One mission, one direction, is our mantra: PM Modi
BJP’s ‘Sankalp Patra’ lays the strong foundation of an India when the country marks 100 years of independence in 2047: PM Modi
Our Sankalp Patra presents our vision of good governance, it highlights our focus on national security and nation’s prosperity: PM Modi

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी, मंच पर विराजमान पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण और मीडिया के सभी साथी।

सबसे पहले तो हमारे पूर्व के वक्ताओं ने जो बातें रखी हैं उन सब के नीचे मैं अपना सिग्नेचर कर देता हूं और इसलिए रिपीट करने की जरूरत ना पड़े। मैं आज इस इतने बड़े मीडिया का समूह है तो आप का भी देशवासियों का गत पांच वर्ष में जो सहयोग मिला, समर्थन मिला और ये जन सहयोग का ही कारण है की हम इस कार्य को सफलतापूर्वक कर पाए और इसके लिए मैं देशवासियों का, आप सब का हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। ये स्वाभाविक है की चुनाव के पहले हर दल अपनी बात लेकर के आती है लेकिन राजनाथ जी के नेतृत्व में हमारे अध्यक्ष जी ने कमेटी बनाई थी उसने पिछले 2-3 महीने लगातार मेहनत की और एक प्रकार से जन के मन की बात, उनकी आशा, अपेक्षा, आकांक्षाओं को सुनना, समझना और एक डॉक्यूमेंट में भले सब ना आ जाए लेकिन उसकी मूलभूत बातों को पकड़कर आगे चलने की ये जो मेहनत की है इस टीम ने, मैं इस टीम को बहुत-बहुत हृदय से बधाई देता हूं। शायद हिंदुस्तान में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में, सरकार किन बातों को लेकर आगे काम करे। जनता को इतनी बड़ी मात्रा में विचार-विमर्श हुआ है, ये हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार हुआ है और ये लोकतंत्र का सच्चा स्पीरिट है और इसको हमने आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। आपने देखा होगा की मेनिफेस्टो में 3 प्रमुख बातों का उल्लेख किया गया है और उसी के आस-पास हमारा ये पूरा डॉक्यूमेंट तैयार हुआ है। राष्ट्रवाद, ये हमारी प्रेरणा है, अन्त्योदय, ये हमारा दर्शन है और सुशासन ये हमारा मंत्र है। इस पूरी, जो रचना है उसमें एक, आमतौर पर ये मेनिफेस्टो 2024 के लिए है लेकिन जनता हमारा हिसाब ढंग से मांग सके इसलिए पहली बार हमने साहस किया है की इंट्रिम भी हमारा हिसाब लिया जाए और वो है 2022।

आजादी के 75 साल होंगे तब तक हमने, देश के महापुरुषों ने, जिन सपनों को लेकर आजादी की जंग की थी, आजादी के लिए बलिदान दिए थे। जब आजादी के 75 साल होंगे तब हम उनके सपनों का भारत समर्पित करने की दिशा में कुछ अहम काम कर लें, पूरा कर लें। इस उद्देश्य से 75 वर्ष, 75 लक्ष्य, 75 निश्चित कदम हमने तय किए हैं। ये अपने-आप में टाइम बाउंड, वेल डिफाइन, शायद ही कोई घोषणापत्र में या संकल्प पत्र में आप पहली बार देख पाते होंगे। उसी के साथ-साथ हम सब, जब इस मेनिफेस्टो को लेकर के आए हैं तो साफ है हमारे मन में वन मिशन-वन डॉयरेक्शन। हम देश को समृद्ध बनाने के लिए, सामान्य मानवी के सशक्तिकरण को लेकर के जन भागीदारी को बढ़ाते हुए, लोकतांत्रिक मूल्यों को महत्व देते हुए और सरकार की सबसे बड़ी कसौटी ये नहीं होती है की आपने क्या किया। सरकार की सबसे बड़ी कसौटी है लास्ट माइल डिलिवरी की और इसलिए वन मिशन-वन डॉयरेक्शन लेकर आगे बढ़ने का हमारा निर्धारित मंत्र है। उसी प्रकार से हमारे समाज में विविधताएं हैं। भाषा की भी विविधता है, जीवन की भी विविधता है, शिक्षा में भी विविधता है, जीवनशैली में भी विविधता है और इसलिए एक ही डंडे से सब को हांका नहीं जा सकता और इसलिए विकास को हमने मल्टीलेयर बनाने की दिशा में, इसमें हमने समाहित करने की पूरी कोशिश की है। गांव हो, शहर हो, अगड़ा हो, पिछड़ा हो, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, आदिवासी हो, पुरुष हो, महिला हो, जवान हो, सीनियर सिटिजन हो हर एक को एक प्रकार से मल्टीलेयर, हमने सब को एड्रेस करने की कोशिश की है। दूसरा हमने प्रयास किया है मल्टीडॉयमेंशनल, जैसी जहां व्यवस्था, वैसे हम वहां आगे बढ़ना चाहते हैं।

