PM's speech at 50th anniversary of the establishment of Delhi High Court

Published By : Admin | October 31, 2016 | 17:11 IST
QuoteThe contributions of Sardar Patel, in the creation of the All India Civil Services is immense: PM
QuoteComplement the legal fraternity for giving strength to Alternative Dispute Resolution mechanisms: PM Modi
QuoteChallenges come, but we have to prepare roadmap so that toughest situations can be overcome: PM
QuoteWhile drafting laws, we must imbibe best of the talent inputs. This will be the biggest service to judiciary: PM

भारत के मुख्य न्यायाधीश justice टी.एस ठाकुर जी, केन्द्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमान रविशंकर प्रसाद जी, दिल्ली के उपराज्यपाल श्रीमान नजीब जंग जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री श्रीमान अरविंद जी, दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्‍यायाधीश जी रोहिणी जी, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्‍यायाधीश justice बदर दुर्रेज अहमद जी।

उपस्थित सभी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्‍ठ महानुभाव, दिल्ली हाईकोर्ट के सभी वरिष्‍ठ महानुभाव, वरिष्‍ठ गण। मुझे कभी कोर्ट में जाने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है। लेकिन मैंने सुना है कि वहां बड़ा गंभीर वातावरण होता है। और शायद उसका प्रभाव यहां भी नजर आ रहा है। पचास साल का उत्सव मना रहे हैं । कुछ तो मुस्कराइये। डायस पर तो गंभीरता मैं समझ सकता हूं ताकि कोई ग़लत Perception ना बन जाए। लेकिन यहां तो I don’t think की कोई problem है।

पचास साल की यात्रा इस कार्य को सब के सहयोग से ये जो मुकाम प्राप्त हुआ है। चाहे बाहर के मित्र हों, चाहे किसी जमाने में जब कम्प्यूटर नहीं था तो बाहर बैठकर टाइपिंग करता होगा पैड़ के नीचे, या कोई डायस पर बैठकर के न्याय तोलता होगा। या हो सकता है कि किसी परिसर में लोगों को चाय भी पहुंचाने वाला कोई व्यक्ति होगा। हर किसी का इसमें योगदान है। अपने – अपने तरीके से Contribution है। आज जब पचास साल मना रहे हैं तब हर किसी के Contribution को हम सहर्ष स्वीकार करें। उनके प्रति अपने कृतज्ञता का भाव अभिव्यक्त करें। और हर किसीने अपने – अपने तरीके से इस व्यवस्थाओं में कुछ न कुछ value addition किया होगा। हरेक का कोई न कोई सकारात्मक योगदान रहा होगा। और यही सकारात्मक Contribution का पुट Institution की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। Institution की अहमियत को बढ़ाता है। और दिनों दिन Institution की आवश्यकता अधिक महसूस होती है। मुझे विश्वास है कि भारत के संविधान के प्रकाश में देश के सामान्य नागरिकों की आशा, आकांक्षाएं उसको पूर्ण करने में जिस किसी के पास जो जिम्मेवारी है। उसको पूरा करने का भरसक प्रयास करना चाहिए। हर किसीने करना चाहिए।

