PM Modi hails new budget, says imperative to build new India on foundation of self-reliance
In 2013-14, India's exports stood at Rs 2.85 lakh crore. Today, it has achieved Rs 4.7 lakh crore: PM Modi
Reforms have expanded economy, says PM Modi about the Budget at Aatmanirbhar Arthvyavastha programme
Ken-Betwa river interlinking project is set to change face of Bundelkhand spanning Madhya Pradesh & Uttar Pradesh: PM Modi
Budget 2022 focus is on providing basic necessities to poor, middle class, youth: PM Modi
PM Modi calls Budget 2022 a bold move to turn a crisis into an opportunity
Migration from border villages not good for national security; budget has provisions to develop 'vibrant villages' on border: PM
Budget has envisioned 2,500-km long natural farming corridor along banks of River Ganga, will also help Clean Ganga mission: PM Modi

नमस्कार !

देशभर से जुड़े भारतीय जनता पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं का बहुत-बहुत अभिवादन! मैं सबसे पहले तो हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान नड्डा जी का बहुत आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने आज इस कार्यक्रम की रचना की और मुझे भी खास कर बजट के पीछे हमारी सोच क्या है, वो पार्टी के कार्यकर्ताओं के सामने प्रस्तुत करने का आवसर दिया है। वैसे कल निर्मला जी ने बहुत ही खूबसूरती से, बहुत ही अच्छे ढंग से और बड़ी कोशिश करके, कम समय में, बजट के कुछ पहलुओं को हमारे सामने रखा है। बजट स्पीच में पूरा बजट तो संभव नहीं होता, क्योंकि बजट अपने आप में बहुत बड़ा दस्तावेज होता है, बहुत बारिकियां होती हैं और सदन में उन सब चीजों पर बोलना संभव भी नहीं होता है। मैं भी आज आपसे जो बात करूंगा, वो भी शायद बजट का एक बहुत छोटा सा हिस्सा बोल पाऊंगा। क्योंकि इसमें इतने विषय होते हैं, लेकिन जब विभागवार चर्चाएं होती हैं और ये साल भर का काम है, उसको एक घंटे में बता देना बड़ा कठिन होता है। फिर भी जब अध्यक्ष जी ने कहा कि इसके पीछे सरकार की सोच क्या है, जरा आप बताएं तो अच्छा होगा, तो मैने कहा ठीक है, पार्टी के आदेश मेरे सर आंखों पर है और आज लोकसभा भी दोपहर के बाद है, तो मैने कहा ठीक है आज सुबह हम बात कर सकते हैं। तो फिर इसलिए आपके बीच मुझे आने का मौका मिला है।

साथियों,

आज देश आजादी के 75वें वर्ष में है और इस समय, 100 साल में आई सबसे बड़ी वैश्वीक महामारी से आज हिंदुस्तान लड़ रहा है। कोरोना का ये कालखंड पूरी दुनिया के लिए अनेक चुनौतियां लेकर आय है और एक प्रकार से दुनिया उस चौराहे पर आकर के खड़ी है, जहां पर Turning point निश्चित है। आगे जो दुनिया हम देखने वाले हैं, वो वैसी नहीं होगी जैसी कोरोना काल से पहले थी। जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया में बहुत बदलाव आए, पूरा World order बदल गया, वैसे ही कोरोना के बाद दुनिया में बहुत सारे बदलाव की संभावना है, एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की संभावना है। इसके प्रारंभिक संकेत नजर भी आने लगे हैं। हम सबने इस बात को मार्क किया होगा, अनेक कोने से सुना होगा बहुत सी चीजें पढ़ी होंगी और आप भी दुनिया में कहीं जाते होंगे मिलते होंगे तो आप भी अनुभव करते होंगे, आज भारत की तरफ देखने के विश्व के नजरिए में बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है। भारत जैसे विशाल देश को, लोकतांत्रिक देश को, और इतने बड़े समाज में इतनी विविधताओं को संभालते हुए चल रहे देश को अब दुनिया, दुनिया के लोग, भारत को अधिक मजबूत रूप में देखना चाहते हैं और इसलिए पूरा विश्व भारत के लिए नए सिरे से जब देख रहा है, तो हमारे लिए भी आवश्यक है कि हम हमारे देश को तेज गति से आगे बढ़ाएं, अनेक विविध क्षेत्रों में बदलाव लाएं, मजबूती लाएं, ये समय नए अवसरों का, नए संकल्पों की सिद्धि का समय है। बहुत जरूरी है कि भारत आत्मनिर्भर बने और उस आत्मनिर्भर भारत की नींव पर एक आधुनिक भारत का निर्माण हो। कल निर्मला जी ने जो बजट पेश किया है, by and large हम देखें political angle अगर हम छोड़ दें। तो जो आर्थिक विषय के लोग हैं, सामाजिक जीवन के लोग हैं। अखबारों में भी देखेंगे, कल टीवी चैनलों की डीबेट में देखेंगे, बजट का बहुत स्वागत हुआ है, बहुत सराहना हुई है और आपने भी देखा होगा कि इस बजट में देश को आधुनिकता की तरफ ले जाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम हैं।

साथियों,
जब हम आज के बजट की चर्चा करेंगे तो सापेक्ष भी होती है। पुरानी बातों की तुलना करेंगे तब पता चलता है। बीते सात वर्षों में जो निर्णय लिए गए, जो नीतियां बनीं, पहले की जिन नीतियों में गलतियों को सुधारा गया। उस वजह से आज भारत की अर्थव्यवस्था का निरंतर विस्तार हो रहा है। 7 - 8 साल पहले भारत की GDP 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए की थी। आज भारत की अर्थव्यवस्था 2 लाख 30 हजार करोड़ के आसपास की है। वर्ष 2013-14 में भारत का एक्सपोर्ट 2 लाख 85 हजार करोड़ रुपए होता था। आज भारत का एक्सपोर्ट 4 लाख 70 हजार करोड़ रुपए के आसपास पहुंच रहा है। सात साल पहले करीब 275 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा रिजर्व देश के पास था। आज देश का विदेशी मुद्रा रिजर्व 630 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। वर्ष 2013 में देश में 36 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश - FDI था। पिछले साल ये 80 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है। कोरोना के इस काल में भी भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था की मजबूती से दुनिया का एक विशेष रूप से ध्यान आकर्षित किया है। आज भारत दुनिया के उन देशों में है, जहां के इकोनॉमिक इंडिकेटर्स में बहुत तेजी से सुधार आ रहा है और fundamentals मज़बूत है। इस साल का बजट इसे और गति देने वाला है।

