Rural India declared free from open defecation #Gandhi150 #SwachhBharat
We have to achieve the goal of eradicating single use plastic from the country by 2022: PM Modi #Gandhi150 #SwachhBharat
Inspired by Gandhi Ji's vision, we are building a clean, healthy, prosperous and strong New India: PM

गुजरात के राज्‍यपाल आचार्य देवव्रत जी, मुख्‍यमंत्री श्री विजय रूपाणी जी, केंद्र और राज्‍य सरकार के अन्‍य सहयोगी, नाईजीरिया, इंडोनेशिया और माली सरकार के प्रतिनिधिगण, दुनिया के अलग-अलग देशों के Heads of mission, देशभर से यहां पहुंचे हजारों स्‍वच्‍छाग्रही, मेरे सभी सरपंच साथी, भाइयो और बहनों।

मैं आज अपनी बात प्रारंभ करने से पहले साबरमती के इस तट पर यहां उपस्थित सभी सरपंचों के माध्‍यम से देश के सभी सरपंचों, नगर पालिका, महानगर पालिका के सभी संचालक बंधुगण, भगिनीगण; आप सबने पांच साल लगातार जो अविरत पुरुषार्थ किया है, जिस समर्पण भाव से मेहनत की है, जिस त्‍याग भावना से पूज्‍य बापू का सपना साकार किया है; इसलिए आज मैं अपनी बात शुरू करने से पहले आप सबको आदरपूर्वक नमन करना चाहता हूं।

साबरमती के इस पावन तट से राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी और सादगी के, सदाचार के प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री जी को मैं नमन करता हूं, उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।

साथियो, पूज्‍य बापू की 150वीं जयंती का पावन अवसर हो, स्‍वच्‍छ भारत अभियान का इतना बड़ा पड़ाव हो, शक्ति का पर्व नवरात्र भी चल रहा हो, हर तरफ गरबा की गूंज हो; ऐसा अद्भुत संयोग कम ही देखने को मिल पाता है। और देशभर से जो हमारे सरपंच भाई-बहन आए हैं, आप लोगों को गरबा देखने का अवसर मिला कि नहीं मिला? गए थे गरबा देखने?

बापू की जयंती का उत्‍सव तो पूरी दुनिया मना रही है। कुछ दिन पहले संयुक्‍त राष्‍ट्र ने डाक टिकट जारी कर इस विशेष अवसर को यादगार बनाया। और आज यहां भी डाक टिकट और सिक्‍का जारी किया गया है।मैं आज बापू की धरती से उनकी प्रेरणा स्‍थली, संकल्‍प स्‍थली से पूरे विश्‍व को बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

भाइयो और बहनों, यहां आने से पहले मैं साबरमती आश्रम गया था। अपने जीवनकाल में मुझे वहां अनेक बार जाने का अवसर मिला है। हर बार मुझे वहां पूज्‍य बापू के सानिध्‍य का एहसास हुआ, लेकिन आज मुझे वहां एक नई ऊर्जा भी मिली। साबरमती आश्रम में ही उन्‍होंने स्‍वच्‍छाग्रह और सत्‍याग्रह को व्‍यापक स्‍वरूप दिया था। इसी साबरमती के किनारे महात्‍मा गांधीजी ने सत्‍य के प्रयोग किए थे।

भाइयो और बहनों, आज साबरमती की ये प्रेरक स्‍थली स्‍वच्‍छाग्रह की एक बड़ी सफलता की साक्षी बन रही है। ये हम सभी के लिए खुशी और गौरव का अवसर है। और साबरमती रिवर फ्रंट पर इस कार्यक्रम का आयोजन होना मेरे लिए तो दोहरी खुशी का विषय है।

साथियो, आज ग्रामीण भारत ने, वहां के लोगों ने खुद को खुले में शौच से मुक्‍त घोषित किया है। स्‍वेच्‍छा से, स्‍व-प्रेरणा से और जन-भागीदारी से चल रहे स्‍वच्‍छ भारत अभियान की ये शक्ति भी है और सफलता का स्रोत भी है। मैं हर देशवासी को, विशेषकर गांवों में रहने वालों को, हमारे सरपंचों को, तमाम स्‍वच्‍छाग्रहियों को आज हृदयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज जिन स्‍वच्‍छाग्रहियों को यहां स्‍वच्‍छ भारत पुरस्‍कार मिले हैं, उनका भी बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।

