नमस्ते
भारत में जो लोग टीवी पर इस कार्यक्रम को देखते होंगे उनके लिए ये एक बहुत बड़ा आश्चर्य होगा। इस सभागृह में आधे लोग भारत से आए हैं और आधे लोग जिन्होंने भारत देखा भी नहीं है लेकिन भारत को भरपूर प्यार करते हैं। इतनी बड़ी मात्रा में रूसी नागरिक भारत के प्रति अपना प्यार अभिव्यक्त करें ये हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है और सबसे बड़ा आश्चर्य रूसी कलाकारों ने , Russian नागरिकों ने जिस प्रकार से भारत की कला को, भारत की संस्कृति को, भारत की सांस्कृतिक विरासत को यहां पर प्रस्तुत किया, उजागर किया, मैं सचमुच में उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं और जिस प्रकार से उन्होंने पूरे कार्यक्रम में ऐसा लग रहा था वे पूरी तरह डूब चुके थे। एक-एक शब्द के साथ वे जुड़ चुके थे। वे सिर्फ अपने हाथ-पैर नहीं हिला रहे थे, वो मन से भारत से मिलन कर चुके थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मैंने सतीक काजानोवा को सुना और वे वैदिक मंत्रों का उच्चार कर रही थी, गणेश वंदना कर रही थी और पूरी तरह भाव-विभोर होकर के कर रही थी और मुझे बताया गया कि वे Russia की सबसे बड़ी Pop Singer है, जो Pop Singer है वो मंत्रों का इस प्रकार से गान करती हो और वो भी हाथ में कोई कागज वगैरह लेकर के नहीं, इसका मतलब हुआ उसने इसे एक तपस्या के रूप में स्वीकार किया हुआ है| वे रूसी नागरिक है, हिंदू मंत्रों को, हिंदू परंपरा को जीने का भरपूर प्रयास करती है और मुझे बताया गया कि उसका जन्म मुस्लिम परिवार में हुआ है। मुस्लिम परिवार, रूसी नागरिक, Pop Singer और वैदिक मंत्रों का उच्चार और जब मैं यहां आ रहा था तो कुछ लोगों का मेरा परिचय हुआ तो परिचय उनसे भी हुआ और उन्होंने इच्छा जताई कि मेरी एक इच्छा है कि Russia में एक भव्य हिंदू मंदिर बनाना चाहती हूं।
मैं सभी रूसी कलाकारों को, उन्होंने जो साधना की है और भारत को अपने आप में समेट लिया है। मैं उन सब कलाकारों को फिर एक बार हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं। Singer सतीक काजानोवा आप जिस लगन से गणेश वंदना कर रही हो, मुझे विश्वास है आपका सपना पूरा होकर ही रहेगा। आज ईद-ए-मिलाद विश्व भर में मनाई जा रही है। मैं ईद-ए-मिलाद पर हर किसी को शुभकामनाएं देता हूं। कल क्रिसमस का पावन पर्व शुरू हो रहा है। मैं विश्वभर में क्रिसमस के पावन पर्व से जुड़े हुए सभी लोगों को शुभकामनाएं देता हूं और कल 25 दिसंबर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिवस है और आज अटल जी की लिखी हुई कविता ‘मैं गीत नये गाता हूं’.... ये रूसी कलाकारों ने प्रस्तुत किया और गीत नये गाता हूं का जो आत्मविश्वास था, उसको प्रकट किया। उन्होंने अटल जी को इस प्रकार से याद किया, उनका सम्मान किया, मैं विशेष रूप से इन सबको बधाई देता हूं और ये बात भी मैं नहीं भूल सकता हूं क्योंकि मेरा जन्म गुजरात में हुआ। गुजराती गरबे को भी ऐसे vibrant बनाया जा सकता है, वो तो मैंने Russia में आकर के ही देखा। उस गरबे में जान भर दी इन लोगों ने, उसकी जो प्रस्तुति की, गुजरात वाले देखेंगे तो उनके लगेगा कि अगली बार नवरात्रि के त्यौहार में इन Russian लोगों से सीखना चाहिए, गरबा कैसे होते है।