साथियों,

जब गरीब को मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं तो वो अपनी ऊर्जा, अपने विकास, देश के विकास में लगाते है। इस बजट का भी फोकस गरीब, मिडिल क्लास और युवाओं को बुनियादी सुविधाएं देने और आय के स्थाई समाधानों से जोड़ने पर है। हमारी सरकार मूलभूत सुविधाओं के सैचुरेशन पर काम कर रही है और ये बात मैनें लालकिले पर से भी कही थी। अब मैं एक छोटा उदाहरण देता हूं। जैसे जल जीवन मिशन, अब हम हमेशा सुनते आए हैं। गांव में, घर में, समाज में, सरकार में, राजनेताओं में, सब में, क्या सुनते हैं। हर कोई कहत है जल ही जीवन है। सुनना तो बहत अच्छा लगता है। लेकिन ये भी सच्चाई है, पानी की दिक्कत, पानी की कमी, गरीब के जीवन की, महिलाओं के जीवन की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और आजादी के 75 साल के बाद भी है। किसान को भी छोटे किसान को खास कर पानी के बिना बहुत दिक्कत हैं। हमारी सरकार के प्रयासों से आज देश में करीब-करीब 9 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचने लगा है। इसमें से करीब-करीब पांच करोड़ से ज्यादा पानी के कनेक्शन, जल जीवन मिशन के तहत पिछले 2 वर्ष में दिए गए हैं। अब बजट में घोषणा की गई है कि इस साल करीब 4 करोड़ ग्रामीण घरों को पाइप से पानी का कनेक्शन दिया जाएगा। और जब ग्रामीण घर की बात आती है तो उसमें अधिकतम समाज किसानी से जुड़ा हुआ होता है, खेत के काम से जुड़ा हुआ होता है। उसका समय बचेगा, माताओं और बहनों का समय बचेगा, वो कृषि के समय में अपना योगदान दे पाएगी। इस पर पानी पहुंचाने के लिए घरों में पानी, मेरी माताओं और बहनों को कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए, पहले करीब 40 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किया था। अभी 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। कभी हमारे देश में हमारी माताओं और बहनों को, गांव को पानी के लिए एक लाख करोड़ रूपया खर्च कर आगे बढ़ना ये छोटे निर्णय नहीं हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में नदियों को लिंक करने के अऩेक प्रस्ताव इस बजट में है। विशेष रूप से केन-बेतबा को लिंक करने के लिए जो हज़ारों करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, उससे यूपी और एमपी के जो बुंदेलखंड क्षेत्र है, हम झांसी की रानी का गर्व करते हैं न, मैं उस बुंदेलखंड की बात कर रहा हूं। जिस खजुराहो की चर्चा करते हैं, उस बुंदेलखंड की बात करlता हूं। वहां की तस्वीर भी बदलने वाली है।पानी के अभाव में वहां के किसान के नौजवान बेटे रोजी रोटी के लिए कभी गुजरात कभी महाराष्ट्र केरल, तमिलनाडु तक जाना पड़ता था। ये केन-बेतवा योजना किसान के जीवन में, खेती में तो बदलाव लाएगी ही लाएगी, किसान के जीवन में बदलाव लाएगी। और इस योजना पर लगभग 44 (चवालीस) हजार करोड़ रूपय खर्च होंगे। मेरे किसान भाइयों और बहनों के खेत में पानी पहुंचाने के लिए ये आधुनिक युग का एक भगीरथ काम है। अब बुंदेलखंड के खेतों में और हरियाली आएगी, जवान बेटों को शहर में झुग्गी- झोंपड़ी में रह कर मजबूरी में जिंदगी गुजारनी है, वो खुले आसमान के नीचे अपने मां-बाप के साथ रह कर के एक नई जिंदगी का प्रकरण लिखना शुरू कर सकते हैं। घरों में पर्याप्त पीने का पानी आए, खेत में पानी आए।

साथियों,

गरीब का बहुत बड़ा सपना, उसका अपना घर भी होता है। इस साल के बजट में गरीबों के लिए 80 लाख पक्के घर बनाने की बात कही गई है। इस पर 48 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे।गरीबी से मुक्ति होनी है। गरीब गरीबी से बाहर आना चाहता है, जब घर मिलता है न उसका यह हौसला बन जाता है, हम कभी गरीबों की ताकत जानते नहीं थे, सिर्फ गरीबों का राजनीतिक उपयोग करने वाले लोग बहुत हुए इस देश में, एक छोटा सा प्रयास जनधन अकाउंट गरीब को जब जनधन अकाउंट मिला न तो उसका स्वाभिमान जग गया। और लाखों-करोड़ों रुपयों की बचत में गरीब भी आगे आया है। अगर एक जनधन अकाउंट उसकी जिंदगी बदल सकता है , तो घर को जब छत मिले, गरीब को जब घर मिले, तब उसका जीवन कितना बदल जाता है, इसको हम देख कर बता सकते हैं। जो भी उन परिवारों को देखेगा उसका विश्वास बढ़ेगा। इतना ही नहीं सरकार जो घर बनाकर इन्हें देती है, वो घर इन गरीबों को एक तरह से लखपति बना देता है। मैं जब छोटा था लखपति शब्द बहुत बड़ा लगता था। लखपति यानि कितनी बड़ी दुनिया है। सुनते ही कान खड़े हो जाते थे, लेकिन हमने जो गरीबों को घर दिया है न, उसकी कीमत के हिसाब से देखें तो, हमने पिछले सात साल में तीन करोड़ गरीबों को पक्के घर देकर उन्हें लखपति बनाया है। जो गरीब थे, जो झोपड़-पट्टी में रहते थे, अब उनके पास अपना घर है। पहले के मुकाबले, हमारी सरकार ने इन घरों के लिए राशि भी बढ़ाई और समय को ध्यान में रखते हुए घरों की साइज भी बढ़ाई है ताकि बच्चों की पढ़ाई न छूट जाए। बच्चों के लिए पढ़ाई के लिए जगह मिल जाए। बड़ी बात ये भी है कि इसमें से ज्यादातर घर, महिलाओं के नाम पर भी हैं, यानि हमने महिलाओं को घर की मालकिन भी बनाया है।

