Entire world is now discussing global warming and ways to mitigate it: PM Modi
Two landmark initiatives emerged in #COP21. India & France played key roles in those: PM
International Solar Alliance will impact generations in a big way: PM Modi
US, India, France took initiative of innovation; let is innovate and protect our environment: PM
India expressed keenness on solar alliance. France was very helpful, did everything possible to bring all nations together: PM
Solar alliance to ensure that the world gets more energy: PM Modi

मंच पर वि‍राजमान फ्रांस के राष्‍ट्रपति‍ श्रीमान ओलांद फ्रांस से आए हुए Senior Ministers हरि‍याणा के Governor श्री, मुख्‍यमंत्री श्री, श्रीमान पीयुष गोयल जी फ्रांस का Delegation और वि‍शाल संख्‍या में आए हुए प्‍यारे भाइयों और बहनों!

पि‍छले एक वर्ष से सारी दुनि‍याँ में इस बात की चर्चा थी कि‍ Global Warming के सामने दुनि‍याँ कौन से कदम उठाए कि‍न बातों का संकल्‍प करे? और उसकी पूर्ति‍ के लिए कौन से रास्‍ते अपनाएं? पेरि‍स में होने वाली COP 21 के संबंध में पूरी दुनि‍याँ में एक उत्‍सुकता थी, संबधि‍त सारे लोग अपने-अपने तरीके से उस पर प्रभाव पैदा करने का प्रयास कर रहे थे, और करीब-करीब दो सप्‍ताह तक दुनि‍याँ के सभी देशों ने मि‍ल करके, इन वि‍षयों के जो जानकार लोग हैं वो वि‍श्‍व के सारे वहॉं इकट्ठे आए चर्चाएं की और इस बड़े संकट के सामने मानव जाति‍ की रक्षा कैसे करें, उसके लि‍ए संकल्‍पबद्ध हो करके आगे बढ़े।

COP 21 के नि‍र्णयों के संबंध में तो वि‍श्‍व में भली- भॉंति‍ बातें पहुँची हैं लेकि‍न पेरि‍स की धरती पर एक तरफ जब COP 21 की चर्चाएं चल रहीं थीं तब दो महत्‍त्‍वपूर्ण initiatives लि‍ए गए। इन दोनों महत्‍त्‍वपूर्ण initiatives में भारत और फ्रांस ने बहुत ही महत्‍त्‍वपूर्ण भमि‍का नि‍भाई है एक initiative एक तरफ तो Global Warming की चिन्‍ता है, मानवजाति‍ को पर्यावरण के संकटों से रक्षित करना है और दूसरी तरफ मानवजाति‍ के आवश्‍यकताओं की पूर्ति‍ भी करनी है। जो Developing Countries हैं उन्‍हें अभी वि‍कास की नई ऊँचाइयों को पार करना बाकी है और ऊर्जा के बि‍ना वि‍कास संभव नहीं होता है। एक प्रकार से ऊर्जा वि‍कास यात्रा का अहमपूर्ण अंग बन गयी है। लेकि‍न अगर fossil fuel से ऊर्जा पैदा करते हैं तो Global Warming की चिन्‍ता सताती है और अगर ऊर्जा पैदा नहीं करते हैं तो, न सि‍र्फ अंधेरा छा जाता है जि‍न्‍दगी अंधेरे में डूब जाती है। और ऐसी दुवि‍धा में से दुनियाँ को बचाने का क्‍या रास्‍ता हो सकता है? और तब जा करके अमेरि‍का, फ्रांस भारत तीनों ने मि‍लकरके एक initiative लि‍या है और वो initiative है innovation का। नई खोज हो, नए संसाधन नि‍र्माण हों, हमारे वैज्ञानि‍क, हमारे Technicians हमारे Engineers वो नई चीजें ले करके आएं जोकि‍ पर्यावरण पर प्रभाव पैदा न करती हों। Global Warming से दुनि‍याँ को बचाने का रास्‍ता दि‍खती हों और ऐसे साधनों को वि‍कसि‍त करें जो affordable हो sustainable हो और गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति‍ की पहुँच में हो। तो innovation के लि‍ए एक बहुत बड़ा अभि‍यान चलाने की दि‍शा में अमेरि‍का, फ्रांस और भारत दुनि‍याँ के ऐसी सभी व्‍यवस्‍थाओं को साथ ले करके आगे बढ़ने का बड़ा महत्‍तवपूर्ण निर्णय कि‍या उसको launch कि‍या गया। President Obama, President Hollande और मैं और UN General Secretary और Mr. Bill Gates , हम लोग उस समारोह में मौजूद थे और एक नया initiative प्रारंभ कि‍या। दूसरा एक महत्‍त्‍वपर्ण निर्णय हुआ है जि‍सका आने वाले दसकों तक मानव जीवन पर बड़ा ही प्रभाव रहने वाला है।

