For the last four and a half years, the Union Government has pursued the objective of good governance: PM Modi
The Bogibeel Bridge would greatly enhance "ease of living" in the Northeast: PM Modi
A strong and progressive Eastern India, is the key to a strong and progressive India: PM Modi

मंच पर उपस्थित प्रोफेसर जगदीश मुखी जी, मुख्‍यमंत्री भाई सबरानंद सोनोवाल जी, अरूणाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री श्री प्रेमा खंडू जी, भाई हेमंत विश्‍वाशर्मा जी, मंत्रिपरिषद के मेरे साथी भाई राजन गौहाई जी, मंच पर उपस्थित अन्‍य सभी महानुभाव और मेरे प्रिय भाईयों और बहनों।

इतनी बड़ी तादाद में आप आशीर्वाद देने के लिए आए मैं आपका बहुत आभारी हूं। आज नॉर्थईस्‍ट पूर्वी भारत के लिए बहुत ऐतिहासिक दिवस है। आप सभी को देश के सबसे लम्‍बे रोड रेल ब्रिज की बहुत-बहुत बधाई।

मैं अभी ब्रिज से होकर ही आपके बीच पहुंचा हूं। मन बहुत प्रफुल्लित है।

साथियों आज पूरी दुनिया क्रिसमस मना रही है। असम समेत पूरे नॉर्थ ईस्‍ट पूरे देश को क्रिसमस की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।साथियों, मैं असमिया समाज के लिए समर्पित स्वॉर्गोदेउ साउलुंग सु-का-फा को नमन करता हूं। इसके साथ-साथ वीरता और बलिदान के प्रतीक लासित बोरफुकॉन, बीर शिलाराई, स्वॉर्गोदेउ सर्बानंद सिंह्, बीरागंना हॉति साधिनी,  बोदौसा, बीर राघव मोरान, मानिक रजा, हॉति जॉयमॉति, हॉति राधिका समेत तमाम नायक-नायिकाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

आज़ादी की लड़ाई से लेकर देश और असम के नवनिर्माण के लिए अनेक लोगों ने योगदान दिया है। राजनीति से लेकर समाजसेवा, ज्ञान-विज्ञान और खेलकूद तक, असम को देश को गौरवान्वित करने वाले हर व्यक्तित्व को मेरी कार्यांजलि समर्पित है। 

मैं असम की स्‍वर कोकिला पदम श्री दीपाली बोस ठाकुर जी को भी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। उनके जाने से असमियों के देश-विदेश के असंख्‍य जिलों तक ले जाने वाली एक आवाज चली गई है।

साथियों आज सुशासन के लिए समर्पित देश के सबसे महान व्‍यक्तियों में एक हम सभी के सह-हृदय अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्‍मदिन भी है। अटल जी की जयंती को देश आज सुशासन दिवस के तौर पर मना रहा है। भाईयों और बहनों सुशासन का मतलब जन सरोकार है। सामान्‍य मानव के जीवन को बेहतर बनाने का संस्‍कार है। अपने-पराये, तेरा-मेरा इससे ऊपर उठकर जब देश समाज के बेहतर भविष्‍य के लिए फैसले ले लिये जाते हैं। जीवन को आसान बनाने वाली व्‍यवस्‍थाओं और संसाधनों का निर्माण किया जाता है, तब सुशासन स्‍वराज की तरफ बढ़ता है। जब सबका साथ, सबका विकास के ध्‍येय मंत्र के साथ कार्य होता है। देश के संतुलित विकास पर जोर रहता है, तब सुशासन स्‍वराज्‍य की तरफ बढ़ता है। साथियों यही प्रयास बीते साढ़े चार वर्षों केंद्र और अब असम की सरकार हो, अरूणाचल की सरकार हो यह निरंतर कर रही है। मुझे खुशी है कि आज के पवित्र दिन सुशासन के एक बड़े प्रतीक ऐतिहासिक बोगीबील रेल रोड बीच के लोकार्पण के साथ ही हम सभी बने हैं। यह देश का सबसे लम्‍बा rail-cum-road bridge है। यह देश का पहला पूरी तरह से steel से बना ब्रिज है। पानी से 30 मीटर से भी अधिक की ऊंचाई पर बना यह पूल हमारे इंजीनियरिंग और तकनीकी सामर्थ्‍य की भी मिसाल है। एक साथ गाडि़या और ट्रेन की रफ्तार और भार सहने की क्षमता देश की सामरिक शक्ति को भी कई गुणा सुदृंढ करने वाली है।

