ఒక ‘న్యూ ఇండియా’ అవసరాల కు, ఆకాంక్షల కు తగినట్లు గా దేశ రాజధాని నగరాన్ని అభివృద్ధి పరచడం లో స్వాతంత్య్ర 75వ సంవత్సరం లో భారతదేశం మరొక అడుగును వేసింది: ప్రధాన మంత్రి
రాజధాని నగరం లో ఒక ఆధునికమైన డిఫెన్స్ ఎన్ క్లేవ్ ను నిర్మించే దిశ లో ఇది ఒక పెద్ద అడుగు: ప్రధాన మంత్రి
ఏ దేశ రాజధాని అయినా ఆ దేశం ఆలోచన దృక్పథాని కి, దృఢ సంకల్పాని కి, బలాని కి, సంస్కృతి కి ఒక చిహ్నం గా ఉంటుంది: ప్రధాన మంత్రి
భారతదేశం ప్రజాస్వామ్యాని కి జనని గా ఉంది; భారతదేశం యొక్క రాజధాని ఎలా ఉండాలి అంటే దాని కేంద్ర స్థానం లో ప్రజలు, పౌరులు ఉండాలి: ప్రధాన మంత్రి
‘జీవించడం లో సౌలభ్యం’ పై, ‘వ్యాపారం చేయడం లో సౌలభ్యం’ పై ప్రభుత్వం తీసుకొంటున్న శ్రద్ధ లో ఆధునిక మౌలిక సదుపాయాల కు ఒక ప్రధాన పాత్ర ఉంది: ప్రధాన మంత్రి
విధానాలు, ఉద్దేశ్యాలు స్పష్టం గా ఉన్నప్పుడు, సంకల్ప శక్తి దృఢం గా ఉన్నప్పుడు, ప్రయత్నాల లో నిజాయతీ ఉన్నప్పుడు ప్రతిదీ సాధ్యమే: ప్రధాన మంత్రి
ఈ ప్రాజెక్టు లు అనుకొన్న కాలం కంటే ముందుగానే పూర్తి కావడమనేది మారిన దృష్టికోణాన్ని, మారిన ఆలోచన విధానాన్ని స్పష్టపరచేది గా ఉంది: ప్రధాన మంత్రి

कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे वरिष्ठ सहयोगी श्रीमान राजनाथ सिंह जी, हरदीप सिंह पुरी जी, अजय भट्ट जी, कौशल किशोर जी, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत जी, तीनों सेनाओं के प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारीगण, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

आज़ादी के 75वें वर्ष में आज हम देश की राजधानी को नए भारत की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुसार विकसित करने की तरफ एक महत्‍वपूर्ण कदम बढ़ा रहे हैं। ये नया डिफेंस ऑफिस कॉम्लेक्स हमारी सेनाओं के कामकाज को अधिक सुविधाजनक, अधिक प्रभावी बनाने के प्रयासों को और सशक्त करने वाला है। इन नई सुविधाओं के लिए डिफेंस से जुड़े सभी साथियों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आप सभी परिचित हैं कि अभी तक डिफेंस से जुड़ा हमारा कामकाज दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बनाए गए हटमेंट्स से ही चल रहा था। ऐसे हटमेंट्स जिनको उस समय घोड़ों के अस्तबल और बैरकों से संबंधित ज़रूरतों के अनुसार बनाया गया था। आज़ादी के बाद के दशकों में इनको रक्षा मंत्रालय, थलसेना, नौसेना और वायुसेना के दफ्तरों के रूप में विकसित करने के लिए समय-समय पर हल्‍की-फुल्‍की मरम्म्त हो जाती थी, कोई ऊपर के अधिकारी आने वाले हैं तो थोड़ा और पेंटिंग हो जाता था और ऐसे ही चलता रहा। इसकी बारीकियों को जब मैंने देखा तो मेरे मन में पहला विचार ये आया कि ऐसी बुरी अवस्‍था में हमारे इतने प्रमुख सेना के लोग देश की रक्षा के लिए काम करते हैं। इसकी इस हालत के संबंध में हमारे दिल्‍ली की मीडिया ने कभी लिखा क्‍यों नहीं। ये मेरे मन में होता था, वरना ये ऐसी जगह थी कि जरूर कोई न कोई आलोचना करता कि भारत सरकार क्‍या कर रही है। लेकिन पता नहीं किसी ने इस पर ध्‍यान नहीं दिया। इन हटमेन्ट्स में आने वाली परेशानियों को भी आप लोग भली-भांति जानते हैं।

