उपस्थित सभी महानुभाव, आप सबको नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं,

किसी संस्था के जीवन में 60 साल की यात्रा बहुत बड़ी नहीं होती है। 60 साल का कार्यकाल भारत जैसे विशाल देश में किसी Institution को build up करने में, उसे लोगों तक पहुंचाने में ये समय बहुत कम पड़ता है। व्यक्ति के लिए जीवन में 60 साल बहुत बड़ी बात होती है। लेकिन संस्था के जीवन में एक प्रकार से उसका प्रारंभ होता है। मैं मानता हूं कि अब ICICI Group उस स्थिति में पहुंच रहा है जिसकी बदौलत,जिन आशाओं और आकांक्षाओं को लेकर उसका जन्म हुआ, जिन अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए उसने यात्रा की, उसको Achieve करने का अब उसके सामने समय आया है और तब उसको 60 साल की जो गति है वो काम नहीं आती है। 60 साल का जो canvass है, वो भी छोटा पड़ता है। उसे बड़े canvass पर लंबी दौड़ के साथ अपनी योजनाएं करनी होती हैं। लेकिन, 60 साल का ये अनुभव भारत की विकास यात्रा में, banking Sector के योगदान में एक बहुमूल्य भूमिका निभाने का, उसकी सफलता का आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था को और अधिक ताकतवर बनाने में बहुत-बहुत उपयोगी होगा। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

कभी-कभी मुझे लगता है कि इस ग्रुप के नाम पर ICICI मैं समझता हूं 60 साल हो गए, आई को बहुत देखा, अब ICU होना चाहिए। मैं आपको देख रहा हूं, हिंदुस्तान के गरीब को देख रहा हूं और उस रूप में मैं आशा करता हूं कि जब 60 साल मनाए जा रहे हैं, क्यों न group के प्रमुख लोग बैठें। Grass root level के बैंक के साथ जुड़े हुए सभी लोग बैठें और हम जब 75 साल के होंगे, तब तक क्या क्या achieve करेंगे, हमारा social charter क्या होगा?और एक देश के सामने उस रूप में बैंकिंग क्षेत्र में ICICI lead कर सकता है क्या? for fifteen years, next fifteen years 75 celebrate करने से पहले हम ये social charter ले करके आ रहे हैं। 10 हों, 12 हों, इन चीज़ों को हम देश में ला करके रहेंगे।

कभी कभार एक आध Institution lead करती है तो बाकी सब उसको follow करते हैं और अपने आप में एक momentum बन जाता है और उस दिशा में हम काम कर सकते हैं। 2022 में भारत की आज़ादी के 75 साल हो रहे हैं और 25 में, 30 में आपके 75 साल होंगे। उस अर्थ में बीच में आपको एक अवसर मिलता है कि भारत के 75 साल के समय का क्या goal हो और Next अपके 75 होंगे तब क्या हो। एक social charter के साथ देश के सामने, financial Sector किस प्रकार से नई दिशा दे सकता है, इसके सपनों को ले करके आप आएंगे। मैं समझता हूं कि देश की बहुत बड़ी सेवा होगी। देश को एक नई दिशा मिलेगी।

मैं चंदा जी का विशेष रूप से इसलिए भी अभिनंदन करता हूं कि इस काम को मैं बड़े आग्रह से करना चाहता हूं। स्वच्छ भारत! उन्होंने उस बीड़े को उठाया, स्वयं ने भी इस काम को किया। लेकिन साथ- साथ उन्होंने अपनी सभी Branches को सप्ताह में एक दिन सफाई का कुछ-न-कुछ करने के लिए प्रेरित किया है। एक momentum खड़ा हुआ है। उनके इन प्रयासों का मैं अभिनंदन करता हूं और सभी ग्रुप को, सभी Branches को, उन Branches में बैठे हुए सभी बैंक के कर्मचारियों को इस काम को आगे बढ़ाने के लिए बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत बहुत बधाई देता हूं।

