NRIs are the brand ambassadors of India: PM Modi at Pravasi Bharatiya Divas

Published By : Admin | January 22, 2019 | 11:02 IST
QuoteNRIs are not only the Brand Ambassadors of India but also represent its strength, capabilities and characteristics: PM
QuoteWith its rapid progress, India is being seen on a high pedestal across the world and is in a position to lead the global community: PM Modi
QuoteIndia is on course to become a global economic powerhouse, says PM Modi

मॉरीशस के प्रधान मंत्री Your Excellency प्रविंद जगनाथ जी,
यूपी के राज्यपाल श्री राम नाइक जी,
केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरी सहयोगी सुषमा स्वराज जी,
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी,
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी,
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी,
मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी जनरल वी के सिंह जी,

मंच पर उपस्थित अन्य महानुभाव और दुनिया भर से काशी पधारे मेरे प्रिय बहनों और भाइयों।

सबसे पहले आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन, बहुत-बहुत स्वागत है। आप सभी, यहां अपनी, अपने पूर्वजों की मिट्टी की महक से खिंचे चले आए हैं। कल जिन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान मिलने वाला है, उन्हें मैं अपनी ओर से अग्रिम शुभकामनाएं देता हूं।

आज का दिन मेरे लिए भी विशेष है। जैसा कि सुषमा जी कह रहीं थीं, मैं यहां आपके सामने प्रधानमंत्री के साथ-साथ काशी का सांसद होने के नाते, एक मेज़बान के रूप में भी उपस्थित हुआ हूं। बाबा विश्वनाथ और मां गंगा का आशीर्वाद आप सभी पर बना रहे, मेरी यही कामना है।

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साथियों,

आज आपसे अपनी बात शुरू करने से पहले, मैं डॉक्टर श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामी जी के निधन पर अपना शोक व्यक्त करना चाहता हूं। टुमकूर के श्री सिद्धगंगा मठ में, मुझे कई बार उनसे आशीर्वाद लेने का अवसर मिला था। जब भी उनसे मिलता था, वो बेटे की तरह अपना स्नेह मुझ पर दिखाते थे। ऐसे महान संत, महाऋषि का जाना, हम सभी के लिए बहुत दुखद है। मानव कल्याण के लिए उनके योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।

भाइयों और बहनों,

दुनियाभर में बसे आप सभी भारतीयों से संवाद का ये अभियान हम सभी के प्रिय श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने शुरु किया था। अटल जी के जाने के बाद ये पहला प्रवासी भारतीय सम्मेलन है। इस अवसर पर मैं अटल जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं, उनकी इस विराट सोच के लिए नमन करता हूं।

साथियों,

आप सभी काशी में हैं, और इसलिए मैं काशी और आप सभी में एक समानता भी देख रहा हूं। बनारस नगरी चिरकाल से ही भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक और ज्ञान की परंपरा से दुनिया में देश का परिचय कराती रही है। आप भी अपने दिलों में भारत और भारतीयता को संजोए हुए, इस धरती की ऊर्जा से दुनिया को परिचित करा रहे हैं।

साथियों,

मैं आपको भारत का ब्रैंड एंबेसेडर मानने के साथ ही भारत के सामर्थ्य और भारत की क्षमताओं, देश की विशेषताओं का प्रतीक भी मानता हूं। इसलिए ही आप अभी जिस देश में रह रहे हैं, वहां के समाज को भी आपने अपनापन दिया है, वहां की संस्कृति और अर्थव्यवस्था को समृद्ध किया है। आपने वसुधैव कुटुंबकम के भारतीय दर्शन का, हमारे पारिवारिक मूल्यों का विस्तार किया है। आप सभी जिस देश में बसे हैं, वहां समाज के लगभग हर क्षेत्र में लीडरशिप के रोल में दिखते हैं। मॉरिशस को श्री प्रविंद जगनाथ जी पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा पुर्तगाल, त्रिनिदाद-टोबैगो और आयरलैंड जैसे अनेक देशों को भी ऐसे सक्षम लोगों का नेतृत्व मिला है जिनकी जड़ें भारत में हैं।

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साथियों,

आप सभी के सहयोग से बीते साढ़े 4 वर्षों में भारत ने दुनिया में अपना स्वभाविक स्थान पाने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। पहले लोग कहते थे कि भारत बदल नहीं सकता। हमने इस सोच को ही बदल दिया है। हमने बदलाव करके दिखाया है।