साथियो, आज मुझे वाकई ऐसा लगा जैसे इतिहास अपने-आप को दोहरा रहा है। जिस तरह देश की आजादी के लिए बापू के एक आह्वान पर लाखों भारतवासी सत्‍याग्रह के रास्‍ते पर निकल पड़े थे, उसी तरह स्‍वच्‍छाग्रह के लिए भी करोड़ों देशवासियों ने खुले दिल से अपना सहयोग दिया। पांच वर्ष पहले जब लाल किले से मैंने स्‍वच्‍छ भारत के लिए देशवासियों को पुकारा था तब हमारे पास सिर्फ और सिर्फ जन-विश्‍वास था और बापू का अमर संदेश था। बापू कहते थे कि दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, पहले वो स्‍वयं में लाना होगा।

इसी मंत्र पर चलते हुए हम सभी ने झाड़ू उठाई और निकल पड़े। उम्र कुछ भी हो, सामाजिक और आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, स्‍वच्‍छता, गरिमा और सम्‍मान के इस यज्ञ में हर किसी ने अपना योगदान दिया है।

किसी बेटी ने शादी के लिए शौचालय की शर्त रख दी, तो कहीं शौचालय को इज्‍जतघर का दर्जा मिला। जिस शौचालय की बात करने में कभी झिझक होती थी, वो शौचालय आजदेश की सोच का अहम हिस्‍सा हो गया है। वॉलीवुड से लेकर खेल के मैदान तक स्‍वच्‍छता के इस विराट अभियान ने हर किसी को जोड़ा है, हर किसी को प्रेरित और प्रोत्‍साहित किया।

साथियो, आज हमारी सफलता से दुनिया चकित है। आज पूरा विश्‍व हमें इसके लिए पुरस्‍कृत कर रहा है, सम्‍मान दे रहा है। 60 महीने में 60 करोड़ से अधिक आबादी को टॉयलेट की सुविधा देना, 11 करोड़ से ज्‍यादा शौचालयों का निर्माण, ये सुनकर विश्‍व अचंभित है। लेकिन मेरे लिए किसी भी आंकड़े, किसी भी प्रशंसा, किसी भी सम्‍मान से बड़ा संतोष तब होता है, जब मैं बच्चियों को बिना किसी चिंता के स्‍कूल जाते देखता हूं।

मुझे संतोष इस बात का है कि करोड़ों माताएं, बहनें अब एक असहनीय पीड़ा से, अंधेरे के इंतजार से मुक्‍त हुई हैं। मुझे संतोष इस बात का है कि उन लाखों मासूमों का जीवन अब बच रहा है, जो भीषण बीमारियों की चपेट में आकर हमें छोड़ जाते थे। मुझे संतोष इस बात का है कि स्‍वच्‍छता की वजह से गरीब का इलाज पर होने वाला खर्च अब कम हुआ है। मुझे संतोष इस बात का है कि इस अभियान ने ग्रामीण इलाकों, आदिवासी अंचलों में लोगों को रोजगार के नए अवसर दिए हैं। बहनों को भी, पहले हमारे यहां शब्‍द हुआ करता था राजमिस्‍त्री; बहनों को भी रानीमिस्‍त्री बनाकर काम करने के मौके दिए।

भाइयो और बहनों, स्‍वच्‍छ भारत अभियान जीवनरक्षक भी सिद्ध हो रहा है और जीवन स्‍तर को ऊपर उठाने का काम भी कर रहा है। यूनीसेफ के एक अनुमान के अनुसार बीते पांच वर्षों में स्‍वच्‍छ भारत से भारत की अर्थव्‍यवस्‍था पर 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का सकारात्‍मक प्रभाव पड़ा है। इससे 75 लाख से अधिक रोजगार के अवसर भारत में बने हैं, जिनमें से अधिकतर गांवों के बहन-भाइयों को मिले हैं।

