All wrong doings of SP, BSP & Congress have been exposed after demonetisation: PM Modi
Those who have looted the country for several years would not go unpunished: PM
Education system in Uttar Pradesh is gripped in corruption and crime: PM Modi
Our Government would not tolerate wrong doings by SP, BSP with the farmers of UP: PM
Congress party never respected armed forces. They did not even take note of troubles our ex-servicemen faced: PM
Discrimination between rich & poor must end: PM Narendra Modi

भारत माता की जय। मंच पर विराजमान गोंडा श्रीमान पीयूष मिश्र जी, राष्ट्रीय सचिव श्रीमान महेंद्र सिंह जी, सांसद में मेरे साथी श्री विभीषण शरण सिंह जी, सांसद में मेरे साथी श्रीमान गजेंद्र सिंह जी, सांसद में मेरे साथी, श्रीमान कीर्तिवर्धन सिंह जी, श्रीमान पुरुषोत्तम खंडेलवाल जी, हमारे वरिष्ठ नेता श्रीमान सत्यदेव सिंह जी, बलरामपुर के जिलाध्यक्ष राकेश सिंह, शेषनारायण जी, ब्रजबहादुर जी, अल्का मिश्रा जी, विधायक श्रीमान अवधेश कुमार जी, श्रीमान तुलसीराय चंदानी जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गोंडा से हमारे युवा साथी, श्रीमान प्रतिभूषण जी, कटरा बाजार से श्रीमान बावन सिंह जी, मेहनौन से श्रीमान विनय द्विवेदी जी, करनैलगंज से श्रीमान अजय प्रताप सिंह, तरबगंज से श्रीमान प्रेमनारायण पांडे जी, उतरौला से श्रीमान रामप्रसाद वर्मा जी, मनकापुर से श्रीमान रमापति शास्त्री जी, गौरा से श्रीमान प्रभात कुमार वर्मा जी, तुलसीपुर से श्रीमान कैलाशनाथ शुक्ला जी, मेरे साथ बोलें भारत माता की जय। भारत माता की जय।

विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे भाइयों और बहनों।

मैं इधर-उधर चारों तरफ देख रहा हूं, मैं सोच रहा हूं, कि कितने दूर-दूर तक लोग खड़े हैं। उधर दूर इमारत पर देखो, उधर दूर सफेद इमारत पर पूरी छत भरी हुई है। भाइयों-बहनों। ये भारत का सीमावर्ती जिला शायद हिंदुस्तान के और कोने में या दिल्ली में एयर कंडीशन कमरों में बैठकरके राजनीति पर चर्चा करने वालों को अंदाज नहीं होगा कि ये कैसी आंधी चल रही है।

भाइयों-बहनों।

हमारे देश के सामान्य व्यक्ति इसकी सूझ-बूझ लोकतंत्र के प्रति उसकी श्रद्धा, चाहे वो पढ़े-लिखे हों या न हों, स्कूल का दरवाजा भी देखा हो या न देखा हो, घर में कभी टीवी, रेडियो या अखबार आया हो या न आया हो, लेकिन भगवान शिव की तरह हिंदुस्तान के लोगों में एक तीसरा नेत्र होता है और उस तीसरे नेत्र से वो भलीभांति परख लेते हैं। सच क्या है? झूठ क्या है? सही क्या है? गलत क्या है? कौन रास्ता सही है? कौन रास्ता गलत है? ये मेरे देश का गरीब से गरीब इंसान से बहुत खूबी से समझ लेता है। भाइयों-बहनों हमारे देश में झूठ-मूठ आरोप लगाने वालों की कमी नहीं है। अनाप-शनाप बयानबाजी करने वालों की कमी नहीं है। हर दिन नया झूठ बोलने में माहिर लोगों की कमी नहीं है। झूठ फैलाना उसका भरपूर प्रयास भी होता है और अगर उस झूठ को सुनें, रोज चल रही झूठी बातों को देखे तो कोई भी इंसान डर जाएगा।

