I thank the people of Rishikesh to have joined the programme at such a short notice: PM
Our sole agenda is -development, progress of the nation and welfare of people: PM Modi
Congress' anti-poor mind-set and negative politics is responsible for their fall: PM
Congress has let down the spirit of democracy by not letting the Parliament function: PM
Govt at Centre is committed to timely delivery of all schemes: PM Narendra Modi
We successfully implemented 'One Rank, One Pension'. Dignity of our armed forces is our prime focus: PM
After their defeat in polls, Congress party has been putting roadblocks in development of the country: PM
 

भारत माता की जय, भारत माता की जय!  

मंच पर विराजमान भाजपा के सभी वरिष्ठ नेतागण और विशाल संख्या में पधारे हुए प्यारे भाईयों और बहनों

चुनाव का बुखार चढ़ा हो, चारों तरफ चुनाव की धूम हो और पक्ष-विपक्ष में प्रचार अभियान तेज हो तो ऐसे समय गर्माए हुए माहौल में कोई 24 घंटे पहले सभा करने को कहे तो पार्टी के लोग कहेंगे कि कुछ दिन और दे दीजिए, अगले सप्ताह भेज दीजिए। आपने ये 24 घंटे में जो कमाल किया है... जहाँ भी नजर दौड़ रही है, माथे ही माथे नजर आ रहे हैं। जब मैं हेलिपैड से यहाँ आया तो पूरे रोड पर दोनों तरफ भीड़ लगी हुई थी। देवभूमि के मेरे प्यारे भाईयों-बहनों, प्रधानमंत्री बनने के बाद यह मेरी पहली यात्रा है और आपने जो स्वागत-सम्मान किया, जो प्यार दिया; वो मैं कभी भूल नहीं सकता। चुनाव में सभाएं होती हैं लेकिन ऐसे सहज वातावरण में इतना बड़ा जन सैलाब; मैं आप सभी लोगों एवं पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को ह्रदय से अभिनंदन करता हूँ।

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि देश के विकास के लिए कार्य करने में कोई कोर-कसर नहीं रहेगी। सवा साल के कार्यकाल में आपने देखा होगा... मैंने देशवासियों से कहा था कि मैं परिश्रम की पराकाष्ठ करूँगा। अब तो मेरी बात का विश्वास है? पल-पल आपके लिए खपा रहा हूँ? जिम्मेवारी निभाने का पूरा प्रयास कर रहा हूँ? मैंने वादा किया था कि मैं चैन से नहीं बैठूँगा। आज मैं पांच राज्यों की यात्रा करके आया हूँ। सरकार में जनता का विश्वास है, आज मैं देख रहा हूँ। आज जन-मन इतना बदला है कि मैं एक इच्छा करूँ तो मेरे देशवासी पूरी ताकत लगाकर उसे पूरी कर देते हैं।

कुछ पहले तक यह स्थिति थी कि बालिकाएं तीसरी-चौथी कक्षाओं तक आते-आते स्कूल छोड़ देती थीं और अगर हमारी बालिकाएं अशिक्षित रहेंगी तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ अशिक्षित रहेंगी। हमारी बेटियां पढ़नी चाहिए। हमारे ध्यान में आया कि बेटियां स्कूल इसलिए छोड़ देती हैं क्योंकि स्कूलों में उनके लिए अलग से शौचालय नहीं हैं। ये शर्म की बात है कि नहीं है? हमें आजादी को मिले 65 साल से भी ज्यादा समय हो गया लेकिन बालिकाओं के लिए स्कूलों में अलग से शौचालय नहीं बने। हमने निर्णय किया कि हम इस काम को 1 साल में पूरा करेंगे। लोग कहते थे कि मोदी जी जो 60 साल में नहीं हुआ, वो 1 साल में कैसे होगा। मैंने कहा कि ये मैं नहीं बल्कि मेरे देशवासी पूरा करेंगे और आज मैं गर्व से कहता हूँ कि करीब-करीब सवा चार लाख शौचालय बनाने का काम एक साल के भीतर-भीतर हमने पूरा किया।