इतना ही नहीं, इससे बच्‍चों की शिक्षा के स्‍तर पर, हमारी productivity पर, उद्यमशीलता पर सकारात्‍मक असर पड़ा है। इससे देश में बेटियों और बहनों की सुरक्षा और सशक्तिकरण की स्थिति में अद्भुत बदलाव आया है। गांव, गरीब और महिलाओं के स्‍वाबलंबन और सशक्तिकरण को प्रोत्‍साहित करने वाला ऐसा ही मॉडल तो पूज्‍य महात्‍मा गांधी चाहते थे। यही महात्‍मागांधीजी के स्‍वराज के मूल में था। इसी के लिए उन्‍होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया।

साथियो, लेकिन अब सवाल ये है- क्‍या हमने जो हासिल कर लिया है, वो काफी है क्‍या? इसका जवाब सीधा और स्‍पष्‍ट है, आज जो हमने हासिल किया है, वो सिर्फ और सिर्फ एक पड़ाव मात्र है, सिर्फ पड़ाव भर है। स्‍वच्‍छ भारत के लिए हमारा सफर निरंतर जारी है।

अभी हमने शौचालयों का निर्माण किया है, शौचालय के उपयोग की आदत की तरफ लोगों को प्रोत्‍साहित किया है। अब हमें देश के एक बड़े वर्ग के व्‍यवहार में आए इस परिवर्तन को स्‍थाई बनाना है। सरकारें हों, स्‍थानीय प्रशासन हो, ग्राम पंचायतें हों; हमें सु‍‍निश्चित करना है कि शौचालय का उचित उपयोग हो। जो लोग अब भी इससे छूटे हुए हैं, उन्‍हें भी इस सुविधा से जोड़ना है।

भाइयो और बहनों, सरकार ने अभी जो जल-जीवन मिशन शुरू किया है, उससे भी इसमें मदद मिलने वाली है। अपने घर में, अपने गांव में, अपनी कॉलोनी में Water recharge के लिए, Water recycling के लिए हम जो भी प्रयास कर सकते हैं, वो करने चाहिए। अगर हम ये कर पाएं तो टॉयलेट के‍ नियमित और स्‍थाई उपयोग के लिए इससे बहुत मदद मिलेगी। सरकार ने जल-जीवन मिशन पर साढ़े तीन लाख करोड़ खर्च करने का फैसला किया है। लेकिन देशवासियों की सक्रिय भागीदारी के बिना इस विराट कार्य को पूरा करना मुश्किल है।

साथियो, स्‍वच्‍छता, पर्यावरण सुरक्षा और जीव सुरक्षा- ये तीनों विषय महात्‍मा गांधी के प्रिय विषय थे। प्‍लास्टिक इन तीनों के लिए बहुत बड़ा खतरा है। लिहाजा, साल 2022 तक देश को सिंगल यूज प्‍लास्टिक से मुक्‍त करने का लक्ष्‍य हमें हासिल करना है। बीते तीन हफ्ते में स्‍वच्‍छता ही सेवा के माध्‍यम से पूरे देश ने इस अभियान को बहुत गति दी है। मुझे बताया गया है कि करीब 20 हजार टन प्‍लास्टिक का कचरा इस दौरान इक्ट्ठा किया गया है। इस दौरान ये भी देखने को मिल रहा है कि प्‍लास्टिक के carry bag का उपयोग बहुत तेजी से घट रहा है।

मुझे ये भी जानकारी है कि आज देशभर में करोड़ों लोगों ने सिंगल यूज प्‍लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्‍प लिया है। यानी वो प्‍लास्टिक जिसका हम एक बार उपयोग करते हैं और फिर फेंक देते हैं, ऐसे प्‍लास्टिक से हमें देश को मुक्‍त करना है। इससे पर्यावरण का भी भला होगा, हमारे शहरों की सड़कों और sewage को ब्‍लॉक करने वाली बड़ी समस्‍या का समाधान भी होगा और हमारे पशुधन की, समुद्री जीवन की भी रक्षा होगी।

भाइयो और बहनों, मैं‍ फिर कह रहा हूं, हमारे इस आंदोलन के मूल में सबसे बड़ी बात व्‍यवहार परिवर्तन है। ये परिवर्तन पहले स्‍वयं से होता है, संवेदना से होता है। यही सीख हमें महात्‍मागांधीजी और लाल बहादुर शास्‍त्री जी के जीवन से मिलती है।

