చౌదరి చౌటు రామ్ రైతుల గురించి మాట్లాడుతూ- "నాకు రైతు పేదరికానికి చిహ్నం, బ్రిటీష్ సైన్యం యొక్క దురాక్రమణలకు వ్యతిరేకంగా తన గొంతెత్తే పెంచే సైనికుడు"
చౌధరి చోటు రామ్ యొక్క భావన భక్రా ఆనకట్టను నిర్మించాలనే ఆలోచన చాలామందికి తెలియదు. అతను, బిలాస్ పూర్ రాజుతో పాటు, భక్ర ఆనకట్ట ప్రాజెక్ట్ పై: నరేంద్ర మోదీ
చౌదరి సాహబ్ యొక్క దృష్టి ప్రేరణతో, మన రైతుల సంక్షేమానికి కృషి చేస్తున్నాం: నరేంద్ర మోదీ
హర్యానా రైతుల ఆదాయం పెరగడం, హర్యానా గ్రామాలు సంపన్నమైనవని మేము భరోసా యిస్తున్నాం
నేడు, చౌదరి చౌతు రామ్ ఆత్మ హర్యానాలో 'బేటీ బచావో, బేటి పడావో' ప్రచార విజయాన్ని చూడడానికి ఆనందంగా ఉంటుంది: ప్రధాని
నేడు, హర్యానా దేశం యొక్క పెరుగుదలను వేగవంతం చేస్తుంది. ఈ వృద్ధి దీర్ఘకాలంలో కొనసాగుతుందని నిర్ధారించడానికి మనము కలిసి పనిచేయాలి: నరేంద్ర మోదీ

मैं बोलूंगा- सर छोटूराम

आप सब बोलेंगे, दो बार बोलेंगे- अमर रहे, अमर रहे।

सर छोटूराम - अमर रहे, अमर रहे।

सर छोटूराम - अमर रहे, अमर रहे।

सर छोटूराम - अमर रहे, अमर रहे।

सर छोटूराम - अमर रहे, अमर रहे।

देश की सीमा पे रक्षा करण में सबते घणे जवान, देश की करोड़ों आबादी का पेट भरण में सबते आगे किसान और खेलां में सबते ज्‍यादा मैडल जीताण आले खिलाड़ी देण आले हरियाणा की धरती नै मैं प्रणाम करता हूं।देश का नाम, स्‍वाभिमान बधाण में सबते आगे रहण में हरियाणवियों का कोई मुकाबला नहीं से।

मंच पर विराजमान हरियाणा के राज्‍यपाल श्रीमान सत्‍यदेव नारायण आर्य जी, केन्‍द्रीय मंत्रिपरिषद के मेरे सहयोगी चौधरी बीरेन्‍द्र सिंह जी, श्री कृष्‍णपाल गुर्जर जी, हरियाणा के लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री श्रीमान मनोहर लाल जी, जम्‍मू–कश्‍मीर के राज्‍यपाल श्रीमान सतपाल मलिक जी, हिमाचल प्रदेश के राज्‍यपाल और इसी धरती की संतान श्री आचार्य देवव्रत जी, हरियाणा सरकार में मंत्री हमारे पुराने साथी भाई ओ.पी.धनकड़ जी, विधायक श्री सुभाष बराला जी, और हरियाणा के साथ ही पंजाब और राजस्‍थान से आए मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

मैं आज म्‍हारे दीनबंधु छोटूराम की मूर्ति थमने सौंपण आया सूं। इसते बड़ा मेरे खातर खुशी का कौन सा दिण हो सके सै।

साथियों, ये मेरा सौभाग्‍य है कि आज मुझे उस सांपला में किसानों की आवा़ज़, किसानों के मसीहा, रहबरे आज़म दीनबंधु चौधरी छोटूराम जी की इतनी भव्‍य और विशाल प्रतिमा का अनावरण करने का अवसर मिला है। यहां इस सभा में आने से पहले मैं चौधरी छाटूराम जी की याद में बने संग्रहालय में भी गया था। अब इस संग्रहालय के साथ ही हरियाणा की सबसे ऊंची प्रतिमा सांपला, रोहतक की एक और पहचान बन गई है। और मेरा सौभाग्‍य है इसी अक्‍तूबर महीने में किसानो के मसीहा, सर छोटूराम जी की हरियाणा की सबसे बड़ी प्रतिमा का लोकार्पण करने का सौभाग्‍य मिला तो 31 अक्‍तूबर को सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की जन्‍म-जयंती पर दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा, उसका लोकार्पण करने का सौभाग्‍य मिलेगा। और दोनों महापुरुष किसान थे, किसानों के लिए थे और किसानों को देश के लिए जोड़ने का काम किया था। और दूसरी विशेषता है इस प्रतिमा को निर्माण किया है श्रीमान सुतार जी ने। अब 90 से भी ज्‍यादा आयु हो गई है, अभी भी काम करते हैं। और वही हमारे सुतार जी ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की भी उन्‍होंने ही बनाई है। मैं हरियाणा, राजस्‍थान और पंजाब के साथ-साथ पूरे देश के हमारे सभी जागरूक नागरिकों को बधाई देता हूं।