भाइयों-बहनों।

उसके बावजूद हमारे देश का गरीब से गरीब इंसान भी सच क्या है? इसको भलीभांति पकड़ लेता है। पिछले कुछ दिनों में जबसे मैंने भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ कड़े कदम उठाना शुरू किया है, और जबसे आठ नवंबर रात को आठ बजे, टीवी पर आकर के जब मैंने कहा, मेरे प्यारे देशवासियों और पांच सौ और हजार की नोट बंद हो गई। तबसे एक बहुत बड़ी ताकत देश को भ्रमित करने के लिए झूठ फैलाने के लिए जी-जान से जुटी हुई है। उनको देश की चिंता कम है। देश की इकोनॉमी चिंता कम है, आर्थिक स्थिति की चिंता कम है। नोटबंदी होने से क्या हुआ, क्या नहीं हुआ, उसकी चिंता कम है। उनकी परेशानी ये है कि वो बड़े-बड़े लोग होने के बाद भी बच नहीं पाए, इसकी परेशानी है। मायावती जी, मुलायम सिंह जी ने पार्लियामेंट में कह दिया था, पब्लिक में कह दिया था, मोदी जी करना है तो करो, लेकिन सात-आठ दिन का बीच में एक मौका तो दे दो। कुछ समय तो दो। भाइयों-बहनों। जिन-जिन को परेशानी हुई है, जिन का लूट गया है, एक तरफ वो जमा हो गए हैं, इकट्ठे हो गए हैं, गले लग रहे हैं। आप देखते हैं, पिछले पंद्रह साल में सपा वाले एक बात बोलेंगे तो बसपा वाले उससे उल्टा बोलते हैं कि नहीं बोलते हैं ...। बसपा वाले एक बोले तो सपा वाले उल्टा बोलते हैं कि नहीं बोलते हैं ...। कोई बात ऐसी है जिसमें सपा-बसपा ने एक ही बात बोली हो। पंद्रह साल में एक ही अपवाद आया, जब नोटबंदी हुई तो दोनों एक ही प्रकार का बोलने लगे, ये मोदी बेकार है। कैसी बड़ी मुसीबत आई होगी, इसका आप अंदाज लगा सकते हैं।

भाइयों-बहनों।

कोई भी डर जाए, इतना इन्होंने हमला बोला हुआ है, इतना झूठ फैलाया हुआ है, भ्रमित करने का प्रयास किया है लेकिन मैं देशवासियों को सर झुका करके नमन करता हूं, कि देश की जनता ने सच क्या है? ईमानदारी से देश की भलाई की कोशिश क्या है? उसका साफ पता चल रहा है। अभी उड़ीसा में चुनाव हुआ। अभी उड़ीसा में चुनाव हुआ। गरीबी इतनी वहां है कि हिंदुस्तान के सबसे गरीब अगर जिले खोजने हैं तो उड़ीसा में से वो जिले मिलते हैं, भुखमरी की चर्चा होती है तो लोग उड़ीसा का उदाहरण देते हैं। अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, इसकी चर्चा होती है तो लोग उड़ीसा का नाम देते हैं। अभी वहां चुनाव हुआ वो प्रदेश जहां भारतीय पार्टी को झंडा रखने के लिए जगह नहीं मिलती थी, झंडा रखने की, लोगों की बात छोड़ दीजिए, लेकिन अभी चुनाव हुआ भारतीय जनता पार्टी के प्रति उड़ीसा के लोगों ने ऐसा जनसमर्थन दिया, ऐसा जनसमर्थन दिया, सारे देश के लोग चौंक गए। अगर उड़ीसा के गरीब लोग भी भाजपा के साथ चल पड़े तो पता नहीं आगे वाले दिनों में हिंदुस्तान में और दलों के पास कुछ बचेगा कि नहीं बचेगा। अभी कल महाराष्ट्र के चुनाव के नतीजे आए। पता है न क्या हुआ ...। क्या हुआ ...। पता है, कांग्रेस कहीं नजर नहीं आ रही है साफ हो गई। कांग्रेस को साफ कर दिया।

भाइयों-बहनों।

चाहे उड़ीसा हो, महाराष्ट्र हो, चंडीगढ़ हो, चाहे गुजरात के पंचायतों के चुनाव हों, चाहे कर्नाटक में स्थानीय निकायों के चुनाव हों, पिछले तीन महीने में जहां-जहां चुनाव हुए, वहां भारतीय जनता पार्टी की ताकत हो या न हो, जनता-जनार्दन ने अपने वो तीसरे नेत्र की ताकत से भारतीय जनता पार्टी को भरपूर आशीर्वाद दिया और भारतीय जनता पार्टी को विजय बनाया। भाइयों-बहनों। जब महाराष्ट्र के लोग भारतीय जनता पार्टी का इतना समर्थन करते हैं, जब उड़ीसा के गरीब लोग, भारतीय जनता पार्टी का इतना समर्थन करते हैं, चाहे चंडीगढ़ के हाइली क्वालीफाइड पढ़े-लिखे लोग भारतीय जनता पार्टी का इतना समर्थन करते हैं तो इसका मतलब ये है कि अब मेरी जिम्मेवारी ज्यादा बढ़ जाती है। ये समर्थन से हमें सत्ता का नशा नहीं चढ़ता है, ये समर्थन से जनता के लिए ज्यादा काम करने की हमें प्रेरणा मिलती है, जी जान से काम करने की प्रेरणा मिलती है। ...और इसलिए भाइयों-बहनों। भ्रष्टाचार, कालाधन इसके खिलाफ मैंने जो लड़ाई छेड़ी है भाइयों-बहनों। मैं देश को लूटने वालों को छोड़ने वाला नहीं हूं। सत्तर साल तक गरीबों से जो लूटा गया है, वो गरीबों को मैं लौटाना चाहता हूं भाइयों।