आज जब 21वीं सदी के भारत की सैन्य ताकत को हम हर लिहाज़ से आधुनिक बनाने में जुटे हैं, एक से एक आधुनिक हथियारों से लैस करने में जुटे हैं, बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाया जा रहा है, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के माध्यम से सेनाओं का को-ऑर्डिनेशन बेहतर हो रहा है, सेना की ज़रूरत की प्रोक्योरमेंट जो सालों-साल चलती थी वो तेज़ हुई है, तब देश की रक्षा-सुरक्षा से जुड़ा कामकाज दशकों पुराने हटमेंट्स से हो, ये कैसे संभव हो सकता है और इसलिए इन स्थितियों को बदलना भी बहुत ज़रूरी था और मैं ये भी बताना चाहूंगा कि जो लोग सेंट्रल विस्‍टा के प्रोजेक्‍ट के पीछे डंडा लेकर पड़े थे वे बड़ी चतुराई से बड़ी चालाकी से सेंट्रल विस्‍टा प्रोजेक्‍ट का यह भी एक हिस्‍सा है। सात हजार से अधिक सेना के अफसर जहां काम करते हैं वो व्‍यवस्‍था विकसित हो रही है, इस पर बिल्‍कुल चुप रहते थे क्‍योंकि उनको मालूम था जो भ्रम फैलाने का इरादा, झूठ फैलाने का इरादा है, जैसे ही यह बात सामने आएगा तो फिर उनकी सारी गपबाजी चल नहीं पाएगी लेकिन आज देश देख रहा है कि सेंट्रल विस्‍टा के पीछे हम कर क्‍या रहे हैं। अब केजी मार्ग और अफ्रीका एवेन्यु में बने ये आधुनिक ऑफिस, राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े हर काम को प्रभावी रूप से चलाने में बहुत मदद करेंगे। राजधानी में आधुनिक डिफेंस एऩ्क्लेव के निर्माण की तरफ ये बड़ा और महत्‍वपूर्ण स्टेप है। दोनों परिसरों में हमारे जवानों और कर्मचारियों के लिए हर ज़रूरी सुविधा दी गई है। और मैं आज देशवासियों के सामने मेरे मन में जो मंथन चल रहा था उसका भी जिक्र करना चाहता हूं।

2014 में आपने मुझे सेवा करने का सौभाग्‍य दिया और तब भी मुझे लगता था कि ये सरकारी दफ्तरों के हाल ठीक नहीं है। संसद भवन के हाल ठीक नहीं है और 2014 में ही आकर मैं पहला ये काम कर सकता था लेकिन मैंने वो रास्‍ता नहीं चुना। मैंने सबसे पहले भारत की आन-बाण-शान, भारत के लिए जीने वाले भारत के लिए जूझने वाले हमारे देश के वीर जवान, जो मातृभूमि के लिए शहीद हो गए, उनका स्‍मारक बनाना सबसे पहले तय किया और आज जो काम आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था वो काम 2014 के बाद प्रारंभ हुआ और उस काम को पूर्ण करने के बाद हमने हमारे दफ्तरों को ठीक करने के लिए सेंट्रल विस्‍टा का काम उठाया। सबसे पहले हमने याद किया मेरे देश के वीर शहीदों को, वीर जवानों को।

साथियों,

ये जो निर्माण कार्य हुआ है कामकाज के साथ-साथ यहां आवासीय परिसर भी बनाए गए हैं। जो जवान 24x7 महत्वपूर्ण सुरक्षा कार्यों में लगे रहते हैं, उनके लिए ज़रूरी आवास, किचन, मेस, इलाज से जुड़ी आधुनिक सुविधाएं इन सबका भी निर्माण किया गया है। देशभर से जो हजारों रिटायर्ड सैनिक अपने पुराने सरकारी कामकाज के लिए यहां आते हैं, उनका भी विशेष ख्‍याल रखना, उनको ज़्यादा परेशानी ना हो इसके लिए उचित कनेक्टिविटी का यहां ध्यान रखा गया है। एक अच्छी बात ये भी है कि जो बिल्डिगें बनी हैं, वो इको-फ्रेंडली हैं और राजधानी के भवनों का जो पुरातन रंग-रूप है, जो उसकी एक पहचान है, बरकरार रखा गया है। भारत के कलाकारों की आकर्षक कलाकृतियों को, आत्मनिर्भर भारत के प्रतीकों को यहां के परिसरों में स्थान दिया गया है। यानि दिल्ली की जीवंतता और यहां के पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए, हमारी सांस्कृतिक विविधता का आधुनिक स्वरूप यहां हर कोई अनुभव करेगा।