लेकिन बैंक सेक्टर से मेरी एक और अपेक्षा है। क्या हम इस काम को तो आगे बढ़ाएं, ज़रूर बढ़ाएं। लेकिन हम हमारे finance के जो areas हैं, उसमें एक नए क्षेत्र का इज़ाफा कर सकते हैं क्या और उसको प्राथमिकता दे सकते हैं क्या? क्या हमारा group एक साल के भीतर- भीतर bank finance की मदद से नौजवानों को प्रेरित करके कम से कम एक लाख स्वच्छता के entrepreneur तैयार कर सकते हैं? Waste management एक बहुत बड़ा Business है। solid west management के क्षेत्र में नौजवान आएं, बहुत बड़ा Business है, Waste water treatment के Business में आएं, बहुत बड़ा क्षेत्र है। हम इस प्रकार के नए entrepreneur तैयार कर सकते हैं। हमारी young generation को, उसकी training करना, उसको model करना और financial व्यवस्था देना।

मैं समझता हूं कि जो काम स्वच्छता के अभियान में आपकी बैंक कर रही है, लेकिन वो स्वच्छता के entrepreneur तैयार करती है तो शायद एक sustainable व्यवस्था, एक लंबे समय तक काम आने वाली व्यवस्था को हम उभार सकते हैं और हमें उस दिशा में प्रयास करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि आप infrastructure में पैसे देते होंगे, आप पावर प्रोजेक्ट में देते होंगे आप और development में देते होंगे, बहुत बहुत बड़े कारोबार आपके चलते होंगे। यहां जिस प्रकार का audience है, उसको लगता है कि बड़े काम आपके चलते होंगे। इस audience को भी देख कर मैं तय कर सकता हूं। लेकिन मैं एक और क्षेत्र में ले जाने के लिए कह रहा हूं, छोटे छोटे लोग जो entrepreneur के रूप में इस field में आए, उनको प्रेरित करें। एक बहुत बड़ा काम होगा।

उसी प्रकार से यहां पर video conference से हमारे साबरकांठा को एक छोटे से गांव के लोग इस कार्यक्रम में शरीक हुए हैं। मजा मैं बैदा बिदा! इस गांव की एक और भी विशेषता है। देश का पहला गांव ऐसा है जहां पर cattle hostel है। हमारे यहां गांवों में पशु अपने घर के बाहर ही बांध कर रखते हैं और सारी गंदगी वहीं होती है और बीमारी की जड़ भी वहीं होती है। आजकल लड़कियों को गांव में शादी करने में एतराज नहीं है, लेकिन ये पशु वाला काम करना पड़ता है तो उसके लिए उसकी तैयारी कम है। तो हमें एक नई समाज रचना करनी पड़ेगी और उसी विचार में से एक प्रयोग यहां शुरू हुआ है। गांव के सारे cattle hostel में रहते हैं और मालिक लोग hostel में जाते हैं, अपने पशु की देखभाल करते हैं। दूध लेने के समय, दूध के समय पहुँच जाते हैं। पूरा गांव साफ-सुथरा रहता है। एक hostel का प्रयोग आने वाले दिनों में देशभर में ये होने वाला है। अगर हम हमारे प्रिय से प्रिय बच्चों को hostel में रख सकते हैं तो हमारे cattle के लिए hostel क्यों नहीं बना सकते! और उसके कारण उनकी देखभाल भी अच्छी होती है। जब मैं वहां था, मुझे तब तो मालूम है, उनकी income में 20 percent बढ़ोतरी हुई थी, केवल hostel के कारण, क्योंकि वो उसमें से fertilizer निकालने लगे, गैस बनाने लगे, बिजली पैदा करने लगे, कई चीज़ें उनकी हुई, दूध में बढ़ोतरी हुई, अब उसी गांव को बैंक ने Digital Village बनाने के लिए और उसको बहुत सारा काम पूरा कर दिया है।

अब गांव भी बहुत इंतजार करने वाला नहीं है, उसके expectations भी वही हैं जो शहर में बैठे समृद्ध वर्ग के हैं और ये समय की मांग है कि हम उस पर Focus करें। Rural Development भी भारत की GDP को बढ़ाने का एक बहुत बड़ा अवसर है। नए तरीके से उसकी संभावनाएं बढ़ी हैं, उसके Infrastructure पर बल दे दिया है, Agri-structure पर बल दिया जाए, Agri-structure valuation पर बल दिया जाए। बहुत बड़ी संभावनाएं हमारे Rural life में आर्थिक विकास का एक बहुत बड़ा Power Station एक नया हम खड़ा कर सकते हैं, ये संभावनाएं बढ़ी हैं। ये Digital Village की कल्पना आने वाले दिनों में, जो Digital India का सपना हम पूरा करना चाहते हैं, उसमें ये भी चीजें एक Model के रूप में हमारे सामने आएंगी और काम आएंगी। मैं इस Initiative के लिए भी आपको बधाई देता हूं।

