Text of PM's remarks at the Launch of "Skill India"

Published By : Admin | July 15, 2015 | 20:33 IST
QuoteSkill India mission is not merely to fill pockets but to bring a sense of self-confidence among the poor: PM Modi
QuoteIn the coming years, India will be biggest supplier of workforce to the world: PM
QuoteTargets of the Skill India initiative is that we need to formalize the informally self learned sector: PM
QuoteI will form an army of poor, every poor is my soldier, we will win this war against poverty on behalf of their strength: PM Modi
QuoteWe need to provide a boost to entrepreneurship to India: PM Modi
QuoteMatching job creation with industry demand is the key to end unemployment: PM

उपस्थित सभी महानुभाव और इस सभागृह के बाहर भी Technology के माध्‍यम से जुड़़े हुए और यहां उपस्‍थित सभी मेरे युवा मित्रों

आज पूरा विश्‍व ‘विश्‍व युवा कौशल दिवस’ मना रहा है। भारत भी उस अवसर पर एक महत्‍वपूर्ण कदम उठा रहा है। कुछ दिन पूर्व पूरे विश्‍व ने अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस मनाया और हमारे देश के लोगों को ताज्‍जुब हुआ कि दुनिया हमारी तरफ, इस तरफ देख रही है क्‍या? हमें कभी विश्‍वास ही नहीं था कि विश्‍व कभी हमारी तरफ भी गर्व के साथ देखता है। विश्‍व योगा दिवस पर हमने अनुभव किया कि आज पूरा विश्‍व भारत के प्रति एक बड़े आदर और गौरव के साथ देखता है।

हमारे यहां शिक्षा के संबंध में बहुत सारी चर्चाएं होती रहती हैं कि जितने बच्‍चे स्‍कूल जाते हैं। Secondary में उससे कम हो जाते हैं, Higher Secondary में उससे कम हो जाते हैं। Colleges में वो संख्‍या और गिर जाती है और toppertopper तो बहुत कम लोग पहुंचते हैं। तो ये सब जाते कहां है और जो जाते हैं उनका क्‍या होता है? जो ऊपर जाएं उनकी तो सब प्रकार की चिन्‍ता होती है। लेकिन जो रह जाए उसकी भी तो होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए। ये हमारा Mission उन लोगों के लिए है, जो रह जाते हैं। और रह कौन जाते हैं? अमीर परिवार का बच्चा नहीं रह जाता। उसको तो कुछ न कुछ मिल जाता है। पैतृक परंपरा से। जो रह जाता है वो गरीब का बच्‍चा होता है, और एक प्रकार से हमने बहुत योजनापूर्वक गरीबी के खिलाफ एक जंग छेड़ी है। और ये जंग जीतना है। और ये गरीबी के खिलाफ जंग जीतने के लिए गरीब की ही मुझे फौज बनानी है। हर गरीब मेरा फौजी है, हर गरीब नौजवान मेरा फौजी है। उन्‍हीं की ताकत से, उन्‍हीं के बलबूते पर ये गरीबी के खिलाफ जंग जीतना है।

आज देश का कोई नौजवान हाथ फैला करके कुछ मांगने के लिए तैयार नहीं है। वो दयनीय जिंदगी जीना नहीं चाहता। वो आत्‍म-सम्‍मान से जीना चाहता है, वो गर्व से जीना चाहता है। skill, कौशल्‍य, सामर्थ्‍य ये सिर्फ जेब में रुपया लाता है, ऐसा नहीं है। वो जीवन में आत्‍मविश्‍वास भर देता है। जीवन में एक नई ताकत भर देता है। उसे भरोसा होता है कि दुनिया में कहीं पर भी जाऊंगा मेरे पास ये ताकत है, मैं अपना पेट भर लूंगा, मैं कभी भीख नहीं मांगूगा। ये सामर्थ्‍य उसके भीतर आता है और इसलिए ये Skill Development ये सिर्फ पेट भरने के लिए जेब भरने का कार्यक्रम नहीं है। ये हमारे गरीब परिवारों में एक नया आत्‍मविश्‍वास भरना और देश में एक नई ऊर्जा लाने का प्रयास है।

हमारे यहां सालों से, सदियों से हमने सुना है। अमीर परिवारों में क्‍या बात होती है वो तो हमें मालूम नहीं है। लेकिन हम जिस समाज, जीवन से आते है। हम अक्सर सुना करते थे हमारे परिवार में अगल-बगल में सब कुछ हमारे पिताजी और हमारे नौजवान साथियों के पिताजी यही कहते थे, अरे भाई कुछ काम सीखो। अपने पैरों पर खड़े हो जाना।

हमारे देश में मध्‍यम वर्ग, निम्‍न मध्‍यम वर्ग, गरीब परिवारों में ये सहज बोला जाता है। 12 से 15 साल का बच्‍चा हुआ तो मां-बाप यही कहते है कि अरे, भई कुछ काम सीखो, अपने पैरों पर खड़े हो जाओ। अगर जो बात हमारे घर-घर में गूंजती है वो सरकार के कानों तक क्‍यों नहीं पहुंचती है और हमने उस आवाज को सुना है, उस दर्द को सुना है। जो हर मां-बाप के मन में रहता है कि बेटा या बेटी कुछ काम सीखे अपने पैरों पर खड़े हो जाएं। एक बार अपने संतान पैरों पर खड़े हो जाएं तो गरीब परिवार के मां-बाप को लगता है कि चलिए जिंदगी धन्‍य हो गई। ये उसके मकसद में रहता है। उसका कोई मकसद कोई बहुत बड़ी बंगला बना करके, बहुत बड़ी गाड़ियां खड़ी करदे वो नहीं रहता है। Skill Mission के द्वारा हमारी कोशिश है, उन सपनों को पूरा करना और इसलिए एक structure way में एक organised way में राज्‍यों को साथ ले करके एक नए सिरे से इस काम को हम आगे बढ़ाऐंगे।

पिछली शताब्‍दी में, दुनिया के अंदर हमने IIT के माध्‍यम से विश्‍व में अपना नाम बनाया है, दुनिया ने हमारी IIT को एक अच्‍छे institution के रूप में स्‍वीकार किया , हमें गर्व है इस बात का लेकिन इस शताब्‍दी में हमारी आवश्‍यकता है ITI की , अगर पिछली शताब्‍दी में IIT ने दुनिया में नाम कमाया, तो इस शताब्‍दी में हमारी छोटी, छोटी IIT की इकाइयां ये दुनिया में नाम कमाएं ये सपना ले करके हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

