SP government had tarnished the name of Mirzapur: PM Modi in Mirzapur, UP

Published By : Admin | May 26, 2024 | 11:15 IST
QuoteSP government had tarnished the name of Mirzapur: PM Modi in Mirzapur, UP
QuoteFor a strong nation, the Prime Minister should also be strong: PM Modi in Mirzapur, UP
QuoteSP-Congress people are dedicated to their vote bank: PM Modi in Mirzapur, UP

भारत माता की,

भारत माता की...

माता विंध्यवासिनी की…जय !

आप लोगन क का हाल-चाल बा, आप लोग मजे में हएन, आप लोगन के हम हाथ जोड़ के प्रणाम करत हई। जय श्री राम। मां विंध्यवासिनी, माता बड़ी शीतला, मां अष्टभुजा और काली खोह माता की पुण्य भूमि को मेरा शत-शत प्रणाम। ज्येष्ठ का ये महीना हमारी परंपरा में विशेष होता है। इसका हर मंगलवार बहुत खास होता है। कोई बड़ा मंगल कहता है, कोई बुढ़वा मंगल कहता है। इस बार ये बुढ़वा मंगल और भी विशेष है। क्योंकि 500 साल बाद ये पहला बड़ा मंगल होने वाला है...जब बजरंग बली के प्रभु राम, अयोध्या में अपने भव्य मंदिर में विराजे होंगे। और यह इतनी बड़ी खुशी है, इतनी बड़ी खुशी है कि शायद हम सबसे ज्यादा बजरंग बली खुश होते होंगे। भाई बहन, जरा मेरे एक सवाल का जवाब देंगे आप? मेरे एक सवाल का जवाब देंगे आपलोग? आपकी आवाज नहीं आ रही है। मेरे एक सवाल का जवाब देंगे? 500 साल बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर, बजरंग बली की खुशी, ये मंगल अवसर किसके कारण आया? किसके कारण आया? किसके कारण आया? किसके कारण आया? यह पुण्य काम किसने किया? यह पुण्य काम किसने किया? आपका जवाब गलत है। आपको भी पता नहीं है कि इतना बड़ा पुण्य काम आपके एक वोट ने किया है। यह आपके वोट की ताकत है कि आज राम मंदिर भी बना है। और जैसा योगी जी ने कहा यहां मां विंध्यवासिनी का भव्य नव्य कॉरिडोर भी बन रहा है। और संयोग देखिए, 4 जून को भी बड़ा मंगल है। (ये जो कुछ नौजवान चित्र लेकर के आए हैं वह हमारे साथी कलेक्ट कर लेंगे। आपका प्यार मुझ तक पहुंच जाएगा। उधर भी दो लोग हैं जरा ले लीजिए भाई। सबको संतोष हो गया, धन्यवाद जी।) साथियों, 4 जून को बड़ा मंगल के दिन फिर एक बार...मोदी सरकार ! 6 चरणों में देश ने तीसरी बार BJP-NDA की बहुत मजबूत सरकार बनाना पक्का कर दिया है।