साथियों,

हम सामाजिक न्याय के लिए तो हमेशा काम करते हैं और इसे अपना दायित्व समझते हैं। जैसे समाज की भलाई के लिए सामाजिक न्याय बहुत जरूरी है, वैसे ही देश की भलाई के लिए भी देश का संतुलित विकास भी जरूरी है। भारत जैसे देश में कोई क्षेत्र पिछड़ा रहे, कोई इलाका अविकसित रह जाए। ये ठीक नहीं। और इसलिए हमने आकांक्षी जिला- Aspirational Districts अभियान शुरू किया था। इन जिलों में गरीब की शिक्षा के लिए, गरीब के स्वास्थ्य के लिए, गांव की सड़कों के लिए, बिजली-पानी के लिए जो काम हुए, उसकी प्रशंसा संयुक्त राष्ट्र ने भी की है। अब इस बजट में घोषणा की गई है कि आकांक्षी जिलों में राज्यों के साथ मिलकर आकांक्षी ब्लॉक प्रोग्राम चलाया जाएगा। यानि उसे और नीचे ले जाया जाएगा, यानि यह विकास का लाभ आखिरी छोर तक पहुंचाने का एक वैज्ञानिक तरीका है और धन का सदुपयोग करने का संसाधनों के optimum utilisation करने का और फोकस activity करने का ये रास्ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में ब्लॉक स्तर पर जरूरी सुविधाएं पहुंचे, इस पर सरकार का जोर है।

साथियों,

राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हमारी सेनाएं एयर फोर्स हो, नेवी हो, आर्मी हो हमारे जवान दिन-रात डटे रहते हैं। जान की बाजी लगा देते हैं, लेकिन ये भी सच्चाई है कि हमारे सेना के जवान जो सीमा पर तैनात हैं। हमारे सुरक्षा बल के जवान जो सीमा पर तैनात हैं। उनको उस सीमावर्ती जो गांव हैं न , वो भी एक प्रकार से किले का काम करते हैं। और उन सीमावर्ती गांवों का देशभक्ति का जज्बा अद्भुत होता है। अभावों के बीच, संकटों के बीच, मुसीबतों के बीच, सीमा पर रहने वाले छोटे-छोटे गांव के लोग दिन-रात देश की रक्षा के लिए सजग रहते हैं। अब समय आ गया है कि हमें हमारी राष्ट्र रक्षा की जो नीतियां हैं उसमें सीमावर्ती गांवों के नागरिकों की शक्ति को पहचानना होगा। उनके अहम रोल को जानना होगा और इसलिए हमने ध्यान आकर्षित किया है कि सीमावर्ती जो हमारेआखिरी गांव हैं, हिंदुस्तान के कोने-कोने में, उन गांवों को विकास की यात्रा में पीछे नहीं रहने देना है। इस वजह से हम वर्षों से सीमावर्ती गांवों से पलायन होते देख रहे हैं। किसी भी देश की रक्षा के लिए ये पहलू ठीक नहीं है। इस बात को समझते हुए सीमा पर मौजूद गांवों के विकास के बारे में नए सिरे से सोचा गया है। एक Holistic approach के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। ऐसे गावों में हर प्रकार की सुविधा हो, बिजली हो, पानी हो, सड़क का इंतजाम हो, इसके लिए बजट में विशेष वाइब्रेंट विलेज प्रोगाम का ऐलान किया गया है। हमारे अनेकों सीमावर्ती गांव टूरिस्ट स्पॉट बन सकते हैं, वहां हम अच्छे प्रकार से होम स्टे का एक बड़ा नेटवर्क खड़ा कर सकते हैं। जिससे हमारे लोगों को रोजी-रोटी मिले। प्रकृति प्रेमियों के लिए भी सीमावर्ती क्षेत्र आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं । मैंने तो गुजरात में कच्छ में रणोत्सव करके देखा है। अगर उन आखिरी गांवों को हम वाइब्रेंट बना दें, तो सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत लाभ होता है। हमारा उत्तराखंड देखिए, हमारा लेह-लद्दाख देखिए, हमारा अरूणाचल देखिए, ये वाइब्रेंट विलेज प्रोगाम इन सभी गांवों को बहुत मदद करेगा। इसके साथ साथ Holistic approach होने के कारण , NCC का भी एक नया विचार हुआ है। NCC के लिए खर्च होता है, बड़े शहरों में NCC होती भी है। अब हमने तय किया है कि सीमावर्ती गांवों में, जो ब्लॉक होगा और वहां जो स्कूल होगा नजदीक, हम NCC का वहां केंद्र शुरू करेंगे। NCC की गतिविधि चलाएंगे, ताकि सीमा पर रहने वाले बच्चे NCC में ट्रेंड होकर आसानी से सुरक्षा बलों में जाकर राष्ट्र रक्षा का नेतृत्व कर सकें। इन पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले हमारे बच्चों की ताकत बहुत बड़ी होती है।

साथियों,

राष्ट्र रक्षा से जुड़े एक और बड़े अभियान की बजट में घोषणा की गई है। ये है- पर्वतमाला परियोजना।ये हिमालय के क्षेत्रों में आधुनिक कनेक्टिविटी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को विस्तार देने वाली है। इससे पहाड़ों में आवाजाही भी आसान होगी, टूरिस्टों के लिए जाने की सुविधा तो होगी ही होगी, वहां तीर्थ क्षेत्र है तो वहां जाने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा होगी, लेकिन साथ-साथ हमारी सेना को तो लगातार उन क्षेत्रों में जाना होता है। उनके लिए भी ये बहुत सुविधाजनक होगा, इसका बड़ा लाभ हमारे हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख, नॉर्थ ईस्ट के भाइयों और बहनों को मिलेगा। हमारे पहाड़ों के लोग बहुत प्रतिभावान होते हैं, बहुत परिश्रमी होते हैं। सेना से लेकर खेलों तक, व्यापार से लेकर कृषि तक, कितने ही क्षेत्रों में देश को उनकी क्षमता और प्रतिभा का लाभ मिलता है। ये हमारा सौभाग्य है कि हमें उनके लिए काम करने का मौका मिल रहा है। पर्वतमाला से पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, और साथ ही पर्यावरण की भी सुरक्षा बढ़ेगी। नॉर्थ ईस्ट को लेकर भी पीएम-डिवाइन नाम से एक बड़ी योजना की घोषणा बजट में की गई है।