अकोद्रा गांव के लोग तो अब Cashless उनका कारोबार चले लेकिन हम ये सपना कब पूरा करेंगे कि भारत में भी Cashless आर्थिक व्यवस्था विकसित हो और मैं चाहता हूं कि हिंदुस्तान के बैंकिंग सेक्टर में इसकी Competition होनी चाहिए। कौन बैंक है जिसका Maximum Transaction है और Cashless है। कालेधन के उपायों में एक महत्वपूर्ण उपाय ये है, Cashless Transaction एक बहुत बड़ा उसका कारण और हमें इसको Promote करना चाहिए, लोगों का आदत डालनी चाहिए और बैंक के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती मैं मानता हूं वो ये है, एशिया के ये वो भू-भाग है। भारत के उसके आस-पड़ोस के देश Including China विश्व में ये एक ऐसा भू-भाग है जहां परंपरागत रूप से Saving का स्वभाव है। सदियों से परंपरा है हर पीढ़ी के मां-बाप आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ-कुछ बचाना ये सोच रखते हैं। दुनिया के और हिस्से हैं कि जहां पर Credit Card की दुनिया हैं, जहां पर बच्चों के हिस्से में Credit Card आता है और कुछ नहीं आता है। यहां वो सोच नहीं है, यहां पर Saving की सोच है लेकिन काल क्रम स्थिति ये बन गई कि उसका स्वभाव तो बन गया है कि भई बच्चों के लिए कुछ छोड़कर जाना। Security के लिए कुछ व्यवस्था रखनी चाहिए लेकिन वो उसके लिए Gold की तरफ चला गया है। उसको लगता है कि सोना खरीदकर रख लो भाई, पता नहीं कब जरूरत पड़ जाए। शायद सौ में से एक इंसान भी नहीं निकलता होगा कि जिसको अचानक सोना बेचकर के कहीं जाना पड़ा हो, सौ में से एक भी नहीं निकलता है लेकिन Psychological Effect है कि भई सोना होगा तो आधी रात काम आएगा। बैंकिंग सेक्टर के सामने Challenge है वो Credibility हर इंसान के दिमाग में हम पैदा कर सकते हैं कि जिसको कभी उसकी इच्छा न हो कि अब सोने खरीदने की इच्छा न हो, गांव में अब बैंक की ब्रांच है, एटीएम है, मुझे कभी अब पैसों के लिए संकट नहीं होगा, सारी व्यवस्थाएं मौजूद हैं अब मुझे सोना खरीदकर के कोने में रखकर के जरूरत नहीं है। भारत की Economy में बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है। बहुत बड़ा वर्ग है जो आवश्यकता से अधिक होड़ रखता है उसका मूल कारण उसके दिमाग में Safety, Security और Future होता है। अगर बैंक के द्वारा उसे Assurance मिलता है, उसमें विश्वास पैदा होता है कि हां भई इसके साथ अब मेरा नाता जुड़ गया यानि अब मेरे जीवन के संकट के काल में भी ये मेरा साथी है। मैं समझता हूं कि ये एक Gold Hub का Alternative बनने के लिए एक Golden Opportunity में देख रहा हूं।

क्या हम 75 साल मनाएं तब इन चीजों को Achieve करने की दिशा में कुछ कर सकता हैं क्या। आप देख सकते हैं कि एक बैंक Social Transformation का Agent बन सकता है। सिर्फ बैंकिंग सेवाएं नहीं…. Social Transformation का Agent बन सकता है। हम उस दिशा में नए तरीके से हमारे Banking Sector सोचें। मुझे विश्वास है कि हम बहुत कुछ देश को दे सकते हैं।

मैं फिर एक बार आज इस अवसर पर इस 60 साल की यात्रा में जिन-जिन्होंने योगदान दिया है, जिन्होंने इसका नेतृत्व किया वे सब अभिनंदन के अधिकारी हैं क्योंकि एक कालखंड में सब होता नहीं है। एक लंबी प्रक्रिया के बाद ये परिणाम मिलता है इसलिए इस Group के सभी उन वरिष्ठजनों को हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!