भाईयों और बहनों यह सिर्फ एक ब्रिज नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र के लाखों लोगों के जीवन को जोड़ने वाली lifeline है। इससे असम और अरूणाचल के बीच की दूरी सिमट गई है। ईंटानगर से डिब्रूगढ़ की रेल यात्रा अब करीब 700 किलोमीटर घटकर 200 किलोमीटर से भी कम रह गई है। रेल से जिस सफर में पहले लगभग 24 घंटे लग जाते थे, अब वही सफर सिर्फ 5-6 घंटे का रह गया। करीब 5 किलोमीटर के इस  पुल से असम के तिनसुखिया और अरूणाचल प्रदेश के नाहर लागू के बीच दूरी ही कम नहीं हुई है। लोगों को अनेक परेशानियों से भी मुक्ति मिली है। उनका जीवन भी आसान हुआ है।

मुझे बताया गया है कि पहले धेमाजी लखीमपुर और अरूणाचल के अनेक जिलों के लोगों को नाव के माध्‍यम से ब्रह्मपुत्र को पार करना पड़ता था। या फिर सड़क या रेल के रास्‍ते करीब-करीब पूरे दिन का लम्‍बा सफर करना पड़ता था। कई ट्रेनें बदलनी पड़ती थी। भाईयों-बहनों आज जिस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई है। 14 कोच की यह direct train इस पूरे क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने जा रही है। जिस सपने को देखते हुए पीढि़या गुजर गई, अब वो सपना पूरा हुआ। अब दिल्‍ली, मुंबई, कोलकाता, बैंगलुरू जाने के लिए भी यहां के लोगों को गुवाहाटी से होकर जाने की जरूरत नहीं है। स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं हो, पढ़ाई-लिखाई हो, रोजगार हो, व्‍यापार कारोबार हो, डिब्रूगढ़ नॉर्थ ईस्‍ट का एक बहुत बड़ा सेंटर है। यहां आना-जाना लाखों लोगों की जरूरत है। विशेषतौर पर गंभीर बीमारी की स्थिति में दिनभर का सफर कैसे जीवन पर भारी पड़ जाता था यह आप सब भली-भांति जानते हैं।

साथियों, डिब्रूगढ़ मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी जैसी सुविधाएं अब नॉर्थ बैंक में बसे लोगों के लिए युवा साथियों के लिए मिनटों की दूरी परी सुनिश्चित हुई है। इस बहुत बड़ी सुविधा के लिए आप सभी को पूरे नॉर्थ ईस्‍ट के लोंगों को, पूरे देश के लोगों को फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई।

इसपुल के निर्माण से जुड़े उन तमाम इंजीनियर और कामगार साथियों को भी मैं सराहना करता हूं, जिन्‍होंने दिन-रात एक दिन करके मुश्किल परिस्थितियों में इस पुल के लिए काम किया है। आप सबको बहुत-बहुत बधाई।

भाईयों-बहनों, असम और नॉर्थ ईस्‍ट के लिए यह दोहरी बधाई का दिन है, क्‍योंकि देश का सबसे बड़ा रोड ब्रिज और रेल रोड ब्रिज दोनों असम की धरती पर है। यह मेरा भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्‍व में चल रही केंद्र सरकार का सौभाग्‍य है कि देश के infrastructure के इन दोनों महत्‍वपूर्ण प्रोजेक्‍ट को पूरा करने का अवसर हमें ही मिला है।

पिछले वर्ष मई में, सदिया में, भूपेन हजारिका ब्रिज का लोकार्पण करने आया था। तो आज बोगीबील में आप सभी के बीच हूं। भाईयों और बहनों, बीते साढ़े चार वर्षों में ब्रह्मपुत्र पर बना यह तीसरा ब्रिज है। आजादी के 60-70 वर्षों में ब्रह्मपुत्र पर तीन ब्रिज बने। 60-70 साल में तीन ब्रिज। और बीते साढ़े चार वर्ष में भी हमने तीन ब्रिज और बनाए हैं। पांच नये पूलों के निर्माण की प्रक्रिया भी चालू हो चुकी है। जब यह सारे पुल तैयार हो जाएंगे तो ब्रह्मपुत्र के उत्‍तर और दक्षिण के किनारों के बीच connectivity तो सुगढ़ होगी ही। आहार उद्योग और कारोबार का भी नया अध्‍याय लिखा जाएगा।