भाइयों-बहनों

हम देश के सामान्य आदमी की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए काम कर रहे हैं। जब अटल बिहारी वाजपेयी हमारे देश के प्रधानमंत्री थे, ये उत्तरप्रदेश और ये इलाका जिसने अटलजी को सबसे ज्यादा आशीर्वाद दिए हैं, यही क्षेत्र रहा है जिसने अटल जी के प्रति अपना जो प्यार है उसमें कभी कमी नहीं होने दी। उन अटल बिहारी वाजपेयी के जो सपने हैं, उन सपनों को पूरा करना इसके लिए हम कोशिश कर रहे हैं भाइयों। भाइयों-बहनों। ये गोंडा कुछ चीजों में तो देश से कुछ अद्भुत ही कर देता है, एक थोक व्यापार होता है, एक छुटक व्यापार होता है, छुटक बोलते हैं। आंय ...रिटेल। आंय ...फुटकर। एक थोक व्यापार होता है, एक फुटकर व्यापार होता है। मैं देख रहा हूं, हिंदुस्तान में परीक्षाओं में छिटपुट चोरी की घटनाएं तो सब जगह होती हैं। कोई विद्यार्थी करता होगा। एक आध मास्टर जी गड़बड़ करते होंगे लेकिन गोंडा में तो चोरी का बिजनेस चलता है, व्यापार चलता है। यहां चोरी करने की नीलामी होती है।

भाइयों-बहनों।

कॉन्ट्रैक्ट, टेंडर निकलते हैं, टेंडर कि हमारे यहां अगर परीक्षा का केंद्र लगा दोगे तो इतनी बोली जाती है, तुम परीक्षा का केंद्र लगा दो, बाबू को इतना पैसा मिल जाएगा। और जो केंद्र मिलता है वो हर विद्यार्थी के मां-बाप को कहता है कि देखिए तीन हजार डेली का, दो हजार डेली का, पांच हजार डेली का, अगर गणित का पेपर है तो इतना, विज्ञान का पेपर है तो इतना, होता है कि नहीं होता है भाइयों ...। होता है कि नहीं होता है ...। आप मुझे बताइए। इससे किसी का भी भला होता है क्या ...। जो चोरी करके निकलता है उसका भी भला होता है क्या ...। जो मां-बाप के जेब से इतना रुपया जाता है उनका भला होता है क्या ...। जो मां-बाप पैसे नहीं दे पाते, होनहार बच्चा है वो रह जाता है, उसका भला होता है क्या ...। ये ठेकेदारी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। ये बेईमानी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। ये परीक्षा केंद्रों की नीलामी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। मैं इस विषय पर बोलूं कि न बोलूं ...। मैं डर रहा था, मैं सच बताता हूं, मैं इस पर बोलने से डर रहा था, इसलिए डर रहा था क्योंकि मेरा भाषण पूरे देश में टीवी पर लोग देखते हैं तो कुछ लोगों को कहीं आइडिया मिल जाएगा, अच्छा-अच्छा बेईमानी का ये भी रास्ता है क्या ...। मुझे डर लग रहा था कि कोई लोग ये सपा का कारोबार का कैसा है, कहीं सीख न लें। इसका मुझे डर लग रहा था।

लेकिन भाइयों-बहनों।

ये मेरे देश की भावी पीढ़ी को, ये तबाह करने वाला कारोबार है। ये कारोबार बंद होना चाहिए श्रीमान अखिलेश जी। आपका तो कुनबा इतना आगे निकल चुका है कि आप तो ऑस्ट्रेलिया में जाकर के पढ़ने चले गए। आपके बच्चे भी बड़े-बड़े स्कूलों में भारी फीस देकर के पढ़ रहे हैं, लेकिन मेरे गोंडा के गरीब बच्चों का क्या होगा ...। ये मेरा दर्द है। ...और इसलिए भाइयों-बहनों। शिक्षा के साथ ये जो अपराध जुड़ गया है, वो समाज को आने वाली पीढ़ियों तक तबाह करके रख देता है। भाइयों-बहनों। मैंने देखा हमारे सांसद महोदय बार-बार, हमारे कीर्ति जी वो नया-नया सोचने के स्वभाव के हैं। मैं जब भी उनको मिला हूं हर बार कोई नया आइडिया लेकर आते हैं। वो एक बार मेरे से चर्चा कर रहे थे कि साहब हमारे यहां ये जो गन्ना किसान है। आपको ये तो पता है कि गन्ना किसानों को बकाया नहीं मिलता है। लेकिन एक बात आपने सोची है. मैंने कहा क्या? गन्ना की तौल में भी चोरी होती है हमारे यहां। होती है ना ...। किसान को तो वहीं आधा मार दिया जाता है। मैंने ये तो देखा था कि कुछ जगह पर गन्ना आएगा, गन्ना ले तो लेंगे, लेकिन तौल का हिसाब देर से लगाएंगे, क्योंकि कुछ समय अगर वो धूप में रह गया तो वैसे ही उसका वजन कम हो जाता है। ...और वजन कम हो जाता है तो पैसा कम देना पड़ता है। लेकिन ये तो कांटे पर भी चोरी करके हैं।