हम कहते हैं कि हमारे पास 65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 वर्ष से कम आयु की है, अगर उसके पास कौशल्य नहीं होगा, उसके पास अगर अवसर नहीं होंगे तो चुनौतियों को कैसे पार कर पाएगा। अगर वो चुनौतियों को पार नहीं कर पाएगा, तो हमारे लिए वो खुद एक चुनौती बन जाएगा और इसलिए भारत के लिए सबसे पहली अगर कोई प्राथमिकता है तो देश के नौजवानों के लिए रोजगार उपलब्‍ध कराना है । रोजगार के योग्‍य नौजवानों को तैयार करना है । रोजगार के योग्‍य नौजवान को तैयार करने के लिए पूरा एक mechanism, एक व्‍यवस्‍था एक structure तैयार करना, इस mission के द्वारा उन सभी आवश्‍यकताओं को पूर्ति करने का प्रयास करना। हम विश्‍व के युवा देश हैं, दुनिया के बहुत देश हैं जहां समृद्धि बहुत है लेकिन लोग नहीं हैं। घर में चार गाड़ी होंगी लेकिन चलाए कौन ये चिन्‍ता का विषय है।

दुनिया को जो workforce की जरूरत पड़ने वाली है हम लिख करके रखें आने वाले दशकों में विश्‍व को सबसे ज्‍यादा workforce अगर कहीं से मिलेगा तो हिन्‍दुस्‍तान से मिलेगा। दुनिया की मांग हमारे सामने स्‍पष्‍ट है कि दुनिया को जरूरत पड़ने वाली है लेकिन क्‍या हम उसके लिए सज्ज हैं क्‍या। हमने तैयारी की है क्‍या। ज्‍यादा से ज्‍यादा अभी हमारा ध्‍यान अभी nursing staff की तरफ रहता है। आप देखिए तो nursing staff के लोग जाते हैं या हमारे जो message का काम करने वाले लोग हैं जो gulf countries में गए हैं उसी के इर्द-गिर्द हमारा चला है। हमें न सिर्फ भारत को लेकिन पूरे विश्‍व की human resource की requirement का mapping करके भारत में अभी से सज्ज करना चाहिए कि चलिए आपको nursing में Para-medical के लोग चाहिएं ये हमारी 25 institution हैं, certified institution हैं, यहां से नौजवानों को ले जाइए आपका काम चलाइए। हमें विश्‍व की जो आवश्‍यकताएं हैं, एक बहुत बड़ा job market है, वो job market को वैज्ञानिक तरीके से अध्‍ययन करके हमने अपने लोगों को तैयार करना है। आज हमारे यहां क्‍या हालत है, हममें से बहुत लोग होंगे जिनको एक बात का अनुभव आया होगा यहां बैठे हुए, कभी न कभी अपने दोस्‍तों को कहा होगा यार देखो तुम्‍हारे यहां कोई अच्‍छा driver मिले तो मेरे पास driver नहीं है। अब ये सवाल का जवाब हमें ढूंढना है कि देश में नौजवान हैं, बेरोजगार हैं, और वो driver के बिना परेशान हैं। क्‍या हम रास्‍ता नहीं खोज सकते क्‍या। और आज फिर क्‍या होता है कि वो परम्‍परा से कहीं पर गाड़ी साफ करते-करते गियर बदलना सीख जाता है और steering पकड़ के तो हम कभी कभी risk ririsk लेके उसे रख लेते हैं। अब हमारी गाड़ी का कोई वो training institute बना करके वो सीखता है और कभी-कभार हमारा risk भी रहता है। क्‍या हम इन लोगों को certify करने की व्‍यवस्‍था कर सकते हैं जो अपने तरीके से परम्‍परागत सीख सके किसी institution में नहीं गए लेकिन कम से कम जो उसको रखता है उसको पता चले कि हां भाई ये इसके पास ये certificate है मतलब कहीं उसका exam हो चुका है। भले अपने आप सीखा हो। आज उम्र भले 35-40 पार कर गया हो लेकिन उसको लगता है के भई मेरे पास कोई authority नहीं है, कोई identity नहीं है, तो ये सरकार ये व्‍यवस्‍था करने जा रही है के भले आप परम्‍परा से सीखे हो लेकिन अगर आप basic norms को पार करते हो तो हम आपको certificate देंगे जो certificate किसी engineer से कम नहीं होगा, मैं विश्‍वास से कहता हूं। अब ये बड़ी कठिनाई है, सब्‍बरवाल बता रहे थे कि हर कोई कहता है भई अनुभव क्‍या है, वो कहता है पहले काम तो दो फिर मैं अनुभव का बताऊं। पहले मुर्गा कि पहले अंडा, इसी का बहस चल रहा है, नौकरी नहीं अनुभव नहीं, अनुभव नहीं इसलिए नौकरी नहीं, ये ही चलता रहता है।

