Over the 9 years the BJP Government at the Center has enabled the creation of infrastructure in the state of Rajasthan in terms of its roadways and highways: PM Modi
The Congress Government has only established a state of loot, falsity and lies: PM Modi
The Congress Government has only indulged in the politics of blame-game and intra-party politics that have taken the state of Rajasthan towards ruin: PM Modi
The rampant abuse of the downtrodden, especially the women and Dalits have gone out of hand, with many of them undergoing systemic exploitation under the Congress regime: PM Modi
Using the acronym ‘INDIA’ the Congress Party yet again with its allies intends to loot the country: PM Modi

श्याम बाबा की… श्याम बाबा की… शाकंभरी माता की… जीण माता की.. सालासर बालाजी की.. लोहार्गल तीर्थ और हर्षनाथ धाम की… वीरों की धरती शेखावाटी को मेरा शत-शत प्रणाम। यहाँ के बारे में कहा जाता है-
बोली जाणी मीठी मिसरी, घमी सुहावै म्हाटी।
धनवानां विद्वानां की, या महापुरसां की थाती।
घम अनमोल रतन निपजावै, वाह भाई शेखावाटी।।


यहाँ आने पर आध्यात्मिक अनुभूति भी मिलती है, और दिव्य आशीर्वाद भी मिलता है। शेखावटी की धरती शिक्षा संत स्वामी केशवानंद जी की जन्म भूमि है। ये श्रद्धानंद जी महाराज, अमृतानाथ जी महाराज, बुद्धगिरी जी महाराज और रतिनाथ जी महाराज की तपोभूमि है। इसी धरती ने हमें भैरोसिंह शेखावत, जगदीश प्रसाद माथुर और मदन लाल सैनी जैसे नेता दिए हैं। इसी शेखावाटी से निकले जगदीप धनखड़ जी आज देश के उपराष्ट्रपति हैं। इसलिए, आज जब मैं सीकर आया हूँ, तो मेरे मन में एक अलग उमंग है उत्साह है, ऊर्जा है। आप इतनी बड़ी संख्या में हमें आशीर्वाद देने आए हैं। जहां-जहां भी नजर पहुंचती है लोग ही लोग है। वहां तो पीछे बिल्डिंग के ऊपर भी लोग दिखते हैं। ये जनसैलाब बता रहा है कि आने वाले चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा। अब राजस्थान की करवट भी बदलेगी और मेरी गारंटी है राजस्थान की किस्मत भी बदलेगी। इसलिए आज राजस्थान में चारों तरफ एक ही गूंज है, एक ही स्वर है, एक ही नारा है- जीतेगा कमल, खिलेगा कमल!

साथियों,
भाजपा की सरकार, राजस्थान की दिन-रात सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है। अभी कुछ देर पहले, आपने शायद यहां टीवी पर कार्यक्रम देखा होगा, किसानों के बैंक खातों में पीएम किसान सम्मान निधि के लगभग 18 हजार करोड़ रुपए भेजे गए गए है। राजस्थान के भी 55 लाख से ज्यादा किसानों को आज 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा सीधे उनके खाते में पहुंच गए हैं। आज मुझे राजस्थान के अलग-अलग जिलों में 7 मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास उसका अवसर भी मिला है। सीकर, चित्तौड़गढ़, धौलपुर, सिरोही, और श्रीगंगानगर के मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण भी आज हुआ है। युवाओं के भविष्य के लिए नए एकलव्य स्कूल भी मैंने राजस्थान के लोगों को समर्पित किए हैं।