भाइयो और बहनों हमारे देश में समय-समय पर ऐसी महान विभूतियां जन्‍म लेती रहीं हैं जो अपना पूरा जीवन का सिर्फ और सिर्फ समाज की सेवा और देश को दिशा दिखाने में समर्पित कर रहे हैं। कितनी ही गरीबी हो, अभाव हो, कितनी ही मुश्किलें हों, संघर्ष हो; ऐसे व्‍यक्ति हर चुनौती को पार करके खुद को खपाकर समाज को मजबूत करते रहे हैं।ये हम सभी के लिए गौरव की बात है कि हरियाणा की इस धरती पर चौधरी छोटूराम जी का जन्‍म हुआ।

चौधरी छोटूराम जी देश के उन समाज सुधारकों में थे जिन्‍होंने भारत के निर्माण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। वो किसानों, मजदूरों, वंचितों, शोषितों की बुलंद और मुखर आवाज थे। वो समाज में भेद पैदा करने वाली हर शक्ति के सामने डटकर खड़े हुए। कृषि से जुड़ी समस्‍याओं, किसानों, छोटे उद्यमियों के सामने आने वाली विपत्तियों, चुनौतियों को उन्‍होंने बहुत करीब से देखा, समझा और उन चुनौतियों को कम करने का प्रयास भी किया।

साथियों, आज सर छोटूराम जी की आत्‍मा जहां भी होगी, ये देख कर खुश होंगे कि आज के ही दिन सोनीपत में एक आधुनिक तकनीक वाले रेल कोच कारखाने का शिलान्‍यास भी हुआ है।

करीब-करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से इस कारखाने का निर्माण किया जाएगा। इस रेल कोच फैक्‍टरी में हर साल पैसेंजर ट्रेन के 250 डिब्‍बों की मरम्‍मत और उन्‍हें आधुनिक बनाने का काम किया जाएगा। इस कोच फैक्‍टरी के बनने के बाद यात्री डिब्‍बों के रख-रखाव के लिए डिब्‍बों को अब दूर की फैक्‍टरियों में भेजने की मजबूरी समाप्‍त हो जाएगी। और इससे इस क्षेत्र में चलने वाली ट्रेनों में यात्री डिब्‍बों की उपलब्‍धता भी बढ़ेगी और लोगों को आरामदायक कोच की सुविधा भी मिलेगी।

भाइयो और बहनों, ये कारखाना सिर्फ सोनीपत ही नहीं बल्कि हरियाणा के औद्योगिक विकास को बढ़ाने में भी मदद करेगा। कोच की मरम्‍मत के लिए जो भी सामान की आवश्‍यकता होगी, उसकी पूर्ति यहां के छोटे-छोटे उद्यमों को भी इसके कारण नए-नए काम का अवसर मिलेगा, लाभ मिलेगा। चाहे सीट कवर हों, पंखे हों, बिजली की फिटिंग हो, कोच में लगने वाली तमाम सुविधाएं हों, उन्‍हें मुहैया कराने का बड़ा अवसर हरियाणा के छोटे-मोटे उद्यमियों को मिलेगा।

आप सोचिए, इस कोच कारखाने से यहां के युवाओं को रोजगार के कितने नए अवसर उपलब्‍ध होने जा रहे हैं। इस कारखाने का एक और लाभ होगा- यहां के इंजीनियर और टेक्‍नीशियनों को इस कारखाने की वजह से रेल कोच की मरम्‍मत के क्षेत्र में local expertise भी विकसित होगी।यानि यहां के इंजीनियर, technician इस कारखाने की वजह से एक अलग ही तरह की विशेषता और विशेषज्ञता हासिल करेंगे। आने वाले दिनों में यहां के expert देश के दूसरे हिस्‍सों में जाकर भी अपनी विशेषज्ञता का लाभ देश को दे पाएंगे।