आज 31 अक्तूबर दिल्ली हाईकोर्ट को पचास साल, आज 31 अक्तूबर भारत की एकता के लिए जीवन खपाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म जयंती भी है। महात्मा गांधी के अनन्य सहयोगी के नाते जन सामान्य को अधिकार के लिए आंदोलित करना एक बैरिस्टर के नाते जिन्दगी गुजार सकते थे। वो भी शायद इस परिवेश में उत्तम से उत्तम कैरियर बना सकते थे। लेकिन देश की आवश्यकता के लिए बैरिस्टर के नाते जिन्दगी गुजारने की बजाय देश के लिए अपना सब कुछ आहुत करने के लिए निकल पड़े। सरदार साहब की एक बहुत बड़ी सेवा जो आज भी देश याद करता है। ये आजाद हिन्दुस्तान की शासकीय व्यवस्था को भारतीयता का रूप देना। ऑल इंडिया सिविल सर्विस जैसी व्यवस्थाओं को विकसित करना। एक बहुत बड़ा उनका Contribution मैं मान सकता हूं। देश की एकता का प्रोफाईल था और हम देख रहे हैं कि भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में ऑल इंडिया सिविल सर्विस की इस व्यवस्था के कारण किसी न किसी मात्रा में एक तंतु जुड़ा रहता है। एक सेतु बना रहता है। और जिले में बैठा हुआ अफसर भी, उसकी ट्रेनिंग ऐसी हुई है कि वो राष्ट्रीय परिवश में चीजों को तोलता है, सोचता है और निर्णय प्रिक्रिया में अपनी भूमिका अदा करता है। ऑल इंडिया सिविल सर्विस के सपनों को अलग-अलग रुपों में देखा गया धीरे-धीरे कई वर्ग होते गए की व्यवस्थाएं खड़ी हुई। एक चर्चा का विषय रहा। ऑल इंडिया judicial सर्विस का विवादों में रहा है। लेकिन लोकतंत्र का ये मूलभूत पिंड है। वाद, विवाद और संवाद। चर्चा होनी चाहिए, बहस होनी चाहिए। सरदार साहब ने जिस व्यवस्था को खड़ा किया था। जिसको आगे कई लोगों ने बढ़ाया था। यहां ऐसे-ऐसे लोग बैठे हैं हो सकता है ऐसे मंथन हो। लेकिन हम लोग इसमें कोई ज्यादा Contribute नहीं कर सकते और न ही हम करेंगे तो लाभ होगा। लेकिन यहां जो लोग बैठे हैं वो काफी कुछ Contribute कर सकते हैं। इस देश का दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, गरीब, उपेक्षित समाज के एकदम नीचे के तबके से आने वाला व्यक्ति क्या उसको भी इस व्यवस्था में आने का अवसर मिल सकता है क्या। क्या ऐसी कोई नई व्यवस्था बन सकती है। क्योंकि अब पहले के जमाने में न्याय के क्षेत्र की सीमा एक दायरा इतना विस्तृत हो चुका है, इतना ग्लोबल हो चुका है। शायद पिछले तीस साल पहले किसी ने सोचा भी नहीं होगा। आज उसका दायरा बहुत बड़ा है न जाने कैसी-कैसी समस्याएं अदालत के सामने खड़ी हो जाती हैं कि अदालत के लिए भी सवाल खड़ा हो जाएगा अरे भई ये कहां से विषय आया है क्या बैक्ग्राउंड है इसका। क्या पहलू है इसका। जिस प्रकार से टेक्नॉलॉजी ने दुनिया में अपनी जगह बनाई है। तो चुनौतियां बहुत बड़ी हैं। लेकिन चुनौतियों से भागना इंसान का स्‍वभाव नहीं होता है। चुनौतियों से रास्ते खोजना, Capability बढ़ाना अगर टेक्नॉलॉजी की आवश्यकता है तो उसको जोड़ना। आज जब हम पचास साल इस व्यवस्था के मना रहे हैं तब अब पचास साल के अनुभव के आधार पर हम आने वाले अपना रोड मैप कोई बना सकते हैं क्या। और मिलकर के बनाना पड़ेगा। कोई एक जगह से ये चीजें हो नहीं सकती। लेकिन इस देश के पास सामर्थ्‍य है, बन सकता है। ऐसा नहीं है कि नहीं बन सकता। रास्ते खोजे जा सकते हैं। और खोजने का अविरल प्रयास भी चलते रहना चाहिए। किसी भी चीज के दरवाजे बंद नहीं किये जा सकते। और तभी जाकर के बदलाव संभव होता है।

