उपस्थित सभी महानुभाव और मेरे परिवार के सभी सदस्य, बंधु गण, मैंने ये कहा कि मेरे परिवार के! दो कारण से - एक तो मैं बनारस का हो गया हूं और दूसरा बचपन से एक ही याद रही है, वो है, रेल। इसलिए रेल से जुड़ा हर व्यक्ति मेरे परिवार का सदस्य है और इस अर्थ में मैं परिवार जनों के बीच आज आया हूं। मुझे खुशी है कि आज यहां दो महत्वपूर्ण प्रकल्प, एक तो 4,500 horse power capacity का डीज़ल इजिंन राष्ट्र को समर्पित हो रहा है और ये हमारी capability है। भारत को आगे बढ़ना है, तो इस बात पर बल देना होगा कि हम, हमारे आत्मबल पर, हमारी शक्ति के आधार पर हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करने का काम करें।

एक समय था, ये देश पेट भरने के लिए अन्न बाहर से लाता था। जब विदेशों से अन्न आता था, तब हमारा पेट भरता था। लेकिन इस देश में एक ऐसे महापुरूष हुए जिसने बेड़ा उठाया, देश के किसानों को ललकारा, आवाह्न किया, उनको प्रेरणा दी, जय जवान जय किसान का मंत्र दिया और देश के किसानों ने अन्न के भंडार भर दिए। आज हिंदुस्तान अन्न विदेशों में दे सके, ये ताकत आ गई है। वो काम किया था, इसी धरती के लाल, लाल बहादुर शास्त्री ने। अगर हमारे किसान देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं, अन्न के भंडार भर सकते हैं, तो देश की उस ताकत को पहचान करके हमने देश की उस युवा शक्ति का आवाह्न किया है - Make in India! हमारी जितनी आवश्यकताएं हैं, उसका निर्माण देश में क्यों नहीं होना चाहिए? क्या कमी है! जिस देश के पास होनहार नौजवान हों, 65 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र के नौजवान हों, वो देश क्या नहीं कर सकता है?

इसलिए भाइयों, बहनों, लाल बहादुर शास्त्री का मंत्र था- जय जवान जय किसान और उन्होंने देश के अन्न के भंडार भर दिए। हम Make in India का मंत्र ले करके आए हैं इंडिजिनस! भारत की विधा से, भारत के संसाधनों से भारत अपनी चीज़ों को बनाए। आज, डिफेंस के क्षेत्र में हर चीज़ हम बाहर से लाते हैं। अश्रु गैस भी बाहर से आता है, बताईए! रोने के लिए भी बाहर से हमको साधन लाने पड़ते हैं। ये बदलना है मुझे और उसमें एक महत्वपूर्ण पहल आज आपके यहां से.. indigenous .. मुझे बताया गया, ये जो इंजिंन बना है, इसमें 96% कंपोनेंट यहीं पर बने हैं, आप ही लोगों ने बनाए हैं। मैंने कहा है कि वो 4% भी नहीं आना चाहिए। बताइए कैसे करोगे? उन्होंने कहा- हम बीड़ा उठाते हैं, हम करेंगे। डिफेंस..सब चीज़ें हम बाहर से ला रहे हैं, मोबाइल फोन बाहर से ला रहे हैं, बताईए! हमारे देश में हमें एक वायुमंडल बनाना है और इस पर हम कोशिश कर रहे हैं।