साथियो, ये मेरा सौभाग्‍य रहा कि मुझे कई वर्षों तक हरियाणा में काम करने का मौका मिला। और जब मैं यहां पार्टी का काम करता था तो शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो कि मुझे कोई न कोई व्‍यक्ति सर छोटूराम जी के संबंध में, उनकी महानता के संबंध में कोई न कोई प्रसंग न सुनता हो। उनके बारे में जो कुछ भी मैंने पढ़ा-सुना, वो उस हर व्‍यक्ति को प्रेरित करने वाला है जो चुनौतियों का मुकाबला कर देश और समाज के लिए कुछ करना चाहता है। यहीं रोहतक में चौधरी साहब ने कहा था कि मेरे लिए किसान गरीबी का भी प्रतीक है और अंग्रेजी सेना के अत्‍याचार के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाला ये सैनिक भी है। ये सर छोटूराम के शब्‍द थे।

साथियो, आज हरियाणा में ऐसा कोई गांव नहीं जहां का कोई सदस्‍य सेना से न जुड़ा हुआ हो। सेना से जुड़कर देश सेवा का ये भाव जाग्रत करने का श्रेय काफी हद तक दीनबंधु छोटूराम जी को जाता है। उन्‍होंने ही यहां के किसानों को बड़ी संख्‍या में सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया।प्रथम विश्‍वयुद्ध के दौरान यहां के अनेक सैनिक विश्‍व शांति के लिए लड़े थे।

साथियों, अपने जीवन में वो स्‍वतंत्र भारत को नहीं देख पाए, लेकिन भारत की चुनौतियों की उसकी आशाओं, उसकी आकांक्षाओं और उसकी आवश्‍यकताओं को उन्‍होंने बखूबी समझा था। वो हमेशा अंग्रेजों की ‘बांटों और राज करो’ की नीति के खिलाफ आवाज उठाते रहे। चौधरी छोटूराम जी ने और उनके इन्‍हीं विचारों की वजह से राजनीति की हर धारा में सर, छोटूराम जी का सम्‍मान होता था। उनका कद, उनका व्‍यक्तित्‍व कितना बड़ा था इसका अंदाज इस बात से लग सकता है कि सरदार पटेल ने एक बार सर छोटूराम के लिए कहा था और मैं मानता हूं हरियाणा का हर नागरिक इस वाकये पर गर्व कर सकता है। सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ने कहा था कि अगर आज चौधरी छोटू राम जी जीवित होते तो मुझे बंटवारे के बाद, भारत विभाजन के बाद, उस बंटवारे के समय पंजाब की चिंता मुझे न करनी पड़ती, छोटूराम जी संभाल लेते। ये सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ने सर छोटूराम जी की सामर्थ्‍य और शक्ति का परिचय दिया है।

पश्चिम और उत्‍तर भारत के एक बड़े हिस्‍से में उनका प्रभाव इतना व्‍यापक था कि अंग्रेज प्रशासक भी उनकी बात मानने से इंकार करने से पहले सौ बार सोचने के लिए मजबूर होते थे। चौधरी छोटूराम जी और साहूकार की उस घटना, मैंने भी कभी-कभी कम से कम 100 बार सुनी होगी। आप सब भलीभांति परिचित होंगे। साहूकार ने उनको कर्ज देने के बजाय पटवारी बनने की सलाह दे दी थी। लेकिन साहूकार को भी अंदाज नहीं था कि जिसको वो पटवारी बनने का सुझाव दे रहे हैं, वो एक दिन पंजाब के हजारों पटवारियों की किस्‍मत तय करने वाला है। सिर्फ और सिर्फ अपने सामर्थ्‍य के बल पर संघर्ष करते हुए चौधरी साहब पंजाब के revenue मिनिस्‍टर तक बन गए थे।

भाइयो और बहनों, मंत्री रहते हुए उन्‍होंने पंजाब ही नहीं बल्कि देश के किसानों के लिए, खेत में काम करने वाले मजदूरों के लिए, भारत के revenue system के लिए, फसलों की मार्केटिंग के लिए ऐसे कानून बनाए, जो आज तक हमारी व्‍यवस्‍था का हिस्‍सा हैं। किसानों को कर्ज से जुड़े कानून हों, समर्थन मूल्‍य से जुड़ा कानून हो या फिर कृषि मंडियों से जुड़े कानून, इनकी नींव चौधरी साहब ने ही रखी थी।

हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि सारे कार्य उस समय हुए थे जब देश गुलाम था। चौधरी साहब के सामने तमाम तरह की सीमाएं थीं लेकिन बावजूद उसके उन्‍होंने किसानों के लिए न सिर्फ सोचा बल्कि करके भी दिखाया है। वो एग्रो इंडस्‍ट्रीज को बढ़ाने के भी प्रबल पक्षधर रहे। उस दौर में भी उन्‍होंने cottage industries, लघु उद्योगों को मजबूत करने पर बल दिया था। वो उद्यमियों को निरंतर प्रेरित करते थे कि देश के किसानों से जुड़ें, agriculture sector से हर किसी को जुड़ना चाहिए।

