Good education and good teachers can make a difference in the life of a student: PM
Children can bring about positive changes in society; they can be brand ambassadors of #SwachhBharat & energy conservation: PM Modi
Cleanliness must become a part of our ‘Swabhav’: PM
There is a need to imbibe technology in all aspects of education: PM Modi
Prachaaryas could become torch-bearers of positivity and positive energy: PM Modi

कुछ समय पूर्व भाई जी आए थे तो उनका आग्रह था कि आप सबके साथ बातचीत करने का कोई कार्यक्रम बने। बातचीत को तो नहीं बना, भाषण का बन गया। जब तक आचार्य रहते हैं तब तक विद्यार्थियों के साथ बड़ा गहन संबंध आता है लेकिन जब Principal बन जाते हैं, तब ज्यादातर Clerk के साथ और कागजों के साथ औऱ File के साथ समय बीत जाता है। सचमुच में ये दोनों व्यवस्था भिन्न है, लेकिन हमारे यहां सदियों से ही ये परंपरा चली है कि जो Senior most आचार्य होता है, वो प्राचार्य बनता है। अब उसकी Managing capacity है कि नहीं, Managerial work में उसकी रुचि है कि नहीं, ये बातें बहुत प्राथमिकता नहीं रखती हैं लेकिन स्वाभाविक रूप से जिम्मे आ जाता है और इसलिए आप लोगों के सामने तो विद्यार्थियों का क्या हो उसके ज्यादा विद्यालय का क्या हो ये शायद काम अधिक रहता है। और इसका मतलब ये हुआ कि आपके सामने एक बहुत बड़ी चुनौती होती है कि आज शिक्षा के ज्ञान के इतने मार्ग उपलब्ध हैं, जानकारी पाने के इतने रास्ते उपलब्ध हैं और इतने सरल भी हैं कि ऐसी स्थिति में विद्या भारती तक लोगों को आकर्षित कैसे किया जाए। 

विद्या भारती का विद्यालय, उसकी छवि क्या है, छवि उन अभिभावकों में नहीं है, जो विद्यार्थी हमारे यहां पढ़ते हैं। अगर एक नगर के अंदर 100 स्कूल हैं, उसमें एक हमारी भी है, उन 100 स्कूल में हम कहां हैं? हम एक स्कूल थे अब दो हो गए, पहले 800 विद्यार्थी थे अब 1600 हो गए, यही मानदंड हैं क्या, अगर ये मानदंड है तो समाज में परिवर्तन लाने का प्रयास जो किसी को करना है, जो शिक्षा और संस्कार दोनों को मिलाना चाहते हैं, साथ-साथ चलें ऐसा चाहते हैं, उनके लिए जिम्मेवारी बहुत बढ़ जाती है।

आज हिंदुस्तान में किसी भी व्यक्ति को हम पूछे, कितना ही बड़ा धनी क्यों न हो, कितना गरीब क्यों न हो अगर उसे पूछे कि आपकी क्या इच्छा है, एक इच्छा महत्वपूर्ण क्या है तो अमीर से अमीर से व्यक्ति होगा या गरीब से गरीब व्यक्ति ये कहेगा कि मेरे बच्चों की अच्छी शिक्षा हो। आप ड्राइवर को भी पूछ लीजिए कि भई बच्चों को अच्छा पढ़ाना है, हमने तो ये जिंदगी ड्राइवरी में निकाल दी, उसको उससे बाहर निकालना है। हर किसी के मन का कोई एक अजेंडा अपना है तो अपने संतानों की शिक्षा है। अगर ये करोड़ों-करोड़ों लोगों के मन में है। अच्छी शिक्षा का मतलब ये नहीं कि उसको स्कूल उपलब्ध नहीं है, अच्छी शिक्षा का मतलब ये नहीं कि फीस देने से कोई बढ़िया स्कूल मिलने वाली नहीं है। अच्छी शिक्षा का मतलब उसके दिमाग में साफ है कि अच्छे शिक्षक कहां हो। मेरे बालक की जिंदगी में बदलाव लाने में कोई रुचि ले, ऐसी व्यवस्था कहां हो। हम परिवार में जो उसे नहीं दे पाते हैं, उससे ज्यादा कुछ दे पाएं, ऐसी व्यवस्था कहां हो, ये उसकी खोज रहती है, तलाश रहती है। कभी-कभार अगर पैसे हैं तो मजबूरन क्या करता है, स्कूल में तो कहीं पर भी भर्ती कर लेता है लेकिन घर में एक Teacher hire कर लेता है। जो आता है, बच्चों को पढ़ाता है तो उसके career के लिए जो काम करना चाहिए वो आकर के वो जाता है।