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भाइयों और बहनों,

भारत ने तीसरी बार मोदी सरकार बनाने का मन क्यों बनाया? इसका सीधा-सीधा कारण है- नेक नीयत, नेक नीतियां और नेशन फर्स्ट, मेरा देश सबसे ऊपर, राष्ट्रनिष्ठा! आप मुझे बताइए साथियों, आज जरा एक-एक चीज में बात करता हूं ना। मैं भाषण नहीं करूंगा आज। आपसे बातें करूंगा, ठीक है चलेगा ना। अच्छा आप मुझे बताइए, जरा सोचिए, आप अपना घर बनाते हैं और घर बनाने के लिए किसी मिस्त्री को लगा देते हैं। ये नारे वगैरह बताइए लेकिन बीच बीच में जब जगह हो तब बुलाइए। ठीक है, और फिर एक जून को भी करना पड़ेगा, चार जून को तो बहुत ज्यादा करना पड़ेगा तो थक जाओगे। अच्छा हम अपना घर बनाते हैं और एक मिस्त्री या किसी काम करने वालों को तय करते हैं क्या कभी कोई सामान्य मानवी भी अपना घर बनाने के लिए जो मिस्त्री रख ले, एक महीने के लिए ये मिस्त्री काम करेगा, दूसरे महीने दूसरा मिस्त्री आएगा, तीसरे महीने तीसरा मिस्त्री आएगा। चौथे महीने चौथा मिस्त्री आएगा। तो घर बनेगा क्या? घर बनेगा क्या? जो घर बनेगा वह रहने लायक बनेगा क्या? आंखों को अच्छा लगे ऐसा बनेगा क्या? वो किसी को दिखाने लायक बनेगा क्या? सामान्य मानवी को भी मालूम है एक छोटा सा घर भी बनाना है तो बार-बार मिस्त्री नहीं बदलते भाई। अब यह सपा, कांग्रेस, इंडी गठबंधन यह कह रहा है कि पांच साल में पांच प्रधानमंत्री। अब बताइए भाई, ये पांच साल में पांच प्रधानमंत्री कोई रखता है क्या। अरे कोई मिस्त्री नहीं रखता तो यह प्रधानमंत्री, अब ये क्योंकि उनको बांट के खाना है, वह कहते हैं पांच साल में पांच प्रधानमंत्री। अब बताइए, जहां प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी बचाने में लगा रहेगा तो वह क्या देश को मजबूत बना सकता है क्या? इसलिए देश ने तय किया कि मजबूत देश के लिए प्रधानमंत्री भी मजबूत होना चाहिए। होना चाहिए नहीं होना चाहिए। तभी एनडीए को इतना भारी जनादेश मिल रहा है। समाजवादी पार्टी पर अपना वोट कोई बर्बाद नहीं करना चाहता। मुझे बताइए भैया हम लोग, हमारे उत्तर प्रदेश के लोग राजनीति को समझने में बड़े माहिर हैं। यहां तो गांव का बच्चा भी राजनीति समझ जाता है। कोई समझदार कभी भी, अपन मान लीजिए कोई कंपनी डूब रही है तो उस कंपनी का शेयर कोई खरीदेगा क्या? आप बताइए ना खरीदेगा क्या? 10 रुपये का शेयर भी खरीदेगा क्या? जो डूबता है उसमें कोई पैसा डालेगा क्या? जो डूब रहे हैं उसको कोई वोट देगा क्या? देगा क्या? पता ही है कि इनका डूबना तय है तो कौन वोट डालने की गलती करेगा भाई। सामान्य मानवी वोट उसी को डालेगा जिसकी सरकार बनना तय है। आप बताइए आप मिर्जापुर में चौराहे पर जाकर खड़े रहिए किसी भी 100 लोगों को पूछिए कि बताओ भाई किसकी सरकार बनेगी। 90 लोग क्या बोलेंगे बताइए। क्या बोलेंगे, तो फिर वोट उसको ही देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए। वोट बर्बाद करना चाहिए क्या?

भाइयों और बहनों,

इंडी-गठबंधन वालों को देश अच्छी तरह जान गया है। ये लोग घोर सांप्रदायिक हैं। ये लोग घोर जातिवादी हैं। ये लोग घोर परिवारवादी हैं। जब भी इनकी सरकार बनती है तो इसके आधार पर ही ये फैसला लेते हैं। अभी देखिए यहां पर चुनाव हुए हमारे यादव समाज में इतने होनहार लोग हैं, इतने होनहार लोग हैं लेकिन उन्होंने अपने परिवार के लोगों को ही टिकट दिया, बाहर के एक को भी को नहीं दिया। साथियों, इतने दशकों तक देश ने बम धमाके झेले हैं। आतंकवाद ने सैकड़ों जीवन तबाह किए हैं। यहां सपा वाले क्या करते थे? कानून व्यवस्था और समाजवादी पार्टी का छत्तीस का आंकड़ा है। जो आतंकी पकड़े जाते थे, उनको भी ये सपा वाले छोड़ देते थे। जो पुलिस अफसर इसमें आनाकानी करता था सपा सरकार उसे सस्पेंड कर देती थी कि तुमने आतंकवादी को पकड़ा क्यों, घर जाओ।