साथियों,

आज समय की मांग है कि भारत की कृषि भी आधुनिक बने, नए तौर तरीके अपनाए। किसान पर बोझ कम हो, देश की कृषि को टेक्नोलॉजी आधारित और कैमिकल फ्री बनाने के लिए बड़े कदम इस बजट में उठाए गए हैं। बीते बजट में हमने किसान रेल और किसान उड़ान की सुविधा सुनिश्चित की, अब किसान ड्रोन किसान का नया साथी बनने वाला है। इसके लिए FPOs के माध्यम से किसानों को खेत में ही उचित किराए पर ड्रोन और दूसरी मशीनरी उपलब्ध कराई जाएगी। ड्रोन टेक्नोलॉजी से किसान को तो मदद मिलेगी ही, उत्पादन का Real-Time Data भी प्राप्त होगा। इससे जुड़े स्टार्टअप्स को फंड करने के लिए नाबार्ड के माध्यम से एक विशेष फंड की मदद भी दी जाएगी।

साथियों,
कृषि को हाइटेक करने के साथ-साथ देश की कृषि को नेचुरल बनाने पर भी अभूतपूर्व फोकस है। दोनों पहलू पर हम बल दे रहे हैं, आधुनिक हो, टेक्नोलॉजी हो, खर्च में बचत हो साथ-साथ बैक टू बेसिक हमारी ये धरती माता बर्बाद न हो। हमारी धरती माता की उपजाऊ शक्ति खत्म न हो और इसलिए केमिकल मुक्त खेती, प्राकृतिक खेती पर जोर दिया जा रहा है।

साथियों

इसके कारण किसानों का जो खेत में Investment खर्च होता है, लागत घटाने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। ये कृषि को अधिक लाभकारी बनाएगी, साथ-साथ ये बीमारियों से मुक्ति दिलाने का बहुत बड़ा अभियान भी है, जिसका सबसे अधिक लाभ हमारे छोटे किसानों को होगा। देश के अनेक हिस्सों में जीरो बजट प्राकृतिक खेती पर काम चल रहा है। छोटा किसान और हमें ये देखना होगा कि जब हम किसानों की बात करते हैं तो हमारी प्राथमिकता छोटे किसान ही रहनी चाहिए, 80-85 प्रतिशत हमारे छोटे किसान हैं। अगर एक बार हमारा छोटा किसान मजबूत बनता है, ताकतवर बनता है। तो देश का ग्रामीण जीवन बदल जाता है। इसलिए हमने इसपर बहुत ध्यान केंद्रीत किया है। हमने देखा देश में हम कौन सी बातें सुनते आए हैं, गरीबी हटाने की बातों तो हुई है, लेकिन होता क्या था। और वो गलत होता था मैं नहीं कहता, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनते हैं, इकॉनॉमिक कॉरिडोर बनते हैं। हमने आकर देश में दो डिफेंस कॉरिडोर बनाए। अब हम देश में पहली बार एक और कॉरिडोर बना रहे हैं, जिसकी बजट में घोषणा की गई है। प्राकृतिक खेती का कॉरिडोर, नैचुरल फारर्मिंग का कॉरिडोर बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। नैचुरल फार्मिंग का कॉरिडोर लगभग ढाई हजार किलोमीटर लंबा होगा, करीब 10 किलोमीटर चौड़ा होगा। और पहले चरण में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मां गंगा के किनारे 5-5 किलोमीटर चौड़ा, दोनों तरफ 5-5 किलोमीटर, नेचुरल फार्मिंग का एक कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। पूरी Ecosystem बनेगी, उसके प्रोडक्ट की वैश्विक वैल्यू बनने वाली है। खेती को बदलने का Epicentre बन जाएगा ये कॉरिडोर। पूरे हिंदुस्तान के किसानों के लिए प्रेरण का कारण बनने वाला है। और इन सारे कारणों से जो हमारा गंगा स्वच्छता अभियान चल रहा है, उसमें एक बड़ी मदद मिलेगी। क्योंकि खेत में जो केमिकल उपयोग होता है वो बारिश आती है तो केमिकल का काफी हिस्सा बहकर नदी में जाता है। 5-5 किलोमीटर प्राकृतिक खेती जब होगी, केमिकल फ्री खेती जब होगी तो वो जो केमिकल का प्रवाह गंगा जी में आता था वो भी बंद होगा। मां गंगा भी शुद्ध होगी और मां गंगा की बजट का कुछ हिस्सा भी किसानों के काम आएगा। ऑर्गैनिक उत्पाद की बाजार में कीमत बहुत बड़ी है। दुनिया में मांग है और भारत के विश्व के कृषि बाजार में बड़ी ताकत के साथ जाने का रास्ता ऑर्गैनिक खेती है।

साथियों,

सरकार द्वारा मोटे अनाज- मिलेट्स को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, न भूलें की हमारा जो छोटा किसान है, उनमें से अधिकतर किसान या हमारे आदिवासी भाई-बहन जो किसान है, अगर हमारे गांव में किसी दलित के पास जमीन है वो छोट किसान है, उनके पास मोटा अनाज पैदा किए बिना कोई चारा नहीं होता। क्योंकि उनके पास बाकि कोई सुविधाएं नहीं होती, दलित और आदिवासी किसान साथी, अगर एग्रो फोरेस्ट्री और प्राइवेट फोरेस्ट्री अपनाना चाहते हैं, तो उनके लिए भी विशेष मदद का प्रोवीजन किया गया है।

साथियों,

अनाज के साथ-साथ, देखिए हम कृषि प्रधान देश हैं, जय जवान-जय किसान ने हमें ताकत दी है, लेकिन ये भी सच्चाई है कि आज हमारे देश को 80 हजार से 1 लाख रूपये के खाने को तेल को बाहर से लाना पड़ रहा है। पुरानी सरकारों ने ऐसे निर्णय किए की हम आयातित तेल पर निर्भर हो गए। उसी प्रकार से पल्सेस हमारे यहां जो vegetarian Society है, उसे प्रोटीन के लिए कुपोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ने में पल्सेस जैसे दाल, उड़द, मूंग, चना की बहुत जरूरत होती है। हमारे लिए आवश्यक है कि हम खाने के तेल के मामले में आत्मनिर्भर कैसे बनें। हम दाल, पल्सेस में आत्मनिर्भर कैसे बनें और इसके लिए खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के लिए एक राष्ट्रीय मिशन देश अभी-अभी देश में प्रारंभ किया गया है। हर साल जो लाखों करोड़ रुपए हम खाद्य तेल खरीदने के लिए विदेश भेजते हैं, वो पैसे मेरे देश के किसानों को ही मिले, खेती में पसीना बहाने वाला जो हमारा किसान है उसके नसीब में आए। इसके लिए हम योजनाओं पर बल दे रहे हैं। अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का भी एक बहुत बड़ा अभियान निरंतर चल रहा है, जिसके माध्यम से खेत में ही सोलर पैनल लगाने के लिए मदद दी जा रही है। आदिवासी किसानों को भी वनोपज से अधिक लाभ हो इसके लिए बड़े स्तर पर वनधन योजना सफलता के साथ चल रही है और बजट से उसे बल भी दिया जा रहा है।