रेलवे! आप ने मुझे, जब से प्रधानमंत्री बना हूं, बार बार मेरे मुंह से रेलवे के बारे में सुना होगा। घूम फिर करके कहीं भी भाषण करता हूं तो रेलवे तो आ ही जाता है। एक तो बचपन से आदत है और दूसरा, मेरा स्पष्ट मानना है कि भारत में रेलवे देश को आगे ले जाने की इतनी बड़ी ताकत रखती है, लेकिन हमने उसकी उपेक्षा की है। मेरे लिए रेलवे एक बहुत बड़ी प्राथमिकता है। आप कल्पना कर सकते हो, इतना बड़ा infrastucture! इतनी बड़ी संख्या में manpower! इतना पुराना experience! और विश्व में सर्वाधिक लोगों को ले जाने लाने वाला ये इतना बड़ा organization हमारे पास हो। इसको अगर आधुनिक बनाया जाए, इसको अगर technology upgradation किया जाए, management perfection किया जाए। service oriented बनाया जाए तो क्या हिंदुस्तान की शक्ल सूरत बदलने में रेलवे काम नहीं आ सकती? भाइयों, बहनों मैं ये सपना देख करके काम कर रहा हूं। इसलिए रेलवे तो आगे बढ़ना ही है, लेकिन रेलवे के माध्यम से मुझे देश को आगे बढ़ाना है। और, अब तक क्या हुआ है, रेल मतलब- दो-पांच किलोमीटर नई पटरी डाल दो, एक आद दो नई ट्रेन चालू कर दो, इसी के आस-पास चला है। हम उसमें आमूल-चूल परिवर्तन चाहते हैं।

उसी प्रकार से human resource development. हम जानते हैं कि रेलवे में अभी भी बहुत लोगों को रोज़गार मिलने की संभावनाएं हैं। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वे हिम्मत नहीं करते। अगर आर्थिक रूप से उनको मजबूत बनाया जाए तो हज़ारो नौजवान रेलवे अभी भी absorb कर सकता है, इतनी बड़ी ताकत है। इसलिए योग्य manpower के लिए हम चार युनिवर्सिटी बनाना चाहते हैं, हिंदुस्तान के चार कोनों में। उस युनिवर्सिटी में जो आएंगे उन नौजवानों की शिक्षा दीक्षा होगी और उनको रेलवे के अंदर नौकरी मिलेगी। हमारे कई रेलवे के कर्मचारी हैं। उनकी संतानों को अगर वहां पर पढ़ने का अवसर मिलेगा तो अपने आप रेलवे में नौकरी करने के लिए उसकी सुविधा बढ़ जाएगी। उसको भटकना नहीं पड़ेगा। कुछ लोग अफवाहें फैलाते हैं। आप में से कई लोग होंगे जो 20 साल की उम्र के बाद, 22 साल की उम्र के बाद, पढ़ाई करने के बाद रेलवे से जुड़े होंगे। मैं जन्म से जुड़ा हुआ हूं। इसलिए आप लोगों से ज्यादा रेलवे के प्रति मेरा प्यार है, क्योंकि मेरा तो जीवन ही उसके कारण बना है। जो लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि रेलवे का privatization हो रहा है, वो सरासर गलत है। मुझ से ज्यादा इस रेलवे को कोई प्यार नहीं कर सकता और इसलिए ये जो गप्प चलाए जा रहे हैं, भाईयों, बहनों न ये हमारी इच्छा है, न इरादा है, न सोच है। हम इस दिशा में कभी जा नहीं सकते, आप चिंता मत कीजिए। हम क्या चाहते हैं - आज देश के गरीबों के लिए जो पैसा काम आना चाहिए, स्कूल बनाने के लिए, अस्पताल बनाने के लिए, रोड बनाने के लिए, गांव के अंदर गरीब आदमी की सुविधा के लिए, उन सरकारी खजाने के पैसे हर साल रेलवे में डालने पड़ते हैं। क्यों? रेलवे को जि़ंदा रखने के लिए। हम कितने साल तक हिंदुस्तान के गरीबों की तिजोरी से पैसे रेल में डालते रहेंगे? और अगर कहीं और से पैसा मिलता है, तो समझदारी इसमें है कि गरीबों के पैसे रेल में डालने के बजाए, जो धन्ना सेठ हैं, उनके पैसे रेल में डालने चाहिए। इसलिए कम ब्याज से आज दुनिया में पैसे मिलते हैं। हम उन पैसों को रेलवे के विकास के लिए लगाना चाहते हैं, जिसके कारण, आप जो रेलवे में काम कर रहे हैं, उनका भी भला होगा और हिंदुस्तान का भी भला होगा। रेलवे का privatization नहीं होने वाला है।

