Under Mission Indradhanush, we aim to achieve total vaccination. Till now over 3 crore 40 lakh children and over 90 lakh mothers have benefitted: PM
Swachhata is an important aspect of any child's health. Through the Swachh Bharat Abhiyan, we are ensuring cleaner and healthier environment fo rour children: PM
Mission Indradhanush has been hailed globally by experts. It has been listed among the top 12 best medical practices: PM Modi

देवियों और सज्‍जनों, मेरे आने में विलंब हो गया, इसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं। सबसे प‍हले तो लीलाधर बालगोपाल नंदलाल की धरती से मैं आप सभी का अभिवादन करता हूं।

आज जब भगवान कृष्‍ण की लीलाओं की साक्षी रही धरती ब्रज में हम इस बड़े और पवित्र अवसर के साक्षी बन रहे हैं। तब मैं आपके सामने भगवत गीता का एक श्‍लोक दोहराना चाहता हूं। भगवान कृष्ण ने कहा था- दातव्य मिति यद्दानम् दीयते नुपकारिणे ।देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्‌॥ मतलब जो दान कर्तव्‍य समझकर बिना किसी उपकार की भावना से उचित स्‍थान में उचित समय पर और योग्‍य व्‍यक्ति को ही दिया जाता है। उसे सात्विक दान कहते हैं।

अक्षय पात्र संस्‍थान बीते 18 वर्षों से देश के बचपन को पोषक आहार देने का ये सात्विक दान कर रहा है। इसके लिए आप सभी को बहुत-बहुत साधुवाद और शुभकामनाएं।

साथियों, आज थोड़ी देर बाद मुझे कुछ बच्‍चों को अपने हाथ से खाना परोसने का अवसर मिलने वाला है। जितनी थालियां परोसी जाएंगी, उसमें से एक थाली तीन अरबवीं यानी तीन सौ करोड़ की थाली होगी। जैसा कि यहां बताया गया है कि 15 सौ बच्‍चों से अभियान शुरू हुआ था और वो आज..... अभी मोहनदास बता रहे थे 17 लाख बच्‍चों को पोषक आहार से जोड़ रहा है।

मुझे इस बात की भी खुशी है कि आप सभी ने श्रद्धेय अटल जी की सरकार के दौरान पहली थाली परोसी थी, आज तीन अरबवीं थाली परोसने का सौभाग्‍य मुझे मिला है।

साथियों, आप ये जो काम कर रहे हैं वो असाधारण है, असाधारण सेवा का है, अतुलनीय समर्पण का है। ये हमारे उन संस्‍कारों का विस्‍तार है जो हजारों वर्ष की महान परंपरा ने हमें सौंपे है। मैं जानता हूं कि सेवा और समर्पण किसी सम्‍मान के लिए नहीं होती लेकिन आपके इन प्रयासों को हाल में देश ने बहुत बड़ी पहचान दी है।   

अक्षय पात्र फांउडेशन को लाखों बच्‍चों को मिड-डे मील से उपलब्‍ध कराने के लिए Gandhi Peace Prize  दिया गया है। इसके अलावा स्‍वामी मधुपंडित दास जी को पदमश्री पुरस्‍कार से भी सम्‍मानित किया गया है। इसके लिए मैं आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों, स्‍कूलों में मीड-डे मील की ये परंपरा आजादी के पहले से ही प्रारंभ में रही है। इसका कारण भारत की स्थितियां-परिस्थितियां भी थी । एक तो गुलामी के लंबे कालखंड के कारण, संसाधनों का अभाव हमारे यहां रहा, गरीबी चरम पर पहुंची और लोगों को रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ा। इसका सबसे नकारात्‍मक प्रभाव हमारे बच्‍चों पर पड़ा। अब बदली परिस्थितियों में पोषकता के साथ-साथ पर्याप्‍त और अच्‍छी गुणवत्‍ता वाला भोजन बच्‍चों को मिले ये सुनिश्चित किया जा रहा है। इस काम में अक्षय पात्र से जुड़े आप सभी लोग खाना बनाने वालों से लेकर, खाना पहुंचाने और परोसने वाले तक के काम में जुटे सभी व्‍यक्ति देश की मदद कर रहे हैं।

साथियों, जिस प्रकार मजबूत इमारत के लिए नींव का ठोस होना जरूरी है उसी प्रकार शक्तिशाली नए भारत के लिए पोषित और स्‍वस्‍थ बचपन का होना भी जरूरी है। यदि देश का बचपन कमजोर रहेगा तो उसके विकास की गति धीमी हो जाएगी। यदि जन्‍म से पहले और जन्‍म के फौरन बाद बच्‍चों के खाने-पीने पर ध्‍यान दिया जाए और बीमारियों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाया जाए तो भविष्‍य में स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर परेशानियां कम होगी।