हमारे साथ हमारी हां आवश्‍यकता है entrepreneurship को बल देना। कभी-कभी उद्योग जगत के लोग भी entrepreneur को रखने से डरते हैं, उनको लगता है यार रख लूंगा और सरकार का कोई साहब आके सर गिनेगा और ज्‍यादा हो गए तो मर गया मेरे कारखाने को ताला लग जाएगा, तो रखने को तैयार नहीं है । कानून की जकड़न भी कभी-कभी ऐसी है कि हमारे नौजवानों को जगह नहीं मिलती। हम चाहते हैं कि देश में रोजगारों का अवसर बढ़े। जो entrepreneurship के लिए जाना चाहता है उसको अवसर मिले। जो apprenticeship के लिए जाना चाहता है उसको अवसर मिले। जब तक उसको ये अवसर नहीं मिलेगा अनुभव आएगा नहीं। और इससे हमारी कोशिश है के apprenticeship को कैसे बढ़ावा दें। इस पूरे mission को हमनें skill तक सीमित नहीं रखा। इसके साथ entrepreneurship को जोड़ा। क्‍योंकि हम ये नहीं चाहते कि हर कोई बने तो बस कहीं-कहीं नौकरी खोजता रहे, जरूरी नहीं है। एक ड्राईवर भी entrepreneur बन सकता है। वो भी contract पर गाड़ी लेके sub-contractor बनके गाड़ी चला सकता है। हम उसके अंदर ये skill लाना चाहते हैं। जिस प्रकार से कभी-कभार क्‍या होता है जब तक आप value addition नहीं करते आप कुछ भी नहीं कर सकते। मान लीजिए आपको driving आता है लेकिन आप उसको कहते हो साहब मुझे computer का typing भी आता है। तो तुरन्‍त कहे अच्‍छा-अच्‍छा भई ये भी आता है, तो चलो-चलो फिर जब driving का काम पूरा होगा तो कम्‍प्‍यूटर करते रहना। तो जब उसको पता चले extra quality है तो उसका value बढ़ जाता है। हम चाहते हैं कि skill में multiple activity की ताकत उसकी हो। मैं देख रहा हूं मुझे कोई बता रहा था, बहुत समय हुआ कोई एक नौजवान था, plumber था, तो plumber के नाते जो काम मिलता था वो करता रहता था, लेकिन उसने धीरे-धीरे अपने-आपको yoga trainer के लिए तैयार किया और मजा ये है कि सुबह एक-दो घंटे yoga trainer के लिए जा करके वो ज्‍यादा कमाता था, जबकि plumber से बाद में कम। फिर क्‍या हुआ वो yoga training के साथ अब plumber भी जुड़ गया तो जहां yoga training करता है वो ही लोग को कहें यार देखो उधर plumber की जरूरत है तुम चले जाओ। उसने एक नई चीज सीखी। दोनों चीजें ऐसी हैं कि जिसमें उसको कोई college की degree की जरूरत नहीं थी। वो कमाना शुरू कर दिया। हम चाहते हैं कि देश के अन्‍दर इन बातों को कैसे भरोसा करें। आने वाले दिनों में पूरे विश्‍व में, पूरे विश्‍व में करोड़ों-करोड़ों की तादाद में workforce की requirement है। और अगले दशक में हमारे पास चार-साढ़े चार, पांच करोड़ के करीब लोग surplus होंगे workforce हमारे पास। अगर हम ये mismatch को दूर करते हैं, हम आवश्‍यकता के अनुसार उसको तैयार करते हैं तो हमारे नौजवानों को रोजगार के लिए अवसर मिलेंगे। कभी-कभार क्‍या होता है कि एक area है जहां chemical की industry आ रही है लेकिन वहां पर क्‍या पढ़ाया जाता है तो automobile पढ़ाया जाता है। अब उसको वहां job मिलती नहीं है। हमें mapping करना होगा कि काम किया है, बहुत बड़ी मात्रा में काम हुआ है कि किस इलाके में हमारा क्‍या potential है, क्‍या-क्‍या establishment है, वहां पर किस प्रकार की requirement है। हम उस प्रकार का human resource training करेंगे ताकि उसको walk to work के लिए वो तैयार हो जाएं, उसको अपने घर के पास ही काम-काज मिल जाए तो उसको आर्थिक रूप से ज्‍यादा बोझ नहीं बनता है। नहीं तो होता क्‍या है कि जो चीज को सीखता है उसके 100 किलोमीटर की range में वो काम ही नहीं होता। मुझे याद है जब मैं गुजरात में काम करता था, शुरू-शुरू में मैंने देखा automobile में वो चीजें पढ़ाई जाती थीं जो गाडि़यां बाजार में थीं ही नहीं। हमारी technology थी। खैर बाद में तो course बदल दिए सब, जो trainers थे उनकी भी training की, काफी कुछ बदलाव लाना पड़ा, लेकिन आज भी शायद कई जगह पर बहुत जगह पर ऐसा हो। और इसलिए आवश्‍यक हैं कि हमारी सारी training institutes को dynamic बनाना है। टेक्‍नोलॉजी इतनी तेजी से बदल रही है, अगर हमारी training dynamic नहीं होगी तो हमारा वो व्‍यक्ति relevant नहीं रहेगा। पुराने जमाने के cook को आज oven चलाना नहीं आता है तो घर में वो cook काम नहीं करेगा। उसको आना चाहिए, oven क्‍या, सीखना पड़ता है हर चीज को, additional training आवश्‍यक होती है और इसलिए dynamics बहुत आवश्‍यक है उसके लिए । हम जिस training की ओर बल दे रहे हैं उसकी दिशा में हमारा प्रयास है। कौशल्‍य के संबंध में भारत की पहचान सदियों से रही है। हमने अपनी इस विधा को भुला दिया है। सदियों पहले हमारे यहां, हमारी विशेषताओं को कितना माना जाता था। हमारे कौशल्‍य की ताकत को माना जाता था। हमने फिर से एक बार उसको regain करना है। अगर आज दुनिया में चीन ने अपनी ये पहचान बनाई है कि चीन की एक पहचान बन गई है कि जैसे वो दुनिया की manufacturing factory बन गया है। अगर चीन की पहचान दुनिया की manufacturing factory की है तो हिन्‍दुस्‍तान की पहचान दुनिया की required human resource का capital बनने की बन सकती है। हमारे पास जो ताकत है उस पर हमें बल देना है। हम अपनी ताकत पर जितना हम जोर लगाएंगे हम चीजों को उतना प्राप्‍त कर पाएंगे और इसलिए हमारी कोशिश यह है कि हम mapping करके, human resource की requirement के अनुसार training करें। और हमें पता होना चाहिए। आज, आज भी मैं बताता हूं आज देश में लाखों की तादाद में trained drivers नहीं है। देश को जितने trained drivers चाहिए, उसकी perfect training के लिए जिस प्रकार की आधुनिक व्‍यवस्‍था चाहिए वो व्‍यवस्‍था भी उपलब्‍ध नहीं है। फिर तो वो चलते-चलते सीखता रहता है। कहने का तात्‍पर्य यह है कि बेरोजगारी का कोई कारण नहीं है। अगर हम रोजगार को ध्‍यान में रखते हुए, विकास के मॉडल को ध्‍यान में रखते हुए human resource development के design तैयार करें। अगर इन तीनों को जोड़ करके प्रयास करें।