एक ही सांचे में, एक ही ढांचे में, एक ही खांचे में चीजों को समाहित करके हम परिणाम नहीं ला सकते। राजनीति चल सकती है लेकिन देश नीति चलाने के लिए, देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें मल्टीडॉयमेंशन लेवल पर काम करना होता है, उसको हमने इसमें लेने का पूरा प्रयास किया है। अब उदाहरण के लिए आने वाले दिनों में भारत के सामने जो कुछ कठिनाइयां नजर आ रही हैं, जैसे पानी, खासकर की आज जब मैं तमिलनाडु की गहराई में जाता हूं तो ध्यान में आता है की आने वाले दिन कितने संकट वाले जा सकते हैं। राजस्थान, गुजरात जैसे प्रदेश सदियों से पानी के अभाव में जिए हैं उन्होंने अपने रास्ते खोजे हैं लेकिन आज भी देश के कई प्रदेश हैं उनके लिए भारत सरकार ने गंभीरता से सोच कर के समस्याओं का समाधान करना होगा, एक लंबी योजना से करना होगा। इसलिए हमने सोचा है की देश में पहली बार…।

जल की बात करता हूं तो जल भी पी लेता हूं।

हम एक अलग जल-शक्ति मंत्रालय बनाएंगे, हमने इस बजट में मछुआरों के लिए और कोस्टल एरिया में ही मछुआरे भाई-बहन हैं, ऐसा नहीं है। हमारे देश की नदी तट की संस्कृति में मछुआरे एक बहुत बड़ी इकोनॉमिकल एक्टिविटी का साधन भी रहे हैं और इसलिए हमने इस बजट में मछुआरों के लिए एक अलग मंत्रालय की बात बजट में कही थी। हम आने वाले दिनों में जल-शक्ति, एक अलग मंत्रालय बनाएंगे। नदियों का ऑप्टिमम युटिलाइजेशन कैसे हो, कोई हैंडपम्प लगाए और चुनाव जीत जाते थे, वो एक जमाना था लेकिन अब माताओं-बहनों को पानी की दिक्कत से मुक्त करके नल से जल कैसे पहुंचाएं, इस पर हम काम करना चाहते हैं।