भगवत गीता में कहा है युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु। युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा॥ मतलब जिसका आहार, आचार और चाल संतुलित हो, जो नियम से सोता और जागता हो, ध्‍यान का रास्‍ता उसके सभी दुखों को समाप्‍त कर देता है। इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए बीते 55 महीनों में केंद्र सरकार ने बच्‍चों को एक स्‍वस्‍थ जीवन देने के लिए माता और बच्‍चों के पोषण उनके स्‍वास्‍थ्‍य पर बल दिया है।

साथियों, बच्‍चों के पोषण के लिए केंद्र सरकार ने समग्रता के साथ काम किया है। बचपन के इर्द-गिर्द एक मजबूत सुरक्षा, घेरा बनाने का प्रयास किया गया है। सुरक्षा के इस घेरे के तीन पहलू हैं – पोषण का एक महत्‍वपूर्ण पहलू; खान-पान, टीकाकरण और स्‍वच्‍छता। मुझे खुशी है कि अक्षय पात्र से जुड़े आप सभी साथी इस सुरक्षा कवच को मजबूत करने के लिए सरकार के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं।    

साथियों, स्‍वास्‍थ्‍य का सीधा संबंध पोषण से है, हमारे खाने-पीने से है, यदि हम सिर्फ पोषण के अभियान को हर माता, हर शिशु तक पहुंचाने में सफल हुए तो अनेक जीवन बच जाएंगे। इसी सोच के साथ हमारी सरकार ने पिछले वर्ष राजस्‍थान के झुंझुनू से देश भर में राष्‍ट्रीय पोषण मिशन की शुरूआत की थी। इस मिशन की गंभीरता को देखते हुए पिछले वर्ष सितंबर के महीने को पोषण के लिए ही समर्पित किया गया था।      

साथियों, पोषण की व्‍यवस्‍था हो, स्‍वच्‍छता हो, टीकाकरण हो, ऐसा नहीं है कि पहले इस बारे में नहीं सोचा गया। इन तमाम पहलुओं को लेकर आजादी के बाद से ही अनेक कार्यक्रम चले हैं लेकिन हमें बहुत अधिक सफलता इन वर्षों में नहीं मिल पाई। हमसे कम संसाधनों वाले छोटे देश भी इस क्षेत्र में हमसें आगे निकल गए। इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए 2014 से हमनें नई रणनीति के साथ काम करना शुरू किया है। टीकाकरण के अभियान को मिशन मोड पर चलाने का फैसला लिया। मिशन इंद्रधनुष के तहत देश के हर बच्‍चे तक पहुंचने का लक्ष्‍य तय किया गया।

साथियों, अब तक इस मिशन के तहत देश में लगभग 3 करोड़ 40 लाख बच्‍चों और करीब-करीब 90 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करवाया जा चुका है। जिस गति से काम हो रहा है। उससे तय है कि सम्पूर्ण टीकाकरण का हमारा लक्ष्‍य अब ज्‍यादा दूर नहीं है।

साथियों, हमने टीकाकरण अभियान को तेजी तो दी ही है, टीकों की संख्‍या में भी बढ़ोतरी की है। पहले के कार्यक्रम में पांच नए टीके जोड़े गए हैं, जिसमें से एक इंसेफेलाइटिस यानी जापानी बुखार का भी है। जिसका सबसे ज्‍यादा खतरा हमारे उत्‍तर प्रदेश के कुछ इलाकों में देखा गया है। अब कुल 12 टीके बच्‍चों को लगाए जा रहे हैं।

मुझे खुशी है कि भारत के प्रयासों कोमिशन इंद्रधनुष को आज दुनिया भर में सराहा जा रहा है। हाल ही में एक मशहूर मेडिकल जरनल ने इस कार्यक्रम को दुनिया की 12 best practices  में चुना है।    

साथियों, चाहे मिशन इंद्रधनुष हो या फिर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान, बच्‍चों और प्रसूता माताओं के स्‍वास्‍थ्‍य, सुरक्षित गर्भ और गर्भ के दौरान पोषक आहार के लिए दी जा रही छह हजार रुपये की मदद इससे देश में नवजात बच्‍चों और गर्भ के दौरान माताओं के जीवन पर आने वाले संकट को बहुत कम किया गया है।   