साथियों,

मिर्ज़ापुर को तो इन्होंने बदनाम करके रखा था। इन्होंने पूरे यूपी को, पूर्वांचल को माफिया का सुरक्षित ठिकाना बना दिया था। जीवन हो या ज़मीन...कब छिन जाए कोई नहीं जानता था। और सपा सरकार में माफिया को भी वोटबैंक के हिसाब से देखा जाता था। अब ऐसा नहीं है। अब यहां हमारे योगी जी और उनकी पूरी सरकार मेरा जो स्वच्छता अभियान है न उसको बड़ी बहादुरी से आगे बढ़ा रहे हैं यहां पर। यहां बराबर सफाई चली है। सपा सरकार में पहले जनता थरथर कांपती थी अब भाजपा सरकार में माफिया थरथर कांप रहा है।

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भाइयों और बहनों,

अपने वोटबैंक को खुश करने के लिए इंडी गठबंधन वाले, समाजवादी पार्टी वाले, कोई भी हद पार कर सकते हैं। अब तो इनके निशाने पर हमारा पवित्र संविधान आ गया है। ये दलित-पिछड़ों-आदिवासियों के हक को लूटना चाहते हैं। हमारा संविधान साफ-साफ कहता है कि धर्म के आधार पर आरक्षण हो ही नहीं सकता। इनके इरादे कितने खतरनाक हैं, इससे जुड़ा एक नया खुलासा मैं आज कर रहा हूं। 2012 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय, जनवरी में सपा ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था। तब सपा ने अपने घोषणापत्र में कहा था। जैसे दलितों को आरक्षण मिला है वैसा ही मुसलमानों को दिया जाएगा। ये सपा ने 2012 के घोषणापत्र में कहा था। सपा ने डंके की चोट पर कहा था कि वो इसके लिए संविधान तक बदल देगी। (आप नीचे रखो भैया, पीछे परेशान हो रहे हैं। पहले आप अपने बेटे को कंधे पर बिठाए रखा, लोग परेशान हुए, अब दूसरे का चित्र उठा के ले आए, फिर लोगों को परेशान कर रहे हैं।) इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा ने फिर अपना घोषणापत्र जारी किया। इसमें फिर सपा ने मुसलमानों को आरक्षण देने का ऐलान किया। देखिए इनकी आदत। और इतना ही नहीं, सपा ने घोषणा की थी कि पुलिस और PAC में भी 15 प्रतिशत आरक्षण मुसलमानों को दिया जाएगा। आप कल्पना कर सकते हैं, ये लोग अपने वोटबैंक को खुश करने के लिए किस तरह SC-ST-OBC का हक छीनने पर तुले हुए थे। भाइयों-बहनों, मैं भी आप में से कईयों की तरह अति पिछड़े समाज से निकल कर के यहां पहुंचा। मुझे उनकी पीड़ा मालूम है। पिछड़ों ने कैसी जिंदगी जी है वह मुझे मालूम है। उसको भी लूटना चाहते हैं। सरकार में आने के बाद इन्होंने अपनी मनमानी भी की, लेकिन मामला तबसे सुप्रीम कोर्ट में फंसा हुआ है। बावजूद इसके ये पिछले दरवाजे से ओबीसी का हक मुसलमानों को देते रहे हैं। लेकिन बार-बार कभी हाईकोर्ट, कभी सुप्रीम कोर्ट इसको रोक लगाती है, गंभीर सवाल पूछती, मामले लटके रहते हैं। अब इंडी वालों ने मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए आखिरी उपाय खोज लिया है। सपा-कांग्रेस वाले अब संविधान में लिख देना चाहते हैं कि मुसलमानों को आरक्षण दिया जाएगा। इसलिए ये लोग संविधान बदलना चाहते हैं। ये कोर्ट-कचहरी के झंझट को एक बार में ही खत्म कर देना चाहते हैं। मैं आपसे पूछना चाहता हूं मेरे भाई-बहन क्या आप ये होने देंगे क्या? आपका हक जाने देंगे क्या? क्या वोट बैंक के आधार पर हक छीना जाएगा क्या? क्या बाबा साहेब आंबेडकर की पीठ पर छुरा भोंकने देंगे क्या? क्या संविधान का अपमान होने देंगे क्या? क्या संविधान की हत्या करने देंगे क्या?