साथियों,
केंद्र सरकार की तरफ से राजस्थान की सेवा का ये सिलसिला लगातार चल रहा है। इससे पहले कुछ सप्ताह पहले मैं बीकानेर आया था। तब भी मुझे अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे और 24 हजार करोड़ रुपयों की परियोजनाओं के लोकार्पण-शिलान्यास का सौभाग्य मिला था। राजस्थान में अच्छी सड़कों के लिए, अच्छे हाईवे के लिए, राज्य के विकास के लिए भाजपा सरकार लगातार केंद्र से पैसा दे रही है।
जब केंद्र में, साथियों ये याद रखना... याद रखोगे..? याद रखोगे..? जरा हाथ ऊपर करके बताओ याद रखोगे..? पक्का याद रखोगे..? केंद्र में जब कांग्रेस की सरकार थी तो 10 साल में राजस्थान को टैक्स की हिस्सेदारी के रूप में एक लाख करोड़ रुपए ही दिए गए थे। बीते 9 वर्षो में भाजपा की सरकार ने टैक्स की हिस्सेदारी के रूप में राजस्थान को 4 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा पहुंचाए हैं। कहां एक लाख करोड़ और कहां चार लाख करोड़। जब केंद्र में 10 साल कांग्रेस की सरकार थी, तो राजस्थान को सेंट्रल ग्रांट के रूप में भी करीब 50 हजार करोड़ रुपए ही दिए गए थे। हमारी सरकार ने बीते 9 वर्षों में सेंट्रल ग्रांट के तौर पर राजस्थान को डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा दिए हैं। लेकिन जबसे यहां कांग्रेस की सरकार बनी है, तबसे यहां विकास के काम में सिर्फ रोड़े अटकाने का ही काम चल रहा है। मैंने राजस्थान सहित पूरे देश की बहनों से वादा किया था कि उनके घर तक पाइप से पानी पहुंचाऊंगा। और जब इतनी बड़ी मात्रा में माताएं-बहने आशीर्वाद देने आई हैं हमने इसके लिए जल जीवन मिशन शुरु किया। आज देशभर में, आंकड़ा सुनिए दोस्तों... आज देश भर में 9 करोड़ से अधिक नए परिवारों तक पानी के कनेक्शन पहुंच चुके हैं। अनेक राज्यों में शत-प्रतिशत नल से जल देने का काम पूरा हो गया है। लेकिन राजस्थान के लोगों को कांग्रेस की सरकार पानी के लिए भी तरसा कर रखना चाहती है। राजस्थान, हर घर जल योजना में बहुत पीछे चल रहा है। यहां शेखावाटी के लोग जानते हैं कि कुंभाराम लिफ्ट पेयजल योजना के साथ इन्होंने क्या किया। जब यहां भाजपा सरकार थी, तब इस पर 5 हजार करोड रुपए का खर्च होने का अनुमान था। कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्होंने परियोजना को तो लटका दिया। आज इसकी लागत भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है। यानि कांग्रेस ने पानी का भी नुकसान किया और पैसे का भी नुकसान किया।

भाइयों और बहनों,
कांग्रेस ने राजस्थान में सरकार चलाने के नाम पर सिर्फ लूट की दुकान चलाई है, झूठ का बाजार सजाया है। कांग्रेस का मतलब ही है- लूट की दुकान, झूठ का बाज़ार! और लूट की इस दुकान का सबसे ताजा प्रॉडक्ट है- राजस्थान की लाल डायरी। आपने लाल डायरी के बारे में सुना है ना? कहते हैं इस लाल डायरी में कांग्रेस सरकार के काले कारनामे दर्ज हैं। लोग कह रहे हैं कि लाल डायरी के पन्ने खुले तो अच्छे-अच्छे निपट जाएंगे। कांग्रेस के बड़े से बड़े नेताओं की इस लाल डायरी का नाम सुनते ही बोलती बंद हो रही है। ये लोग भले ही मुंह पर ताला लगा लें, लेकिन ये लाल डायरी इस चुनाव में पूरी कांग्रेस का डिब्बा गोल करने जा रही है।

साथियों,
लोकतंत्र में हर सरकार को अपने काम का हिसाब देना होता है। लेकिन क्या राजस्थान में कांग्रेस आपको अपने काम का हिसाब देती है क्या? जरा जोर से बताइए ना अपने काम का हिसाब देती है क्या?
जो चार साल सिर्फ सोएगा, वो अपने काम का हिसाब कैसे देगा? इन लोगों ने सरकार का हर दिन, आपसी खींचतान में, वर्चस्व की लड़ाई में बर्बाद किया है। साथियों, आज केंद्र की भाजपा सरकार, आपके सुख-दुख की साथी बनकर, आपके जीवन से मुश्किलें कम करने के लिए काम कर रही है। देश के करोड़ों लोगों को पक्का घर बनाकर लखपति बनाने की गारंटी दी है। साथियों पक्का घर बनाकर लखपति बनाने की गारंटी किसने दी है?.. ये गारंटी किसने दी है? इस गारंटी को किसने पूरा किया है? - भाजपा सरकार ने। देश के करोड़ों गरीबों को मुफ्त राशन की गारंटी किसने दी?... किसने दी?..- भाजपा सरकार ने दी। कोरोना के काल में करोड़ों गरीबों को मुफ्त वैक्सीन की गारंटी किसने दी?- भाजपा सरकार ने दी। देश के करोड़ों गरीबों को अस्पताल में 5 लाख तक के मुफ्त इलाज की गारंटी किसने दी?.. किसने दी? जनऔषधि केंद्र में गरीबों को सस्ती दवाइयों की गारंटी किसने दी?... किसने दी?... गरीब का बच्चा भी ईंजीनियर-डॉक्टर बन सके, अंग्रेजी न आने की वजह से पीछे न रह जाए, इसके लिए मातृभाषा में पढ़ाई की गारंटी किसने दी?... पूरी ताकत से बोलिए किसने दी?...गरीब के कल्याण के लिए दिल्ली में बैठा आपका ये सेवक पूरे समर्पित भाव से काम कर रहा है।