साथियों, बच्‍चों के सुरक्षा कवच का एक महत्‍वपूर्ण पहलू है स्‍वच्‍छता- गंदगी विशेष तौर पर बच्‍चों के लिए घातक सिद्ध होती है क्‍योंकि उसको इस तरह के वातावरण में जीना पड़ता है। पांच वर्ष से कम आयु के बच्‍चों के जीवन को डायरिया से सबसे अधिक खतरा होता है। स्‍वच्‍छ भारत अभियान के माध्‍यम से इस खतरे को दूर करने का बीड़ा हमने उठाया है। पिछले साल एक अंर्तराष्‍ट्रीय रिपोर्ट आई है जिसमें संभावना जताई गई कि सिर्फ स्‍वच्‍छ भारत मिशन से, टायलेट के उपयोग से ही करीब 3 लाख लोगों का जीवन बच सकता है। ये ताकत है साफ-सफाई की, जो गरीब को बिना किसी खर्च के जीवनदान दे रहा है।

मुझे अभी योगी जी बता रहे थे इस बार कुंभ का मेला स्‍वच्‍छता के लिए जाना जाएगा और वैसे भी सदियों से कुंभ के मेले की एक विशेषता थी वो एक सामाजिक संदेश देने का एक विशेष अवसर होता था। इस बार कुंभ के मेले ने देश को स्‍वच्‍छता का संदेश देने में बहुत बड़ी सफलता पाई है। आमतौर पर कुंभ के मेले की चर्चा अगर देश और दुनिया के अखबारों में होती है तो ज्‍यादातर नागा बाबाओं के साधुओं की चर्चा ही होती है। पहली बार न्‍यूयार्क टाइम्‍स ने कुंभ के मेले की स्‍वच्‍छता को लेकर के रिपोर्ट किया है।

मुझे बताया गया है कि अक्षय पात्र संस्‍थान ने भी स्‍कूलों में साफ-सफाई के प्रति जागरूकता के लिए स्‍वच्‍छ विद्यार्थी, स्‍वच्‍छ विद्यालय, स्‍वच्‍छ गृहों का अभियान शुरू किया है। आपको इस एक और पवित्र कार्य के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों, जब बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य की बात होती थी, खान-पान, पोषण की बात होती थी तो पहले मां की दुख तकलीफ को नजरअंदाज कर दिया जाता था। गरीब परिवारों में, साधनहीन परिवारों में मां को अभाव से टकराना पड़ता ही, अपने बच्‍चों के लिए, अपने परिवार के लिए धुंए से भी लड़ना पड़ता था। इस स्थिति को बदलने का प्रयास बीते साढ़े चार वर्ष में किया जा रहा है। हर गरीब बहन-बेटी की रसोई तक उज्‍ज्‍वला योजना के तहत देश भर में सवा छह करोड़ से अधिक गैस कनेक्‍शन पहुंचाए जा चुके है। यहां उत्‍तर प्रदेश में भी एक करोड़ बहनों को मुफ्त गैस कनेक्‍शन दिया गया है। इससे मां और बच्‍चे को धुंए से होने वाले नुकसान से मुक्ति तो मिल ही रही है साथ में जो श्रम उसका लकडि़यां जुटाने में, गोबर के उपले बनाने में उसका जो समय लगता था वो भी अब बच रहा है।   

साथियों, एक ओर मां है जो देश के बचपन को, हमारे जीवन को निरंतर पोषित करती आ रही है जिसका आभार गोकुल की धरती से मैं जताना चाहता हूं। ये मां है हमारी गौमाता जिसके दूध का कर्ज कम से कम भारत में कोई नहीं भूला सकता। गौमाता ने दूध, दही, मक्‍खन से अपने बाल-गोपाल का हर तरह से पोषण किया था।  

साथियों, गाय हमारी संस्‍कृति, हमारी परंपरा का अहम हिस्‍सा रही है। गाय ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था का भी महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा रही है। यहां मथुरा में तो गौ-सेवा की एक समृद्ध परंपरा रही है। बहन सुदेवी दासी जी जिनको हाल में ही पदमश्री से सम्‍मानित किया गया है, उनका जीवन हमारे संस्‍कारों की शक्ति को दर्शाता है।