साथियों,

सपा-कांग्रेस के लोग वोटबैंक को समर्पित हैं, वहीं मोदी गरीब-दलित-पिछड़ों के हितों के लिए समर्पित है। मोदी 5 साल तक मुफ्त अनाज दे रहा है। मोदी 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज दे रहा है। अब तो मोदी की गारंटी है जितने भी परिवार हैं, मोदी.हर परिवार के बुजुर्गों का मुफ्त इलाज कराएगा।

साथियों,

पीएम किसान सम्मान निधि से मिर्जापुर के किसानों के खाते में करीब 1 हज़ार करोड़ रुपए पहुंचे हैं। मोदी ने 4 करोड़ पक्के घर बनाकर दे दिए हैं। 3 करोड़ पक्के घर गरीबों को और मिलने वाले हैं। ये एक-एक घर लाखों रुपए का है, जो माता-बहन के नाम पर मिल रहा है।

साथियों,

आप बिजली से कमाई कर सकें, मोदी इसके लिए भी रास्ता बना रहा है। पहला तो आपका बिजली बिल जीरो, आपका बिजली बिल जीरो, इतना ही नहीं आपके पास जो अतिरिक्त बिजली होगी वो सरकार खरीदेगी। बिजली के बदले में पैसे देगी और आपको बिजली से कमाई होगी। और इसलिए मोदी ने पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली की योजना शुरू की है। यह शुरू कर दिया है वादा नहीं कर रहा हूं। गारंटी चालू हो गया। आप ऑनलाइन जाकर के रजिस्ट्री करवा दीजिए और यह काम करने के लिए हमारी सरकार आपके घर के छत पर सोलर पैनल लगाने के लिए हर घर को 75 हजार तक देगी। हर घर को सरकार के पैसों से सोलर पैनल लगेगा और उससे बिजली से आपको कमाई होगी। बताइए आपको डबल मुनाफा है कि नहीं है। मुक्त बिजली का लाभ है कि नहीं है।

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भाइयों और बहनों,

ये क्षेत्र, हमारे हस्तशिल्पियों का, कलाकारों का, विश्वकर्मा परिवारों का क्षेत्र है। यहां का पीतल उद्योग, कारपेट उद्योग, मिट्टी के बर्तनों का उद्योग हमारी ताकत रहा है। आपके उत्पाद देश ही नहीं, विश्व के बाज़ार में पहुंचे, ये काम करने में मोदी जुटा है। पहले हमने यहां एक जनपद एक उत्पाद योजना चलाई। अब मोदी पीएम विश्वकर्मा योजना लेकर आया है। इस योजना के तहत विश्वकर्मा साथियों को ट्रेनिंग सरकार दे रही है। आधुनिक औज़ारों के लिए पैसा सरकार दे रही है। और बैंक से लाखों रुपए की मदद सीधे मिल रही है, ये मोदी की गारंटी है कि उसको पैसा मिले। इससे हर प्रकार के बर्तन, खिलौने बनाने वाले साथियों को लाभ होगा। कुछ साल पहले तक भारत विदेशों से खिलौने आयात करता था। मैंने देश के खिलौना उद्योग को प्रोत्साहन दिया, उनका हाथ पकड़ा। आज भारत के खिलौने पूरी दुनिया में पहुंच रहे हैं। इसलिए मिर्ज़ापुर के खिलौना बनाने वाले साथियों के लिए भी अवसर ही अवसर हैं।