भाइयों और बहनों,
हमारे सीकर की पहचान तो शिक्षा नगरी के रूप में भी होती है। यहां के गांव-ढाणी डॉक्टर-इंजीनियर बनाते आए हैं। केंद्र की भाजपा सरकार युवाओं को शिक्षा और रोज़गार के नए अवसर देने में जुटी है। लेकिन राजस्थान में क्या हो रहा है? राजस्थान में युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है, पेपरलीक उद्योग चल रहा है, पेपरलीक उद्योग। ...राजस्थान के युवा काबिल हैं, समर्थ हैं, लेकिन यहां की सरकार उनके भविष्य को बर्बाद कर रही है। यहां सत्ताधारी दल के लोगों पर ही पेपरलीक माफिया होने का आरोप लग रहा है। लग रहा है ना... लग रहा है ना..राजस्थान के युवाओं को पेपरलीक माफिया से बचाने के लिए क्या करना पड़ेगा? कांग्रेस को हटाना ही होगा। क्या करना होगा? भाइयों और बहनों, राज्य सरकारों की एक और सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है, नागरिकों की सुरक्षा की, कानून-व्यवस्था की। लेकिन कांग्रेस सरकार ये भी नहीं कर पा रही। आए दिन गैंगवॉर की खबरों ने राजस्थान जैसे शांतिप्रिय प्रदेश को उसकी साख की साख को बिगाड़ दिया है। राजस्थान में दलितों पर अत्याचार चरम पर है। राजस्थान में नशे की तस्करी, नशे का कारोबार फल-फूल रहा है। हमारे तीज-त्यौहारों पर खतरा मंडराता रहा है। कब पत्थर चलने लगें, कब गोलियां चले, कब कर्फ्यू लग जाए, कोई नहीं जानता। भाइयों और बहनों, राजस्थान के लोग कुछ भी बर्दाश्त कर सकते हैं, लेकिन राजस्थान के लोग बहन-बेटियों के सम्मान से खिलवाड़ कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकते। मां पद्मावती और पन्ना धाय की इस धरती की बेटियों के साथ जो हो रहा है, वो आक्रोश से भर देता है। किसी दलित बेटी के साथ दुष्कर्म होता है, और फिर उस पर एसिड डाल दिया जाता है। किसी दलित बहन के साथ उसके पति के सामने गैंगरेप होता है, आरोपी उसका वीडियो बनाते हैं। पुलिस में रिपोर्ट नहीं लिखी जाती, बेखौफ़ आरोपी वीडियो वायरल कर देते हैं। छोटी-छोटी बच्चियां, स्कूलों में पढ़ाने वाली टीचर्स तक यहां सुरक्षित नहीं हैं। और साथियों, कार्रवाई करने के बजाय कांग्रेस के नेता पीड़ित महिलाओं पर ही झूठ बोलने का आरोप लगा रहे हैं। वाकई, बहुत हो गया। भाइयों-बहनों राजस्थान की धरती है, ये वीरों की धरती है, ये पराक्रमियों की धरती है, ये याचना करने वाले लोग नहीं है, ये हुंकार करने वाले लोग हैं। और इसलिए इस बार चारो ओर एक ही हुंकार है, एक ही नारा है... हर राजस्थानी का एक ही संकल्प है... बहन बेटियों पर अत्याचार, नहीं सहेगा राजस्थान! बहन बेटियों पर अत्याचार... बहन बेटियों पर अत्याचार.. बहन बेटियों पर अत्याचार... दलित पर अत्याचार... दलित पर अत्याचार... कर्ज़ से मरता किसान... कर्ज़ से मरता किसान...! अपराध बेलगाम- नहीं सहेगा राजस्थान !