अब मुझे बताईए, ये युनियन वालों को मैं पूछना चाहता हूं कि रूपया रेलवे में आए, डालर आए, पाउंड आए, अरे आपको क्या फर्क पड़ता है भई! आपका तो पैसा आ रहा है। दूसरी बात, रेलवे के स्टेशन जितने हैं, हमारे.. अब मुझे बताइए, मुझे रेलवे युनिवर्सिटी बनानी है..अगर रेलवे युनिवर्सिटी में मुझे जापान से मदद मिलती है, चाइना से मदद मिलती है, टेक्नॉलोजी की मदद मिलती है, expertise की मदद मिलती है, तो लेनी चाहिए कि नहीं लेनी चाहिए? ज़रा बताईए, सच्चा बोलिए, दिल से बोलिए- लेनी चाहिए कि नहीं लेनी चाहिए? यही काम ये सरकार करना चाहती है भाईयों! और इतना ही नहीं इतना ही नहीं. आज हम देखें हमारे रेलवे स्टेशन कैसे हैं? रेलवे स्टेशन पर रेलवे में 12-12 घंटे प्लेटफार्म पर काम करने वाले रेलवे के कर्मचारी को बैठने के लिए जगह नहीं होती है। ये सच्चाई है कि नहीं है? उसको बेचारे को बैठ करके खाना खाना हो, उसके लिए जगह नहीं है। क्या हमारे रेलवे स्टेशन सुविधा वाले होने चाहिए कि नहीं होने चाहिए? रेलवे पर आने वाले लोगों को सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? मैंने सर्वे किया कि बनारस स्टेशन पे जितने पैसेंजर आते हैं, उनको बैठने के लिए सीट है क्या? और मैं हैरान हो गया कि बहुत कम सीट हैं। ज्यादातर बेचारे बूढ़े पैसेंजर भी घंटों तक रेलवे के इंतज़ार में खड़े रहते हैं। क्या उनको बैठने की सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? मैंने क्या किया, मेरे MPLAD का जो फंड था, मैंने रेलवे वालों को कहा, सबसे ज्यादा, जितनी बैंच लगा सकते हो, प्लेटफार्म पर लगाओ ताकि यहां गरीब से गरीब व्यक्ति को रेलवे के इंतज़ार में बैठा है तो उसको बैठने की जगह मिले। और मैंने सभी एमपी को कहा है, हिंदुस्तान भर में सभी रेलवे स्टेशन पर वो अपने MPLAD फंड में से पैसे लगा करके वहां पर वहां पर बैंचें डलवाएं ताकि रेलवे स्टेशन पर आने वाले पैसेंजर की सुविधा बढ़े। मुझे बताईए, ये सुविधा बढ़ेगी तो आशीर्वाद आपको मिलेगा कि नहीं मिलेगा? सीधी सीधी बात है, सब आपके फायदे के लिए हो रहा है भई। आप मुझे बताईए आज रेलवे स्टेशन जो हैं बड़े बड़े, heart of the city हैं! दो दो चार किलोमीटर लंबे स्टेशन हैं। नीचे तो आपकी मालिकी मुझे मंज़ूर है लेकिन रेलवे में आसमान में कोई इमारत बना देता है और रेलवे के खजाने में हजार करोड़, दो हजार करोड़ आज जाते हैं तो रेलवे मजबूत बनेगी कि नहीं बनेगी? वो प्लेटफार्म के ऊपर, हवा में, आकाश में अपनी इमारत बनाता है, रेलवे के फायदे में जाएगी कि नहीं जाएगी? मालिकी रेलवे की रहेगी कि नहीं रहेगी? रेलवे के कर्मचारियों का भला होगा कि नहीं होगा? हम जो विकास की दिशा ले करके चल रहे हैं, ये चल रहे हैं, privatization की हमारी दिशा नहीं है। हमें दुनिया भर का धन लाना है, रेलवे में लगाना है। रेलवे को बढ़ाना है, रेलवे को आगे ले जाना है और रेल के माध्यम से देश को आगे ले जाना है। हमारे देश में रेलवे को केवल यातायात का साधन माना गया था, हम रेलवे को देश के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी के रूप में देखना चाहते हैं।