हम पानी के संबंध में एक स्पेशल टास्क फोर्स, एक मिशन मोड में रचना करके, उसको हम एक बहुत बड़ा बल देकर के काम करना चाहते हैं और खासकर की, मैं तो तमिलनाडु के लोगों से मिला था। ये विचार हमारे मन में कई छोटे-छोटे इलाकों से, दूर-सुदूर लोगों ने हमें जो मन की बात भेजी, इसमें आया है और उसको लेकर के हमने इसका महत्व समझा है और उसको हम आगे लेकर जाना चाहते हैं। हम लोगों ने 2014 से 2019, हमारे सारे कामों को देखेंगे, ये बात सही है कि कोई भी सरकार होती है बहुत लोगों को बुरा लगता है क्योंकि उससे कुछ लोगों के जो मूल एजेंडा हैं उसको तकलीफ होती है। लेकिन ये सही है कि गई हुई सरकार और हमारी सरकार का मूल्यांकन तथ्यों के आधार पर होना चाहिए और 2014 से 2019 अगर एक शब्द में कहना है तो हमारे सभी कार्यों की रचना के मूल में सामान्य मानवी की जो आवश्यकताएं हैं उसको एड्रेस करें। हमारे सारे कामों को, उसको हमने बल दिया लेकिन देश जिस उमंग, उत्साह, सपनों के साथ चल पड़ा है जो काम 50-55-60 के कालखंड में होना चाहिए था वो मुझे 2014 से 19 के बीच में करना पड़ा है। लेकिन उसके अनुभव के आधार पर, उस सफलता के आधार पर इस बार, हमने पहले आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर के शासन चलाया। अब सामान्य मानवी की आकांक्षाओं को लेकर के हम क्या कर सकते हैं, उसको घोषणापत्र में लेकर के आए हैं। आवश्यकताओं की पूर्ति, अपने आप नई-नई आकांक्षाएं जगाती है।

आपने देखा होगा, हमने हिंदुस्तान का एक मैंपिंग किया, सब डिस्ट्रिक्ट का और देश में करीब 150 डिस्ट्रिक्ट ऐसे निकाले कि जहां मिनिमम कुछ चीजों पर और बल देने की आवश्यकता है। हमने एस्परेश्नल डिस्ट्रिक्ट स्ट्रैटिजी वर्कऑउट पर काम किया। हमने तय किया की पश्चिम भारत और पूर्वी भारत दोनों बराबरी कैसे करें, पूर्वी भारत को बल कैसे दें और उसमें हम काफी-कुछ आवश्यकताओं को एड्रेस कर पाए हैं, अब आकांक्षाओं को एड्रेस करने की दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। एक समग्रतय: भारत के विकास को लेकर के हम आगे बढ़ने के लिए चलते आए हैं। एक और विषय हमने लिया है, आजादी का आंदोलन देश में, सैकड़ों साल की गुलामी के दरमियान कोई वर्ष ऐसा नहीं रहा है, हिंदुस्तान का कोई ना कोई कोना आजादी के लिए लड़ाई लड़ता रहा है। सैकड़ों सालों तक हर वर्ष कहीं ना कहीं बलिदानियों की परंपरा रही है लेकिन आजादी को जब महात्मा गांधी ने जन आंदोलन बना दिया तो उसने बहुत बड़ी ताकत पाई।

जैसे आजादी पाने में जन आंदोलन एक बहुत बड़ा सशक्त माध्यम बना कोई सफाई करता है तो आजादी के लिए, कोई शिक्षक का काम करता है आजादी के लिए, कोई खादी कपड़े पहनता है तो आजादी के लिए, गांधी जी ने उसको बहुत बड़ा एक व्यापक रूप दे दिया था। भारत को भी विकास के लिए विकास को जन आंदोलन बनाना है और एक सफल प्रयोग आप देख सकते हैं स्वच्छता। हमारे देश में पहले हम गंदगी की चर्चा करते थे, गंदगी के विषय में हर बार खबरें भी आती थी, बातें भी आती थी, ये सब होता था लेकिन पिछले पांच साल से स्वच्छता की चर्चा हो रही है, इसका मतलब ये नहीं की गंदगी खत्म हो गई थी लेकिन स्वच्छता की चर्चा करते-करते हमने गंदगी को एड्रेस किया, यानी पॉजिटिव थिंकिग को बढ़ाते-बढ़ाते निगेटिविटी को खत्म किया और इसमें मुझे देश के सभी मीडिया हाउस की मदद मिली, मैं आज उनका आभार व्यक्त करना चाहता हूं।