साथियों,

दुनिया आज हमारी बात को, हमारे सुझावों को पूरी गंभीरता के साथ सुन भी रही है और समझ भी रही है। पर्यावरण की सुरक्षा और विश्व की प्रगति में भारत के योगदान को दुनिया स्वीकार कर रही है। संयुक्त राष्ट्र के सबसे बड़े पर्यावरण पुरस्कार Champions of the Earth के साथ-साथ Seoul Peace Prize का मिलना इसी का परिणाम है।

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साथियों,

आज भारत अनेक मामलों में दुनिया की अगुवाई करने की स्थिति में है। इंटरनेश्नल सोलर अलायंस यानि आइसा ऐसा ही एक मंच है। इसके माध्यम से हम दुनिया को One World, One Sun, One Grid की तरफ ले जाना चाहते हैं। ये हमारे उस लक्ष्य का भी हिस्सा है जिसके तहत हम भारत की समस्याओं के ऐसे समाधान तैयार कर रहे हैं, जिनसे दूसरे देशों की मुश्किलें भी हल हो सकें। Local Solution, Global Application की अप्रोच के साथ हम काम कर रहे हैं।

Reform, Perform, Transform और सबका साथ, सबका विकास के सूत्र पर चलते हुए देश ने बीते साढ़े 4 वर्ष में क्या पाया इसकी एक तस्वीर मैं आपके सामने रखना चाहता हूं। आज भारत दुनिया की तेज़ी से बढ़ती इकोनॉमिक ताकत हैं तो स्पोर्ट्स में भी हम बड़ी शक्ति बनने की तरफ निकल पड़े हैं। आज इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े और आधुनिक संसाधन बन रहे हैं तो स्पेस के क्षेत्र में भी रिकॉर्ड बना रहे हैं। आज हम दुनिया का सबसे बड़ा Start up Eco-system बनने की तरफ बढ़ रहे हैं तो दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम आयुष्मान भारत भी चला रहे हैं। आज हमारा युवा मेक इन इंडिया के तहत रिकॉर्ड स्तर पर मोबाइल फोन, कार, बस, ट्रक, ट्रेन बना रहा है, तो वहीं खेत में रिकॉर्ड अन्न उत्पादन भी हो रहा है।

आपको मैं एक और उदाहरण देता हूं। साथियों आप में से अनेक लोगों ने हमारे देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री की, भ्रष्टाचार को लेकर कही एक बात जरूर सुनी होगी। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार दिल्ली से जो पैसा भेजती है, उसका सिर्फ 15 प्रतिशत ही लोगों तक पहुंच पाता है। इतने वर्ष तक देश पर जिस पार्टी ने शासन किया, उसने देश को जो व्यवस्था दी थी, उस सच्चाई को उन्होंने स्वीकारा था। लेकिन अफसोस ये रहा कि बाद के अपने 10-15 साल के शासन में भी इस लूट को, इस लीकेज को बंद करने का प्रयास नहीं किया गया। देश का मध्यम वर्ग ईमानदारी से टैक्स देता रहा, और 85 प्रतिशत की ये लूट भी चलती रही।

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साथियों,

अब मैं आपको आज की सच्चाई भी बताता हूं। हमने टेक्नोल़ॉजी का इस्तेमाल करके इस 85 प्रतिशत की लूट को 100 प्रतिशत खत्म कर दिया है। बीते साढ़े चार वर्षों में 5 लाख 78 हजार करोड़ रुपए यानि करीब-करीब 80 बिलियन डॉलर हमारी सरकार ने अलग-अलग योजनाओं के तहत सीधे लोगों को दिए हैं, उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किए हैं। किसी को घर के लिए, किसी को पढ़ाई के लिए, किसी को स्कॉलरशिप के लिए, किसी को गैस सिलेंडर के लिए, किसी को अनाज के लिए, ये राशि दी गई है। अब आप अंदाजा लगाइए, अगर देश पुराने तौर तरीकों से ही चल रहा होता, तो आज भी इस 5 लाख 78 हजार करोड़ रुपए में से 4 लाख 91 हजार करोड़ रुपए लीक हो रहे होते। अगर हम व्यवस्था में बदलाव नहीं लाए होते ये राशि उसी तरह लूट ली जाती, जैसे पहले लूटी जाती थी।