इसलिए मेरे भाईयों, बहनों मैं देश भर के रेल कर्मचारियों को आज आग्रह करता हूं- आइए! हिंदुस्तान में सबसे उत्तम सेवा कहां की तो रेलवे की ये सपने को हम साकार करें। इन दिनों जो स्वच्छता का अभियान हमने चलाया है, कभी-कभार ट्विटर पर खबरें सुनने को मिलती हैं कि साहब मै पहले भी रेलवे में जाता था अब भी जाता हूं लेकिन अब जरा डिब्बे साफ-सुथरे नजर आते हैं, सफाई दिखती है देखिए लोगों को कितना संतोष मिलता है, आशीर्वाद मिलता है और ये कोई उपकार नहीं है, हमारी जिम्मेवारी का हिस्सा है। It is a part of our duty. धीरे-धीरे उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारा पूरा रेलवे व्यवस्था तंत्र साफ-सुथरा क्यों न हो उसका सबसे ज्यादा लाभ गरीब लोगों को कैसे मिले, मैं तो देख रहा हूं. रेलवे Infrastructure का उपयोग देश के विकास में इतना हो सकता है जिसकी किसे ने कल्पना नहीं की थी। हमारे देश में पोस्ट ऑफिस का नेटवर्क और रेलवे का नेटवर्क इन दोनों का अगर बुद्धिपूर्वक उपयोग किया जाए तो हमारे देश के ग्रामीण विकास की वह धरोहर बन सकते हैं।

मैं उदाहरण देता हूं- रेलवे के पास बिजली होती है, कहीं पर भी जाइए रेलवे के पास बिजली का कनेक्शन है। हिंदुस्तान की हर जगह पर। रेलवे के पास Infrastructure है। छोटे-छोटे गांव पर भी, छोटे-छोटे स्टेशन बने हुए हैं, भले ही वहां पर एक ट्रेन आती हो तो भी कोई न कोई वहां बैठा है, कोई न कोई व्यवस्था है। बाकी 24 घंटे वो खाली पड़ा रहता है उसी प्रकार से पोस्ट ऑफिस गांव-गांव तक उसका नेटवर्क है लेकिन वो पुराने जमाने की चल रही है उसमें बदलाव लाना है ये मैंने तय किया है और बदलाव लाने वाला हूं। अब मुझे बताइए गांव के अंदर जो रेलवे के स्टेशन हैं वहां पर दिन में मुश्किल से एक ट्रेन आती है मेरे हिसाब से हजारों की तादाद में ऐसी जगहें हैं, जहां बिजली हो, जहां Infrastructure हो वहीं पर अगर एक-दो कमरे और बना दिए जाएं और उन कमरों में Skill Development की Classes शुरू की जाएं क्योंकि Skill Development करना है तो Machine tools चाहिए और Machine tools के लिए बिजली चाहिए लेकिन बिजली गांव में नहीं है लेकिन रेलवे स्टेशन पर है, गांव के बच्चे Daily रेलवे स्टेशन पर आएंगे और रेलवे स्टेशन पर जो दो कमरें बने हुए होंगे उनमें जो Tools लगे हुए होंगे। Turner, Fitter के Course चलेंगे। एक साथ हिंदुस्तान में Extra पैसे खर्च किए बिना रेलवे की मदद से देश में हजारों की तादाद में Skill Development Centres खड़े हो सकते हैं कि नहीं।

मेरे भाईयों-बहनों थोड़ा दिमाग का उपयोग करने की जरुरत है, आप देखिए चीजें बदलने वाली हैं। मैं रेलवे के मित्रों से कहना चाहता हूं ऐसे स्टेशनों को Identify कीजिए जहां पर बिजली की सुविधा है वहां पर सरकार अपने खर्चे सेदो-तीन कमरे और बना दे और वहां पर उस इलाके के जो 500-1000 बच्चे हो उनके लिए Skill Development के Institutions चलें। ट्रेन ट्रेन का और Institutions, Institutions का काम करें रेलवे को Income हो जाए और गांव के बच्चों का Skill Development हो जाए। एक साथ हम अनेक व्यवस्थाएं विकसित कर सकते हैं और उस दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