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ये बात सही है कि अदालतों में जो लोग बैठे हैं। उन्हीं के प्रयासों से और उन्हीं के Contribution से Alternate Mechanism को जो बल मिला है। गरीब लोग वहां चले जाते हैं। उनको संतोष होता है। चलो भई मुझे न्याय मिल गया। बेचारी दिल्ली हाईकोर्ट का रिपोर्ट हमने देखा हिन्दुस्तान में सब जगह पे और मैंने देखा उसमें बाहर का भी Contribution है। Judiciary में बैठे हुए लोगों का भी Contribution है। और वो अपने काम का सिवाए का समय अपने व्यक्तिगत समय से निकाल कर के इस काम को कर रहे हैं। और उसके कारण गरीब इंसान को भी बहुत लाभ हो रहा है। एक Awareness भी आएगी। लेकिन Awareness को हमें और अधिक बढ़ाना पड़ेगा। सामान्य मानवीय को शिक्षित करना होगा। जितना ज्यादा शिक्षित कर पाएंगे। उतना लाभ होगा। ज्यादातर Judiciary का अधिकतम समय हम लोगों के बीच ही जाता है। मतलब कि मोदी नहीं, सरकार सबसे बड़ा litigant सरकार होती है। हर मसले पर सरकार भिड़ती रहती है। मैं कभी हमारे सरकार के लोगों को कहता हूं भाई। एक टीचर अपने हक के लिये गया कोर्ट में उसको न्याय मिला वो जीत गया। उसी प्रकार के दस हजार टीचर के मसले लटके पड़े हैं। उसको आधार बनाकर दस हजार को पूरा करो न। आप Judiciary का बोझ क्यों बढ़ा रहे हो। लेकिन पता नहीं उनके दिमाग में पड़ नहीं रहा है। उनको लगता है नहीं साहब वो Individual मसला था और कानून के दायरे में Individual मसले को हम किसी को फीट नहीं कर सकते। पता नहीं मैं इन सारी बारीकियों को नहीं जानता हूं लेकिन मैं समझा रहा हूं कि भाई हम इस बोझ को कम कैसे करें। दूसरा मैंने देखा है, शायद आज से पच्चीस तीस साल पहले राजनीति इतनी media driven नहीं थी। और उसके कारण संसद में जो बहस होती थी खासकर के विधि निर्माण की वे बहुत एक संविधान के प्रकाश में और भविष्य के लिए उपकारक और जन सामान्य की सुविधाजनक ऐसी कुछ व्यवस्थाएं विकसित करने की दिशा में कानून की चर्चा का दायरा रहता था । आज हम जब सदन में चर्चा करते हैं तो उसका रूप एक होता है। कौन सरकार लाई है। उसके आधार पर तय होगा कि सामने वाला क्या कहेगा। अगर हम वहां बैठे तो हम वो बोलेंगे। हम यहां बैठे तो वो दूसरा बोलेंगे। ये हाल है हमारा। standing committee में मसला जाता है तो वो मीडिया में रिपोर्ट नहीं होता है। वहां सब मिलकर के तय करते हैं कि देखो भाई कैसे करेंगे। समय की मांग है कि विधि निर्माताओं कानून बनाने में इतनी बारीकियों में जाके talent input हो उसमें। और जितने अच्छे कानून हम बना पाएंगे। इतना शायद हम न्याय की क्षेत्र की सबसे बड़ी सेवा कर पाएंगे। और जिम्मा इलैक्ट्रेड गवर्मेंट्स का है। हम लोगों का। मैंने देखा है कि इन दिनों National Law Universities में जो होनहार बच्चे पढ़ने के लिए आ रहे हैं। पहले में तो रूटीन कॉलेज में पढ़ते थे और फिर बाद में Law करने जाते थे। इन दिनों इसको एक Profession के रूप में स्वीकार करते हैं। ये देखा जा रहा है कि बहुत ही talented youth आज इन Universities से निकल रहे हैं । उसमें जितना drafting capacity का दायरा हम बनाएंगे। और ड्राफ्टिंग के लेवल पर ही हमें अगर अच्छा इन्पुट मिलेगा। और हम अच्छे कानून बना पाएंगे। कानून में बदलाव लाना है तो भी उस दायरे में वो आएगा। तो discrimination का या interpretation का स्कॉप नैरो होता जाएगा। जीरो करना तो मुश्किल है लेकिन narrow होता जाएगा। और जब इन्टरप्रियशन और डिस्क्रिमिनेशन का दायरा नैरो हो जाता है। तब अपने आप ब्लैक एन व्हाइट पढ़कर के वो तय कर सकता है कि हां ये मेरे हक का है, ये मिलकर रहेगा। दुविधा नहीं होगी। लेकिन ये कमी आज भी महसूस होता है। इसको पूरा करना होगा। हम सबको मिलकर करना होगा। अगर इसको हम कर पाएंगे तो देश की सेवा ज्यादा अच्छे से कर पाएंगे। मैं इस गोल्डन जुबली अवसर पर दिल्ली बार के उन सभी महानुभावों का अभिनन्दन करता हूं। जिन्होंने इसमें Contribute किया है। अनेक judges हैं इनकी सेवाएं इस कोर्ट को मिली होंगी। उनको भी अभिनन्दन करता हूं। और भारत की न्याय व्यवस्था सदियों से इसका एक श्रद्धा का स्थान रहा। हजारों साल से हम सुनते आए हैं शास्त्रों में पढ़ते आए हैं। एक श्रद्धा की जगह है। उस श्रद्धा रूप स्थान को चोट न पहुंचे। उसका गौरव बढ़ता रहे। उसका सामर्थ्‍य बढ़ता रहे। उसके लिए जो जहां भी है सबने अपनी-अपनी जिम्मेवारियां निभाई होगी। सरकार में बैठे हुए लोगों ने विशेष निभानी होगी। और मुझे विश्वास है कि ये दिन हम करते रहेंगे। परिणाम लाते रहेंगे। बहुत – बहुत धन्यवाद।