ऐसी जब स्थिति है तब एक संस्था के लिए 12 हजार स्कूल बहुत हैं लेकिन इस देश के लिए ऐसी 12 हजार स्कूलें बहुत कम हैं। अगर लाखों स्कूल हो ऐसी तो भी कम पड़ जाए, इतनी आवश्यकता है। 32 लाख विद्यार्थियों की जिंदगी, आपसे जुड़ी हुई है। मैं इस व्यवस्था को निकट से जानता हूं, बरसों से इसको जाना है, समझा है, उसके साथ जीया हूं और इसलिए मैं बहुत सी बातों को जानता हूं। हम ये चुनौती स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं कि हम इन सारी व्यवस्था में Top पर होंगे। हम विस्तार तो कर रहे हैं और कुछ तो अपने आप भी हो रहा है, लेकिन Qualitatively अगर इसमें देशभक्ति एक सबसे बड़ा प्रमुख मुद्दा रहता है विद्या भारती के स्कूलों में क्या Olympic में मेडल लाना देशभक्ति है कि नहीं है, अगर Olympic में मेडल लाना देशभक्ति है तो इतने बढ़िया games चल रहे हैं, आपने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, क्या हमारी 12 हजार में से 2 हजार ऐसी स्कूल निकल सकती हैं कि जो इस काम पर बल दें और तय करें कि 2020 में जब Olympic होगा तो विद्या भारती के इतने बच्चे हैं तो जरूर देश के लिए मान कमा कर आएंगे, gold medal लेकर आएंगे।

हमने हमारे लक्ष्य बदलने की जरुरत है, मुझे ऐसा लगता है। हम देश को ऐसा, हर क्षेत्र में ऐसा नेतृत्व कैसे दे सकते हैं कि जो गर्व करें कि इस परंपरा ने मुझे बनाया है, इस संस्कारों ने मुझे सजाया है और आज मैं देश की यहां बैठकर सेवा कर रहा हूं, इसका गौरवगान करने का अवसर कैसे आए।

अगर 77 में विद्या भारती का as a संगठन के रूप में उदय हुआ। इसका मतलब 50 साल पास में है। 50 साल मनाने की आप चर्चा करते ही होंगे, हो सकता है कि आपके कार्यक्रम में चलती हो होगी। क्या अगर हम 50 साल मनाने जा रहे हैं, Golden Jubilee Year मनाने जा रहे हैं तो हम ऐसे target तय कर सकते हैं जो पहले कभी नहीं हुए थे, जो कभी विद्या भारती के दायरे में नहीं थे ऐसे target बना सकते हैं। जो प्राचार्य हैं, उसके जिम्मे इस प्रकार का काम है, वो एक प्रकार से अपने स्कूल का branding करने का पूरा अगर मौका किसी के पास है तो प्राचार्य के पास है। हम वो लोग हैं जो इस बात को मानते हैं कि ज्ञान चारों दिशा से आने दो, हमने कभी ज्ञान के दरवाजे बंद नहीं किए हैं, हम कभी किसी के ज्ञान के प्रवाह से भयभीत नहीं हुए हैं, विचलित नहीं हुए हैं। क्या आज हम अपने आप को पूछें? क्या हम दुनिया के किसी भी कोने से उत्तम से उत्तम जो बातें हैं, उसको सुनने-समझने के लिए हमारा मन खुला है क्या? हम उसके साथ तालमेल कर-करके अपनी बात को अधिक sharpen कर सकते हैं क्या? क्योंकि वेदकाल से हमें ये तत्व ज्ञान तो मिला है क्या कि चारों तरफ से विचारों को आने दो, ज्ञान को आने दो। वेदकाल से हम कह रहे हैं। हम वो लोग हैं जो कहते हैं- “वसुदैव कुटुंबकम्” ।। वेदकाल से कह रहे हैं। अगर ये पूरा विश्व मेरा परिवार है तो कौन, क्या, कहां रहता है, कैसे रहता है, किस अवस्था में रहता है, क्या रंग है, वो मेरे लिए मतलब ही नहीं रखता है क्योंकि समग्र विश्व को मैंने परिवार माना है। मैं उस प्रकार से उसके जीवन के विकास में कोई भूमिका अदा कर सकता हूं, अगर मैं उसके जीवन के विकास में भूमिका अदा कर सकता हूं तो मुझे मेरे उस परिसर के माहौल को भी उसी प्रकार से बनाना पड़ेगा।