साथियों, गोकुल की इस भावना, देश की भावना को विस्‍तार देते हुए पशुधन को स्‍वस्‍थ और बेहतर बनाने के लिए हमारी सरकार द्वारा राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन शुरू किया गया था। इस बार बजट में इसको विस्‍तार देते हुए राष्‍ट्रीय कामधेनु आयोग बनाने का फैसला लिया गया है। इस आयोग के तहत 500 करोड़ रुपये का प्रावधान गौमाता और गौवंश की देखभाल और इससे जुड़े नियम-कायदों को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए‍ किया गया है। 

साथियों, पशुपालक परिवारों की सहायता के लिए अब बैंकों के दरवाजे भी खोल दिए गए हैं। फसली ऋण की तरह पशुपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड के तहत बैंकों से तीन लाख रुपये तक का ऋण मिलना सुनिश्चित हुआ है। इससे हमारे तमाम पशुपालक बहन-भाइयों को बहुत लाभ होने वाला है। साथ ही ये कदम देश की डेयरी इंडस्‍ट्री का विस्‍तार करेगा। जब डेयरी इंडस्‍ट्री का विस्‍तार होगा तो पशुपालकों की जेब में ज्‍यादा पैसा पहुंचेगा और उनका जीवन आसान होगा। 

साथियों, पशुपालकों के साथ-साथ जो देश को अन्‍न देता है। हमारा अन्‍नदाता, हमारे किसान के लिए भी बहुत बड़ी योजना सरकार ने बनाई है। पीएम किसान योजना का सबसे अधिक लाभ अगर किसी एक राज्‍य को होने वाला है तो वो राज्‍य है उत्‍तर प्रदेश। क्‍योंकि यहां के अधिकतर किसान ऐसे हैं जिनके पास एक या दो एकड़ या फिर पांच एकड़ से भी कम जमीन है। अब ऐसे सभी किसान परिवारों को केंद्र सरकार द्वारा हर वर्ष छह हजार रुपये सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किए जाएंगे। दो-दो हजार रुपयों की तीन किश्‍तों में ये राशि किसान परिवारों तक पहुंचेगी।

साथियों, हमारा अन्‍न्‍दाता आज रिकार्ड उत्‍पादन कर रहा है। और आप जैसे समर्पित कार्यकर्ता इस अन्‍न को बच्‍चों तक पहुंचाकर देश की नींव को सशक्‍त करने का काम कर रहे हैं।

मैं आपके प्रयासों के लिए आपको बधाई देता हूं, ये प्रयास मैं से हम तक की यात्रा का सबसे अच्‍छा उदाहरण है। ये स्‍वंय से समष्टि तक की यात्रा का उदाहरण है। मैं जब हम बन जाता है तो हम खुद से ऊपर उठकर समाज के बारे में सोचते हैं। मैं जब हम बन जाता है तो सोच का दायरा बढ़ जाता है। हम का विचार अपने देश को, अपनी संस्‍कृति को और अपनी विरासत को व्‍यक्ति से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण बना देता है। हम की भावना पुरातन है।

साथियों, न्‍यू इंडिया देश के इन्‍हीं संस्‍कारों को सशक्‍त करने वाला है। हम सभी के सहयोग से, सभी के लिए यानी सबका साथ सबका विकास ही नए भारत का रास्‍ता है। एक बार फिर आप सभी को सेवा के इस महान पड़ाव के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आपका ये सेवा भाव ऐसे ही अक्षय रहे इसी कामना के साथ बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

Explore More
140 crore Indians have taken a collective resolve to build a Viksit Bharat: PM Modi on Independence Day

Popular Speeches

140 crore Indians have taken a collective resolve to build a Viksit Bharat: PM Modi on Independence Day
5 Days, 31 World Leaders & 31 Bilaterals: Decoding PM Modi's Diplomatic Blitzkrieg

Media Coverage

5 Days, 31 World Leaders & 31 Bilaterals: Decoding PM Modi's Diplomatic Blitzkrieg
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Prime Minister urges the Indian Diaspora to participate in Bharat Ko Janiye Quiz
November 23, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today urged the Indian Diaspora and friends from other countries to participate in Bharat Ko Janiye (Know India) Quiz. He remarked that the quiz deepens the connect between India and its diaspora worldwide and was also a wonderful way to rediscover our rich heritage and vibrant culture.

He posted a message on X:

“Strengthening the bond with our diaspora!

Urge Indian community abroad and friends from other countries  to take part in the #BharatKoJaniye Quiz!

bkjquiz.com

This quiz deepens the connect between India and its diaspora worldwide. It’s also a wonderful way to rediscover our rich heritage and vibrant culture.

The winners will get an opportunity to experience the wonders of #IncredibleIndia.”