Inaugurates Rajasthan High Court Museum
“National unity is the foundational stone of India’s judicial system and strengthening it will further strengthen the nation and its systems”
“It is now our responsibility to make the spirit of Bharatiya Nyaya Sanhita as effective as possible”
“We have repealed hundreds of colonial laws that had become completely irrelevant”
“Bharatiya Nyaya Sanhita liberates our democracy from the colonial mindset”
“Today, India’s dreams are big and the citizen’s aspirations higher”
“Judiciary has consistently played the moral responsibility of being vigilant and active on national issues”
“It is very important that simple, accessible and easy justice is guaranteed for everyone in Viksit Bharat”

कार्यक्रम में उपस्थित राजस्थान के राज्यपाल श्री हरिभाऊ कृष्णराव बागड़े जी, राजस्थान के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा, जस्टिस श्री संजीव खन्ना जी, देश के कानून मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल जी, राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस श्री मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव जी, अन्य सभी honourable judges, न्याय जगत के सभी महानुभाव, उपस्थित देवियों एवं सज्जनों!

सबसे पहले तो मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूं। क्योंकि मुझे यहां पहुंचने में 10 मिनट करीब-करीब मैं लेट हो गया था। क्योंकि मैं महाराष्ट्र से निकला, लेकिन weather के कारण समय पर नहीं पहुंच पाया और इसके लिए मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूं।

साथियों,

मुझे ख़ुशी है कि मुझे आज राजस्थान उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह में आप सबके बीच आने का मुझे अवसर मिला है। राजस्थान हाईकोर्ट के 75 वर्ष ऐसे समय में हुए हैं, जब हमारा संविधान भी 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है। इसलिए ये अनेक महान लोगों की न्याय-निष्ठा और योगदानों को सेलिब्रेट करने का उत्सव भी है। ये संविधान के प्रति हमारी आस्था का उदाहरण भी है। मैं आप सभी न्यायविदों को, राजस्थान के लोगों को इस अवसर पर बधाई देता हूँ, उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ।

साथियों,

राजस्थान हाईकोर्ट के अस्तित्व से हमारे राष्ट्र की एकता का इतिहास भी जुड़ा है। आप सब जानते हैं, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जब 500 से ज्यादा रियासतों को जोड़कर देश को एक सूत्र में पिरोया था, उसमें राजस्थान की भी कई रियासतें थीं। जयपुर, उदयपुर और कोटा जैसी कई रियासतों के अपने हाईकोर्ट भी थे। इनके इंटिग्रेशन से राजस्थान हाईकोर्ट अस्तित्व में आया। यानी, राष्ट्रीय एकता ये हमारे judicial system का भी founding stone है। ये founding stone जितना मजबूत होगा, हमारा देश और देश की व्यवस्थाएं भी उतनी ही मजबूत होंगी।

साथियों,

मेरा मानना है न्याय हमेशा सरल और स्पष्ट होता है। लेकिन कई बार प्रक्रियाएं उसे मुश्किल बना देती हैं। ये हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है, कि हम न्याय को ज्यादा से ज्यादा सरल और स्पष्ट बनाएं। और मुझे संतोष है कि देश ने इस दिशा में कई ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाये हैं। हमने पूरी तरह से अप्रासंगिक हो चुके सैकड़ों colonial क़ानूनों को रद्द किया है। आज़ादी के इतने दशक बाद गुलामी की मानसिकता से उबरते हुये देश ने इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता को adopt किया है। दंड की जगह न्याय, ये भारतीय चिंतन का आधार भी है। भारतीय न्याय संहिता इस मानवीय चिंतन को आगे बढ़ाती है। भारतीय न्याय संहिता हमारे लोकतन्त्र को colonial mindset से आज़ाद कराती है। न्याय संहिता की ये मूलभावना ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बने, ये दायित्व अब हम सभी के सामने है।

साथियों,

बीते एक दशक में हमारा देश तेजी से बदला है। कभी हम 10 साल पहले 10वें पायदान से ऊपर उठकर दुनिया की fifth largest economy बन गए हैं। आज देश के सपने भी बड़े हैं, देशवासियों की आकांक्षाएँ भी बड़ी हैं। इसलिए ये जरूरी है कि हम नए भारत के हिसाब से नए Innovation करें, और अपनी व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाएं। ये जस्टिस फॉर ऑल, इसके लिए भी उतना ही जरूरी है। हम देख रहे हैं कि आज technology हमारे judicial system में इतना अहम रोल निभा रही है। आईटी रिवॉल्यूशन से कितना बड़ा बदलाव हो सकता है, हमारा ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। आज देश में 18 हजार से ज्यादा कोर्ट्स कम्प्यूटराइज्ड हो चुकी हैं। मुझे बताया गया है कि नेशनल जूडिशल डेटा ग्रिड से 26 करोड़ से ज्यादा मुकदमों की जानकारी एक सेंट्रलाइज्ड ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर जुड़ चुकी है। आज पूरे देश की 3 हजार से ज्यादा court complexes और 1200 से ज्यादा जेलें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ गई हैं। और मुझे ख़ुशी है कि राजस्थान भी इस दिशा में काफी तेज गति से काम कर रहा है। यहाँ सैकड़ों अदालतें कम्प्यूटराइज्ड हो चुकी हैं। पेपरलेस कोर्ट्स, ई-फाईलिंग, समन के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्विस, वर्चुअल हियरिंग की व्यवस्था, ये कोई सामान्य बदलाव नहीं हैं। हम एक सामान्य नागरिक के दृष्टिकोण से सोचें तो दशकों से हमारे यहाँ कोर्ट के आगे ‘चक्कर’ शब्द, कोई बुरा मत मानना, चक्कर शब्द mandatory हो गया था। कोर्ट का चक्कर, मुकदमे का चक्कर, यानी एक ऐसा चक्कर जिसमें फंस गए तो कब निकलेंगे कुछ पता नहीं! आज दशकों बाद उस सामान्य नागरिक की पीड़ा को खत्म करने, उस चक्कर को खत्म करने के लिए देश ने प्रभावी कदम उठाए हैं। इससे न्याय को लेकर नई उम्मीद जागी है। इस उम्मीद को हमें बनाए रखना है, लगातार अपनी न्यायिक व्यवस्था में reform करते चलना है।