भारत का और Russia का संबंध बहुत गहरा है। राजनीतिक संबंध होना, एक-दूसरे के साथ व्यापार-रोजगार होना। ये तो सदियों से चला आ रहा है लेकिन रूस में, Russia में, भारत की संस्कृति को, भारत के इतिहास को, भारत की परंपरा को जानने का, समझने का जो अभिरथ प्रयास चला है ये भारत और Russia के सांस्कृतिक संबंधों को एक अभूतपूर्व ताकत देता है। मुझे बताया गया कि Russia में 150 से ज्यादा भारतीय संगीत और कला की स्कूल चलती हैं और ये Russian नागरिक चलाते हैं। मैं अभी भारत पर अभ्यास करने वाले कुछ अध्यापकों से, Scholars से मिला, Indology का अध्ययन करने वाले और सब लोग मेरे से हिंदी में बात कर रहे थे और उन्होंने ने मुझे बताया कि हम भारत का इतिहास यहां पढ़ाते हैं, भारत के वीर पुरुषों की गाथाएं पढ़ाते हैं, भारत के वीर पुरुषों की गाथाएं यहां की प्रजा की प्रेरणा देती हैं और इतने उमंग से वे अपनी बातें बता रहे थे कि भारत के प्रति उनका लगाव क्या है, भारत को किस रूप में उन्होंने समझा है। हर भारतीय को गर्व हो, वो दृश्य मुझे दिखाई दे रहा था।
पिछले दिनों पूरे विश्व ने 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया। आज पूरे विश्व में योगा के प्रति एक लगाव है और अभी एक रूसी बेटी ने योगा पर जो किताब लिखी है, मुझे गिफ्ट की, योगा के Ambassador के रूप में इसने पिछले साल काम किया और योगा के प्रचार के लिए वो भरपूर कोशिश कर रही है। मैंने उसे पूछा हिंदूस्तान में आप कब गईं, कहां सीखा, कैसे सीखा तो मुझे कह रही कि मैं तो अभी हिंदुस्तान गई नहीं हूं। मैंने इंटरनेट से सीखना शुरू किया और धीरे-धीरे मैं योग में समाहित हो गई और योग ही मेरा जीवन बन गया। Russia के अंदर 21 जून को 200 से अधिक स्थान पर योगा दिवस मनाया गया और मुझे बताया गया कि जो सार्वजनिक योगा हुआ इसके सिवाए जो हुए वो तो अलग लेकिन जो सार्वजनिक रूप से हुए कहते हैं कि करीब-करीब 45 से 50 हजार लोग उन्होंने सार्वजनिक रूप से योगा का कार्यक्रम किया। मैं Russia पहले भी आया हूं। मुझे Ashtarkan जाने का अवसर मिला था, Russia का एक प्रांत है और गुजरात के Sister State के रूप में उसके साथ एक समझौता हुआ था, अटल जी की जब सरकार थी तब मैं यहां आया था। उसके बाद भी मैं Ashtarkan गया था और मैंने देखा वहां पर आज भी एक India House है और 400 साल पुराना वो India House है। 1640-50 के कालखंड में जो भारत से लोग व्यापार करने के लिए आते थे वो अपना जाहज वहां रखकर के इस India House में रुकते थे और दो-दो, चार-चार, छह-छह महीने रुकना पड़ता था। उस जमाने में Russia के साथ ये व्यापारिक संबंध बने थे। उस जमाने में Diamond का कारोबार Russia के साथ भारत का चलता था। Russia के Scholar 300 साल, 400 साल पहले भारत में जाया करते थे, ये हमारी सांस्कृतिक विरासत है और आपने देखा होगा कि Russian भाषा में संस्कृत शब्दों का बड़ा प्रभाव है। एक प्रकार से संस्कृत भाषा की जुड़वा भाषओं के रूप में Russia निकट लगती है। रूसी भाषा अपनेपन वाली लगती है। बहुत सारे शब्द हैं। हम door कहें तो उनके मन में सवाल उठता है, द्वार कहें तो उनको पता चलता है कि मैं क्या कह रहा हूं। हम Tea बोलें तो उनके आश्चर्य होता है, चाय