साथियों,

दिल्ली को भारत की राजधानी बने 100 वर्ष से अधिक का समय हो गया है। 100 वर्ष से अधिक के इस कालखंड में यहां की आबादी और अन्य परिस्थितियों में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है। जब हम राजधानी की बात करते हैं तो वो सिर्फ एक शहर नहीं होता है। किसी भी देश की राजधानी उस देश की सोच, उस देश के संकल्‍प, उस देश का सामर्थ्य और उस देश की संस्कृति का प्रतीक होती है। भारत तो लोकतंत्र की जननी है। इसलिए भारत की राजधानी ऐसी होनी चाहिए, जिसके केंद्र में लोक हो, जनता जनार्दन हो। आज जब हम Ease of living और Ease of doing business पर फोकस कर रहे हैं, तो इसमें आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की भी उतनी ही बड़ी भूमिका है। सेंट्रल विस्टा से जुड़ा जो काम आज हो रहा है, उसके मूल में यही भावना है। इसका विस्तार हमें आज शुरू हुई सेंट्रल विस्टा से जुड़ी वेबसाइट में भी दिखता है।

साथियों,

राजधानी की आकांक्षाओं के अनुरूप दिल्ली में नए निर्माण पर बीते वर्षों में बहुत जोर दिया गया है। देशभर से चुनकर आए जनप्रतिनिधियों के लिए नए आवास हों, आंबेडकर जी की स्मृतियों को संजोने के प्रयास हों, अनेक नए भवन हों, जिन पर लगातार काम किया गया है। हमारी सेना, हमारे शहीदों, हमारे बलिदानियों के सम्मान और सुविधा से जुड़े राष्ट्रीय स्मारक भी इसमें शामिल हैं। इतने दशकों बाद सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस बल के शहीदों के लिए राष्ट्रीय स्मारक आज दिल्ली का गौरव बढ़ा रहे हैं। और इनकी एक बहुत बड़ी विशेषता ये रही है कि इनमें से अधिकतर तय समय से पहले पूरे किए गए हैं वरना सरकारों की पहचान यही है – होती है, चलती है, कोई बात नहीं, 4-6 महीने देर है तो स्‍वाभाविक है। हमने नया वर्क कल्‍चर सरकार में लाने का ईमानदारी से प्रयास किया ताकि देश की संपत्ति बर्बाद न हो, समय-सीमा में काम हो, निर्धारित खर्च से भी कुछ कम खर्च में क्‍यों न हो और professionalism हो, efficiency हो, इन सारी बातों पर हम बल दे रहे हैं ये सोच और अप्रोच में आई efficiency का एक बहुत बड़ा उदाहरण आज यहां प्रस्तुत है।

डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स का भी जो काम 24 महीने में पूरा होना था, वो सिर्फ 12 महीने के रिकॉर्ड समय में कम्प्लीट किया गया है यानि 50 प्रतिशत समय बचा लिया गया। वो भी उस समय जब कोरोना से बनी परिस्थितियों में लेबर से लेकर तमाम प्रकार की चुनौतियां सामने थीं। कोरोना काल में सैकड़ों श्रमिकों को इस प्रोजेक्ट में रोजगार मिला है। इस निर्माण कार्य से जुड़े सभी श्रमिक साथी, सभी इंजीनियर, सभी कर्मचारी, अधिकारी, ये सब के सब इस समय सीमा में निर्माण के लिए तो अभिनंदन के अधिकारी हैं लेकिन साथ-साथ कोरोना का इतना भयानक जब खौफ था, जीवन और मृत्‍यु के बीच में सवालिया निशान थे, उस समय भी राष्‍ट्र निर्माण के इस पवित्र कार्य में जिन-जिन लोगों ने योगदान किया है, पूरा देश उनको बधाई देता है। पूरा देश उनका अभिनन्‍दन करता है। ये दिखाता है कि जब नीति और नीयत साफ हो, इच्छाशक्ति प्रबल हो, प्रयास ईमानदार हों, तो कुछ भी असंभव नहीं होता है, सब कुछ संभव होता है। मुझे विश्वास है, देश की नई पार्लियामेंट बिल्डिंग का निर्माण भी, जैसे हरदीप जी बड़े विश्‍वास के साथ बता रहे थे, तय समय सीमा के भीतर ही पूरा होगा।