इन दिनों देश में और दुनिया में एक चर्चा चल रही है Climate change, Global warming, हमारे बच्चों को हम वृक्षारोपण, पौधे लगाना ये तो साल में एकाध बार कार्यक्रम करते हैं लेकिन क्या 12 हजार स्कूलों को एक मिशन बन सकता है, जो स्थानीय व्यवस्थाओं को कहे कि हमें, हमारी स्कूल 100 पेड़ गोद लेना चाहते हैं, हमें जगह दो हम 100 पेड़ इस नगर को दे देंगे, 5 साल में दे देंगे, हमारी ये contribution होगा। फायदा ये होगा हमारे सारे बच्चों को environment की शिक्षा अपने आप मिलेगी और समाज के साथ हमारा जुड़ना बहुत स्वाभाविक बनेगा। चाहे हमारा परिसर बड़ा हो, वहां करे नहीं तो जो व्यवस्था है, उसे हम मांगे कि हम आपको, हमें जगह दीजिए, हम 100 पेड़ लगाकर देना चाहते हैं आपको। हम समाज-जीवन में किस प्रकार से बदलाव लाएंगे। अभी सरकार की तरफ से एक अभियान चल रहा है बिजली बचाओ, क्या हमारे 32 लाख विद्यार्थी, ऊर्जा बचत के सबसे बड़े दूत बन सकते हैं क्या, उन 32 लाख विद्यार्थी कम से कम 10 परिवार में ऊर्जा बचत के लिए जाना, मिलना, समझाना, बात करना ये लगातार करते रहो, 10 परिवारों का वो leader बन सकते हैं बचपन में ही, आपके स्कूल का बच्चा बन सकता है। हम उसको ऐसा एक काम दे सकते हैं कि ताकि उसके जो संस्कार हैं कि भई तुझे तो ये देश का भला करना है तो भला करने की शुरुआत करने का कहीं तो शुरूआत करने पड़ेगा। LED बल्‍ब, देश के सौ बड़े शहर, अगर वो अपनी streat lights LED कर दे और अगर वे अपने घरों में जो बल्‍ब है वो LED बल्‍ब कर दे तो सिर्फ 100 शहरों में twenty thousand megawatt बिजली बच सकती है। 20 हजार मेगावॉट बिजली बचना, इससे बड़ी देशभक्‍ति क्‍या हो सकती है? लाखों करोड़ों की लागत से 20 हजार मेगावॉट बिजली बनेगी और चार साल-छह साल लगेगा और 20 हाजर मेगावॉट बिजली हम बनाते हैं तो गरीब के घर में बिजली पहुंचाना, एक बहुत बड़ा पुण्‍य का काम भी हमारे हाथ से हो जाता है। क्‍या हमारे विद्या भारती के 12 हजार स्‍कूलों में एलईडी बल्‍ब है क्‍या? LED बल्‍ब इसलिए नहीं कि वो सरकार का कार्यक्रम है, LED बल्‍ब इसलिए चाहिए कि आपका अपना बिजली का बिल आज 300 रुपए आता है तो हो सकता है कि वो 200 रुपए आना शुरू हो जाए। तो 100 रुपए विद्या भारती का तो बचना ही बचना है। मैंने तो कभी विद्या भारती को donation नहीं दिया, लेकिन ये दे सकता हूं मैं।