बोले तो उनको लगता है हां ये सही बोल रहा है और इसलिए मुझे याद है मैं एक बार Ashtarkan के Governor से एक बार मिला तो watermelon की चर्चा हो रही थी तो watermelon समझ नहीं आया मैंने तरबूज कहा तो वे हां बोले हां तरबूज ठीक है उनको तरबूज समझ आ गया यानि इतने शब्द हमारे सहज रूप से इनके साथ जुड़े हुए हैं, इतनी निकटता हमारी इनके साथ जुड़ी हुई है और आज वैश्विक परिवेश में अगर देखें आंख बंद करके कोई कह सकता है इस दुनिया में हर पल चाहे संकट का कालखंड हो या सुविधा का कालखंड हो कोई एक देश बिना झिझक अगर हिंदुस्तान के साथ खड़ा रहा तो उस देश का नाम है Russia।
हम युद्ध के समय जब संकट से गुजर रहे थे तब यही देश था जिसने हमारी मदद की और हमारे जांबाज जवान युद्ध के मैदान में विजय प्राप्त करके वापस आए थे। रूस भारत के साथ सदा-सर्वदा एक शक्ति के रूप में खड़ा रहा और ये शक्ति मित्रता की शक्ति है, दोस्ती की शक्ति है। जिसमें लेन-देन का कारोबार कम है लेकिन एक-दूसरे के लिए खड़े रहना ये Russia ने करके दिखाया है। जब विश्व में महासत्ताओं का बोलबाला था। महासत्ताओं की इच्छा पर दुनिया इधर-उधर जा सकती थी ऐसे समय भी भारत जो कि एक गरीब देश रहा, उसके साथ रूस ने अपना नाता बनाए रखा और आज भी कायम रखा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब-जब भारत को किसी की जरूरत पड़ी, विश्व के पटल पर Russia हमेशा-हमेशा भारत के साथ, एक मजबूती के साथ खड़ा रहा और दुनिया के अंदर भारत की आवाज बुलंद बनाने में Russia की मदद हमेशा काम आई। आज बहुत बड़ी मात्रा में भारत के विद्यार्थी Russia में पढ़ने के लिए आ रहे हैं, उनको यहां अपनापन लगने लगा है लेकिन जितनी मात्रा में भारत में रूसी नागरिकों का tourist के नाते होना चाहिए, उतना होना अभी बाकी है। Russians are the best tourist, वो साल भर का अपना कार्यक्रम बनाते हैं कि 10 जाना कि नहीं जाना, 15 दिन जाना कि नहीं जाना। मैं सभी भारतवासियों से आग्रह करूंगा कि आप यहां आए हैं एक काम जरूर किजिए कि हर बार आपके प्रयत्न से कम से कम पांच रूसी परिवार भारत में tourist के नाते जाएं। आप देखिए लाखों की तादाद में रूसी नागरिक भारत में tourist के नाते जाएंगे। भारत के प्रति उनका आर्कषण है, ये हमारा काम है कि हम एक बार दरवाजे खोलकर उनको ले चलें, उंगली पकड़कर के ले चले और एक बार सिलसिला चल पड़ा तो 10 साल, 20 साल वो चलता रहता है tourist आते रहते हैं और tourist जब आते हैं तब सिर्फ वहां देखकर के आते नहीं हैं अपने साथ भारत की यादें लेकर के आते हैं, जो यादें यहां पर बोई जाती हैं और उसमें संबंधों के वृक्ष पैदा होते हैं जहां पर कभी हमें शांति और मित्रता की छाया मिलती रहती है और इसलिए हमारा प्रयास रहना चाहिए कि Russia से भारत में अधिकतम लोग tourist के रूप में कैसे आएं, हम लोगों का प्रयास रहना चाहिए। जिस देश के नागिरकों को भारत के प्रति इतना लगाव हो, उनको भारत दिखाना, भारत के प्रति आकर्षित करना, भारत को देखने के लिए प्रेरित करना ये हम सबका सामूहिक कर्तव्य है और मैं विशेष रूप से Russia में आकर के रहने वाले मेरे भारतीय भाईयों को, नौजवानों को विशेष आग्रह करता हूं कि इस काम को हम करें।