देश की युवा पीढ़ी की मदद मिली और वो एक जन आंदोलन बन गया। स्वच्छता के लिए कोई सरकार अपने खाते में सफलता का दावा नहीं कर सकती है। जब जन-आंदोलन बनता है तो इतनी बड़ी सफलता मिलती है और इसलिए हम विकास को जन-आंदोलन बनाने की दिशा में केंद्रित विचार लेकर चलना चाहते हैं। ये भी सही है कि आखिरकार गरीबी से लड़ना है तो पचास साल के सारे प्रयोगों ने बताया है कि दिल्ली के एयर कंडिशन में बैठे लोग गरीबी को परास्त नहीं कर सकते हैं। हम लोग भी एयर कंडिशन कमरों में बैठते हैं इसलिए मैं ये किसी और के लिए नहीं कह रहा हूं। गरीब ही गरीबी को परास्त कर सकता है, ये हमारा मंत्र है और इसलिए इंपॉवरमेंट ऑफ पुअर। अब जब हम गरीब को घर देते हैं तो उसकी आवश्यकता पूरी होती है, नए एस्पिरेशन जगते हैं और वो उसके लिए सोचता है। अब घर मिला है तो कर्टन के लिए थोड़े पैसे बचाओ, वो सोचता है मेहमान आएंगे तो दो चेयर के लिए पैसे बचाओ। उसका दिमाग बदलना शुरू हो जाता है, चीजें मैं छोटी बता रहा हूं लेकिन मैं धरती का इंसान हूं इसलिए बदलाव को बहुत बारीकी से देख पाता हूं और इसलिए इंपॉवरमेंट के लिए हमने बल दिया है। दूसरा, हमारे देश में सोच बना दी गई कि जनता को कुछ भी दो कम पड़ता है, ये मैं समझता हूं कि देशवासियों का अपमान है हमारा देश ऐसा नहीं है। एक बार लाल किले से मैंने कहा था की जो संभव हो अपनी गैस सब्सिडी क्यों नहीं छोड़ते और मेरा देश गर्व के साथ कह सकता है, सवा सौ करोड़ परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी।

हमने रेलवे के रिजर्वेश के फार्म में लिखा था कि आप सीनियर सिटिजन हैं, आप रेलवे यात्रा में कुछ भी पाने के हकदार हैं, सब्सिडी पाने के हकदार हैं लेकिन अगर आपकी आर्थिक स्थिति ऐसी है कि आपको जरूरत नहीं है तो आप इसको छोड़ सकें तो अच्छा होगा, छोटा सा वाक्य उस रिजर्वेशन फार्म में लिखा है। आप हैरान रह जाएंगे, मेरे देश के 50 हजार से ज्यादा सीनियर सिटिजन ने सब्सिडी लेने से मना कर दिया और पूरी टिकट से ट्रैवलिंग किया। देश के अंदर ये जो ताकत है हम उसे एड्रेस करना चाहते हैं, हम इसको बल देना चाहते हैं, हम नागरिक पर भरोसा करना चाहते हैं। हम देश को ही बढ़ा नहीं बनाना चाहते हैं हिंदुस्तान के 130 करोड़ लोग भी देश को बड़ा बनाना चाहते हैं। इसलिए हमने हमारी सारी योजनाओं में नागरिकों की शक्ति के विकास का आधार मानने का इस पत्र में हमारे कार्यक्रमों के केंद्र बिन्दु में दिखेगा।

हमारे देश में भ्रष्टाचार की चर्चा बहुत हुई है, शासकीय व्यवस्था में हमने भ्रष्टाचार को कंट्रोल करने में हमने बहुत सफलता पाई है। गुड गवर्नेंस, ईजी गवर्नेंस, ट्रांसफर एण्ड गवर्नेंस, अकांउटेबल गवर्नेंस, रिस्पांसिबल गवर्नेंस इन सारी बातों पर बल देते हुए शासन व्यवस्था में हमने कई रिफार्म किए हैं। हमने कई अधिकार बहुत नीचे तक दे दिए हैं क्योंकि एकांउटेबिलिटी बढ़ रहा है लेकिन टेक्नोलॉजी ने बहुत बड़ी मदद की है ट्रांसपरेंसी में चाहे जन-धन आधार और हमारी जैम योजना हो या ई-मार्केटिंग का हमारा प्रयास हो, बहुत बड़ी सफलता मिली है। इन चीजों को हम नीचे तक सर्क्यूलेट करना चाहते हैं और उसको हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