साथियों,
सरकार ने हमेशा किसानों के हित में हर ज़रूरी कदम उठाए हैं। बजट में Renewable energy का खर्चा पड़ेगा। लेकिन उसमें एक महत्वपूर्ण खर्च है किसानों के लिए सोलर पंप, अगर सोलर पंप हम सबसे ज्यादा किसानों तक पहुंचाएंगे, सूर्य शक्ति से चलने वाला पंप किसानों को रात को जागना नहीं पड़ेगा। दिन में ही अपनी खेती कर लेगा, पानी पहुंचा देगा, परिवार के साथ अपना समय बिता पाएगा और उसका खर्च भी कम हो जाएगा, इसके लिए सोलर पंप का बहुत बड़ा बजट, हमारे किसानों तक हम पहुंचा रहे हैं।

साथियों,

पिछले बजट में फर्टिलाइज़र सब्सिडी 79 हज़ार करोड़ रुपए की रखी गई थी। लेकिन कोरोना के कारण , सप्लाई चेन में गड़बड़ी के कारण, अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में बहुत उछाल आया, पहले जहां करीब 80 हजार करोड़ का प्रावधान किया था, हमें 60 हज़ार करोड़ रुपए और लगाने पड़े, करीब-करीब 1 लाख 40 हजार करोड़ रूपया फर्टिलाइज़र के लिए, जो पहले कभी नहीं करना पड़ा था, ये इसलिए किया गया ताकि किसानों की लागत ना बढ़े, उनपर अतिरिक्त बोझ ना आए। इस बार इस सब्सिडी को 79 हज़ार करोड़ से बढ़ाकर सीधा 1 लाख 5 हज़ार करोड़ रुपए किया गया है। ताकि किसान भाई-बहनों को फर्टिलाइज़र के लिए संकट का सामना न करना पड़े। आनेवाले दिनों में हम एक नई योजना लेकर आ रहे हैं नैनो फर्टिलाइज़र, किसानों की मदद करने वाला एक बहुत बड़ा साधन, हमने वैज्ञानिकों की मदद से अनुसंधान किया है। इस बजट में हमने उसका सीधा उल्लेख नहीं किया है, लेकिन उस दिशा में हम काम करने वाले हैं। इसी प्रकार MSP को लेकर भी अनेक प्रकार की बातें फैलाई गईं हैं। लेकिन हमारी सरकार ने बीते सालों में MSP पर रिकॉर्ड खरीद है। सिर्फ धान की ही बात करें, धान जो सीधे-सीधे छोटे किसान की जिंदगी से जुड़ा हुआ है और छोटे किसान की खेती जेब के लिए नहीं, जीवन के लिए होती है। सिर्फ धान की ही बात करें तो इसी सीज़न में किसानों को MSP के रूप में डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक मिलने का अनुमान है। बजट में प्रावधान किया गया है कि 2 लाख 37 हज़ार करोड़ रुपए का MSP किसानों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर किया जाएगा। इस साल के बजट में पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 68 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 68 हज़ार करोड़ रूपया डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा सीधे किसान की जेब में पहुंचने वाला है। और ये राशि भी पिछले साल की अपेक्षा ज्यादा है। इसका लाभ भी देश के 11 करोड़ से अधिक किसानों को होगा और छोटे किसान के लिए तो ये रकम बहुत बड़ी होती है। उसको खेती में कुछ करने के लिए हिम्मत देती है। हमारे ग्रामीण क्षेत्रों को, हमारे किसानों को बेहतर सड़कों का भी विशेष लाभ मिलने वाला है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का बजट पिछले वर्ष की तुलना में 36 प्रतिशत बढ़ाया गया है। वहीं रेलवे भी छोटे किसानों की मदद के लिए विशेष प्रावधान करने वाली है।

साथियों,
नए संकल्प लेना, उन्हें पूरा करने के लिए जी-जान से जुट जाना युवाओं की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।भाजपा युवा आकांक्षाओं और युवा सपनों को समझती है। ये इस बजट में भी स्पष्ट रूप से दिखता है।
इस बजट में स्टार्ट अप्स के लिए टैक्स बेनिफिट को आगे बढ़ाया गया है। युवा इनोवेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट को लेकर जितने भी प्रावधान इस बजट में किए गए हैं, वो युवाओं को इनोवेट करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। मैंने खेती में जिस ड्रोन टेक्नोलॉजी की पहले चर्चा की, वो भी एग्रीटेक स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देगा। डिफेंस के क्षेत्र में स्टार्ट अप्स हों या फिर डिजिटल करेंसी जैसे प्रावधानों से फिनटेक से जुड़े स्टार्ट अप्स, ये युवाओं के लिए अनंत संभावनाएं बनाने वाले हैं। और स्टार्ट अप्स की एक विशेषता है, स्टार्ट अप जॉब क्रिएटर भी होते हैं।

साथियों,

युवाओं को शिक्षा और स्किल के बेहतर अवसर देने के लिए बीते सालों में टेक्नॉलॉजी का दायरा निरंतर बढ़ाया गया है। इस बजट में इसको विस्तार देते हुए पहली डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने का फैसला किया गया है। इससे गरीब के बच्चों को भी अपनी रोजी-रोटी कमाते हुए भी इस यूनिवर्सिटी से कोई छोटे मोटे कोर्सेज करने हैं, तो वो आराम से कर लेगा और उसको क्वालिटी एजुकेशन उपलब्ध होगा। सरकार ने इस बार के बजट में स्पोर्ट्स को भी बहुत तवज्जो दी है और काफी वृद्धि की है। और हम ये न भूलें की स्पोर्ट्स के क्षेत्र में अधिकतम हमारे किसान के बच्चे भी आते हैं, किसान के परिवार की वो आन बान शान बन रहे हैं। खेलो इंडिया अभियान के बजट को भी बढ़ाया गया है। स्पोर्ट्स का बजट पिछले सात सालों में तीन गुणा से भी ज्यादा बढ़ा है। इसका भी लाभ हमारे युवा साथियों को होगा।