आज पूरे विश्व में भारत के आर्थिक विकास की चर्चा हो रही है। चाहे World bank हो, IMF हो, दुनिया की Rating agencies हो हर कोई एक स्वर से कहता है कि आज दुनिया में जो बड़ी Economies है इसमें सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली कोई Economy है तो उसका नाम है हिंदुस्तान। 20वीं सदी के अंत में ये चर्चा होती थी कि 21वीं सदी एशिया की सदी बनेगी। दुनिया ने मान लिया था कि 21वीं सदी एशिया की सदी होगी लेकिन दुनिया ये तय नहीं कर पाती थी कि 21वीं सदी का नेतृत्व करने वाले लोग कौन होंगे। आज 21वीं सदी के दूसरे दशक में विश्व जिस प्रकार से भारत की ओर देख रहा है, इशारा साफ-साफ है कि हिंदुस्तान 21वीं सदी में अपनी बहुत बड़ी भूमिका अदा करेगा। आर्थिक रूप से भारत ने अपनी एक जगह बनाई है और भारत एक तेज गति से आगे बढ़ रहा है। आज से कुछ साल पहले दुनिया की नजरों में भारत एक बाजार था। विश्व को लगता था कि हम हिंदुस्तान जाएंगे, माल बेचेंगे, कमाएंगे क्योंकि भारत में खरीदार बहुत हैं लेकिन आज 21वीं सदी के दूसरे दशक आते-आते स्थिति बदल रही है। कल तक जिनको भारत बाजार लगता था वो आज लोगों को भारत एक manufacturing hub बन सकता है, भारत दुनिया की आवश्यकताओं को पूर्ण कर सके ऐसी ताकत बनके उभर सकता है, इस तरफ लोगों की नजर गई है और हमारी भी कोशिश है कि भारत manufacturing hub के रूप में कैसे आगे बढ़े और जब हम manufacturing hub की बात करते हैं तो हवा में नहीं करते हैं। भारत के पास ये सामर्थ्य है और सदियों पहले था भी, हिंदुस्तान को सोने की चिड़िया ऐसे ही थोड़े कहा गया होगा, कुछ तो होगा हमारे पास लेकिन गुलामी के कालखंड में सब लुट चुका। अब हमारी जिम्मेवारी है कि ये देश फिर से ताकतवर बनकर के खड़ा हो जाए और संभावना पूरी है।
भारत एक संभावनाओं का देश है। जिस देश के पास 800 million 35 साल से कम उम्र के नौजवान हो। इतनी बड़ी तादाद में करीब-करीब 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल से कम उम्र की हो, जो देश इतना जवान हो, उसके सपने भी जवान होते हैं, उसके इरादे भी जवान होते हैं और वो इन चीजों को प्राप्त करने का सामर्थ्य रखता है। भारत के सपने जाग चुके हैं, भारत का नौजवान जाग चुका है, भारत आगे बढ़ने का संकल्प ले चुका है और सवा सौ करोड़ देशवासियों की ताकत है जिसने एक बार ठान ली अगर एक हिंदुस्तानी एक कदम चलता है तो हिंदुस्तान सवा सौ करोड़ कदम चल पड़ता है और यही कारण है कि भारत आज विकास की नई राह पर चला है और ऐसा नहीं है कि भारत के पास समस्याएं नहीं हैं। दुनिया के समृद्ध से समृद्ध देश के पास भी समस्याएं हैं लेकिन कुछ लोग होते हैं जो सुबह शाम समस्याओं को गिनते-गिनते रोते रहते हैं और कुछ लोग हैं जो समस्याओं के समाधान के रास्ते खोजते हैं और आगे के लिए चल पड़ते हैं। आज हिंदुस्तान समस्याओं के रास्ते खोज रहा है, आज आगे चलने के इरादे से चल पड़ रहा है और उसका परिणाम भी, उसका परिणाम नजर आ रहा है।