किसान के लिए पेंशन की बात हो, खेत मजदूर के लिए पेंशन, इस एक बहुत बड़े कदम की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं ताकि वो एक अश्योर्ड जिंदगी जीने के लिए, अपने परिवार के साथ काम करने के लिए सफलता से आगे बढ़ेगा। ऐसे अनेक विषयों की चर्चा आज यहां पर हमारे साथियों ने की है लेकिन मैंने पहले ही कहा सभी क्षेत्रों में जब हम बात कर रहे हैं तब ये हमारा संकल्प पत्र, ये सुशासन पत्र भी है। ये हमारा संकल्प पत्र राष्ट्र की सुरक्षा का पत्र भी है। ये हमारा संकल्प पत्र राष्ट्र की समृद्धि का पत्र भी है। इन सारी बातों के साथ, आपको याद होगा कि हम 90 के दशक में बार-बार सुनते थे, इक्कीसवीं सदी आ रही है लेकिन देश को उसके लिए तैयार करने में हमने मौका गंवा दिया। 21वीं सदी एक नारा बन गया, चुनाव में बोला जाता था, चर्चा होती थी। 21वीं सदी में हम दो दशकों को पार कर के पहुंचे हैं। 2022 आजादी के 75 साल हैं और कुछ ऐसे ऐतिहासिक पल होते हैं जो प्रेरणा के लिए बहुत बड़ी ताकत रखते हैं। अगर गांधी 150 तो अपने आप में स्वच्छता का एक बड़ा कारण बन सकते हैं, आजादी के 75 साल प्रेरणा का कारण बन सकते हैं।

अब हम सुनते हैं कि 21वीं सदी एशिया की सदी है, अगर 21वीं सदी एशिया की सदी है तो भारत उसको लीड करे या ना करे। करना चाहिए या नहीं करना चाहिए, कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं? हमारा संकल्प पत्र है हम संकल्प के साथ चलते है की जब हिंदुस्तान की आजादी के 100 साल होंगे, 2047। आजादी के 100 साल हों तब देश डेवलपिंग कंट्री से डेवलप्ड कंट्री की ऊंचाई को कैसे पार करे। ऐसी बहुत सी बातें कह सकते हैं हम लेकिन मैं 2047 की ओर नहीं ले जा रहा हूं आपको, लेकिन 2047 का जो मजबूत फाउंडेशन है 2019 से 2024 में रखना होगा। 2019-24 से मजबूत फाउंडेशन के आधार पर ही 2047 आजादी के सौ साल, वो हिंदुस्तान के हर नागरिक का सपना बने, मास मूवमेंट बने, हमें देश को वहां ले जाना है। और एक बार हम ये मिजाज पैदा कर देते हैं, हमने घोषणापत्र में इस बात का इशारा किया, विस्तार नहीं किया है, लेकिन हमने जो विस्तार किया है वो इन पांच सालों के लिए किया है। उसमें हमने 2022 देश की आजादी के 75 साल को देश के सामने, हमने खुद को कठघरे में खड़ा करके अकांउटेबिलिटी के लिए प्रस्तुत किया है। ये अपने आप में बहुत बड़ा हमारा निर्णय है। देश भ्रष्टाचार को सहने के लिए तैयार नहीं है।