कभी-कभार क्‍या होता है कि जो इस प्रकार के training institutions हैं उनको ये पता नहीं होता कि दुनिया कैसे बदल रही है। वो अपना पुराने ढर्रे से चलते हैं। आवश्‍यकता है जैसे आज यहां है, यहां पर रोजगार देने वाले लोग भी बैठे है, रोजगार लेने वाले भी मौजूद हैं और रोजगारी के योग्‍य नौजवानों को तैयार करने वाले लोग भी मौजूद हैं और इन सारी चीजों के लिए नीति निर्धारण करने वाले लोग भी मौजूद हैं। इस सभागृह में सब प्रकार के लोग हैं। क्‍यों, ये हमें आदत बनानी होगी। हमारे उद्योग जगत के लोगों के साथ, हमारे technical world के साथ लगातार हमें बैठना पड़ेगा। उनसे पूछना पड़ेगा कि क्‍या लगता है Next ten year किस प्रकार की चीजें आप देख रहे हैं। वो कहते है next ten year ऐसा ऐसा आने वाला है। ऐसी ऐसी संभावना है तो हमें हमारा syllabus अभी से उसी प्रकार ऐसा बनाना चाहिए। हमारी training institution को ऊपर से तैयार करनी चाहिए तो यहां हमारा training के institutions से लोग बाहर निकले और वहां पर जाते ही उनको नई technology आ गई है तो placement मिल जाएगा। तो हमने futuristic vision के साथ हमने यह सोचना होगा कि next ten year के development की design क्‍या है, कौन सी technology काम करने वाली है, किस प्रकार से व्‍यवस्‍था बनाने वाली है, हमारा human resource development according to that होना चाहिए। अगर हमारा human resource development according to that होता है तो मैं नहीं मानता हूं कि बेरोजगारी का कोई कारण बनता है, उसको रोजगार मिलता है। कैसी training से कितना फर्क होता है, मैं अपने अनुभव कुछ शेयर करना चाहता हूं। गुजरात के लोग, मैं गुजरात में था इसलिए वहां का उदाहरण दे रहा हूं। सेना में बहुत कम जाते हैं। अब वो उनका development ही अलग है। लेकिन हमने सोचा है भई क्‍यों न हो हमारे लोग क्‍यों न सेना में जाएं। तो मैंने जरा पूछताछ की, कि क्‍या problem है भई। नहीं बोले जब physical exercise और exam होते हैं उसी में fail हो जाते हैं। तो उनको बोले वो आते हैं तो हमारा उसमें scope है, कोटा है लेकिन हमें मौका नहीं मिलता है। तो मैंने क्‍या किया army के कुछ retired अफसरों को बुलाया। हमने कहा भई हमारे जो tribal belt है वहां के नौजवानों को तुम trained करो कि exam कैसे पास करते हैं। सब हमारा मेल बैठ गया। उन्‍होंने training के camp लगाने शुरू किए। एक-एक महीने के camp लगाते गए और जब भर्ती होने लगी तो करीब जो 5-7 percent लोग हमारे मुश्‍किल से जाते थे। 35-40 percent तक पहुंचा दिया था। training मात्र से। उनको समझाया कि भई ऐसे दौड़ते हैं, सीना ऐसे करते हैं, जरा एक-दो चीजें तुम्‍हें करना आ जाएगी तुम्‍हारी entry हो जाएगी। वो तैयार हो गए। कहने का तात्‍पर्य यह है कि ऐसा नहीं है कि कोई नौजवान जाना नहीं चाहता, लेकिन कोई उसको समझाए तो। चीजें छोटी-छोटी होती हैं लेकिन बहुत बड़ा बदलाव लाती है, बहुत बड़ा बदलाव लाती है। और आज, job market एक इतना बड़ी field है, क्‍योंकि हर किसी को कोई न कोई सेवादार की जरूरत होती है, किसी न किसी की व्‍यवस्‍था हो जाए। मैं जब skill development के लिए मैं काफी दिमाग खपाता रहता था क्‍योंकि मुझे लगता है कि ये और आज से नहीं मैं कई वर्षों से इसमें ज़रा रुचि लेता था। मैंने बहुत साल पहले ये सबरवाल जी को अपने यहां भाषण के लिए बुलाया था। जब मैंने सुना कि ये job market में काफी काम कर रहे है तो मैंने कहा कि भई बताओ तुम क्‍या-क्‍या सोचते हो। बहुत साल पहले की बात है। कहने का तात्‍पर्य यह है कि मुझे पता लग रहा था कि इसका एक अलग महत्‍व है। इस महत्‍व को हमें अनुभव करना चाहिए। एक बार मैंने बहुत छोटी उम्र में दादा धर्माधिकारी को मैं पढ़ता रहता था। आचार्य विनोबा भावे के साथी थे। Gandhian थे और बड़े ही समर्पित Gandhian थे। चिंतक थे। एक बढ़िया उन्‍होंने अपना एक प्रसंग लिखा है। कोई नौजवान उनके पास गया कि दादा कहीं नौकरी मिल जाए, काम मिल जाए तो उन्‍होंने पूछा कि तुम्‍हें क्‍या आता है, बोले कि मैं graduate हूं। तो कहा कि अरे भई मैं तुझे पूछ रहा हूं कि क्‍या आता है, अरे बोला मैं graduate हूं। अरे भई तुम graduate हो मैंने सुन लिया, मुझे समझ आ गया, तुम्‍हें आता क्‍या है। नहीं बोले कि मैं graduate हूं। मुझे कुछ काम तो मिले। चल अरे भई तुझे driving आता है क्‍या, तुम्‍हें बर्तन साफ करना आता है, तुम्‍हें रोटी पकाना आता है क्‍या, कपड़े धोना आता है। क्‍या आता है बताओ न। अरे मैं तो केवल graduate हूं। दादा धर्माधिकारी ने बढ़िया ढंग से एक चीज को लिखा है, अपने स्‍वानुभवों से लिखा है और इसलिए आवश्‍यक है कि उसको जीवन जीने का भी कौशल्‍य इस हस्‍त कौशल्‍य से आता है। जो हाथ से वो कला सीखता है जो ताकत आती है उससे जीवन जीवन्‍य का कौशल्‍य प्राप्‍त होता है और उसको प्राप्‍त कराने की दिशा में हमारा एक प्रयास है। हम उसे entrepreneur भी बनाना चाहते हैं।

अब आप देखिए tourism हमारे देश में develop कर रहा है। जो स्‍थान tourist destination है, वहां tourist guide तैयार करने की कोई institute है क्‍या, नहीं है। वहां पर language courses है क्‍या। अगर आगरा है, tourist destination है तो आगरा के अंदर language courses सबसे ज्‍यादा क्‍यों नहीं होने चाहिए। ताकि वहां पर उनके बच्‍चों को सहज रूप से लैंगवेज आती हो, tourist को लगेगा अपनापन, उसकी भाषा में बात करेगा। ये अगर हमें tourism develop करना है तो हमें हमारे वहां के driver को manners सिखाने से लेकर के language से communicate करने वाले लोगों तक की एक सहज समाज में फौज खड़ी करनी पड़ती है, जिनकी रोजी-रोटी भी उसी से चलती है। हमें जब तक इस प्रकार का टारगेटिड और जो कि देश की ताकत को बढ़ाता है, service sector में भी हम specific चीजों को करें तो बदलाव आता है। आज देश में tourism को बढ़ावा देने के लिए बहुत बड़ी ताकत है, बहुत बड़ी ताकत है। लेकिन उस प्रकार से जो human resource तैयार करने चाहिए, वो human resource करने के लिए हम उतने उदासीन होते हैं। मैं तो इस मत का हूं कि जो-जो tourist destination हो वहां पर हमेशा competition होते रहने चाहिए guide के। who is the best guide । कौन उस शहर का बढ़िया से बढ़िया वर्णन करता है। Competition हो, ईनाम देते रहो, आपको बढ़िया से बढिया, आपको ढेर सारे नौजवान मिलते रहेंगे जो history बताएंगे, archaeology बताएंगे, architecture बताएंगे, व्‍यक्तियों के नाम बताएंगे। सब पचासों सवालों के जवाब दे पाएंगे। धीरे-धीरे potential खड़ा हो जाएगा। कहने का मेरा तात्‍पर्य यह है कि हमारे यहां संभावनाएं बहुत है, मुझे जब मैं skill में काम करता था, मैंने क्‍या किया, हमारे यहां अफसर लोग आए हुए थे। चल रहा था, कैसे करना हे, मैंने कहा कि एक काम करो भई, गर्भाधान से लेकर मृत्‍यु तक, जीवन में कितनी चीजों की आवश्‍यकता होती है, उसकी एक सूची बना लो और जो सूची बनेगी, उतनी skill चाहिए। तो उन अफसरों ने कहा अब हम सोचते हैं। उन्‍होंने सरसरी नज़र में दो-तीन दिन बैठे बनाए तो कोई nine hundred and twenty six चीजें लेकर के आएं। कि वो जन्‍म के बाद उसको ये चाहिए, पढ़ाई के समय ये लगेगा, शादी के समय गुलदस्‍ता लगेगा। सारी चीजों की लिस्‍ट बनाई। कोई nine hundred and twenty six चीजें ऐसे ही सरसरी, वैसे बनाई जाए तो शायद दो हजार निकलेंगी। मैंने कहा कि इन nine hundred and twenty six का skill development है क्‍या तुम्‍हारे पास। लोगों को जरुरत है। ये हमने सोचना होगा। अगर भई गुलदस्‍ते की जरुरत है तो गुलदस्‍ता देना और value addition कैसे होता है, मैं हैरान था, मैं कोई अगर technology नई आए तो देखने का ज़रा शौकीन हूं।