पेपर लीक से युवा परेशान- नहीं सहेगा राजस्थान! भ्रष्टाचार- नहीं सहेगा राजस्थान !

साथियों,
कांग्रेस आज देश की सबसे बड़ी दिशाविहीन पार्टी बनकर रह गई है। इन दिनों कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने एक नया पैंतरा चला है। ये पैंतरा है, नाम बदलने का। पहले के जमाने में, राजस्थान के लोग व्यापारियों की दुनिया को बराबर जानते हैं, पहले के जमाने में कोई पीढ़ी, कोई कंपनी अगर बदनाम हो जाए तो फ्रॉड करने वाली कंपनी का चिट्ठा लिकल जाए तो तुरंत वो कंपनी वाले नया बोर्ड लगाकर के अपना कारोबार शुरू कर के लोगों को भ्रमित करने का काम करते थे। नाम बदल करके लोगों को मूरख बना कर के अपना धंधा पानी चलाने की कोशिश करते थे। कांग्रेस और उसके साथियों की जमात, ऐसी फ्रॉड कंपनियों की नकल कर रही है। UPA के कुकर्म लोगों को याद ना आएं, इसलिए, इन्होंने अपना नाम यूपीए से बदलकर आईएनडीआईए कर दिया और इतना लंबा कर दिया कि लोग भूल जाएं। UPA ने नाम बदला है ताकि ये आतंकवाद के सामने घुटने टेकने का अपना पाप छिपा सकें। इन्होंने नाम बदला है ताकि ये कर्जमाफी के नाम पर किसानों से विश्वासघात को छिपा सकें। UPA नाम बदला है ताकि ये गरीबों के साथ किए गए छल-कपट को छिपा सकें। और मैं आज राजस्थान की धरती से देश के लोगों को एक और बात बताना चाहता हूं। इनका तरीका वही है, जो हमेशा देश के दुश्मनों ने अपनाया है। पहले भी, ये तो आईएनडीआईए के नाम से आए हैं, लेकिन पहले इंडिया के नाम के पीछे अपने पाप को छुपाने का प्रयास किया गया है। इंडिया नाम तो ईस्ट इंडिया कंपनी में भी था। ईस्ट इंडिया कंपनी में था कि नहीं था? लेकिन इंडिया नाम, अपनी भारतभक्ति दिखाने के लिए नहीं बल्कि भारत को लूटने के इरादे से लगाया गया था। आपको याद होगा कि कांग्रेस के शासनकाल में SIMI यानि स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया बना था। नाम में इंडिया था, लेकिन मिशन, इंडिया को आतंकी हमलों से बर्बाद करने का था। जब इसके कुकर्म सामने आए तो सीमी भी बैन किया गया। और ये बैन हुआ तो फिर ये नया नाम लेकर आए- उन्होंने भी नाम बदला... SIMI बन गया PFI यानि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया। नाम नया, नाम में फिर इंडिया, लेकिन काम वही पुराना।

साथियों,
आईएनडीआईए के नाम के लेबल से ये अपने पुराने कारनामों को छुपाना चाहते हैं। यूपीए के कारनामों को छुपाना चाहते हैं। अगर इनको वाकई इंडिया की परवाह होती तो, क्या ये विदेश में जाकर के विदेशियों से भारत में दखल देने के लिए बात करते क्या? अगर इन्हें इंडिया की चिंता होती तो, क्या ये सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाते क्या? इनको इंडिया की चिंता होती, तो क्या ये गलवान में भारत की सेना के शौर्य को कठघरे में रखते क्या? साथियों, ये वही चेहरे हैं जो आतंकी हमला होने पर दुनिया के आगे रोते थे, खुद कुछ नहीं करते थे। इन्हें देश के सुरक्षाबलों के सामर्थ्य पर भरोसा नहीं है। ये वही चेहरे हैं, जिन्होंने हमारे सैनिकों का हक मारा है। दशकों तक हमारे सैनिक वन रैंक वन पेंशन मांगते रहे, लेकिन इन्होंने नहीं दिया। जो लोग टुकड़े-टुकड़े गैंग को गले लगाते हैं, जो लोग भारत में भाषा के आधार पर बंटवारा करते हैं, जो लोग विदेशों से संबंध भी इस आधार पर बनाते हैं, कि उनका वोट बैंक नाराज़ ना हो जाए, इनके लिए राष्ट्रहित नहीं बल्कि वोटबैंक सर्वोपरि है, वो लोग जब आईएनडीआईओ की बात करते हैं, तो दिखावा लगता है, छलावा लगता है, झूठ लगता है। भाइयों और बहनों, इन लोगों में अहंकार कूट-कूट कर भरा हुआ है। एक बार इन्होंने नारा दिया था इंदिरा Is India, India इज इंदिरा। और तब देश की जनता ने इनका हिसाब चुकता किया था, चुन-चुन कर के साफ कर दिया था.. इन्हें उखाड़ फेंका था उनलोगों को। अहंकार से भरे इन लोगों ने फिर वही पाप दोहराया है। ये सुधरने को तैयार नहीं है... ये लोग कह रहे हैं UPA is India, India is UPA. इनका जनता फिर से एक बार वही हाल करेगी जो पहले किया था।