भाइयों-बहनों।

मैं गन्ना किसानों को जो हमारे कीर्ति जी इस विषय को लेकर काफी काम करते हैं। मैं एक टेक्नोलोजी को जानने वालों का एक टास्क फोर्स बनाउंगा। इसका लाभ सिर्फ गोंडा को नहीं पूरे देश को होगा। ये गन्ना खेत से निकलता है और चीनी मिल के पास पहुंचता है, उसको तौलने का आधुनिक टेक्नोलोजी क्या हो, और जो तौलने का काम होता है वो सीधा ही सीधा कंप्यूटर में रिकॉर्ड कैसे हो जाए, और बाद में उसमें कोई लीपापोती करने की संभावना न रहे, टेक्नोलोजी का पूरा अध्ययन करके ये काम करके मैं रहूंगा जी। ये किसानों के साथ धोखेबाजी नहीं चलेगी, किसान इतनी मजदूरी करता है, मेहनत करता है, दिनरात लगा रहता है और उसके साथ चीनी मिल वालों का राजनेताओं के साथ गठबंधन हो और ये पाप चलता रहेगा क्या ...।

भाइयों-बहनों।

आपके साथ जो अन्याय हो रहा है ये अन्याय मिटना चाहिए कि नहीं मिटना चाहिए ...। ये सपा हो या बसपा यही कारोबार चलाया है कि नहीं चलाया है ...। यही चलाया है कि नहीं चलाया ...। भाइयों-बहनों। अन्याय के खिलाफ, ये लड़ाई गरीबों की भलाई के लिए है। किसानों का हक दिलाने के लिए है और मैं जनता-जनार्दन के लिए जीता हूं। जनता-जनार्दन के लिए कुछ करना चाहता हूं। मैं हैरान हूं जी, गन्ने की खेती ऐसी है कि जिसमें सुरक्षा का तत्व ज्यादा है, बारिश ज्यादा हो जाए, तेज हवा चल जाए, ओले भी गिर जाएं, गन्ने को कुछ नहीं कर पाते, गन्ना टिका रहता है, मजबूत होता है और इसलिए किसी किसान को गन्ने का बीमा लेने की जरूरत नहीं लगती है। सही है कि नहीं है भाइयों ...। मैं जो बता रहा हूं सही है कि नहीं है ...। बीमा किसको जरूरत पड़ती है, चावल की खेती करते हों, गेहूं की करते हों, फल-फूल की करते हों, सब्जी की करते हों, धान की करते हों, जहां पर प्राकृतिक आपदा आ जाए तो सबकुछ तबाह हो जाता है। गन्ना तबाह नहीं होता है और इसलिए गन्ने का किसान उसको बीमा लेने के लिए मजबूर करना, ये गन्ना किसानों के साथ अन्याय है।

भाइयों-बहनों।

हम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाए, आजादी के बाद किसानों का भला करने वाली, किसानों को सुरक्षित करने वाली, संकट के समय किसान को मदद करने वाली ये बहुत ही उत्तम योजना है और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ऐसी है कि मान लीजिए किसान ने जून महीने में खेत जोतने का काम कर दिया, ट्रैक्टर किराए पर लाया था तो किराया भी दे दिया, अच्छी क्वालिटी के बीज भी लाकर के रख लिए, पूरे सीजन के लिए मजदूर लाने थे, मजदूर भी लाकर के रख लिए, सबकुछ तैयारी हो गई, अब जून महीने में बुआई करनी है लेकिन बारिश नहीं आई, पानी नहीं है तो सोच रहा है चलो जुलाई में करेंगे, जुलाई में भी पानी नहीं आया। अब बुआई करके क्या करेगा। वो सोच रहा है चलो पंद्रह दिन और इंतजार करें। अगस्त महीना जाने को आ गया लेकिन बुआई नहीं हुई। अब मुझे बताइए। जून महीना, जुलाई महीना, अगस्त महीना, खेत जोत के रखा है, बीज लाकर के रखे हैं, सारी तैयारियां हो चुकी हैं, लेकिन पानी नहीं आया, क्या किसान बुआई करेगा क्या ...। बुआई करेगा क्या ...। उसका तो सब तबाह हो गया कि नहीं हो गया ...। उसका साल बर्बाद हो गया कि नहीं हो गया ...। अब सिर पकड़ के बेचारा रोएगा कि नहीं रोएगा ...।