साथियों,
आपने पोस्ट ऑफिस से जुड़ी अहम घोषणा भी बजट भाषण में सुनी होगी। अब पोस्ट ऑफिस के खातों में भी बैंकों की तरह ही मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम और ऑनलाइन फंड ट्रांस्फर की सुविधा मिल पाएगी। अभी देश में डेढ़ लाख से अधिक पोस्ट ऑफिस हैं, जिसमें से अधिकतर गांवों में हैं। पोस्ट ऑफिस में जिनके सुकन्या समृद्धि अकाउंट और पीपीएफ अकाउंट हैं, उनको भी अब अपनी किश्त जमा करने पोस्ट ऑफिस जाने की ज़रूरत नहीं है। अब वो सीधे अपने बैंक अकाउंट से ऑनलाइन ट्रांसफर कर पाएंगे। इससे गांव में रहने वाले किसानों, मजदूरों, वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं को विशेष रूप से बहुत सुविधा होगी। हमने देश के किसानों के लिए डिजिटल मार्केट प्लेटफार्म खड़ा किया है e-Nam, e-Nam योजना के तहत जो किसान, कारोबार करता है उसे पोस्ट ऑफिस में बैंक की तरह व्यवस्था होने के कारण मेरा किसान बहुत आसानी से अपना कारोबार कर लेगा।

साथियों,

आज सस्ता और तेज़ इंटरनेट भारत की पहचान बन चुका है।बहुत जल्द सभी गांव तक ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी पूरी होगी। 5G सर्विस की लॉन्चिंग भारत में ईज़ ऑफ लिविंग और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को एक अलग ही आयाम देने वाली है। इससे सिर्फ इंटरनेट ही तेज़ नहीं होगा, डेटा स्पीड ही नहीं बढ़ेगी, बल्कि रिमोट सर्जरी से लेकर स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन तक, अगर ड्रोन से पहाड़ की कोई फल फूल हमें शहर के नजदीक लाना है, तो ड्रोन से उठा कर आराम से ले आ पाएंगे। यानि सारे स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी , ये सारी टोक्नोलॉजी गांव को, गरीब को, किसान को बहुत बड़ा अवसर देने वाली है। 5G सर्विस देश में रोज़गार के नए सेक्टर्स का सृजन करेगी, युवाओं को आकर्षक अवसर प्रदान करेगी, स्टार्ट अप्स को प्रोत्साहित करेगी।

साथियों,

आज देश में Animation, Visual Effects, Gaming और Comic (AVGC) सेक्टर भी तेज़ी से विकास कर रहा है। भारत मोबाइल गेमिंग को लेकर दुनिया के टॉप 5 मार्केट्स में से एक है। आकलन है कि आने वाले 2 सालों में ये सेक्टर 3 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। अब मुझे बताइए ये गेमिंग हम बच्चों को रोक नहीं पाएंगे, परिवार में बच्चा मोबाइल फोन पर गेम खेल रहा है हम नहीं रोक पाएंगे। हमारे बच्चे विदेशों से आई हुई गेम से खेलेंगे या हिंदुस्तान भी कुछ करेगा। इसलिए हमारे देश की प्रतिभा को मोका मिले, इनोवेट करने का अवसर मिले। इस सेक्टर में ''Create in India'' और ''Brand India'' को सशक्त करने का भरपूर पोटेंशियल है। भारत को ग्लोबल गेम डेवलपर्स और गेमिंग सर्विस का हब बनाने के लिए इस बजट में एक टास्क फोर्स के गठन की बात कही गई है।

साथियों,

आज के अखबारों में Central Bank Digital Currency की भी काफी चर्चा है। इससे डिजिटल इकॉनॉमी को बहुत बल मिलेगा। ये डिजिटल रुपया अभी जो हमारी फिजिकल करेंसी है उसका ही डिजिटल स्वरूप होगा और इसे RBI द्वारा कंट्रोल, मॉनिटर और विस्तार किया जाएगा। ये ऐसी व्यवस्था होगी जिससे फिजिकल करेंसी से एक्सचेंज भी किया जा सकेगा। जैसे कोई आपको डिजिटल रुपी में Pay करेगा तो आप उसको कैश में बदल पाएंगे। डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन पेमेंट, रिटेल पेमेंट, ज्यादा सुरक्षित होगा, रिस्क फ्री होगा। इससे ग्लोबल डिजिटल पेमेंट सिस्टम के निर्माण में भी आसानी होगी। ये डिजिटल रुपया फिनटेक से जुड़े सेक्टर को अनेक अवसर देगा। इससे कैश को प्रिंट करने, हैंडल करने, डिस्ट्रीब्यूट करने में जो बोझ पड़ता है वो भी कम होगा।

साथियों,

भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे पुराना, मजबूत और भरोसेमंद स्तम्भ है हमारे छोटे उद्यमी और व्यापारी! हमारे small entrepreneur! हमारी सरकार MSMEs को मजबूत बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। कोरोना काल में हमने छोटे उद्यमियों को ध्यान में रखते हुए इमरजेंसी क्रेडिट गारंटी स्कीम शुरू की थी। SBI के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि इस योजना से MSME सेक्टर में लगभग डेढ़ करोड़ नौकरियां सुरक्षित हुई हैं और करीब 6 करोड़ लोगों की जीविका सुरक्षित हुई है। इसी तरह, PLI स्कीम्स का उदाहरण भी हमारे सामने है। इसके परिणाम भी देश देख रहा है। भारत आज mobile manufacturing के क्षेत्र में दुनिया का उभरता हुआ केंद्र बन रहा है। ऑटोमोबाइल और बैटरी के क्षेत्र में भी PLI स्कीम के इसी तरह उत्साहवर्धक परिणाम मिल रहे हैं। जब देश में इतने बड़े स्तर पर manufacturing होगी, तो MSMEs का एक नया ecosystem खड़ा होगा। MSMEs को कई क्षेत्रों में नए ऑर्डर्स मिलेंगे, नए अवसर पैदा होंगे। मैं आपको रक्षा मंत्रालय का भी उदाहरण दूंगा। रक्षामंत्रालय आज यूपी और तमिलनाडू में डिफेंस कॉरिडॉर्स विकसित कर रहा है। इस बजट में हमने 68 प्रतिशत capital procurement खर्च को घरेलू खरीद के लिए निर्धारित किया है। हर साल हजारों करोड़ रुपए के रक्षा उपकरण देश के भीतर से ही खरीदे जाएंगे। मैं vocal for local जो बात करता हूं न उसे यहां भी ले आए हैं हम, इससे हमारी हजारों MSMEs को ही सबसे ज्यादा फायदा होगा।