साथियों,

ये कार्य पहले भी हो सकता था, लेकिन नीयत नहीं थी, इच्छा-शक्ति नहीं थी। हमारी सरकार अब उस रास्ते पर चल रही है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली हर मदद डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम के तहत सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाए। मैं आपको एक और आंकड़ा देता हूं। पिछले साढ़े चार साल में हमारी सरकार ने करीब-करीब 7 करोड़ ऐसे फर्जी लोगों को पहचान कर, उन्हें व्यवस्था से हटाया है। ये 7 करोड़ लोग वो थे, जो कभी जन्मे ही नहीं थे, जो वास्तव में थे ही नहीं। लेकिन ये 7 करोड़ लोग सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे। आप सोचिए, पूरे ब्रिटेन में जितने लोग हैं, पूरे फ्रांस में जितने लोग हैं, पूरे इटली में जितने लोग हैं, ऐसे अनेक देशों की जनसंख्या से ज्यादा तो हमारे यहां वो लोग थे, जो सिर्फ कागजों में जी रहे थे और कागजों में ही सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे। इन 7 करोड़ फर्जी लोगों को हटाने का काम हमारी सरकार ने किया है। ये उस बदलाव की एक झलक है, जो पिछले साढ़े चार वर्षों में देश में आना शुरू हुआ है।

साथियों,

ये देश में बड़े पैमाने पर हो रहे परिवर्तन की, न्यू इंडिया के नए आत्मविश्वास की एक झांकी भर है। भारत के गौरवशाली अतीत को फिर स्थापित करने के लिए 130 करोड़ भारतवासियों के संकल्प का ये परिणाम है। और मैं आज बहुत गर्व से कहना चाहता हूं कि इस संकल्प में आप भी शामिल हैं।

साथियों,

सरकार का पूरा प्रयास है कि आप सभी जहां भी रहें सुखी रहें और सुरक्षित रहें। बीते साढ़े 4 वर्षों के दौरान संकट में फंसे दो लाख से ज्यादा भारतीयों को सरकार के प्रयासों से मदद मिली है। आपकी सोशल सिक्योरिटी के साथ-साथ पासपोर्ट, वीज़ा, PIO और OCI कार्ड को लेकर भी तमाम प्रक्रियाओं को आसान करने की कोशिश सरकार कर रही है। प्रवासी भारतीयों के लिए कुछ महीने पहले ही एक नया कदम भी उठाया गया है। दुनियाभर में हमारी Embassies और Consulates को पासपोर्ट सेवा प्रोजेक्ट से जोड़ा जा रहा है। इससे आप सभी के लिए पासपोर्ट सेवा से जुड़ा एक Centralized System तैयार हो जाएगा। बल्कि अब तो एक कदम आगे बढ़ते हुए चिप बेस्ड e-Passport जारी करने की दिशा में भी काम चल रहा है।

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साथियों,

पासपोर्ट के साथ-साथ वीज़ा से जुड़े नियमों को भी सरल किया जा रहा है। e-VISA की सुविधा मिलने से आपके समय की बचत भी हो रही है और परेशानियां भी कम हुई हैं। अभी भी अगर कोई समस्याएं इसमें हैं तो उसके सुधार के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। आप में से अनेक इस बात से भी परिचित होंगे कि हमारी सरकार ने PIO Cards को OCI Cards में बदलने की प्रक्रिया को भी आसान बनाया है।

साथियों,

आप अपनी मिट्टी से भले ही दूर हैं, लेकिन New India के निर्माण में आपकी सक्रिय भागीदारी में और बढ़ोतरी हो इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। भारत में जो बदलाव आ रहे हैं, जो नए अवसर बन रहे हैं, उसमें आपका योगदान बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। बदलते हुए इस भारत में आप रिसर्च एंड डेवलपमेंट और Innovation में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। सरकार ये भी कोशिश कर रही है कि भारत के Start-ups और NRI Mentors को एक साथ, एक प्लेटफॉर्म पर लाए। डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग भी आपके लिए एक अहम सेक्टर हो सकता है। 