आज एक तो सोलर प्लांट भी इसके साथ जुड़ रहा है। आधुनिक Loco shed का Expansion हो रहा है, करीब 300 करोड़ रुपए जब पूरा होगा। 300 करोड़ रुपए की लागत से यहां Expansion होने के कारण इस क्षेत्र के अनेक नौजवानों को रोजगार की नई संभावनाएं बढ़ने वाली हैं।

मैं फिर एक बार रेल विभाग को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। श्रीमान सुरेश प्रभु जी के नेतृत्व में बहुत तेज गति से रेल का विकास होगा। आजादी के बाद जितना विकास हुआ है उससे ज्यादा विकास मुझे आने वाले दिनों में करना है। रेलवे के बैठे सभी मेरे साथियों आप सभी मेरे परिवारजन हैं और इसलिए मेरा आप पर हक बनता है, रेलवे वालों पर मेरा सबसे ज्यादा हक बनता है कि हम सब मिलकर के रेल को सेवा का एक बहुत बड़ा माध्यम बनाएं, सुविधा का माध्यम बनाएं और राष्ट्र की आर्थिक गति को तेज करने का एक माध्यम बना दें। उस विश्वास के साथ आगे बढ़ें, इसी एक अपेक्षा के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद.

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పార్లమెంటు వర్షాకాల సమావేశాల ప్రారంభం సందర్భంగా ప్రధాని ప్రసంగం
July 21, 2025

మిత్రులకు నమస్కారం!

వర్షాకాల సమావేశాలకు మీడియా ప్రతినిధులందరికీ స్వాగతం పలుకుతున్నాను.

మిత్రులారా,

రుతుపవనాలు కొత్తదనానికి, సృష్టికి ప్రతీక. ఇప్పటివరకు అందిన నివేదికల ప్రకారం దేశవ్యాప్తంగా వాతావరణం అనుకూలంగా ఉంది. ఇది వ్యవసాయానికి లాభదాయకమైన సీజన్ అని వార్తలొస్తున్నాయి. మన రైతుల ఆర్థిక స్థితిగతుల్లోనే కాకుండా దేశ ఆర్థిక వ్యవస్థలో, గ్రామీణ ఆర్థిక వ్యవస్థలో, ఇంకా ప్రతి ఇంటి ఆర్థిక స్థితిగతుల్లోనూ వర్షం కీలక పాత్ర పోషిస్తుంది. నాకు అందిన సమాచారం ప్రకారం.. గత పదేళ్లలో నమోదైన నీటి నిల్వ కన్నా ఈ ఏడాది దాదాపు మూడు రెట్లు అధికంగా ఉంది. మున్ముందు దేశ ఆర్థిక వ్యవస్థకు ఇదెంతో ప్రయోజనం చేకూరుస్తుంది.
 

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మిత్రులారా,

ఈ వర్షాకాల సమావేశాలు దేశానికెంతో గర్వకారణం. ఈ సమావేశమే దేశ విజయోత్సవం వంటిది. ఈ సమావేశం దేశానికి గర్వకారణమూ విజయోత్సవమూ అని నేనంటున్నానంటే.. అంతర్జాతీయ అంతరిక్ష కేంద్రంలో తొలిసారిగా భారత త్రివర్ణ పతాకం రెపరెపలాడడమే ఇందుకు ముఖ్య కారణం. ఇది ప్రతి భారతీయుడికీ ఎంతో గర్వకారణం. శాస్త్ర విజ్ఞానం, సాంకేతికత, నూతన ఆవిష్కరణల పట్ల దేశంలో కొత్త ఉత్సాహాన్నీ ఉత్తేజాన్నీ నింపిన విజయవంతమైన ప్రయాణమిది. దేశ ప్రజలందరితో కలిసి పార్లమెంటు (లోకసభ, రాజ్యసభ రెండూ) ఈ విజయాన్ని ఘనంగా చాటబోతోంది. ఈ ఐక్య ప్రశంస భారత భావి అంతరిక్ష యాత్రలకు ప్రేరణగా, ప్రోత్సాహకంగా నిలుస్తుంది. ఆ రంగాన్ని మరింత ఉన్నతంగా తీర్చిదిద్దాలన్నదే ప్రభుత్వ లక్ష్యం.