साथियों,

इस बार बजट में एक बात जो सबसे खास, और सबसे अलग है तो वो है- Public Investment. ये कितना बड़ा कदम है, और इसका असर कितना बड़ा होगा, इस बात का अनुमान आप इससे लगा सकते हैं कि वर्ष 2013-14 में, हमारे आने से पहले 7 साल पहले, Public Investment सिर्फ 1 लाख 87 हजार करोड़ था। और इस बजट में ये 7 लाख 50 हजार करोड़ रुपए रखा गया है। यानी, यूपीए सरकार की तुलना में 4 गुना ज्यादा। सरकार जब इतना बड़ा खर्च करेगी, तो इस पैसे से क्या होगा? इससे देश में और ज्यादा निवेश आएगा, और ज्यादा आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार होगा, लोहा बेचने वाला, लोहा बाजार में काम करने वाला , सिमेंट बेचने वाला सिमेंट बजार में काम करने वाली, इस प्रकार के निर्माण कार्य की जिनकी Skill है, उस प्रकार के नौजवान, यानि इकोनॉमी में कितनी बड़ी एक दूसरे को पॉजिटिव इफेक्ट खड़ी होता है। नौकरियों के लिए तो अनेक दरवाजे खुल जाते हैं। साथियों इसके कारण देश के लिए पूंजी तैयार होगी। सामान्य मानवी का जीवन आसान और बेहतर होगा। ये सब कैसे होगा, ये समझने के लिए आप अपनी सरकार के 7 साल के काम को समझिए, 2014 में देश में 90 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवेज थे। ये 90 हजार किलोमीटर हाइवे पिछले 70 सालों में बने थे। जबकि, हमने पिछले 7 सालों में ही 50 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवेज बनाए हैं। पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान के तहत देश में हजारों किलोमीटर के नए हाइवे और बनाएँगे। इससे न केवल शहरों से लेकर गाँवों और कस्बों तक बेहतर connectivity होगी, बल्कि-इससे देश के हर कोने में इंडस्ट्री भी पहुंचेगी। इससे हर सेक्टर में लाखों नए रोजगार भी पैदा होंगे। हम जानते हैं एक जमाना था , जहां नदी जाति थी , जहां पानी होता था उसके नजदीक में गांव बसते थे। समय बदलता गया, अब जहां हाइवेज हैं, Infrastructure है, इंटरनेट है, वहां लोग बसते हैं। इस बदलते हुए युग को हमें समझना होगा। ये जो रचना हो रही है वो Logistic support के लिए बहुत बड़ी ताकत बन जाती है। आज अगर हमारे देश में कोई उत्पाद विदेश भेजनी है तो मानों फल सब्जी हमारा किसान भेजना चाह रहा है। लेकिन 6 दिनों तक वो ट्रैवलिंग करता रहेगा तो उसे कौन खरीदेगा। ये रोड रस्ते अच्छे बनेंगे तो किसान की पैदावर बहुत कम समय में अपने गणतव्य तक पहुंचेगी। इसके कारण उनको जो आर्थिक नुकसान होता है वो भी बच जाएगा। इतना ही नहीं गति शक्ति के प्रोजेक्ट के कारण रियल स्टेट सेक्टर में भी बहुत बड़ी गति मिलने वाली है। इसी तरह, देश में चार जगहों पर Multimodal Logistics Parks भी बनाए जाएंगे। Multimodal logistics facilities के लिए, 100 पीएम गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल्स भी विकसित किए जाएंगे। इससे उद्योगों और व्यापार के लिए किसी भी चीज के लाने ले जाने में लगने वाला समय कम होगा, और भारत से निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। और जब निर्यात बढ़ता है, तो उत्पादन और आमदनी बढ़ती है, रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।

साथियों,
ये एक ऐसा बजट है जो देश में शहरीकरण से जुड़ी चुनौतियों को भी सीधे एड्रेस करता है। ये हमारे शहर ही हैं जहां Neo-middle classes और middle classes बड़ी संख्या में रहता है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। बिजनेस हो, स्पोर्ट्स हो, म्यूजिक हो, स्टार्ट अप्स हो, कोई भी क्षेत्र लीजिए Tier 2 और Tier 3 शहरों का टैलेंट आज निखर कर सामने आ रहा है। बाबा साहेब आंबेडकर भी, शहरीकरण के, शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस के बहुत बड़े पक्षधर थे। बीते 7 सालों में देश के शहरों को आधुनिक बनाने पर जो ज़ोर हमने दिया है, उसको इस बजट में नया आयाम दिया गया है। इसमें टाउन प्लानिंग को री-इमेजिन किया गया है और पुराने पड़ गए urban bye-laws में सुधार करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। शहरों के प्रदूषण के प्रति भी सरकार की संवेदनशीलता बजट में रिफ्लेक्ट होती है। इसके लिए शहरों में स्वच्छ और सुविधाजनक mass transit system को सपोर्ट करने पर बल दिया गया है। clean tech, special mobility zones और battery swapping policy भी ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन को गति देगा। नेक्स्ट जेनरेशन अर्बन प्लानर्स के निर्माण के लिए भी बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं। बेहतर घर, बेहतर रोड, बेहतर मास ट्रांसपोर्ट सिस्टम, बेहतर स्कूल, शहरों में Ease of Living को बढ़ाएगा।