एक बार मैं एक tribal belt में गया। तो वहां मुझे, वहां के आदिवासी बच्‍चियों ने एक गुलदस्‍ता दिया और मैं हैरान था कि उस गुलदस्‍ते के हर फूल पर मेरी तस्‍वीर लगाई हुई थी। मेरे लिए वो surprise था। मुझे लगा कि उन्‍होंने चिपकाया होगा। तो मैंने ज़रा यूं करके देखा तो ऐसा तो नहीं लगा। तो मैंने फिर उनको वापिस बुलाया। मैंने कहा कि ये क्‍या है, ये tribal बच्‍चियों की मैं बात कर रहा हूं। बोले, हमने गुलाब की पत्‍तियों पर laser technique से आपकी फोटो छापी है। अब आप बताइए value addition करने की क्‍या सोच होती है। एक आदिवासी इलाके की गरीब स्‍कूल की बच्‍ची को भी ये दिमाग में आता है कि टैक्‍नोलॉजी का कैसे उपयोग होता है। मतलब work dynamics बदल रहे हैं। हम उसके लिए सज्ज कैसे करे। मुझे तो लगता है कि कोई ये चलाए न कि भई एक घंटे का training , board लगाकर बैठ जाए। क्‍या, mobile phone कैसे उपयोग किया जाए, मैं सिखाउंगा। मैं बताता हूं साहब लोग लग के queue में खड़े हो जाएंगे। बहुत लोग है जो ये तो ढूंढते रहते है कि नया model कौन सा आया है। लेकिन उनको ये पता नहीं होता है कि ये green या red button के सिवाए इसका क्‍या उपयोग होता है। अब किसी के दिमाग में है हां भई मैं ये करूंगा, आप देखिए लोग जाएंगे कि अच्‍छा भई मैं नया लाया हूं अच्‍छा बता कैसे operate करेंगे, क्‍या-क्‍या चीजें होती हैं। सीखने क लिए लोग जाएंगे, उपयोग करेंगे। कहने का तात्‍पर्य यह है कि हमें ये जोड़ना है, हमें कौशल्‍य के साथ जीवन जीने की क्षमता, कौशल्‍य के साथ रोजगार के अवसर, कौशल्‍य के साथ विश्‍व के अंदर भारत का डंका बजाने का प्रयास। इस लक्ष्‍य को लेकर हम इस काम को लेकर के चल रहे हैं मैं राजीव प्रताप रूडी और उनकी पूरी टीम का बधाई देता हूं जिस प्रकार से इस कार्यक्रम की रचना की है। जिस प्रकार से इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया है। और उसमें देखिए innovation कैसे होते हैं। मुझे बाहर, आपको भी मौका मिले तो देखिए एक बच्‍ची ने ये जो ship के अंदर कंटेनर होते हैं। वो जो rejected माल जो होता है container उसको लगाया है और उसने कंटेनर को ही अंदर school में convert कर दिया है। जो कि discard होने वाला था। वो टूटने के लिए जाने वाला था। देखिए कैसे लोग अपने कौशल्‍य का उपयोग करते हैं। किस प्रकार से चीजों में professionalism आ रहा है। हमें इन चीजों को लाना है और मैं मानता हूं कि भारत के नौजवानों के पास भरपूर क्षमताएं हैं, उसको अवसर मिलने चाहिए। वो किसी भी चुनौतियों को चुनौती देने के लिए सामथर्यवान होता है और अब भारत जो कि demographic dividend के लिए गर्व करता है उस demographic dividend की गारंटी skill में है, trained man power में है और उस trained man power schools पर बल देकर के हम आगे बढ़े, यहीं मेरी शुभकामनाएं हैं और इन नौजवान बच्‍चों को जिन्‍होंने दुनिया में हमारा नाम रोशन किया है। वे अब जा रहे हैं। World Competition में, हम उनको बहुत-बहुत शुभकामनाएं दें।

मैं आशा करता हूं कि हम दुनिया में इस क्षेत्र में हमारी पहचान बनाएं कि हां भई हमारे नौजवानों में कौशल्‍य के अंदर और ये Olympic से कम नहीं होता इनका ये game, इनका ये कौशल्‍य दिखाना। बड़ा महत्‍वपूर्ण होता है। हमारे देश में अभी ध्‍यान नहीं गया क्‍योंकि वो नहीं है, glamour नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे आ जाएगा। आज शुरू किया है मैंने। धीरे-धीरे दुनिया का ध्‍यान जाएगा।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी डॉ. जितेंद्र सिंह जी, शक्तिकांत दास जी, डॉ. सोमनाथन जी, अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण, देशभर से जुड़े सिविल सर्विसेज के सभी साथी, देवियों और सज्जनों!

साथियों,

आप सभी को सिविल सर्विसेज डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएं! इस बार का सिविल सर्विसेज डे कई वजहों से विशेष हैं। इस साल हम अपने संविधान का 75वां वर्ष बना रहे हैं और ये सरदार वल्‍लभभाई पटेल जी की 150वी जयंती का भी साल है। 21 अप्रैल 1947 को सरदार वल्‍लभभाई पटेल ने आप सभी को Steel Frame of India कहा था। उन्होंने स्वतंत्र भारत की Bureaucracy की नई मर्यादाएं तय की थीं। एक ऐसा सिविल सर्वेंट, जो राष्‍ट्र की सेवा को अपना सर्वोत्तम कर्तव्य माने। जो लोकतांत्रिक तरीके से प्रशासन चलाए। जो ईमानदारी से, अनुशासन से, समर्पण से भरा हुआ हो। जो देश के लक्ष्यों के लिए दिन-रात काम करे। आज जब हम विकसित भारत बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं, तो सरदार वल्‍लभभाई पटेल की ये बातें और ज़्यादा प्रासंगिक हो जाती है। मैं आज सरदार साहब के विजन को नमन करता हूं और उनको भावभीनी श्रद्धांजलि भी देता हूं।

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साथियों,

कुछ समय पहले मैंने लाल किले से कहा था कि आज के भारत को आने वाले एक हजार साल की नींव को मजबूत करना है। एक हिसाब से देखें तो एक हजार साल की सहस्त्राब्दी में पहले 25 साल बीत गए हैं। ये नई शताब्‍दी का 25वां साल है और नए मिलेनियम यानी नई सहस्त्राब्दी का भी 25वां साल है। हम आज जिन नीतियों पर काम कर रहे हैं, जो निर्णय ले रहे हैं, वो एक हजार साल का भविष्य तय करने वाले हैं। हमारे शास्त्रों में कहा गया है यथा हि एकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्। एवं पुरूषकारेण विना दैवं न सिध्यति॥ यानी जैसे एक चक्र से रथ नहीं चल सकता है, उसी प्रकार बिना मेहनत के सिर्फ भाग्य के भरोसे सफलता नहीं मिलती। विकसित भारत के हमारे लक्ष्य के लिए भी विकास रथ के हर चक्र को मिलकर चला है, दृढ़ प्रतिज्ञ होकर हर दिन, हर क्षण इस लक्ष्य के लिए काम करना है, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जीना है, जिन्दगी खपानी है।