भाइयों-बहनों।

हम ऐसा प्रधानमंत्री बीमा लाए हैं कि अगर वो बुआई नहीं कर पाया प्राकृतिक संकट के कारण बुआई नहीं कर पाया तो भी किसान को बीमा का पैसा मिलेगा। उसके साल का जो खर्चा है उसका बोझ हल्का कर दिया जाएगा। मुझे बताइए भाइयों। ये किसान का भला होगा कि नहीं होगा ...। इतना ही नहीं अगर जलभराव हो गया और जलभराव के कारण उसकी खेती को नुकसान हो गया तो भी बीमा मिलेगा। ये पहले किसी ने सोचा था क्या ...। नहीं हुआ था, हमने किया, तीसरी बात, मान लीजिए बुआई बहुत अच्छी हो गई। बारिश भी अच्छी हो गई, जितनी चाहिए उतनी बारिश हुई, जब चाहे तब हुई और सोलह आने फसल हो गई। सोलह आने, यानी की किसान खुशहाल हो गया, परिवार खुशहाल हो गया, कटाई भी हो गई और फसल का ढेर खेत में पड़ा है, बस अब मंडी जाकर के बेचना ही है, ट्रैक्टर आने वाला ही है, बैल गाड़ी तैयार है, सबकुछ तैयार, बस दो-चार दिन में मंडी में जाकर के माल बेच देना है, और अचानक अचानक बारिश आई गई, ओले गिर गए, प्राकृतिक आपदा आ गई, सारा पका-पकाया ढेर पानी में तबाह हो गया, ओले में तबाह हो गया।

भाइयों-बहनों।

हम ऐसा बीमा लाए हैं, कि फसल कटाई के बाद खेत के अंदर अगर आपका माल पड़ा है, आपके पास पड़ा हुआ है, आपका धान, आपके गेहूं, आपका चावल, आपकी उपज पड़ी है और प्राकृतिक आपदा के कारण अगर नुकसान हो गया। पंद्रह दिन के भीतर भीतर अगर ऐसा संकट आया तो उसका भी बीमा मिलेगा, किसान को बचा लिया जाएगा, ये काम हमने किया। लेकिन भाइयों-बहनों छत्तीगढ़ में भाजपा की सरकार है, वहां पचास प्रतिशत से ज्यादा किसानों का बीमा ले लिया गया। राजस्थान में भाजपा की सरकार है, पचास प्रतिशत किसानों का बीमा ले लिया गया। गुजरात में भाजपा की सरकार है वहां भी पचास प्रतिशत लोगों का ले लिया गया, हरियाणा में भी पचास प्रतिशत से ज्यादा लोगों का बीमा हो गया। ये अखिलेश जी को किसानों से क्या दुश्मनी है, किसानों के प्रति क्या गुस्सा है कि अबतक उत्तरप्रदेश में चौदह प्रतिशत से ज्यादा बीमा नहीं लिया गया। ये किसानों के साथ अन्याय है कि नहीं है भाइयों। ...और ये बीमा ऐसा है कि सौ रुपयों में किसान को सिर्फ दो रुपये या डेढ़ रुपया देना है बाकी सब सरकार देने वाली है, लेकिन ये समाजवादी सरकार उसके समाजवाद में किसान नजर नहीं आता है और उसी का परिणाम है भाइयों कि वो बीमा नहीं लेते हैं। और बीमा की योजना बनाने राज्य को भारत सरकार पैसे दे रही है। उन्होंने योजना बनाई तो गन्ने वाले को भी उसमें डाल दिया और उसके कारण और किसानों के लिए बीमा महंगा हो गया। हमने उनको चिट्ठी लिखी, सितंबर महीने में चिट्ठी लिखी की आप गन्ना किसानों को बेकार में लूट रहे हो, उन पर बोझ डाल रहे हो और किसानों को भी मुसीबत कर रहे हो, मेहरबानी करके गन्ना किसानों को ये बीमा से बाहर निकालो। उन पर ये अत्याचार मत करो। भाइयों-बहनों। उन्होंने हमारी बात नहीं मानी क्या ये आपका भला करेंगे ...। ये इनको आपकी समस्या की समझ भी नहीं है, ये मुसीबत है भाइयों।