पिछले एक साल के भीतर-भीतर विश्व के देशों ने, विश्व के उद्योग जगत ने Foreign direct investment में 40 प्रतिशत वृद्धि होना। एक साल में 40 percent increase ये छोटी घटना नहीं है और दुनिया में अगर कोई दम नहीं दिखता है तो कोई रुपया डालेगा क्या, हम भी डालेंगे क्या, यहां जो आप मेरे भारत के लोग रहते हैं, आपको अगर भरोसा नहीं हो तो पांच रुपये डालोगे क्या। जब भरोसा होता है कि जो डाल रहे तो return मिलने वाला है, assurance पक्का लगता है, रुपयों की security नजर आती है तब लोग रुपये डालने की कोशिश करते हैं। आज लोग भारत में रुपये डाल रहे हैं, उसका कारण है कि उनको विश्वास हो चुका है कि अब यही एक जगह है जहां से हम आगे बढ़ने वाले हैं। विश्व के पूंजी निवेश से हम भारत में आधुनिक Infrastructure बनाना चाहते हैं। हमने रेलवे को 100 प्रतिशत Foreign direct investment के लिए open up कर दिया है। भारत की वो रेलवे अब आधुनिक होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए, उसकी गति बढ़नी चाहिए कि नहीं चाहिए, Train का रंग-रूप भी बदलना चाहिए कि नहीं चाहिए, दूर-दूर तक हमारी रेल जानी चाहिए कि नहीं चाहिए। हम सिर्फ ये ही कहें हमारी रेल इतनी पुरानी है, इतने समय से चल रही है, ये गीत गाने से नहीं चलता है, संकल्प लेकर के आगे बढ़ने से देश आगे बढ़ता है और इसलिए और तब जाकर के रेलवे में दुनिया के लोग पूंजी निवेश के लिए आ रहे हैं। अभी जापान के साथ भारत में एक agreement हुआ, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का। जापान बहुत कम ब्याज से 0.1 percent धन लगाएगा करीब एक लाख करोड़ रुपया लगाएगा और एक लाख करोड़ रुपया लगेगा तो रोजी-रोटी तो वहीं लोगों को मिलने वाली है, हिंदुस्तान के लोगों को मिलने वाली है, देश बदल भी सकता है।
Russia हमारे यहां अणु विद्युत पर काम कर रहा है और आने वाले दिनों में Nuclear Energy पर आज हमारा उनके साथ समझौता हुआ है। दुनिया जो Global warming से लड़ाई लड़ रही है, Nuclear Energy के द्वारा Global warming की समस्या खोजने का प्रयास भारत और Russia मिलकर के कर रहे हैं, जो आने वाले दिनों में मानव जात का कल्याण होने वाला है तो हम एक विकास को आधुनिकता की तरफ ले जाना चाहते हैं, विकास को नई ऊंचाइयों की पर ले जाना चाहते हैं और विकास का लाभ भारत के गरीब से गरीब व्यक्ति को कैसे मिले ये हम सुनिश्चित करना चाहते हैं और इसलिए एक तरफ आर्थिक विकास हो और दूसरी तरफ सामाजिक शक्ति में बढ़ावा हो ताकि एक-एक गरीब से गरीब परिवार भी आर्थिक रूप से सामर्थ्यवान बने तभी जाकर के देश की जड़ें मजबूत होंगी और इसलिए इन दोनों दिशाओँ में आज भारत को आगे बढ़ाने के लिए प्रयत्नरत हैं और उसके नतीजे भी दिखाई दे रहे हैं, उसके परिणाम भी नजर आ रहे हैं। आज विश्व में कोई भी निर्णय होता है, उस निर्णय में भारत की भी कोई न कोई भूमिका होती है वरना हमारी क्या भूमिका रहती थी, हम एक मूकदर्शक रहते थे और देखते हैं दुनिया इधर जा रही है कि उधर जा रही है, इधर गई तो ठीक है, उधर गई तो ठीक है, हम देखते रहते थे। आज ऐसा नहीं है, आज दुनिया देखती है, ये कर रहे हैं लेकिन पहले देखो तो सही भारत क्या सोच रहा है, क्या भारत साथ चलेगा क्या।