दुनि‍याँ में कई प्रकार के संगठन चल रहे हैं। OPEC countries का संगठन है G-20 है G-4 है, SAARC है, European Union है, ASEAN Countries हैं, कई प्रकार के संगठन दुनि‍याँ में बने हुए हैं। भारत ने एक वि‍चार रखा वि‍श्‍व के सामने कि‍ अगर Petroleum पैदावार करने वाले देश इकट्ठे हो सकते हैं, African countries एक हो सकते हैं, European Countries एक हो सकते हैं, क्‍यों न दुनि‍याँ में ऐसे देशों का संगठन खड़ा कि‍या जाए जि‍न देशों ने 300 दि‍वस से ज्‍यादा वर्ष में सूर्य का प्रकाश प्राप्‍त होता है।

ये सूर्य, ये बहुत बड़ी शक्‍ति‍ का स्रोत है सारे जीवन को चलाने में, सृष्‍टि‍ को चलाने में सूर्य की अहम् भूमि‍का है। क्‍यों न हम उसको एक ताकत के रूप में स्‍वीकार करके वि‍श्‍व कल्‍याण का रास्‍ता खोजें। 300 से अधि‍क दि‍वस, सूर्य का लाभ मि‍लता है ऐसे दुनि‍या में करीब-करीब 122 देश हैं। और इसलि‍ए वि‍चार आया क्‍यों न हम 122 देशों का जो कि‍ सूर्य शक्‍ति‍ से प्रभावि‍त हैं उनका एक संगठन गढ़ें। भारत ने इच्‍छा प्रकट की फ्रांस के राष्‍ट्रपति‍ जी ने मेरी पूरी मदद की, हम कंधे से कंधा मि‍लाकरके चले, दुनि‍याँ के देशों का संपर्क कि‍या और नवंबर महीने में पेरि‍स में जब conference चल रही थी, 30 नवंबर को दुनि‍याँ के सभी राष्‍ट्रों के मुखि‍या उस समारोह में मौजूद थे और एक International Solar Alliance इस नाम की संस्‍था का जन्‍म हुआ।

उसमें इस बात का भी निर्णय हुआ कि‍ इसका Global Secretariat ‍हि‍न्‍दुस्‍तान में रहेगा। ये International Solar Alliance इसका Headquarter गुड़गॉंव में बन रहा है। ये हरि‍याणा ‘कुरूक्षेत्र’ की धरती है, गीता का संदेश जहॉं से दि‍या, उस धरती से वि‍श्‍व कल्‍याण का एक नया संदेश इस Solar Alliance के रूप में हम पहुँचा रहे हैं।