साथियों,
हम जानते हैं कि आजादी का आंदोलन जब पूरी प्रखरता पर था तो महात्मा गांधी ने एक नारा दिया था। ये नारा देश के लोगों की प्रेरणा बन गया था। और आजादी के आंदोलन में इस नारे ने ऊर्जा भर दी थी। नौजवान स्कूल-कॉलेज में अपनी किताबें छोड़ कर के महात्मा गांधी के आदेश पर आजादी के लिए चल पड़े थे, जेलें भर दी थी, क्योंकि गोलियां कम पड़ गई थी। वो दिन थे और तब महात्मा गांधी ने जो नारा दिया था। आज फिर से देश के कल्याण के लिए, देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए उस नारे की फिर से जरूरत है दोस्तों। इस नारे को फिर से गांव-गांव और घर-घर पहुंचाने की जरूरत है। क्या नारा था ? महात्मा गांधी ने नारा दिया था क्विट इंडिया- अंग्रेजों इंडिया छोड़ो... अंग्रेजों इंडिया छोड़ो...और अंग्रेजों को देश छोड़कर जाना पड़ा था। वैसे ही आज हम समृद्ध भारत बनाने का संकल्प लेकर चल रहे हैं। जैसे गांधी जी ने क्विट इंडिया का मंत्र दिया था, वैसे ही आज का मंत्र है- भ्रष्टाचार- क्विट इंडिया... भ्रष्टाचार- छोड़ो इंडिया..। परिवारवाद- क्विट इंडिया... परिवारवाद छोड़ो इंडिया। तुष्टिकरण- क्विट इंडिया- तुष्ट्रिकरण छोड़ो इंडिया..। क्विट इंडिया ही देश को बचाएगा और देश को विकसित भारत बनाएगा।

भाइयों और बहनों,
राजस्थान के लिए भी भाजपा का रोडमैप स्पष्ट है, नीति साफ है। आने वाले 5 साल में जब भारत दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी होगा, तो उसमें राजस्थान की बहुत बड़ी हिस्सेदारी होगी। भाजपा सरकार बनते ही, यहां भ्रष्टाचारियों पर, अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भाजपा सरकार राजस्थान के नौजवान की आकांक्षा को सम्मान देगी। भाजपा की डबल इंजन सरकार बिना रुके, बिना थके काम करेगी। राजस्थान के पास सामर्थ्य की कमी नहीं है। राजस्थान के विकास के लिए जैसे पूरा राजस्थान आज मेरा साथ दे रहा है मेरा शेखावाटी भी पीछे नहीं रहेगा, ये मुझे पूरा भरेसा है। साथियों हाथ ऊपर करके जवाब दीजिए शेखावटी की हर सीट, हर विधानसभा सीट पर, हर बूथ पर कमल खिला कर के रहेंगे। ये संकल्प है? ये वादा है? साथियों ये ऊर्जा पूरे राजस्थान के हर बूथ पर कमल खिलाएगी। इसी विश्वास के साथ घर-घर ये मंत्र लेकर चले जाइए... भ्रष्टाचारी क्विट इंडिया... परिवारवादी- क्विट इंडिया.. इस मंत्र को लेकर के आगे बढ़ें
बहुत-बहुत धन्यवाद !


मेरे साथ बोलिए भारत माता की...

भारत माता की...

भारत माता की...

जय..

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!