साथियों, यही तो सुशासन है। यही तो सुराज्‍य की तरफ बढ़ते हमारे कदम है। आज हम दावे के साथ कह सकते हैं कि विकास की यही गति असम के साथ-साथ पूरे नॉर्थ ईस्‍ट की तस्‍वीर बदलने वाली है।

भाईयों और बहनों संभवत: आज यहां पर कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो तब भी यहां आए होंगेजब 16 वर्ष पहले अटल जी यहां पहुंचे थे। तबसे आज तक एक पूरी पीढ़ी बदल चुकी है। आपने सच में बहुत लम्‍बा इंतजार किया, सब्र किया है। साथियों आपकी बरसों की मांग के बाद इस पूल से जुड़ी प्रक्रियाएं दो दशक पहले शुरू हुई, लेकिन सच्‍चाई यही है कि इसका निर्माण अटल जी के अटल प्रयासें से ही शुरू हो पाया। लेकिन यह दुर्भाग्‍य रहा कि साल 2004 में अटल जी की सरकार चली गई और उनके शुरू किये गये तमाम प्रोजेक्‍ट्स की तरह ही नॉर्थ ईस्‍ट के यह महत्‍वपूर्ण परियोजना भी लटक गई, अटक गई।

भाईयो और बहनों आप सभी साक्षी है कि 2014 का कैसे यहां पर सिवाय सिर्फ कुछ आधे-अधूरे खंभों के कुछ नहीं दिखता था। स्थिति ये थी कि जब 2014 में हमारा सरकार आई तो इस पुल का आधा काम, आधे से भी ज्‍यादा अधूरा पड़ा था, बाक‍ि पड़ा था। इसमें कोई संदेह नहीं कि अगर अटल जी की सरकार को फिर अवसर मिलता तो 2007-2008 तक इस bridge का लोकार्पण हो जाता। लेकिन जो उसके बाद जो सरकार केंद्र में आई उसने आपकी जरूरत पर ध्‍यान ही नहीं दिया है।

2014 में सरकार बनने के बाद हमनें इस प्रोजेक्‍ट की राह में आ रही सारी बाधाओं को दूर किया और गति दीऔर करीब 6 हजार करोड़ रुपये की लागत से बना बोगीबिल पुल जन सामान्‍य की सेवा के लिए आज समर्पित है। अटल जी के जन्‍म दिवस पर उनका एक सपना पूरा करके कृतज्ञ राष्‍ट्र ने उन्‍हें आज उत्‍तम श्रद्धाजंलि दी है। पूर्वोत्‍तर के अनेक लोगों को आज ये उपहार मिलता देख वे जहां भी होंगे उनकी आत्‍मा जहां भी होगी, वो बहुत खुश होंगे, ये आपके चेहरे पर जो खुशिया दिखाई दे रही हैं उसे देख करके अटल जी की आत्‍मा ज्‍यादा प्रफुल्लित होती होगी।

साथियों, पहले की सरकार की पहचान अगर अटके हुए प्रोजक्‍ट थे, तो हमारी सरकार की पहचानtransportation से transformation और देश को मिल रहा next generation infrastructure है।12 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा के ऐसे सैंकड़ों प्रो‍जेक्‍टस को हमने खोज कर निकाला है जो कई वर्षों से रूके पड़े थे, या जिन पर धीमी गति से काम हो रहा है था। अगर उनमें काम की पुरानी रफ्तार होती तो अगला दशक भी बीत जाता। आज सुशासन दिवस पर मैं गर्व से कह सकता हूं कि लटकाने, भटकाने वाली उस पुरानी कार्य-संस्‍कृति को हमनें पूरी तरह से बदल दिया है। इस वजह से देश में infrastructure क्षेत्र को नई गति मिली है।