बहुत कम लोगों को अंदाज होगा कि‍ आज ये जो घटना घट रही है उसका मानवजाति‍ पर कि‍तना बड़ा प्रभाव पैदा होने वाला है, इस बात को वही लोग समझ सकते हैं जो छोटे-छोटे Island पर बसते हैं, छोटे-छोटे Island Countries हैं और जि‍नके ऊपर ये भय सता रहा है कि‍ समुंदर के अगर पानी की ऊँचाई बढ़ती है तो पता नहीं कब उनका देश डूब जाएगा, पता नहीं वो इस सृष्‍टि‍ से समाप्‍त हो जाएंगे, दि‍न रात इन छोटे-छोटे देशों को चि‍न्‍ता हो रही है। जो देश समुद्र के कि‍नारे पर बसे हैं, उन देशों को चि‍न्‍ता हो रही है कि‍ अगर Global Warming के कारण समुद्र की सतह बढ़ रही है तो पता नहीं हमारे मुम्‍बई का क्‍या होगा, चेन्‍नई का क्‍या होगा? और दुनि‍याँ के ऐसे कई देश होंगे जि‍नके ऐसे बड़े-बड़े स्‍थान जो समु्द्र के कि‍नारे पर हैं उनके भाग्‍य का क्‍या होगा? सारा वि‍श्‍व चि‍न्‍ति‍त है। और मैं पि‍छले एक साल में, ये Island Countries हैं जो छोटे-छोटे उनके बहुत से नेताओं से मि‍ला हूँ, उनकी पीड़ा को मैंने भली-भॉंति‍ समझा है। क्‍या भारत इस कर्तव्‍य को नहीं नि‍भा सकता?

हमारे देश में जीवनदान एक बहुत बड़ा पुण्‍य माना जाता है। आज मैं कह सकता हूँ कि‍ International Solar Alliance उस जीवनदान का पुण्‍य काम करने वाला है, जो आने वाले दशकों के बाद दुनि‍याँ पर उसका प्रभाव पैदा करने वाला है। सारा वि‍श्‍व कहता है कि‍ Temperature कम होना चाहि‍ए, लेकि‍न Temperature कम करने का रास्‍ता भी सूर्य का Temperature ही है। एक ऊर्जा से दूसरी ऊर्जा का संकट मि‍टाया जा सकता है। और इसलि‍ए वि‍श्‍व को ऊर्जा के आवश्‍यकता की पूर्ति‍ भी हो, innovation का काम भी हो और सोलर को ले करके जीवन के क्षेत्र कैसे प्रभावि‍त हों उस दि‍शा में काम करने के लि‍ए बना है।

ये बात सही है कि‍ International Solar Alliance इसका Headquarters हि‍न्‍दुस्‍तान में हो रहा है, गुडगॉंव में हो रहा है, लेकि‍न ये Institution हि‍न्‍दुस्‍तान की Institution नहीं है ये Global Institution है, ये Independent Institution है। जैसे अमेरि‍का में United Nations है, लेकि‍न वो पूरा वि‍श्‍व का है। जैसे WHO है, पूरे वि‍श्‍व का है। वैसे ही ये International Solar Alliance का Headquarter ये पूरे वि‍श्‍व की धरोहर है और ये Independent चलेगा। अलग-अलग देश के लोग इसका नेतृत्‍व करेंगे, अलग-अलग देश के लोग इसकी जि‍म्‍मेदारी संभालेंगे, उसकी एक पद्धति‍ वि‍कसि‍त होगी लेकि‍न आज उसका Secretariat बन रहा है, उस Secretariat के माध्‍यम से इस बात को हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में परंपरागत प्राकृति‍क संसाधनों उपयोग करने का बीड़ा उठाया है। भारत ने जब ये कहा कि‍ हम 175Giga Watt, Renewable Energy की तरफ जाना चाहते हैं, तब दुनि‍याँ के लि‍ए बड़ा अचरज था। भारत में Giga Watt शब्‍द भी नया है, जब हम Mega Watt से आगे सोच भी नहीं पाते थे। हम आज Giga Watt पर सोच रहे हैं और 175 Giga Watt Solar Energy, Wind Energy, Nuclear Energy, Biomass से होने वाली Energy इन सारे स्रोतों को Hydro Energy ये हम उपलब्‍ध कराना चाहते हैं और मुझे खुशी है कि‍ आज भारत 5000 MW से ज्‍यादा solar energy उसने install कर दी। ये इतने कम समय में जो काम हुआ है वो उस commitment का परिणाम है कि क्या भारत मानव जाति के कल्याण के लिए मानव जाति की रक्षा के लिए, प्रकृति की रक्षा के लिए, ये पूरी जो सृष्टि है उस पूरी सृष्टि की रक्षा के लिए, भारत कोई अपना योगदान दे सकता है क्या? उस योगदान को देने के लिए ये बीड़ा उठाया है।