मेरे कहने का तात्‍पर्य यह है कि अब जैसा मैंने देखा, आपने फिल्‍म में बताया कि बालकों को संस्‍कार हो रहे हैं, वो कूड़ा-कचरा उठा रहे हैं, सफाई का काम कर रहे हैं। स्‍वच्‍छता एक स्‍वभाव बनाने की आवश्‍यकता है। Health reports कहते हैं कि अनेक देश ऐसे हैं, खासकर कि ये developing countries, जहां बालकों की जो मृत्‍यु होती है, उन बालकों की मृत्‍यु के 40 प्रतिशत बालक हाथ धोए बिना खाने की आदत के कारण मरते हैं। क्‍या हमारे 32 लाख विद्यार्थी अपने अड़ोस-पड़ोस में, साथियों में, मोहल्‍ले में इस बात के लिए leader बन सकते हैं कि कोई बालक ऐसा नहीं होगा कि जो हाथ धोए बिना कोई चीज खाता है। वे अपने आप में एक एजेंट बन सकते हैं। Change के एजेंट बन सकते हैं।

और इसलिए विद्या भारती ने जो ये इतना बड़ा आंदोलन खड़ा किया है जिसमें संस्‍कार सर्वोपरि है। जिसमें देशभक्‍ति लबालब भरी हुई है। जिसकी वाणी में, वर्तन में, उपदेश में, सिद्धांतों में सादगी सहज है। ये ऐसी चीजे हैं जो आज सहजता से प्राप्‍त नहीं है। जो आपने 50 साल की लंबी तपस्‍या से इसे कमाया है। लेकिन वो पूंजी आपकी नहीं है, वो पूंजी देश की है और वो पूंजी देश की तब बनती है जब आप अपने दायरे से बाहर उसको फैलाना शुरू करेंगे।

आज समय की मांग है, माहौल भी ऐसा है कि देश का सामान्‍य मानविकी भी इस बदलाव के लिए हमारी अपेक्षा करता है और अब विद्या भारती ने यह तो तय करे 12 हजार में से हर राज्‍य में एक उस राज्‍य के सबसे टॉप स्‍कूल में convert कर सकते हैं। 12 हजार की 15 हजार नहीं होगी तो चलेगा, लेकिन 12 हजार में हर राज्‍य का एक स्‍कूल, state की टॉप स्‍कूल बन जाती है। आप देखिए इस संस्‍कार नाम के व्‍यक्‍ति की ताकत कितनी बन जाती है।

मैं जब गुजरात में था तो जो आईएस अफसर आते थे, आईपीएस अफसर आते थे, तो नए लोगों में कुछ में बड़ा बदलाव दिखता था। उनकी बातचीत करने के तरीके, काम करने के तरीके। तो मेरे मन में कुछ होता था तो मैं धीरे से कभी पूछ लेता था कि कहां पढ़े थे? और मैं अनुभव करता था कि वो ज्‍यादातर विद्या भारती से आते थे। वो आईएस बना है, आईपीएस बना है लेकिन मैंने देखा है कि उसकी प्राथमिकता सामान्‍य मानविकी की समस्‍या है। उसके प्रति उसका लगाव रहता था, वो सजग रहता था क्‍योंकि जिस स्‍कूल से वो पढ़कर निकला, वहां उसने दिन-रात यही सुना है। अब यह छोटी सेवा नहीं है। यह बहुत बड़ी सेवा है कि आप ऐसे व्‍यक्‍तियों को तैयार कर रहे हो जो गरीब के प्रति इतने संवेदनशील है। समाज के प्रति इतने संवेदनशील है। हम इस बात का कभी गर्व अनुभव करते हैं क्‍या?