साथियो, छोटूराम जी की इस दूरदृष्टि को देखते हुए चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य जी ने कहा था, राजगोपालाचार्य जी ने सरछोटूराम के लिए कहा था कि चौधरी छोटूराम जी न सिर्फ ऊंचे लक्ष्‍य तय करना जानते हैं बल्कि उन लक्ष्‍यों का हासिल कैसे किया जाए, इसका मार्ग भी उन्‍हें अच्‍छी तरह पता था।

भाइयो और बहनों, देश में बहुत से लोगों को तो ये तक पता नहीं होगा, ये जो भाखड़ा बांध है, ये जो भाखड़ा बांध है इसकी असली सोच चौधरी साहब की ही थी। उन्‍होंने ही बिलासपुर के राजा के साथ भाखड़ा बांध पर हस्‍ताक्षर किए थे। इस बात का पंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान के लोगों को, किसानों को जो लाभ आज भी मिल रहा है, वो हम सभी देख रहे हैं। सोचिए कितना बड़ा vision था उनका, कितनी दूरदृष्टि थी उनकी।

साथियो, जिस व्‍यक्ति ने देश के लिए इतना कुछ किया, इतने व्‍यापक सुधार किए, ऐसा vision सामने रखा; उसके बारे में जानना, समझना हर व्‍यक्ति का हक है, अधिकार है। कई बार तो मुझे हैरानी होती है कि इतने महान व्‍यक्ति को तो एक क्षेत्र के दायरों में ही सीमित क्‍यों किया गया है। मेरा मानना है कि इससे चौधरी साहब के कद पर तो कोई असर नहीं पड़ा लेकिन देश की अनेक पीढ़ियां उनके जीवन से सीख लेने से वंचित रह गईं।

भाइयो और बहनों, हमारी सरकार देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले प्रत्‍येक व्‍यक्ति का मान बढ़ाने का काम कर रही है। बीते चार वर्षों से ना सिर्फ महान व्‍यक्तित्‍वों को सम्‍मान देने का काम हो रहा है बल्कि उनके दिखाए रास्‍तों को विस्‍तार भी दिया जा रहा है। किसानों को, छोटे उद्यमियों को मदद के लिए साहूकारों के भरोसे न रहना पड़े, इसके लिए बैंकों के दरवाजे खोलकर रखे गए हैं। जन-धन योजना के तहत हरियाणा के भी करीब साढ़े छियासठ लाख भाई-बहनों के खाते खोले गए हैं। सरकार द्वारा सहकारी बैंकों से ऋण लेना और आसान किया गया है। हाल में ही India Post Payment Bank भी शुरू हुआ है। इससे आपको अपने गांव में ही डाकिये के माध्‍यम से घर पर ही बैंकिंग सेवा मिलनी सुनिश्चित हुई है।

साथियो, चौधरी साहब ने जिस प्रकार किसानों, मजदूरों के उत्‍थान के लिए संपूर्णता के साथ सोचा, उसी प्रकार हमारी सरकार भी बीज से बाजार तक की एक सशक्‍त व्‍यवस्‍था बनाने का प्रयास कर रही है। किसानों को उसकी उपज का उचित मूल्‍य मिले, मौसम की मार से किसानों को सुरक्षा कवच मिले, आधुनिक बीज मिले, पर्याप्‍त मात्रा में यूरिया मिले, सिंचाई की उचित व्‍यवस्‍था मिले, मिट्टी का स्‍वास्‍थ्‍य बना रहे, इस पर निरंतर काम किया जा रहा है। मुझे प्रसन्‍नता है कि इसका लाभ हरियाणा को भी मिल रहा है। राष्‍ट्र के करीब-करीब 50 लाख किसान परिवारों को soil health card मिले हैं। करीब साढ़े छह लाख किसान फसल बीमा से जुड़े हैं जिनको साढ़े तीन सौ करोड़ से अधिक की क्‍लेम राशि भी मिल चुकी है। जहां बीते 30-40 वर्षों तक पानी नहीं पहुंचा, वहां आज पानी पहुंचाया जा रहा है।हाल में लखवार बांध के लिए छह राज्‍यों के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ है। इससे भी हरियाणा को बहुत लाभ होने वाला है।