  • Shankar prasad January 13, 2024

    हमारे माननीय प्रधानमंत्री भारत के प्रेरणादायक स्वरूप है।आज उन्के नक्शे कदम पर सम्पूर्ण विश्व चलने को तत्पर है।
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India has witnessed rapid transformations across diverse sectors: PM Modi
June 09, 2025
QuoteWe are proud of our collective success but at the same time, we look ahead with hope, confidence and a renewed resolve to build a Viksit Bharat: PM
QuoteThe last eleven years have brought many positive changes and boosted Ease of Living: PM
QuotePM urges citizens to explore India’s Transformative Journey through the NaMo App

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has highlighted the remarkable transformation India has undergone over the past eleven years under the NDA Government.

Shri Modi emphasized that a clear focus on good governance and transformation, backed by the collective participation of 140 crore Indians, has led to rapid progress across diverse sectors.

Guided by the principle of ‘Sabka Saath, Sabka Vikas, Sabka Vishwas, Sabka Prayas’, the Prime Minister noted that the NDA Government has delivered pathbreaking changes with speed, scale and sensitivity.

Shri Modi underlined that from economic growth to social upliftment, the government has prioritized people-centric, inclusive and all-round progress.

He stated that India today is not just the fastest-growing major economy, but also a key global voice on pressing issues such as climate action and digital innovation.

Shri Modi said that, “We are proud of our collective success but at the same time, we look ahead with hope, confidence and a renewed resolve to build a Viksit Bharat.”

He also emphasized that the last eleven years have brought many positive changes and boosted ‘Ease of Living’.

In this context, Shri Modi encouraged citizens to explore this transformative journey through the NaMo App, which presents the government’s achievements in an interactive manner—including games, quizzes, surveys, and other formats that inform, engage and inspire.

The Prime Minister also invited people to explore India’s Vikas Yatra through a variety of engaging formats such as videos, infographics, and articles, available on the NaMo App and official website.

The Prime Minister posted on X;

"A clear focus on good governance and transformation!

Powered by the blessings and collective participation of 140 crore Indians, India has witnessed rapid transformations across diverse sectors.

Guided by the principle of ‘Sabka Saath, Sabka Vikas, Sabka Vishwas, Sabka Prayas’, the NDA Government has delivered pathbreaking changes with speed, scale and sensitivity.

From economic growth to social upliftment, the focus has been on people-centric, inclusive and all round progress.

India today is not just the fastest-growing major economy, but also a key global voice on pressing issues like climate action and digital innovation.

We are proud of our collective success but at the same time, we look ahead with hope, confidence and a renewed resolve to build a Viksit Bharat!

#11YearsOfSeva"

"The last eleven years have brought many positive changes and boosted ‘Ease of Living.’

The NaMo App takes you through this transformative journey in an innovative manner, through interactive games, quizzes, surveys and other such formats that inform, engage and inspire.

Do have a look…

nm-4.com/11yearsofseva

#11YearsOfSeva"

"India’s Vikas Yatra, showcased through interesting videos, infographics, articles and more on the NaMo App... Do explore.

narendramodi.in/vikasyatra2025

#11YearsOfSeva"

" बीते 11 वर्षों में हमारी सरकार की हर योजना के केंद्र में गरीब भाई-बहनों के साथ ही जन-जन का कल्याण सुनिश्चित करना रहा है। उज्ज्वला हो या पीएम आवास, आयुष्मान भारत हो या भारतीय जनऔषधि या फिर पीएम किसान सम्मान निधि, इन सभी योजनाओं ने देशवासियों की उम्मीदों को नए पंख दिए हैं। हमने इस दौरान पूरी निष्ठा और सेवाभाव के साथ लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किया है।"
#11YearsOfSeva