साथियों,

बीते कई कार्यक्रमों में आप सबके बीच मैंने लगातार मीडिएशन की सदियों पुरानी हमारी व्यवस्था का ज़िक्र किया है। आज देश में कम खर्चीले और त्वरित निर्णयों के लिए Alternative Dispute Mechanism बहुत अहम रास्ता बन रहा है। वैकल्पिक Dispute Mechanism की ये व्यवस्था देश में Ease of Living के साथ ही Ease of Justice को भी बढ़ावा देगी। कानूनों में बदलाव करके, नए प्रावधान जोड़कर सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। न्यायपालिका के सहयोग से ये व्यवस्थाएं और ज्यादा सशक्त होंगी।

साथियों,

हमारी न्यायपालिका ने निरंतर राष्ट्रीय विषयों पर सजगता और सक्रियता की नैतिक ज़िम्मेदारी निभाई है। कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने का, देश के संवैधानिक एकीकरण का उदाहरण हमारे सामने है। CAA जैसे मानवीय कानून का उदाहरण हमारे सामने है। ऐसे मुद्दों पर राष्ट्रहित में स्वाभाविक न्याय क्या कहता है, ये हमारी अदालतों के निर्णयों से पूरी तरह से स्पष्ट होता रहा है। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, न्यायपालिका ने अनेकों बार ऐसे विषयों पर ‘राष्ट्र प्रथम’ Nation First के संकल्प को सशक्त किया है। जैसे आपको ध्यान होगा, अभी इसी 15 अगस्त को मैंने लालकिले से सेकुलर सिविल कोड की बात की है। इस मुद्दे पर भले ही कोई सरकार पहली बार इतनी मुखर हुई हो, लेकिन हमारी judiciary दशकों से इसकी वकालत करती आई है। राष्ट्रीय एकता के मुद्दे पर न्यायपालिका का ये स्पष्ट रुख न्यायपालिका पर देशवासियों में भरोसा और बढ़ाएगा।

साथियों,

21वीं सदी के भारत को आगे ले जाने में जो शब्द बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है, वो है इंट्रीग्रेशन। ट्रांसपोर्ट के मोड्स का इंट्रीग्रेशन, डेटा का इंट्रीग्रेशन, हेल्थ सिस्टम का इंट्रीग्रेशन। हमारा विजन है कि देश के जो भी आईटी सिस्टम अलग-अलग काम कर रहे हैं, उन सभी का इंट्रीग्रेशन हो। पुलिस, फॉरेंसिक्स, प्रोसेस सर्विस मैकेनिज्म और सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला अदालतों तक सभी एक साथ जुड़कर काम करें। आज राजस्थान की सभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स में इस इंटीग्रेशन प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई है। मैं आप सभी को इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, आज के भारत में गरीब के सशक्तिकरण का tried and tested formula बन रहा है। पिछले 10 वर्षों में इसे लेकर कई ग्लोबल एजेंसीज़ और संस्थाओं ने भारत की भरपूर तारीफ की है। DBT से लेकर UPI तक, कई क्षेत्रों में भारत का काम एक ग्लोबल मॉडल बनकर उभरा है। अपने उसी अनुभव को हमें जस्टिस सिस्टम में भी implement करना है। इस दिशा में, टेक्नोलॉजी और अपनी भाषा में लीगल documents का access, ये गरीब के सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम बनेगा। सरकार इसके लिए दिशा नाम के Innovative Solution को भी बढ़ावा दे रही है। हमारे Law Students और अन्य Legal Experts इस अभियान में हमारी मदद कर सकते हैं। इसके अलावा देश में स्थानीय भाषाओं में लीगल डॉक्यूमेंट्स और जजमेंट्स लोगों को मिल सकें, इसके लिए भी काम होने हैं। हमारे सुप्रीम कोर्ट ने इसकी शुरुआत की है। सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन में एक सॉफ्टवेयर बना है, जिससे जूडिशल डॉक्यूमेंट्स 18 भाषाओं में ट्रांसलेट हो सकते हैं। मैं ऐसे सभी प्रयासों के लिए हमारी judiciary की भी सराहना करता हूँ।

साथियों,

मुझे विश्वास है हमारी कोर्ट्स, Ease of Justice को इसी तरह सर्वोच्च प्राथमिकता देती रहेंगी। हम जिस विकसित भारत का स्वप्न लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उसमें हर किसी के लिए सरल, सुलभ और सहज न्याय की गारंटी हो, ये बहुत जरूरी है। इसी आशा के साथ, आप सभी को एक बार फिर राजस्थान हाईकोर्ट की प्लेटिनम जुबली की मैं हार्दिक बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।