साथियों,

आज कंस्ट्रक्शन में जो तेज़ी दिख रही है, उसमें नई कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलॉजी की भी बड़ी भूमिका है। डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स में भी पारंपरिक आरसीसी निर्माण के बजाय लाइट गेज स्टील फ्रेम तकनीक का उपयोग किया गया है। नई तकनीक के चलते ये भवन आग और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं से अधिक सुरक्षित हैं। इन नए परिसरों के बनने से दर्जनों एकड़ में फैले पुराने हटमेंट्स के रखरखाव में जो खर्च हर वर्ष करना पड़ता था, उसकी भी बचत होगी। मुझे खुशी है कि आज दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के अन्य शहरों में भी स्मार्ट सुविधाएं विकसित करने, गरीबों को पक्के घर देने के लिए आधुनिक कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलॉजी पर फोकस किया जा रहा है। देश के 6 शहरों में चल रहा लाइट हाउस प्रोजेक्ट इस दिशा में एक बहुत बड़ा प्रयोग है। इस सेक्टर में नए स्टार्ट अप्स को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिस स्पीड और जिस स्केल पर हमें अपने अर्बन सेंटर्स को ट्रांसफॉर्म करना है, वो नई टेक्नॉलॉजी के व्यापक उपयोग से ही संभव है।

साथियों,

ये जो डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स बनाए गए हैं, ये वर्क-कल्चर में आए एक और बदलाव और सरकार की प्राथमिकता का प्रतिबिंब हैं। ये प्राथमिकता है, उपलब्ध लैंड का सदुपयोग। और सिर्फ लैंड ही नहीं, हमारा ये विश्‍वास है और हमारा प्रयास है कि हमारे जो भी रिसोर्सेज हैं, हमारी जो भी प्राकृतिक संपदाएं हैं उसका optimum Utilization होना चाहिए। अनाप-शनाप ऐसी संपदा की बर्बादी अब देश के लिए उचित नहीं है और इस सोच के परिणामस्‍वरूप सरकार के अलग-अलग डिपार्टमेंट के पास जो जमीनें है उनके Proper और optimum Utilization पर परफेक्‍ट प्‍लानिंग के साथ आगे बढ़ने पर बल दिया जा रहा है। ये जो नए परिसर बनाए गए हैं वो लगभग 13 एकड़ भूमि में बने हैं। देशवासी आज जब ये सुनेंगे, जो लोग दिन-रात हमारे हर काम की आलोचना करते हैं, उनका चेहरा सामने रखकर इन चीजों को सुनें देशवासी। दिल्‍ली जैसे इतने महत्‍वपूर्ण जगह पर 62 एकड़ भूमि में राजधानी के अंदर 62 एकड़ भूमि में, इतनी विशाल जगह पर ये जो हटमेंस बने हुए थे, उसको वहां से शिफ्ट किया और उत्‍तम प्रकार की आधुनिक व्‍यवस्‍था सिर्फ 13 एकड़ भूमि में निर्माण हो गया। देश की संपत्ति का कितना बड़ा सदुपयोग होरहा है यानि इतनी बड़ी और आधुनिक सुविधाओं के लिए पहले के मुकाबले लगभग 5 गुना कम भूमि का उपयोग हुआ है।

 

साथियों,

आज़ादी के अमृतकाल यानि आने वाले 25 सालों में नए आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का ये मिशन सबके प्रयास से ही संभव है। सरकारी व्यवस्था की Productivity और Efficiency बढ़ाने का जो बीड़ा आज देश ने उठाया है, यहां बन रहे नए भवन उस सपनों को सपोर्ट कर रहे हैं, उस संकल्‍प को साकार करने का विश्‍वास जगा रहे हैं। कॉमन केंद्रीय सचिवालय हो, कनेक्टेड कॉन्फ्रेंस हॉल हों, मेट्रो जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सुलभ कनेक्टिविटी हो, ये सबकुछ राजधानी को People Friendly बनाने में भी बहुत मदद करेंगे। हम सभी अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त करें, इसी कामना के साथ मैं फिर एक बार आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं!

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
Today, Maharashtra has witnessed the triumph of development, good governance, and genuine social justice: PM Modi to BJP Karyakartas
The people of Maharashtra have given the BJP many more seats than the Congress and its allies combined, says PM Modi at BJP HQ
Maharashtra has broken all records. It is the biggest win for any party or pre-poll alliance in the last 50 years, says PM Modi
‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।