साथियों,

ये बजट ना सिर्फ ग्रीन ग्रोथ सुनिश्चित करेगा बल्कि ये ग्रीन जॉब्स भी जेनरेट करेगा। इसलिए इस बजट को भी ग्रीन बजट कहा जा रहा है। देश में ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को फंड करने के लिए Sovereign Green Bonds जारी किए जाएंगे। इसी प्रकार high efficiency modules देश में ही तैयार करने के लिए PLI स्कीम में 20 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त फंडिंग की घोषणा की गई है।थर्मल पावर प्लांट्स में Biomass pellets का प्रयोग कार्बन-डाइ-ऑक्साइड एमीशन को तो कम करेगा ही, इससे किसानों, पशुपालकों को अतिरिक्त आय भी होगी। इससे पराली जलाने की घटनाओं में भी कमी आएगी

साथियों,

देश के नागरिकों पर भरोसा हमारी सरकार की बहुत बड़ी खूबी है। ये भरोसा हमारी नीतियों में भी साफ दिखता है, और बजट में भी साफ दिख रहा है।अब अगर किसी को इनकम टैक्स रिटर्न भरने में कोई गलती होती है, तो वो दो साल के भीतर अपना रिटर्न ठीक कर सकता है।इसी तरह, पहले अगर आपको अपनी कंपनी बंद करनी होती थी, तो वो भी आप दो साल से पहले नहीं कर सकते थे। अब इस समय को भी घटाकर 6 महीने कर दिया गया है। पैंडमिक के समय भी हमारी सरकार ने छोटे उद्यमियों के लोन की गंरटी खुद ली। यह भी हमारे भरोसे को दिखाता है।अब इस बजट में इस योजना को और मजबूत किया गया और विस्तार भी दिया गया है। इन 7 सालों में हमने 25 हजार गैर-जरूरी compliances को खत्म किया है। फलाना फार्म लाओ, फलाना सर्टिफिकेट लाओ , हर बार सरकार लोगों से मांगती रहती थी। 25 हजार हमने निकाले हैं और मैंने राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे भी खोजें, बिना कारण जनता को तकलीफ हो रही हो, तो हटाओ इन चीजों को, 15 सौ गैर-जरूरी और पुराने क़ानूनों को भी खत्म किया गया है। इसी भरोसे की बुनियाद पर सरकार 'Ease of Doing Business 2.0' अभियान भी शुरू करने जा रही है।

साथियों,

हम सभी ने बीते 2 सालों में 100 साल के इस सबसे बड़े संकट का बहुत बहादुरी से सामना किया है।जैसा मैने शुरू में कहा था कि सात-आठ साल पहले भारत की GDP जो 110 लाख करोड़ की थी उसे आज हम 230 लाख करोड़ के आस-पास ले आए हैं। हमारे फंडामेंटल्स मजबूत हैं, दिशा सही है, और गति तेज है। एक भारतीय होने के नाते, भाजपा का कार्यकर्ता होने के नाते, हमें इस बात का गर्व है कि हमने जनता-जनार्दन की सेवा में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। देश की जनता हमारे ईमानदार प्रयासों को समझती है। सच्चे हृदय से जिस सेवाभाव में हम जुटे हैं, उसको भी देश समझता है। अब ये हम सभी
कार्यकर्ताओं का दायित्व है कि सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें, बजट के बारे में भी लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें। बजट का लाभ नीचे तक पहुंचे, उसमें भी स्थान-स्थान पर लोगों को जागरूक करने का प्रयास करें, मुझे जैसे देश की जनता पर भरोसा है, वैसे ही आप सब कार्यकर्ताओं पर भी भरपूर भरोसा है। सालों से आपसे कंधे से कंधा मिला कर काम करता आया हूं।

आपके बीच रह कर बड़ा हुआ, आपके सामर्थ्य को भली-भांति जानता हूं। आपके उत्सह, उमंग को भली-भांति जानता हूं। मुसीबतों के बीच भी आपके सेवा करने के भाव को आदरपूर्वक भली-भांति देखता रहता हूं। इसलिए मुझे विश्वास है कि प्रगति की हमारी जो कोशिश है। विकास की नई ऊंचाइयों को पाने का हमारा जो प्रयास है। उसमें सबका प्रयास बहुत महत्वपूर्ण है। इस सबके प्रयास के लिए आप एक catalyst agent बन कर के इस प्रयास को आगं बढ़ाएं, इस पूरे विश्वास के साथ आपको बहुत-बहुत
शुभकामनाएं !

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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PM Modi to inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 on 25th November
November 24, 2024
PM to launch UN International Year of Cooperatives 2025
Theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi”

Prime Minister Shri Narendra Modi will inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 and launch the UN International Year of Cooperatives 2025 on 25th November at around 3 PM at Bharat Mandapam, New Delhi.

ICA Global Cooperative Conference and ICA General Assembly is being organised in India for the first time in the 130 year long history of International Cooperative Alliance (ICA), the premier body for the Global Cooperative movement. The Global Conference, hosted by Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited (IFFCO), in collaboration with ICA and Government of India, and Indian Cooperatives AMUL and KRIBHCO will be held from 25th to 30th November.

The theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi” (Prosperity through Cooperation). The event will feature discussions, panel sessions, and workshops, addressing the challenges and opportunities faced by cooperatives worldwide in achieving the United Nations Sustainable Development Goals (SDGs), particularly in areas such as poverty alleviation, gender equality, and sustainable economic growth.

Prime Minister will launch the UN International Year of Cooperatives 2025, which will focus on the theme, “Cooperatives Build a Better World,” underscoring the transformative role cooperatives play in promoting social inclusion, economic empowerment, and sustainable development. The UN SDGs recognize cooperatives as crucial drivers of sustainable development, particularly in reducing inequality, promoting decent work, and alleviating poverty. The year 2025 will be a global initiative aimed at showcasing the power of cooperative enterprises in addressing the world’s most pressing challenges.

Prime Minister will also launch a commemorative postal stamp, symbolising India’s commitment to the cooperative movement. The stamp showcases a lotus, symbolising peace, strength, resilience, and growth, reflecting the cooperative values of sustainability and community development. The five petals of the lotus represent the five elements of nature (Panchatatva), highlighting cooperatives' commitment to environmental, social, and economic sustainability. The design also incorporates sectors like agriculture, dairy, fisheries, consumer cooperatives, and housing, with a drone symbolising the role of modern technology in agriculture.

Hon’ble Prime Minister of Bhutan His Excellency Dasho Tshering Tobgay and Hon’ble Deputy Prime Minister of Fiji His Excellency Manoa Kamikamica and around 3,000 delegates from over 100 countries will also be present.