पिछले साल ऐसे ही लटके हुए मिजोरम के Dwiral hydro power project प्रोजेक्‍ट जो इसी साल कुछ महीने पहले सिक्किम एयरपोर्ट का लोकार्पण भी किया जा चुका है। ऐसी अनेक योजनाएं पूरी हो चुकी है, बाकियो पर भी तेज गति से काम चल रहा ह्रै।

साथियों, आज तय समय पर, तय लागत में ही प्रोजेक्‍ट पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है। अब समय सीमा सिर्फ कागज में लिखने की बात भर नहीं रह गई बल्कि सरकारी कामकाज का संस्‍कारबन रही है। मैं असम की सरकार सोनेवाल की पूरी टीम को भी बधाई देता हूं कि उन्‍होंने इस संस्‍कार को आत्‍मसात किया है।

असम में अनेक ऐसे प्रोजेक्‍टस जो बरसों से अधूरे थे, या तो पूरे हो चुके है या पूरे होने की स्थिति में है। 3 हजार करोड़ रुपये की अधिक की लागत से करीब 7 सौ किलोमीटर के National Highway साढ़े चार वर्ष में पूरे हो चुके हैं। करीब 6 हजार करोड़ के एक दर्जन से अधिक National Highway प्रोजेक्‍ट पर काम तेज गति से चल रहा है। नए एयरपोर्ट टर्मिनल हो, रेल लाइनों के विद्युतीकरण और चौड़ीकरण का काम हो, गोहाटीतीनसुखिया गैस पाइपलाइन हो, गोहाटी में एम्‍स हो, धेमाजी में Indian Agriculture Research Institute हो, ऐसे अनेक प्रोजेक्‍टस पर या तो काम पूरा हो चुका है या फिर जल्‍द पूरा होने वाला है। तेज इंटरनेट सेवा सुनिश्‍चत करने वाली इंटरनेशनल सबमरीन केबल भी त्रिपुरा पहुंच चुकी है और बहुत ही जल्‍द ये आसाम पहुंचने वाली है। इस में भी डिजिटल सेवाएं मजबूत होगी।

साथियों, मेरा स्‍पष्‍ट मानना है कि जब पूर्वी भारत बढ़ेगा तो पूरा भारत बढ़ेगा। जब पूर्वी भारत मजबूत होगा तो पूरा भारत मजबूत होगा। पूर्वी भारत का अभिन्‍न अंग हमारा नार्थ-ईस्‍ट है और इसलिए infrastructure का विस्‍तार असम के साथ-साथ पूरे नार्थ-ईस्‍ट में हो रहा है। पूरे नार्थ-ईस्‍ट में लगभग 70 हजार करोड़ रूपये के करीब साढ़े पांच हजार किलोमीटर National Highway बनाने पर काम चल रहा है। इनमें से लगभग ढाई हजार किलोमीटर के National Highway पूरे हो चुके हैं। 1 हजार किलोमीटर से अधिक की सड़कें International connectivity Act East Policy को ध्‍यान में रखते हुए तैयार की जा रही है। जिसमें से लगभग 8 सौ किलोमीटरसड़कों पर किसी न किसी स्‍तर पर काम जारी है। जहां तक रेल connectivity की बात है तो आने वाले दो-तीन वर्षों तक नार्थ-ईस्‍ट के राज्‍यों के हर राजधानी को broadguage line जोड़ने का लक्ष्‍य रखा गया है। करीब 47 हजार करोड़ रुपये की लागत से 15 नई रेल लाइन तैयार हो रही है। लगभग 1 हजार किलोमीटर रेल लाइनों या‍नी नार्थ-ईस्‍ट की लगभग सभी लाइनों को broadguageमें बदला जा चुका है। पहले नार्थ-ईस्‍ट में हर वर्ष करीब 100 किलोमीटर रेल लाइन बनती थी या चौड़ीकरण होता था, जबकि बीते साढ़े चार वर्षों में 350 किलोमीटर लाइन हर वर्ष बनती है या फिर broadguage में बदली जा रही है। इतना ही नहीं 19 waterway यानी नदी मार्गों पर काम चल रहा है यहां असम में भी ब्रह्मपुत्र और बड़ाग नदियों के माध्‍यम से चिटगांव और मंगला पोर्ट तक Inland waterways बनाया जा रहा है।