क्‍या जब हम 50 साल मनाए तब, विद्या भारती Alumni इकट्ठा कर सकते हैं? पूरी दुनिया भर में कहां-कहां पहुंचे होंगे आपके विद्यार्थी, कई तो रिटायर्ड भी हो चुके होंगे। उन सबका एक डिजिटल र्रेकोर्द तैयार करना चाहिए, मुझे और भी लगता है कि विद्या भारती का अपना डिजिटल नेटवर्क होना चाहिए। 50 साल में आपके यहां जितने बच्‍चे पढ़कर के गए हैं, उन सबका डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना चाहिए और यह व्‍यवस्‍था आज के युग में बहुत आवश्‍यक है। अगर भाई जी एक संदेश भेजे तो सुबह आपके डेढ़ लाख टीचर के मोबाइल फोन पर वो संदेश क्‍यों न आए? कोई टीचर ऐसा नहीं होगा जिसके पास मोबाइल फोन न हो।

कहने का हमारा यह तात्‍पर्य है कि टैक्‍नोलॉजी। मैं जानता हूं विद्या भारती ने कई वर्ष इस विषय पर लगाए थे, लेकिन अब हमने स्‍वीकार किया है, टैक्‍नोलॉजी का माहात्मय क्‍या है। आप इससे बच नहीं सकते। अब जो है, उसको हम अवसर में कैसे पलटे? टैक्‍नोलॉजी अपने आप में एक बहुत बड़ी ताकत है। वो मनुष्‍य की विधा को खत्‍म करने वाला षडयंत्र नहीं है। विज्ञान और टैक्‍नोलॉजी से दूरी हमारी विकास यात्रा को रोक देती है। हमें बदलाव स्‍वीकार करना होगा। हम टैक्‍नोलॉजी को जितना ज्‍यादा उपयोग में ला सकते हैं, लाने का प्रयास करना चाहिए। आपने विद्या भारती का वर्णन आधा घंटा मेरे सामने किया होता कि विद्या भारती क्‍या कर रही है और आपने तीन मिनट में फिल्‍म बताई। दोनों में इतना फर्क होता है कि मुझे तुरंत समझ आ गया है कि विद्या भारती क्‍या कर रही है। आधा घंटा भाषण किया होता तो नहीं समझ आता।

यह उदाहरण है साहब, इस टैक्‍नोलॉजी से संभव हुआ। यह बहुत आवश्‍यक है कि विद्या भारती जैसा संगठन, उसकी अपनी यह ताकत हर स्‍कूल में हर दिन एक ऐसी सकारात्‍मक घटना घटती होगी। विद्यार्थी के कारण, आचार्य के कारण, विद्यार्थी के अभिभावकों के कारण, जो समाज गर्व महसूस करे। क्‍या यह हम टैक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से, आपके सभी 12 हजार स्‍कूलों में एक घंटे में पहुंचा नहीं सकते क्‍या? पहुंचा सकते हैं।

सकारात्‍मक माहौल को spread करने के लिए यह टैक्‍नोलॉजी से बढ़िया कोई आज माध्‍यम नहीं है। नकारात्‍मकता के लिए तो सारी दुनिया पड़ी है, लेकिन कोई तो हो जो सकारात्‍मकता के लिए अपने आप को खपा दे और ये आप लोगों के द्वारा संभव है।

शिक्षा और संस्‍कार, मैं नहीं मानता हूं कि यह अभिभावकों का विषय है और संस्‍कार की मेरी बड़ी simple definition है – प्रयत्‍नपूर्वक की हुई, develop की गई अच्‍छी आदत। वो संस्‍कार है और क्‍या है? और इसलिए आपके पास उस आयु के बच्‍चे होते है, जिसमें ऐसी आदतें विकसित होती है जो अपने आप में संस्‍कार बन जाती है। जिसके कारण संभव जीवन, यह विद्या भारती का स्‍वभाव है। सामूहिकता को महत्‍व दिया जाता है। यह अपने आप में आज के युग में बहुत बड़ी आवश्‍यकता है, वरना हर कोई एक Island बनता चला जा रहा है। अगर इंसान Island बन जाएगा तो क्‍या हो जाएगा? सामूहिकता बहुत आवश्‍यक है। सामान्‍य रूप से समाज जीवन में सामूहिकता से दूर जाने की आदत लगती जा रही है। बस में जाता था, मेट्रो में जाता था, धीरे-धीरे कार में जाना पसंद करता था, उसका मूल एक कारण यह है कि भीड़ में नहीं, कुछ अकेला। विद्या भारती की कोशिश ऐसी रही, भीड़ में रहो, भीड़ के साथ चलो और देखो जिन्‍दगी का आनन्‍द क्‍या होता है। यह बहुत बड़े संस्‍कार है। इसको हम ताकत के रूप में कैसे उपयोग करेंगे?