भाइयों और बहनों,

मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज नारी सशक्तिकरण के मॉडल बनकर उभरे हैं। बहन अनुप्रिया तो मेरे मंत्रिमंडलीय मजबूत साथी है। और इस बार तो बहन रिंकी कौल ने भी इतिहास बनाया है। अगर मैं गलत नहीं हूं तो ये राबर्ट्सगंज से पहली महिला उम्मीदवार हैं। और देखिए मेरा नाता कैसा है। मैं बचपन में कब प्लेट धोते धोते बड़ा हुआ हूं। चाय पिलाते पिलाते बड़ा हुआ हूं। और आपने देखा होगा कि जैसे ही विजय का सूरज उगता है तो कमल भी खिलता है और उसी समय कप प्लेट की भी याद आती है, चाय की चुस्की लेने का मन करता है। और मोदी और चाय का नाता भी इतना तगड़ा है यानी मोदी है, कप प्लेट है, चाय की चुस्की है, कमल खिल रहा है, देखिए चारों तरफ जय-जयकार है। इसलिए आपका एक-एक वोट नारीशक्ति को सशक्त करने के लिए पड़ना चाहिए। यहां दुद्धी में भी उपचुनाव हो रहा है। वहां से हमारे साथी भाई श्रवण गौंड जी को भी भारी मतों से विजयी बनाना है। और आपको याद रखना होगा जहां दो निशान हैं, वहां दो अलग अलग निशान होंगे, एक जगह पर ऊपर कपप्लेट होगी वहीं कमल भी होगा। तो आपको ये ध्यान रख कर के वोट करना है। याद रखिएगा आप सिर्फ एमपी नहीं चुन रहे आप पीएम भी चुन रहे हैं। और इसलिए ज्यादा से ज्यादा मतदान कराएंगे। ज्यादा से ज्यादा मतदान कराएंगे?

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मैं आपको पूछ रहा हूं मेरी आवाज सुनाई दे रही है। आप ज्यादा से ज्यादा मतदान कराएंगे? हाथ ऊपर करके बताइए ज्यादा से ज्यादा मतदान कराएंगे? हर पोलिंग बूथ में विजय होकर आएंगे? घर घर जाएंगे? मतदान के पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ेंगे? अच्छा मेरा एक काम करोगे? ये मेरा पर्सनल काम है करोगे? देखिए गांव-गांव हमारे यहां हर गांव में ग्राम मंदिर होते हैं पवित्र मंदिर होते हैं। आप सब वहां जाना और मोदी की तरफ से वहां मथ्था टेकना और परमात्मा से आशीर्वाद मांगना। मोदी के लिए नहीं मोदी के परिवार के लिए, नहीं 140 करोड़ देशवासियों के लिए विकसित भारत बनाने के लिए आशीर्वाद मांगना। मांगेंगे? हर मंदिर में जाएंगे हर तीर्थ स्थान में जाएंगे? श्रद्धा पूर्वक परमात्मा से प्रार्थना करेंगे?

बोलिए भारत माता की,

भारत माता की।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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India is driving global growth today: PM Modi at Republic Plenary Summit
March 06, 2025
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QuoteIndia is driving global growth today: PM
QuoteToday's India thinks big, sets ambitious targets and delivers remarkable results: PM
QuoteWe launched the SVAMITVA Scheme to grant property rights to rural households in India: PM
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QuoteIn the past decade, we have transformed impact-less administration into impactful governance: PM
QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!