बैंकों का जब राष्ट्रीयकरण हुआ तो यह कहा गया था कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण इसलिए किया जाता है ताकि बैंक गरीबों के काम आए और गरीब बैंकों के दरवाजे पर जा सके लेकिन आजादी के इतने वर्षों बाद भी यहाँ की आधी आबादी ऐसी थी जिसने कभी बैंक का दरवाजा नहीं देखा। हमने निर्णय किया कि बैंकों के पैसों पर अगर पहला किसी का अधिकार है तो देश के गरीबों, किसानों, नौजवानों और देश की माता-बहनों का है। हमने प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुरू की। 26 जनवरी के पहले काम पूरा करने का निर्णय किया और आज मुझे आपको हिसाब देते हुए गर्व होता है कि 100 दिन के भीतर पूरे देश में आंदोलन चल पड़ा और करीब 17 करोड़ जन-धन खाते खुले।

मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री था; नया-नया था तो अनुभव भी कम था; विधानसभा में हमने घोषणा की कि हम 24 घंटे बिजली देंगे। गुजरात में उस समय 24 घंटे बिजली नहीं आती थी। हमने जब घोषणा की तो कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हमसे मिलने आये। उन्होंने कहा कि मोदी जी आपसे कोई गलती हो गई है। मैंने उनसे पूछा – कौन सा? उन्होंने कहा कि आप नए आए हो; किसी ने आपको गुमराह किया है या आपने गलत हाथ पकड़ लिया है। मैंने कहा – कौन सी? उन्होंने कहा, 24 घंटे बिजली देने की जोकि संभव ही नहीं है; आप विफल हो जाओगे और अभी तो आपकी शुरुआत है; आपकी राजनीति ख़त्म हो जाएगी; आपको किसी ने गलत सलाह दी है। मैंने कहा, नेताजी आपने मुझे जो मार्गदर्शन दिया, मैं उसका बहुत आभारी हूँ। वे राजनीति करने नहीं आये थे। ईमानदारी से मेरे कमरे में आकर मुझे कान में बता रहे थे। मैंने उनसे कहा कि हाँ, 24 घंटे बिजली पहुँचाना काम कठिन तो है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि लोगों ने कठिन काम के लिए मुझे यहाँ भेजा है।

भाईयों-बहनों, मैं आज देश के लिए सपना देख रहा हूँ कि 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने पर जब हम आजादी के वीरों को याद करेंगे तो हम उन्हें ऐसा हिन्दुस्तान देना चाहते हैं जहाँ घरों में 24 घंटे बिजली आती हो। भाईयों-बहनों, हमने ठान लिया है कि 2022 में दूर पहाड़ी क्षेत्रों में भी रहने वाले लोगों को भी हम 24 घंटे बिजली मुहैया कराएंगे। इस काम को करने के लिए जब मैं मीटिंग करता हूँ तो मुझे पता चला कि अभी भी हमारे देश में 18 हजार गाँव ऐसे हैं जहाँ न बिजली का खंभा पहुंचा है और न बिजली की तार पहुंची है और ये संख्या कम नहीं है। सबने कहा कि ये लगेगा, वो लगेगा; मैंने कहा, कुछ नहीं, जो होना है, होगा; जो करना है, कीजिये; मैं एक ही भाषा समझता हूँ कि 1000 दिन में 18 हजार गांवों में मुझे बिजली पहुंचानी है। आज मैं इस पूरे काम को मॉनिटर कर रहा हूँ कि काम शुरू हुआ है कि नहीं; तारें पहुंची कि नहीं। हर बात के पीछे सरकार एक समयबद्ध कार्यक्रम लेकर चल रही है और उस काम को आगे बढ़ाने की दिशा में हम तैयारी कर रहे हैं।

मैं चुनाव में जब आया था तो उत्तराखंड की धरती जहाँ परमात्मा हमारी रक्षा करता है और यहाँ नीचे जवान हमारी रक्षा करते हैं; ऊपर में बाबा केदारनाथ, बाबा बद्रीनाथ का हमें आशीर्वाद मिलता है और नीचे... यहाँ शायद ही कोई घर होगा जिसमें कोई जवान नहीं हो और जो देश की सेवा में जुटा न हो।