हमारे शिक्षा और संस्‍कार, संस्‍कार सिर्फ हम यह कहे कि हम यह गीत गाए तो संस्‍कार है, हम यह उदाहरण दे तो संस्‍कार है। जरूरी नहीं है, हम दुनिया के किसी भी कोने की बात कर करके भी संस्‍कारित कर सकते हैं और उसका अपना एक सामर्थ्‍य होता है। तब जाकर के हमारे लोगों की बोलचाल की परिभाषा की व्‍यापक बनेगी। हमारी बोलचाल की जो dictionary है वो हजार, 1200 वाली है। वो हमारी dictionary को हम एक लाख शब्‍दों वाली कैसे बना सकते हैं? हमारी बोलचाल की dictionary अगर बढ़ती चली जाती है, उसका विस्‍तार होता है तो समाज के अन्‍य लोग जो भाषा समझते है, उस भाषा में हम उनको convey कर सकते हैं। उसकी बात को हम समझ सकते हैं।

एकल विद्यालय का अभियान, बहुत कम लोगों को अंदाजा होगा कि 50-52 हजार एकल विद्यालय कुल-मिलाकर के, विद्या भारती से अलग बाकी लोगों के द्वारा चल रहे हैं। दूर-सुदूर जहां शिक्षक जाने को तैयार नहीं, जहां सरकार पहुंचने को तैयार नहीं, वहां पर एकल विद्यालय जाकर के काम कर रहा है। समाज जीवन में बदलाव ला रहा है। बहुत लोग होते हैं जो जीवन में सिर्फ एक अवसर ढूंढते हैं, कुछ चाहते हैं। यह अवसर देने का काम और ज्‍यादातर विद्या भारती का काम गरीब बस्‍तियों में शुरू हुए, समाज के दबे-कुचले लोगों के बीच में शुरू हुए हैं। लेकिन शिक्षा के द्वारा उनके जीवन में परिवर्तन लाने का प्रयास हुआ है। और उस अर्थ में विद्या भारती ने बहुत बड़ी सेवा की है। आप सब के माध्‍यम से देश की अपेक्षाएं भी बहुत हैं। आप सभी प्राचार्य, आपके यहां जो शिक्षा उत्‍तम चलती होगी तो उसका तो एक बराबर mechanism बन गया होगा, लेकिन आपका अपना स्‍कूल, जिसको आप संभाल रहे है वो टॉप पर आए कैसे? उस पर आप लक्ष्‍य दे, यही मेरी अपेक्षा है।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

 

 

Explore More
140 crore Indians have taken a collective resolve to build a Viksit Bharat: PM Modi on Independence Day

Popular Speeches

140 crore Indians have taken a collective resolve to build a Viksit Bharat: PM Modi on Independence Day
Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait

Media Coverage

Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Prime Minister Narendra Modi to attend Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 22, 2024
PM to interact with prominent leaders from the Christian community including Cardinals and Bishops
First such instance that a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India

Prime Minister Shri Narendra Modi will attend the Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) at the CBCI Centre premises, New Delhi at 6:30 PM on 23rd December.

Prime Minister will interact with key leaders from the Christian community, including Cardinals, Bishops and prominent lay leaders of the Church.

This is the first time a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India.

Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) was established in 1944 and is the body which works closest with all the Catholics across India.