भाइयों-बहनों।

मैं उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी को विशेष रूप से बधाई देता हूं। उन्होंने एक बहुत बड़ा संकल्प किया है। उन्होंने कहा है कि ये सरकार बनने के बाद छोटे किसानों का जो कर्ज है वो किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा भाइयों-बहनों। मैं यूपी से, काशी से सांसद बनकर के देश की सेवा का अवसर मुझे मिला है, और उत्तरप्रदेश से इतनी बड़ी मात्रा में सांसद चुने गए कि आज देश को स्थिर सरकार मिल गई और मुझे प्रधानमंत्री के रूप में सेवा करने का मौका मिल गया। ये उत्तर प्रदेश के कारण हुआ है। उत्तर प्रदेश का मुझ पर कर्ज है, ये कर्ज मैं चुकाना चाहता हूं भाइयों और बहनों। ...और इसलिए उत्तर प्रदेश के सांसद के नाते मैं आप सब उत्तर प्रदेश के किसानों को विश्वास दिलाता हूं, सारे उत्तर प्रदेश के किसानों को विश्वास दिलाता हूं, कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश इकाई ने जो संकल्प किया है। 11 तारीख को चुनाव के नतीजे आएंगे, 13 तारीख को विजय की होली मनाएंगे। रंगारंग वाली होली मनाएंगे, केसरिया रंग से रंगी होली मनाएंगे। उसके बाद भाजपा की नई सरकार बनाएंगे, भाजपा की नई सरकार बनाकर के उसकी पहली मीटिंग होगी और ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, ये मेरी जिम्मेवारी होगी कि नई सरकार की पहली मीटिंग में पहला निर्णय किसानों की कर्ज माफी का कर दिया जाएगा।

...और इसलिए भाइयों-बहनों।

लाल बहादुर शास्त्री, अटल बिहारी वाजपेयी, शास्त्री जी ने कहा था, जय जवान जय किसान, वाजपेयी जी ने कहा था, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान। शास्त्री जी का और अटल जी का ये जो मंत्र है इसको साकार करने में हम पूरी तरह से लगे हुए हैं। पिछले दिनों देखा होगा आपने हमारे देश के वैज्ञानिकों ने विश्व को अचंभे में डाल दिया, 104 सैटेलाइट एक साथ अंतरिक्ष में छोड़े एक साथ। दुनिया को अचरज हो रहा है। अटल जी ने कहा था जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान आज हम उसको आगे बढ़ा रहे हैं। लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था जय जवान, आपने देखा हमारे देश के जवानों को इनका हौसला इतना बुलंद है जो लोग फौज में हैं वो भी कहते हैं कि ऐसा मौका पहले मिला होता तो तस्वीर कुछ और होती। हमारे फौज के जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक किया। सीमा के उसपार जाकर के दुश्मनों के घर में जाकर के उनको दिन में तारे दिखाने की ताकत दिखा दी भाइयों। चुन-चुन कर साफ करके आ गए और दिन रात राजनीति, राजनीति करने वालों को राष्ट्रभक्तों का ये पराक्रम समझ नहीं आया। सवाल पूछने लगे, मोदी जी सबूत लाओ, सबूत, सर्जिकल स्ट्राइक हुआ था क्या सबूत लाओ।

भाइयों-बहनों।

ये फौज का अपमान है कि नहीं है ...। ये फौज के साथ अन्याय है कि नहीं है ...। अभी तक पाकिस्तान भी ऐसा सवाल नहीं उठा पाया, लेकिन मेरे देश के कुछ राजनेता अपने राजनीतिक स्वार्थ के कारण देश की सेना के इस महान पराक्रम को भी राजनीति की दायरे में बांधने की कोशिश कर रहे हैं, इससे बड़ा देश का कोई दुर्भाग्य नहीं हो सकता है।

भाइयों-बहनों।

हमारे फौज के जवान वन रैंक वन पेंशन चालीस साल से लड़ाई लड़ रहे थे, चालीस साल से और ये लोग सरकार में बैठे थे, ये मुलायम सिंह कभी देश के रक्षा मंत्री हुआ करते थे, जिनको गले लगे हैं न अखिलेश जी। वो तो सत्तर साल तक देश का शासन करके आए हैं लेकिन भाइयों-बहनों। इनको कभी वन रैंक वन पेंशन का फौज के जवानों की न्यायिक मांग इसको पूरा करने की कभी इच्छा नहीं हुई। इतना ही नहीं इनको अंदाज भी नहीं था कि फौज का इश्यू क्या है? प्रश्न क्या है? कभी अध्ययन ही नहीं किया। अगर ये करते हैं तो कितना आर्थिक बोझ आता है, इसका भी अध्ययन नहीं किया। और जाते-जाते राजनीति करने के लिए क्या किया? मजाक उड़ाया मजाक, मेरे देश के फौजियों का ऐसा अपमान जितना इन लोगों ने किया है। शायद ही किसी ने किया होगा। उन्होंने क्या किया, पांच सौ करोड़ रुपये बजट में लिख दिए कि वन रैंक वन पेंशन में पांच सौ करोड़। भाइयों-बहनों। आप मुझे बताइए। इससे बड़ा फौज का कोई अपमान हो सकता है क्या ...। जब मैं आया मैंने जरा हिसाब-किताब लगाना शुरू किया, मुझे पहले तो लगता था चार-छह महीने में काम कर लूंगा। मैं कोशिश कर दूंगा लेकिन जब जांच-पड़ताल शुरू की तो भाइयों-बहनों इनको सरकार के पास कोई जानकारियां ही नहीं थीं, मैंने जानकारी जुटानी शुरू कर दी। कितने फौजी, कितना पेंशन है, लिस्ट कहा हैं, कई परवाह ही नहीं थी, सब इधर-उधर बिखरा पड़ा था। हिसाब लगाने में एक साल लग गया। हिसाब लगाने में ये हाल करके रखा था। और जब मैंने वन रैंक वन पेंशन लागू किया तो भाइयों-बहनों उसके लिए जरूरत थी बारह हजार करोड़ रुपयों की, कहां पांच सौ करोड़ और कहां बारह हजार करोड़। लेकिन उनको गंभीरता नहीं थी, कोई गंभीरता नहीं थी।