साथियों,

पूरी दुनिया को तेज गति से बदलते हुए देख रहे हैं। अपने परिवार में भी आप देखते होंगे कि परिवार में अगर 10-15 साल का बच्चा है और जब उससे बात करते हैं, तो आप फील करते हैं, आप आउटडेटेड हैं। ये इसलिए होता है क्योंकि समय बहुत तेजी से बदल रहा है। हर 2-3 साल में Gadgets कैसे बदल रहे हैं। कुछ समझे, सीखें उसके पहले नया आ जाता है। हमारे छोटे-छोटे बच्चे इन तेज बदलावों के साथ बड़े हो रहे हैं। हमारी Bureaucracy, हमारा कामकाज, हमारी पॉलिसी मेकिंग भी पुराने ढर्रे पर नहीं चल सकती। इसलिए 2014 के बाद से देश में व्यवस्था परिवर्तन का एक बहुत बड़ा महायज्ञ शुरू हुआ है। हम इस तेज स्‍पीड के साथ खुद को ढाल रहे हैं। आज भारत की Aspirational Society, भारत के युवा, भारत के किसान, भारत की महिलाएं, उनके सपनों की उड़ान आज जिस ऊंचाई पर है, वो वाकई अभूतपूर्व है। इन अभूतपूर्व आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए अभूतपूर्व गति भी आवश्यक है। आने वाले वर्षों में भारत कितने ही बड़े-बड़े पड़ावों से गुजरेगा। एनर्जी सिक्योरिटी से जुड़े लक्ष्य, क्लीन एनर्जी से जुड़े लक्ष्य, स्पोर्ट्स से लेकर स्पेस को लेकर, यानी ऐसे अनेक नए लक्ष्‍य, हर सेक्टर में देश का परचम और नई ऊंचाइयों पर लहराना है। और ये जब मैं बात करता हूं तब और देश जब सोचता है तब, हर किसी की नजर आप पर है, भरोसा आप सभी पर है, बहुत बड़ा दायित्व आप सब मेरे साथियों पर है। आपको जल्द से जल्द भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी भी बनाना है। इस काम में विलंब न हो, ये आप सभी को सुनिश्चित करना है।

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साथियों,

मुझे खुशी है कि इस बार Civil Services Day की थीम, Holistic Development of India रखी गई है। ये सिर्फ एक थीम नहीं है, ये हमारा कमिटमेंट है, देश की जनता से हमारा वादा है, Holistic Development of India यानी No village left behind, No family left behind, No citizen left behind. असल प्रगति का मतलब छोटे बदलाव नहीं, बल्कि Full-scale impact होता है। हर घर में clean water, हर बच्चे को quality education, हर entrepreneur को financial access और हर गांव को digital economy का लाभ, ऐसी ही बातें हैं जो Holistic Development, मैं मानता हूँ, Quality in Governance सिर्फ schemes launch करने से नहीं आती। बल्कि Quality in Governance इससे तय होती है कि वो scheme कितनी गहराई तक जनता के बीच पहुंची, और उसका कितना real impact हुआ। आज राजकोट हो, गोमती हो, तिनसुकिया हो, कोरापुट हो, ऐसे कितने ही जिलों में हम यही impact देख रहे हैं। स्कूल में अटेंडेंस बढ़ाने से लेकर सोलर पावर तक, अनेक जिलों ने बहुत अच्छा काम किया और जो तय किया वो पूरा करके दिखाया और उसमें से कई जिलों को आज पुरस्कार दिया गया है। मैं इन सभी जिलों और योजनाओं से जुड़े साथियों को भी आज विशेष बधाई देता हूं।

साथियों,

बीते 10 सालों में भारत ने Incremental change से आगे बढ़कर Impactful transformation तक का सफर देखा है। आज भारत का governance model, Next Generation Reforms पर फोकस कर रहा है। हम technology और innovation और innovative practices के जरिए सरकार और नागरिकों के बीच की दूरी समाप्त कर रहे हैं। इसका impact ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ दूरदराज के इलाकों में भी दिख रहा है। आपसे Aspirational Districts की कई बार चर्चा हुई है, लेकिन Aspirational Blocks की सफलता भी उतनी ही शानदार है। आप जानते हैं, ये प्रोग्राम दो साल पहले जनवरी 2023 में लॉन्च हुआ था। सिर्फ दो साल में इन blocks ने जो बदलाव दिखाए हैं, वो अभूतपूर्व हैं। इन ब्लॉक्स में Health, Nutrition, Social Development और Basic Infrastructure के कई indicators में शानदार प्रगति हुई है और कुछ स्थान पर तो राज्य की एवरेज से भी आगे निकल गए हैं। राजस्थान के टोंक जिले के पीपलू ब्लॉक में, दो साल पहले आंगनवाड़ी सेंटर्स में बच्चों की measurement efficiency, सिर्फ 20 प्रतिशत थी। अब ये 99 परसेंट से भी ज्यादा हो गई है। बिहार के भागलपुर में जगदीशपुर ब्लॉक हैं। वहां, पहली तिमाही में ही गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन पहले सिर्फ 25 परसेंट था। अब ये बढ़कर 90 परसेंट से ज्यादा हो गया है। जम्मू-कश्मीर के मारवाह ब्लॉक में Institutional deliveries पहले 30 प्रतिशत थी जो बढ़कर के 100 प्रतिशत हो गई है। झारखंड के गुरडी ब्लॉक में नल से जल का कनेक्शन 18 परसेंट से बढ़कर के 100 परसेंट हो गया है। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, ये Last-mile delivery के हमारे संकल्प की सिद्धि को दिखाता हैं, ये दिखाते हैं कि सही intent, सही planning और सही execution से, दूर-दराज के हिस्सों में भी इच्छित परिवर्तन संभव है।

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साथियों,

पिछले 10 सालों में भारत ने कई transformative बदलाव करके दिखाए हैं। उपलब्धियों की नई ऊंचायों को छुआ है। भारत आज सिर्फ growth की वजह से नहीं जाना जा रहा, बल्कि governance, transparency और innovation के नए benchmarks आज भारत सेट कर रहा है।

