जो division करते हैं। किसी न किसी कारण से यह खेत वाला भी एक मीटर जमीन खराब करता है और वो खेत वाला भी एक मीटर, दो मीटर जमीन करीब-करीब हर दो खेत में बीच में खराब हो रही है। हमारे देश में यह स्‍वभाव कैसे बना पता नहीं। आशंकाओं के कारण कहीं यह घुस जाएगा, वो घुस जाएगा उसके कारण हम लोग intervene करके किसानों को यह जो wastage है अपने खेत के चौड़ाई, किनारे पर उस wastage को कैसे वो fertilize बनाए, प्रेरित करना चाहिए। दूसरा इन दिनों कई किसानों ने अपने खेत की बॉर्डर पर सोलर पैनल लगा करके बिजली का कारखाना लगा दिया है और कुछ राज्‍यों ने किसानों के द्वारा यह बिजली पैदा हो रही है वो खरीदने की व्‍यवस्‍था भी की है। यह प्रयोग ऐसे हैं कि जो किसान अपने ही खेत में अपनी जो बिजली पैदा करेगा अपना पम्‍प भी चल जाएगा उसका और ज्‍यादा बिजली होगी तो सरकार खरीद लेगी। और छोटा सा वो यूनिट लगा सकता है अपने खेत के किनारे-किनारे पर। तो बॉर्डर की बॉर्डर हो जाएगी, बिजली की बिजली हो जाएगी। और 12 महीने पैदावर होगी। हमने यह नई-नई चीजें किसान को ध्‍यान में रख करके लाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।

किसान को हम value addition की ओर गांव को केंद्र बना सकते हैं। एक घटना मुझे बराबर स्‍मरण है, उस समय मैं गुजरात में मुख्‍यमंत्री था। किसान को एक समस्‍या यह होती है कि ज्‍यादा फसल हो तो दाम गिर जाते हैं, कम फसल हो तो खुद भूखा मरता है। दोनो तरफ से उसको मुसीबत होती है। हमारे यहां एक इलाका है, जहां मिर्ची की खेती होती थी। हरी मिर्ची। अब वो पूरे गांव की सबकी मिर्ची बैच दे। तो मुश्किल से तीन लाख रुपये आना था। अब तीन लाख रुपये में पूरे गांव का साल कैसे निकल सकता है तो गांव में कुछ पढ़े-लिखे लोग थे थेड़े से, उन्‍होंने कहा इस बार हम मिर्ची बेचेंगे नहीं। हरी मिर्ची नहीं बैचेंगे। उन्‍होंने क्‍या किया, उसको लाल मिर्ची होने दिया। लाल मिर्ची हो करके उन्‍होंने उसमें से पाउडर बनाया। पाउडर बना करके प्‍लास्टिक की बैग में पैंकिंग किया और लाल मिर्ची का पाउडर वो बेचने लगे। जिस गांव को तीन लाख की income होनी थी वो income 18 लाख हुई। value addition हम ग्रामीण लेवल पर value addition पर बल दे सकते हैं क्‍या। छोटे-छोटे प्रयोग decentralize राज्‍य interest ले करके उसका branding की व्‍यवस्‍था करे कि भई यह ब्‍लॉक है, यह ब्‍लॉक सरसों पर यह काम कर रहा है, तो उसका यह ब्रांड होगा, इस ब्रांड से माल बिकेगा, बाजार मिल जाएगा। हम इन व्‍यवस्‍थाओं को जोड़े। अगर इन व्‍यवस्‍थाओं को जोड़ते हैं तो हम अवश्‍य बदलाव ला सकते हैं।

कृषि क्षेत्र में कई प्रगतिशील किसान है। agriculture universities जो काम करती हैं, उससे अद्भुत काम प्रगतिशील किसानों ने किया होगा। हमारे हर राज्‍य में progressive farmer का एक डिजिटल ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म हम खड़ा कर सकते हैं? जिसमें राज्‍य के जो प्रगतिशील किसान हैं, उनके जो प्रयोग हैं, उसकी detail उस पर हो। और देश में कोई भी किसान देखना चाहे तो देख सके, university के student देखना चाहे तो देख सके। हमारी agriculture universities इस काम को लीड कर सकते हैं? Agriculture universities अपना जो climate zone देखते होंगे, उस climate zone में प्रगतिशील जो चीजें हुई हैं, उसके experience और experiments, detail में हम रख सकते हैं क्‍या? आप देखिए हम एक बहुत तेजी से क्रांति ला सकते हैं। मैं तो चाहूंगा कि सिक्किम भी एक ऑन लाइन प्‍लेटफॉर्म तैयार करें। यह ऑर्गेनिक प्रोसेस क्‍या हुआ, कैसे हुआ हर किसान अपनी कथा बताए। पूरे देश के किसान यहां आएंगे, देखेंगे।