कानून, नियम की व्यवस्थाएं हों, हमारा अप्रोच हो और हम ईमानदारी को बल देते हुए, ईमानदारी की प्रतिष्ठा को बढ़ाते हुए, भ्रष्टाचार से मुक्ति की दिशा में जाना चाहते हैं। हमने देखा कि 19वीं शताब्दी में हमारे देश में जो सामाजिक बुराइयां आई थीं, बहुत बड़ी मात्रा में बुराइयों ने समाज को जकड़ लिया था। उस समय के नेतृत्व ने एक तरफ आजादी का जंग चल रहा था लेकिन 19वीं शताब्दी में ज्यादातर सामाजिक सुधार के अभियान हुए, बड़ी हिम्मत के साथ हमारे देश के अनेक महापुरुष निकले और उन्होंने किया। आज समय की मांग है की खासकर के हमारी राजनीतिक व्यवस्था में, शासकीय व्यवस्था में जो बुराइयां घर कर गई हैं। 19वीं शताब्दी में सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जिस प्रकार से एक जन-चेतना का आंदोलन चला, आने वाले दिनों में एक निश्चित फ्रेम वर्क की व्यवस्थाओं के भीतर इस प्रकार की जो बुराइयां घुस गई हैं उसके खिलाफ कदम भी लेने हैं, नीतियां भी बनानी हैं, निर्णय भी करने हैं लेकिन जन सामान्य का दबाव भी बढ़ाना है, एक जन आंदोलन भी करना है, सुधार के संकल्प की ओर जाना है। उस दिशा में भी एक सकारात्मक विचार को ले जा कर के हम देश को आगे ले जाने का प्रयास करते हैं।

गांव, गरीब, किसान हमारे इस केंद्र में हैं, देश के नौजवान, वो आने वाले पांच साल में 2047 का भविष्य तय करने वाले हैं और इसलिए देश के नौजवानों की उस प्रकार से परवरिश हो, देश के नौजवानों के लिए उस प्रकार के अवसर। जिसमें हम कहें, 100 लाख करोड़ रुपए का इनवेंस्टमेंट, एग्रीकल्चर में 25 लाख करोड़ का इनवेस्टमेंट, ये अपने आप में बहुत ऊंचे लक्ष्य लेकर के हम चल रहे हैं। जो पूरी व्यवस्था को, आर्थिक आधार को, एक नई ताकत देंगे और एक ऐसा परिवेश जो हिंदुस्तान को पांच साल में ऐसी परिस्थिति में ला देना है ताकि वो 2047 का आकांक्षाओं को अपना सपना बना ले और सपना बना कर के उस दिशा में सरकारें आगे बढ़ें। उस बात को लेकर के एक फाउंडेशन का काम भी हम इसके साथ-साथ करेंगे, आकांक्षाओं को पूरा करने का सपना लेकर के हम आगे बढ़ रहे हैं। मैं फिर एक बार संकल्प पत्र की रचना में जिस टीम ने काम किया है उनका अभिनंदन करता हूं। मैं बारीकी में, छोटे-छोटे प्रोग्राम की रचना में नहीं गया हूं। एक मूलत: राष्ट्र को आगे किस दिशा में जाना चाहिए, बैक ऑफ द माइंड मेरे मन में क्या विचार रहते हैं उसको मैंने अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। मैं फिर एक बार आप सबने जो कुछ भी सहयोग दिया है उसके लिए आपका धन्यवाद करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं, धन्यवाद।

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Under Rozgar Mela, PM to distribute more than 71,000 appointment letters to newly appointed recruits
December 22, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will distribute more than 71,000 appointment letters to newly appointed recruits on 23rd December at around 10:30 AM through video conferencing. He will also address the gathering on the occasion.

Rozgar Mela is a step towards fulfilment of the commitment of the Prime Minister to accord highest priority to employment generation. It will provide meaningful opportunities to the youth for their participation in nation building and self empowerment.

Rozgar Mela will be held at 45 locations across the country. The recruitments are taking place for various Ministries and Departments of the Central Government. The new recruits, selected from across the country will be joining various Ministries/Departments including Ministry of Home Affairs, Department of Posts, Department of Higher Education, Ministry of Health and Family Welfare, Department of Financial Services, among others.