మిత్రులారా,

ఈ వర్షాకాల సమావేశం నిజంగా విజయోత్సవమే. భారత సైనిక సామర్థ్యం ప్రపంచం మొత్తానికీ తెలియవచ్చింది. ఆపరేషన్ సిందూర్ ద్వారా భారత సాయుధ దళాలు తమ లక్ష్యాలను 100 శాతం విజయవంతంగా సాధించాయి. కేవలం 22 నిమిషాల్లోనే, శత్రు దేశానికి చెందిన లక్ష్యాలను వారి సొంత భూభాగంలోనే భారత సేనలు మట్టుబెట్టాయి. బీహార్‌లో జరిగిన ఓ కార్యక్రమంలో నేను ఈ విషయాన్ని ప్రకటించాను. అనతికాలంలోనే మన సాయుధ దళాలు దీన్ని సాధించాయి. మన ‘మేడ్ ఇన్ ఇండియా’ సైనిక శక్తి పాటవాలు ప్రపంచం దృష్టిని ఆకర్షించాయి. నేనీమధ్య ప్రపంచవ్యాప్తంగా ఏ నాయకుడిని కలిసినా, భారత్‌లో దేశీయంగా తయారవుతున్న రక్షణ పరికరాలపై వారంతా అమితాసక్తి చూపుతున్నారు. ఈ సమావేశం సందర్భంగా పార్లమెంటు ముక్తకంఠంతో చేసే విజయధ్వానాలు మన సాయుధ దళాలకు సరికొత్త శక్తినివ్వడంతోపాటు వారికిది ప్రేరణగా నిలుస్తుందన్న దృఢమైన నమ్మకం నాకుంది. ఇది దేశానికి స్ఫూర్తినిస్తుంది. రక్షణ రంగంలో పరిశోధనలు, ఆవిష్కరణలు, తయారీకి ఊతమిస్తుంది. ‘మేడ్ ఇన్ ఇండియా’ రక్షణ పరికరాలు మరింత ఊపందుకుని, మన యువతకు కొత్త ఉపాధి అవకాశాలు ఏర్పడుతాయి.

మిత్రులారా,

ఈ దశాబ్దాన్ని శాంతి, పురోగతి కలిసి పురోగమిస్తున్న కాలంగా చెప్పొచ్చు. అడుగడుగునా అభివృద్ధిని చవిచూస్తున్నాం. ఉగ్రవాదం కావచ్చు, నక్సలిజం కావచ్చు.. స్వాతంత్య్రం వచ్చినప్పటి నుంచి వివిధ రూపాల్లో దేశం హింసను ఎదుర్కొంటోంది. వీటిలో కొన్ని ముందూ కొన్ని వెనకా ఏర్పడి ఉండొచ్చు.. ఏదేమయినా, నక్సలిజం, మావోయిజం ప్రభావం నేడు శరవేగంగా సన్నగిల్లుతోంది. మావోయిజాన్నీ నక్సలిజాన్నీ సమూలంగా నిర్మూలించాలన్న దృఢసంకల్పంతో.. వేగంగా, సరికొత్త ఆత్మవిశ్వాసంతో విజయం దిశగా మన రక్షణ దళాలు పురోగమిస్తున్నాయి. ఒకప్పుడు నక్సల్స్ ప్రభావంతో ఉక్కిరిబిక్కిరయిన వందలాది జిల్లాలు నేడు స్వేచ్ఛావాయువులు పీల్చుకుంటున్నాయని సగర్వంగా చెప్పగలను. మన రాజ్యాంగం బాంబులు, తుపాకులు, పిస్టళ్లను ఎదర్కొని నిలబడుతోందని గర్విద్దాం. మన రాజ్యాంగం గెలుస్తోంది. ఒకప్పుడు రెడ్ కారిడార్లుగా ముద్రపడిన ప్రాంతాలు నేడు అభివృద్ధికి నిలయాలవుతున్నాయి. దేశ ఉజ్వల భవితకు ఇది ప్రతీక.
 