भारत ने विश्व में अपनी एक जगह बनाई है और उस जगह को लेकर के, आतंकवाद के खिलाफ पूरे विश्व में अब नजरिया बदल रहा है। 30 साल से दुनिया को डंके की चोट पर हिंदुस्तान कहता रहा कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और जो-जो मानवता में विश्वास करते हैं उन सबने एक आना चाहिए और एक मन करके आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए तब दुनिया को हमारी बात गले नहीं उतरती थी, उनको लगता था कि ये तो आपके देश का problem है। हम दुनिया को समझा-समझा कर थक गए कि आतंकवाद की न कोई सीमाएं होती है न कोई समय होता है न ही उसका कोई target तय होता है। वो कहीं पर भी धमक सकता है, वो निर्दोषों को मारने पर तुला हुआ है, 30 साल तक जो हमारी बात मानी नहीं, आज आतंकवादियों की करतूतों ने, उनकी बेहरहमी ने निर्दोषों पर हो रहे उनके जुल्म के तरकत और तरीके ने पूरे विश्व को झकझोर दिया है और पूरी दुनिया आज हिन्दुस्तान की उस बात को मानने के लिए मजबूर हुई है कि आतंकवाद ये मानवता का दुश्मन है और मानवता में विश्वास करने वालों को एक आना अनिवार्य हो गया है।
ये बात आज दुनिया के गले में उतारने में हिन्दुस्तान सफल हुआ है। हर कोई, हर कोई आतंकवाद से बाहर निकलने के लिए झटपटा रहा है और समय की मांग है कि मानवतावादी शक्तियां एक आए, आतंकवाद को समाप्त करने का संकल्प करें, आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सहयोग करें कंधे-से-कंधा मिला करके मानवतावादी शक्तियां अगर खड़ी हो जाएगी तो आतंकवाद को खत्म करना कोई मुश्किल काम नहीं है और उस रास्ते पर भारत और Russia मिल करके काम कर रहे हैं ।
Russia की हमारी दोस्ती एक समान सोच पर आगे बढ़ रही है और जिसका विश्व को लाभ होने वाला है। भाईयों-बहनों भारत और Russia के संबंध, अब एक Central Asia की एक नयी ताकत के रूप में उभर रहे है और Central Asia की ताकत अनेक क्षेत्रों में, अनेक भू-भाग में आर्थिक संपन्नता का एक नया कारण बन सकती है।
किसी जमाने में यूरोपीय यूनियन की चर्चा होती थी, किसी जमाने में ASEAN countries की चर्चा होती थी। वो दिन दूर नहीं होगा जब दुनिया में Eurasia की चर्चा होना शुरू हो जाएगी। एक ऐसी, एक ऐसी, एक ऐसी ताकतवर इकाई खड़ी होगी जो आने वाले दिनों में एक बहुत बड़े भू-भाग में संतुलन का कारण बनेगी, आर्थिक विकास के लिए catalyst agent बनेगी और सुख और शांति की खोज में मिल-बैठ करके जगह के लिए एक नय मजबूत platform तैयार करेगी। ये मैं नजर देख रहा हूं।
आज President पुतिन के साथ Eurasia के भविष्य के संबंध में मेरी काफी विस्तार से बाते हुई है। अपार संभावनाओं को हमने तलाशा है और आगे आने वाले दिनों में मिल-बैठ करके Eurasia किस रूप से शक्ति रूप बने, विकास के अवसरों को प्रदान करने का कारण कैसे बने, परिस्थिति पलटने के लिए साथ मिल करके कैसा परिणाम लाया जा सकता है। उस दिशा में हमने विस्तार से बातें की है, योजनाएं सोची है। जिसका परिणाम आने वाले दिनों में नजर आने वाला है।
मेरी ये यात्रा बहुत कम समय की थी कल रात को आया और अभी चला जाऊंगा। लेकिन मैं कहता हूं इतने कम समय में बहुत ही सफल, बहुत ही फलदायी, बहुत ही परिणामकारी ये यात्रा रही है।
मैं Russia का, Russian सरकार का गर्मजोशी से हम लोगों का स्वागत-सम्मान करने के लिए बहुत आभार व्यक्त करता हूं। और आपने जिस प्यार से, Russian कलाकारों ने भारत भक्ति के दर्शन किए, दर्शन कराए उसके लिए आपका भी बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।
धन्यवाद