मैं उत्तराखंड में जब चुनावी सभाओं में आता था तो ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की बात करता था। कांग्रेस ने इसके लिए 500 करोड़ का बजट रखा था जिसपर वे खूब वाहवाही लूटते थे। हमारे कुछ जवान भी उनकी जय-जयकार करने लग गए थे कि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के लिए इतना बजट हो गया। मैंने सोचा कि इससे थोड़ा ज्यादा खर्चा हो जाएगा, 1000 करोड़ या 1500 करोड़। फिर कमिटी ने कहा कि 265 करोड़ और लगेंगे, मैंने कहा ठीक है लेकिन जब हिसाब करने बैठे तो मामला 10 हजार करोड़ तक पहुँच गया। भारत जैसे देश के लिए 10 हजार करोड़ कोई मामूली रकम नहीं है। ये बहुत बड़ी रकम है लेकिन हमारे जवानों का सम्मान उससे भी बड़ा है। इसलिए हमने निर्णय किया है हमारे देश के जवानों को इसका लाभ मिले लेकिन अभी भी जिन लोगों को लगता था कि ये तो कभी होने वाला नहीं है और उन्हें पता भी था कि इतना खर्च होगा, उन्हें आंदोलन चलाने में अभी भी मजा आता है, वे अभी भी आंदोलन चला रहे हैं।

देश में नकारात्मक राजनीति कभी चल नहीं सकती। ये कांग्रेस का फार्मूला है और इसलिए कभी 400 सांसदों वाली कांग्रेस आज 40 पर सिमट गई है और ये इसलिए हो रहा है क्योंकि वे नकारात्मक राजनीति पर तुले हुए हैं और हर बात का विरोध करते हैं। लोकतंत्र में विरोधी दल का काम है – विरोध करना लेकिन नकारात्मक राजनीति और विरोध करने में बहुत बड़ा अंतर है। संसद चलने नहीं दी; उत्तराखंड के विषयों की चर्चा होनी चाहिए जो उन्होंने होने नहीं दी। आपने इतने सांसद चुन करके भेजे लेकिन संसद के अंदर उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया गया। क्या ये नकारात्मक राजनीति लोकतंत्र का भला करेगी? संसद चलनी चाहिए कि नहीं चलनी चाहिए? मान हो, मदद हो, सम्मान हो, यही तो लोकतंत्र का धर्म है लेकिन देश का दुर्भाग्य देखिये, इतने साल जो सत्ता में रहे, उनको विरोध करना, विरोध में बैठना रास नहीं आ रहा। वो जैसे थे, वैसे ही हैं। उन्हें लगता है कि ये तो उनकी पारिवारिक संपत्ति है, पीढ़ी-दर-पीढ़ी उन्हें ही मिलनी चाहिए; उनसे कौन छीन सकता है, वो भी मोदी, चायवाला, एक गरीब का बेटा। उनकी गरीब-विरोधी और सामंतशाही मानसिकता नहीं चलेगी।

देश में पूर्ण बहुमत वाली सरकार आई है; जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से आई है। हम यहाँ किसी का हक़ छीन करके नहीं आए हैं। हमारा दायित्व बनता है – जनता की आशा-आकांक्षाओं को पूरा करना और ईश्वर ने जितनी शक्ति और सामर्थ्य दिया है, उसका प्रयोग करते हुए देश का भला करना लेकिन कांग्रेस वाले समझें कि नकारात्मक राजनीति का परिणाम क्या होता है। जिस कांग्रेस पार्टी का पंचायत से लेकर संसद तक झंडा झुकता नहीं था, वो आज नजर नहीं आते हैं। अभी पार्लियामेंट में इतना तूफ़ान किया; संसद चलने नहीं दी; जितनी प्रकार की गालियां मुझे दे सकते थे, सारी दे दी। रोज डिक्शनरी लेकर बैठते हैं कि आज कौन सी गाली दूं। इतना सारा करने के बावजूद अभी मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव हुए थे; उसमें क्या हुआ, ख़त्म हो गए न। अभी राजस्थान में स्थानीय निकाय के चुनाव हुए; क्या हुआ कांग्रेस का, लोगों ने ख़त्म कर दिया न। उसी तरह बंगलौर में भी उनका यही हाल हुआ।

कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेताओं से कुछ सीखें। चुनाव में जय-पराजय तो होती रहती है। हमारी भी हुई थी; हम तो कभी पार्लियामेंट में 2 ही लोग थे; अटल जी समेत सब हार गए थे लेकिन हमने जनता का विश्वास जीतने के लिए मेहनत की। हम जनता के सवालों को लेकर चलते रहे और कभी नकारात्मक राजनीति नहीं की और यही जनता-जनार्दन है जिसने हमें सर-आँखों पर बिठा दिया।

मेरे भाईयों-बहनों, हमारा एक ही मकसद है – विकास। देश का कल्याण करना हो या नौजवानों को रोजगार दिलाना हो, विकास के बिना संभव नहीं है। ये लोग विकास के हर रास्ते में आड़े आ रहे हैं और उनका इरादा देश की प्रगति को रोकना है। भाजपा को नहीं रोक पाए तो अब देश को रोक रहे हैं। चुनाव में जनता ने उन्हें हरा दिया तो अब वे जनता से बदला लेने, उन्हें सजा देने और उनके कामों को रोकने पर तुले हुए हैं। मुझे विश्वास है कि देश की जनता नकारात्मक राजनीति करने वालों को पहचानेगी, उन्हें आगे आने वाले दिनों में भी सबक सिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी। आप लोगों ने इतना स्वागत और सम्मान किया, मैं आपका बहुत आभारी हूँ।   

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Text of PM’s condolence message on the demise of former PM Dr. Manmohan Singh
December 27, 2024
Dr. Singh's life teaches future generations how to rise above adversity and achieve great heights: PM
Dr. Singh will always be remembered as a kind person, a learned economist, and a leader dedicated to reforms: PM
Dr. Singh's distinguished parliamentary career was marked by his humility, gentleness, and intellect: PM
Dr. Singh always rose above party politics, maintaining contact with individuals from all parties and being easily accessible to everyone: PM

The demise of former Prime Minister Dr. Manmohan Singh ji has deeply pained our hearts. His passing is a tremendous loss for us as a nation. Coming to Bharat during the time of partition after losing so much, and achieving remarkable success in every field of life, is no ordinary feat. His life serves as a lesson for future generations on how to rise above hardships and challenges to reach great heights.

He will always be remembered as a kind-hearted individual, a scholarly economist, and a leader dedicated to reforms. As an economist, he served the Government of Bharat in various capacities. During a challenging time, he played the role of the Governor of the Reserve Bank of India. As the Finance Minister in the government of former Prime Minister and Bharat Ratna Shri P.V. Narasimha Rao ji, he steered the country out of a financial crisis and paved the way for a new economic direction. His contributions as the Prime Minister towards the country’s development and progress will always be cherished.

His commitment to the people and the nation's development will forever be held in high regard. Dr. Manmohan Singh ji's life was a reflection of honesty and simplicity. He was an extraordinary parliamentarian. His humility, gentleness, and intellect defined his parliamentary life. I remember mentioning earlier this year, when his tenure in the Rajya Sabha ended, that his dedication as a Member of Parliament is an inspiration to all. Even during crucial moments of parliamentary sessions, he would attend in a wheelchair and fulfil his parliamentary duties.

Despite being educated at some of the world's most prestigious institutions and holding numerous top positions in the government, he never forgot the values of his humble background. Rising above partisan politics, he always maintained connections with people across party lines and remained approachable to everyone. During my tenure as Chief Minister, I had open discussions with Dr. Manmohan Singh ji on various national and international issues. Even after coming to Delhi, I would frequently meet and converse with him. I will always remember our discussions about the country and our meetings. Recently, I spoke to him on his birthday.

In this difficult moment, I extend my condolences to his family. On behalf of all the citizens of the country, I pay tribute to Dr. Manmohan Singh ji.