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మిత్రులారా,

ఒకదానివెంట ఒకటిగా, ఇలాంటి సంఘటనలన్నీ... దేశ సేవ కోసం, దేశ శ్రేయస్సు కోసం ఈ సభలో అడుగుపెట్టిన గౌరవ పార్లమెంటు సభ్యులందరికీ గర్వకారణం. ఈ పార్లమెంటు సమావేశాల్లో ప్రతి పార్లమెంటు సభ్యుడి నుంచి, ప్రతి రాజకీయ పార్టీ నుంచి దేశం మొత్తం ఈ విజయగాథను వినబోతోంది.

మిత్రులారా,

2014లో మీరు మాకు బాధ్యతలు అప్పగించేనాటికి, అయిదు బలహీన ఆర్థిక వ్యవస్థల్లో ఒకటిగా పరిగణించే దశలో దేశం ఉంది. 2014కు ముందు ప్రపంచ ఆర్థిక వ్యవస్థలో మనం పదో స్థానంలో ఉన్నాం. నేడు ప్రపంచంలో మూడో అతిపెద్ద ఆర్థిక వ్యవస్థగా ఎదిగే దిశగా భారత్ శరవేగంగా పురోగమిస్తోంది. నేడు దేశంలో 25 కోట్ల ప్రజలు పేదరికాన్ని అధిగమించడాన్ని అనేక అంతర్జాతీయ సంస్థలు విస్తృతంగా ప్రశంసిస్తున్నాయి. 2014కు ముందు దేశంలో ద్రవ్యోల్బణ రేటు రెండంకెల స్థాయిలో ఉండేది. నేడు ద్రవ్యోల్బణం దాదాపు 2 శాతానికి తగ్గడంతో సామాన్యులకు ఉపశమనం, ఊరట లభించాయి. ద్రవ్యోల్బణం తక్కువగా ఉండి, వృద్ధి అధికంగా ఉండడం ఆరోగ్యకరమైన, ప్రగతిశీల అభివృద్ధిని ప్రతిబింబిస్తుంది.

మిత్రులారా,

డిజిటల్ ఇండియా, యూపీఐ ద్వారా భారత నవసామర్థ్యాలకు ఇప్పుడు ప్రపంచవ్యాప్త గుర్తింపు లభించింది. ప్రపంచవ్యాప్తంగా ఇవి అమితాసక్తిని రేకెత్తిస్తున్నాయి. ఫిన్ టెక్ ప్రపంచంలో యూపీఐ తనకంటూ ఓ ప్రత్యేక గుర్తింపును ఏర్పరుచుకుంది. రియల్‌టైమ్ డిజిటల్ లావాదేవీల్లో భారత్ ఇప్పుడు ప్రపంచంలోనే ముందంజలో ఉంది.

మిత్రులారా,

ఇటీవల నిర్వహించిన అంతర్జాతీయ కార్మిక సంస్థ అంతర్జాతీయ సదస్సులో భారత్ ఓ ప్రధాన మైలురాయిని చేరుకుంది. ఐఎల్వో ప్రకారం.. భారత్లో నేడు 90 కోట్లకు పైగా ప్రజలు సామాజిక భద్రత కార్యక్రమాల పరిధిలోకి వచ్చారు. ఇది గొప్ప విజయం. అదేవిధంగా ప్రపంచ ఆరోగ్య సంస్థ (డబ్ల్యూహెచ్‌వో) భారత్‌ను ట్రాకోమా (వర్షాకాలంలో సాధారణంగా కనిపించే కంటి వ్యాధి) రహిత దేశంగా ప్రకటించింది. ప్రజారోగ్య రంగంలో భారత్ సాధించిన మరో ముఖ్యమైన విజయమిది.
 