मैं फ्रांस के राष्ट्रपति का हृदय से आभारी हूँ कि इस चिंता के समय में global warming पर्यावरण के मुद्दे इसके समाधान के जो रास्ते है उनकी सोच भारत की सोच से बहुत मिलती जुलती है क्यों कि फ्रांस की values और भारत के values काफी समान है और इसलिए पिछले वर्ष April के महीने में हम दोनों मिले थे तो हमने तय किया था कि हम COP 21 के समय एक किताब निकालेंगे और विश्व के अंदर परंपरागत रूप से इन issues को कैसे देखा गया इस पर research करेंगे। और हम दोनों ने मिल कर के उस किताब की प्रस्तावना लिखी है और विश्व के सामने उन्ही के मूलभूत चिंतन क्या थे ये प्रस्तुत किया।

ये चीजें इसलिए हम कर रहे हैं कि मानव जाति को इस संकट से बचने के जो रस्ते खोजे जा रहे हैं, वो एक सामूहिक रूप से प्रयत्न हो, innovative रूप से प्रयत्न हो और परिणाम वो निकले जो मानव जाति की आवश्यकता है उसकी पूर्ति भी करे लेकिन प्रकृति को कोई नुकसान न हो। हम वो लोग हैं जिनके पूर्वजो ने, इस धरती से हमें प्यार करना सिखाया है। हमें कभी भी प्रकृति का शोषण करने के लिए नहीं सिखाया गया, हमें पौधे में भी परमात्मा होता है यह बचपन से सिखया गया। ये हमारी परंपरा है। अगर ये परंपरा है तो हमें विश्व को उसका लाभ पहुंचे उस दिशा में हमें कुछ कर दिखाना चाहिए और उसी के तहत आज international solar alliance का हम लोगों ने एक Secretariat का आरम्भ कर रहे हैं। और भविष्य में भव्य भवन के रूप में उसका निर्माण हो, एक स्वंत्रत इमारत तैयार हो, उसके लिए शिलन्यास भी कर रहे है और इस काम के लिए आप पधारे इसका मैं बहुत बहुत आभारी हूँ।

मेरे लिए ख़ुशी की बात है कि solar alliance का निर्माण हो रहा हो आज हमें Delhi से यहाँ आना था हम by road भी आ सकते थे, helicopter से भी आ सकते थे, लकिन हम दोनों ने मिलकर तय किया कि अच्छा होगा की हम Metro से चले जाएँ और आज आप के बीच हमें Metro से आने का अवसर मिला।

मैं राष्ट्रपति जी का आभारी हूँ कि उन्होंने आज Metro में आने के लिए सहमति जताई और हम Metro का सफ़र करते करते आपके बीच पहुंचे क्योंकि वो भी एक सन्देश है क्योंकि global warming के सामने लड़ाई लड़ने के जो तरीके हैं उसमें ये भी एक तरीका है। मैं विश्वास करता हूँ कि ये प्रयास बहुत ही सुखद रहेगा। कल भारत प्रजासत्ता पर्व मनाने जा रहा है, इस प्रजसत्ता पर्व की पूर्व संध्या पर मैं देशवासियों को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूँ और अधिकार और कर्तव्य इन दोनों को संतुलित करते हुए हम देश को आगे बढ़ाएंगे यही मेरी शुभकामना है।

बहुत बहुत धन्यवाद्।

Explore More
78వ స్వాతంత్ర్య దినోత్సవ వేళ ఎర్రకోట ప్రాకారం నుంచి ప్రధాన మంత్రి శ్రీ నరేంద్ర మోదీ ప్రసంగం

ప్రముఖ ప్రసంగాలు

78వ స్వాతంత్ర్య దినోత్సవ వేళ ఎర్రకోట ప్రాకారం నుంచి ప్రధాన మంత్రి శ్రీ నరేంద్ర మోదీ ప్రసంగం
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।