G20 Presidency भी इसका एक उदाहरण है। 60 से ज्यादा शहरों में 200 से ज़्यादा meetings, इतना बड़ा और inclusive footprint, G20 के इतिहास में पहली बार हुआ और यही तो Holistic Approach है। जनभागीदारी की अप्रोच ने ये दूसरे देशों से 10-11 साल आगे हैं। पिछले 11 वर्षों में, हमने delay system को खत्म करने की कोशिश की है। हम नए processes बना रहे हैं, हम technology के माध्यम से Turnaround Time को घटा रहे हैं। Ease of business को बढ़ावा देने के लिए, हमने 40 हजार से ज्यादा compliances को खत्म किया है, हमने 3,400 से ज्यादा legal provisions को भी decriminalize कर दिया है। मुझे याद है, जब हम Compliance का बर्डन कम करने के लिए काम कर रहे थे, जब व्यापार-कारोबार के दौरान होने वाली कुछ गलतियों को decriminalise कर रहे थे, तो मेरे लिए आश्चर्य था कुछ कोने में विरोध के भी स्वर भी उठा करते थे। कई लोग कहते थे "आज तक नहीं हुआ, आप क्यों कर रहे हैं? चलता है, चलने दो। इससे आपको क्या फर्क पड़ता है? Compliance करने दीजिए, आप क्यों अपना काम बढ़ा रहे हैं? चारों तरफ से चर्चाएं चलती थीं, जवाब आते थे लेकिन जिस लक्ष्य को प्राप्त करना था, उस लक्ष्य का दबाव इन दबावों से ज्यादा था और इसलिए दबाव से दबे नहीं, हम लक्ष्य के लिए चल पड़े। हम पुरानी लीक पकड़कर चलेंगे तो हमें नए परिणाम मिलना मुश्किल होगा। जब हम कुछ अलग करेंगे और तभी तो अलग परिणाम भी मिलेंगे। और आज इसी सोच की वजह से हमारी Ease of Doing Business Rankings में काफी सुधार हुआ है। आज दुनिया भारत में निवेश करने के लिए बहुत उत्सुक है, और ये हमारा काम है कि हम अवसर जाने न दें, हमें इस अवसर का पूरा लाभ उठाना है। हमें राज्यों के स्तर पर, जिला और ब्लॉक स्तर पर, red tape की हर गुंजाइश को खत्म करना है। तभी आप राज्यों के स्तर पर, जिला स्तर पर, अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएंगे।

साथियों,

पिछले 10-11 साल की देश की जो सफलताएं रही हैं, उन्होंने विकसित भारत की नींव को बहुत मजबूत किया है। अब देश इस मजबूत नींव पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण शुरू कर रहा है। लेकिन निर्माण की इस प्रक्रिया में हमारे सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। भारत अब दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। ऐसे में बेसिक सुविधाओं की सैचुरेशन हमारे लिए प्राथमिकता होनी ही चाहिए। आपको Last Mile Delivery पर हमेशा बहुत ज्यादा फोकस करते रहना है। समय के साथ देशवासियों की needs और aspirations, दोनों तेजी से बदल रही हैं। अब Civil Service को contemporary challenges के हिसाब से खुद को adapt करना होगा, तभी वो relevant बनी रह सकती हैं। हमें खुद के लिए नई-नई कसौटियां भी नित्य बनाते रहना होगा और हर कसौटी को पार करते रहना होगा। और सफलता की सबसे बड़ी कुंजी यही है कि खुद को चुनौती देते रहो। कल किया था वो संतोष के लिए नहीं था, कल जो पाया था वो चुनौती का कारण बनते रहना चाहिए, ताकि कल मैं उससे ज्यादा कर पाऊं। अब सिर्फ पिछली सरकारों से तुलना करके, अपने काम, अपनी परफॉर्मेंस को हम तय नहीं कर सकते। मेरे पहले डिस्ट्रिक्ट में फलाने भाई थे, उन्‍होंने इतना किया, मैंने इतना कर दिया, जी नहीं, अब हमें अपनी कसौटी बनाना है, 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य से हम कितना दूर हैं? हम कहां तक पहुंचे हैं, वो हिसाब-किताब का वक्त समाप्त हो चुका है। अब जहां हैं वहां से जहां जाना है वहां अभी कितनी दूरी बाकी है, उस दूरी को पाटने का मेरा रोडमैप क्‍या है, मेरी गति क्‍या है, और मैं औरों से जल्‍दी 2047 तक कैसे पहुंच कर के सारे लक्ष्यों को प्राप्त कर लूं, यही हमारा सपना है, यही हमारा मकसद है, यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।

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हमें हर सेक्टर में देखना होगा कि जो लक्ष्य हमने तय किए हैं, क्या उनको पाने के लिए हमारी वर्तमान स्पीड काफी है। अगर नहीं है तो, हमें उसे बढ़ाना है। हमें याद रखना है, आज जो टेक्नॉलॉजी हमारे पास है, वो पहले नहीं थी। हमें टेक्नॉलॉजी की ताकत के साथ आगे बढ़ना है। 10 साल में हमने 4 करोड़ गरीबों के लिए पक्के घर बनाए, लेकिन अभी 3 करोड़ नए घर बनाने का लक्ष्य हमारे सामने है। हमने 5-6 सालों में 12 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण घरों को नल कनेक्शन से जोड़ा है। अब हमें जल्द से जल्द गांव के हर घर को नल कनेक्शन से जोड़ना है। 10 साल में हमने गरीबों के लिए 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाए हैं, अब हमें Waste Management से जुड़े नए लक्ष्यों को जल्द से जल्द प्राप्त करना है, कोई सोच भी नहीं सकता था कि करोड़ों गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। अब हमें देश की जनता में न्यूट्रिशन को लेकर नए संकल्पों को सिद्ध करना है। हमारा एक ही लक्ष्य होना चाहिए, 100 परसेंट coverage, 100 परसेंट impact, इसी अप्रोच ने 10 साल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। यही अप्रोच, भारत को गरीबी से पूरी तरह मुक्त करेगा।

साथियों,

एक दौर ऐसा था जब bureaucracy का role एक regulator का होता था, जो industrialization और entrepreneurship की speed को control करती थी। इस सोच से भी देश आगे निकल चुका है। आज हम ऐसा environment create कर रहे हैं, जो citizens में enterprise को promote करे और उन्हें हर barrier को cross करने में मदद दे। इसलिए Civil Service को enabler बनना होगा। सिर्फ rule book के keeper के रूप में ही नहीं, बल्कि growth के facilitator के रूप में अपना विस्तार करना होगा। मैं आपको MSME सेक्टर का उदाहरण दूंगा। आप जानते हैं देश ने मिशन मैन्युफैक्चरिंग शुरू किया है। इसकी सफलता का बहुत बड़ा आधार हमारा MSME सेक्टर है। आज दुनिया में हो रहे बदलावों के बीच, हमारे MSMEs, स्टार्टअप्स और युवा उद्यमियों के पास एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक अवसर आया है। ऐसे में ये ज़रूरी है कि हम ग्लोबल सप्लाई चेन में अधिक Competitive बनें। हमें ये भी याद रखना है कि MSMEs, का Competition सिर्फ छोटे Entrepreneurs से नहीं है। इनकी प्रतिस्पर्धा पूरी दुनिया से है। अगर एक छोटे से देश में किसी इंडस्ट्री के पास हमसे बेहतर Ease of Compliances है, तो वो हमारे देश के स्टार्टअप का ज्यादा मजबूती से मुकाबला करेगा। इसलिए हमें ये निरंतर देखना होगा कि Global Best Practices में हम कहां Stand कर रहे हैं। भारत की इंडस्ट्री का लक्ष्य अगर ग्लोबली बेस्ट प्रोडक्ट बनाने का है, तो भारत की ब्यूरोक्रेसी का लक्ष्य, दुनिया में सबसे बेस्ट ease of compliances environment देने का होना चाहिए।