भाइयों-बहनों।

मैंने फौज के लोगों को बुलाया। मैंने कहा भाइयों देखिए ये आपके साथ धोखा हुआ है, अन्याय हुआ है। मैं आपके साथ न्याय करना चाहता हूं, लेकिन मेरी मुसीबत है आप मेरी मदद कीजिए। उन्होंने कहा क्या? मैंने कहा, देखो भाई ये कांग्रेस वाले तो पांच सौ करोड़ रुपया बोल के गए हैं, बारह हजार करोड़ चाहिए, अब भारत जैसा देश, मुझे गरीबों के लिए भी काम करना है, गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए चिंता करनी है, गरीबों की दवाई की चिंता करनी है, गरीबों के घर की चिंता करनी है, किसानों की भलाई के लिए काम करना है। एक साथ बारह हजार करोड़ रुपया खजाने से निकालना मुश्किल है, मेरी एक मदद कीजिए, मेरे देश के फौजियों ने एक मिनट नहीं लगाया, चालीस साल से लटका हुआ सवाल था। उन्होंने यही कहा प्रधानमंत्री जी बताइए कि हम क्या सेवा कर सकते हैं? ...और मैंने कहा कोई ज्यादा नहीं सिर्फ मैं एकमुश्त बारह हजार करोड़ नहीं दे पाऊंगा। दो-तीन किश्त में दे दूंगा, बस इतना मान लीजिए।

भाइयों-बहनों।

मेरे देश के फौजियों ने एक मिनट नहीं लगाया। सरकार की बात मान ली और अब तक बारह हजार करोड़ में से सात हजार करोड़ रुपया फौजियों के घर में उनके बैंक में, सीधे जमा हो गए और बाकी जो बचा है। वो भी इस बजट में तय किया है। आने वाले दिनों में पहुंच जाएगा। काम ऐसे किया जाता है भाइयों। आप मुझे बताइए। भाइयों-बहनों उत्तर प्रदेश में अगर आपके साथ कोई अन्याय हुआ, किसी ने आपकी जमीन का कब्जा कर लिया, किसी ने आपके घर का कब्जा कर लिया, किसी ने आपके बेटे को मार दिया, किसी ने बहन-बेटी पर बलात्कार कर दिया। आप अगर पुलिस थाने में गए तो आपकी शिकायत वहां रजिस्टर होती है क्या, लिखा जाती है क्या ...। सच बताइए लिखी जाती है क्या ...। थाने में आपकी शिकायत दर्ज होती है क्या ...। होती है क्या ...। थाने वाला कहता है कि जरा हमें देखना पड़ेगा, यहां के सपा का जो है उसको जरा पूछना पड़ेगा। भाइयों-बहनों। ये थाना जनता की भलाई के लिए होता है कि सपा वालों की दादागीरी के लिए होता है ...। आप मुझे बताइए थाने से सपा वालों के दादागीरी का केंद्र चलता है कि नहीं चलता है ...। थाने में सपा का कार्यालय चलता है कि नहीं चलता है ...। ये बंद होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...।

भाइयों-बहनों।

ये हमारा गोंडा जिला सीमावर्ती जिला है, नेपाल से सटा हुआ है। आपने देखा होगा अभी कानपुर में रेल अकस्मात हुआ, उसमें कुछ लोग पकड़े गए हैं, सैकड़ों लोग मारे गए और वो अकस्मात से नहीं पुलिस ने जो खोजकर के निकाला है एक षड़यंत्र के तहत हुआ है और षड़यंत्र करने वाले कहां बैठे थे। सीमा के उस पार। भाइयों-बहनों। अगर सीमा पार के जो हमारे दुश्मन हैं। वे अपना कारोबार सीमा के उसपार से चलाना चाहते हैं तो गोंडा जिले में ज्यादा सतर्कता जरूरी है कि नहीं है ...। अगर यहां ऐसे लोग चुनकर के आएंगे जो ऐसे लोगों की मदद करेंगे तो मेरा गोंडा सुरक्षित रहेगा क्या ...। अगर गोंडा असुरक्षित हुआ तो हिंदुस्तान सुरक्षित रहेगा क्या ...। भाइयों-बहनों गोंडा में तो देशभक्ति से भरे हुए लोग इन्हीं को सत्ता में बिठाना चाहिए। तभी भाइयों-बहनों गोंडा का भलाकर सकते हैं और इसीलिए चुनाव में कोई गलती नहीं होनी चाहिए।