भाईयो और बहनों infrastructure के अलावा भी देश के सामान्‍य मानवी काजीवन स्‍तर ऊपर उठाने के लिए जो योजनाएं केंद्र सरकार चला रही है उनको असम की सरकार गति दे रही है। इसी का परिणाम है कि बच्‍चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई, बुजूर्गों को दवाई, जन-जन की सुनवाई असम में सुनिश्चित हो रही है। उज्‍ज्‍वला योजना के तहत करीब 24 लाख गैस के कनेक्‍शन असम गरीब बहनों को दिया जा चुका है जिसका परिणाम है कि असम में साढ़े चार वर्ष पहले तक जहां करीब 40 प्रतिशत घरों में गैस सैलेंडर था वहीं आज ये दायरा दो गुना करीब 80 प्रतिशत हो चुका है। स्‍वच्‍छ अभियान के तहत करीब 32 लाख शौचालय आसाम में बन चुके हैं। जिसमें साढ़े चार वर्ष में ही स्‍वच्‍छता का दायरा 38 प्रतिशत से 98 प्रतिशत तक हो चुका है। सौभाग्‍य योजना के तहत बीते एक वर्ष में ही असम के 12 लाख से अधिक परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्‍शन दिया गया है। जिससे असम में बिजलीकरण का दायरा करीब 50 प्रतिशत से बढ़कर करीब 90 प्रतिशत तक हो चुका है। आप उस स्थिति को भी याद करिए जब यहां टी-गार्डन में काम करने वाले भाईयो बहनों के बैंक खाते ही नहीं थे। बैंक नाम का उनका अता-पता नहीं था। जन-धन योजना के तहत 7 लाख कामगारबहनों भाइयो के बैंक अकांउट खुलवाए गए हैं। अगर मैं पूरे आसाम की बात करूं तो राज्‍य में करीब डेढ़ करोड़ जन-धन खाते हमारी सरकार ने ही खुलवाए हैं। ये तमाम योजनाएं संस्‍कार और आप सभी के सहयोग और आशीर्वाद से सफलता की तरफ आगे बढ़ रही हैं। 

साथियों, गरीब का, शोषित का, वंचित का अगर सबसे ज्‍यादा कोई नुकसान करता है तो वो भ्रष्‍टाचार है, मध्‍यम वर्गीय परिवारों पर सबसे ज्‍यादा बोझ अगर कोई डालता है तो वो भ्रष्‍टाचार है। देश के विकास की यात्रा की कमर को तोड़ देता है तो वो भ्रष्‍टाचार है, भ्रष्‍टाचार गरीब से उसका अधिकार छीनता है,मुश्किल बनाता है। इसलिए पिछले चार साढ़े चार साल से हमारी सरकार जहां एक तरफ गरीब को अधिकार दिला रही है, वहीं काले धन और भ्रष्‍टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ाई लड़ रही है।

भाईयों और बहनों, एक तरफ हमारी सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक करोड़ 25 लाख से ज्‍यादा गरीब लोगों को घर दे चुकी है, वहीं बेनामी संपत्ति कानून के तहत भ्रष्‍टाचारियों के पांच हजार करोड़ रुपये के बंगले और गाडि़यों को जब्‍त किया जा चुका है। एक तरफ हमारी सरकार नौजवानों को सिर्फ एक दिन में नई कंपनी के रजिस्‍टर की सुविधा दे रही है तो दूसरी तरफ भ्रष्‍टाचार की बहुत बड़ी जड़ मानी जाने वाली सवा तीन लाख से ज्‍यादा संदिग्‍ध कंपनियों का रद्द करने का भी हमने काम किया है। एक तरफ हमारी सरकार ने महिलाओं को, नौजवानों को स्‍वरोजगार के लिए मुद्रा योजना के तहत बिना बैंक गारंटी सात लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया है, तो वहीं दूसरी तरफ पहले की सरकारों ने बैंकों के जो लाखों करोड़ों रुपये फंसाये थे, उसमें से तीन लाख करोड़ रुपये हमारी सरकार वापस ला चुकी है। एक तरफ हमारी सरकार आयुष्‍मान भारत योजना के तहत गरीबों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दे रही है, तो वहीं दूसरी तरफ मेडिकल सेक्‍टर में भ्रष्‍टाचार खत्‍म करने के लिए भी सख्‍त कदम उठा रही है।