साथियों,

आज की tech-driven दुनिया में civil servants को ऐसी skills चाहिए जो ना उन्हें सिर्फ technology समझने में मदद करें, बल्कि उसे smart और inclusive governance के लिए इस्तेमाल भी कर सकें। “In the age of technology, governance is not about managing systems, it is about multiplying possibilities.” हमें Tech Savvy होना पड़ेगा, ताकि हर policy और scheme को technology के ज़रिए ज्यादा efficient और accessible बनाया जा सके। हमें Data-Driven Decision making में एक्सपर्ट बनना होगा, जिससे policy designing और implementation ज्यादा accurate हो सके। आजकल आप देख रहे हैं कि Artificial Intelligence और Quantum Physics कितनी तेजी से विकसित हो रही है। जल्द ही, technology के use में एक नया revolution आएगा। ये उस digital और information age से कहीं आगे होगा, जिनसे आज जिससे परिचित है उससे भी आपको फ्यूचर की technology revolution के लिए खुद को तैयार करना होगा, पूरी सिस्‍टम को तैयार करने की व्यवस्था भी विकसित करनी पड़ेगी। ताकि हम नागरिकों को best services भी दे पाएं और उनकी aspirations को भी पूरा कर सकें। हमें civil servants की क्षमता को बढ़ाना होगा, ताकि हम एक future-ready civil service तैयार कर सकें। और इसलिए Mission कर्मयोगी और Civil Service Capacity Building प्रोग्राम, और जिसका जिक्र अभी किया, मैं इन दोनों को मेरे लिए वो बहुत अहम मानता हूं।

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साथियों,

तेजी से बदलते समय में हमें global challenges पर भी गहरी नज़र रखनी है। आप देख रहे हैं, Food, water और energy सिक्योरिटी अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। विशेष रूप से Global South के लिए ये बहुत बड़ा संकट है। लंबे समय से चल रहे संघर्षों के कारण, कई देशों में हालात और मुश्किल होते जा रहे हैं। इसका असर लोगों पर पड़ता है, रोजमर्रा के जीवन पर पड़ता है। Domestic और external पहलुओं के बीच बढ़ते interconnection को हमें समझते हुए हमें अपने रीति और नीति को बदलना होगा, हमें आगे बढ़ना होगा। क्लाइमेट चेंज हो, प्राकृतिक आपदाएं हों, महामारी हो, साइबर क्राइम के खतरे हों, सभी में एक्शन के लिए भारत को 10 कदम आगे रहना ही होगा। हमें लोकल लेवल पर स्ट्रैटिजी बनानी होगी, रजीलियन्स डेवलपमेंट करनी होगी।

साथियों,

मैंने लाल किले से पंच प्राण की बात कही है। विकसित भारत का संकल्प, गुलामी की मानसिकता से मुक्ति, अपनी विरासत पर गर्व एकता की शक्ति और कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाना। आप सभी इन पंच प्राणों के प्रमुख वाहक हैं। “हर बार जब आप integrity को convenience पर, innovation को inertia पर, या service को status पर प्राथमिकता देते हैं, तब आप राष्ट्र को आगे बढ़ाते हैं।” मुझे आप पर पूरा भरोसा है। वो युवा अधिकारी जो अपनी professional journey में कदम रख रहे हैं, आज उन सभी से मैं एक और बात कहूंगा, समाज में कोई भी ऐसा नहीं होता है, जिसके जीवन में, जिसकी सफलता में सोसायटी का, समाज का कुछ न कुछ योगदान न हो। समाज के योगदान के बिना, किसी के लिए भी एक कदम भी आगे बढ़ना मुश्किल होता है। और इसलिए, हर कोई अपने-अपने सामर्थ्य के हिसाब से समाज को लौटाना चाहता है। आप सभी तो बहुत भाग्यशाली हैं, कि आपके पास समाज को लौटाने का इतना बड़ा अवसर आपके पास है। आपको देश ने, समाज ने बहुत बड़ा मौका दिया है कि आप ज्यादा से ज्यादा समाज को लौटाएं।

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साथियों,

ये वक्त, civil servants के Reforms को Re-imagine करने का है। हमें Reforms की Pace बढ़ानी है, scale भी बढ़ानी है। इंफ्रास्ट्रक्चर हो, रीन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य हों, इंटरनल सेक्योरिटी हो, करप्शन ख़त्म करने का हमारा लक्ष्य हो, सोशल वेलफेयर स्कीम्स हों, ओलंपिक से जुड़े, स्पोर्ट्स से जुड़े लक्ष्य हों, हर सेक्टर में हमें नए Reforms करने हैं। हमने अब तक जितना achieve किया है, अब उससे भी कई गुना ज्यादा हासिल करके दिखाना है। और इन सबके बीच हम सबको हमेशा-हमेशा एक बात याद रखनी है, No matter how technology-driven the world becomes, we should never forget the importance of human judgement. संवेदनशील रहिए, गरीब की आवाज सुनिए, गरीब की तकलीफ समझिए, उनका समाधान करना अपनी प्राथमिकता बनाइए, जैसे अतिथि देवो भव: होता है, वैसे ही नागरिक देवो भव: इस मंत्र को लेकर के हमें चलना है। आपको सिर्फ भारत के civil servants के रूप में ही नहीं, विकसित भारत के शिल्पकार के रूप में अपने आपको दायित्व के लिए तैयार करना है।

वो एक वक्त था, आप civil servants बनें, civil servants के रूप में आगे बढ़े और आज भी civil servants के रूप में सेवा कर रहे हैं। लेकिन अब वक्त बदल चुका है साथियों, मैं जिस रूप में आने वाले भारत को देख रहा हूं, जिन सपनों को मैं हिन्‍दुस्‍तान के 140 करोड़ देशवासियों की आंखों में देख रहा हूं और इसलिए मैं अब कह रहा हूं कि आप सिर्फ civil servants नहीं हैं, आप नए भारत के शिल्पकार हैं। शिल्पकार का उस दायित्व निभाने के लिए हम स्वयं को सक्षम बनाएं, हम समय को लक्ष्य के लिए समर्पित करें, हर सामान्‍य व्‍यक्ति के सपने को खुद के सपने बनाकर के जिएं, आप देखिए विकसित भारत आपकी आंखों के सामने आप देख पाएंगे। मैं आज ये लेक्चर कर रहा हूं, तब मेरी नजर एक छोटी सी गुड़िया पर गई, वहां बैठी है, हो सकता है वो 2047 में शायद यहां कहीं बैठी होगी। ये सपने हमारे होने चाहिए, विकसित भारत का यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।

बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!