मैंने आज उनके जो फूलों की प्रदर्शनी देखी, आजकल vertical garden की कल्‍पना है। अब vertical garden क्‍या होता है वो हमें किताब में या टीवी पर देखना पड़ता है। मैं पवन जी का अभिनंदन करता हूं उन्‍होंने vertical garden यहां पर खड़ा किया है। मैं चाहूंगा कि आप देखिए vertical garden क्‍या होता है और vertical garden को कैसे सजाया जा सकता है। और कैसे कम जगह में vertical garden को develop किया जा सकता है। अगर हम इन चीजों को प्रचारित करते हैं तो लोग उसको करने के लिए तैयार होते हैं। और इसलिए आज सिक्किम के लिए तो बड़ा महा उत्‍सव है यहां के किसानों की 12-13 साल की एक अखंड परिश्रम का आज सर्वोत्‍तम अवसर है। वो सारे किसान बधाई के पात्र हैं और देशभर से कृषि विभाग को संभालने वाले सरकारी अधिकारी और मंत्री महोदय यहां पधारे हैं। भारत सरकार के भी सारे अधिकारी मौजूद हैं यहां। एक नयी उमंग उत्‍साह के साथ, नई सोच के साथ, नये संकल्‍प के साथ यहां से हम प्रस्‍थान करें और यह सिक्किम की वादियों में जो पवन लहरा रहा है, वो पवन हमारे तक भी पहुंचे। हमारे खेतों में भी वो पवन पहुंचे। उसके लिए हम प्रयास करें।

मैं सिक्किम सरकार का इस बात के लिए आभारी हूं कि उन्‍होंने भारत सरकार का इतना बड़ा कार्यक्रम यहां आयोजित किया। मेरा भी सौभाग्‍य है कि मुझे दो दिन सिक्किम में रहने का अवसर मिला है और आपने जो प्‍यार दिया, सम्‍मान दिया इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। बहुत बहुत धन्‍यवाद।

मुझे एक कविता कहने का मन हो रहा है | एक कविता है पुरानी ...देखिये हमारे देश में जैविक के सम्बन्ध में कैसा सोचा जाता है| हिंदी भाषी इलाके में एक कवि हुए घाघ ..उन्होंने बड़ा मजेदार लिखा है |

“खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत ,

गोबर राखी पाती सड़े, फिर खेती में दाना पड़े |

सन के डंठल खेत छितावै, तिनते लाभ चौगुना पावै ,

गोबर मैला नीम की खली, या से खेती दूनी फली ,

वही किसानों में है पूरा, जो छोड़े हड्डी के चूरा ।"

मैं मानता हूँ कि कवि घाघ की लिखी हुयी बात आप सिक्किम वालों ने जी करके दिखाया है और इसलिए मैं सिक्किम को बहुत बहुत बधाई देता हूँ और इस समारोह को आयोजित करने के लिए बधाई देता हूँ|मैं देश भर से आये हुए महानुभावों से आग्रह करूँगा कि वह यहाँ से अच्छी चीजें लेकर के जाएँ | अपने राज्य में इसको प्राथमिकता दें , अपने राज्य में टाइम टेबल बनायें और उसको लागू करके किसानों की बेहतरी के लिए भारत का जो सपना है उसे मिल करके पूरा करें | बहुत बहुत धन्यवाद |

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
Today, Maharashtra has witnessed the triumph of development, good governance, and genuine social justice: PM Modi to BJP Karyakartas
The people of Maharashtra have given the BJP many more seats than the Congress and its allies combined, says PM Modi at BJP HQ
Maharashtra has broken all records. It is the biggest win for any party or pre-poll alliance in the last 50 years, says PM Modi
‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।