साथियों, चार साल पहले कोई नहीं सोच सकता था कि हेलीकॉप्‍टर घोटाले का सबसे बड़ा राजदार भारत की जेलों तक पहुंच जाएगा, यह किसी ने सोचा नहीं था। लेकिन इस राजदार को भारत लाने का काम और कानून के हवाले करने का काम भी हमारी सरकार ने हिम्‍मत के साथ किया है। यह हमारी सरकार के काम करने का तरीका है, हमारी कार्य संस्‍कृति है।

भाईयों-बहनों, जब व्‍यवस्‍था में पारदर्शिता आती है, भ्रष्‍टाचार खत्‍म होता है, सुविधाएं मिलती है, जिंदगी आसान बनती है, तो उसका प्रभाव हर क्षेत्र में दिखता है। हमारे खेलों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। आज असम समेत देश के दूर-दराज के गांव, कस्‍बों और छोटे शहरों से सामान्‍य परिवारों से निकले युवा देश का नाम रोशन कर रहे हैं। हीमा दास जैसे हमारी अनेक बेटियां, अनेक युवा साथी नये भारत के नये आत्‍मविश्‍वास का आज प्रतीक बनी है।

साथियों, हम सभी व्‍यवस्‍था परिवर्तन, व्‍यवहार परिवर्तन और बेहतर infrastructure के माध्‍यम से देश को सशक्‍त करने का काम कर रहे हैं। आज देश में भविष्‍य की जरूरतों के मुताबिक सड़कों, स्‍कूलों, शहरों, गांवों, सिंचाईऔर बिजली परियोजनाओं पर तेज गति से काम चल रहा है। आने वाले वर्षों में जब यह तमाम व्‍यवस्‍थाएं खड़ी हो जाएंगी तो New Indiaकी भव्‍य तस्‍वीर दुनिया के सामने होगी।

साथियों, अटल जी ने अगर 21वीं सदी की शुरूआत में देश की नींव को मजबूत किया, हम उसी नींव पर एक दिव्‍य भव्‍य, नये भारत निर्माण का प्रयास कर रहे हैं। भाईयों और बहनों असम के लोगों ने देश के लोगों ने हमें जो सेवा का सौभाग्‍य दिया है, उसे हमारी सरकार पूरी निष्‍ठा से पूरा करने का प्रयास कर रही है। हम रिश्‍ते नातों के लिए नहीं देश और समाज के लिए खप रहे हैं। मुझे पूरा विश्‍वास है कि आपके आशीर्वाद से हम सभी मिलकर आई अखोमीऔर भारत माता को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। एक बार फिर आप सभी को बोगीबील पुल  जैसी अद्भूत सुविधा के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप यहां इतनी बड़ी तादाद में पधारे, आशीर्वाद दिए इसके लिए मैं सिर झुका करके नमन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

दोनों हाथ ऊपर मेरे साथ पूरी ताकत से कहिए -

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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List of Outcomes: Visit of Prime Minister to Kuwait (December 21-22, 2024)
December 22, 2024
Sr. No.MoU/AgreementObjective

1

MoU between India and Kuwait on Cooperation in the field of Defence.

This MoU will institutionalize bilateral cooperation in the area of defence. Key areas of cooperation include training, exchange of personnel and experts, joint exercises, cooperation in defence industry, supply of defence equipment, and collaboration in research and development, among others.

2.

Cultural Exchange Programme (CEP) between India and Kuwait for the years 2025-2029.

The CEP will facilitate greater cultural exchanges in art, music, dance, literature and theatre, cooperation in preservation of cultural heritage, research and development in the area of culture and organizing of festivals.

3.

Executive Programme (EP) for Cooperation in the Field of Sports
(2025-2028)

The Executive Programme will strengthen bilateral cooperation in the field of sports between India and Kuwait by promoting exchange of visits of sports leaders for experience sharing, participation in programs and projects in the field of sports, exchange of expertise in sports medicine, sports management, sports media, sports science, among others.

4.

Kuwait’s membership of International Solar Alliance (ISA).

 

The International Solar Alliance collectively covers the deployment of solar energy and addresses key common challenges to the scaling up of use of solar energy to help member countries develop low-carbon growth trajectories.