देश जब गंभीर खाद्य संकट से जूझ रहा था तो शास्‍त्रीजी ने देशवासियों से अपने खाने की आदतों में बदलाव का आह्वान किया, लेकिन शुरूआत खुद के परिवार से की। स्‍वच्‍छता के इस सफर में भी हमारे लिए भी यही एकमात्र रास्‍ता है, जिस पर चलते हुए हमें मंजिल तक पहुंचना है।

भाइयो और बहनों, आज पूरी दुनिया स्‍वच्‍छ भारत अभियान के हमारे इस मॉडल से सीखना चाहती है, उसको अपनाना चाहती है। कुछ दिन पहले ही अमेरिका में जब भारत कोGlobal Goal Keeper Award से सम्‍मानित किया गया तो भारत की कामयाब से पूरा विश्‍व परिचित हुआ।

मैंने संयुक्‍त राष्‍ट्र में भी ये कहा था कि भारत अपने अनुभवों को दूसरे देशों से साझा करने के लिए हमेशा तैयार है। आज नाईजीरिया, इंडोनेशिया, और माली सरकार के प्रतिनिधि हमारे बीच में हैं। भारत को आपके साथ स्‍वच्‍छता के लिए, sanitation के लिए सहयोग करते हुए बहुत खुशी होगी।

साथियो, महात्‍मा गांधीजी ने सत्‍य, अहिंसा, सत्‍याग्रह, स्‍वाबलंबन के विचारों से देश को रास्‍तादिखाया था। आज हम उसी रास्‍ते पर चलकर स्‍वच्‍छ, स्‍वस्‍थ, समृद्ध और सशक्‍त New India के निर्माण में लगे हैं। पूज्‍य बापू स्‍वच्‍छता को सर्वोपरि मानते थे। सच्‍चे साधक के तौर पर देश का ग्रामीण क्षेत्र आज उन्‍हें स्‍वच्‍छ भारत की कार्यांजलि दे रहा है। गांधीजी सेहत को सच्‍चा धन मानते थे और चाहते थे कि देश का हर नागरिक स्‍वस्‍थ हो। हम योग दिवस, आयुष्‍मान भारत, फिट इंडिया मूवमेंट के जरिए इस विचार को देश के व्‍यवहार में लाने का प्रयास कर रहे हैं। गांधीजी वसुधैव कुटुम्‍बकम में विश्‍वास रखते थे।

अब भारत अपनी नई योजनाओं और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्धता के माध्‍यम से दुनिया को कई चुनौतियों से लड़ने में मदद कर रहा है। बापू का सपना आत्‍मनिर्भर, आत्‍मविश्‍वास से भरे भारत का था। आज हम Make in India, Startup India, Stand up Indiaसे इन सपनों कोसाकार करने में लगे हैं।

गांधीजी का संकल्‍प था एक ऐसा भारत, जहां हर गांव स्‍वाबलंबी हो। हम राष्‍ट्रीय ग्राम स्‍वराज माध्‍यम से इस संकल्‍प को सिद्धि की तरफ ले जा रहे हैं।

गांधीजी समाज में खड़े आखिरी व्‍यक्ति के लिए हर फैसला लेने की बात करते थे। हमने आज उज्‍ज्‍वला, प्रधानमंत्री आवास योजना, जन-धन योजना, सौभाग्‍य योजना, स्‍वच्‍छ भारत जैसी योजना; इन सबसे उनके इस मंत्र को व्‍यवस्‍था का हिस्‍सा बना दिया है।

पूज्‍य बापू को उन्‍होंने तकनीक का इस्‍तेमाल करते हुए लोगों के जीवन को आसान बनाने की बात की थी। हम आधार, Direct benefit transfer, Digital India, Bhim app, Digi Locker के जरिए देशवासियों का जीवन आसान बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

साथियो, महात्‍मा गांधी कहा करते थे कि वो भारत का उत्‍थान इसलिए चाहते हैं, ताकि सारी दुनिया उसका लाभ उठा सके। गांधीजी का स्‍पष्‍ट मत था कि राष्‍ट्रवादी हुए बिना अंतरराष्‍ट्रीयवादी नहीं हुआ जा सकता। यानी हमें पहले अपनी समस्‍याओं का समाधान खुद ढूंढना होगा, तब जाकर हम पूरे विश्‍व की मदद कर सकते हैं। इसी राष्‍ट्रवाद की भावना को लेकर आज भारत आगे बढ़ रहा है।