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మిత్రులారా,

పహల్గామ్‌లో జరిగిన దారుణ హత్యలు, దౌర్జన్యాలు, మారణకాండ యావత్ప్రపంచాన్ని దిగ్భ్రాంతికి గురిచేశాయి. అందరి దృష్టి ఉగ్రవాదులు, వారి సూత్రధారుల వైపు మళ్లింది. ఆ సమయంలో పార్టీలను పక్కనపెట్టి, దేశ ప్రయోజనాల కోసమే పనిచేస్తూ.. అనేక రాజకీయ పార్టీలు, రాష్ట్రాల ప్రతినిధులు వివిధ దేశాలలో పర్యటించి ఉగ్రవాదానికి కేంద్రంగా ఉన్న పాకిస్తాన్‌ను ప్రపంచం ఎదుట విజయవంతంగా ఎండగట్టారు. దేశ ప్రయోజనాల కోసం ఈ ముఖ్యమైన కార్యక్రమంలో పాలుపంచుకున్న పార్లమెంటు సభ్యులు, రాజకీయ పార్టీలకు నా అభినందనలు. వారి ప్రయత్నాలు దేశంలో సానుకూల వాతావరణాన్ని సృష్టించాయి. భారత్ వాదనలు విని, ప్రపంచం అంగీకరిస్తోంది. దీనిపై మన పార్లమెంటు సభ్యులు, రాజకీయ పార్టీలను అభినందించడాన్ని నేను గౌరవంగా భావిస్తున్నాను.

మిత్రులారా,

ఐక్యతా స్ఫూర్తి, సమష్టిగా దానిని చాటడం దేశంలో ఎంత ఉత్సాహాన్ని నింపుతాయో మనకు తెలుసు. ఇదే స్ఫూర్తితో ఈ వర్షాకాల సమావేశాల్లోనూ ఈ విజయోత్సవం ప్రతిబింబిస్తుంది. ఈ సమావేశం మన సాయుధ బలగాల శక్తిని ఎలుగెత్తి చాటుతుంది. దేశ సామర్థ్యాలను కీర్తిస్తుంది. 140 కోట్ల భారతీయులకు సరికొత్త ప్రేరణగా నిలుస్తుంది. రక్షణ రంగంలో స్వావలంబన దిశగా ప్రయత్నాలను మనమంతా సమష్టిగా బలోపేతం చేసుకుంటామని, సాయుధ దళాల శక్తిని సగర్వంగా చాటుతామని నేను గట్టిగా నమ్ముతున్నాను. ఈరోజు దేశ ప్రజలకు, అన్ని రాజకీయ పార్టీలకు నేనొకటి తప్పక చెప్పాలి. ఐక్యతా శక్తి, సమష్టి స్ఫూర్తి ఎంత బలమైనవో దేశానికి స్పష్టంగా తెలియవచ్చింది. గౌరవ పార్లమెంటు సభ్యులు సభలో కూడా ఈ స్ఫూర్తిని బలోపేతం చేసి, ముందుకు తీసుకెళ్లాలి. రాజకీయ పార్టీలు భిన్నమైనవన్న వాస్తవాన్ని నేను అంగీకరిస్తాను. ప్రతి పార్టీకీ సొంత ఎజెండా ఉంటుంది. ఒక్కో పార్టీ ఒక్కో పాత్ర పోషిస్తుంది. అయితే, మరో నిజాన్ని కూడా నేను దృఢంగా విశ్వసిస్తున్నాను:- పార్టీ ప్రయోజనాల దృష్ట్యా అభిప్రాయాలు ఒక్కటి కాకపోయినా, దేశ ప్రయోజనాల దృష్ట్యా అందరూ కలిసిరావాలి. ఈ స్ఫూర్తితోనే దేశ అభివృద్ధి ప్రస్థానాన్ని వేగవంతం చేసే, పురోగతిని ముందుకు తీసుకెళ్లే, ప్రజలను సాధికారులను చేసే అనేక బిల్లులను ఈ వర్షాకాల సమావేశాల కోసం ప్రతిపాదించాం. సభ వీటిని సమగ్రంగా చర్చించి, ఆమోదిస్తుందన్న నమ్మకం నాకుంది.

అర్థవంతమైన, నిర్మాణాత్మకమైన చర్చలు చేస్తారని ఆశిస్తూ, గౌరవ పార్లమెంటు సభ్యులందరికీ నా శుభాకాంక్షలు.

ధన్యవాదాలు!