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भाइयों और बहनों,

मां भारती की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था के साथ-साथ अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत से भी आपका जुड़ाव और मज़बूत हो, इसके लिए प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना की भी शुरुआत की जा रही है। मैं इस मंच पर पहले भी कह चुका हूं, आज फिर दोहराना चाहता हूं कि आप जिस भी देश में रहते हैं, वहां से अपने आसपास के कम से कम 5 परिवारों को भारत आने के लिए प्रेरित करिए। आपका ये प्रयास, देश में टूरिज्म बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। इसी तरह आप इस वर्ष गांधी जी की 150वीं जन्म जयंती पर अपने देश में रहते हुए कैसे उनकी बातों को, भारत की बातों को अन्य लोगों तक पहुंचाएंगे, इस पर भी विचार करिए। कुछ आयोजन हो सकता हो, कुछ विशेष कार्यक्रम आप करना चाहें, तो भारतीय दूतावास या एंबेसी द्वारा भी आपकी हर संभव मदद की जाएगी। इस वर्ष हम सभी गुरु नानक देव की 550वीं जंयती भी बना रहे हैं। गुरु वाणी को हम कैसे दूसरे देशों के लोगों तक पहुंचाएं, उन्हें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से कैसे परिचित कराएं, इस बारे में भी सोचा जा सकता है।

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साथियों,

मैं ये बातें सिर्फ सुझाव के तौर पर आपके सामने रख रहा हूं। मुझे पता है कि आप में से बहुत से लोग पहले से ऐसा करते आ रहे हैं। लेकिन आपसे स्नेह ऐसा है कि मैं खुद को रोक नहीं पाता. अंत में, एक बार फिर आप सभी का काशी में पधारने के लिए हृदय से आभार। भारत में आपका ये पूरा प्रवास सुखद रहे,

इसी कामना के साथ,
बहुत-बहुत धन्यवाद !

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Text of PM’s remarks during International Conference on Disaster Resilient Infrastructure
June 07, 2025
QuotePM outlines 5 key global priorities to strengthen Disaster Resilience
QuoteIndia established a tsunami warning system benefiting 29 countries: PM
QuoteIndia's recognises the Small Island Developing States as Large Ocean Countries and the need for special attention to their vulnerabilities: PM
QuoteStrengthening Early warning systems and coordination is crucial: PM
QuoteA global digital repository of learnings and best practices of building back from disasters would be beneficial for entire world: PM

Excellencies,

Distinguished delegates, Dear friends, Namaskar.

Welcome to the International Conference on Disaster Resilient Infrastructure 2025. This conference is being hosted in Europe for the very first time. I thank my friend, President Macron and the Government of France for their support. I also extend my wishes for the upcoming United Nations Oceans Conference.

Friends,

The theme of this conference is ‘Shaping a Resilient Future for Coastal Regions'. Coastal regions and islands are at great risk due to natural disasters and climate change. In recent times, we saw: Cyclone Remal in India and Bangladesh, Hurricane Beryl in the Caribbean, Typhoon Yagi in South-east Asia, Hurricane Helene in the United States, Typhoon Usagi in Philippines and Cyclone Chido in parts of Africa. Such disasters caused damage to lives and property.

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Friends,

India also experienced this pain during the super-cyclone of 1999 and the tsunami of 2004. We adapted and rebuilt, factoring in resilience. Cyclone shelters were constructed across vulnerable areas. We also helped build a tsunami warning system for 29 countries.

Friends,

The Coalition for Disaster Resilient Infrastructure is working with 25 Small Island Developing States. Resilient homes, hospitals, schools, energy, water security and early warning systems are being built. Given the theme of this conference, I am glad to see friends from the Pacific, Indian Ocean and the Caribbean here. Further, I am happy that the African Union has also joined the CDRI.

Friends,

I would like to draw your attention to some important global priorities.

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First: Courses, modules and skill development programmes on disaster resilience need to become part of higher education. This will build a skilled workforce that can tackle future challenges.

Second: Many countries face disasters and rebuild with resilience. A global digital repository of their learnings and best practices would be beneficial.

Third: Disaster resilience requires innovative financing. We must design actionable programmes and ensure developing nations have access to finance.

Fourth: We consider Small Island Developing States as Large Ocean Countries. Due to their vulnerability, they deserve special attention.

Fifth: Strengthening early warning systems and coordination is crucial. This helps timely decisions and effective last-mile communication. I am sure that discussions in this conference will consider these aspects.

Friends,

Let us build infrastructure that stands firm against time and tide. Let us build a strong and resilient future for the world.

Thank You.