बापू के सपनों का भारत- नया भारत बन रहा है। बापू के सपनों का भारत- जो स्‍वच्‍छ होगा, पर्यावरण सुरक्षित होगा।

बापू के सपनों का भारत- जहां हर व्‍यक्ति स्‍वस्‍थ होगा, फिट होगा। बापू के सपनों का भारत- जहां हर मां, हर बच्‍चा पोषित होगा।

बापू के सपनों का भारत- जहां हर नागरिक सुरक्षित महसूस करेगा। बापू के सपनों का भारत- जो भेदभाव से मुक्‍त, सद्भावयुक्‍तहोगा।

बापू के सपनों का भारत- जो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्‍वास, इस आदर्श पर चलेगा। बापू के राष्‍ट्रवाद के ये तमाम तत्‍वपूरी दुनिया के लिए आदर्श सिद्ध होंगे, प्रेरणा के स्रोत बनेंगे।

आइए, राष्‍ट्रपिता के मूल्‍यों को प्रतिस्‍थापित करने के लिए, मानवता के भले के लिए हर भारतवासी, राष्‍ट्रवाद के हर संकल्‍प को सिद्ध करने का संकल्‍प लें।

मैं आज देश से एक व्‍यक्ति, एक संकल्‍प, इसका आग्रह करता हूं। देश के लिए कोई भी संकल्‍पलीजिए, जो देश के काम आने वाला संकल्‍प हो। देश की, समाज की, गरीब की भलाई करने वाला संकल्‍प हो। आपसे मेरा आग्रह है एक संकल्‍प जरूर लीजिए और अपने कर्तव्‍यों के बारे में सोचिए, राष्‍ट्र के प्रति अपने दायित्‍वों के बारे में सोचिए।

कर्तव्‍य पथ पर चलते हुए 130 करोड़ प्रयास, 130 करोड़ संकल्‍पों की ताकत देश में कितना कुछ कर सकती है। आज से शुरू करके अगले एक साल तक हमें निरंतर इस दिशा में काम करना है। एक साल काम किया, तो फिर यदि यही हमारे जीवन की दिशा बन जाएगी, यही हमारी जीवन शैली बन जाएगी, यही एक कृतज्ञ राष्‍ट्र की बापू को सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी।

इसी आग्रह और इन्‍हीं शब्‍दों के साथ मैं एक बात और भी कहना चाहता हूं- ये जो सफलता मिली है, ये किसी सरकार की सफलता नहीं है।

ये जो सफलता मिली है, वो किसी प्रधानमंत्री की सफलता नहीं है। ये जो सफलता मिली है, वो किसी मुख्‍यमंत्री की सफलता नहीं है।

ये जो सफलता मिली है, वो 130 करोड़ नागरिकों के पुरुषार्थ के कारण मिली है। समाज के वरिष्‍ठ लोगों ने समय-समय पर नेतृत्‍वकिया, मार्गदर्शन किया, उसके कारण मिली है। और मैंने देखा है, पांच साल लगातार सभी मीडिया हाउस ने इस बात को लगातार आगे बढ़ाया, positive मदद की, देश में वातावरण बनाने में मीडिया ने अहम भूमिका निभाई है।

आज मैं उन सबका, जिन-जिन लोगों ने इस काम को किया है, 130 करोड़ देशवासियों को आदरपूर्वक नमन करता हूं, मैं उनका धन्‍यवाद करता हूं, मैं उनका आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

इन्‍हीं शब्‍दों के साथ मैं अपनी बात समाप्‍त करता हूं। मेरे साथ आप सब बोलेंगे-

मैं कहूंगा- महात्‍मा गांधी, आप सब दोनों हाथ ऊपर करके बोलेंगे- अमर रहे, अमर रहे।

महात्‍मा गांधी – अमर रहे

महात्‍मा गांधी – अमर रहे

महात्‍मा गांधी – अमर रहे

एक बार फिर संपूर्ण राष्‍ट्र को एक बहुत बड़े संकल्‍प की सिद्धि के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।