भाइयों-बहनों।

उत्तरप्रदेश के किसी और इलाके में एकाध गलती हो जाए तो बहुत नुकसान नहीं होता है लेकिन गोंडा जिले में ऐसी एक भी गलती हो जाए तो देश का बहुत नुकसान हो जाता है और इसलिए मेरे गोंडा वासियों सपा हो या बसपा एक भी जीतना नहीं चाहिए इस चुनाव में आपको शतप्रतिशत भारतीय जनता पार्टी को विजय बनाना चाहिए। भारी मतदान करके और भाइयों-बहनों अब तक जो चार चरण की खबरें आई हैं वो तो यहां के मुख्यमंत्री जी का चेहरा देखकर के ही पता चल जाता है कि चार चरण में क्या हुआ है। और जिनको उन्होंने गले लगाया है, देश के लोगों ने चाहे उड़ीसा हो, महाराष्ट्र हो उनको विदाई दे दी है।

भाइयों-बहनों।

ये चुनाव उत्तर प्रदेश के लिए, देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, गरीबों की भलाई करने के लिए सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में काम करने की जरूरत है और आपने मुझे सांसद बनाया है। मैं उस काम को करना चाहता हूं। आप मुझे बताइए। हमारे देश में ऐसा भेदभाव बना दिया कि जिसक पास गाड़ी है वो अमीर, जो पैदल चल रहा है वो गरीब, जिसका बच्चा बड़े स्कूल में पढ़ता है वो अमीर, जिसका बच्चा सरकारी स्कूल में जाता है, गरीब। जिसका बैंक में खाता है वो अमीर, जिसका खाता नहीं, गरीब। जो अपनी जेब में कार्ड रखता है, कार्ड से पैसे देता है वो अमीर और जो बेचारा थैला भरके नोटे गिनते रहता है वो गरीब। ये भेदभाव मिटना चाहिए कि नहीं मिटना चाहिए ...। मैंने बैंक में गरीबों का खाता खोल दिया ताकि वो भी सीना तान करके कह दे फलाने बैंक में मेरा खाता है। सिर्फ अमीरों का नहीं होता है, मेरा भी होता है। ये बड़े-बड़े अमीर जेब में फलाने कार्ड, ढिकने कार्ड लेकर के घूम रहे थे। मैंने बीस करोड़ गरीबों के हाथ में रूपे कार्ड दिए वो भी उसको दिखाता है देख तेरे पास है। ये मोदी ने मुझे दिया है। मैं भी अमीरों की बराबरी कर सकता हूं, ये काम मैं कर रहा हूं। अमीर घर में गैस का चूल्हा रखता है और दुनिया को दिखाता है, मेरे गैस का चूल्हा है, मेरा गरीब लकड़ी का चूल्हा जलाता है। धुएं में चार सौ सिगरेट का धुआं, मां के शरीर में जाता है। गरीब मां को लकड़ी लानी पड़ती है, तब जाकर के बच्चों को खाना खिलाती है। एक दिन में चार सौ सिगरेट का धुआं, मेरी गरीब मां जब लकड़ी का चूल्हा जलाती है, तब उसके शरीर में जाता है, क्या गुनाह है मेरी गरीब मां का ...। क्या उसको गैस का सिलेंडर नहीं मिलना चाहिए ...। क्या उसको गैस का कनेक्शन नहीं मिलना चाहिए ...। क्या अमीरों के लिए है ...। भाइयों-बहनों। मैंने निर्णय कर दिया, तीन साल में पांच करोड़ गरीब मांओं को ये लकड़ी के चूल्हे से मुक्ति दिलाऊंगा। मुफ्त में गैस का कनेक्शन दूंगा और उनके शरीर में जो चार सौ सिगरेट का धुआं जाता है, उन मां-बहनों को बचा लूंगा।

...और भाइयों-बहनों। ये काम कर दिया, अब तक मैंने पौने दो करोड़ से ज्यादा लोगों को गैस का कनेक्शन दे दिया, गोंडा जिले में भी गरीब परिवारों को सामने से गैस का कनेक्शन देने का काम चालू हो गया। अनेक गरीब परिवारों में आज गैस का चूल्हा जलने लग गया।  भाइयों-बहनों। ये गरीब और अमीर की खाई खत्म होनी चाहिए। गरीब को भी जीने की प्राथमिक व्यवस्थाएं मिलनी चाहिए। उसके लिए मैं काम कर रहा हूं और उसके लिए मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। इसके लिए मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। मेरे साथ पूरी ताकत से भारत माता की जय बोलकर के मुझे आशीर्वाद दीजिए और मतदान के दिन कमल के निशान पर बटन दबाकर के आपके भाग्य का फैसला कीजिए। मैं आपके साथ खड़ा हूं। बोलो भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!