साथियो, आठ-नौ-दस दशक पहले चौधरी साहब ने किसानों को फसल का उचित मूल्‍य दिलाने के लिए कृषि उत्‍पाद मंडी अधिनियम बनाया था। हमारी सरकार ने भी PM ASHA यानि प्रधानमंत्री अन्‍नदाता आय संरक्षण अभियान हमने शुरू किया है।इसके तहत सरकार ने ये प्रबंध किया है कि अगर किसानों को समर्थन मूल्‍य से कम कीमत बाजार में मिल रही है तो राज्‍य सरकार भरपाई कर सके। इतना ही नहीं, हमने जो वादा किया था कि लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत लाभ किसानों को मिले, वो भी पूरा किया जा चुका है।

साथियो, सरकार ने धान, गेहूं, गन्‍ने समेत 21 अहम फसलों का समर्थन मूल्‍य बढ़ाया है। धान के समर्थन मूल्‍य में 200 रुपये प्रति क्विंटल कीबढ़ोत्‍तरी की गई है। अब इसकी कीमत 1550 रुपये की जगह 1750 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। इसी प्रकार मक्‍के के लिए एमएसपी 275 रुपये, सूरजमुखी का करीब 1300 रुपये और बाजरे का समर्थन मूल्‍य सवा पांच सौ रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।

भाइयो-बहनों, याद कीजिए- कितने वर्षों से ये मांग हमारे किसान कर रहे थे। देश का किसान बार-बार कह रहा था- अब जा करके हमारी सरकार ने ये मांग पूरी की है।

साथियो, हरियाणा के गांव और किसानों की आय बढ़े, ये तो सुनिश्चित की जा रही है, साथ में उसकी ये आय बीमारी से निपटने में ही न लग जाए, इसका प्रबंध भी किया जा रहा है।

मैं हरियाणावासियों को बधाई देता हूं कि आयुष्‍मान भारत की पहली लाभार्थी आपके राज्‍य की ही एक बेटी है। ये भी संतोष की बात है कि इस योजना के माध्‍यम से दो हफ्ते में ही 50 हजार से अधिक गरीब भाई-बहनों को या तो इलाज मिल चुका है या फिर उनका इलाज हो रहा है।

मुझे इस बात की भी खुशी है कि हरियाणा ने खुद को खुले में शौच से मुक्‍त घोषित कर लिया है। मैं रोहतक को विशेष रूप से बधाई देता हूं क्‍योंकि यहां की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी को स्‍वच्‍छता रैंकिंग में पहला स्‍थान मिला है।

साथियो, आज चौधरी साहब की आत्‍मा जहां भी होगी, उन्‍हें हरियाणा में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता देख करके सबसे ज्‍यादा प्रसन्‍नता होती होगी। उन्‍होंने बदलाव के लिए सिर्फ आवाज ही नहीं उठाई बल्कि समाज की सोच में परिवर्तन के लिए शुरूआत अपने घर से की थी। बेटियों को लेकर जो सोच हमारे समाज में रही, उसका उन्‍होंने हमेशा विरोध किया। यही कारण है कि समाज के हर दबाव के बावजूद वो अपनी दो बेटियों के साथ हमेशा मजबूती के साथ खड़े रहे।

भाइयो-बहनों, आज जब हरियाणा के छोटे-छोटे गांवों में पैदा हुई बेटियां विश्‍व मंचों पर देश का गौरव बढ़ा रही हैं, हरियाणा के युवा भारत को खेलों में विश्‍व शक्ति बनाने के लिए जुटे हैं, जब देश के गरीब से गरीब परिवारों के युवा आगे बढ़ रहे हैं, तब लगता है कि हम चौधरी साहब के सपनों को साकार करने की तरफ तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।

साथियो, आज हरियाणा देश के विकास को गति दे रहा है। ये गति निरंतर तेज हो इसके लिए हम सभी को काम करना है। यही संदेश चौधरी छोटूराम जी का हम सभी के लिए है। सामाजिक समरसता और राष्‍ट्रीय एकता के लिए समर्पित राष्‍ट्र पुरुष को सच्‍ची श्रद्धां‍जलि तभी होगी जब हम मिल करके उनके सपनों का भारत बनाएंगे, नया भारत बनाएंगे।

कुछ दिनों में हरियाणा दिवस भी आने वाला है। इसके लिए भी मैं सभी हरियाणावासियों को एडवांस में बहुत-बहुत शुभकामनाएं भी देता हूं। और आप सब इतनी विशाल संख्‍या में और सर, छोटूराम जी को श्रद्धांजलि देने आए, इसके लिए मैं आप सबका हृदय से धन्‍यवाद करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।